डॉ ए पी जे अब्दुल कलामपर निबंध
 

Hindi Essay and Paragraph Writing – Dr. APJ Abdul Kalam (डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम) for all classes from Class 1 to Class 12

 

डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम पर निबंध –  इस लेख में हम डॉ एपीजे अब्दुल कलाम कौन थे, एपीजे अब्दुल कलाम क्यों प्रसिद्ध थे, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का भारत में क्या योगदान है इन सबके बारे में जानेंगे|  डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था| उनका जन्म तमिलनाडु में 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। उनकी गिनती 21वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक के रूप में की जाती है। उन्हें “भारत का मिसाइल मैन” के नाम से भी जाना जाता है| अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 और 350 शब्दों में संक्षिप्त निबंध/अनुच्छेद दिए गए हैं।

 

 

डॉ. ए पीब्दु जे अल कलाम पर 10 लाइन  10 lines on Dr. APJ Abdul Kalam in Hindi

 

  1. डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम का पूरा नाम ‘अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम’ है।
  2. उनका जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था ।
  3. वे एक वैज्ञानिक तथा इंजीनियरिंग के तौर पर DRDO तथा ISRO में कार्य किया था।
  4. अब्दुल कलाम को भारत का ‘मिसाइल मैन’ के नाम से भी जाना जाता है।
  5. अब्दुल कलाम के आर नारायणन के बाद भारत के 11वें राष्ट्रपति बने तथा उनका कार्यकाल 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक रहा। 
  6. अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ‘जनता का राष्ट्रपति’ कहा गया था।
  7. अब्दुल कलाम ने इंडिया 2020, मिशन इंडिया, माय जर्नी  जैसी कई किताबें भी लिखी है।
  8. अब्दुल कलाम को उनके सराहनीय कार्यों के लिए  पद्मभूषण, पद्मविभूषण, भारत रत्न आदि जैसे कई पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
  9. अब्दुल कलाम देश के युवाओं के लिए एक महान व्यक्तित्व और प्रेरणा थे। 
  10. दुर्भाग्य से, कलाम साहब की मृत्यु  27 जुलाई, 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में भाषण देते समय दिल का दौरा पड़ने से हो गई थी।

 

 

Short Essay on Dr. APJ Abdul Kalam in Hindi डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम  पर अनुच्छेद कक्षा 1 to 12 के छात्रों के लिए 100, 150, 200, 250 से 300 शब्दों में

 

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम पर निबंध/अनुच्छेद – डॉ. अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। जो भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता (इंजीनियर) के रूप में विख्यात थे। बच्चे उन्हें अंकल कलाम और बड़े उन्हें कलाम साहब कहते थे। उनका जीवन संघर्ष से भरा था, लेकिन भारत की नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा थे। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारत को एक शक्तिशाली और आर्थिक रूप से समृद्ध देश होने का सपना देखा था। 

 

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम पर निबंध/अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

 

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भारत देश के 11वें राष्ट्रपति थे। उनका जन्म 1931 में 15 अक्टूबर को तमिलनाडु राज्य के एक गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन और माता का नाम अशिअम्मा था। अब्दुल कलाम अपने परिवार में चार भाइयों और एक बहन से सबसे छोटे थे । बचपन से ही अब्दुल कलाम पढ़ने में बहुत होशियार थे तथा वे एक पायलट बनना चाहते थे। उन्होंने रामनाथपुरम से प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद तिरुचिरापल्ली चले गए और वहां से भौतिकी में स्नातक किया। इसके बाद मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री ली। उसके बाद एक वैज्ञानिक बनकर कई नए आविष्कार किए। वे जीवन भर पढाने में, रिसर्च में, लिखने में समाज सेवा जैसे कार्य करने में लगे रहे। 27 जुलाई 2015 को हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई। 

 

 

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम पर निबंध/अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

 

