Essay on Children's day in Hindi

 

Hindi Essay and Paragraph Writing – Children Day (बाल दिवस ) for all classes from Class 1 to Class 12

 

बाल दिवस पर निबंध –  इस लेख में हम बाल दिवस क्यों मनाया जाता है, बाल दिवस को मनाने का मुख्य मकसद क्या है के बारे में जानेंगे|  | भारत में बाल दिवस 14 नवंबर को मनाया जाता है,जो कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जन्म तिथि है| बाल दिवस को मनाने का मुख्य मकसद लोगों के अंदर बाल अधिकारों और बच्चों के शिक्षा के प्रति जागरूकता लाना है। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में बाल दिवस पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में बाल दिवस पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 और 350 शब्दों में संक्षिप्त निबंध/अनुच्छेद दिए गए हैं।

 

बाल दिवस पर 10 लाइन  10 lines on Children Day in Hindi

 

  1. भारत में हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है।
  2. पंडित जवाहरलाल नेहरू के जयंती को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  3. 1964 में जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद से उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाना प्रारंभ किया गया था।
  4. नेहरू जी को बच्चों से बहुत लगाव था तथा बच्चे भी प्यार से उन्हें ‘चाचा नेहरू’ कहकर पुकारते थे। 
  5. चाचा नेहरू का कहना था कि बच्चे ही कल का भविष्य है इसलिए उन्हें शिक्षित करना जरूरी है।
  6. बाल दिवस के दिन बच्चों में मिठाइयां, शिक्षण सामग्री और अन्य उपहार बांटी जाती हैं।
  7. बाल दिवस बच्चों को समर्पित भारत का एक राष्ट्रीय त्योहार है।
  8. बाल दिवस सभी स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी संस्थाओं में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
  9. दुनिया भर में बाल दिवस अलग अलग तिथियों को मनाया जाता है।
  10. बाल दिवस नेहरू की जयंती के अलावा, बच्चों के शिक्षा और अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए भी मनाया जाता है।

 

 

Short Essay on Children Day in Hindi बाल दिवस पर अनुच्छेद कक्षा 1 to 12 के छात्रों के लिए 100, 150, 200, 250 से 300 शब्दों में

 

बाल दिवस पर निबंध – बाल दिवस बच्चों को समर्पित भारत का एक राष्ट्रीय त्योहार है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन, 14 नवंबर, को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। नेहरू जी को बच्चों से बड़ा लगाव था। बच्चे भी उन्हें चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे। 27 मई, 1964 को पं. जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु होने के बाद उनकी स्मृति में इनके जन्म दिवस यानी 14 नवंबर को भारत में बाल दिवस मनाए जाने की शुरुआत हुई।

 

बाल दिवस पर अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

भारत में हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। बाल दिवस भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू बच्चों से काफी प्यार करते थे, वह बच्चों को एक राष्ट्र की असली ताकत और समाज की नींव मानते थे। इसलिए उनके जन्मदिन 14 नवंबर को देश भर में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। बच्चे भी उन्हें प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहकर पुकारते थे। जवाहरलाल नेहरू जी भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। 1947 में देश आजाद होने पर वह देश के प्रथम प्रधानमंत्री बने।

 

 

बाल दिवस पर अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाल दिवस 14 नवंबर का दिन देश के बच्चों को समर्पित है। दरअसल पंडित जवाहरलाल नेहरू बच्चों से काफी, प्यार और स्नेह रखते थे। नेहरू जी का मानना था कि ‘आज के बच्चे कल का भारत बनाएंगे’। हम जिस तरह से उनका पालन पोषण करेंगे, वह वैसा ही देश के भविष्य को निर्धारित करेंगे। इसलिए हमें उनकी भलाई का ध्यान रखना चाहिए। बच्चे भी नेहरू जी को प्यार से चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे। यही वजह थी कि उनके जन्मदिन (14 नवंबर) को बाल दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया। बाल दिवस के दिन स्कूलों में कई तरह की प्रतियोगिताएं होती हैं – जैसे खेल-कूद, अन्त्याक्षरी, नृत्य संगीत, निबंध, भाषण, चित्रकला आदि । विजयी बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी बच्चों के अधिकार और  शिक्षा प्रणाली के समर्थक थे।

