Hindi Essay Writing – सोशल मीडिया की लत (Social Media Addiction)

 
इस लेख में हम सोशल मीडिया की लत पर निबंध लिखेंगे | सोशल मीडिया क्या है, सोशल मीडिया का क्या महत्त्व है, सोशल मीडिया का दुरुपयोग, सोशल मीडिया की लत से समस्या और उसके निवारण के बारे में जानेगे |

 

 

सोशल मीडिया क्या है ?

 

सोशल मीडिया यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है सोशल + मीडिया | सोशल अर्थात सामाजिक और मीडिया अर्थात माध्यम | इस प्रकार सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है जो हमें समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से जोड़ता है |  तकनीक, हमेशा से ही लोगों की समस्याओं का समाधान ढूंढ निकालने के लिए अग्रसर रही है, सोशल मीडिया का आविष्कार भी इसी सोच के साथ किया गया था कि जो लोग किन्ही कारणों से अपनों से दूर है, अकेले हैं,  उनकी इस समस्या का निवारण हो सके और आज इसी प्रकार तकनीक के माध्यम से लोग घर बैठे इंटरनेट के जरिए लोगों से जुड़ पा रहे हैं और दुनियाभर की जानकारियाँ आपस में साँझा कर रहे हैं। 

 

जैसे कि आज हम व्हाट्सप्प के माध्यम से अपने रिश्तेदारों, मित्रों का ग्रुप बनाकर उनसे बात कर सकते है, तस्वीरें,  वीडियो साँझा कर सकते हैं। फेसबुक, इंस्ट्राग्राम के माध्यम से आज हजारों लोग अपना व्यापार आगे बढ़ा रहे हैं, लिंक्डइन के माध्यम से आज कई कम्पनियाँ नौकरियां दे रही हैं। आज आप घर बैठे किसी भी कंपनी के एच आर को सीधे अपना रिज्यूमे भेज सकते हैं और मनचाही नौकरी पा सकते हैं। तो इस प्रकार सोशल मीडिया आज हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया हैं।     
 

 
Social Media Addiction
 

सोशल मीडिया का इतिहास और क्रांति 

 

अमेरिका में साल 1979 में एक क्रांति का उदय हुआ – अरपानेट (ARPANET – Advanced Research Project Agency Network) . इसके बाद पूरी दुनिया में तेजी से इन्टरनेट का जाल फ़ैल गया और इसी के साथ शुरू हुआ नए अविष्कारों का दौर,  जिसने पूरी दुनिया‌ को बदल कर रख दिया ।

 

 इसी क्रम में सबसे पहले  – 1997 में पहला सोशल मीडिया प्लेटफार्म सिक्स डिग्री, एंड्रयू वेंरीच ने लांच किया गया था। वहीं 2001 में इसके 10 लाख से अधिक यूजर होने के बावजूद तकनीकी समस्या के कारण इसे बंद करना पड़ा । लेकिन यह अंत नहीं था यही से  एक नए युग का आग़ाज हुआ  । 

 

इसके बाद एक के बाद एक कई सोशल मीडिया एप्स लांच हुए, जिनमें से कई बंद हुए हैं, तो कई अभी तक पूरी दुनिया में अपनी जड़ें जमाए हुए हैं | इनमें से कुछ प्रमुख सोशल मीडिया एप्प और उनका इतिहास इस प्रकार है –

 

फेसबुक स्थापना  2004 

संस्थापक मार्क जकरबर्ग

मुख्यालय कैलिफोर्निया 

 

इंस्टाग्राम स्थापना  2010  

संस्थापक केविन सिस्ट्रोम और माइक क्रेगेर 

मुख्यालय कैलिफोर्निया 

 

ट्विटर –            स्थापना  2006 

संस्थापक जैक डोर्सी  

मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को 

 

व्हाट्सएप्प –  स्थापना  2009

संस्थापक ब्रोयान एक्टन और जॉन कॉम   

मुख्यालय कैलीफोर्निया 

 

 स्नेपचैट  –  स्थापना  2011 

संस्थापक बोंबी मोफी, इवोन स्पिगल   

मुख्यालय कैलीफोर्निया 

 

 इस प्रकार हम देखते हैं समय के साथ सोशल मीडिया तेजी से विस्तृत और प्रसारित हो रहा है तकनीक की दुनिया में बहुत तेजी से परिवर्तन हो रहा है और हमें नित नए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स देखने को मिल रहे हैं | भारत सरकार की तरफ से भी स्टार्टअप इंडिया और  मेड इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत कई देसी एप्स लांच किए गए हैं, जैसे चिंगारी, कू । जिसने सोशल मीडिया की दुनिया में क्रांति ला दी है। आज पूरी दुनिया में लगभग 4.30 सौ करोड़ एक्टिव सोशल मीडिया यूजर्स है। यानी दुनिया के कुल आबादी में इस समय 53% लोग सोशल मीडिया पर है। 21वीं सदी में दुनिया ने सोशल मीडिया की क्रांति के युग में प्रवेश किया है और इस डिजिटल क्रांति से  देश-विदेश में कई राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक बदलाव देखने को मिले हैं। 
 
