Hindi Essay Writing – मेरी माँ  (My Mother)

 

मेरी माँ पर निबंध –  इस लेख में हम माँ का सही अर्थ क्या है?  जीवन और परिवार में  माँ का महत्व, आदि के बारे में जानेंगे| हम सब जानते है कि माँ वो होती है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।। यहीं कारण है प्रायः संसार में ज्यादातर जीवनदायिनी और सम्माननीय चीजों को माँ की संज्ञा दी गयी है जैसे कि भारत माँ, धरती माँ, गौ माँ आदि। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में मेरी माँ पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में  मेरी माँ  पर कक्षा 1 to 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 और 350 शब्दों में संक्षिप्त निबंध/अनुच्छेद दिए गए हैं।

मेरी माँ पर 10 लाइन हिन्दी में (10 lines on My Mother in Hindi)

  1. माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन का भी कार्य करती है।
  2. मै अपनी माँ को सबसे अच्छा शिक्षक, मित्र तथा प्रेरक मानता हूँ।
  3. वह घर का काम भी संभालती है और विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने भी जाती है।
  4. वह मेरे स्कूल के होमवर्क को पूरा करने में मेरी मदद करती है।
  5. वह हमेशा मेरी बहुत परवाह करती है और मुझसे प्यार भी बहुत करती है।
  6. वह हमेशा मुझे बड़ों का आदर और छोटे से प्यार करने का सीख देती है।
  7. वह मुझ पर कभी हाथ नही उठाती है लेकिन कभी-कभी मेरी गलतियों के लिए मुझे डांटती जरूर है।
  8. वह मुझे हर दिन नई ज्ञानवर्धक बातें बताती हैं और साथ ही सही और गलत में अंतर करना भी सिखाती है।
  9. मेरी माँ हर परिस्थिति से लड़ना जानती है, वह बहुत दयालु और सबसे अच्छी माँ है।
  10. मेरी माँ मेरी और परिवार की प्रत्येक जरूरत का ख्याल रखती है।

Short Essay on My Mother in Hindi मेरी माँ पर अनुच्छेद कक्षा 1 to 12 के छात्रों के लिए 100, 150, 200, 250 से 300 शब्दों में

मेरी माँ पर निबंध : एक माँ एक ऐसे व्यक्ति को दिया गया शब्द है जो जीवन भर अपने परिवार और बच्चों की भलाई, विकास और कल्याण के लिए बलिदान और अपनी पहली प्राथमिकता देता है। एक माँ न केवल एक बच्चे को जन्म देती है बल्कि उससे प्यार करने, उसकी देखभाल करने और बिना किसी पूर्वापेक्षा या शर्तों के समर्पण और प्यार दिखाने के लिए आजीवन प्रतिबद्धता रखती है। एक माँ प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं क्योंकि वह एक रक्षक, एक मित्र और साथ ही एक अनुशासक की भूमिका निभाती है। वह एक निस्वार्थ प्यार करने वाली इंसान होती है। इसलिए माँ को धन्यवाद देने और आदर के लिये हर साल मई माह के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है।

मेरी माँ पर अनुच्छेद 1, 2 और 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

 

मेरी माँ का नाम स्नेहा है। वह सबसे अच्छी माँ है। वह घर पर रहती है और घर का सारा काम करती है। वह हर सुबह जल्दी उठ जाती है और हमारे लिए खाना बनाती है। फिर वह मुझे तैयार करती है, खाना खिलाती है, मेरे  स्कूल बैग में किताबें, लंच बॉक्स और पानी की बोतल रखती है और फिर मुझे स्कूल छोड़ने आती है। फिर जब मेरी स्कूल की छुट्टी होती है तो वह मुझे लेने भी आती है। वह मुझसे बहुत प्यार करती है। वह हमेशा मेरा ध्यान रखती है। वह मेरे साथ खेलती भी है और मेरा होमवर्क भी कराती है। मैं अपनी माँ से बहुत प्यार करता हूँ। 

मेरी माँ पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

 

मेरी माँ बहुत सुंदर और दयालु स्त्री है वो हमारे घर को संभालती हैं। मेरी माँ के लिए मेरे मन में विशेष सम्मान और आदर है क्योंकि वह मेरी पहली शिक्षिका हैं जो न केवल मेरी किताबों के अध्यायों को पढ़ाती हैं बल्कि मुझे सही रास्ते पर चलना भी सिखाती है वह हमेशा मुझे बड़ों का आदर और छोटे से प्यार करने की सीख देती है। वह हमेशा मेरी जरूरतों का ध्यान रखती है। मेरी माँ हमारे परिवार में एक अलग भूमिका निभाती है। जब कोई हमारे परिवार का सदस्य बीमार पड़ जाता है तो उसकी उचित देखभाल करती है। मेरे जीवन में मेरी माँ मेरे लिए सबसे प्रभावशाली इंसान हैं। वह न केवल मेहनती हैं बल्कि अपने काम के प्रति भी काफी समर्पित हैं। वह सुबह जल्दी उठती है और सूरज उगने से पहले ही अपने दैनिक कार्यों में लग जाती हैं। वह घर की साफ-सफाई करती है और सबके लिए खाना बनाती है वह हमारे पसंद-नापसंद का ध्यान भी रखती है।

