NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Bhag 3 भगवान के डाकिए Important Question Answers Lesson 6

 

Class 8 Hindi Bhagwan Ke Dakiye Question Answers- Looking for  Bhagwan Ke Dakiye question answers for CBSE Class 8 Hindi Vasant Bhag 3 Book Chapter 6? Look no further! Our comprehensive compilation of important questions will help you brush up on your subject knowledge.

सीबीएसई कक्षा 8 हिंदी वसंत भाग 3 पुस्तक पाठ 6 के लिए भगवान के डाकिए दुनिया प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 8 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे भगवान के डाकिए प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

 The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract based questions, multiple choice questions, short answer questions, and long answer questions

 Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams. 

 

 

 

Class 8 Hindi भगवान के डाकिए Question Answers Lesson 6 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

सारआधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

 

1)
पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं, जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं।

प्रश्न 1. कवि और कविता का नाम बताएं।
(क) कवि का नाम- रामधारी सिंह दिनकर, कविता का नाम- भगवान के डाकिए।
(ख) कवि का नाम- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, कविता का नाम- ध्वनि।
(ग) कवि का नाम- दीवानों की हस्ती, कविता का नाम- भगवतीचरण वर्मा।
(घ) कवि का नाम- कबीर की साखियाँ, कविता का नाम- कबीरदास।
उतर:- (क) कवि का नाम- रामधारी सिंह दिनकर, कविता का नाम- भगवान के डाकिए।

प्रश्न 2. पक्षी और बादल भगवान के डाकिए क्यों हैं ?
(क) क्योंकि ये ही भगवान के संदेश हम तक पहुंचाते हैं।
(ख) बादल वर्षा करते हैं और पक्षी आनंदित होते।
(ग) इनका प्रकृति से अटूट रिश्ता है।
(घ) डाक इधर-उधर ले जाते हैं।
उतर:- (क) क्योंकि ये ही भगवान के संदेश हम तक पहुंचाते हैं।

प्रश्न 3. भगवान के डाकिए किसे कहा गया है?
(क) हवा और पानी को
(ख) पक्षी और बादल को
(ग) पक्षी और पहाड़ को
(घ) मेघ और बादल को
उतर:- (ख) पक्षी और बादल को

प्रश्न 4. पक्षी और बादलों के द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन बाँचता है ?
(क) पेड़ और पौधे
(ख) पानी और पहाड़
(ग) क और ख दोनो
(घ) इनमें से कोई नहीं
उतर:- (ग) क और ख दोनो

2)
हम तो केवल यह आँकते हैं कि एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है।

प्रश्न 1. सौरभ कहाँ – कहाँ जाता है?
उतर:- सौरभ यानी सुगंध हवा में तैरते हुए पक्षियों के पंखों पर तैरता हुआ दूसरे देशों तक जा पहुंचता है।

प्रश्न 2. सौरभ और पाँखों शब्दो का अर्थ स्पष्ट करें?
उतर:- सौरभ का अर्थ- सुगंध, पाँखों का अर्थ- पंख

प्रश्न 3. एक देश का भाप दूसरे देश में क्या बनकर गिरता है?
उतर:- एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है।

प्रश्न 4. इस काव्यांश से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उतर:- इस काव्यांश से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मनुष्यों को स्वार्थ की भावना त्याग कर, जाति, धर्म की सीमाओं को लांघ कर प्रेम भाव का संदेश पहुंचाना चाहिए।

Class 8 Hindi Vasant Lesson 6 भगवान के डाकिए बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।

 

प्रश्न 1. ‘भगवान के डाकिए’ कविता के कवि का नाम बताएं।
(क) रामधारी सिंह दिनकर
(ख) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला
(ग) भगवतीचरण वर्मा
(घ) कबीरदास
उतर:- (क) रामधारी सिंह दिनकर

प्रश्न 2. भगवान के संदेश को कौन – कौन पढ़ सकता है?
(क) संसार में रहने वाले सभी लोग
(ख) सभी चतुर व्यक्ति
(ग) सभी जीव जंतु
(घ) पेड़, पौधे, सरोवर-सरिताएँ, समुद्र व पर्वत यानी प्रकृति
उतर:- (घ) पेड़, पौधे, सरोवर-सरिताएँ, समुद्र व पर्वत यानी प्रकृति

प्रश्न 3. भगवान के डाकिए इस संसार को क्या संदेश देना चाहते हैं?
(क) आपसी नफरत का
(ख) विश्वबंधुत्व का
(ग) भेदभाव न करने का
(घ) प्रेम भाव से आगे बढ़ने का
उतर:- (ख) विश्वबंधुत्व का