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का पूरा नाम ‘अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम’ था। उन्हें भारत के ‘मिसाइल मैन’ और ‘जनता का राष्ट्रपति’ के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्गीय तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन मरकयार था तथा वे एक नाव के मालिक और एक स्थानीय मस्जिद के इमाम थे। उनकी मां अशिअम्मा एक गृहिणी थीं। कलाम को बचपन से कुछ-ना-कुछ सीखने की तीव्र इच्छा थी। वे पढ़ाई में भी बहुत अच्छे थे। उन्होंने विज्ञान में स्नातक के बाद एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री ली। उसके बाद वैज्ञानिक बनकर ISRO और DRDO में काम किया और कई नए आविष्कार किए। कलाम के सराहनीय कार्यों के लिए उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न आदि पुरस्कारों से नवाजा गया।

अब्दुल कलाम वर्ष 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति बने और 5 वर्षों तक उस पद पर रहे। राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद वे अपने सामान्य जीवन में वापस लौट आए और उन्होंने बच्चों को पढ़ाने में, बुक लिखने में और सार्वजनिक सेवा जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में अपना योगदान दिया। 27 जुलाई 2015 को शिलांग में विद्यार्थियों को भाषण देते समय अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वे देश के युवाओं के लिए एक महान व्यक्तित्व और प्रेरणा थे ।

 

 

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम पर निबंध/अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

 

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके माता का नाम आशियम्मा तथा पिता जी का नाम जैनुलब्दीन था जो पेशे से एक नाविक थे तथा माता गृहणी थी। कलाम अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। कलाम के जन्म के समय उनका परिवार गरीबी से ग्रस्त था। उनके पिता नौका से हिंदू तीर्थयात्रियों को रामेश्वरम और धनुषकोडी के बीच आगे-पीछे ले जाते थे। जिससे उनका परिवार का गुजारा होता था। कलाम भी अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए  समाचार पत्र बेचना का काम करते थे। कलाम बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली और मेहनती थे उनमें सीखने की तीव्र इच्छा थी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा रामनाथपुरम से ही हुई। रामनाथपुरम में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, कलाम सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली में पढ़ने चले गए जहाँ से उन्होंने 1954 में भौतिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। कलाम बचपन से ही पायलट बनना चाहते थे। इसलिए 1955 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की । लेकिन पायलट बनने के अपने सपने को हासिल करने से चूक गए। सन 1957 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से डिग्री प्राप्त करके सन 1958 में एक वैज्ञानिक के रूप में DRDO (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) में शामिल हुए और अपने जीवन के करियर की शुरुआत भारतीय सेना के लिए एक छोटा सा हेलीकॉप्टर डिजाईन करके की। 1962 में डॉ.कलाम जी ने DRDO से स्थानांतरित होकर ISRO में कार्य करने लगे। जहां भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह SLV-3(रोहिणी) के प्रोजेक्ट हेड बनकर कार्य किया और इस प्रोजेक्ट के सफल होने पर उन्हें सन 1981 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इसके बाद कलाम जी ने सन 1963-64 में अमेरिका के अंतरिक्ष संगठन नासा की यात्रा की और अपने निर्देशन में देश को अग्नि तथा पृथ्वी जैसी कई मिसाइलें भी दी। जिस वजह से उन्हें ‘मिसाइल मैन’ कहा गया। इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने की वजह से सन 2002 में सरकार द्वारा उन्हें भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। राष्ट्रपति पद पर अपनी पांच वर्ष की सेवा करने के बाद डॉ.कलाम पढाने में, रिसर्च में, लिखने में तथा समाज सेवा जैसे कार्य करने लग गए। वे विभिन्न कॉलेजे में गेस्ट प्रोफेसर के तौर पर जुड़े रहे। 27 जुलाई 2015 को, भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में व्याख्या करते समय अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई। कलाम ने पूरी दुनिया में अपने कार्यों के वजह से पहचान बनाई और देश के युवाओं के लिए प्रेरणा बने। उन्हे भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न ” सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था।

 

 

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम पर निबंध/अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

 

