Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi – बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध

 
Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi
 

बेटी बचाओ बेटी पढाओ निबंध हिंदी मेंBeti Bachao Beti Padhao

 
Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi – Beti Bachao Beti Padhao is an important project launched by the Indian Government. Aim of Beti Bachao Beti Padhao scheme, Historical significance of the project, what schemes have been launched under BBBP have been included in this article. This is a very serious subject. Hope that through this Hindi article on Beti Bachao Beti Padhao Mission, you will get all the information related to this topic and you will also get the solution to all your questions –

Essay on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi – आज के लेख के लिए हमने एक ऐसे विषय को चुना है जो समाज के संवेदनशील विषयों में से एक गिना जाता है। हम बात कर रहे हैं – बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत क्यों करनी पड़ी, ऐसा क्या हुआ कि भारत जैसे पुरातन संस्कृति और अच्छे विचारों वाले देश को बेटियों को बचाने के लिए और उनको पढ़ाने के लिए एक अलग मुहिम चलानी पड़ी। यह एक बहुत गंभीर विषय है। आशा करते हैं की इस लेख के माध्यम से आपको इस विषय से सम्बंधित सभी जानकारियाँ प्राप्त हो जाएगी और आपके सभी प्रश्नों के हल भी आपको मिल जाएँगे –

 

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सामग्री (content)

  1. प्रस्तावना
  2. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का अर्थ और शुरुआत
  3. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना क्या है
  4. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए आवेदन कैसे करें
  5. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज़
  6. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का लड़कियों को क्या लाभ प्राप्त होगा
  7. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का सबसे अच्छा पहलू
  8. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की आवश्यकता क्यों पड़ी
  9. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लक्ष्य और उद्देश्य
  10. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदम
  11. लड़कियों की दुर्दशा को सुधारने के अन्य उपाय
  12. उपसंहार

 

 

प्रस्तावना (Introduction)

“यत्र नार्यस्तु पुजयन्ते रमन्ते तत्र देवता”
अर्थात् जहाँ नारियों को सम्मान दिया जाता है, वहाँ साक्षात् देवता निवास करते हैं। यह वेद वाक्य है अर्थात हमारे वेदों में नारी को उच्च स्थान प्राप्त है। परन्तु फिर भी सदियों से नारी घोर अन्याय, अत्याचार और शोषण से जूझ रही है। हमारा भारत देश पौराणिक संस्कृति के साथ-साथ महिलाओं के सम्मान और इज्जत के लिए जाना जाता था। लेकिन बदलते समय के अनुसार हमारे देश के लोगों की सोच में भी बदलाव आ गया है। जिसके कारण अब बेटियों और महिलाओं के साथ सम्मान और इज्जत का व्यवहार नहीं किया जाता।
आज हमारे 21वी सदी के भारत में जहां एक ओर चांद पर जाने की बातें होती हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत की बेटियाँ अपने घर से बाहर निकलने पर भी कतरा रही हैं। जिससे यह पता लगता है कि आज का भारत देश पुरुष प्रधान देश है। लोगों की सोच इस कदर बदल गई है कि आए दिन देश में कन्या भ्रूण हत्या और शोषण जैसे मामले देखने को मिलते रहते हैं। जिसके कारण हमारे देश की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि दूसरे देशों के लोग हमारे भारत देश में आने से झिझकने लगे हैं।
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि जिस देश में महिलाओं का सम्मान नहीं होता, उस देश की प्रगति कभी भी नहीं हो सकती।
समाज में बेटियों की हो रही दुर्दशा और लगातार घट रहे लिंगानुपात, समाज के लोगों की संकीर्ण मानसिकता का सबूत है। समाज में बेटी-बेटा के प्रति फैली असामनता की भावना का नतीजा ही है कि आज कन्या भ्रूण हत्या, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। हमें समझने कि आवश्यकता है कि पृथ्वी पर मानव जाति का अस्तित्व, आदमी और औरत दोनों की समान भागीदारी के बिना संभव नहीं होता है। दोनों ही पृथ्वी पर मानव जाति के अस्तित्व के साथ-साथ किसी भी देश के विकास के लिए समान रूप से जिम्मेदार है।

