Varn Vichar in Hindi Grammar, Types of Varn Vichar, Varn Vichar Examples – वर्ण विचार की परिभाषा, वर्ण विचार के भेद और उदाहरण

 
Varn Vichar in Hindi Grammar: वर्ण विचार –   इस लेख में हम वर्ण विचार की परिभाष,  वर्ण विचार कितने प्रसार के होते हैं तथा उनका उचरण के आधार पर कितना भागो में भाटा गया है को विस्तारपूर्वक जानेंगे |

 

 

 
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परिभाषा :

 
बोलते समय हम जिन ध्वनियों का उच्चारण करते हैं वही ध्वनियाँ वर्ण या अक्षर कहलाती हैं। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि  वर्ण उस ध्वनि को कहते हैं जिसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते।
 
इसका एक उदाहरण देखते हैं –
 
राम पत्र लिखता है। 
 
इस वाक्य के खंड किए जा सकते हैं। इसमें चार शब्द प्रयुक्त हैं- “राम” “पत्र” “लिखता” तथा “है”।
 
इन ध्वनियों को और अलग-अलग करके देखिए : 
 
राम – र् + आ + म् + अ  पत्र – प् + अ + त्  + र् + अ लिखता – ल् + इ + ख्  + अ + त् + आ  है – ह् + ऐ प्रत्येक शब्द के ध्वनि के अनुसार टुकड़े  किए  गए हैं।
 
इन ध्वनियों तथा वर्णों के और टुकड़े नहीं किए जा सकते। अतः भाषा की सबसे छोटी मौखिक इकाई “ध्वनि” तथा इसके लिखित रूप को ‘वर्ण’ कहते हैं; जैसे- क् न् ज् ल् स् आदि। दूसरे शब्दों में “मौखिक ध्वनियों” को व्यक्त करने वाले चिह्न “वर्ण” कहलाते हैं।
 
लिखित भाषा में प्रयुक्त किए जाने वाले वर्ण प्रत्येक भाषा में अलग-अलग होते हैं। 
 
हिंदी भाषा में इन वर्णों की कुल संख्या चवालीस (44) है। कहीं – कहीं इन वर्णों की संख्या अड़तालीस (48) भी बताई जाती है।
 
वर्णमाला – वर्णों की माला यानी वर्णमाला। वर्णों के व्यवस्थित रूप को वर्णमाला कहते हैं।
 
हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं।
 
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वर्ण के भेद :

वर्ण के दो भेद हैं 

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  • स्वर 
  • व्यंजन

 
स्वर वर्ण :
जिस वर्ण के उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता न लेनी पड़े उसे स्वर वर्ण कहते हैं। ये स्वतंत्र ध्वनियाँ हैं।
 
स्वर वर्णों की सँख्या ग्यारह (11) हैं : 
 
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ
 
उच्चारण की दृष्टि से स्वर के तीन भेद होते हैं :

  • ह्रस्व स्वर
  • दीर्घ स्वर
  • प्लुत स्वर

 
ह्रस्व स्वर : इनके उच्चारण में सबसे कम समय लगता है। ये चार हैं-अ, इ, उ, ऋ।
 
दीर्घ स्वर: इनके उच्चारण में ह्रस्व स्वरों के उच्चारण से दुगुना समय लगता है। ये सात हैं-आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
 
प्लुत स्वर : इनके उच्चारण में ह्रस्व और दीर्घ स्वरों के उच्चारण से तिगुना समय लगता हैं यानी की तीन मात्राओं का वक़्त लगता हो, उनको प्लुत कहा जाता हैं। वे अक्सर दूर से किसी को बुलाने अथवा पुकारने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इसका चिह्न (ऽ) होता है।
 
उदाहरण जैसे : सुनोऽऽ, ओऽऽम्, राऽऽम, इत्यादि। इसे ‘त्रिमात्रिक स्वर’ भी कहते हैं। क्योंकि ह्रस्व और दीर्घ स्वरों के मिश्रित उच्चारण को प्लुत माना जाता है।
 
उदाहरण :
 
मुर्गे की बांग – कुकड़ू कूंऽऽ । इस बांग में तीनों स्वर हैं। ह्रस्व स्वर कु, दीर्घ स्वर ड़ू, और प्लुत कूंऽऽ । प्लुत से आशय ऐसा स्वर जिनमें तीन मात्रा का समय लगे। 
 