प्रश्न 4. ‘बाँचते’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) पढ़ना
(ख) सुनना
(ग) रोना
(घ) धोना
उतर:- (क) पढ़ना

प्रश्न 5. एक देश की धरती द्वारा भेजा गया सौरभ दूसरे देश की धरती तक कैसे पहुँचता है?
(क) पानी से
(ख) फूल से
(ग) धूल से
(घ) सुगंध से
उतर:- (घ) सुगंध से

प्रश्न 6. भगवान के डाकिए द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन नहीं पढ़ सकता है?
(क) इंसान
(ख) पेड़-पौधे
(ग) जानवर
(घ) पहाड़
उतर:- (क) इंसान

प्रश्न 7. ‘तिरता’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) बहना
(ख) रोना
(ग) सोना
(घ) तैरता
उतर:- (घ) तैरता

प्रश्न 8. ‘सौरभ’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) बदबू
(ख) खुशबू
(ग) सुरंग
(घ) दुर्गंध
उतर:- (ख) खुशबू

प्रश्न 9. WWW का अर्थ है-
(क) वर्ड वाइड वेब
(ख) वर्ल्ड वाइड वेब
(ग) वर्ल्ड वेब वाइड
(घ) वर्ल्ड वाइज वेव
उतर:- (ख) वर्ल्ड वाइड वेब

प्रश्न 10. पानी बरसने से एकदम पहले उसका रूप होता है।
(क) भाप
(ख) हवा
(ग) आँधी
(घ) धूल
उतर:- (क) भाप

प्रश्न 11. एक देश की धरती दूसरे देश की धरती को क्या भेजती है?
(क) सुगंध
(ख) फूल
(ग) धुप
(घ) हवा
उतर:- (क) सुगंध

प्रश्न 12. एक महादेश से दूसरे महादेश कौन जाते हैं?
(क) हवा
(ख) पक्षी और बादल
(ग) नदिया
(घ) फूल
उतर:- (ख) पक्षी और बादल

प्रश्न 13. भगवान के संदेश को पेड़ पौधे पानी और पहाड़ क्यों समझ पाते हैं?
(क) क्योंकि वे भेदभाव की भावना से परे हैं
(ख) क्योंकि वे उनकी भाषा समझते हैं
(ग) क्योंकि वह ईश्वर की बात मानते है
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उतर:- (क) क्योंकि वे भेदभाव की भावना से परे हैं

प्रश्न 14. पक्षी एक देश से दूसरे देश में सुगंध कैसे ले जाते हैं?
(क) अपने मुंह के द्वारा
(ख) अपने पंखों पर
(ग) अपने पंजों में छुपा कर
(घ) अपनी चोंच से
उतर:- (ख) अपने पंखों पर

प्रश्न 15. ‘भाप’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) वाष्प
(ख) जल
(ग) वसा
(घ) घुमक्कड़
उतर:- (क) वाष्प

प्रश्न 16. भगवान के डाकिए कविता का भाव स्पष्ट करो?
(क) पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं
(ख) मनुष्य को भेदभाव से उठकर वसुधैव कुटुंबकम की भावना को आत्मसात करना चाहिए
(ग) मनुष्य को सभी का ध्यान रखना चाहिए
(घ) मनुष्य को पक्षियों से कुछ सीखना चाहिए
उतर:- (ख) मनुष्य को भेदभाव से उठकर वसुधैव कुटुंबकम की भावना को आत्मसात करना चाहिए

प्रश्न 17. बादल और पक्षी क्या नहीं मानते?
(क) जात-पात
(ख) धार्मिक भेदभाव
(ग) दो देशों की भौतिक सीमाओं के भेद को
(घ) आपसी मनमुटाव
उतर:- (ग) दो देशों की भौतिक सीमाओं के भेद को

प्रश्न 18. मनुष्य प्रकृति के संबंध में केवल क्या कर सकता है?
(क) दुरुपयोग
(ख) आकलन
(ग) जोड़ घटाव
(घ) अच्छा अनुभव
उतर:- (ख) आकलन

प्रश्न 19. ‘आँकत’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) अनुभव
(ख) ज्यादा
(ग) आकार
(घ) अनुमान
उतर:- (घ) अनुमान

प्रश्न 20. प्रस्तुत कविता में पक्षी और बादल को क्या कहा गया है ?
(क) भगवान के डाकिए
(ख) खत पहुंचाने वाला
(ग) प्रकृति के संरक्षण
(घ) संदेशवाहक
उतर:- (क) भगवान के डाकिए

