NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Bhag 3 सुदामा चरित Important Question Answers Lesson 12

 

Class 8 Hindi JSudama Charit Question Answers- Looking for Sudama Charit question answers for CBSE Class 8 Hindi Vasant Bhag 3 Book Chapter 12? Look no further! Our comprehensive compilation of important questions will help you brush up on your subject knowledge.

सीबीएसई कक्षा 8 हिंदी वसंत भाग 3 पुस्तक पाठ 12 के लिए सुदामा चरित प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 8 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे सुदामा चरित प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract based questions, multiple choice questions, short answer questions, and long answer questions

Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams. 

 

Class 8 Hindi सुदामा चरित Question Answers Lesson 12 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

सारआधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

 

1)
सीस पगा न झगा तन में, प्रभु! जाने को आहि बसै केहि ग्रामा।
धोती फटी-सी लटी दुपटी, अरु पाँय उपानह को नहिं सामा।
द्वार खड़ो द्विज दुर्बल एक, रह्मो चकिसो वसुधा अभिरामा।
पूछत दीनदयाल को धाम, बतावत आपनो नाम सुदामा।

प्रश्न 1. सुदामा किसके महल के सामने खड़े थे?
(क) श्री कृष्ण के
(ख) राधा के
(ग) सेनापति के
(घ) इनमें से कोई नहीं
उतर:- (क) श्री कृष्ण के

प्रश्न 2. सुदामा कौन थे?
(क) बलराम के बचपन के मित्र
(ख) राधा के बचपन के मित्र
(ग) श्री कृष्ण के बचपन के मित्र
(घ) इनमें से कोई नहीं
उतर:- (ग) श्री कृष्ण के बचपन के मित्र

प्रश्न 3. ‘द्विज दुर्बल’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) दुबला-पतला ब्राह्मण
(ख) दुर्बल ब्राह्मण
(ग) दो ब्राह्मण
(घ) उपर्युक्त सभी
उतर:- (ख) दुर्बल ब्राह्मण

प्रश्न 4. सुदामा श्री कृष्ण के पास किस अवस्था में गये थे?
(क) अच्छी अवस्था में
(ख) दयनीय अवस्था में
(ग) बेहाल अवस्था में
(घ) बीमार अवस्था में
उतर:- (ख) दयनीय अवस्था में

2)
ऐसे बेहाल बिवाइन सों, पग कंटक जाल लगे पुनि जोए।
हाय! महादुख पायो सखा, तुम आए इतै न कितै दनि खोए।
देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिकै करुनानिधि रोए।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।

प्रश्न 1. सुदामा के पैरों की दशा कैसी थी?
उतर:- सुदामा के पैरों में जगह-जगह ऐड़ियाँ फटी हुई थीं और पैरों में काँटे चुभे हुए थे।

प्रश्न 2. ‘बिवाइन सों’ शब्द का क्या अर्थ है?
उतर:- फटी ऐड़ियाँ

प्रश्न 3. सुदामा की दशा देखकर श्री कृष्ण की क्या प्रतिक्रिया थी?
उतर:- सुदामा की दशा देखकर श्री कृष्ण रो पड़े।

प्रश्न 4. सुदामा के पैर किसने आँसूओं से ही धो डाले?
उतर:- श्री कृष्ण ने

3)
वैसोई राज समाज बने, गज, बाजि घने मन संभ्रम छायो।
कैधों परयो कहुँ मारग भूलि, कि फैरि कै मैं अब द्वारका आयो।।
भौन बिलोकिबे को मन लोचत, सोचत ही सब गाँव मँझायो।
पूँछत पाँडे फिरे सब सों, पर झोपरी को कहुँ खोज न पायो।।

प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांश के कवि का नाम बताएं।
उत्तर :- नरोत्तमदास

प्रश्न 2. सुदामा भ्रम में क्यों पड़ गए?
उत्तर :- सुदामा ने अपने गाँव में जाकर देखा कि वहाँ द्वारका जैसा ही ठाठ-बाट है, वैसा ही राज-समाज है। वहाँ उसी प्रकार के हाथी-घोड़े थे, जैसे द्वारका में थे। इससे उनके मन में भ्रम छा गया।

प्रश्न 3. ‘मँझायो’ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर :- बीच में

