वायु प्रदूषण पर निबंध – Essay of Air Pollution in Hindi and their Meaning, Sources, Side effects of Air Pollution
By Shiksha Samdra
वायु प्रदूषण पर निबंध – मानव द्वारा पृथ्वी पर फैलाए गए प्रदूषण के कारण मानव को ही नित नए-नए रोगों से सामना करना पड़ता है। दिन प्रति दिन पर्यावरण की ताजी हवा विविक्त, जैविक अणुओं, और अन्य हानिकारक सामग्री के मिलने के कारण प्रदूषित हो रही है। वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है जिस पर ध्यान देने के साथ ही सभी के सामूहिक प्रयासों से सुलझाने की आवश्यकता है। इस लेख में हम वायु प्रदूषण के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।
संकेत बिंदु – (Content)
- प्रस्तावना
- वायु प्रदूषण का अर्थ
- वायु प्रदूषण की प्रकृति
- वायु प्रदूषण के स्त्रोत
- वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव
- वायु प्रदूषण की वृद्धि के प्रमुख कारण
- वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय
- उपसंहार
प्रस्तावना – Preface
वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों में से एक है। वायु प्रदूषण के कारण ओज़ोन परत भी बहुत अधिक प्रभावित हो रही है जो पर्यावरण में गंभीर व्यवधान का कारण बन रही है। मनुष्य की हमेशा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उनकी आवश्यकता में भी वृद्धि हो रही है जो प्रदूषण का मुख्य कारण है।
मनुष्य की दैनिक गतिविधियाँ बहुत से खतरनाक रसायनों, वातावरण को गंदा करने का कारण होती है, जो जलवायु में नकारात्मक परिवर्तन के लिये मजबूर करती है। औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया में कई हानिकारक गैसों, कणों, पेंट और बैट्रियों का आक्रामक संचालन, सिगरेट, आदि कार्बन मोनो ऑक्साइड, परिवहन के साधन कार्बन डाई ऑक्साइड और अन्य ज़हरीली पदार्थों को वातावरण में छोड़ते हैं।
सभी तरह के प्रदूषण पर्यावरण से जुड़े हुए हैं, जो ओज़ोन परत को हानि पहुँचाकर सूर्य की हानिकारक किरणों पर पृथ्वी पर आमंत्रित करते हैं। वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए हमें दैनिक आधार पर अपनी क्रिया-कलापों में बड़े स्तर पर परिवर्तन लाने होंगे।
हमें वायु प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए पेड़ो को नहीं काटना चाहिए, सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करना चाहिए, छिडकाव करने वाली कैनों को वर्जित करना चाहिए और अन्य उन गतिविधियों को करना चाहिए जो वातावरण को प्रदूषित करने वाले तत्वों को रोकने में सहायक हो।
वायु प्रदूषण का अर्थ – Air Pollution Meaning
वायु पृथ्वी पर जीवन का एक आवश्यक तत्व है। इसी से प्राणियों एवं जीव-जंतुओं को ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जो जीवन का आधार है और इसी से वनस्पति को कार्बन-डाई-ऑक्साइड मिलती है जिससे उसका पोषण होता है। वायु मण्डल एक कम्बल के समान है, जिसके न होने से तापमान अधिक या अति न्यून हो जाएगा। वायु मण्डल ही हमारी अल्ट्रावायलेट किरणों से रक्षा करता है और उल्काओं को जला कर नष्ट कर देता है।
वास्तव में वायु में उपस्थित गैसों पर बाहरी प्रभाव (प्राकृतिक अथवा मानवीय) ही वायु प्रदूषण के लिए उत्तरदायी है। हमारी पृथ्वी के वातावरण विभिन्न प्रकार की गैसों से बना हुआ है, जिसमें मानव एवं अन्य सजीव जीव-जंतुओं के जीवन के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है,
जो कि वातावरण में लगभग 24% है। लेकिन धीरे-धीरे पृथ्वी में हो रहे बदलाव के कारण ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है, इसमें कई प्रकार की विषैली गैसे घुल रही है।