‘मिसाइल मैन’ और ‘जनता के राष्ट्रपति’ के नाम से विख्यात हमारे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जी का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम ‘अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम’ था। कलाम जी का बचपन संघर्षों से भरा हुआ था। वह बचपन में अखबार बेचते थे, क्योंकि उनके परिवार के पास ज्यादा पैसे नहीं थे और न ही उनके पिता जैनुलाब्दीन ज्यादा पढ़े लिखे थे। कलाम साहब पांच भाई-बहन में सबसे छोटे थे। वे बचपन से ही पढ़ाई में सामान्य बच्चों की तरह ही थे लेकिन उनका मन नई चीजों को सीखनें में ज्यादा लगता था वे उनके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते थे। जब कलाम आकाश में उड़ते हुए पक्षियों को देखते थे तो वह अक्सर यह सोचते थे की यह पक्षी आकाश में इतनी ऊंचाई में कैसे उड़ लेते है। उन्हीं उड़ते हुए पक्षियों को देखकर उन्हें पायलट बनने की चाहत हुई थी। 

कलाम साहब ने शुरुआती शिक्षा अपने गॉंव (धनुषकोडी) के ही प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त की। उसके बाद तिरुचिरापल्ली से भौतिकी में स्नातक किया। पायलट बनने के लिए मद्रास मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। हालांकि, वह पायलट नहीं बन सके और 1960 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, एक वैज्ञानिक के रूप में भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) में शामिल हो गए। जहां उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम किया। इसके बाद वह 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में आ गए, इसरो में कलाम साहब ने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका निभाई। इसरो में अब्दुल कलाम ने परियोजना निदेशक के तौर पर भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान SLV-3 (रोहिणी) के निर्माण में बहुत मेहनत की और सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजकर पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। इसके बाद, कलाम साहब ने देश को कई सारे मिसाइल दिए। जिस वजह से उन्हें मिसाइल मैन कहा गया। 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार बने। कलाम साहब के नेतृत्व में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।

सन 2002 में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को NDA दलों ने भारतीय जनता पार्टी से राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया और सभी के समर्थन से 18 जुलाई 2002 को डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम, देश के 11वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए और अपने कार्यकाल में भारत को एक विकसित देश बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 25 जुलाई 2007 को अपने राष्ट्रपति के पद से सेवानिवृत्त हो गये।

राष्ट्रपति के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद कलाम साहब अपने सामान्य जीवन में लौट आए और देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के सहायक बन गए। मई 2012 में, कलाम ने भारत के युवाओं के लिए एक कार्यक्रम, भ्रष्टाचार को हराने के एक केंद्रीय विषय के साथ, “मैं आंदोलन को क्या दे सकता हूँ” का शुभारंभ किया। कलाम साहब ने कई पुस्तकें भी लिखी है, जो लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुईं। उनके सराहनीय कार्यों के लिए भारत सरकार ने उन्हें 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण, और 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया था। इसके साथ ही उन्हें दुनियाभर के देशों ने भी कई पुरस्कारों से नवाजा था। 27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में ‘रहने योग्य ग्रह’ पर एक व्याख्यान दे रहे थे तभी अचानक दिल का दौरा पड़ने से गिर पड़े। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन दो घंटे बाद ही उनका निधन हो गया।

 

 

Essay on  Dr. A. P. J. Abdul Kalam in Hindi 

 

 

प्रस्तावना

 

डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, आधुनिक भारत के उन महान वैज्ञानिकों में से एक है जिन्होंने भारत को एक वैश्विक महाशक्ति बनाने के लिए अथक प्रयास किये और अपने जीवन में आने वाले संघर्षो का डटकर सामना किया ।

डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम कहा करते थे कि

  

             – “सपने वो नही है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही न आने दे |” 

 

डॉ कलाम ने अपने जीवन काल में इन कथनों को सार्थक करके दिखाया हैं | डॉ कलाम ने ना केवल वैज्ञानिक बनने का सपना देखा बल्कि उसे सार्थक करके भी दिखाया | उन्होंने दिन रात मेहनत करके अपने मिसाइल बनाने के सपने को साकार किया जिससे देश ने रक्षा क्षेत्र में उन्नति की |  