प्रश्न 4. अपने गाँव जाकर सुदामा ने सभी से किसके बारे में पूछा ?
उत्तर :- अपने गाँव जाकर सुदामा ने सभी से अपनी झोंपड़ी के बारे में पूछा

4)
कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।
कै पग में पनही न हती, कहँ लै गजराजहु ठाढे़ महावत।।
भूमि कठोर पै रात कटै, कहँ कोमल सेज पर नींद न आवत।
कै जुरतों नहिं कोदी-सवाँ, कहँ प्रभु के परताप ते दाख न भावत।।

प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम बताएं।
(क) कृष्ण चरित
(ख) राम चरित
(ग) मीरा चरित
(घ) सुदामा चरित
उत्तर :- (घ) सुदामा चरित

प्रश्न 2. सुदामा के पास पहले टूटी-फुटी सी फूस की झोंपड़ी थी, अब उसके स्थान पर क्या है?
(क) सोने का का महल
(ख) ईट का महल
(ग) लकडी का महल
(घ) पत्थर का महल
उत्तर :- (क) सोने का का महल

प्रश्न 3. ‘गजराजहु’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) हाथियों के रहने का बसेरा
(ख) हाथियों का झुंड
(ग) हाथियों के ठाट-बाट
(घ) हाथियों का राजा
उत्तर :- (ग) हाथियों के ठाट-बाट

प्रश्न 4. सुदामा के पहले और अब के भोजन में क्या अंतर है?
(क) पहले खाने के लिए घटिया किस्म के चावल भी उपलब्ध नहीं थे और अब प्रभु की कृपा से उन्हें किशमिश-मुनक्का उपलब्ध हैं।
(ख) पहले खाने के लिए अच्छे किस्म के चावल भी उपलब्ध थे और अब किशमिश-मुनक्का भी उपलब्ध हैं।
(ग) पहले खाने के लिए घटिया किस्म के चावल भी उपलब्ध नहीं थे और अब वो भी उपलब्ध नहीं हैं।
(घ) पहले खाने के लिए सभी फल व मिठाइयां नहीं थे और अब सभी चीजें उपलब्ध हैं।
उत्तर :- (क) पहले खाने के लिए घटिया किस्म के चावल भी उपलब्ध नहीं थे और अब प्रभु की कृपा से उन्हें किशमिश-मुनक्का उपलब्ध हैं।

प्रश्न 5. ‘दाख’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) किशमिश-काजू
(ख) किशमिश-मुनक्का
(ग) सोंठ-मुनक्का
(घ) किशमिश-पिस्ता
उत्तर :- (ख) किशमिश-मुनक्का

 

Class 8 Hindi Vasant Lesson 12 सुदामा चरित बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 1. ‘सुदामा चरित’ कविता के रचयिता कौन हैं?
(क) मनोहर
(ख) महादेवी
(ग) सूरदास
(घ) नरोत्तमदास
उत्तर :- (घ) नरोत्तमदास

प्रश्न 2. सुदामा किससे मिलने द्वारिका गए थे ?
(क) अपने साथी से
(ख) लोगों से
(ग) श्री कृष्ण से
(घ) अपने पिता जी से
उत्तर :- (ग) श्री कृष्ण से

प्रश्न 3. श्री कृष्ण के महल के सामने कौन खड़ा था ?
(क) सेनापति
(ख) राधा
(ग) सुदामा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उतर:- (ग) सुदामा

प्रश्न 4. ‘वसुधा’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) धरती
(ख) सड़क
(ग) शहद
(घ) पृथ्वी
उतर:- (क) धरती

प्रश्न 5. सुदामा द्वारिका पहुँचकर निम्नलिखित में से किसका नाम पूछा था?
(क) बलराम का
(ख) श्री कृष्ण का
(ग) रुक्मणी का
(घ) उपर्युक्त सभी
उतर:- (ख) श्री कृष्ण का

प्रश्न 6. श्री कृष्ण ने सुदामा को किस अवस्था में देखा?
(क) हीन अवस्था में
(ख) ठीक-ठाक अवस्था में
(ग) दयनीय अवस्था में
(घ) अच्छी अवस्था में
उतर:- (ग) दयनीय अवस्था में

प्रश्न 7. द्वार पर खड़े सुदामा की धोती कैसी थी?
(क) मैली
(ख) फटी सी
(ग) रंगीन
(ग) काली
उतर:- (ख) फटी सी