मेरी माँ पर अनुच्छेद 6, 7 और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

 

माँ दुनिया की सबसे प्यारी इंसान होती है। जो अपना प्यार निस्वार्थ भाव से अपने बच्चों पर लुटाती है। जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मेरी माँ मेरे जीवन का आधार स्तंभ है, वह मेरी गुरु तथा मार्गदर्शक होने के साथ ही मेरी सबसे अच्छी मित्र भी है। वह मेरे हर समस्याओं, दुःखों और विपत्तियों में मेरे साथ खड़ी रहती है और साथ ही मुझे जीवन के इन सभी बाधाओं से लड़ने के लिए शक्ति भी देती है, उनके द्वारा बतायी गयी छोटी-छोटी बातों ने मेरे जीवन में बड़ा परिवर्तन किया है। इसलिए इस बात को मैं काफी गर्व और विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इस दुनिया में मेरी माँ सबसे अच्छी माँ  है क्योंकि मुझे जन्म देने के साथ ही उसने मुझे मेरे शुरुआती जीवन में वह हर एक चीज सिखायी है, जिसके लिए मैं पूरा जीवन उनका आभारी रहूंगा। जब मैं छोटा था तो मेरी माँ ने मेरी उंगली पकड़कर चलना सिखाया। और जैसे-जैसे मैं थोड़ा बड़ा हुआ, मेरी माँ ने मुझे कपड़े पहनना, ब्रश करना, जूते का फीता बांधने जैसी अन्य प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही दी है। यह बात सबको पता है कि एक मां का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। माँ का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। एक माँ का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है, एक माँ बिना ये दुनिया अधूरी है।

मेरी माँ पर अनुच्छेद 9, 10, 11 और 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

 

माँ-बच्चे के रिश्ते की खूबसूरती यह है कि उसके प्यार और बलिदान की कोई सीमा नहीं है। इसलिए आज मैं अपने जीवन में जो कुछ भी हूँ, वह सिर्फ अपने माँ के ही बदौलत हूँ क्योंकि मेरी सफलता तथा असफलता दोनो ही वक्त वह मेरे साथ थी। उनके मेहनत, निस्वार्थ भाव, साहस तथा त्याग ने मुझे सदैव ही प्रेरित करने का कार्य किया है। उन्होंने मुझे सामाजिक व्यवहार से लेकर ईमानदारी तथा मेहनत जैसी महत्वपूर्ण शिक्षाएं दी है। उनके बिना तो मैं अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकता, यही कारण है कि मैं उन्हें अपना सबसे अच्छा शिक्षक, मित्र तथा प्रेरक मानता हूँ। 

यह सबको पता है कि एक स्त्री अपने जीवन में पत्नी, बेटी, बहू जैसे ना जाने कितने रिश्ते निभाती है, लेकिन इन सभी रिश्तों में से जिस रिश्ते को सबसे ज्यादा सम्मान प्राप्त है वह माँ का रिश्ता है। मातृत्व ऐसा बंधन है जिसकी व्याख्या शब्दों में नहीं किया जा सकता। माँ अपने बच्चे को जन्म देने के साथ ही उसके लालन-पालन का भी कार्य करती है। कुछ भी हो जाये लेकिन एक माँ का उसके बच्चों के प्रति स्नेह कभी कम नहीं होता है, वह खुद से भी ज्यादे अपने बच्चों के सुख-सुविधाओं को लेकर चिंतित रहती है। इसलिए माँ को प्रेम व करुणा का प्रतीक माना गया है। 

एक माँ अपने बच्चे की रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी विपदा का सामना करने का साहस रखती है। एक माँ स्वयं चाहे जितने भी कष्ट सह ले लेकिन अपने बच्चों पर किसी तरह की आंच नहीं आने देती । इन्हीं कारणों से, माँ को पृथ्वी पर ईश्वर का रूप माना गया है और इसलिए एक कहावत भी काफी लोकप्रिय है कि “ईश्वर हर जगह मौजूद नहीं रह सकता है इसलिए उसने माँ को बनाया है।” 

इतिहास कई सारी ऐसी घटनाओं के वर्णन से भरा पड़ा हुआ है, जिसमें माताओं ने अपने संतानों के लिए विभिन्न प्रकार के कष्ट सहते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।