 

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का अर्थ और शुरुआत

‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ एक ऐसी योजना है जिसका अर्थ “कन्या शिशु को बचाओ और इन्हें शिक्षित करो”  है।  इस योजना को भारतीय सरकार के द्वारा कन्या शिशु के लिए जागरूकता का निर्माण करने के लिए और महिला कल्याण में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास की एक संयुक्त पहल है। लड़कियों की सामाजिक स्थिति में भारतीय समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिये इस योजना का आरंभ किया गया है।

इस योजना का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा राज्य के पानीपत जिले में किया था। हरियाणा में इसलिए क्योंकि हरियाणा राज्य में उस समय 1000 लड़कों पर सिर्फ 775 लड़कियां ही थी। जिसके कारण वहां का लिंगानुपात गड़बड़ा गया था। इस योजना को शुरुआत में पूरे देश के 100 जिलों में जहां पर सबसे अधिक लिंगानुपात गड़बड़ाया हुआ था वहां पर इस योजना को प्रभावी तरीके से लागू किया गया और आगामी वर्षों में इसे पूरे देश में लागू किया गया।

 

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना क्या है

देश में लगातार घट रहे लिंगानुपात पर काबू पाने, बेटियों को सुरक्षा करने और उन्हें शिक्षित करने के उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत की गई है। शुरुआत में जिन जिलों में बेटियों की संख्या बेहद कम थी और उनकी स्थिति बेहद खराब थी उन जिलों में इस योजना की शुरुआत की गई थी ताकि वहां की बेटियों की दशा में सुधार लाया जा सके और बेटियों के प्रति लोगों की संकीर्ण सोच को बदला जा सके।
इस योजना के अनुसार बेटियों की शिक्षा के लिए उचित व्यवस्था की गई है और लोगों की सोच को बदलने के लिए जगह-जगह इसका प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, जिससे लोग बेटे और बेटियों में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करें। इस योजना के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि बेटियों को भी अपना जीवन जीने का पूर्ण अधिकार है।

 

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए आवेदन कैसे करें

(1) बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के आवेदन के लिए आपको केवल लड़की के नाम पर एक बैंक का खाता खोलना है। इस योजना का लाभ उठाने के इसके नियमों का पालन करना आवश्यक है।
(2) बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए 10 साल तक की उम्र की सभी लड़कियाँ इस योजना के तहत पात्र हैं। उनके नाम पर बैंक खाता खोलना आवश्यक है।
(3) प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई यह योजना पूरी तरह से कर मुक्त है। आपका खाता खुलने के बाद उसमें से किसी भी राशि की कटौती नहीं की जाएगी।
 

 

 

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज 

 

खाता खोलने के लिए आपके पास आवश्यक दस्तावेज होने चाहिए, नहीं तो खाता नहीं खोल पाएँगे, इसलिए सुनिश्चित करे कि आपके पास निम्नलिखित दस्तावेज़ मौज़ूद हों –

 

(i) बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र।

 

(ii) माता-पिता या कानूनी अभिभावक के पहचान का सबूत।

 

(iii) माता-पिता या कानूनी अभिभावक के पते का प्रमाण।

 

(iv) यहाँ एक बात ध्यान देने योग्य है कि यह योजना अनिवासी भारतीयों के लिए नहीं है
 

 

 

लड़कियों को कितना लाभ प्राप्त होगा 

 

बीबीबीपी योजना महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और मानव संसाधन विकास मंत्रालयों से चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना को एक बड़ा कदम और समाज के लिए एक वरदान के रूप में वर्णित किया है।

 

(i) भारत सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए 150 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

 

(ii) केंद्रीय बजट में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत महिलाओं की सुरक्षा की रक्षा करने के लिए 50 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।

 

(iii) आप अपनी बच्ची के लिए एक खाता खोल पाएँगे, जो आपका वित्तिय बोझ कम करेगा और लड़की को उसकी छोटी-बड़ी जरूरतों के लिए पैसा मिल जाएगा।