प्रश्न 8. ‘पाछिलि बानि’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) नयी आदत
(ख) पुरानी आदत
(ग) नयी-पुरानी आदत
(घ) इनमें से कोई नहीं
उतर:- (ख) पुरानी आदत

प्रश्न 9. निम्नलिखित में से किसके कारण सुदामा बेहाल हो रहे थे?
(क) आर्थिक हालत के कारण
(ख) बिवाइयों से भरे पैर के कारण
(ग) भूख के कारण
(घ) थकान के कारण
उतर:- (ख) बिवाइयों से भरे पैर के कारण

प्रश्न 10. श्री कृष्ण ने सुदामा के पैर कैसे धोए ?
(क) अपने आँसूओं से
(ख) पानी से
(ग) दूध से
(घ) सभी से
उतर:- (क) अपने आँसूओं से

प्रश्न 11. सुदामा की पत्नी ने उपहार स्वरूप पोटली में श्री कृष्ण के लिए क्या दिया था?
(क) चने
(ख) मुनक्के
(ग) तंदुल
(घ) इनमें से कोई नहीं
उतर:- (ग) तंदुल

प्रश्न 12. सुदामा ने चावलों की पोटली कहाँ छुपा रखी थी?
(क) अपनी गठरी में
(ख) अपने झोले में
(ग) अपने हाथ में
(घ) अपनी काँख में
उतर:- (घ) अपनी काँख में

प्रश्न 13. बचपन में गुरु माँ द्वारा दिए चने किसे न देकर सुदामा खुद खा गए थे?
(क) अन्य मित्र को
(ख) कृष्ण को
(ग) बलराम को
(घ) उपर्युक्त सभी
उतर:- (ख) कृष्ण को

प्रश्न 14. ‘ओड़त फिरे’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) इधर-उधर
(ख) दक्षिण दिशा
(ग) इधर-उधर फिरना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उतर:- (ग) इधर-उधर फिरना

प्रश्न 15. ‘घर-घर कर ओड़त फिरे’ पंक्ति के अनुसार कृष्ण निम्नलिखित में से किसके लिए कर ओड़ते फिरते थे?
(क) मक्खन के लिए
(ख) चावल के लिए
(ग) दूध के लिए
(घ) दही के लिए
उतर:- (घ) दही के लिए

प्रश्न 16. सुदामा किसके जिद्द पर कृष्ण के यहाँ गए थे?
(क) पत्नी के
(ख) बच्चों के
(ग) लोगों के
(घ) इनमें से कोई नहीं
उतर:- (क) पत्नी के

प्रश्न 17. ‘वाही पठयो’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) खाली हाथ
(ख) वहां जाना
(ग) अञ्जान
(घ) इनमें से कोई नहीं
उतर:- (क) खाली हाथ

प्रश्न 18. सुदामा ने अपने गाँव में जाकर क्या देखा?
(क) द्वारका जैसा ही ठाठ-बाट
(ख) अनाज का ढेर
(ग) बहुत सारे कपड़े
(घ) अपनी झोंपड़ी
उतर:- (क) द्वारका जैसा ही ठाठ-बाट

प्रश्न 19. सुदामा को अपनी झोंपड़ी की जगह क्या दिखाई दे रहे थे?
(क) पक्के मकान
(ख) कच्चे मकान
(ग) बहुत सारे घोड़े
(घ) भव्य महल
उतर:- (घ) भव्य महल

प्रश्न 20. सुदामा का पूरा गाँव किसके आभा से चकाचौंध हो रहा था?
(क) स्वर्ण महल के आभा से
(ख) लाइटो के आभा से
(ग) अलौकिक आभा से
(घ) उपर्युक्त सभी से
उतर:- (ग) अलौकिक आभा से

 

Class 8 Hindi सुदामा चरित प्रश्न और उत्तर Questions Answers

 

कविता से

प्रश्न 1. सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – सुदामा की हालत देखकर श्रीकृष्ण को बहुत दुख हुआ। दुख के कारण श्री कृष्ण की आँखों से आँसू बहने लगे। उन्होंने सुदामा के पैरों को धोने के लिए पानी मँगवाया। परन्तु उनकी आँखों से इतने आँसू निकले कि उन्ही आँसुओं से सुदामा के पैर धुल गए।

