Hindi Essay Writing – जन्माष्टमी (Janmashtami)
जन्माष्टमी पर निबंध – इस लेख में हम जन्माष्टमी क्यों मनाते हैं? भारत में कैसे मनाया जाता है जन्माष्टमी का त्योहार, जन्माष्टमी की विशेषता क्या है, इस सब के बारे में जानेगे। ऐसा हम सब जानते है कि जन्माष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण की जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में जन्माष्टमी पर निबंध पूछ लिया जाता है। इसलिए जन्माष्टमी पर कक्षा 1 to 12 स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 और 350 शब्दों में निबंध/अनुच्छेद दिए गए हैं।
- जन्माष्टमी महोत्सव पर 10 लाइन हिन्दी में
- जन्माष्टमी महोत्सव पर अनुच्छेद – कक्षा 1, 2, और 3 के बच्चों के लिए 100 शब्दों में
- जन्माष्टमी महोत्सव पर अनुच्छेद – कक्षा 4 और 5 के बच्चों के लिए 150 शब्दों में
- जन्माष्टमी महोत्सव पर अनुच्छेद – कक्षा 6, 7, और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में
- जन्माष्टमी महोत्सव पर अनुच्छेद – कक्षा 9, 10, 11 और 12 के छात्रों के लिए 250 से 350 शब्दों में
जन्माष्टमी महोत्सव पर 10 लाइन हिन्दी में
- भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
- कृष्ण जी का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में आधी रात को मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था।
- कृष्ण जन्माष्टमी मथुरा, गोकुल और वृंदावन में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। जो कि विश्व प्रसिद्ध है।
- इस त्यौहार को कृष्ण जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी, कृष्ण जयंती या केवल जन्माष्टमी भी कहा जाता है।
- कृष्ण देवकी और वसुदेव आनकदुंदुभि के आठवे पुत्र थे।
- भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु जी का आठवां अवतार माना जाता है।
- हिंदू कृष्ण जन्माष्टमी को बड़े उत्साह और खुशी के साथ मनाते हैं।
- गोकुल में बाल गोपाल कृष्ण जी का पालन-पोषण यशोदा और नंद जी ने किया था।
- जन्माष्टमी पर महाराष्ट्र और अन्य कई जगहों पर ‘दही हांडी’ का आयोजन किया जाता है।
- जन्माष्टमी पर्व लोगों द्वारा उपवास रखकर, कृष्ण प्रेम के भक्ति गीत गाकर और रात्रि में जागरण करके मनाई जाती है।
Short Essay on Janmashtami in Hindi जन्माष्टमी पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में
जन्माष्टमी महोत्सव पर अनुच्छेद: जन्माष्टमी एक प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है जो भगवान विष्णु के दशावतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से बाईसवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म के आनन्दोत्सव के लिये मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के अष्टमी की रात्रि को मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी को जन्माष्टमी, कृष्ण जयंती और गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है। जन्माष्टमी का त्योहार दुनिया भर में बड़े उल्लास और आनंद के साथ मनाया जाता है। यह पवित्रता, स्वच्छता और विषमता का प्रतीक है।
जन्माष्टमी महोत्सव पर अनुच्छेद – कक्षा 1, 2, और 3 के बच्चों के लिए 100 शब्दों में
जन्माष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण की जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह एक वार्षिक हिंदू त्योहार है। जन्माष्टमी विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन में मनाया जाता है क्योंकि कृष्ण जी का जन्म मथुरा में हुआ था।
भगवान कृष्ण को मक्खन बहुत पसंद था और इसलिए लोग मक्खन से भरी हांडी फोड़ने जैसे खेल खेलकर जन्माष्टमी मनाते हैं। बच्चे कृष्ण के रूप में तैयार होते हैं और उत्सव में भाग लेते हैं।
आधी रात को बाल गोपाल कृष्ण जी की पूजा होती है और जिन लोगों ने पूरे दिन उपवास किया होता है, वे प्रसाद खाकर अपना उपवास तोड़ते हैं।
जन्माष्टमी महोत्सव पर अनुच्छेद – कक्षा 4 और 5 के बच्चों के लिए 150 शब्दों में
जन्माष्टमी हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। भगवान कृष्ण को समर्पित भक्तों के बीच मनाए जाने वाले सबसे प्रसिद्ध और पवित्र त्योहारों में से एक है। जन्माष्टमी कृष्ण की जयंती के रूप में मनाई जाती है ये त्योहारों कृष्ण पक्ष के आठवें दिन (अष्टमी) को भाद्रपद में मनाया जाता है ।
