Essay on Corruption in Hindi, भ्रष्टाचार पर निबंध

essay on corruption

 

हिंदी में भ्रष्टाचार पर निबंध – Essay on Corruption in Hindi Language

Essay of Corruption in Hindi – इस लेख में हम भ्रष्टाचार के विषय पर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे। भ्रष्टाचार न केवल हमारे निजी जीवन के लिए अभिशाप है बल्कि यह राष्ट्र के विकास में भी बाधक है। भ्रष्टाचार पर आपको कभी भी किसी भी परीक्षा में पूछा जा सकता है।

केवल परीक्षा के नजरिए से ही नहीं बल्कि राष्ट्र के विकास के लिए भी आपको सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए – भ्रष्टाचार होता क्या है? इसके क्या कारण है? क्या दुष्प्रभाव हैं? और साथ-ही-साथ भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए हम क्या-क्या प्रयास कर सकते हैं? इस बारे में सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए ताकि आप अपने देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने में अपना योगदान दें सकें।

 

  1. सामग्री (Content)
  2. प्रस्तावना
  3. भ्रष्टाचार का अर्थ
  4. भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार
  5. भारत में हुए सबसे बड़े भ्रष्टाचार के घोटाले
  6. भ्रष्टाचार के कारण
  7. भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव
  8. भ्रष्टाचार विरोधी दिवस
  9. भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बना अधिनियम
  10. भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय
  11. उपसंहार

 

 

प्रस्तावना

हमारे देश में भ्रष्टाचार आज से नहीं बल्कि कई सदियों से चला आ रहा है और यह दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है, जिसके कारण हमारे देश की हालत खराब होती जा रही है। एक पद विशेष पर बैठे हुए व्यक्ति का अपने पद का दुरुपयोग करना ही भ्रष्टाचार कहलाता है। ऐसे लोग अपने पद का फायदा उठाकर कालाबाजारी, गबन, रिश्वतखोरी इत्यादि कार्यों में लिप्त रहते है,
जिसके कारण हमारे देश का प्रत्येक वर्ग भ्रष्टाचार से प्रभावित होता है। इसके कारण हमारे देश की आर्थिक प्रगति को भी नुकसान पहुँचता है। भ्रष्टाचार दीमक की तरह है जो कि धीरे-धीरे हमारे देश को खोखला करता जा रहा है।
आज हमारे देश में प्रत्येक सरकारी कार्यालय, गैर-सरकारी कार्यालय और राजनीति में भ्रष्टाचार कूट-कूट कर भरा हुआ है जिसके कारण आम आदमी बहुत परेशान है। इसके खिलाफ हमें जल्द ही आवाज उठाकर इसे कम करना होगा नहीं तो हमारा पूरा राष्ट्र भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगा।

 

 

 

भ्रष्टाचार का अर्थ

भ्रष्टाचार का मतलब इसके नाम में ही छुपा है भ्रष्टाचार यानी भ्रष्ट + आचार। भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। अर्थात भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो।
भ्रष्टाचार में मुख्य घूस यानी रिश्वत, चुनाव में धांधली, ब्लैकमेल करना, टैक्स चोरी, झूठी गवाही, झूठा मुकदमा, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन, हफ्ता वसूली, जबरन चंदा लेना, न्यायाधीशों द्वारा पक्षपातपूर्ण निर्णय, पैसे लेकर वोट देना, वोट के लिए पैसा और शराब आदि बांटना, पैसे लेकर रिपोर्ट छापना, अपने कार्यों को करवाने के लिए नकद राशि देना यह सब भ्रष्टाचार ही है। अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ट्रांसपैरंसी इंटरनैशनल की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में भारत का भ्रष्टाचार में 81 वां स्थान है।

 

 

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भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार

