Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi

 

 

Hindi Essay and Paragraph Writing – Ganesh Chaturthi (गणेश चतुर्थी  ) for all classes from Class 1 to Class 12

 

गणेश चतुर्थी पर निबंध –  इस लेख में हम गणेश चतुर्थी का क्या महत्व है, गणेश चतुर्थी की शुरुआत क्यों हुई, गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती है के बारे में जानेंगे|  |  गणेश चतुर्थी हिन्दुओ के प्रसिद्ध त्योहारों में  से एक है, जो भगवान गणेश को समर्पित है। इस पर्व को विनायक चतुर्थी या गणेशोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस त्योहार की विशेषता यह है कि इस दिन लोग अपने घरों और ऑफिस में गणेश जी की मूर्तियों की स्थापना करते हैं।अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में गणेश चतुर्थी  पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में गणेश चतुर्थी  पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 और 350 शब्दों में संक्षिप्त निबंध/अनुच्छेद दिए गए हैं।

 

 
 

गणेश चतुर्थी पर 10 लाइन  10 lines on Ganesh chaturthi in Hindi

 

  1. गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक वार्षिक त्योहार है। 
  2. गणेश चतुर्थी भगवान गणेश जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
  3. गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी व गणेश उत्सव भी कहा जाता है।
  4. गणेश उत्सव भाद्रपद के महीने में शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि को शुरू होता है और 11वें दिन अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है। 
  5. भगवान गणेश को सौभाग्य, समृद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है।
  6. गणेश जी माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं।
  7. गणेश चतुर्थी पर लोग पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ भगवान गणेश की प्रतिमा को अपने घर स्थापित करते है।
  8. इस अवसर पर भगवान गणेश को उनकी प्रिय मिठाई मोदक व लड्डू का भोग लगाया जाता है।
  9. गणेश उत्सव महाराष्ट्र का एक मुख्य त्योहार है। लेकिन भारत के दूसरे राज्यों में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
  10. महाराष्ट्र में भगवान गणेश की मूर्ति विसर्जन में भारी संख्या में लोग शामिल होते हैं।

Short Essay on Ganesh chaturthi in Hindi गणेश चतुर्थी  पर अनुच्छेद कक्षा 1 to 12 के छात्रों के लिए 100, 150, 200, 250 से 300 शब्दों में

 

गणेश चतुर्थी पर निबंध – गणेश चतुर्थी  हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक त्योहार है। जो भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गणेश जी की प्रतिमा को देश के हर घर गली मोहल्ले व राज्य में पंडाल बनाकर स्थापित किया जाता है। गणेश चतुर्थी पर भक्त व्रत रखते है और जीवन में सफलता, खुशहाली व सुख-शांति की कामना करते हैं।

गणेश चतुर्थी पर अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

 

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये उत्सव पुरे भारत में मनाया जाता है। लेकिन खासतौर से महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस उत्सव को माता पार्वती और भगवान शिव के प्यारे पुत्र गणेश जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। ये उत्सव गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना के बाद से शुरू होता है और लगातार दस दिनों तक चलता है। इस पूजा के दौरान भक्त गणेश जी को उनकी प्रिय मिठाई मोदक और लड्डू से भोग लगाते है और पूरी विधि-विधान से पूजा पाठ करते है। और 11वें दिन गणेश जी के मूर्ति को पानी में विसर्जित कर देते है।

गणेश चतुर्थी पर अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

 

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। ये त्यौहार भाद्रपद मास की चतुर्थी के दिन शुरू होता है। इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। तब से हिन्दू धर्म के लोग गणेश के जन्मदिन को हर साल गणेश चतुर्थी पर्व के रूप में मनाते है। भगवान गणेश सभी को प्रिय है खासतौर से बच्चों को। ये ज्ञान और समृद्धि के देवता है और बच्चों में ये दोस्त गणेशा के नाम से प्रसिद्ध है।

यह त्योहार देश के विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है। लेकिन महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला यह सबसे बड़ा त्यौहार है।