प्रश्न 2. “पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर – प्रस्तुत दोहे में यह कहा गया है कि श्रीकृष्ण ने अपने बालसखा सुदामा के आगमन पर उनके पैरों को धोने के लिए परात में पानी मंगवाया परन्तु सुदामा की दुर्दशा देखकर उनको इतना कष्ट हुआ कि आँसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए। अर्थात परात में लाया गया जल व्यर्थ हो गया।

प्रश्न 3. “चोरी की बान में हौ जू प्रवीने।”
(क) उपर्युक्त पंक्ति कौन, किससे कह रहा है?
उत्तर – यहाँ श्रीकृष्ण अपने बालसखा सुदामा से कह रहे हैं कि तुम्हारी चोरी करने की आदत या छुपाने की आदत अभी तक गई नहीं। लगता है इसमें तुम पहले से अधिक कुशल हो गए हो।

(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – सुदामा की पत्नी ने श्रीकृष्ण के लिए भेंट स्वरूप कुछ चावल भिजवाए थे। संकोचवश सुदामा श्रीकृष्ण को यह भेंट नहीं दे पा रहे हैं। क्योंकि कृष्ण अब द्वारिका के राजा हैं और उनके पास सब सुख-सुविधाएँ हैं। परन्तु श्रीकृष्ण सुदामा पर दोषारोपण करते हुए इसे चोरी कहते हैं और कहते हैं कि चोरी में तो तुम पहले से ही निपुण हो।

(ग) इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?
उत्तर – इस शिकायत के पीछे एक पौराणिक कथा है। जब श्रीकृष्ण और सुदामा आश्रम में अपनी-अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। उस समय एक दिन वे जंगल में लकड़ियाँ चुनने जाते हैं। गुरूमाता ने उन्हें रास्ते में खाने के लिए चने दिए थे। सुदामा श्रीकृष्ण को बिना बताए चोरी से चने खा लेते हैं। उसी चोरी की तुलना करते हुए श्रीकृष्ण सुदामा को दोष देते हैं।

प्रश्न 4. द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए।
उत्तर – द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा का मन बहुत दुखी था। वे कृष्ण द्वारा अपने प्रति किए गए व्यवहार के बारे में सोच रहे थे कि जब वे कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण ने आनन्द पूर्वक उनका आतिथ्य सत्कार किया था। क्या वह सब दिखावटी था?
वे कृष्ण के व्यवहार से खीझ रहे थे क्योंकि केवल आदर-सत्कार करके ही श्रीकृष्ण ने सुदामा को खाली हाथ भेज दिया था। वे तो कृष्ण के पास जाना ही नहीं चाहते थे। परन्तु उनकी पत्नी ने उन्हें जबरदस्ती मदद पाने के लिए कृष्ण के पास भेजा। उन्हें इस बात का पछतावा भी हो रहा था कि माँगे हुए चावल जो कृष्ण को देने के लिए भेंट स्वरूप लाए थे, वे भी हाथ से निकल गए और कृष्ण ने उन्हें कुछ भी नहीं दिया।

प्रश्न 5. अपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोंपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – द्वारका से लौटकर सुदामा जब अपने गाँव वापस आएँ तो अपनी झोंपड़ी के स्थान पर बड़े-बड़े भव्य महलों को देखकर सबसे पहले तो उनका मन भ्रमित हो गया कि कहीं वे घूम फिर कर वापस द्वारका ही तो नहीं चले आए। फिर सबसे पूछते फिरते हैं तथा अपनी झोपड़ी को ढूँढ़ने लगते हैं।

प्रश्न 6. निर्धनता के बाद मिलने वाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – निर्धनता के बाद श्रीकृष्ण की कृपा से सुदामा को धन-संपदा मिलती है। जहाँ सुदामा की टूटी-फूटी सी झोंपड़ी हुआ करती थी, वहाँ अब स्वर्ण भवन शोभित है। कहाँ पहले पैरों में पहनने के लिए चप्पल तक नहीं थी और अब पैरों से चलने की आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि अब घूमने के लिए हाथी घोड़े हैं, पहले सोने के लिए केवल यह कठोर भूमि थी और आज कोमल सेज पर नींद नहीं आती है, कहाँ पहले खाने के लिए चावल भी नहीं मिलते थे और आज प्रभु की कृपा से खाने को किशमिश-मुनक्का भी उप्लब्ध हैं। परन्तु वे अच्छे नहीं लगते।