                                    

“इंतजार करने वालो को उतना ही मिलता है जितना कि कोशिश करने वाले छोड़ देते है “|

 

पूरे भारतवर्ष को यह संदेश देने वाले महान वैज्ञानिक डॉ ए पी जे अब्‍दुल कलाम को “मिसाइलमैन” के नाम से भी जाना जाता है | देश के परमाणु क्षेत्र में डॉ ए पी जे अब्‍दुल कलाम के विशेष योगदान को देखते हुए इन्‍हे मिसाइलमैन की उपाधि से सम्मानित किया गया। उनका पूरा जीवन हर किसी के लिए एक मिसाल हैं |  
 

 

जीवन परिचय

डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम का जन्‍म 15 अक्‍टूबर 1931 को रामेश्‍वरम के धनुषकोडी गॉंव में हुआ। इनका पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुलाब्‍दीन अब्‍दुल कलाम था। कलाम का जन्‍म एक तमिल मुस्लिम मछुआरे परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम जैनुलाब्‍दीन था | अब्‍दुल कलाम, पॉंच भाई-बहन थे। कलाम के पिता बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के थे | उन्होंने बचपन से ही कलाम को बहुत अच्‍छे संस्‍कार दिये थे।
 

 

शिक्षा

कलाम की प्रारंभिक शिक्षा गॉंव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई थी और फिर अपनी आरंभिक शिक्षा के लिए मद्रास चले गये। B.Sc. पूरी करने के बाद इन्‍होंने मद्रास इंस्‍टीटयूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्‍नातक की डि़ग्री हासिल की क्योंकि बचपन से ही उनका सपना एक फाइटर पायलट बनना था। परन्‍तु वक्‍त के साथ उनका सपना बदल गया और डीटीडी एण्‍ड पी के तकनीकी केन्‍द्र में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का कार्याभार संभालने लगे और इंडियन आर्मी के लिए हेलिकॉप्‍टर का डिजाइन तैयार किया। इन्‍होने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास में प्रवेश लिया और कई उपग्रह प्रक्षेपण योजनाओं में सफलता प्राप्‍त की। 
 

 

वैज्ञानिक जीवन

डॉ ए पी जे अब्‍दुल कलाम डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन में जुड़े ।  योजना महानिदेशक के रूप में भारत के पहले स्‍वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान (रोहिनी) का निमार्ण करवाया और जुलाई 1982 में रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया। 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी के निकट स्‍थापित किया और इसी तरह से भारत भी एक अंतर्राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष क्‍लब का सदस्‍य बन गया। इस योगदान के लिए कलाम जी को 1981 और 1990 में भारत सरकार द्वारा पदम भूषण से नवाजा गया। बाद में इन्‍होने देश का गाइडेड मिसाइल का डिजाइन तैयार किया और अग्नि व पृथ्‍वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों का निर्माण कराया। कलाम 1992 से लेकर 1999 तक रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार व  विकास विभाग के सचिव रहे थे। बाद में उन्‍होने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया। ऐसे में धीरे-धीरे देश के वैज्ञानिक सलाहकार बन गये। और गाइड़ेड मिसाइल को बनाया और परमाणु शक्तियो में सभी राष्‍ट्रों की सूची में भारत को शामिल कर दिया और इनका नाम वैज्ञानिकों की सर्वोच्‍च सूची में आ गया। 
 

 

राष्‍ट्रपति बनने का सफर

डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम को सन 2002 में NDA दलों ने भारतीय जनता पार्टी से राष्‍ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्‍मीदवार बनाया और सभी के समर्थन से 18 जुलाई 2002 को डॉ ए पी जे अब्‍दुल कलाम, देश के 11वें राष्‍ट्रपति निर्वाचित हुए। इन्‍होने कभी राजनीति में अपना समर्थन नहीं दिया, फिर भी भारत के सर्वोच्‍च पद पर विराजमान रहें और अपने कार्यकाल में भारत को एक विकसित देश बनाने में महत्‍पूर्ण भूमिका निभाई और 25 जुलाई 2007 को डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम राष्‍ट्रपति के पद से सेवानिवृत हो गये।
 