गणेश चतुर्थी के दिन लोग गणेश जी की मूर्ति को ढोल-बाजों के साथ घर लेकर आते है। ऐसा कहा जाता है कि बप्पा जब घर आते है तो सुख-समृद्धि साथ लेकर आते है। इसलिए लोग गणेश जी की पूजा पूरी श्रद्धा भक्ति से करते है साथ ही बप्पा को मोदक, लड्डू, दूर्वा, फल, फूल आदि चढाते है, आरती करते है। और बप्पा से सुख-समृद्धि की कामना करते है। ये उत्सव करीब 10 दिनों तक चलता है और 11वें दिन गणेश जी की मूर्ति को पानी में विसर्जित किया जाता है।

गणेश चतुर्थी पर अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

 

गणेश चतुर्थी भारत के सभी बड़े त्योहारों में से एक है जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (अगस्त या सितंबर) को मनाया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी व गणेश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार गणेश प्रथम पूज्य देवता हैं और किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा करने की परंपरा है। भगवान गणेश को समृद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है।

गणेश चतुर्थी को महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन इस उत्सव का सबसे अधिक महत्व मुंबई में है। बप्पा के आगमन से लेकर उनके विसर्जन तक मुंबई के कोने-कोने में ‘गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया’ गूंजता है। हर मोहल्ले में ढोल-ताशा की ध्वनि गूंजती है। यहां की गणेश चतुर्थी का त्योहार विश्व विख्यात है। गणेश चतुर्थी का उत्सव देखने के लिए खासतौर पर लोग मुंबई आते हैं। सिद्धि विनायक मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। शहर के कुछ प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस प्रतिमा को नौ दिनों तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में आस पास के लोग दर्शन करने पहुंचते है। नौ दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन ढोल और बाजों के साथ गणेश प्रतिमा को किसी नदी, तालाब, इत्यादि जल में विसर्जित कर दिया जाता है।

गणेश चतुर्थी पर अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

 

गणेश उत्सव महाराष्ट्र का एक मुख्य त्योहार है। लेकिन यह भारत के अन्य राज्यों में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान गणेश का जन्म ​भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसलिए यह उत्सव चतुर्थी तिथि से आरंभ होता है। इसी दिन रिद्धि-सिद्धि के दाता गणपति बप्पा को घर लाया जाता है और 10 दिनों तक विधि विधान से उनकी पूजा करने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन उनका विसर्जन कर दिया जाता है।

भगवान गणेश को सौभाग्य, समृद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है। ऐसे में गणेश पूजन से घर में सुख समृद्धि का वास होता है। मान्यता ये भी है कि गणेश उत्सव के 10 दिनों तक भगवान गणेश पृथ्वी पर ही रहते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं। ऐसे में भक्त भी बप्पा को प्रसन्न करने के लिए हर जतन करते हैं। 

महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी की एक अलग ही धूम होती है। खासकर मुंबई में तो यह नजारा देखने लायक होता है। यहां पर गणेश उत्सव के दौरान संपूर्ण देश के लोग ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां गणेश उत्सव देखने आते है। हर जगह अलग-अलग थीम के भव्य पंडाल तैयार करके बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है। फिर गणेश भगवान की प्रतिमा की स्थापना की जाती है। पंडालों में भगवान गणेश की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती हैं, मोदक व लड्डू का भोग लगाया जाता है, नियमित आरती की जाती है। बड़ी संख्या में लोग भगवान गणेश के दर्शन के लिए आते हैं और आर्शीवाद प्राप्त करते है । गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि दर्शन करने वालों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। गणेश जी की बैठक तक पंडालों और आस पास के गली मोहल्ले में रौनक बनी रहती है।

अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन की तैयारी की जाती है। भगवान की मूर्तियों की विधि विधान के साथ पूजा पाठ किया जाता है और फूलों से सजे रथों में बिठाकर गानों-बाजों के साथ धूमधाम से शोभायात्रा निकाली जाती है। इस दौरान पूरे शहर में भक्तों की भीड़ सड़कों पर उमड़ आती है। लोग ‘गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया’ के जयकारा लगाते है। आखिर में गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आना कह कर गणेश जी को जल में विसर्जन किया जाता है। 

 

Hindi Essay and Paragraph Writing – Ganesh Chaturthi (गणेश चतुर्थी)

 