साधारण शब्दों में कहें तो स्वच्छ वायु में रसायन, सूक्ष्म पदार्थ, धूल, विषैली गैसें, जैविक पदार्थ, कार्बन डाइऑक्साइड आदि के कारण वायु प्रदूषण होता है।
वायु प्रदूषण की प्रकृति
जीव मण्डल का आधार वायु है। वायु में उपस्थित ऑक्सीजन पर ही जीवन निर्भर है। प्राणी वायुमण्डल से ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन-डाई-ऑक्साइड निष्कासित करते हैं, जिसे हरे पौधे ग्रहण कर लेते हैं और एक संतुलित चक्र चलता रहता है।
किंतु इस संतुलन में उस समय रुकावट आ जाती है जब उद्योगों, वाहनों एवं अन्य घरेलू उपयोगों से निकलता धुआँ एवं अन्य सूक्ष्म कण, विभिन्न प्रकार के रसायनों से उत्पन्न विषैली गैस, धूल के कण, रेडियोधर्मी पदार्थ आदि वायु में प्रवेश करके, स्वास्थ्य के लिये ही नहीं अपितु समस्त जीव-जगत् के लिए हानिकारक बना देते हैं। यही वायु प्रदूषण या वायु मण्डलीय प्रदूषण कहलाता है।
वायु प्रदूषण उसी समय प्रारंभ होता है जब वायु में अवांछित तत्व एवं गैस आदि समाविष्ट हो जाते हैं, जिससे उसका प्राकृतिक स्वरूप विनष्ट हो जाता है और उससे हानि होने की संभावना अधिक हो जाती है।
वैसे तो वायु प्रदूषण की समस्या कोई नई नहीं है क्योंकि अनेक प्राकृतिक कारणों जैसे ज्वालामुखी का विस्फोट, तेज हवाओं से मिट्टी के कणों का वायु में मिलना या जंगल की आग से प्राचीन काल से वायु प्रदूषण होता आ रहा है।
जब से मानव ने आग का प्रयोग प्रारम्भ किया, तभी से प्रदूषण का प्रारम्भ हो गया, पशु चारण से उड़ने वाली रेत, खनन से प्रदूषित वायु मण्डल या गन्दगी से सूक्ष्म जीवाणुओं का वायु में फैल जाना प्राचीन काल से होता रहा है। किन्तु तब तक यह समस्या नहीं थी, क्योंकि जनसंख्या सीमित थी, आवश्यकताएँ कम थीं, ईंधन का उपयोग बहुत कम किया जाता था, प्राकृतिक वनों का पर्याप्त विस्तार था जिसके कारण प्रदूषित पदार्थ पर्यावरण से अपने-आप ही नष्ट हो जाते थे, उनसे किसी प्रकार की हानि नहीं होती थी,
क्योंकि वायुमण्डलीय प्रक्रिया में स्वत: ही शुद्ध एवं सन्तुलित होने की अपूर्व क्षमता होती है। किन्तु आज की औद्योगिक, वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति ने इस गणित को गलत कर दिया है, क्योंकि मानव तीव्र गति से वायु मण्डल में अवशिष्ट पदार्थ विस्तारित करने लगा है। जो वायु प्रदूषण का मूल कारण है।
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वायु प्रदूषण के स्रोत – Sources of Air Pollution
(1) वायु प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत –
(i) कुछ प्राकृतिक क्रियाओं के फलस्वरूप भी वायु प्रदूषण होता है, यद्यपि यह सीमित एवं क्षेत्रीय होता है। इसमें ज्वालामुखी का उद्गार एक प्रमुख प्राकृतिक क्रिया है, जिससे विस्फोट के क्षेत्र का वायु मण्डल प्रदूषित हो जाता है ।
(ii) ज्वालामुखी उद्गार के समय विशाल मात्रा में धुआँ, राख एवं चट्टानों के टुकड़े तथा विभिन्न प्रकार की गैसें तीव्र गति से वायु मण्डल में प्रवेश करती हैं और वहाँ प्रदूषण में वृद्धि हो जाती है।
(iii) वनों में लगने वाली आग (जो कभी-कभी हजारों वर्ग किलोमीटर में फैल जाती है) भी वायु प्रदूषण का कारण बनती है क्योंकि इससे धुआँ और राख के कण विस्तीर्ण हो जाते हैं।
(iv) तेज हवाओं एवं अंधी-तूफान से जो धूल के कण वायु मण्डल में फैलते हैं, वे प्रदूषण के कारण बनते हैं।
(v) समुद्री लवण के कण, खनिजों के कण भी वायु प्रदूषण में योग देते हैं।
(vi) दलदली प्रदेश में पदार्थों के सड़ने से ‘मिथेन गैस’ प्रदूषण फैलाती है।
(vii) कुछ पौधों से उत्पन्न हाइड्रोजन के यौगिक तथा पराग कण भी प्रदूषण का कारण हैं।
(viii) कोहरा प्रदूषण का एक प्रमुख कारण बनता है।
