Essay on Independence Day in Hindi | स्वतंत्रता दिवस पर निबंध


स्वतंत्रता दिवस पर निबंध हिंदी में,  Essay of Independence Day in Hindi, Format, Examples

Essay on Independence day in Hindi – In this article we will discuss an essay on Independence Day in Hindi in detail. Independence day is one of our three national festivals (Republic Day, Independence Day, and Gandhi Jayanti), so we should all be fully aware of Independence Day. With the help of this article on Independence Day, a student can answer any question related to the occasion.

This article on Independence Day of India which falls on 15th August has been written in Hindi. The information given by us in this article will be helpful for students to prepare the topic well.
इस लेख में हम स्वतंत्रता दिवस के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे। स्वतंत्रता दिवस का पर्व हम सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। यह हमारे तीन राष्ट्रीय पर्वों (गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गाँधी जयंती) में से एक है, अतः हम सभी को स्वतंत्रता दिवस के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। स्वतंत्रता दिवस के बारे में आपको कभी भी, कोई भी, किसी भी स्तर पर किसी भी प्रकार का प्रश्न कर सकता है। आशा करते हैं कि हमारे द्वारा जो जानकारी इस लेख में दी गई है वह आपके सही प्रश्नों का हल जानने में सहायक सिद्ध होगी।

 

सामग्री (Content)

  1. प्रस्तावना
  2. स्वतंत्रता दिवस का स्वर्णिम इतिहास
  3. स्वतंत्रता प्राप्ति तक के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पल
  4. स्वतंत्रता के लिए स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान
  5. स्वतंत्रता से पहले स्वतंत्रता दिवस
  6. सर्वप्रथम झंडा वंदन
  7. स्वतंत्रता दिवस का समारोह
  8. स्वतंत्रता दिवस पर खतरा
  9. नए दौर में स्वतंत्रता दिवस के मायने
  10. उपसंहार

 
आओ हम सब मिलकर आज़ादी का पर्व मनाये,
आज़ादी के इस पर्व से पूरे विश्व में भारत की एक अलग पहचान बनाए।।

 

 

प्रस्तावना

भारत के राष्ट्रीय त्योहारों में से एक हमारा स्वतंत्रता दिवस है, इसी दिन 200 साल की गुलामी के बाद ब्रिटिश शासन से भारत को आज़ादी मिली थी।  हमारे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर भारत देश के लिये आज़ादी हासिल की।
आज हम स्वतंत्रता और उसकी शांतिपूर्ण खुली हवा का आनंद ले रहे हैं, जिस शांति का अनुभव हम महसूस करते है, इस शांति और ख़ुशी के लिए ना जाने कितने देशवासियों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था। स्वतंत्रता दिवस पर पूरे भारत वर्ष में प्रत्येक विद्यालय, कार्यालय, गांव और नगर में समारोह आयोजित होते हैं। मुख्य समारोह दिल्ली के लाल किले पर आयोजित होता है। भारतवासी स्वतंत्रता का मूल्य समझते हैं। अतः यह त्यौहार सारे भारतवासियों द्वार मिलकर हर्ष उल्लास से मनाया जाता है।

 

 

 