Class 8 Hindi भगवान के डाकिए प्रश्न और उत्तर Questions Answers

कविता से

प्रश्न 1. कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए माना है क्योंकि ये संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुचाने में सहायता करते हैं। बादल शीतलता का सन्देश देते हैं और पक्षी अपने पंखों पर सुगंधित वायु को लेकर एक देश से दूसरे देश जाते हैं।

प्रश्न 2. पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोचकर लिखिए।
उत्तर – पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियाँ पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ ही पढ़ पाते हैं, वही उनकी भाषा को समझ पाते हैं।

प्रश्न 3. इन पंक्तियों का क्या भाव है-
(क) पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।
उत्तर – पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं वे एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं।

(ख) प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।
उत्तर – प्रकृति एक देश से दूसरे देश में भेदभाव नहीं करती इसलिए एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर बरसता है।

प्रश्न 4. पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं?
उत्तर – हाँ, पढ़ पाते हैं। भगवान पूरे विश्व को एक मानकर अपना प्रेम सभी में बराबर बाँटते हैं। उनका ये प्रेम बादलों द्वारा पानी के रूप में धरती पर आता है। भगवान बादलों के द्वारा जो संदेश भेजते हैं उन्हें पेड़-पौधे, पहाड़ और जल अच्छी तरह से पढ़ पाते हैं क्योंकि ये उनके लिए होते हैं।

प्रश्न 5. “एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है’’- कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – “एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है”, से कवि का भाव यह है कि एक देश की धरती दूसरे देश को प्यार और सौहार्द भेजती है। यहाँ ‘सुगंध’ भाईचारे का प्रतीक है और ‘गंध’ प्यार का।

पाठ से आगे

प्रश्न 1. पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को आप किस दृष्टि से देख सकते हैं?
उत्तर – पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को सद्भावना, सौहार्द और प्यार की दृष्टि से देखा जा सकता है। क्योंकि इनका आदान-प्रदान हमारे लिए एक सीख है, वो भी ऐसी सीख अगर इसे मनुष्य अपने मन से अपना ले तो आज किसी भी देशों के बीच युद्ध की नौबत नहीं आएगी। हम अगर इस तथ्य को समझ जाएँ तो हमारे हृदय से द्वेषभावना की मलिनता धूल जाएगी।

प्रश्न 2. आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इंटरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इंटरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर – आज का युग इंटरनेट का युग है। हम अपने संवाद को बड़ी ही सुगमता व सुविधापूर्वक इंटरनेट के माध्यम से भेज व पा सकते हैं किन्तु पक्षी और बादल की चिट्ठियाँ हमें भगवान का सन्देश देते हैं। पक्षी और बादल प्रकृति के अनुसार काम करते हैं किंतु, इंटरनेट मनुष्य के अनुसार काम करता है। इंटरनेट संदेश भेजने का आज का आधुनिक माध्यम हैं। पहले मनुष्य पत्र के द्वारा अपने संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा करता था। परंतु उसमें भी महीनों, दिनों का वक्त लग जाता था। पर आज हम कुछ पलों में ही इंटरनेट के माध्यम से अपना संदेश एक स्थान पर ही नहीं अपितु दूसरे देश में भी भेज सकते हैं और इसमें ज्यादा समय भी नहीं लगता। परन्तु इसकी तुलना अगर पक्षी और बादलों की चिट्ठियों से की जाए तो इतनी पवित्रता और निश्चलता के आगे इंटरनेट छोटा ही साबित होता है। इंटरनेट के माध्यम से हम विचारों का, कार्य का, सूचनाओं का आदान प्रदान तो कर सकते हैं पर एक सीमा तक लेकिन पक्षी और बादल की तो कोई सीमा नहीं।