स्वरों की मात्राएँ :
 
प्रत्येक स्वरों के लिए निर्धारित चिह्न मात्राएँ कहलाती हैं। ‘अ’ स्वर के अतिरिक्त सभी स्वरों के मात्रा चिह्न होते हैं। स्वरों के चिह्न मात्रा के रूप में व्यंजन वर्ण से जुड़ते हैं।
 
अ ( ), आ (ा), इ (ि), ई (ी), उ (ु), ऊ (ू), ऋ (ृ), ए (े), ऐ (ै), ओ (ो), औ (ौ)
 
व्यंजन :
जिन वर्णो का उच्चारण स्वरों की सहायता से किया जाता है, वे व्यंजन कहलाते हैं। वर्णमाला में व्यंजनों की संख्या तैंतीस (33) है।
 
व्यंजन वर्ण के भेद :

  • स्पर्श व्यंजन
  • अंतस्थ व्यंजन
  • ऊष्म व्यंजन

 
स्पर्श व्यंजन : ‘स्पर्श’ यानी छूना। जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय फेफड़ों से निकलने वाली वायु कंठ, तालु, मूर्धा, दाँत या ओठों का स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। क् से लेकर म् तक 25 स्पर्श व्यंजन हैं।
 
कवर्ग
 
चवर्ग
 
टवर्ग
 
तवर्ग
 
पवर्ग
 
अंतस्थ व्यंजन : अन्तः यानि की, ‘मध्य/बीच‘, और स्थ यानि की, ‘स्थित‘ होता हैं। अन्तःस्थ व्यंजन, स्वर और व्यंजन के बीच उच्चारित किए जाते हैं।  उच्चारण के समय जिह्वा मुख के किसी भाग को पूरी तरह स्पर्श नहीं करती। ये चार हैं – य, र, ल, व
 
ऊष्म व्यंजन : ऊष्म-गरम। इन व्यंजनों के उच्चारण के समय वायु मुख से रगड़ खाकर ऊष्मा पैदा करती है यानी उच्चारण के समय मुख से गरम हवा निकलती है। ये चार हैं – श, ष, स, ह
 
श्वास वायु के आधार पर व्यंजन के भेद :
 
अल्पप्राण : ऐसे व्यंजन जिनको बोलने में कम समय लगता है और बोलते समय मुख से कम वायु निकलती है उन्हें अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 20 होती है।
 
इसमें क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग, प वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर,
 
चारों अन्तस्थ व्यंजन – य र ल व
 
याद रखने का आसान तरीका :
 
वर्ग का 1, 3, 5 अक्षर – अन्तस्थ 
 
महाप्राण : ऐसे व्यंजन जिनको बोलने में अधिक प्रत्यन करना पड़ता है और बोलते समय मुख से अधिक वायु निकलती है। उन्हें महाप्राण व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 15 होती है।
 
इसमें क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग, प वर्ग का दूसरा, चौथा अक्षर, चारों उष्म व्यंजन – श ष स ह
 
याद रखने का आसान तरीका :
 
वर्ग का 2, 4 अक्षर – उष्म व्यंजन
 
ध्वनि घर्षण के आधार पर व्यंजन भेद :
 
व्यंजन वर्णों को ध्वनि घर्षण के आधार पर दो भेदों में विभाजित किया जाता है :
 
घोष
 
अघोष
 
घोष – जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास वायु स्वर – तंत्रियों में कम्पन करती हुई निकलती है, उन्हें घोष कहते हैं। इनकी संख्या 31 होती है।
 
इसमें सभी स्वर अ से औ तक, प्रत्येक वर्ग के अंतिम तीन व्यंजन यानी ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म, और अन्तःस्थ व्यंजन – य, र, ल, व तथा उष्म व्यंजन का ह आते हैं।
 
अघोष : जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास वायु स्वर – तंत्रियों में कम्पन नहीं करती, उन्हे अघोष वर्ण कहते हैं। इनकी संख्या 13 होती है। इसमें प्रत्येक वर्ग के प्रथम दो व्यंजन यानी क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ और उष्म व्यंजन के श, ष, स आते हैं।
 
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अन्य वर्ण :