प्राकृतिक स्रोतों से होने वाला वायु प्रदूषण सीमित एवं कम हानिकारक होता है क्योंकि प्रकृति स्वयं विभिन्न क्रियाओं से इसमें संतुलन बनाए रखती है।
(2) वायु प्रदूषण के मानवीय स्रोत –
यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि मानव ने अपनी विभिन्न क्रियाओं से वायु मण्डल या वायु को अत्यधिक प्रदूषित किया है और करता जा रहा है। ऊर्जा के विविध उपयोग, उद्योग, परिवहन, रसायनों के प्रयोग में वृद्धि आदि ने जहाँ मानव को अनेक सुविधाऐं प्रदान की हैं, वहीं वायु प्रदूषण के रूप में संकट को भी जन्म दिया है।
(i) नियमित घरेलू कार्य जैसे भोजन बनाने, पानी गर्म करने आदि में ईंधन, जैसे-लकड़ी, कोयला, गोबर के कण्डे, मिट्टी का तेल, गैस आदि का प्रयोग होता है। इस जलाने की क्रिया में कार्बन-डाई-ऑक्साइड, कार्बन-मोनो-ऑक्साइड, सल्फर-डाई-ऑक्साइड आदि गैसें उत्पन्न होती हैं जो वायु को प्रदूषित करती हैं।
(ii) वर्तमान युग में परिवहन के क्षेत्र में अत्यधिक प्रगति हुई है, इससे आज जहाँ दूरियाँ सिमट कर रह गई हैं वहीं वायु प्रदूषण का संकट दिन-प्रतिदिन गहराता जा रहा है।
(iii) समस्त ऊर्जा चालित वाहनों में आंतरिक दहन से शक्ति प्राप्त होती है और साथ में धुआँ निकलता है जो विषैली गैसों एवं हानिकारक प्रदूषण तत्वों से युक्त होता है। इनसे निकले धुएँ में हानिकारक कार्बन मोनो ऑक्साइड और सीसे के कण भी होते हैं जो वायु प्रदूषण में वृद्धि करते हैं।
(iv) धूम कुहरे का जन्म भी पेट्रोल एवं डीजल से निकले नाइट्रोजन के ऑक्साइड से होता है जो सूर्य के प्रकाश में हाइड्रो कार्बन से क्रिया कर घातक प्रकाश रासायनिक धूम कुहरे को जन्म देता है।
(v) विकसित देशों की तुलना में हमारे देश में वाहनों की संख्या कम है किंतु वायु प्रदूषण कम नहीं क्योंकि यहाँ के वाहनों के इंजन पुराने होते हैं, उनका रख-रखाव ठीक नहीं होता और सामान्य वाहन वाले उनसे होने वाले पर्यावरण प्रदूषण के प्रति उदासीन हैं ।
(vi) जहाँ कोयले को जला कर ताप ऊर्जा प्राप्त की जाती है वहाँ वायु प्रदूषण का खतरा अधिक हो जाता है क्योंकि इस प्रक्रिया में अत्यधिक कोयला जलाया जाता है। फलस्वरूप प्रदूषण फैलाने वाली गैसें जैसे सल्फर-डाई-ऑक्साइड, कार्बन के ऑक्साइड तो वायुमण्डल में फैलती ही हैं, इसके अतिरिक्त कोयले की राख एवं कार्बन के सूक्ष्म कण इसके चारों ओर के वायु मण्डल में फैल जाते हैं।
(vii) वायु प्रदूषण के लिए जहाँ एक ओर परिवहन उत्तरदायी है तो दूसरी ओर उद्योग। वास्तविक रूप से वायु प्रदूषण औद्योगिक क्रांति की देन है। उद्योगों में एक ओर दहन क्रिया होती है तो दूसरी ओर विविध पदार्थों का धुआँ जो औद्योगिक चिमनियों से निकलकर वायु मण्डल में विलीन हो जाता है तथा जिसका परिणाम वायु प्रदूषण होता है।
(viii) उद्योगों के कारण लॉस एंजिल्स शहर पर सदैव धुएँ का बादल छाया रहता है। जापान में जब वायु प्रदूषण अधिक होता है तो बच्चों को स्कूल जाते समय मुंह पर जाली पहना दी जाती है। भारत में यद्यपि उद्योगों द्वारा वायु प्रदूषण औद्योगिक देशों की तुलना में कम है किंतु कुछ नगरों में जहाँ पर्याप्त उद्योग हैं, इसका स्तर स्वास्थ्य को खतरा पैदा कर रहा है।
(ix) इसी प्रकार अम्लीय वर्षा भी वायु प्रदूषण का एक खतरनाक प्रकार है। अम्लीय वर्षा तब होती है जब सल्फर-डाई-ऑक्साइड (SO2) वायु में पहुँच कर सल्फ्यूरिक एसिड (H2SO4) बन जाता है जो सूक्ष्म कणों के रूप में गिरता है जिसमें सल्फेट आयन अधिक होता है। इस प्रकार का जल मानव एवं वनस्पति दोनों के लिए हानिकारक होता है ।
(x) वर्तमान समय में कृषि की प्रक्रिया से भी वायु प्रदूषण होने लगा है। यह प्रदूषण कीटनाशक दवाओं के अत्यधिक प्रयोग से हो रहा है। कृषि में विभिन्न प्रकार की बीमारियों को रोकने के लिए विषैली दवाओं का छिड़काव किया जाता है, कभी-कभी यह छिड़काव हेलीकोप्टर या छोटे विमानों द्वारा भी किया जाता है ।