कविता से आगे

प्रश्न 1. द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे, इनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए।
उत्तर – द्रुपद और द्रोणाचार्य दोनों महर्षि अग्निवेश के आश्रम में एक ही साथ शिक्षा ग्रहण करते थे तथा परम मित्र थे। बाद में द्रुपद राजा बन गए लेकिन द्रोणाचार्य निर्धन थे । एक बार द्रोणाचार्य राजा द्रुपद से मित्र होने के नाते सहायता मांगने गए लेकिन राजा द्रुपद ने उनका अपमान किया यही से द्रोणाचार्य और द्रुपद की शत्रुता आरंभ हुई और महाभारत के युद्ध में एक दूसरे के विपरीत युद्ध करके दुश्मनी का परिचय दिया। इसके विपरीत सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता है। सुदामा निर्धन थे तथा श्रीकृष्ण राजा थे। सुदामा के द्वारका जाने पर श्रीकृष्ण ने उनका बहुत आदर-सत्कार किया तथा उनकी मदद भी की थी।

प्रश्न 2. उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता-भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है, ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित कैसी चुनौती खड़ी करता है? लिखिए।
उत्तर – उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर लोग अक्सर अपने माता-पिता, सगे-संबंधियों तथा मित्रों को भूल जाते हैं, ऐसे लोगों को सुदामा चरित से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए कि मित्रता में कोई छोटा या बड़ा, अमीर या गरीब नही होता। उच्च पद पर पहुँचकर हमें खुद को बड़ा नहीं समझना चाहिए। क्योंकि माता-पिता, भाई-बंधु ही हमारे बुरे वक्त में साथ देते है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. अनुमान कीजिए यदि आपका कोई अभिन्न मित्र आपसे बहुत वर्षों बाद मिलने आए तो आपको कैसा अनुभव होगा?
उत्तर – यदि कोई अभिन्न मित्र बहुत वर्षों के बाद हमसे मिलने आए तो हमें बहुत खुशी होगी। हमें उसका आदर-सत्कार करना चाहिए तथा उसका कुशल-मंगल पूछना चाहिए।

प्रश्न 2. कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत||
इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।
उत्तर – इस दोहे में रहीम दास जी ने सच्चे मित्र की पहचान बताते हुए कहा है कि हमारा सच्चा मित्र वही है। जो विपत्ति की घड़ी में हमारा साथ दे । जैसे सुदामा चरित्र में श्रीकृष्ण ने भी सच्ची मित्रता का परिचय देते हुए विपत्ति के समय अपने मित्र सुदामा की आर्थिक सहायता की। अत: हम यह कह सकते हैं कि रहीम द्वारा दिए गए सच्चे मित्र की परिभाषा तथा श्रीकृष्ण के अपने मित्र की सहायता करने में काफी समानता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1. ”पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए”
ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए।
उत्तर – ”कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।”
यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है। टूटी सी झोपड़ी के स्थान पर अचानक कंचन के महल का होना अतिश्योक्ति है।

 

Class 8 Hindi सुदामा चरित अतिरिक्त प्रश्न उत्तर (Extra Question Answers)

प्रश्न 1. द्वारपाल ने श्री कृष्ण को सुदामा के बारे में क्या बताया?
उत्तर – द्वारपाल ने महल के अंदर जा कर श्री कृष्ण को बताया कि हे प्रभु! बाहर महल के द्वार पर एक गरीब व्यक्ति खड़ा हुआ है। बहुत ही दयनीय अवस्था में है और वह आपके बारे में पूछ रहा है। उसके सिर पर न तो पगड़ी है और न ही शरीर पर कोई कुरता है। वह फटी हुई धोती और गमछा पहने हुए है। उसके पैरों में जूते भी नहीं हैं। द्वारिका नगरी के सुन्दर महलों को बहुत ही हैरानी की दृष्टि से देख रहा है। वह आपसे मिलना चाहता है और अपना नाम सुदामा बता रहा है।