Social Media Addiction
 

 

सोशल मीडिया का  महत्त्व 

 

आज सोशल मीडिया के महत्त्व से कोई अनजान नहीं हैं हर वर्ष 30 मई को सोशल मीडिया दिवस मनाया जाता हैं।  इसका उद्देश्य लोगो को सोशल मीडिया के इतिहास और उसके विकास से अवगत कराना हैं। 

 

विश्व भर में सोशल मीडिया दिवस को मनाने की शुरुआत साल २०१० में हुई थी, जब वैश्विक संचार में इसके उपयोग को बढ़ावा देने हेतु सोशल मीडिया दिवस को मनाया गया था। आज के तेजी से बदलते समय में लोगों के बीच सोशल मीडिया काफी लोकप्रिय हो रहा हैं। वर्तमान समय में ट्विटर, इंस्ट्राग्राम, लिंक्डइन, स्नैपचैट जैसे प्लेटफार्म सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए व्यापक रूप से उपयोग किए जा रहे हैं।    

 

सोशल मीडिया सूचनाओं का सागर है जहां मात्र मनोरंजन ही नहीं होता  बल्कि इसके अलावा अन्य कई प्रकार की सूचनाएं भी होती है, जो युवाओं को  विकास से जुड़ी जानकारियों  और प्रतिक्रियाओं से अवगत कराती है |

 

आज सोशल मीडिया पर सिर्फ बड़े-बड़े सुपरस्टार, खिलाड़ी और सेलिब्रिटीज का ही अपना अकाउंट नहीं है, बल्कि छोटे गांवों में रहने वाले प्रतिभाशाली लोग भी सोशल मीडिया के जरिए लोकप्रिय हो रहे हैं । यानी सोशल मीडिया ने नए सेलिब्रिटीज बनाए हैं। अगर आज कोई प्रतिभाशाली है, अच्छा कलाकार है या गायक है, या फिर उसमें कोई और टैलेंट है तो वह व्यक्ति सोशल मीडिया पर अपने वीडियो डाल कर लोकप्रिय बन सकता है। जैसे कच्चा बादाम सिंगर भुवन बड़याकर, रानू मंडल सिंगर , सहदेव दिरदो बचपन का प्यार गाने से फेमस हुए हैं आदि |
 

 

सोशल मीडिया का दुरुपयोग 

 

आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018-19 में फेसबुक, ट्विटर समेत कई साइटों पर 3,245 आपत्तिजनक सामग्रियों के मिलने की शिकायत की गई थी | जिनमें से जून 2019 तक 2,662 सामग्रियाँ हटा दी गईं थीं।

उल्लेखनीय है कि इनमें ज़्यादातर वह सामग्री थी जो धार्मिक भावनाओं और राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान का निषेध करने वाले कानूनों का उल्लंघन कर रही थी। इस अल्पावधि में बड़ी संख्या में आपत्तिजनक सामग्री का पाया जाना यह दर्शाता है कि सोशल मीडिया का कितना ज़्यादा दुरुपयोग हो रहा है।

दूसरी ओर सोशल मीडिया के ज़रिये ऐतिहासिक तथ्यों को भी तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। न केवल ऐतिहासिक घटनाओं को अलग रूप में पेश करने की कोशिश हो रही है बल्कि आज़ादी के सूत्रधार रहे नेताओं के बारे में भी गलत जानकारी बड़े स्तर पर साझा की जा रही है। वही हाल ही में सामने आए हनी ट्रैप मामले में भी सोशल मीडिया एप्प्स का गलत इस्तेमाल देखने को मिला और ऑनलाइन माध्यम से कई तरह के गोरख धंधे खुले आम चल रहे हैं,  जैसे आतंकवादियो को फंडिंग, ड्रग्स की स्मग्लिंग, सेक्स रैकेट, अपहरण, ऑनलाइन फ्रॉड आदि |   

विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में सोशल मीडिया के माध्यम से गलत सूचनाओं का प्रसार कुछ प्रमुख उभरते जोखिमों में से एक है।
 

 

सोशल मीडिया की लत – समस्या और निवारण

 