स्वतंत्रता दिवस का स्वर्णिम इतिहास

  1. भारत का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। इस लंबे इतिहास में ऐसे कई विदेशी आक्रमणों का सामना करना पड़ा। अधिकतर विदेशी आक्रमणकारी यहां रहने के दौरान भारतीय सभ्यता संस्कृति में इस तरह घुल मिल गए मानो वे यही के मूल निवासी हो। विदेशी आक्रमणकारियों के आगमन एवं यहां की सभ्यता संस्कृति में घुल-मिल जाने का सिलसिला मध्यकालीन मुगलों के शासन तक चलता रहा। 18 वीं सदी में जब अंग्रेजों ने भारत के कुछ हिस्सों पर अधिकार जमाया तो पहली बार यहां के लोगों को गुलामी का एहसास हुआ था।
  2. अंग्रेजों के द्वारा भारत पर कब्ज़ा किए जाने के बाद हम लोगो को अपने ही देश में गुलामों की तरह जीवन जाना पड़ रहा था। हमारे पास धन, अनाज, ज़मीन सब कुछ होने के बावज़ूद भी किसी भी वस्तु पर हमारा कोई अधिकार नहीं था। हम अपने खेत होते हुए भी अपनी जरुरत के हिसाब से खेती नहीं कर सकते थे और उसके ऊपर अंग्रेज़ मनमाना लगान वसूलते थे। जब-जब भी उनका विरोध करने का किसी ने साहस दिखाया तब-तब अंग्रेजों ने हमारी आवाज़ को दबाने के लिए बहुत ही क्रूर हत्कंडे अपनाए। इसका एक बहुत भयावह उदाहरण जलियांवाला बाग हत्याकांड था।
  3. अंग्रेज़ी सरकार की प्रताड़ना और अत्याचारों की कहानियों की कमी नहीं है और न ही कमी है हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के साहस पूर्ण आंदोलनों की, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने हर अत्याचार का विरोद्ध किया और उनके ही अथक प्रयासों का ये नतीजा है कि आज अंग्रेज़ी हुकूमत हमारे लिए एक इतिहास है। अंग्रेजों ने हम पर अनगिनत अत्याचार किए और हमें लूटा, जिसका एक उदाहरण कोहिनूर हीरा भी है, जो आज उनकी रानी की ताज कि शोभा बढ़ा रहा है।
  4. लेकिन हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर आज भी सबसे कुलीन और पवित्र है और शायद यही वजह है कि आज भी हमारे देश में अतिथियों को देवताओं की तरह पूजा जाता है और जब-जब अंग्रेज़ भारत आएँगे हम उनका स्वागत करते रहेंगे, लेकिन साथ ही इतिहास को भी स्मरण रखेंगे।

 

 

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स्वतंत्रता प्राप्ति तक के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पल

अंग्रेज़ों का भारत आगमन –
एक समाय था जब भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। इसी बात से आकर्षित हो कर 17वीं शताब्दी में अंग्रेज़ व्यापार करने का इरादा लेकर भारत आए, उस समय भारत पर मुगलों का शासन था। धीरे-धीरे अंग्रेजों ने व्यापार के बहाने अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाना आरम्भ किया और कई राजाओं को धोखे से युद्ध में हरा के उनके क्षेत्रों को अपने अधीन कर लिया। 18वीं सदी तक ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से अपना वर्चस्व स्थापित कर, अपने आस-पास के क्षेत्रों को भी अपने अधीन कर लिया।

पूरे भारत पर अधिकार –
ईस्ट इंडिया कंपनी के फैलते वर्चस्व से हमें एहसास हो चुका था कि हम  अंग्रेज़ों के गुलाम बन चुके हैं। शुरू-शुरू में अंग्रेजों ने हमें शिक्षित करने या हमारे विकास का हवाला देकर हम पर अपनी चीज़ों को थोपना शुरू किया। हमें शिक्षित करने के पीछे भी उनकी मंशा कम वेतन पर काम करने वाले कर्मचारियों का निर्माण करना था। धीरे-धीरे अंग्रेज़ी सरकार ने पुरे भारत पर अपना अधिकार स्थापित कर दिया।

अंग्रेज़ों द्वारा अत्याचार –
अंग्रेजों ने भारतीयों का न केवल शारीरिक रूप से शोषण किया बल्कि वे भारतीयों को कई तरह से मानसिक तौर पर भी प्रताड़ित किया करते थे। इस दौरान कई युद्ध भी हुए, जिसमें सबसे प्रमुख था द्वितीय विश्व युद्ध, जिसके लिए अंग्रेज़ों ने भारतियों को सेना में जबरन भर्ती किया। भारतीयों का अपने ही देश में कोई अस्तित्व नहीं रह गया था, भारतीय केवल उनके दास मात्र बन के रह गए थे। अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग जैसे नरसंहार को भी अंजाम दिया था।

राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी और भारतीय मुस्लिम लीग जैसे दलों की स्थापना –
अंग्रेज़ों के इन अत्याचारों से तंग आकर इस संघर्षपूर्ण वातावरण के बीच 28 दिसम्बर 1885 को 64 व्यक्तियों द्वारा राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की स्थापना की गयी। जिसमें दादा भाई नौरोजी और ए ओ ह्यूम की महत्वपूर्ण भूमिका रही और धीरे-धीरे क्रान्तिकारी गतिविधियों को अंजाम दिया जाने लगा, और लोग बढ़ चढ़कर अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ पार्टी में भाग लेने लगे।
इसी क्रम में भारतीय मुस्लिम लीग की भी स्थापना हुई। ऐसे ही कई दल सामने आये और उनके अतुल्य योगदान और बलिदान का ही नतीज़ा है कि हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई। जिसके लिए कई वीरों ने गोली खाई और न जाने कितने वीर फाँसी पर झूल गए, ना जाने कितनी माँओं ने अपने लाल खोए और ना जाने कितनी अभागिने जवानी में ही विधवा हो गई।