 

 

बाल दिवस पर अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन 14 नवंबर को हर साल देश में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले भारत में बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था। लेकिन जब 1964 में पंडित जवाहरलाल नेहरू का निधन हो गया, तो सरकार ने उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। इसलिए 1965 से, हर साल 14 नवंबर को नेहरू जी को याद करने और उनका सम्मान करने के लिए बाल दिवस मनाते हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को बच्चों से बेहद लगाव था। वे कहते थे कि बच्चे देश का भविष्य और समाज की नींव होते है। टूटे हुए आदमियों की मरम्मत करने की तुलना में मजबूत बच्चे बनाना आसान है। बच्चे गीली मिट्टी की तरह होते है, उन्हें जिस तरह ढाला जाए वो वैसे ही ढल जाते है। इसलिए हमें बच्चों के शिक्षा और अधिकारों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बच्चे भी प्यार से जवाहरलाल नेहरू जी को ‘चाचा नेहरू’ कहते थे। 

देश के सभी स्कूलों में बाल दिवस मनाया जाता है। जहां शिक्षक बच्चों के लिए कार्यक्रम का आयोजन करते है। इन कार्यक्रमों में बच्चों को जागरूक किया जाता है तथा उनके अच्छे काम के लिए पुरस्कार दिया जाता है और साथ ही चाचा नेहरू जी को याद किया जाता है।

बाल दिवस जब पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय मनाया जाता था तो नेहरू जी स्वयं बच्चों के विभिन्न कार्यक्रम में भाग लिया करते थे और उनके साथ विभिन्न प्रकार की शुभकामनाएं व्यक्त किया करते थे।

 

 

बाल दिवस पर अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

भारत में हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाल दिवस बच्चों को समर्पित भारत का एक राष्ट्रीय त्योहार है। जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की जयंती के उपलक्ष में मनाया जाता है। नेहरू जी स्वतंत्रता से पूर्व और स्वतंत्रता के बाद की भारतीय राजनीति में एक केंद्रीय व्यक्ति थे। महात्मा गांधी के संरक्षण में, वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और 1947 में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत की स्थापना से लेकर 1964 में अपनी मृत्यु तक उन्होंने भारत पर शासन किया था। 

जवाहरलाल नेहरू की जयंती के दिन बाल दिवस मनाने के पीछे का कारण नेहरू जी का बच्चों के प्रति लगाव था। स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बनने के बाद देश सेवा में समर्पित और व्यस्त रहते हुए भी अक्सर पंडित जवाहरलाल नेहरू बच्चों से मिलते रहते थे और उन्हें प्रोत्साहित करते थे। 

नेहरू जी का कहना था कि देश का भविष्य बच्चे ही है। बच्चों की अच्छी परवरिश माता पिता के साथ साथ स्कूल में शिक्षकों की जिम्मेदारी है। बच्चों को बचपन से ही अच्छी शिक्षा के साथ अच्छी सीख भी देनी चाहिए जब जाकर देश का भविष्य उज्जवल होगा। बच्चों को अच्छे नागरिक के रूप में तैयार करने के लिए उनके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और उनको प्रेम से सभी बातें समझानी चाहिए। उनके साथ बुरा बर्ताव या बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए बल्कि प्यार से उनको अच्छी सीख देनी चाहिए। 

भारत में 1964 से पहले बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था लेकिन 1964 में चाचा नेहरू जी का निधन होने पर सरकार द्वारा यह फैसला किया गया कि 20 नवंबर को नहीं बल्कि पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के जन्मदिन 14 नवंबर पर बाल दिवस मनाया जाना चाहिए। 1964 के बाद से भारत में नेहरू जी की जयंती 14 नवंबर पर ही बाल दिवस मनाया जाने लगा।