 

(iv) सरकार सभी छोटे बचत-कर्ताओं के लिए बीबीबीपी योजना के तहत सबसे अधिक ब्याज दर प्रदान करती है। इसके सहायता से आप अपनी बेटी के भविष्य के लिए और अधिक पैसा बचा सकते हैं।

 

(v) इस खाते को अधिनियम 1961 यू/एस 80 सी के तहत छूट प्राप्त है। लड़की का खाता कर-मुक्त होगा। इसका मतलब यह है कि खाते से कोई भी रकम कर के रूप में नही काटी जाएगी।
 

 

 

इस योजना का सबसे अच्छा पहलू 

 

खाता खोलने के समय से महिला के 21 साल की उम्र प्राप्त कर लेने पर यह खाता परिपक्व हो जाएगा। उसकी उम्र 18 साल की होने के बाद ही उसे उच्च शिक्षा के लिए धन प्राप्त होगा। जब वह 21 साल की हो जाएगी तो आप उसकी शादी के लिए खाते से पैसे निकालने में सक्षम हो पाएँगे। इस खाते की अधिकतम अवधि सीमा 21 वर्ष है।

 

बीबीबीपी योजना का उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि लड़कियों की शिक्षा एवं शादी माता-पिता के लिए बोझ नहीं है। आप इस खाते के तहत बचाये गए धन द्वारा अपनी बेटी के विवाह की व्यवस्था कर सकते हैं। यह योजना बच्चियों को पूर्ण वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है।

 

खाता खोलने के 21 साल बीत जाने के बाद पूरी रकम ब्याज समेत आपकी बेटी के खाते में जमा करा दिए जाएँगे।
 

 

 

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की आवश्यकता क्यों पड़ी 

 

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की आवश्यकता पड़ने के पीछे वैसे तो कई कारण हैं, परन्तु बेटियों की दुर्दशा और बेटियों की दुर्दशा के कारण पड़ने वाले दुष्प्रभाव ऐसे दो मुख्य कारण हैं जिनको समाप्त करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की अत्यधिक आवश्यकता थी।

(1) बेटियों की दुर्दशा के कारण –

(i) पहला कारण है लैंगिग भेदभाव। लैंगिग भेदभाव का मतलब है कि अब लोग बेटियों का जन्म नहीं चाहते, वे चाहते हैं कि उनके घर सिर्फ बेटे ही पैदा हो। लेकिन वह लोग शायद यह भूल गए हैं कि अगर लड़कियों का जन्म नहीं होगा तो भी बहू कहाँ से लाएँगे, बहन कहां से लाएँगे और साथ ही मां कहां से लाएँगे।

 

(ii) बढ़ते लैंगिक भेदभाव के कारण अब लोगों की मानसिकता इतनी खराब हो गई है कि वे बेटियों की गर्भ में ही हत्या कर देते हैं। जिसके कारण लड़कियों की जनसंख्या में भारी गिरावट आई है और एक नई विपदा उभरकर सामने आई है।

(iii) बेटियों के माता-पिता पढ़े नहीं होने के कारण वह लोगों की सुनी सुनाई बातों में आ जाते हैं और बेटियों के साथ भेदभाव करने लगते हैं। उन्हें पता ही नहीं होता है कि अगर बेटियों को सही अवसर दिया जाए तो भी बेटों से ज्यादा कर के दिखा सकती हैं।

 

(iv) भ्रष्ट मानसिकता वाले लोग मानते हैं कि बेटे ही सब कुछ है वही उनके बुढ़ापे की लाठी बनेंगे और उनकी सेवा करेंगे। इसलिए वे लोग अब बेटियों का जन्म तक नहीं चाहते उनकी घर में ही हत्या करवा देते हैं।

(v) जन्म के बाद से ही लड़कियों को कई तरह के भेदभाव से गुजरना पड़ता है जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, खान-पान, अधिकार आदि। ऐसी दूसरी जरुरतें भी है जो लड़कों के साथ-साथ लड़कियों को भी प्राप्त होनी चाहिये।

