Essay on Dr. A. P. J. Abdul Kalam in Hindi
- प्रस्तावना
- जीवन परिचय
- शिक्षा
- वैज्ञानिक जीवन
- राष्ट्रपति बनने का सफर
- शिक्षक के रूप में
- साहित्य में योगदान
- पुरुस्कार
- निधन
- विश्व छात्र दिवस
प्रस्तावना
डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, आधुनिक भारत के उन महान वैज्ञानिकों में से एक है जिन्होंने भारत को एक वैश्विक महाशक्ति बनाने के लिए अथक प्रयास किये और अपने जीवन में आने वाले संघर्षो का डटकर सामना किया ।
डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम कहा करते थे कि
– “सपने वो नही है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही न आने दे |”
डॉ कलाम ने अपने जीवन काल में इन कथनों को सार्थक करके दिखाया हैं | डॉ कलाम ने ना केवल वैज्ञानिक बनने का सपना देखा बल्कि उसे सार्थक करके भी दिखाया | उन्होंने दिन रात मेहनत करके अपने मिसाइल बनाने के सपने को साकार किया जिससे देश ने रक्षा क्षेत्र में उन्नति की |
“इंतजार करने वालो को उतना ही मिलता है जितना कि कोशिश करने वाले छोड़ देते है “|
पूरे भारतवर्ष को यह संदेश देने वाले महान वैज्ञानिक डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम को “मिसाइलमैन” के नाम से भी जाना जाता है | देश के परमाणु क्षेत्र में डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम के विशेष योगदान को देखते हुए इन्हे मिसाइलमैन की उपाधि से सम्मानित किया गया। उनका पूरा जीवन हर किसी के लिए एक मिसाल हैं |
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जीवन परिचय
डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम के धनुषकोडी गॉंव में हुआ। इनका पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। कलाम का जन्म एक तमिल मुस्लिम मछुआरे परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था | अब्दुल कलाम, पॉंच भाई-बहन थे। कलाम के पिता बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के थे | उन्होंने बचपन से ही कलाम को बहुत अच्छे संस्कार दिये थे।
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शिक्षा
कलाम की प्रारंभिक शिक्षा गॉंव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई थी और फिर अपनी आरंभिक शिक्षा के लिए मद्रास चले गये। B.Sc. पूरी करने के बाद इन्होंने मद्रास इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की डि़ग्री हासिल की क्योंकि बचपन से ही उनका सपना एक फाइटर पायलट बनना था। परन्तु वक्त के साथ उनका सपना बदल गया और डीटीडी एण्ड पी के तकनीकी केन्द्र में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का कार्याभार संभालने लगे और इंडियन आर्मी के लिए हेलिकॉप्टर का डिजाइन तैयार किया। इन्होने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास में प्रवेश लिया और कई उपग्रह प्रक्षेपण योजनाओं में सफलता प्राप्त की।
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वैज्ञानिक जीवन
डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन में जुड़े । योजना महानिदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान (रोहिनी) का निमार्ण करवाया और जुलाई 1982 में रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया। 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी के निकट स्थापित किया और इसी तरह से भारत भी एक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। इस योगदान के लिए कलाम जी को 1981 और 1990 में भारत सरकार द्वारा पदम भूषण से नवाजा गया। बाद में इन्होने देश का गाइडेड मिसाइल का डिजाइन तैयार किया और अग्नि व पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों का निर्माण कराया। कलाम 1992 से लेकर 1999 तक रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार व विकास विभाग के सचिव रहे थे। बाद में उन्होने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया। ऐसे में धीरे-धीरे देश के वैज्ञानिक सलाहकार बन गये। और गाइड़ेड मिसाइल को बनाया और परमाणु शक्तियो में सभी राष्ट्रों की सूची में भारत को शामिल कर दिया और इनका नाम वैज्ञानिकों की सर्वोच्च सूची में आ गया।
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राष्ट्रपति बनने का सफर
डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम को सन 2002 में NDA दलों ने भारतीय जनता पार्टी से राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया और सभी के समर्थन से 18 जुलाई 2002 को डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम, देश के 11वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। इन्होने कभी राजनीति में अपना समर्थन नहीं दिया, फिर भी भारत के सर्वोच्च पद पर विराजमान रहें और अपने कार्यकाल में भारत को एक विकसित देश बनाने में महत्पूर्ण भूमिका निभाई और 25 जुलाई 2007 को डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति के पद से सेवानिवृत हो गये।
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शिक्षक के रूप में
डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद तिरूवनंतपुरम में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी के कुलाधिपति बन गये और अन्ना यूनिवर्सिटी के एरोस्पेस इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर बन गए । डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम को देश के कई कॉलेजो व विद्यालयों में विसिटिंग प्रोफेसर के रूप में बुलाते थे ताकि वहा के सभी बच्चो को कलाम जी के द्वारा आगे की ओर बढ़ने का व अपने सपनो का पूरा करने का मार्गदर्शक मिल सके।
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साहित्य में योगदान
डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम कहा करते थे कि यदि इंसान को मरने के बाद भी जिन्दा रहना है तो पढ़ने लायक लिखना चाहिए या फिर लिखने लायक काम करना चाहिए | डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम ने अपने इन शब्दों को सार्थक करके बताया हैं उन्होंने ना सिर्फ बहुत सी किताबे और अपनी आत्मकथा व कविताऐ लिखी है बल्कि अनेक सराहनीय कार्य किये जो आज भी हर वैज्ञानिक के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं उनकी प्रमुख पुस्तके निम्नलिखित है –
इग्नाइटेड़ माइंड
ऑटोबायोग्राफी विग्स ऑफ फायर
मिशन इंडि़या,
माय जर्नी
दी लुमीनस स्पार्क
एड़वांटेज इंडिया, रेइगनिटेड़
ए विशन फॉर दी न्यु मिलेनियम इंडि़या 2020
ए मेनिफेस्टो फॉर चेंज, इन्सपारिंग थोट
यु आर बोर्न टू ब्लॉसम
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पुरुस्कार
डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम को कई देशो के द्वारा पुरस्कार व सम्मान प्राप्त किया हुआ है | भारत सरकार द्वारा 1997 में विज्ञान व भारतीय रक्षा के क्षेत्र में अपने अद्वितीय योगदान के लिए इनको भारत रत्न से सम्मानित किया गया तथा 1981 व 1990 में पद्यभूषण का सम्मान दिया गया है।
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निधन
डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम, जुलाई 2015 में मेघालय राज्य में भारतीय प्रबंधन संस्थान को शिलोंग में स्थापित करने के लिए एक बैठक में भाषण दे रहे थे। उस समय उनकी आयु लगभग 84 साल की थी। भाषण देते समय उनको अचानक दिल का दौरा पड़ा और वही पर बेहोश होकर गिर गये। चिकित्सा विभाग की सभी कोशिशे नाकाम रहीे और 2 घंटे बाद उनकी 27 जुलाई 2015 को मृत्यु हो गयी | वो हम सब को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चले गये थे। उनके निधन के दिन उनके सम्मान के लिए सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा कर गई थी ।
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विश्व छात्र दिवस
हर वर्ष 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस मनाया जाता हैं | दरअसल डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ | उन्हें छात्रों से बहुत लगाव था | साथ ही उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए बहुत कुछ किया था | उन्हें अपने पूरे जीवन काल में पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न जैसे अनेकों पुरूस्कार प्राप्त हुए, साथ ही उन्होंने कई क़िताबें लिखी जिनमें अग्नि की उड़ान, मेरी यात्रा, इंडिया विज़न प्रमुख हैं | इसीलिए उनके सम्मान में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 2010 से विश्व छात्र दिवस मनाने की शुरुआत हुई | और आज भी हम प्रति वर्ष 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस मनाते हैं |
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