(xi) अनेक प्रकार के पेंट, स्प्रे, पॉलिश आदि करने के लिए जिन विलायकों का प्रयोग किया जाता है वे हवा में फैल जाते हैं क्योंकि इनमें हाइड्रो कार्बन पदार्थ होते हैं और वायु को प्रदूषित कर देते हैं।
(xii) परमाणु शक्ति का प्रयोग जहाँ एक ओर असीम शक्ति प्राप्त करने के लिये किया जा रहा है, वहीं तनिक-सी असावधानी न केवल वायु प्रदूषण अपितु मौत का कारण बन जाती है।
(xiii) हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बमों से वहाँ का वायुमण्डल इतना अधिक प्रदूषित हुआ कि उसके कतिपय अवशेष अभी भी देखे जा सकते हैं।
वास्तव में मानव ने उद्योग, परिवहन, ऊर्जा आदि के क्षेत्रों में जो प्रगति की है उसका प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव वायु प्रदूषण के रूप में हो रहा है। यह संकट आज संपूर्ण विश्व पर गहराता जा रहा है।
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वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव – Side Effect of Air Pollution
(1) जैसे-जैसे पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है, उसके कारण पृथ्वी की रक्षा करने वाली ओजोन परत पतली होती जा रही है। जिसके कारण सूची से आने वाली हानिकारक किरणें सीधी हमारे ऊपर पड़ती है, जिससे त्वचा का कैंसर जैसी बीमारियाँ हो रही है।
(2) हवा के प्रदूषित होने के कारण अस्थमा, दमा, कैंसर सिर दर्द, पेट की बीमारियां, एलर्जी, दिल की बीमारी हो सकती है, जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है। इन बीमारियों के कारण प्रतिदिन कई लोगों की मृत्यु हो जाती है।
(3) हमारे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा 24% थी लेकिन धीरे-धीरे इसकी मात्रा कम होती जा रही है एक रिसर्च के अनुसार हमारे वातावरण में अभी ऑक्सीजन की मात्रा 22% ही रह गई है।
(4) स्वच्छ हवा और ऑक्सीजन की कमी के कारण असमय जीव-जंतुओं की मृत्यु हो रही है और साथ ही कुछ प्रजातियां तो विलुप्त भी हो गई है। अगर ऐसे ही वायु प्रदूषण होता रहा तो एक दिन सभी जीव जंतु की प्रजातियाँ विलुप्त हो जाएँगी।
(5) वायु में प्रदूषण की मात्रा अधिक होने के कारण पृथ्वी का संतुलन भी बिगड़ रहा है। आए दिन कोई ना कोई आपदा आती रहती है, इसका कारण प्रदूषण ही है अगर हमें हमारे वातावरण को बचाना है, तो वायु प्रदूषण को कम करना होगा।
(6) वायु प्रदूषण के कारण शुद्ध हवा में कई प्रकार की हानिकारक पदार्थ ऐसे भी मिल जाते हैं, जिससे अम्लीय वर्षा होती है। जिस को आम भाषा में हम तेजाब वर्षा भी कहते हैं। यह पानी में घुलने कारण सीधे हमारे शरीर में चली जाती हैं जिससे कई प्रकार की बीमारियाँ हो जाती हैं।
(7) वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी के वातावरण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
एक शोध के अनुसार अगर इसी तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ता रहा तो सन 2050 तक पृथ्वी का वातावरण 4 से 5 डिग्री तक बढ़ जाएगा। जबकि अगर पृथ्वी का तापमान 2 से 3% भी बढ़ता है, तो पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल जाएँगे, जिससे भयंकर बाढ़ आ सकती है और पूरी पृथ्वी नष्ट हो सकती है।
वायु प्रदूषण के कारण – Due to Air Pollution
दुनिया के लगभग सभी देश वायु प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है, लेकिन सबसे ज्यादा चिंता का विषय हमारे भारत देश के लिए है क्योंकि वायु प्रदूषण के मामले में दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहर हमारे भारत देश में ही है। जिसके कारण हमारे देश के शहरों में जीना मुश्किल हो गया है।