 

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सांप्रदायिक दंगे और भारत का बंटवारा –
ना जाने कितने संघर्ष और बलिदानों के बाद अंग्रेज़ तो भारत को छोड़ कर चले गये और हम आज़ाद भी हो गए, परंतु एक और जंग को अभी देखना बाकी था। वो थे – सांप्रदायिक हमले। स्वतंत्रता प्राप्त करते ही सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी, नेहरू और जिन्ना दोनों को प्रधानमंत्री बनना था, नतीज़न देश का बटवारा हुआ।
भारत और पाकिस्तान – नाम से एक हिंदू और एक मुस्लिम राष्ट्र की स्थापना हुई। इन दंगों में मरने वालों कि तादात लाखों की थी। एक तरफ आज़ादी का माहौल था, तो वहीं दूसरी ओर नर-संहार का मंज़र। देश का बटवारा हुआ और क्रमशः 14 अगस्त को पाकिस्तान का और 15 अगस्त को भारत का स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया।

स्वतंत्र भारत व आजादी का पर्व –
इन सब घटनाओं के पश्चात हम हर वर्ष, स्वतंत्रता दिवस को अपने अमर वीर जवानों एवं दंगे में मारे गए निर्दोष लोगों की याद में मनाते हैं। आज़ादी के लिए अपनी कुर्बानी देने वाले अमर जवानों की कोई निश्चित गणना नहीं है, क्योंकि इसमें बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सब शामिल थे।
पूरा देश एक जुट था तब जाकर ये सपना साकार हुआ। हाँ, कुछ प्रमुख देश भक्त ज़रूर थे जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। जिनके नेतृत्व में पूरा देश आज़ादी की लड़ाई में कूद पड़ा था, जैसे की भगत सिंह, सुखदेव, राज गुरू, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस इत्यादि। महिलाएं भी इस काम में पीछे न थीं, जैसे कि एनी बेसेंट, सरोजिनी नायडू, रानी लक्ष्मीबाई व कई अन्य।

 

 

 

स्वतंत्रता के लिए स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान

  1. हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का आज़ादी के लिए संघर्ष में अतुल्य योगदान रहा है। अपनी मातृभूमि को अंग्रेज़ों के चंगुल से स्वतंत्र कराने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले बहुत से वीरों को जेल की सलाखों के पीछे नरक तुल्य जीवन व्यतीत करना पड़ा था। अधिकतर को काला पानी की सजा भी दी गई थी। आज़ादी का यह संघर्ष वर्ष 1947 तक चला।
  2. महात्मा गाँधी ने सबको सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया और वह अहिंसा का ही असर था, जो सबसे बड़े हथियार के रूप में उभरा और कमज़ोर से कमज़ोर व्यक्ति के जीवन में भी उम्मीद के दीपक जलाए। गाँधी जी ने देश से कई कुप्रथाओं को हटाने के अथक प्रयास किये और सभी तबकों को एक-साथ लाया, जिसकी वजह से यह लड़ाई और आसान हो गई।
  3. साइमन कमीशन के विरोध में सब शांतिप्रिय तरीके से विरोध कर रहे थे, लेकिन इसी बीच अंग्रेजों ने लाठी चार्ज शुरू कर दिया और इसमें लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। इससे आहत होकर भगत सिंह, सुख देव, राजगुरू ने सांडर्स की हत्या कर दी और बदले में इन्हें फ़ाँसी की सजा हुई और वे हंसते-हंसते फ़ाँसी की तख्त पर चढ़ गये।
  4. आजादी के इस संघर्ष के अनगिनत नायकों में मंगल पांडे, महारानी लक्ष्मीबाई, तात्याटोपे, कुंवर सिंह, राम प्रसाद, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, खुदीराम बोस, महात्मा गाँधी, लाल बहादुर शास्त्री, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, जय प्रकाश नारायण, अब्दुल कलाम आजाद इत्यादि का विशेष योगदान था।

 

 

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स्वतंत्रता से पहले स्वतंत्रता दिवस

लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पंडित नेहरु की अध्यक्षता में कांग्रेस द्वारा इस बात की घोषणा की गई थी कि यदि 26 जनवरी 1930 तक भारत को स्वायत्त शासन अर्थात स्व-शासित राज्य (Dominion State) नहीं बनाया गया तो इसके बाद भारत अपने आप को पूर्णतः स्वतंत्र मान लेगा। लेकिन, जब यह दिन आया और अंग्रेजी सरकार द्वारा इस मुद्दे पर कोई जवाब नही दिया गया तो कांग्रेस ने उस दिन से पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति के लक्ष्य से अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ कर दिया।
इस तरह के स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन भारतीय नागरिकों के बीच राष्ट्रवादी ईधन झोंकने के लिये किया गया व स्वतंत्रता देने पर विचार करने के लिए ब्रिटिश सरकार को मजबूर करने के लिए भी किया गया। कांग्रेस ने 1930 और 1950 के बीच 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया।
इसमें लोग मिलकर स्वतंत्रता की शपथ लेते थे। जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में इनका वर्णन किया है कि ऐसी बैठकें किसी भी भाषण या उपदेश के बिना, शांतिपूर्ण व गंभीर होती थीं। 1947 में वास्तविक आजादी के बाद, भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया, तब के बाद से 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। और 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में।

 

 

 

सर्वप्रथम झंडा वंदन

सर्वप्रथम 15 अगस्त 1947 के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु जी ने लाल किले के केलाहोरी गेट के ऊपर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। इसकी शुरुआत पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी, जिसके चलते प्रत्येक वर्ष हमारे देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराते हैं, 200 साल की ब्रिटिश समाज की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को का दिन हमारे देश का सबसे स्वर्णिम दिन कहा जाता है।

 

 

 

स्वतंत्रता दिवस का समारोह

पूरे भारत में अनूठे समर्पण और अपार देश-भक्ति की भावना के साथ स्‍वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। स्वतंत्र भारत में इस पर्व को मनाने के तरीके अलग-अलग हैं। हफ्ते भर पहले से बाजारों में रौनक आ जाती है, कहीं तीन रंगों की रंगोली बिकती है, तो कहीं तीन रंगों की लाइटें। ऐसा प्रतीत होता है जैसे पूरा समा ही मानो इन रंगों मे समा गया हो। हर तरफ खुशी का माहौल होता है। हर कहीं देश-भक्ति गीतों की झनकार सुनाई पड़ती है। पूरा देश नाचते-गाते इस उत्सव को मनाता है। लोग खुद भी झूमते हैं और दूसरों को भी थिरकने पर मजबूर कर देते हैं। पूरा देश एक जुट हो जाता है वो भी ऐसे, कि क्या हिंदू क्या मुसलमान, कोइ भेद ही नज़र नहीं आता।
इस दिन हमारे देश में राष्ट्रीय अवकाश रहता है। स्वतंत्रता दिवस पूरे राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में मनाया जाता है। स्वतंत्रता दिवस के 1 दिन पहले राष्ट्रपति जी राष्ट्र के नाम संबोधन में भाषण देते हैं। 15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री जी लाल किले पर झंडा फहराते हैं, और तोपों की सलामी दी जाती है।  स्वतंत्रता दिवस के दिन उन देशभक्तों को श्रद्धांजलि दी जाती है, जिन्होंने देश को स्वतन्त्र कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। श्रद्धांजलि देने के बाद प्रधानमंत्री जी अपना भाषण देते हैं। उस भाषण में देश की उपलब्धि और सामाजिक मुद्दों और विकास के बारे में बताया जाता है। इस दिन ध्वजारोहण, राष्ट्रगान, परेड समारोह, और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। ध्वजारोहण भारत के सभी सरकारी, गैर सरकारी विद्यालय, महाविद्यालय सभी जगह पर होता है और सभी जगहों को रोशनी और फूलों से सजाया जाता है और मिठाइयाँ बांटी जाती हैं।

 

 

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स्वतंत्रता दिवस पर खतरा

स्वतंत्रता दिवस मनाने के दौरान खतरों का डर रहता है, जिसमें आतंकवाद का डर सबसे प्रमुख है। इसलिए इस दिन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जी की कड़ी सुरक्षा के साथ-साथ  दिल्ली, मुंबई और जम्मू कश्मीर जैसे अन्य बड़े शहरों को हमलों से बचाने के लिए तथा लाल किले पर ‘नो फ्लाई जॉन’ घोषित कर दिया जाता है, सुरक्षा की वजह से पूरे देश में पुलिस बल को तैनात किया जाता है। देश भले ही स्वतंत्र हो गया हो, पर ब्रिटिश राज्य के धार्मिक आधार के कारण भारत का विभाजन हुआ, जिसके कारण भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ। भारत के विभाजन के बाद देश में हिंसक दंगे भड़के और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएँ होने लगी। देश के बंटवारे में आतंकवाद को जन्म दिया। जिसका असर आज हमारा देश और हम सभी भारतवासी सह रहे हैं।