गणेश चतुर्थी पर निबंध –   इस लेख में हम गणेश चतुर्थी का क्या महत्व है, गणेश चतुर्थी की शुरुआत क्यों हुई, गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती है के बारे में जानेंगे| गणेश चतुर्थी हिन्दुओ के प्रसिद्ध त्योहारों में  से एक है,

जो भगवान गणेश को समर्पित है। इस पर्व को विनायक चतुर्थी या गणेशोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस त्योहार की विशेषता यह है कि इस दिन लोग अपने घरों और ऑफिस में गणेश जी की मूर्तियों की स्थापना करते हैं। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में गणेश चतुर्थी  पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में गणेश चतुर्थी  पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250, 350, और 1500 शब्दों में अनुच्छेद और निबंध दिए गए हैं।

 

Long Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi गणेश चतुर्थी  पर निबंध (1500 शब्दों में)

 

गणेश चतुर्थी भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है।  भारत विशेषकर महाराष्ट्र के लोग इस त्योहार का पूरे साल बेसब्री से इंतजार करते हैं। वैसे तो यह पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र राज्य में इसे सबसे ज्यादा उत्साह के साथ मनाया जाता है, इसलिए आज हम गणेश चतुर्थी पर निबंध में गणेश चतुर्थी का परिचय, इतिहास, गणेश चतुर्थी की में क्या क्या तैयारी होती है, भारत और विदेशों में गणेश चतुर्थी मनाने का तरीका तथा गणेश चतुर्थी के दौरान भगवान को क्या क्या भोजन अर्प किया जाता है के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। 

 

विषय सूची 

परिचय

  • भारत में गणेश चतुर्थी मनाने का इतिहास
  • गणेश चतुर्थी उत्सव की तैयारी
  • विसर्जन
  • गणेश चतुर्थी मनाने का भारतीय तरीका
  • भारत के बाहर गणेश चतुर्थी उत्सव मनाने का तरीका
  • गणेश चतुर्थी में भगवान के लिए भोजन
  • उपसंहार
  •  
     

    परिचय

    गणेश चतुर्थी भगवान श्री गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भारत में विशेषकर हिंदू धर्म में विभिन्न देवताओं के जन्मदिन को विशेष आयोजनों के साथ मनाया जाता है। गणेश भगवान शिव और मां पार्वती जी के प्रथम पुत्र थे। ये देवताओं में सबसे चंचल माने जाते हैं। श्री गणेश एक छोटे से चूहे पर सवारी करते हैं। ये देवताओं में सबसे पहले पूजे जाते हैं और इनको ये आशीर्वाद भोलेनाथ जी से मिला हुआ है। इनकी पत्नी रिद्धि सिद्धि हैं तथा इनके पुत्रों का नाम शुभ और लाभ है। 
     

     
     

    भारत में गणेश चतुर्थी मनाने का इतिहास

    भारतीय स्वतंत्रता योद्धा लोकमान्य तिलक ने गणेश चतुर्थी औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार के 1892 के जन-विरोधी विधानसभा नियम के खिलाफ विरोध जताने के एक तरीके के रूप में मनाया, जिसने हिंदू सभाओं को रोका था। गणेश चतुवेर्दी इसका दूसरा नाम है।

     

    राजा शिवाजी (1630-1680, मराठा साम्राज्य के संस्थापक) के शासनकाल के बाद से गणेश चतुर्थी पुणे में खुले तौर पर मनाई जाती रही है, लेकिन यह अज्ञात है कि यह प्रथा वास्तव में कब शुरू हुई। पेशवा, जो गणेश भक्त थे, ने 18वीं शताब्दी में भाद्रपद के महीने के दौरान अपनी राजधानी पुणे में एक सार्वजनिक गणेश उत्सव शुरू किया।  भारतीय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक से पहले, महाराष्ट्र में गणेश उत्सव को ब्रिटिश राज के कारण राज्य का समर्थन नहीं मिला था और इसे एक निजी पारिवारिक समारोह के रूप में मनाया जाता था।

     

    कौर सहित अन्य लोगों के अनुसार, यह उत्सव बाद में भी सार्वजनिक हो गया, 1892 में, जब भाऊसाहेब लक्ष्मण जावले ने पुणे में पहली सार्वजनिक (सार्वजनिक) गणेश मूर्ति स्थापित की। इस सार्वजनिक उत्सव की प्रशंसा भारतीय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक ने 1893 में अपने प्रकाशन केसरी में की थी। 