(vi) हमारे देश में दहेज प्रथा बहुत गंभीर समस्या है, जिसके कारण बेटियों की स्थिति चिंताजनक हो गई है। इस प्रथा के कारण लोग अब नहीं चाहते कि उनकी परिवार में बेटियां पैदा हो क्योंकि जब बेटियों की शादी की जाती है तो उन्हें बहुत सारा दहेज देना पड़ता है।

(2)  बेटियों की दुर्दशा के कारण पड़ने वाले दुष्प्रभाव –

(i) लड़के की चाह रखने वाले लोग जब तक उनके घर लड़का पैदा नहीं हो जाता तब तक वह बच्चे पैदा करते रहेंगे जिसके कारण भारी संख्या में जनसंख्या का विस्तार होगा।

(ii) हमारा देश बहुत पिछड़ा हुआ है और अगर जनसंख्या वृद्धि इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो हमारा देश कभी भी विकसित नहीं हो पाएगा।

(iii) एक आंकड़े के अनुसार वर्ष 1981 में 0 से 6 साल लड़कियों का लिंगानुपात 962 से घटकर 945 ही रह गया था और वर्ष 2001 में यह संख्या 927 रह गई थी। 2011 आते आते तो स्थिति और भी खराब हो गई थी क्योंकि 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या सिर्फ 914 ही रह गई थी जो कि एक गंभीर समस्या हो गई है।

 

(iv) लड़कियों की जनसंख्या कम होने के कारण आए दिन समाचारों में देखा होगा कि हमारे देश में बलात्कार जैसी घटनाएं बहुत ही तेजी से बढ़ रही है। इसका एक कारण यह भी है कि लड़कियों की जन्म दर बहुत कम हो गई है।

(v) पुरुष प्रधान समाज होने के कारण लड़कियों की जनसंख्या जहां पर कम होती है वहां पर पुरुष अपना प्रभुत्व दिखाते हैं और लड़कियों का शोषण करने से बाज नहीं आते हैं।

(vi) कहा जाता है कि पहला गुरु मां ही होती है अगर वही पढ़ी-लिखी नहीं होगी तो वह अपने बच्चों को कैसे पढ़ाएगी। इसलिए बेटियों को पढ़ाना बहुत जरूरी होता है।
 

 

 

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लक्ष्य और उद्देश्य 

समाज में बेटियों की स्थिति में सुधार करने, बेटियों के घट रहे लिंगानुपात में काबू पाने और उन्हें शिक्षित कर समाज में उन्हें उचित दर्जा दिलावाने के मकसद से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की गई थी।

(i) देश की बेटियों के बेहतर भविष्य का निर्माण हो सके।

(ii) बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत सामाजिक व्यवस्था में बेटियों के प्रति रूढ़िवादी मानसिकता को बदलना।

(iii) बालिकाओं की शिक्षा को आगे बढ़ाना।

(iv) भेदभाव पूर्ण लिंग चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन करना।

(v) घर-घर में बालिकाओं की शिक्षा को सुनिश्चित करना।

(vi) लड़कियों की शिक्षा और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना।

(vii) कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम लगाना

(viii) समाज में बेटियों की स्थिति में सुधार लाना

(ix) समाज में बेटी-बेटा के बीच फैली असमानता को दूर करना

(x) बेटियों की सुरक्षा को सुनिश्चनत करना

(xi) लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाना

(xii) बेटियों के जीवन स्तर में सुधार करना

(xiii) शिक्षा एवं अन्य क्षेत्रों में लड़कियों की भागीदारी सुनिश्चित करना
 

 

 

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदम 

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास की एक संयुक्त पहल है। तीनों मंत्रालय इसके लिए कार्य कर रहे हैं –

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदम 

(i) गर्भधारण की पहली तिमाही के दौरान ही आंगनवाड़ी केंद्रों में गर्भधारण के पंजीकरण को बढ़ावा देना।

 

(ii) नई महिला उद्यमियों के प्रशिक्षण का कार्य।

 

