Short Essay on Dussehra in Hindi

 

 

Hindi Essay and Paragraph Writing – Dussehra (दशहरा ) for all classes from Class 1 to Class 12

 

दशहरा पर निबंध –  इस लेख में हम दशहरा का क्या महत्व है, दशहरा क्यों मनाया जाता है के बारे में जानेंगे |  दशहरा हिन्दुओ के प्रसिद्ध त्योहारों में  से एक है, जो भगवान राम को समर्पित है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में दशहरा पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में दशहरा पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 और 350 शब्दों में संक्षिप्त निबंध/अनुच्छेद दिए गए हैं।

 

दशहरा  पर 10 लाइन  10 lines on Dussehra in Hindi

  1. दशहरा हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में एक है जो हिंदी पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
  2. यह त्योहार भगवान राम की रावण पर और देवी दुर्गा की महिषासुर पर जीत का प्रतीक है।
  3. दशहरा को ‘विजयादशमी’ के नाम से भी जाना जाता है।
  4. दशहरे की शाम रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे बड़े राक्षसों के पुतले का दहन किया जाता हैं।
  5. दशहरा का दिन अश्विन माह की शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों के पश्चात् आता है।
  6. भारत में दशहरा का महापर्व हर राज्य में लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं।
  7. दशहरे का पर्व अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष में मनाया जाता है।
  8. दशहरे के मौके पर कई स्थानों पर रामलीला का भी आयोजन किया जाता है।
  9. इस दिन लोग शस्त्र-पूजा करते हैं और नया कार्य प्रारम्भ करते हैं।
  10. दशहरा का त्योहार हमें अहंकार, लोभ, मोह, क्रोध, हिंसा जैसी बुरी आदतों से दूर रहने का प्रेरणा देता है।

Short Essay on Dussehra in Hindi दशहरा पर अनुच्छेद कक्षा 1 to 12 के छात्रों के लिए 100, 150, 200, 250 से 300 शब्दों में

 

दशहरा पर निबंध/अनुच्छेद – बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण भाग है। दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन भगवान राम ने बुराई के प्रतीक दस सिर वाले राक्षस रावण का संहार किया था।

दशहरा पर अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में 

 

दशहरा हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। जो आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को समस्त भारत में बहुत ही श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है। हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा यह पर्व लगातार दस दिनों तक मनाया जाता है। इसलिये इसे दशहरा कहते है। पहले नौ दिन तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है फिर दसवें दिन लोग असुर राजा रावण का पुतला जला कर दशहरा मनाते है। कहा जाता है कि इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने दस शीश वाले राजा रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त की थी । यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

दशहरा पर अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में 

 

दशहरा भारत में हिंदुओं के लिए एक बड़ा त्यौहार है और इसे भारत के हर राज्य में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार नवरात्रि के नौ दिनों के खत्म होने के अगले दिन दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री राम ने राक्षस रावण का वध किया था जिसके उपलक्ष में हर साल दशहरा का त्योहार मनाया जाता है।

दशहरा का यह त्यौहार आमतौर पर प्रत्येक वर्ष सितंबर से अक्टूबर के आसपास मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इसी दिन शाम के समय रावण दहन किया जाता है लेकिन उससे पहले रामलीला का आयोजन किया जाता है। जिसमें भगवान राम और राक्षस रावण के बीच हुए युद्ध को नाटक के जरिए दर्शाया जाता है। नाटक के बाद, रावण के पुतले का दहन किया जाता है। दशहरा या विजयादशमी एक ऐसा त्योहार है जो हमें याद दिलाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर जीतती है, जैसे भगवान राम ने रावण पर जीत हासिल की थी।

दशहरा पर अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में 

 