 
विसर्ग (:) इस ध्वनि को चिह्न (:) है। इसका उच्चारण ‘ह’ की भाँति किया जाता है। विसर्ग का प्रयोग तत्सम शब्दों (संस्कृत से आए) में ही किया जाता है; जैसे-अतः, प्रातः, अंततः आदि।
 
आगत ध्वनि – ऑ यानी अर्धचंद्र, अंग्रेजी भाषा के शब्दों को लिखते समय प्रयोग किया जाता है; जैसे डॉक्टर, कॉफ़ी, टॉफ़ी, बॉल आदि।
 
संयुक्त वर्ण : वर्णों का मेल वर्ण संयोग कहलाता है। इन वर्णों के अलावा हिंदी भाषा में कुछ संयुक्त वर्णों का भी प्रयोग किया जाता है। ये वर्ण हैं – क्ष, त्र, ज्ञ, श्र।
 
जैसे :

क्  + ष  =  क्ष भिक्षा, क्षमा

त्  + र   =  त्र त्रिशूल, त्रिभुज

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श्  + र   =  श्र श्रमिक, विश्राम

ज्  + अ  =  ज्ञ संज्ञा, विज्ञान

 

अनुस्वार : अं- (ां) वर्ण भी स्वरों के बाद ही आता है। इसका उच्चारण नाक से किया जाता है। इसका उच्चारण जिस वर्ण के बाद होता है, उसी वर्ण के सिर पर (ां) बिंदी के रूप में इसे लगाया जाता है; जैसे-रंग, जंगल, संग, तिरंगा आदि।

अनुनासिक : इसका उच्चारण नाक और गले दोनों से होता है; जैसे -चाँद, आँगन, आदि इसका चिह्न (ँ) होता है।

अयोगवाह : हिंदी व्याकरण में अनुस्वार (अं) एवं विसर्ग (अ:) को ‘अयोगवाह’ के रूप में जाना जाता है। अयोगवाह न तो पूर्ण रूप से स्वर होते हैं और ना ही पूर्ण रूप से व्यंजन होते हैं।
 
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वर्ण विचार पर आधारित प्रश्न उत्तर 

 

प्रश्न 1 – वर्ण किसे कहते हैं?

उत्तर : बोलते समय हम जिन ध्वनियों का उच्चारण करते हैं। वही ध्वनियाँ वर्ण या अक्षर कहलाती हैं। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। साधारण शब्दों में कहा जा सकता है कि वर्ण उस ध्वनि को कहते हैं जिसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते।

 

प्रश्न 2 – वर्ण के कितने भेद हैं? विस्तार पूर्वक बताइए।

उत्तर : वर्ण के दो भेद हैं – स्वर तथा व्यंजन 

स्वर वर्ण – जिस वर्ण के उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता न लेनी पड़े उसे स्वर वर्ण कहते हैं। ये स्वतंत्र ध्वनियाँ हैं।

स्वर वर्णों की सँख्या ग्यारह (11) हैं – 

अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ

व्यंजन : जिन वर्णो का उच्चारण स्वरों की सहायता से किया जाता है, वे व्यंजन कहलाते हैं। वर्णमाला में व्यंजनों की संख्या तैंतीस (33) है।

 

प्रश्न 3 – उच्चारण की दृष्टि से स्वर के कितने भेद होते हैं?

उत्तर : उच्चारण की दृष्टि से स्वर के तीन भेद होते हैं – ह्रस्व स्वर, दीर्घ स्वर, प्लुत स्वर

ह्रस्व स्वर : इनके उच्चारण में सबसे कम समय लगता है। ये चार हैं – अ, इ, उ, ऋ।

दीर्घ स्वर : इनके उच्चारण में ह्रस्व स्वरों के उच्चारण से दुगुना समय लगता है। ये सात हैं – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।।

प्लुत स्वर : इनके उच्चारण में ह्रस्व और दीर्घ स्वरों के उच्चारण से तिगुना समय लगता हैं यानी की तीन मात्राओं का वक़्त लगता हो, उनको प्लुत कहा जाता हैं। इसका चिह्न (ऽ) होता है। इसके निम्न उदाहरण जैसे – सुनोऽऽ, ओऽऽम्, राऽऽम, इत्यादि। 

 

प्रश्न 4 – व्यंजन वर्ण के कितने भेद हैं? विस्तार पूर्वक लिखिए।

उत्तर : व्यंजन वर्ण के तीन भेद होते हैं। स्पर्श व्यंजन, अंतस्थ व्यंजन, ऊष्म व्यंजन