भारत में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी अधिक गहरी हैं कि शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र बचा हो, जो इससे अछूता रहा है। राजनीति तो भ्रष्टाचार का पर्याय बन गयी है। आज भारत में भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में बढ़ रहा है, कालाबाजारी अर्थात जानबूझकर चीजों के दाम बढ़ाना, अपने स्वार्थ के लिए चिकित्सा जैसे क्षेत्र में भी जानबूझकर गलत ऑपरेशन करके पैसे ऐंठना, हर काम पैसे लेकर करना, किसी भी सामान को सस्ता लाकर महंगे में बेचना, चुनाव धांधली, घूस लेना, टैक्स चोरी करना, ब्लैकमेल करना, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन करना, हफ्ता वसूली, न्यायाधीशों द्वारा पक्षपात पूर्ण निर्णय, वोट के लिए पैसे और शराब बांटना, उच्च पद के लिए भाई-भतीजावाद, पैसे लेकर रिपोर्ट छापना, यह सब भ्रष्टाचार है और यह दिन-ब-दिन भारत के अलावा अन्य देशों में भी बढ़ रहा है और कोई क्षेत्र भ्रष्टाचार से नहीं बचा।
शिक्षा विभाग भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं रहा है। वह तो भ्रष्टाचार का केन्द्र बनता जा रहा है। एडमिशन से लेकर समस्त प्रकार की शिक्षा प्रक्रिया तथा नौकरी पाने तक, ट्रांसफर से लेकर प्रमोशन तक परले दरजे का भ्रष्टाचार मिलता है।

 

 

 

भारत में हुए सबसे बड़े भ्रष्टाचार के घोटाले

 

घोटाले

रुपये

बोफोर्स घोटाला

64 करोड़ रुपये

यूरिया घोटाला

133 करोड़ रुपये

चारा घोटाला

950 करोड़ रुपये

शेयर बाजार घोटाला

4000 करोड़ रुपये

सत्यम घोटाला

7000 करोड़ रुपये

स्टैंप पेपर घोटाला

43 हजार करोड़ रुपये

कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला

70 हजार करोड़ रुपये

2जी स्पेक्ट्रम घोटाला

1 लाख 67 हजार करोड़ रुपये

अनाज घोटाला

2 लाख करोड़ रुपए (अनुमानित)

कोयला खदान आवंटन घोटाला

12 लाख करोड़ रुपये

 

 

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भ्रष्टाचार के कारण

1. भ्रष्ट राजनीति के कारण हमारे देश में हर दूसरा राजनेता भ्रष्ट है, उनकी छवि कलंकित है फिर भी वे राजनेता बने हुए हैं और सरकार चला रहे है।
2. भाई भतीजा वाद के कारण बड़े अफसर अपने पदों का दुरुपयोग करके अपने रिश्तेदारों को नौकरी दिलवा देते हैं, चाहे वह व्यक्ति उस नौकरी के नाकाबिल ही क्यों न हो, जिससे देश में बेरोजगारी तो फैलती ही है।
3. झूठे दिखावे व प्रदर्शन के लिए।
4. झूठी सामाजिक प्रतिष्ठा पाने के लिए।
5. देश के बड़े उद्योगपति अपना कर बचाने के लिए बड़े अफसरों को रिश्वत देते हैं, ताकि उनको कर नहीं देना पड़े जिससे हमारे देश के विकास के लिए पैसों की कमी हो जाती है। इसके कारण हमारे देश के उद्योगपति और बड़े अफसर दोनों भ्रष्टाचारी हो जाते है।
6. अधर्म तथा पाप से बिना डरे बेशर्म चरित्र के साथ जीने की मानसिकता का होना।
7. अधिक परिश्रम किये बिना धनार्जन की चाहत।
8. राष्ट्रभक्ति का अभाव।
9. मानवीय संवेदनाओं की कमी।
10. गरीबी, भूखमरी तथा बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, जनसंख्या वृद्धि तथा व्यक्तिगत स्वार्थ की वजह से।
11. लचीली कानून व्यवस्था।
12. नैतिक मूल्यों में आयी भारी गिरावट के कारण।
13. भौतिक विलासिता में जीने तथा ऐशो-आराम की आदत के कारण।
14. धन को ही सर्वस्व समझने के कारण।
15. शिक्षा का अभाव होने के कारण गरीब लोग सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं उठा पाते हैं क्योंकि वहां के जनप्रतिनिधि उन योजनाओं के बारे में उनको अवगत नहीं कराते है और पूरा पैसा स्वंय हजम कर जाते है।
16. सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रष्ट राजनीतिक पार्टियाँ अपना गलत प्रचार करती है और जो काम नहीं भी हुआ होता है उसका भी प्रचार कर देते है।
17. देश के कुछ भ्रष्ट नेता हमारे देश के लोगों को भाषा के नाम पर भी राजनीति करते हैं। लोग अपनी भाषा के विवाद के चलते एक दूसरे से लड़ते रहते हैं और इसी का फायदा उठाकर भ्रष्ट नेता नए घोटालों को अंजाम दे देते है।
18. जब किसी को अभाव के कारण कष्ट होता है तो वह भ्रष्ट आचरण करने के लिए विवश हो जाता है।