प्रश्न 3. ‘हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका’ क्या है? इस विषय पर दस वाक्य लिखिए।
उत्तर – डाकिए का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है। जैसे:-
(i) ‘डाकिया’ भारतीय सामाजिक जीवन की एक आधारभूत कड़ी है।
(ii) डाकिया खार्की वर्दी पहने तथा कंधे पर झोला लटकाए एक व्यक्ति होता है।
(iii) पहले की तुलना में बेशक डाकिए अब कम ही दिखाई देते हैं परंतु आज भी गाँवों में डाकिए का पहले की तरह ही चिट्ठियों को आदान-प्रदान करते हुए देखा जा सकता है।
(iv) चाहे कितना मुश्किल रास्ता हो, डाकिए हमेशा हमारी चिट्ठियाँ, पार्सल हम तक पहुँचाते हैं।
(v) भारतीय समाज में डाकिया को सबसे सम्मान का दर्जा मिला है। सरकार और जनता के बीच संवाद की वह सबसे मजबूत कड़ी है।
(vi) डाकिया हमें दूसरे स्थानों पर रहने वाले हमारे रिश्तेदारों व मित्रों से जोड़ने का भी काम करता है। क्योंकि वह उनके द्वारा भेजे गए संदेशों को हम तक पहुँचाता हैं।
(vii) डाकिये केवल पत्र बांटते ही नहीं, बल्कि अशिक्षित ग़रीबों को उसे पढकर सुनाते भी हैं। तथा उनका पत्र लिखने में मदद करते है।
(viii) ज़मीनी स्तर पर डाकिया ही डाक विभाग का वास्तविक प्रतिनिधि होता है।
(ix) डाकिया कम वेतन पाकर भी अपना काम बहुत परिश्रम और लगन के साथ पूरा करता है।
(x) चाहे गर्मी, सर्दी या बरसात हो डाकिए सबका सामना करते हुए समाज की सेवा करता है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. डाकिया, इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब (डब्ल्यू, डब्ल्यू, डब्ल्यू, www) तथा पक्षी और बादल-इन तीनों संवादवाहकों के विषय में अपनी कल्पना से एक लेख तैयार कीजिए। लेख लिखने के लिए आप ‘चिट्ठियों की अनूठी दुनिया’ पाठ का सहयोग ले सकते हैं।
उतर:-
डाकिया :- डाकिया खार्की वर्दी पहने, कंधे पर झोला लटकाए एक व्यक्ति होता है। हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। डाकिए को डाकिया भैया, पोस्टमैन, चिट्ठीरसा और जाने कितने नाम से जाना जाता है। डाकिया हमें दूसरे स्थानों पर रहने वाले हमारे रिश्तेदारों व मित्रों से जोड़ने का भी काम करता है। क्योंकि वह उनके द्वारा भेजे गए संदेशों को हम तक पहुँचाता हैं। डाकिये केवल पत्र बांटते ही नहीं, बल्कि अशिक्षित ग़रीबों को उसे पढकर सुनाते भी हैं। तथा उनका पत्र लिखने में मदद करते है। डाकिया का कार्य बड़ा कठिन होता है। वह सुबह से शाम तक चलता ही रहता है। डाकिया कम वेतन पाकर भी अपना काम परिश्रम और लगन के साथ समाप्त करता है। गर्मी, सर्दी और बरसात का सामना करते हुए वह समाज की सेवा करता है।
इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब : – वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) एक सिस्टम है जो संगठन तथा सम्बन्ध स्थापित करने के लिये प्रयोग में लाया जाता है। इसके माध्यम से इंटरनेट फाइल्स, स्रोत तथा सुविधाओं का उपयोग किया जा सकता है। वेब एक इंटरनेट आधारित संचालन सिस्टम है हम अपने संवाद को बड़ी ही सुगमता व सुविधापूर्वक इंटरनेट के माध्यम से भेज व पा सकते हैं इंटरनेट संदेश भेजने का आज का आधुनिक माध्यम हैं। हम कुछ पलों में ही इंटरनेट के माध्यम से अपना संदेश एक स्थान पर ही नहीं अपितु दूसरे देश में भी भेज सकते हैं और इसमें ज्यादा समय भी नहीं लगता।
पक्षी और बादल :- पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिये है, जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते है। हम तो समझ नहीं पाते है मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ पेड़-पौधे, पहाड़ और जल अच्छी तरह से पढ़ पाते हैं ।

Class 8 Hindi भगवान के डाकिए अतिरिक्त प्रश्न उत्तर (Extra Question Answers)

प्रश्न 1. भगवान के डाकिए किन्हें कहा गया है?
उत्तर – भगवान के डाकिए पक्षी और बादल को कहा गया है।

प्रश्न 2. ‘भगवान के डाकिए’ के आधार पर पेड़, पौधे, पानी, पहाड़ तथा मनुष्य में परम्परा से हटकर क्या विरोधाभास दिखाया गया है?
उत्तर – इस कविता में पेड़-पौधे, पहाड़ तथा मनुष्य के बीच परम्परा से हटकर यह विरोधाभास का जिक्र किया गया है कि शिक्षित मनुष्य भगवान की चिट्ठियों को नहीं पढ़ पाता है, जबकि अनपढ़ पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ भगवान की चिट्ठियों को पढ़ लेते हैं।