वायु प्रदूषण के प्राकृतिक कारण –
(1) हमारी पृथ्वी पर बहुत सारे ज्वालामुखी है जोकि समय-समय पर पढ़ते रहते हैं और उनसे जहरीली गैस से और लावा निकलता रहता है जिसके कारण वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती रहती है।
(2) पृथ्वी पर बहुत से बड़े-बड़े जंगल हैं, जिन में बहुत से पेड़ पौधे और वनस्पतियाँ है, ज्यादातर गर्मियों में जंगलों में आग लगती है, जिसके कारण पूरा जंगल जलने लग जाता है जिससे अधिक मात्रा में धुँआ उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषण होता है।
(3) हमारे वातावरण में हर समय धूल मिट्टी उड़ती रहती है, इसका कारण यह है कि कभी तेज हवा चलती है तो कभी आंधी तूफान आ जाते हैं, जिसके कारण धूल का एक गुबार सा उठता है और पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है।
(4) पृथ्वी के वातावरण में कई बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं जिनमें से कुछ अच्छे होते है तो कुछ हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं। ये हमें खुली आंखों से तो दिखाई नहीं देते लेकिन यह हवा के साथ मिलकर हमारे शरीर में चले जाते है। जिसके कारण हमारा शरीर किसी ना किसी बीमारी का शिकार हो जाता है।
(5) दुनिया के सभी देशों में फूलों के बागान होते है। जिनमें अधिक मात्रा में फूल उगते है लेकिन उन फूलों के ऊपर बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में फूलों के परागकण होते हैं जो की थोड़ी सी हवा से उड़ने लग जाते हैं और उसके कारण वायु प्रदूषण हो जाता है।
(6) पृथ्वी के आसपास अंतरिक्ष में बहुत सारे धूमकेतु और उल्का पिंड घूमते रहते हैं और वे कभी-कभी पृथ्वी से टकरा जाते हैं जिसके कारण उनकी धूल मिट्टी के कारण हमारा पूरा वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है।
(7) हमारे यहां पशुओं को अनेक चीजों के लिए पाला जाता है। पशुओं से भी वायु प्रदूषण होता है क्योंकि इनके द्वारा छोड़ी गई गैस मिथेन के रूप में निकलती है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।
वायु प्रदूषण के मानव निर्मित कारण –Man-made causes of air pollution
(1) बड़े उद्योग धंधे और कल कारखाने किसी भी देश के लिए बहुत जरूरी है लेकिन इन्हीं कारखानों के कारण दिन प्रतिदिन हमारा वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है क्योंकि इन कारखानों से धुएं के साथ-साथ हानिकारक गैसे भी निकलती है जो कि पूरे वातावरण को प्रदूषित करती है।
(2) वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण होता है क्योंकि पेड़ पौधों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर ली जाती है और बदले में ऑक्सीजन छोड़ी जाती है लेकिन पेड़ों की संख्या कम होने के कारण कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वातावरण में बढ़ती जा रही है।
(3) वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि भी है। बढ़ती हुई जनसंख्या की जरूरतें पूरी करने के लिए अधिक संसाधनों की भी जरूरत पड़ती है जिनके कारण भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
(4) फसल काटने के बाद खेत में फसल के डंठल बच जाते हैं जिनको किसानों द्वारा जला दिया जाता है और सभी देशों में खेती अधिक मात्रा में होती है और हमारे भारत देश की बात करें तो हमारा देश कृषि प्रधान देश है जहां पर ज्यादातर किसान लोग ही रहते हैं इसलिए अधिक मात्रा में खेतों में डंठल बच जाते है। जिनको जलाए जाने से वायु में धुएं का गुबार छा जाता है।