 

 

 

नए दौर में स्वतंत्रता दिवस के मायने

स्वतंत्रता दिवस समारोह की तैयारी हर वर्ष बड़ी धूम-धाम से की जाती है, लाल किले पर हर वर्ष हमारे माननीय प्रधान मंत्री जी तिरंगा फहराते हैं। उसके बाद राष्ट्र गान एवं उनके भाषण के साथ कुछ देश-भक्ति कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं, जिनका आनंद हम वहाँ प्रस्तुत हो कर या घर बैठे-बैठे वहाँ के सीधे प्रसारण द्वारा ले सकते हैं।
हर वर्ष इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि किसी अन्य देश से बुलाए जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है और इस मौके पर सारे स्कूल, कॉलेज, कार्यालय बंद रहते हैं। यह एक ऐसा पर्व है जिसे पूरा देश एक जुट हो के मनाता है, बस सबके ढ़ग अलग-अलग होते हैं। कोई नई पोशाक पहन के तो कोई देश-भक्ति गीतों को सुन के इस दिन को मनाता है।
आज के दौर में स्वतंत्रता दिवस मनाने के माइनो को बदलने की भी आवश्यकता है क्योंकि आज हम भले ही अंग्रेज़ी हुकूमत से आज़ाद हैं, परन्तु आज भी ऐसी बहुत सी कुरीतियाँ जैसे – दहेज़ प्रथा, घरेलु हिंसा, बाल शोषण, देह व्यापार इत्यादि, हमारे समाज में फैली हैं जिनसे आज़ाद होना अभी भी बाकी है। हमें आने वाले स्वतंत्रता दिवस पर समाज की इन कुरीतियों का नाश करने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए, और इन कुरीतियों को जड़ से समाप्त करने का प्रयास जारी रखना चाहिए।
हमें आज़ादी दिलाने के लिए न जाने कितने वीर-वीरांगनाओं ने अपने जान की आहुति दी है। हमें उनके बलिदान को व्यर्थ नहीं गवांना चाहिए, बल्कि उन्होंने जिस भारत का सपना देखा था हमें उस सपने को साकार करने का प्रयास करना चाहिए।

 

 

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उपसंहार

यह पर्व हमें अमर वीरों के बलिदान के साथ-साथ इतिहास को न भूलने का स्मरण कराता है, ताकि दोबारा किसी को व्यापार के बहाने शासन का मौका न दिया जाए। 15 अगस्त का दिन हम हिंदुस्तानियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है, हमें उन शहीदों के प्रति नतमस्तक होकर श्रद्धा के साथ शीश झुकाना चाहिए। जिन्होंने हमें स्वतंत्रता दिलाई। हमारा कर्तव्य बनता है कि हम ऐसे कार्य करें जिससे हमारे देश का नाम रोशन हो इसके लिए हमें देश के कुछ खतरनाक रोग जैसे घुस, जमाखोरी, कालाबाजारी, भ्रष्टाचार इत्यादि को खत्म करना होगा ताकि देश के लिए जिन्होंने अपनी आहुति दी वह व्यर्थ ना जाए।
वे शहीद जिन्होंने हमें आज़ादी दिलाई उनका हम तहे दिल से सम्मान करते हैं उनको हमेशा याद करते रहेंगे। वे हमेशा ही हमारे दिलों में बसे रहेंगे। वह आज भी हमारे देश के नौजवानों में एक नई ऊर्जा का संचार करते हैं।
भले ही स्वतंत्रता दिवस मनाने के सबके तरीके अलग हों, मकसद एक ही होता है। सब मिल-जुल कर एक दिन देश के लिए जीते हैं, स्वादिष्ट पकवान खाते हैं और मित्रों को मुबारक बाद देते हैं। देश की एकता, स्वतंत्रता और अखंडता की रक्षा के लिए हमें भी हर समय तैयार रहना चाहिए। हमें हर उस व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए, हर उस माँ का सम्मान करना चाहिए जिनके बेटे देश की सेवा में लगे हुए हैं।

 

 

 

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