जन्माष्टमी के कई अन्य नाम हैं जैसे गोकुलाष्टमी, कृष्ण अष्टमी और श्रीकृष्ण जयंती इत्यादि और यह उत्सव बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर खेला जाने वाला एक प्रसिद्ध खेल दही हांडी है जो जन्माष्टमी के अगले दिन मनाई जाती है। और यह खेल मुख्य रूप से महाराष्ट्र में खेला जाता है। यह त्योहार लोगों द्वारा उपवास रखकर, भक्ति गीत गाकर और रात्रि में जागरण करके मनाई जाती है। मध्यरात्रि के जन्म के उपरान्त, शिशु कृष्ण की मूर्तियों को धोया और सुंदर पोशाक पहनाया जाता है, फिर एक पालने में रखा जाता है। फिर उनकी पूजा-अर्चना करके जन्माष्टमी मनाई जाती है।
जन्माष्टमी महोत्सव पर अनुच्छेद – कक्षा 6, 7, और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में
जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली अवतारों में से एक हैं। जन्माष्टमी दुनिया भर में भगवान कृष्ण के भक्तों और हिंदुओं के लिए एक खुशी का त्योहार है।
भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था। देवकी और वसुदेव जी उनके माता-पिता थे। कंस कृष्ण का मामा था। कंस ने अपनी बहन देवकी और वसुदेव को बंदी बनाकर कारागार में इसलिए रखा था ताकि वह कृष्ण को जन्म के तुरंत बाद मार सके लेकिन उनके पिता वसुदेव ने किसी तरह कृष्ण को कंस से बचाकर अपने मित्र नंद को सौंप दिया। इस तरह श्रीकृष्ण का बचपन का अधिकांश समय मथुरा, गोकुल और वृंदावन में बिता। इसलिए यहाँ की जन्माष्टमी बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है और कृष्ण के जीवन को दर्शाने वाली नाट्य प्रस्तुतियाँ भी आयोजित की जाती हैं जिसके द्वारा कृष्ण के बचपन और उनके चंचल और चमत्कारी स्वभाव को नाटक के जरिये दिखाया जाता है।
जन्माष्टमी भारत के विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न तरीकों से मनाया जाता है। इस उत्सव पर लोग पूरा दिन उपवास रखकर भजन कीर्तन करते है फिर सभी प्रकार के फल, दूध, मक्खन, मिश्री, दही, पंचामृत, पंजीरी, तुलसीदल तथा अन्य सात्विक सामग्री से भोग लगा कर मध्य रात्रि में कृष्ण जी की पूजा-अर्चना करते है।
जन्माष्टमी महोत्सव पर अनुच्छेद – कक्षा 9, 10, 11 और 12 के छात्रों के लिए 250 से 350 शब्दों में
जन्माष्टमी का त्योहार भारत भर में धूमधाम से मनाया जाता है। विशेष रूप से वृंदावन, मथुरा, और गोकुल में उत्सव आयोजित होते हैं क्योंकि कृष्ण जी का जन्म मथुरा में हुआ था, वे देवकी और वसुदेव आनकदुंदुभी के आठवे पुत्र थे लेकिन उनका पालन-पोषण यशोदा और नंद जी ने गोकुल में किया था। श्रीकृष्ण जी में जन्म से ही सिद्धियां उपस्थित थी। कृष्ण जी ने बाल्यावस्था में ही बड़े-बड़े कार्य किए जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए संभव नहीं था। अपने जन्म के कुछ समय बाद ही कंस द्वारा भेजी गई राक्षसी पूतना का वध किया, उसके बाद शकटासुर, तृणावर्त आदि राक्षस का वध किया। इसके बाद मथुरा में मामा कंस का भी वध किया। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने पृथ्वी पर मौजूद बुरी शक्तियों से लड़ने के लिए जन्म लिया था। फिर उन्होंने अर्जुन के सारथी बनकर महाभारत के युद्ध में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और रणक्षेत्र में ही उन्होंने अर्जुन को उपदेश भी दिया था। जिसका वर्णन श्रीमद्भागवत गीता में है।
कृष्ण बचपन में बहुत नटखट थे और उन्हे माखन बहुत पसंद था इसलिए वो दही और मक्खन जैसे दुग्ध उत्पादों को ढूँढ कर और चुराकर अपने साथियों में बाँट देते थे। इसी परंपरा को निभाने के लिए महाराष्ट्र और भारत के अन्य पश्चिमी राज्यों में “दही हांडी” का खेल आयोजन किया जाता है जहां दही की हाँडियों को ऊंचे डंडे से व किसी भवन के दूसरे/तीसरे स्तर से लटकी हुई रस्सियों से ऊपर लटका दिया जाता है। और ‘गोविंदा’ कहे जाने वाले युवाओं और लड़कों की टोलियाँ इन लटकते हुई हाँडियों के चारों ओर नृत्य और गायन करते हुए जाते हैं फिर समूह बनाकर एक दूसरे के ऊपर चढ़ते हैं और मटके को तोड़ते हैं। मटके से गिराई गई सामग्री को प्रसाद के रूप में माना जाता है।
हर साल बड़े हर्षोल्लास के साथ जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जाता है। सभी आयु वर्ग के लोग उत्सव में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। इस दिन कृष्ण भक्त उपवास रखकर भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिरों में भक्ति भजन और कीर्तन, पाठ का आयोजन होता है फिर मध्य रात्रि में, जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, भक्त आरती, पूजा और भजन के साथ विशेष पूजा करते हैं और विभिन्न सात्विक सामग्रियों से भगवान को भोग लगाते है। पूजा के बाद भक्त प्रसाद खाकर अपना उपवास तोड़ते हैं।