    तब तिलक ने वार्षिक उत्सव को एक बड़ा, अच्छी उपस्थिति वाला सार्वजनिक कार्यक्रम बनाने का संकल्प लिया। रॉबर्ट ब्राउन का दावा है कि तिलक ने गणेश को भगवान के रूप में अपनी पसंद बनाया जो “ब्राह्मणों और गैर-ब्राह्मणों के बीच की खाई को पार करेगा” और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का विरोध करने के लिए जमीनी स्तर के एकीकरण को प्रोत्साहित करेगा। लोकमान्य तिलक ने गणेश भगवान को “सभी के भगवान” के रूप में मान्यता दी। 

     

    अन्य शोधकर्ताओं का दावा है कि ब्रिटिश साम्राज्य ने 1870 के बाद कई अध्यादेश स्थापित किए, जो भारतीय मुस्लिम अल्पसंख्यकों के दबाव के परिणामस्वरूप होने वाली देशद्रोही सभाओं की चिंता के कारण सामाजिक और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए ब्रिटिश भारत में 20 से अधिक व्यक्तियों की सार्वजनिक सभाओं पर रोक लगाते थे।

     

    हालाँकि, शुक्रवार की मस्जिद की नमाज़ को इन अध्यादेशों से छूट दी गई थी। चूँकि तिलक का मानना था कि यदि हिंदुओं को दैनिक प्रार्थनाओं या साप्ताहिक सभाओं की आवश्यकता नहीं है, तो उन्हें सार्वजनिक समारोहों का आयोजन करने से वस्तुतः प्रतिबंधित किया जाता है, उन्होंने बड़े सार्वजनिक समारोहों पर ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रतिबंध से छुटकारा पाने के लिए गणेश चतुर्थी मनाने के लिए इस धार्मिक छूट का उपयोग किया। बॉम्बे प्रेसीडेंसी के मंडपों में और पूरे उत्सव के दौरान अन्य उत्सवों पर, वह गणेश की बड़ी सार्वजनिक छवियां स्थापित करने वाले पहले व्यक्ति थे।

     

    1893 में, तिलक ने गणेश चतुर्थी उत्सव को एक महत्वपूर्ण पड़ोस सभा के साथ-साथ राजनीतिक आंदोलन, अकादमिक बहस, कविता पाठ, नाटक, संगीत कार्यक्रम और लोक नृत्य के लिए एक गुप्त मंच में बदलने में सहायता की।

     

    गोवा में, गणेश चतुर्थी कदंब युग से पहले मनाई जाती थी।  गोवा इंक्विज़िशन ने हिंदू त्योहारों पर रोक लगा दी, और जो व्यक्ति ईसाई धर्म स्वीकार नहीं करते थे उन्हें कड़ी सजा दी गई।  हालाँकि, प्रतिबंधों ने हिंदू गांवों को अपने धर्म का पालन करने से नहीं रोका। कई परिवार गणेश की पूजा पात्री के रूप में करते हैं, जो कागज का कटआउट होता है, या छोटी चांदी की मूर्तियों के रूप में। गोवा में गणेश चतुर्थी काफी असाधारण ढंग से मनाई जाती है। गोवा में कुछ घरों में गणेश मूर्तियों को छुपाया जाता है क्योंकि जेसुइट्स ने न्यायिक जांचों के दौरान मिट्टी की गणेश मूर्तियों को मना किया था। 
     

     
     

    गणेश चतुर्थी त्योहार की तैयारी

    उत्सवों के महीनों पहले से ही सार्वजनिक तैयारियां शुरू हो जाती हैं।  स्थानीय कंपनियाँ या सामुदायिक संगठन अक्सर स्थानीय जनता के दान से स्थानीय मंडपों या पंडालों को प्रायोजित या वित्तपोषित करते हैं। 

     