स्पर्श व्यंजन : ‘स्पर्श’ यानी छूना। जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय फेफड़ों से निकलने वाली वायु कंठ, तालु, मूर्धा, दाँत या ओठों का स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। क् से लेकर म् तक 25 स्पर्श व्यंजन हैं।

अंतस्थ व्यंजन : अन्तःस्थ व्यंजन के उच्चारण के समय जिह्वा मुख के किसी भाग को पूरी तरह स्पर्श नहीं करती। ये चार हैं – य, र, ल, व

ऊष्म व्यंजन :  इन व्यंजनों के उच्चारण के समय वायु मुख से रगड़ खाकर ऊष्मा पैदा करती है यानी उच्चारण के समय मुख से गरम हवा निकलती है। ये चार हैं- श, ष, स, ह

 

प्रश्न 5 – अल्पप्राण और महाप्राण को परिभाषित कीजिए।

उत्तर : अल्पप्राण : ऐसे व्यंजन जिनको बोलने में कम समय लगता है और बोलते समय मुख से कम वायु निकलती है उन्हें अल्पप्राण कहते हैं। इनकी संख्या 20 होती है। इसमें प्रत्येक वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवाँ अक्षर तथा चारों अन्तस्थ व्यंजन शामिल हैं।

महाप्राण : ऐसे व्यंजन जिनको बोलने में अधिक प्रत्यन करना पड़ता है और बोलते समय मुख से अधिक वायु निकलती है। उन्हें महाप्राण कहते हैं। इनकी संख्या 15 होती है। इसमें प्रत्येक वर्ग का दूसरा, चौथा अक्षर तथा चारों उष्म व्यंजन शामिल हैं। 

 

वर्ण विचार पर आधारित बहुविकल्पात्मक प्रश्न

 

प्रश्न 1 – वर्ण किसे कहते हैं ?

(क) भाषा एवं उसके रूपों को

(ख) भाषा की सबसे छोटी ध्वनि को

(ग) रंग को

(घ) शब्दों को

उत्तर : (ख) भाषा की सबसे छोटी ध्वनि को

 

प्रश्न 2 – _____ स्वर कहे जाते हैं 

(क) स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण

(ख) भाषा की सबसे छोटी ध्वनि 

(ग) छह वर्णों से बने शब्द 

(घ) इन सभी को

उत्तर : (क) स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण

 

प्रश्न 3 – व्यंजन किसे कहते हैं?

(क) स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्णों को

(ख) स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले वर्णों को

(ग) संस्कृत भाषा से लिए गए वर्णों को

(घ) अंग्रेजी भाषा से लिए गए वर्णों को

उत्तर : (ख) स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले वर्णों को

 

प्रश्न 4 – संयुक्त व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं?

(क) दो

(ख) तीन

(ग) चार

(घ) पाँच

उत्तर : (ग) चार

 

प्रश्न 5 – हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन हैं ?

(क) चालीस

(ख) बयालीस

(ग) चवालीस

(घ) तैंतीस

उत्तर : (घ) तैंतीस

 

प्रश्न 6 – हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या कितनी है?

(क) नौ

(ख) दस

(ग) ग्यारह

(घ) तेरह

उत्तर : (ग) ग्यारह 

 

प्रश्न 7 – अंतस्थ व्यंजन हैं –

(क) ल, व 

(ख) य, र, ल, व 

(ग) श, ष, स, ह 

(घ) य, र, ल

उत्तर : (ख) य, र, ल, व 

 

प्रश्न 8 – इनमें कौन – सा अयोगवाह है?

(क) क्

(ख) अ

(ग) अं

(घ) म्

उत्तर : (ग) अं

 

प्रश्न 9 – इनमें से कौन-सा ऊष्म व्यंजन नहीं है?

(क) य

(ख) श

(ग) स 

(घ) ह 

उत्तर : (क) य

 

प्रश्न 10 – विसर्ग का उच्चारण किस प्रकार होता है?

(क) ‘क’ की भाँति

(ख) ‘ह’ की भाँति

(ग) ‘न’ की भाँति

(घ) ‘च’ की भाँति

उत्तर : (ख) ‘ह’ की भाँति

 
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