बाल दिवस हर साल बड़े हर्षोल्लास के साथ देश के सभी स्कूल और कॉलेजों में मनाया जाता है। बच्चों के लिए यह दिन बेहद ही खास होता है। इस दिन की शुरुआत बच्चे चाचा नेहरू को श्रद्धांजलि देकर और उन्हें याद करके करते हैं। बाल दिवस के दिन स्कूल में कई तरह की प्रतियोगिताएं भी रखी जाती हैं, जैसे- नृत्य प्रदर्शन, गीत, कविता पाठ, हिंदी तथा अंग्रेजी/हिन्दी में भाषण, निबंध व नाटक इत्यादि। इन प्रतियोगिताओं में बच्चे बड़े ही उत्साह के साथ बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करते है। शिक्षक भी बच्चों को उपहार देकर प्रोत्साहित करते है।
 

 

Hindi Essay and Paragraph Writing – Children’s Day  (बाल दिवस)

 

बाल दिवस पर निबंध –  इस लेख में हम बाल दिवस क्यों मनाया जाता है, बाल दिवस को मनाने का मुख्य मकसद क्या है के बारे में जानेंगे|  | भारत में बाल दिवस 14 नवंबर को मनाया जाता है,जो कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जन्म तिथि है| बाल दिवस को मनाने का मुख्य मकसद लोगों के अंदर बाल अधिकारों और बच्चों के शिक्षा के प्रति जागरूकता लाना है। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में बाल दिवस पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में बाल दिवस पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 350 और 1500 शब्दों में अनुच्छेद और निबंध दिए गए हैं।

 

Long Essay on Children’s Day in Hindi बाल दिवस पर निबंध (1500 शब्दों में)

 

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बच्चे देश के प्रतिभाशाली होते हैं।  उनके साथ बहुत प्यार और स्नेह के साथ अच्छा व्यवहार और सराहना की जानी चाहिए। बच्चों से जुड़ी इसी प्रकार की जरूरतों को पूरा करने के लिए हर साल 14 नवंबर को पूरे भारत में बाल दिवस मनाया जाता है।  बाल दिवस भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है 

नेहरू जी को बच्चों से बहुत लगाव था और हमेशा उन्हें अपने दिल के पास रखते थे।  उन्हें आमतौर पर बच्चे चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे। आज बाल दिवस पर निबंध में हम बाल दिवस का इतिहास, चाचा नेहरू का बच्चों के प्रति विचार तथा भारत और विश्व में बाल दिवस मनाने के तरीके के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। 

 

विषय सूची 

 

 
 

प्रस्तावना

भारत में बाल दिवस हर साल 14 नवंबर को भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर मनाया जाता है। पंडित नेहरू ने बच्चों के शैक्षिक अधिकारों की वकालत की और उन्हें प्यार से बच्चे “चाचा नेहरू” कहकर पुकारते थे।  पंडित नेहरू के निधन से पहले, भारत में बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था, जिस दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व बाल दिवस मनाया जाता है।। 1964 में नेहरू जी की मृत्यु के बाद उन्हें और बच्चों के बीच उनकी लोकप्रियता को सम्मानित करने के लिए उनके जन्मदिन, 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाने का एक प्रस्ताव पारित किया गया था। 

 

” बच्चे बगीचे में कलियों की तरह हैं और उनका सावधानीपूर्वक और प्यार से पालन-पोषण किया जाना चाहिए, क्योंकि वे देश का भविष्य और कल के नागरिक हैं।” – जवाहर लाल नेहरु 

 

आज के बच्चे कल का भारत बनाएंगे। जिस तरह से हम उनका पालन-पोषण करेंगे वही देश का भविष्य तय करेगा।” – जवाहर लाल नेहरु 
 

 
 

बाल दिवस का इतिहास

14 नवंबर को आधिकारिक तौर पर 1957 में बाल दिवस घोषित किया गया था, लेकिन बाल दिवस मनाने का इतिहास बहुत पहले से चला आ रहा है।

 

भारतीय बाल कल्याण परिषद 5 नवंबर को बच्चों के लिए पुष्प दिवस के रूप में मनाती थी।  पहली बार, यह 1948 में मनाया गया था। यह बच्चों के कल्याण के लिए धन एकत्र करने की एक पहल थी। फूलों के टोकन बेचकर धन एकत्र किया गया था, और एकत्र किए गए धन को संयुक्त राष्ट्र अपील फॉर चिल्ड्रन (यूएनएसी) को दान कर दिया गया था।

बाद में, बाल दिवस मनाने की तारीख 1949 में 30 जुलाई कर दी गई।

 