    महाराष्ट्र में, “पद्य पूजा”, या भगवान गणेश के चरणों की पूजा, आमतौर पर मूर्ति के निर्माण से पहले की जाती है। आयोजन से एक दिन पहले मूर्तियों को “पंडालों” में लाया जाता है। पंडालों को भव्य रूप से सजाया और प्रकाशमान किया जाता है। घर पर उत्सव की तैयारियों में एक महीने पहले से कार्यक्रम बनाना और कार्यक्रम से कुछ दिन पहले पूजा की आपूर्ति या सामान खरीदना शामिल है। मूर्ति को गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले या उसी दिन घर पर लाया  जाता है। मूर्ति रखने से पहले परिवार घर के एक छोटे से हिस्से को फूलों और अन्य रंगीन सजावट से सजाते हैं।

     

    आमतौर पर, चतुर्थी तिथि की उपस्थिति त्योहार की तारीख निर्धारित करती है। यदि चतुर्थी तिथि एक दिन पहले रात में शुरू होती है और अगले दिन सुबह तक समाप्त होती है तो अगले दिन को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।  अभिषेक अनुष्ठान के दौरान, एक पुजारी प्राण प्रतिष्ठा करके गणेश को अतिथि के रूप में आमंत्रित करता है।  16-चरणीय षोडशोपचार समारोह का अंतिम भाग मूर्ति को नारियल, गुड़, मोदक, दूर्वा घास और लाल हिबिस्कस फूल चढ़ाना है।  स्थान और समय क्षेत्र के आधार पर ऋग्वेद, गणपति अथर्वशीर्ष और नारद पुराण के गणेश स्तोत्र के भजनों का पाठ भी किया जाता है।

     

     
     

    विसर्जन

    गणेश विसर्जन की प्रथा, जिसे गणेश निमज्जनम भी कहा जाता है, उत्सव के अंतिम दिन मनाई जाती है।  इस दिन, भगवान गणपति की मूर्ति को नदी, समुद्र या अन्य जलाशय में विसर्जित किया जाता है।  अनुयायी गणेश प्रतिमा को जलाशय तक ले जाते हुए सड़कों पर परेड करते हैं।

     

    गणेश विसर्जन का इतिहास दिलचस्प है। कहा जाता है कि त्योहार के अंतिम दिन, भगवान गणेश कैलाश पर्वत पर अपने माता-पिता, भगवान शिव और देवी पार्वती के साथ मेल-मिलाप करते हैं।  गणेश चतुर्थी जन्म, जीवन और मृत्यु के चक्र के महत्व के रूपक के रूप में भी कार्य करती है।  गणेश को नई शुरुआत के भगवान और बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में पूजा जाता है।  प्रचलित मान्यता के अनुसार, जब गणेश प्रतिमा को विसर्जन के लिए बाहर ले जाया जाता है, तो यह घर में आने वाली कई बाधाओं को भी दूर कर देती है।

     

     
     

    गणेश चतुर्थी मनाने का भारतीय तरीका

    भारत में, मध्य और पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और गोवा, साथ ही दक्षिणी राज्य, पश्चिम बंगाल के पूर्वी राज्य और असम के उत्तर-पूर्वी प्रांत, बड़े पैमाने पर घर पर गणेश चतुर्थी मनाते हैं। सार्वजनिक रूप से गणेश चतुर्थी को महाराष्ट्र में गणेशोत्सव के नाम से जाना जाता है।

     

    आयोजन के दौरान, परिवार आराधना के लिए छोटी मिट्टी की मूर्तियाँ बनाते हैं।  हर सुबह और शाम, लोग मूर्ति को फूल, दूर्वा, करंजी और मोदक का भोग चढ़ाते हैं।  गणेश और अन्य देवताओं के सम्मान में आरती गाई जाती है।

     

    गणेश चतुर्थी, जिसे कोंकणी में परब या पर्व भी कहा जाता है, भाद्रपद के चंद्र माह के तीसरे दिन से शुरू होती है।  महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और पार्वती और शिव की पूजा करती हैं। अनुष्ठानों के दौरान विभिन्न प्रकार के वाद्ययंत्र बजाए जाते हैं, जैसे घुमोट, क्रैश झांझ और पखावज।  अगले दिन फसल उत्सव, नव्याची पंचम का उत्सव मनाया जाता है, जिसके दौरान नए काटे गए धान को खेतों से घर ले जाया जाता है और पूजा की जाती है।

     

    कर्नाटक के आसपास के लोग अपने प्रियजनों को गौरी उत्सव पर शुभकामनाएं भेजते हैं, जो गणेश चतुर्थी से पहले आता है।  आमतौर पर आंध्र प्रदेश में, गणेश भगवान की प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों की पूजा मिट्टी और हल्दी की मूर्तियों के साथ घर पर की जाती है।