 

 

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भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव

(1) भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश का आर्थिक विकास रुक सा गया है।
(2) भ्रष्टाचार के कारण हमारा देश हर प्रकार के क्षेत्र में दूसरे देशों की तुलना में पिछड़ता जा रहा है।
(3) भ्रष्टाचार के कारण ही आज भी हमारे गांव तक बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएँ नहीं पहुँच पाई है।
(4) अधिकांश धन कुछ लोगों के पास होने पर गरीब-अमीर की खाई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है ।
(5) सरकार द्वारा बनाई गई योजनाओं का लाभ भ्रष्टाचार के कारण गरीबों तक पहुँच ही नहीं पाता है।
(6) भ्रष्टाचार के कारण भाई भतीजा वाद को बढ़ावा मिलता है, जिसके कारण अयोग्य लोग भी ऐसे पदों पर विद्यमान रहते है।
(7) इसके कारण किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य नहीं मिल पाता है और वे कर्ज के कारण आत्महत्या करने को मज़बूर हो जाते हैं।
(8) भ्रष्टाचार का रोग सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में इस तरह से फैल गया है कि आम आदमी को अपना कार्य करवाने के लिए बड़े अफसर नेताओं को घूस देनी ही पड़ती है।
(9) भ्रष्टाचार के कारण कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है। कम कीमत के सामान को ऊँची कीमत में बेचा जाता है।
(10) माफिया लोगों की पहुँच बड़े नेताओं तक होने के कारण वे अवैध धंधे करते हैं, जिसके कारण जन और धन दोनों की बर्बादी होती है।
(11) समाज के विकास के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति ही भ्रष्टाचार में लिप्त होने लग जाता है।
(12) बड़े अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को लाभ पहुंचाते है।ऐसे अधिकारी भ्रष्ट लोगों से मिलकर बड़े-बड़े घोटाले करते है जिसके कारण पूरा सरकारी तंत्र भ्रष्ट हो जाता है।
(13) भ्रष्टाचार के कारण अनेक परियोजनाएँ तो अधूरी रह जाती हैं और सरकारी खजाने का करोड़ों रुपया व्यर्थ चला जाता है।
(14) भ्रष्टाचार के कारण विश्व में हमारे देश की छवि बहुत ही खराब हो चुकी है। इसके कारण कई विदेशी देश हमारे देश के साथ व्यापार नहीं करना चाहते है।
(15) भ्रष्टाचार के कारण ही हमारे देश में विदेशी लोग आने से घबराते है। आए दिन कोई न कोई घोटाला होता रहता है जिसके कारण हमारे राष्ट्र की छवि पूरी तरह से खराब हो रही है।
(16) सरकार द्वारा भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कोई सख्त नियम नहीं बनाए जाने के कारण भ्रष्ट लोगों के हौसले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं जिसके कारण पुरानी वर्षो की अपेक्षा वर्तमान में घोटालों की संख्या बढ़ गई है।

 

 