1951 में वी. एम. कुलकर्णी ने 14 नवंबर को बाल दिवस मनाने के विचार की वकालत की।  वह संयुक्त राष्ट्र के सोशल वेलफेयर फेलो थे और इंग्लैंड में किशोर अपराधियों के पुनर्वास पर शोध कर रहे थे।  उनके प्रस्ताव के पीछे इंग्लैंड में एक विशेष क्षण शामिल था: उन्होंने देखा कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के जन्मदिन को सेव द चाइल्ड फंड के नाम से बच्चों के कल्याण के लिए धन जुटाने के लिए झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता था। उन्होंने महसूस किया कि भारत में वंचित बच्चों की मदद के लिए आधिकारिक तौर पर कोई समर्पित व्यवस्था नहीं है।

 

फिर कुलकर्णी ने एक रिपोर्ट तैयार कर पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपी.  उन्होंने इंग्लैंड के झंडा दिवस से प्रेरित होकर गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से धन जुटाने के लिए पंडित नेहरू के जन्मदिन को बच्चों के लिए एक विशेष दिन के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा, जिसका उपयोग वंचित बच्चों के कल्याण के लिए किया जा सकता है। पहले तो पंडित नेहरू इस बात से शर्मिंदा हुए कि बाद में लोग यह सोच सकते हैं कि यह उनके नाम को महिमामंडित करने के लिए किया गया है, लेकिन कुछ समय बाद वह उनके प्रस्ताव पर सहमत हो गए।

 

1954 में इस दिन (14 नवंबर) को बाल दिवस के नाम से मनाया गया;  इससे पहले, यह सिर्फ बच्चों के लिए धन जुटाने का दिन था। 1954 में आज ही के दिन, लगभग 50,000 बच्चे दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में उत्सव के लिए एकत्र हुए थे।

 

1957 में, भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि 14 नवंबर को हर साल राष्ट्रीय बाल दिवस या बाल दिवस और राष्ट्रीय महत्व का दिन मनाया जाएगा। भारत सरकार के डाक और टेलीग्राफ विभाग ने बाल दिवस अवसर पर प्रथम दिवस कवर और तीन स्मारक टिकट जारी किए। 
 

 
 

चाचा नेहरू का बच्चो के प्रति विचार

पंडित नेहरू का बच्चों के प्रति प्रेम बहुत हार्दिक था और बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका अपरिहार्य योगदान था और उन्होंने भारत को एक प्रगतिशील और विकसित देश बनाने का सपना देखा था। वह बच्चों को देश के विकास के लिए मशाल वाहक और प्राथमिक संपत्ति मानते थे, यही कारण था कि वह बच्चों के बारे में चिंतित थे। उन्होंने राष्ट्रीय मंच पर बच्चों का प्रतिनिधित्व करने के लिए 1955 में चिल्ड्रेन्स फिल्म्स सोसाइटी इंडिया की स्थापना की।

 

एम.ओ. में  मथाई की लिखी किताब ‘माई डेज़ विद नेहरू’ में दावा किया गया है कि नेहरू जी बच्चों के मासूम चेहरों की चमकती आँखों में भारत का भविष्य देखते हैं। वह एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना चाहते थे जहां बच्चे उचित शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा के साथ खुद को विकसित कर सकें।

 

1958 में एक साक्षात्कारकर्ता को जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “आज के बच्चे कल का भारत बनाएंगे, और जिस तरह से हम उनका पालन-पोषण करेंगे वह देश का भविष्य तय करेगा”।  इससे पता चलता है कि वह बच्चों के सर्वांगीण विकास को लेकर कितने चिंतित थे।
 

 
 

भारत में बाल दिवस मनाने का तरीका

बाल दिवस सभी स्कूलों, कॉलेजों, गैर सरकारी संगठनों, बच्चों के आश्रय घरों और यहां तक कि किशोर जेलों में भी मनाया जाता है। स्कूलों में इस दिन सभी बच्चे और शिक्षक अपने नियमित काम से मुक्त होकर उत्सव में भाग लेते हैं।  विभिन्न नाटक, नृत्य, गायन, खेल, भाषण और फैंसी ड्रेस प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। कई बच्चे पंडित नेहरू की वेशभूषा में स्कूल आते हैं। कई बच्चे प्रसिद्ध नेहरू जैकेट और ऊपरी सामने की जेब में लाल गुलाब के साथ भारतीय पारंपरिक पोशाक में स्कूल आते हैं, जो चाचा नेहरू की विशिष्ट ड्रेसिंग शैली थी। स्कूलों में बच्चों के मनोरंजन के लिए शिक्षक भी तरह-तरह के कार्यक्रम करते हैं।  फिर, बच्चों के बीच मिठाइयाँ और उपहार बाँटे जाते हैं।