प्रश्न 2. सुदामा अपने मित्र श्री कृष्ण से मिलने द्वारिका किस वेशभूषा में गए थे?
उत्तर: जिस समय सुदामा अपने मित्र श्री कृष्ण से मिलने द्वारिका गए थे, उस समय न तो उनके सिर पर पगड़ी थी और न ही शरीर पर कुर्ता । वह जगह-जगह से फटी हुई धोती और गमछा पहने हुए थे । उनके पैरों में जूते भी नहीं थे।

प्रश्न 3. श्री कृष्ण ने सुदामा के दुख को महादुख क्यों कहा था?
उत्तर – जब कृष्ण ने सुदामा के विषय में सुना तो दौड़कर बाहर आए तथा सुदामा को बेहाल देखा। श्री कृष्ण ने सुदामा के बिवाइयों से भरे पैर से कांटे खोज कर निकाले । सुदामा का ऐसा हाल देख कर श्री कृष्ण दया से रो पड़े और प्रेम से बोले कि मेरे परम मित्र तुमसे अलग होना मेरे लिये महादुख था।

प्रश्न 4. सुदामा अपने साथ लाए उपहार को श्री कृष्ण को देने में संकोच क्यों कर रहे थे?
उत्तर – सुदामा जब कृष्ण से मिलने द्वारिका जा रहे थे तब उनकी पत्नी ने कृष्ण के लिए उपहार स्वरूप थोड़े-से चावल एक पोटली में बाँधकर दिए थे। द्वारका पहुँचकर जब सुदामा ने कृष्ण का शाही वैभव तथा ऐशो-आराम देखा तो उन्होंने कृष्ण जैसे बड़े राजा के लिए चावल जैसा तुच्छ उपहार देना उचित न समझा। इसलिए वे संकोच कर रहे थे।

प्रश्न 5. श्री कृष्ण ने सुदामा से अपनी पिछली आदत न छोड़ पाने की बात क्यों कही?
उत्तर – श्री कृष्ण ने जब देखा कि सुदामा अपने साथ लाए उपहार स्वरूप चावल की पोटली उनसे छिपा रहे है। तब कृष्ण सुदामा पर ताना मारते हुए कहते हैं कि जैसे बचपन में गुरु माँ द्वारा दिए गए चने मुझे न देकर खुद खा लिए थे, वैसे ही वह अब भी उनके तोहफे को उन्हें क्यों नहीं दे रहें है। क्या उनकी पिछली आदत नहीं छूटी है जो भाभी द्वारा भेजा तोहफा छिपा रहे हैं।

प्रश्न 6. श्री कृष्ण ने सुदामा के साथ सच्चे मित्र का कर्तव्य किस तरह निभाया?
उत्तर – श्री कृष्ण को सुदामा की दयनीय हालत देखकर उनकी गरीबी का पता चल गया था। उन्होंने सुदामा की मदद अप्रत्यक्ष रूप से की क्योंकि वह सुदामा को कुछ देकर अपनी ही नजरों में नीचा नहीं करना चाहते थे। कृष्ण ने सुदामा के दो मुट्ठी चावल खाते ही दो लोको की धन-दौलत दे डाली थी, लेकिन सुदामा इससे बिल्कुल अनजान थे। श्रीकृष्ण ने ऐसा करके सच्चा मित्र होने का प्रमाण दिया।

प्रश्न 7. “कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।
कै पग में पनही न हती, कहँ लै गजराजहु ठाढ़े महावत।।
भूमि कठोर पै रात कटै, कहँ कोमल सेज पर नींद न आवत।
कै जुरतों नहिं कोदो-सवाँ, कहँ प्रभु के परताप ते दाख न भावत।।”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर – कवि ने उपरोक्त पंक्तियों द्वारा श्री कृष्ण द्वारा सुदामा को धन-धान्य से परिपूर्ण कर देने का वर्णन किया है। कवि बताते हैं कि कहाँ तो सुदामा के पास टूटी-फुटी सी फूस की झोंपड़ी थी और कहाँ अब स्वर्ण-महल सुशोभित हो रहे हैं। पहले तो सुदामा के पैरों में जूतियाँ तक नहीं होती थीं और कहाँ अब उनके महल के द्वार पर महावत के साथ हाथी खड़े रहते हैं अर्थात् सवारी के साधन उपलब्ध हैं। पहले कठोर धरती पर रात काटनी पड़ती थी, कहाँ अब सुकोमल सेज पर नींद नहीं आती है। कहाँ पहले तो यह हालत थी कि उन्हें खाने के लिए घटिया किस्म के चावल भी उपलब्ध नहीं थे और कहाँ अब प्रभु की कृपा से उन्हें किशमिश-मुनक्का उपलब्ध हैं। फिर भी वे अच्छे नहीं लगते।