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भ्रष्टाचार विरोधी दिवस

दुनियाभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए तथा पूरी दुनिया को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए 9 दिसंबर को ‘अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस को मनाते हुए सभी सरकारी, प्राइवेट, गैरसरकारी सस्थाएं एवं नागरिक संगठन भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुटता से लड़ाई लड़ने का संकल्प लेते हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 31 अक्टूबर 2003 को एक प्रस्ताव पारित कर ‘अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस’ मनाए जाने की घोषणा की। यूएनजीए द्वारा यह दिवस प्रत्येक वर्ष 9 दिसंबर को मनाये जाने की घोषणा की गयी। भ्रष्टाचार के खिलाफ संपूर्ण राष्ट्र एवं दुनिया का इस जंग में शामिल होना एक शुभ घटना कही जा सकती है, क्योंकि भ्रष्टाचार आज किसी एक देश की नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व की समस्या है।

 

 

 

भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बना अधिनियम

भ्रष्टाचार से निपटने के लिए हमारे देश में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 बनाया गया है। यह अधिनियम भारत के बाहर भारत के सब नागरिकों पर भी लागू है।
इसके तहत कोई भी व्यक्ति जो सरकारी सेवा करता हो, केंद्रीय, प्रांतीय, राज्य, में या कोई भी न्यायाधीश, कोई भी व्यक्ति जो कृषि, उद्योग ,बैंक, में हो कोई भी रजिस्टर्ड सोसाइटी, कुलपति, आचार्य, शिक्षक, कर्मचारी, सभी को इस अधिनियम के तहत सजा का प्रावधान है और इसकी सजा निर्धारण करने के लिए विशेष न्यायाधीश नियुक्त किए जाते हैं, ताकि भ्रष्टाचार जैसी बीमारी को हमारे देश से जड़ से उखाड़ कर फेंक दिया जाए और इस अधिनियम से लोगों के मन में डर बना रहे हैं।

 

 

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भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय

(1) लोकपाल कानून को प्रत्येक राज्य, केन्द्रशासित प्रदेश तथा केन्द्र में अविलम्ब नियुक्त किया जाए जो सीधे राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी हों। उसके कार्य-क्षेत्र में प्रधानमंत्री तक को शामिल किया जाए।
(2) हर क्षेत्र में कार्य से पहले व्यक्ति को शपथ दिलाई जाए ताकि वह इस शपथ को हमेशा याद रखें।
(3) निर्वाचन व्यवस्था को और भी आसान तथा कम खर्चीला बनाया जाए ताकि समाज-सेवा तथा लोककल्याण से जुड़े लोग भी चुनावों में भाग ले सकें।
(4) प्रशासनिक मामलों में जनता को भी शामिल किया जाए।
(5) प्रशासनिक कार्य के लिए लोकपाल स्वतंत्र रूप से कार्य करें।
(6) कानून और सरकार से लोगों की मानसिकता बदलना जरूरी है।
(7) सही समय पर सही वेतन बढ़ाया जाए।
(8) सरकारी कार्यालय में जरूरत के हिसाब से कर्मचारी हो कम ना हो।
(9) भ्रष्टाचार का विरोध भी इसे रोकने में काफी कारगर सिद्ध होगा है।
(10) भ्रष्टाचार का अपराधी चाहे कोई भी व्यक्ति हो, उसे कठोर से कठोर दण्ड दिया जाए। कानून संक्षिप्त और कारगर हो, लचीला न हो कर कठोर हो।
(11) अगर हमें भ्रष्टाचार से मुक्त देश चाहिए तो हमें लोगों को भ्रष्टाचार के प्रति जागरूक करना होगा ग्रामीण इलाकों को लोगों को तो पता ही नहीं चलता कि उनके साथ कब कोई बेईमानी कर गया इसलिए हमें गांव-गांव जाकर लोगों को भ्रष्टाचार के बढ़ते हुए जाल के बारे में बताना होगा।
(12) जब भी कोई सरकारी टेंडर या सरकारी भर्तियां निकलती है तो बड़े नेता और अक्सर लोग अपने रिश्तेदारों को बिना किसी क्वालिफिकेशन के वह नौकरी या टेंडर दे देते हैं जिसके कारण हमारे देश की अर्थव्यवस्था ऐसे लोगों के हाथ में चली जाती है जिनको उसके बारे में कुछ पता ही नहीं होता है। सरकार को इसके ऊपर नियम लाकर कड़े कानून बनाने चाहिए और भाई भतीजावाद पर रोक लगानी चाहिए।
(13)  शिक्षा के अभाव के कारण ही लोग अच्छा जनप्रतिनिधि नहीं चुन पाते हैं, जिसके कारण उन्हें रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार जैसी बीमारियों से जूझना पड़ता है।
(14) हमारे इलेक्शन कमिशन को भ्रष्टाचारी नेताओं को चुनाव नहीं लड़ने देना चाहिए। लेकिन नियमों की ढील के कारण भ्रष्टाचारी नेता भी चुनाव लड़ते है।
(15) हमें किसी भी गलत चीज के प्रति विरोध करने की आदत डालनी होगी। जब तक हम विरोध नहीं करेंगे, तब तक भ्रष्टाचार ऐसे ही फैलता रहेगा।
(16) हमें हर एक धोखाधड़ी की सूचना भ्रष्टाचार निरोधक विभाग को देनी होगी क्योंकि पहले व्यक्ति छोटी रिश्वतखोरी करता है और फिर उसका लालच बढ़ता जाता है और वह बड़े-बड़े घोटालों को अंजाम देने लग जाता है।
(17) हमें अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना होगा क्योंकि आधे से ज्यादा भ्रष्टाचार तो हमें हमारे अधिकार नहीं पता होने के कारण ही हो जाते है।