आज सोशल मीडिया बहुत ही तेजी से प्रसारित हो रहा हैं। आज हमने वास्तविक दुनिया के समक्ष एक आभासी दुनिया खड़ी कर ली है, जहां लोग आपस में संबंध बनाते हैं, अपने सुख-दुख की बातों को सांझा करते हैं।  लेकिन इसी के साथ ही सोशल मीडिया के कारण हम अपने सगे-संबंधियों से दूर होते जा रहे हैं।  जहां एक ओर सोशल मीडिया ने कई लोगों की जिंदगी में खुशहाली लाने का काम किया है , वहीं दूसरी ओर कई लोगों की आत्महत्या का कारण भी बना हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि किशोरों द्वारा सोशल मीडिया का अति प्रयोग उसी प्रकार के उत्तेजना पैटर्न का सृजन करता है जैसा अन्य एडिक्शन व्यवहारों से उत्पन्न होता हैं।  

 

                 

     ‘सोशल मीडिया वर्तमान समय में एक दोधारी तलवार है।’ 

                                      

आज के युवा ,बच्चे , बुजुर्ग सभी इस आभासी दुनिया को जिंदगी की सच्चाई समझ बैठे हैं और इस आभासी दुनिया में लाइक, कमेंट, शेयर को ही वास्तविक खुशी मानते हैं।  कई लोग अपनी ज़िन्दगी के पल-पल की तस्वीरें सांझा करते हैं, तो वहीं दूसरी ओर कुछ लोग भ्रामक, गलत जानकारियां फैलाते हैं और सोशल मीडिया का गलत फायदा उठाते हैं।  

जहां एक ओर सोशल मीडिया के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं, वहीं दूसरी ओर कई नकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। 

 

समस्याएं

 

  • साइबरबुलिइंग या ट्रोलिंग: इसने गंभीर समस्याएँ पैदा की हैं और यहाँ तक ​​कि किशोरों के बीच आत्महत्या के मामलों को भी जन्म दिया है। इसके अलावा, साइबरबुलिइंग जैसे कृत्य में संलग्न किशोर मादक पदार्थों के सेवन, आक्रामकता और आपराधिक कृत्य में संलग्न होने के प्रति भी संवेदनशील होते हैं।

वही कुछ लोग अपनी फोटो, पोस्ट पर कम लाइक्स या कमेंट मिलने, ट्रोलिंग  की वजह से डिप्रेशन में आकर सुसाइड कर लेते हैं।

  • फेक न्यूज – जैसे कुछ लोग गलत जानकारियों, विज्ञापनों के भ्रम में पड़कर अपना नुकसान कर लेते हैं। 
  • समय‌ की बर्बादी -‌ युवा अपना कीमती समय सोशल मीडिया पर बर्बाद कर रहे हैं। युवा, बच्चे घंटों बैठकर सोशल मीडिया पर चैटिंग करते हैं, इससे उनके सामाजिक व्यवहार पर असर होता हैं। 
  • स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव – लगातार स्क्रीन पर देखने से, सभी उम्र के लोगो में आँखों की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। छोटी उम्र में ही बच्चों को चश्मे लग रहे हैं। वही झुककर मोबाइल देखने से शारीरिक संरचना पर नकारात्मक असर पड़ता हैं। छोटी उम्र में ही दुधमुंहे बच्चे मोबाइल चला रहे हैं, इससे उनकी बौद्धिक क्षमता प्रभावित हो रही हैं। 

 

इस प्रकार सोशल मीडिया के कारण युवा, बच्चों और बुजुर्गों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा हैं।

 

समाधान 

 

माता-पिता को चाहिए कि वे अपने दूधमुंहे बच्चे को मोबाइल ना चलाने दें, उसके बजाए उसे खेल-कूद जैसी गतिविधियों में व्यस्त रखें और खुद भी बच्चे के सामने मोबाइल का इस्तेमाल न करें। 

  • सतर्क रहें वयस्कों को यह बात ध्यान रखना चाहिए कि सोशल मीडिया की चकाचौंध को ख़ुद पर हावी ना होने दे, यहाँ हर पोस्ट पर मिलने वाले लाइक्स, कमेंट आपकी जान से ज्यादा कीमती नहीं हैं,  सोशल मीडिया उपयोग करते समय यह विशेष ध्यान रखें कि किसी भी अनजान व्यक्ति की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट ना करें और किसी से भी अपनी प्राइवेट जानकारी शेयर ना करें। 

 

  • स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण करें– हर 20 मिनट से अपनी आँखे मोबाइल से दूर करें और थोड़ा ब्रेक लें। चाहे तो आँखों को ठंडे पानी धो लें और थोड़ा वॉक करें | जिससे शारीरिक समस्या न हो। युवा बच्चों के माता-पिता को ये ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे एक निश्चित समय तक ही मोबाइल चलाए और सोशल मीडिया का इस्तेमाल सीमित मात्रा में करें। 

 