     

     
     

    भारत के बाहर गणेश चतुर्थी उत्सव मनाने का तरीका

    पाकिस्तान में, कराची में महाराष्ट्रियों का एक समूह, श्री महाराष्ट्र पंचायत, गणेश चतुर्थी कार्यक्रम आयोजित करता है। वहां रहने वाला ब्रिटिश हिंदू समुदाय भी गणेश चतुर्थी मनाता है। 

     

    2005 में, विश्व हिंदू मंदिर ने लंदन में उद्घाटन गणेश चतुर्थी उत्सव की मेजबानी की। साउथहॉल स्थित संगठन हिंदू कल्चर एंड हेरिटेज सोसाइटी ने तब मूर्ति को पुटनी पियर के पास टेम्स में विसर्जित कर दिया था। साउथेंड-ऑन-सी में, एक गुजराती समूह ने एक अलग कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें लगभग 18,000 उत्साही अनुयायी शामिल हुए।

     

    हर साल लिवरपूल में मर्सी नदी पर कार्यक्रम होते हैं।  फिलाडेल्फिया गणेश महोत्सव, जो कनाडा, मॉरीशस, मलेशिया और सिंगापुर में मनाया जाता है, उत्तरी अमेरिका में सबसे प्रसिद्ध गणेश चतुर्थी कार्यक्रमों में से एक है।  महत्वपूर्ण तमिल भाषी हिंदू अल्पसंख्यक होने के कारण, इस आयोजन को मलेशिया और सिंगापुर में विनयगर चतुर्थी के रूप में जाना जाता है।

     

     
     

    गणेश चतुर्थी में भगवान के लिए भोजन

    कार्यक्रम के दौरान पेश किया जाने वाला प्राथमिक मीठा भोजन मोदक है, जिसे कन्नड़ में मोदक या कडुबु, तेलुगु में मोदकम या कुदुमु और मराठी और कोंकणी में मोदक ही कहा जाता है। मोदक एक चावल या गेहूं आधारित पकौड़ी है जिसे कसा हुआ नारियल, सूखे मेवे और अन्य सामग्री से भरने के बाद भाप में पकाया या तला जाता है।  करंजी, जो स्वाद और संरचना में मोदक जैसा दिखता है लेकिन अर्धवृत्ताकार आकार का होता है, एक और प्रसिद्ध मीठा व्यंजन है।  गोवावासी और कोंकणी प्रवासी इस मीठे भोजन को नेवरी कहते हैं और इसे गणेश अवकाश के साथ जोड़ते हैं। गोवा के लिए खास मोदक और इडली भी काफी पसंद किए जाने वाले व्यंजन हैं।

     

    आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में, गणेश को मोदक, लड्डू, वुंद्रलु, पनाकम, वडप्पप्पु और चालिविडी का प्रसाद मिलता है। मोदक के एक व्यंजन में अक्सर मिठाई के 21 टुकड़े होते हैं, और इन प्रसादों को नैवेद्य कहा जाता है।  

     

    पंचकज्जाय कर्नाटक के कई हिस्सों में इस उत्सव में भगवान गणेश को दिया जाने वाला एक प्रसाद है। सामग्री में चीनी, घी, तिल, सूखा नारियल और भुना हुआ चना पाउडर शामिल हैं। पंचकज्जाय का निर्माण विभिन्न रूपों में होता है।  इसे बनाने में हरे चने, भुने हुए चने की दाल, भुने हुए चने या भुने हुए अवल का उपयोग किया जा सकता है.

     

     
     

    उपसंहार

    गणेश चतुर्थी भारत में एक अत्यधिक धार्मिक और लोकप्रिय त्योहार है।  इसे बड़ी श्रद्धा, खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।  लोग गणेश की मूर्ति को दस दिनों के लिए अपने घरों में रखते हैं और त्योहार के अंत में इसे एक जलाशय में विसर्जित कर देते हैं।  ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश उन भक्तों के जीवन से सभी बाधाओं और समस्याओं को दूर कर देते हैं जो इस त्योहार के दौरान अपने घरों में उनकी मूर्ति स्थापित करते हैं।