(iii) सामुदायिक गतिशीलता और संवेदीकरण।

 

(iv) लैंगिक समर्थन की भागीदारी।

 

(v) अग्रणी कार्यकर्ताओं एवं संस्थाओं को पुरस्कार एवं मान्यता प्रदान करना।

 

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदम –

 

(i) पक्षपात और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी)  अधिनियम, 1994 के कार्यान्वयन की निगरानी।

 

(ii) संस्थागत प्रसव में वृद्धि।

 

(iii) बच्चों के जन्म का पंजीकरण।

 

(iv) पीएनडीटी प्रकोष्ठों को मजबूत बनाना।

 

(v) निगरानी समितियों की स्थापना।

 

 

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदम –

 

(i) लड़कियों का सार्वभौमिक नामांकन।

 

(ii) लड़कियों की पढ़ाई बीच में छोड़ने की दर को कम करना।

 

(iii) स्कूलों में लड़कियों के साथ दोस्ताना, मिलनसार व्यवहार।

 

(iv) शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम को लागू करना।

 

(v) लड़कियों के लिए कार्यात्मक शौचालयों का निर्माण।

 

 

 

लड़कियों की दुर्दशा सुधारने के अन्य उपाय 

 

अगर लड़कियों से किसी प्रकार का भेदभाव हो रहा है और अगर हम उसे होते हुए देख रहे हैं तो हम भी उतने ही जिम्मेदार हैं जितना कि भेदभाव करने वाला इसलिए हमें लड़कियों के प्रति भेदभाव पूर्ण नीति के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। सरकार भी लड़कियों के उत्थान के लिए नई-नई योजनाएं लाते आती है जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, महिला सशक्तिकरण योजना, सुकन्या योजना जैसी कई योजनाएँ चलाती है लेकिन यदि हम सरकार का पूर्ण सहयोग नहीं देंगे तो सरकार का कोई भी प्रयास सफल नहीं हो सकता

 

हम लड़कियों की दुर्दशा सुधारने के लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं –

 

(1) भारत में लिंग जांच करने वाली मशीनें आसानी से मिल जाती हैं इन मशीनों पर हमें तुरंत रोक लगानी चाहिए। हालांकि भारत सरकार ने इसके ऊपर एक सख्त कानून लाया है लेकिन कुछ लालची डॉक्टरों के कारण आज भी लिंग जांच होती है और लड़कियों की गर्भ में हत्या कर दी जाती है।

 

(2) कन्या भ्रूण हत्या का मुख्य कारण है कि महिलाओं को शिक्षा के बारे में कुछ पता नहीं होता है और उन्हें पुरानी रूढ़िवादी बातों में फंसा कर उनके परिवार वाले अपनी ही बेटी कि गर्भ में हत्या करवा देते हैं। इसलिए जितना स्त्री शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा उतना ही लड़कियों का लिंगानुपात बढ़ेगा।

 

(3) हमारे 21वीं सदी के भारत में जहां एक और कल्पना चावला जैसी महिलाएं अंतरिक्ष में जा रही हैं वहीं दूसरी ओर हमारे समाज के लोग लड़कियों से भेदभाव कर रहे हैं। लड़कियों से लिंग चयन के आधार पर भेदभाव किया जाता है और अगर उनका जन्म हो भी जाता है तो उनको उचित शिक्षा नहीं दी जाती है।

 

(4) उनका उचित पालन पोषण नहीं किया जाता है इस भेदभाव नीति के कारण लड़कियों का विकास सही से नहीं हो पाता है और वे पिछड़ी हुई रह जाती है जिसके कारण वह लड़कों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नहीं चल पाती हैं।

 

(5) कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी मानसिकता इतनी खराब हो चुकी है कि वह महिलाओं को एक वस्तु के समान भोग विलास की वस्तु मानते हैं।दिन प्रतिदिन ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जिसका परिणाम आप आए दिन अखबारों और समाचारों में देखते रहते हैं।ऐसे लोगों को समाज से बाहर कर देना चाहिए, यह लोग समाज के लिए ही नहीं पूरे विश्व के लिए बहुत ही खतरनाक हैं।