 

कई गैर सरकारी संगठन वंचित और गरीब बच्चों के लिए दावतों का आयोजन करते हैं। वे बच्चों के लिए जनता से धन भी इकट्ठा करते हैं। लोग इन बच्चों को भोजन, उपहार और अध्ययन सामग्री भी वितरित करते हैं। 
 

 
 

वैश्विक स्तर पर बाल दिवस 

विश्व भर में हर साल 20 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। इस तिथि को बचपन का जश्न मनाने के दिन के रूप में चुना गया था। 1959 से पहले बाल दिवस सार्वभौमिक रूप से अक्टूबर के महीने में मनाया जाता था।  संयुक्त राष्ट्र महासभा के निर्णय के अनुसार इसे पहली बार वर्ष 1954 में मनाया गया था। 

 

मूल रूप से इस दिन की स्थापना बच्चों के बीच सांप्रदायिक आदान-प्रदान और समझ को बढ़ावा देने के साथ-साथ दुनिया भर में बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए लाभकारी कार्रवाई करने के एकमात्र उद्देश्य से की गई थी।

 

20 नवंबर की तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि यह 1959 में उस दिन की सालगिरह का प्रतीक है, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा बाल अधिकारों की घोषणा को अपनाया गया था। 1989 में उसी तारीख को बाल अधिकारों पर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसे तब से 191 राज्यों द्वारा अनुमोदित किया गया है।

 

हालाँकि, जबकि 20 नवंबर को सार्वभौमिक रूप से बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है, भारत में इस दिन को 14 नवंबर कर दिया गया है, यह दिन स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती का प्रतीक है।

 

दुनिया में पहली बार बाल दिवस जून के दूसरे रविवार को 1857 में चेल्सी में यूनिवर्सलिस्ट चर्च ऑफ द रिडीमर के पादरी डॉ. चार्ल्स लियोनार्ड द्वारा मनाया गया था। उस समय इसका नाम रोज़ डे रखा गया, फिर इसका नाम बदलकर फ्लावर संडे कर दिया गया और कुछ सालों बाद इसे चिल्ड्रेन्स डे कहा जाने लगा।

 

तुर्की पहला देश था जिसने 1920 में 23 अप्रैल को आधिकारिक तौर पर बाल दिवस को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया था।

 

1959 तक, बाल दिवस केवल राष्ट्रीय स्तर पर देशों द्वारा मनाया जाता था, और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के लिए कोई आधिकारिक दिवस घोषित नहीं किया गया था।  20 नवंबर 1959 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों की घोषणा को अपनाया। इसने आधिकारिक तौर पर 20 नवंबर के दिन को विश्व बाल दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की।
 

 
 

उपसंहार

बाल दिवस केवल बच्चों के लिए एक दिन के रूप में नहीं मनाया जाता है। यह दुनिया में हर किसी को यह याद दिलाने का दिन है कि किसी भी परिवार, राज्य या राष्ट्र का भविष्य इस बात पर आधारित होता है कि बच्चों को उनके विकास के वर्षों में किस प्रकार का वातावरण मिलता है।  बच्चे किसी भी देश के भविष्य का दर्पण होते हैं। किसी भी देश के विकास के लिए उस देश के बच्चों को उचित शिक्षा, पौष्टिक भोजन और स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी जरूरी हैं।

 

जवाहर लाल नेहरू बच्चों को देश की प्रगति का एक मुख्य पहलू समझते थे इसलिए उन्होंने अपनी जिंदगी में बच्चों को एक खास जगह दी, उनकी याद में ही हर साल वैश्विक स्तर पर 14 नवंबर को बाल दिवस का आयोजन किया जाता है।