 

शिक्षक के रूप में

डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम राष्‍ट्रपति पद छोड़ने के बाद तिरूवनंतपुरम में  इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी के कुलाधिपति बन गये और अन्‍ना यूनिवर्सिटी के एरोस्पेस इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर बन गए । डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम को देश के कई कॉलेजो व विद्यालयों में विसिटिंग प्रोफेसर के रूप में बुलाते थे ताकि वहा के सभी बच्‍चो को कलाम जी के द्वारा आगे की ओर बढ़ने का व अपने सपनो का पूरा करने का मार्गदर्शक मिल सके।
 

 

साहित्य में योगदान

डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम कहा करते थे कि यदि इंसान को मरने के बाद भी जिन्दा रहना है तो पढ़ने लायक लिखना चाहिए या फिर लिखने लायक काम करना चाहिए | डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम  ने अपने इन शब्दों को सार्थक करके बताया हैं उन्होंने ना सिर्फ  बहुत सी किताबे और अपनी आत्‍मकथा व कविताऐ लिखी है बल्कि अनेक सराहनीय कार्य किये जो आज भी हर वैज्ञानिक के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं उनकी प्रमुख पुस्तके निम्‍नलिखित है –

 

इग्‍नाइटेड़ माइंड

ऑटोबायोग्राफी विग्‍स ऑफ फायर

मिशन इंडि़या, 

माय जर्नी

दी लुमीनस स्‍पार्क

एड़वांटेज इंडिया, रेइगनिटेड़

ए विशन फॉर दी न्‍यु मिलेनियम इंडि़या 2020

ए मेनिफेस्‍टो फॉर चेंज, इन्‍सपारिंग थोट

यु आर बोर्न टू ब्‍लॉसम
 

 

पुरुस्कार

डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम को कई देशो के द्वारा पुरस्‍कार व सम्‍मान प्राप्‍त किया हुआ है | भारत सरकार द्वारा 1997 में विज्ञान व भारतीय रक्षा के क्षेत्र में अपने अद्वितीय योगदान के लिए इनको भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया तथा 1981 व 1990 में पद्यभूषण का सम्‍मान दिया गया है। 
 

 

निधन

डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम, जुलाई 2015 में मेघालय राज्‍य में भारतीय प्रबंधन संस्‍थान को शिलोंग में स्‍थापित करने के लिए एक बैठक में भाषण दे रहे थे। उस समय उनकी आयु लगभग 84 साल की थी। भाषण देते समय उनको अचानक दिल का दौरा पड़ा और वही पर बेहोश होकर गिर गये। चिकित्‍सा विभाग की सभी कोशिशे नाकाम रहीे और 2 घंटे बाद उनकी 27 जुलाई 2015 को मृत्‍यु हो गयी | वो हम सब को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चले गये थे। उनके निधन के दिन उनके सम्‍मान के लिए सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा कर गई थी ।
 

 

विश्व छात्र दिवस

 हर वर्ष 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस मनाया जाता हैं |  दरअसल डॉ ए पी जे अब्‍दुल कलाम  का जन्‍म 15 अक्‍टूबर 1931 को हुआ | उन्हें छात्रों से बहुत लगाव था | साथ ही उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए बहुत कुछ किया था | उन्हें अपने पूरे जीवन काल में पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न जैसे अनेकों पुरूस्कार प्राप्त हुए, साथ ही उन्होंने कई क़िताबें लिखी जिनमें अग्नि की उड़ान, मेरी यात्रा, इंडिया विज़न प्रमुख हैं | इसीलिए उनके सम्मान में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 2010 से विश्व छात्र दिवस मनाने की शुरुआत हुई | और आज भी हम प्रति वर्ष 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस मनाते हैं |
 

 

Recommended Read –