दशहरा हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में एक है जिसे भारत में बड़े धूमधाम से आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार मनाए जाने के पीछे दो कारण है। पहला कारण यह है कि इसी दिन भगवान राम ने लंकापति राक्षस रावण का वध किया था और दूसरा कारण यह है कि देवी दुर्गा ने नौ दिनों के भीषण युद्ध के बाद महिषासुर राक्षस का संहार किया था। इस तरह इस दिन राक्षसों के रूप में बुराई का अंत हुआ था और मां दुर्गा और भगवान राम की विजय हुई थी। इसलिए इस दिन को विजयादशमी भी कहा जाता है। इस त्योहार को दस दिनों तक मनाया जाता है। सबसे पहले दुर्गा माता के नौ दिनों तक विधिवत पूजन किया जाता है फिर दशमी के दिन दशहरे का आयोजन किया जाता है। 

दशहरे का आयोजन एक बड़े से मैदान में किया जाता है जहां रामलीला के जरिए राम और रावण का युद्ध का प्रदर्शन होता है। तथा राम द्वारा रावण को मारा जाता है। तत्पश्चात रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे बड़े राक्षसों के विभिन्न प्रकार के विस्फोटक पदार्थ से भरे पुतले जलाए जाते हैं। जब वे जलते हैं, तो उसमें से रंग-बिरंगी चिनगारियाँ निकलती है और धमाके होते हैं और इस तरह अंत हो जाता है। इसके प्रदर्शन से लोगों के मन में राम के आदर्शों के प्रति अनुराग पैदा होता है। बुराई चाहे कितनी भी बड़ी या बलवान क्यों न हो पर आखिर में जीत हमेशा सच्चाई की होती है।

दशहरा पर अनुच्छेद  कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में 

 

दशहरा या विजयादशमी एक ऐसा पर्व है, जिसका धार्मिक व सामाजिक महत्व है। यह पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को समस्त भारत में बहुत ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व से जुड़ी दो धार्मिक मान्यताएं प्रचलित है। 

पहली धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लंका नरेश रावण ने जब माता सीता का अपहरण कर उन्हें लंका ले गया तो भगवान श्री राम ने सीता को रावण के बंधन से मुक्त कराने के लिए रावण के साथ युद्ध किया था जो दस दिनों तक चला और दसवें यानी दशमी के दिन रावण का वध कर माता सीता को मुक्त कराया। इसी दिन को दशहरे के नाम से जाना जाता है।

दूसरी धार्मिक मान्यता के अनुसार महिषासुर नामक असुर भगवान ब्रह्मा से वरदान पाकर बहुत शक्तिशाली हो गया था। वह स्वर्ग लोक में देवताओं को परेशान करने के साथ-साथ समस्त संसार में तबाही मचाने लगा था। तब देवताओं ने महिषासुर के विनाश के लिए देवी दुर्गा का आह्वान किया। देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर, उसके साथ नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया । इसलिए इस दिन को विजयादशमी भी कहा जाता है। 

दशहरा का त्योहार दस दिनों तक मनाया जाता है सबसे पहले नौ दिन तक दुर्गा मां की पूजा की जाती है जो समस्त हिन्दुओं में ‘दुर्गा पूजा व नवरात्रि ’ के नाम से प्रख्यात हैं। इसी दौरान रामलीला का भी आयोजन किया जाता है। रामलीला में प्रभु राम और राक्षसों के बीच हुए को युद्ध को नाटक के जरिए दर्शाया जाता है। यह रामलीला किसी भी दिन आरंभ हो, परन्तु दशमी या दशहरे के दिन रावण-वध का अभिनय अवश्य होता है। रावण को मारा जाता है अर्थात उस दिन श्रीराम की विजय होती है। उसके बाद रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद आदि राक्षसों के पुतले को जलाया जाता है। यह त्योहार अधर्म पर धर्म, अन्याय पर न्याय और बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतीक है।

हर साल दशहरे के दिन रावणादि राक्षसों के पुतले जलाकर लोगों को यह संदेश दिया जाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो पर आखिर में जीत हमेशा सच्चाई की होती है। रावण और महिषासुर जैसे बलवान राक्षस अपने बुरे कर्मों की वजह से प्रभु राम और मां दुर्गा के द्वारा वध कर दिए गए, क्योंकि उन्होंने बुराई का रास्ता चुना था। इसलिए हमें हमेशा अच्छे कार्यों द्वारा अपने चरित्र का निर्माण करना चाहिए।