(5) जितनी ज्यादा जनसंख्या की वृद्धि हो रही है उसी प्रकार से लोगों की विलासता की चीजों में भी रुचि बढ़ती जा रही है लोग दिन प्रतिदिन नए वाहन खरीद रहे है जिसके कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं स्वच्छ हवा में घुलता है और उसे प्रदूषित कर देता है।
(6) पूरी दुनिया में प्रत्येक देश अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए परमाणु परीक्षण कर रहा है जिसके कारण जहरीले तत्व हवा में घुल रहे है हवा के साथ साथ परमाणु बम से पूरा वातावरण नष्ट हो रहा है।
(7) प्रतिदिन घरों से सूखा और गीला कचरा निकलता है सूखे कचरे को हम नादानी में जला देते हैं और सोचते हैं कि इससे क्या प्रदूषण होगा लेकिन अगर करना की जाए तो दुनिया भर में बहुत सारे करें और उनमें से रोज अगर थोड़ा भी कचरा निकलता है तो वह एक साथ मिलाने पर बहुत अधिक हो जाता है और उसे जलाने पर प्रदूषण की मात्रा बड़ी जाती है।
(8) हमें जगह-जगह आवारा मरे हुए पशु देखने को मिल जाते हैं जिनसे भयंकर बदबू आती रहती है और उनमें कई तरह के कीटाणु उत्पन्न हो जाते हैं जो कि पूरी हवा को प्रदूषित कर देते हैं इसके कारण कई बीमारियां भी फैल जाती है।
(9) वर्तमान समय में सभी लोग रासायनिक पदार्थों से बनी हुई वस्तुओं का उपयोग करने लगे है। वे एक समय के बाद खराब होने लग जाती है और उनसे जहरीला पदार्थ निकलने लग जाता है जोकि हवा में आसानी से घुल जाता है और पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है।
(10) पूरी दुनिया में धूम्रपान करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है और दिन प्रतिदिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है जिससे हमारे वातावरण की स्वच्छ वायु प्रदूषित हो रही है।
(11) वर्तमान में किसानों द्वारा अच्छी फसल के लिए खेतों में कीटनाशकों का उपयोग किया जाने लगा है, जिसके कारण जब भी वे फसल पर कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं तो वह कीटनाशक दवा हवा में मिल जाती है और वह हवा को प्रदूषित कर देती है।
(12) भारत में आज भी गांव में गैस का उपयोग नहीं किया जाता है और अधिक मात्रा में लकड़ी जलाई जाती है जिसके कारण धुआं उत्पन्न होता है और यह हवा में घुलकर पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है।
(13) बिजली बनाने के लिए आज भी कोयला सबसे सस्ता साधन है, लेकिन इसके कारण बहुत ज्यादा प्रदूषण होता है।
(14) पूरी दुनिया में जिस तेजी से तरक्की हो रही है, उसी तेजी से औद्योगिक निर्माण भी किया जा रहा है। हर तरफ निर्माण कार्य चल रहा है जिसके कारण हवा में सीमेंट, धूल आदि उठते रहते हैं, जिसके कारण हवा प्रदूषित होती रहती है।
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वायु प्रदूषण रोकने के उपाय
(i) अगर हमें वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना है, तो हमें अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ पौधे लगाने चाहिए क्योंकि पेड़ पौधों से ऑक्सीजन निकलती है और यह कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते है। जिसके कारण ज्यादातर प्रदूषित हवा साफ हो जाती है। वर्तमान में पेड़-पौधों को अधिक मात्रा में काटा जा रहा है, जिसके कारण वायु प्रदूषण अधिक मात्रा में फ़ैल रहा है।
(ii) आज पूरी दुनिया जनसंख्या वृद्धि की समस्या से जूझ रही है। अगर हम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण कर लेते हैं, तो वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की भी कमी होगी और हमें कम उद्योग धंधे लगाने की आवश्यकता होगी। जिससे प्रदूषण की मात्रा में कमी आएगी। वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि ही है।