प्रश्न 8. “वैसोई राज समाज बने, गज, बाजि घने मन संभ्रम छायो।
कैधों परयो कहुँ मारग भूलि, कि फैरि कै मैं अब द्वारका आयो।।
भौन बिलोकिबे को मन लोचत, सोचत ही सब गाँव मझायो।
पूँछत पाँडे फिरे सब सों, पर झोपरी को कहुँ खोज न पायो।”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर – कवि ने उपरोक्त पंक्तियों द्वारा श्री कृष्ण द्वारा सुदामा को धन-धान्य से परिपूर्ण कर देने का वर्णन किया है। कवि बताते हैं कि सुदामा ने अपने गाँव में जाकर देखा कि वहाँ द्वारका जैसा ही ठाठ-बाट है, वैसा ही राज-समाज है। वहाँ उसी प्रकार के हाथी-घोड़े थे, जैसे द्वारका में थे। इससे उनके मन में भ्रम छा गया। सुदामा को लग रहा था कि वे भूलकर फिर से द्वारका ही लौट आए हैं। वे शायद रास्ता भूल गए हैं। वहाँ भी द्वारका जैसे भव्य महल बने हुए थे। सुदामा के मन में उन भवनों को देखने का लालच आ रहा था। यही सोचकर वे गाँव के बीच में चले गए। वहाँ जाकर सुदामा ने सभी से अपनी झोंपड़ी के बारे में पूछा पर वे अपनी झोंपड़ी को खोज नहीं पाए। वास्तव में उनकी झोंपड़ी के स्थान पर श्री कृष्ण की कृपा से भव्य महल दिखाई दे रहे थे। उनका पूरा गाँव ही अलौकिक आभा से चकाचौंध हो रहा था, जिनके कारण सुदामा भ्रमित हो रहे थे। श्री कृष्ण ने उनकी बिना बताए ही सहायता कर दी थी।

प्रश्न 9. “घर-घर कर ओड़त फिरे, तनक दही के काज।
कहा भयो जो अब भयो, हरि को राज-समाज।
हौं आवत नाहीं हुतौ, वाही पठयो ठेलि।।
अब कहिहौं समुझाय कै, बहु धन धरौ सकेलि।।”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर – कवि के अनुसार, सुदामा कृष्ण के बचपन को याद करके सोचते हैं कि यह वही कृष्ण है जो थोड़ी सी माँगने के लिए घर-घर हाथ फैलाया करता था, भला वह उन्हें क्या देंगे? सुदामा तो पहले ही से माखनचोर कृष्ण को जानते थे, पर उनकी पत्नी ने ही उन्हें जिद करके यहाँ भेजा था। सुदामा बहुत नाराज थे और सोच रहे थे कि अब जाकर वे अपनी पत्नी से कहेंगे कि बहुत धन मिल गया है अब इसे सँभालकर रखो। वे यहाँ आना नहीं चाहते थे। अब हालत यह थी कि जो चावल वे माँग कर लाए थे, वह भी कृष्ण ने ले लिए थे। बदले में खाली हाथ वापसी हुई।

प्रश्न 10. “वह पुलकनि, वह उठि मिलनि, वह आदर की बात।
वह पठवनि गोपाल की, कछू न जानी जात।।”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर – कवि के अनुसार, सुदामा सोच रहे हैं कि जब वे कृष्ण के यहाँ पहुँचे थे, तब तो उन्होंने बड़ी प्रसन्नता दिखाई थी, वे उठकर गले मिले थे और सुदामा को बहुत आदर भी दिया था। पर विदाई के अवसर पर इस तरह खाली हाथ भिजवाने की बात सुदामा को कुछ समझ नहीं आ रही थी। वास्तव में कृष्ण ने सुदामा को उनके दो मुट्ठी चावल खाते ही दो लोकों की धन-दौलत दे डाली थी, जिससे सुदामा बिल्कुल अनजान थे।

 

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