प्रश्न 3. प्रकृति के विभिन्न अंग-पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ आदि ही भगवान की चिट्ठियों को क्यों पढ़ पाते हैं?
उत्तर – भगवान बादलों के द्वारा पेड़-पौधों, पहाड़ों के लिए सन्देश भेजते हैं। जो हमारी प्रकृति है वो किसी तरह से भेदभाव नहीं करती एक देश से दूसरे देश बादल अपने पानी लेकर जाते हैं और न जाने कहाँ पर जाकर बरसाते हैं इसी तरह से पेड़-पौधों की सुगंध, हवा, और पहाड़ों के सन्देश एक दूसरे तक पहुँचते हैं। इसलिए भगवान की चिट्ठियों को प्रकृति के अंग जैसे पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ आदि ही पढ़ पाते हैं।

प्रश्न 4. भगवान के डाकिए और परंपरागत डाकियों से किस प्रकार भिन्न है?
प्रकृति के अनपढ़ ‘पक्षी और बादल‘ भगवान के डाकिये है, जबकि परम्परागत डाकिए पढ़े-लिखे मनुष्य हैं। भगवान के डाकिए किसी व्यक्ति विशेष के लिए संदेश नहीं लाते है, जबकि परम्परागत डाकिए व्यक्ति विशेष के लिए संदेश लाते हैं। पक्षी और बादल की लाई चिट्ठियों को प्रकृति (पेड़-पौधे, पानी और पहाड़) आदि पढ़ते हैं, जबकि मनुष्य उन्हें पढ़ नहीं पाता। वहीं परम्परागत डाकियों की लाई चिट्ठियों को पेड़-पौधे नहीं पढ़ पाते, बल्कि मनुष्य पढ़ते हैं।

प्रश्न 5. कविता में प्रकृति के विभिन्न अंगों द्वारा क्या-क्या मानवीय क्रियाकलाप करते हुए दिखाया गया है?
उत्तर – कविता में पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं और उनकी लाई चिट्ठियों को पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ते हैं। जैसे एक देश का पानी दरिया बनकर बहता है तो दूसरे देश तक भी पहुँचता है ऐसी ही ऊँचे-ऊँचे पहाड़ जो प्रकृति हैं उन्हें अगर हम देखे दूर से ही नजर आते हैं ऐसा लगता है जैसे झाँक रहे हैं एक देश से दूसरे देश की ओर। इसी तरह से पेड़, पौधे, जब फूलों से भर जाते हैं उनमें एक नई महक पैदा हो जाती है वो भी बिना किसी बंधन के आजादी से बहती है और धरती एक देश की सुगंध पक्षियों के पंखों के द्वारा तथा हवा के झोंकों से दूसरे देश में भेजने का काम करती है।

प्रश्न 6. भगवान के डाकिए कविता से आपको क्या संदेश मिलता है?
उत्तर – भगवान के डाकिए कविता से यह संदेश मिलता है कि हमें अपने स्वार्थ, अपने-पराए की भावना को छोड़कर सबके साथ समानता तथा प्रेम का व्यवहार करना चाहिए । जिस प्रकार प्रकृति अपने पराए का भेदभाव किए बिना अपना खजाना लुटाती है ऐसे ही हमें जाति, धर्म, भाई-भतीजावाद आदि की भावना से ऊपर उठकर कार्य करना चाहिए। जिससे हमारे कार्यों की महक चारों ओर फैल जाए।

प्रश्न 7. पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं, जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं।
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर – कवि के अनुसार, आकाश में उड़ते पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं। जो एक देश से दूसरे देश को उड़ते रहते हैं और एक तरह से वहाँ का संदेश लेकर आते हैं। इन डाकियों का सन्देश मनुष्य समझ नहीं पाते है। परन्तु जिसके लिए हैं वे समझ जाते हैं। भगवान बादलों के द्वारा जो संदेश भेजते हैं उन्हें पेड़-पौधे, पहाड़ और जल अच्छी तरह से पढ़ पाते हैं क्योंकि ये उनके लिए होते हैं।

प्रश्न 8. हम तो केवल यह आँकत हैं कि एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है।
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर – कवि के अनुसार, हम मनुष्य देश को उसकी सीमाओं से जानते हैं किन्तु प्रकृति किसी सीमा को नहीं जानती। वह अपना वरदान सबको देती है। सुगंध किसी बंधन को नहीं मानते हुए एक देश से दूसरे देश उड़ती जाती है। वही महक पक्षियों के पंखों पर बैठकर इधर से उधर उड़ती रहती है और एक देश से उठी भाप दूसरे देश में वर्षा बनकर बरसती रहती है।

 

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