(iii) हमें उन कल कारखानों को बंद कर देना चाहिए जिनसे अधिक मात्रा में प्रदूषण होता है और जिन कल कारखानों की हमें आवश्यकता है उनकी चिमनीयों की ऊंचाई अधिक होनी चाहिए, जिससे हमारा वायुमंडल कम से कम प्रभावित हो।
(iv) हमें ऊर्जा के लिए नए स्रोत खोजने चाहिए। हमें कोयले और परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कम करना चाहिए।
(v) हमें सौर ऊर्जा का इस्तेमाल अधिक मात्रा में करना चाहिए जिसके कारण वायु प्रदूषण भी नहीं होगा और हमें ऊर्जा भी पूरी मिल जाएगी।
(vi) हमारे पूरे देश में जब भी कोई निर्माण होता है, तो वह खुले में होता है जिसके कारण चारों तरफ धूल मिट्टी उड़ती रहती है और पूरा वातावरण प्रदूषित हो जाता है। जब भी हम निर्माण कार्य करें तो उसे किसी कपड़े से ढककर करना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण नहीं हो।
(vii) हमारे भारत देश में आज भी पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ते रहते हैं, जिनसे अधिक मात्रा में जहरीला धुआं निकलता है। जो कि पूरे वातावरण को प्रदूषित कर देते है। एक पुरानी वाहन से 10 नए वाहनों के बराबर धुआं निकलता है जो कि वायु प्रदूषण में अहम भूमिका निभाता है।
(viii) अगर हमें वायु प्रदूषण को कम करना है तो हमें अधिक मात्रा में सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना होगा, जिससे कम से कम प्रदूषण होगा।
(ix) वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए हमारी सरकार को नए नियम बनाने चाहिए और प्रदूषण नियन्त्रण सम्बन्धी प्रमाण पत्र की अनिवार्यता की जानी चाहिए साथ ही वायु प्रदूषण कानून (1981) में सख्ती दिखानी चाहिए।
(x) किसी भी प्रकार के प्रदूषण पर हमें अगर नियंत्रण पाना है तो लोगों को प्रदूषण के बारे में पता होना चाहिए। हमें रेलियाँ निकालकर प्रदूषण के बारे में लोगों को सचेत करना चाहिए और स्कूलों में प्रदूषण के बारे में पाठ्यक्रम होना चाहिए। जिससे बचपन से ही बच्चों को पता हो की किस काम को करने से प्रदूषण फैलता है।
(xi) हमें गांव में जाकर नुक्कड़ नाटकों की सहायता से लोगों को समझाना चाहिए कि प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है, तभी जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पा सकते है।
उपसंहार
वायु प्रदूषण जानलेवा है। इस पर नियंत्रण किया जाना आवश्यक है नहीं तो पृथ्वी पर जीवन का नामो-निशान ही मिट जाएगा। जब तक हम सभी लोग वायु प्रदूषण को कम करने के बारे में नहीं सोचेंगे तब तक वायु प्रदूषण कम नहीं हो सकता है क्योंकि हमारी सरकार हर गली-मोहल्ले में जाकर वायु प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं लगा सकती है इसलिए हमें आगे आकर लोगों को वायु प्रदूषण के बारे में बताना होगा और इसके उपायों के बारे में समझाना होगा तभी जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण कर सकते है।
पूरी दुनिया के लोगों के सामूहिक प्रयासों के द्वारा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना रिहायशी इलाकों से दूर होनी चाहिए, लम्बी चिमनी का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए (फिल्टर और इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर्स के साथ), छोटे तापमान सूचकों के स्थान पर उच्च तापमान संकेतकों को प्रोत्साहन, ऊर्जा के अज्वलनशील स्रोतों का उपयोग करना, पैट्रोल में गैर-नेतृत्वकारी एन्टीनॉक ऐजेंट के प्रयोग को बढ़ावा देना, वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और भी बहुत से सकारात्मक प्रयासों को करना। तभी वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।
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