 

(6) भारत सरकार को लड़कियों की सुरक्षा के लिए सख्त कानूनों का निर्माण करना चाहिए जिससे कि किसी की हिम्मत ना हो लड़कियों से शोषण करने की ओर उनसे भेदभाव करने की।

 

(7) हाल ही में सरकार ने एक नया कानून लाया है जिसकी सराहना की जा सकती है जिसमें 12 साल तक की लड़कियों से बलात्कार करने पर फांसी की सजा दी जाएगी। अगर ऐसे ही सख्त कानून बनते रहे तो किसी की भी हिम्मत नहीं होगी कि लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार करें।

 

हम व्यक्तिगत रूप से भी बेटियों की दशा को सुधारने में योगदान कर सकते हैं-

 

 

(i) परिवार और समुदाय में कन्या शिशु के जन्म पर खुशी जाहिर करना।

 

(ii) बेटियाँ हमारा गौरव हैं और इसलिए हमें उन्हें ‘बोझ’ या किसी और की संपत्ति समझने की प्रवृत्ति से परहेज करना चाहिए।

 

(iii) लड़कों और लड़कियों के बीच समानता को बढ़ावा देने के तरीके ढ़ूढ़ना।

 

(iv) लड़कियों के प्रति रूढ़िवादी धारणा रखने वालों को चुनौती दें तथा स्कूल में लड़िकियों के प्रवेश के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार करें।

 

(v) अपने बच्चों को लड़कियों एवं महिलाओं का सम्मान, समाज के शिक्षित और जागरूक सदस्यों के रूप में करने की शिक्षा दें।

 

(vi) लिंग निर्धारण परीक्षण की किसी भी घटना की सूचना दें।

 

(vii) महिलाओं और लड़कियों के लिए सुरक्षित और हिंसा-मुक्त समाज निर्मित करने का प्रयास करें।

 

(viii) समुदाय और परिवार के भीतर साधारण विवाह को बढ़ावा दें एवं दहेज और बाल विवाह का विरोध करें।

 

(ix) महिलाओं के संपत्ति के वारिस होने के अधिकार का समर्थन करें।

 

(x) महिलाओं को घर से बाहर जा कर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना उनके काम को उनके व्यवसाय को तथा सार्वजनिक स्थानों पर उनके आने-जाने आदि को भी प्रोत्साहित करना।

 

(xi) महिलाओं और लड़कियों के प्रति संवेदनशील रहना और मन में उनके कल्याण की भावना रखना।
 

 

 

उपसंहार 

भारत के प्रत्येक नागरिक को कन्या शिशु बचाओ के साथ-साथ इनका समाज में स्तर सुधारने के लिए प्रयास करना चाहिए। लडकियों को उनके माता-पिता द्वारा लडकों के समान समझा जाना चाहिए और उन्हें सभी कार्यक्षेत्रों में समान अवसर प्रदान करने चाहिए। मोदी सरकार द्धारा शुरु की गई बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, लगातार महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए एक प्रशंसनीय पहल है।

इस योजना से जहां लोग बेटियों की सुरक्षा और शिक्षा को लेकर जागरूक हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इससे देश में शिक्षा के स्तर में भी सुधार हुआ है और एक सभ्य और शिक्षित समाज के निर्माण में मदद मिली है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के तहत बेटियों को उनका अधिकार मिलने में मदद मिल रही है, ज्यादा से ज्यादा महिलाओं में आत्मनिर्भर बनने की भावना का विकास हो रहा है, इसके साथ ही समाज में भी महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना और ज्यादा विकसित हुई है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की खास बात यह है कि इसके तहत सरकार बेटियों की शिक्षा के साथ-साथ उनकी शादी के लिए भी आर्थिक मदद कर रही है जिससे देश की कई बेटियों की जिंदगी संवर रही हैं और उनके बेहतर भविष्य का भी निर्माण हो रहा है।
 

 

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