 

 

 

उपसंहार
आज भ्रष्टाचार हमारे देश भारत में पूरी तरह से फ़ैल चूका है। भारत में आज लगभग सभी प्रकार के आईटी कंपनियाँ,  बड़े कार्यालय, अच्छी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भी, भारत पूरी तरीके से विकसित होने की दौड़ में बहुत पीछे है। इसका सबसे बड़ा कारण भ्रष्टाचार ही तो है। चाहे वह समाज का कोई भी व्यक्ति क्यों न हो, सरकारी कर्मचारी हो या कोई राजनीतिक नेता, शिक्षा का कार्य क्षेत्र हो – हर जगह भ्रष्टाचार ने अपना घर बना लिया है। आज भ्रष्टाचार कुछ इस प्रकार से भारत में बढ़ चुका है कि कहीं-कहीं तो भ्रष्टाचार के बिना काम ही नहीं होता है।
भारत जैसे विकासशील और लोकतांत्रिक देश में भ्रष्टाचार का होना एक बहुत ही बड़ी विडंबना है। हमारा राष्ट्रीय चरित्र धूमिल होता नजर आ रहा है, जो कि हमारे देश पर कीचड़ उछालने से कम नहीं है। हमारा नैतिक स्तर इतना गिर गया है कि हम अन्य लोगों के बारे में जरा भी नहीं सोचते है।
हमारा देश सत्य, अहिंसा, कर्मठ, शीलता, और सांस्कृतिक मूल्यों के लिए जाना जाता था, लेकिन आज 21वीं सदी के भारत में यह सब चीजें देखने को नहीं मिलती है। जिसके कारण हमारा देश कहीं ना कहीं अपनी मूल छवि को खोता जा रहा है। भ्रष्टाचार का कैंसर हमारे देश के स्वास्थ्य को नष्ट कर रहा है। यह आतंकवाद से भी बड़ा खतरा बना हुआ है।
अगर हमें भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करना है तो राजनेताओं, सरकारी तंत्र और जनता को साथ मिलकर इसके खिलाफ लड़ना होगा तभी इस भ्रष्टाचार रूपी दानव से हम अपने देश को बचा सकते हैं।

 

 

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