चाहे को इसके लिए मोबाइल में पैरेंटिंग कण्ट्रोल सेट कर दें, जिससे आप यह देख पाएंगे की बच्चा कितनी देर, किस एप्प का इस्तेमाल कर रहा हैं। आवश्यकता से अधिक इस्तेमाल करने पर एप्प अपने आप बंद हो जाएगा। और इस तरह आप खुद भी  सोशल मीडिया के एडिक्शन से बच सकते हैं।   

 

शासन और विनियमन: कंटेंट, डेटा स्थानीयकरण, थर्ड पार्टी डिजिटल ऑडिट, सशक्त डेटा संरक्षण कानून आदि के लिये इन मंचों के अधिक उत्तरदायित्व हेतु सरकारी विनियमन भी आवश्यक है। 

 

सोशल मीडिया मंचों की भूमिका: ’ऑटो-प्ले’ सेशन, पुश अलर्ट जैसे कुछ फीचर्स पर प्रतिबंध लगाना और इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण ऐसे उत्पादों का सृजन करना जो युवाओं को लक्षित न करें।   
 

 

वर्तमान में सोशल मीडिया की  प्रासंगिकता 

 

दोस्तों  किसी भी लोकतंत्र के तीन मूलभूत स्तंभ होते हैं, पहला विधायिका जो कानून बनाती है |  दूसरा कार्यपालिका, जो उस कानून को लागू करवाती है |  तीसरा न्यायपालिका, जो कानून का उल्लंघन होने पर दंड देती है |  इसी के साथ जैसे-जैसे हम प्रगति कर रहे हैं लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी उभर कर सामने आया है – पत्रकारिता | पत्रकार आज समाज के हर तबके तक पहुंच कर उनकी समस्याओं को अपनी कलम के माध्यम से सरकार के सामने रखता है | 

 

अब यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि वर्तमान परिपेक्ष्य में सोशल मीडिया लोकतंत्र के पांचवें स्तंभ के रूप में उभर कर सामने आया हैं | सोशल मीडिया के माध्यम से आज आम नागरिक अपनी बात को सीधे , प्रत्यक्ष तौर पर सरकार के सामने रख सकता है। 

 

इसके कई उदाहरण हमने विगत वर्षों में देखने को मिले हैं  –  जैसे विदेश में रह रहे प्रवासी भारतीयों को यदि कोई समस्या होती थी, तो वह विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्विटर पर ट्वीट करते थे और सुषमा स्वराज जी तुरंत ही उनकी समस्या का समाधान कर देती थी।   किसी व्यक्ति के साथ यदि कोई अन्याय हुआ हो तो उसकी सूचना व्हाट्सएप, फेसबुक के माध्यम से प्रसारित हो जाती है जिससे उसे न्याय मिलने में सभी लोगों का सहयोग प्राप्त हो जाता है। फिर चाहे किसी बीमार के इलाज के लिए पैसे जुटाना हो या किसी को सही समय पर ब्लड डोनेशन करना हो,  ये सारे काम पल भर में हो जाते हैं | 

यह सब सोशल मीडिया की वर्तमान में प्रासंगिकता ही है, जो इसकी लोकप्रियता को बनाए हुए हैं। सोशल मीडिया ने लोगों को अपने विचारों की अभिव्यक्ति हेतु उपर्युक्त मंच प्रदान किया है। 

 

महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध को लेकर वर्ष 2017 में सोशल मीडिया पर मी टू कैम्पेन शुरू हुआ। ये सोशल मीडिया की ही ताकत थी कि अक्टूबर 2018 तक सिर्फ ट्विटर पर दुनिया में मी टू पर 1 करोड़ 19 लाख ट्वीट हो चुके थे।

 

साल 2018  नेटफ्लिक्स ने घोषणा की कि वह अपने प्राइस स्ट्रक्चर को बदल रहा है, तो उसके ग्राहकों ने विद्रोह कर दिया, अपने ब्लॉग, फेसबुक और ट्विटर पर हजारों नकारात्मक टिप्पणियां पोस्ट कीं। महीनों भर में  कंपनी ने लगभग 800,000 ग्राहक खो दिए और इसके बाजार मूल्य का दो-तिहाई हिस्सा खो दिया। यही है सोशल मीडिया की ताकत। 

 

गत वर्ष एक अध्ययन में बताया गया कि भारत आने वाले 89 फीसदी पर्यटक सोशल मीडिया के ज़रिये ही भारत के बारे में जानकारियाँ प्राप्त करते हैं। यहाँ तक कि इनमें से 18 फीसदी लोग तो भारत आने की योजना ही तब बनाते हैं जब सोशल मीडिया से प्राप्त सामग्री इनके मन में भारत की अच्छी तस्वीर पेश करती है। तो इस तरह से हम कह सकते हैं कि सोशल मीडिया देश के विकास में भी अपनी उपयोगिता सिद्ध कर रहा  हैं।
 

 

Recommended Read –