Shireesh Ke Phool Question Answers

 

CBSE Class 12 Hindi Aroh Bhag 2 Book Chapter 14 Shireesh Ke Phool Question Answers

  

Shireesh Ke Phool Class 12 – CBSE Class 12 Hindi Aroh Bhag-2 Chapter 14 Shireesh Ke Phool Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of the chapter, extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions.

 सीबीएसई कक्षा 12 हिंदी आरोह भाग-2 पुस्तक पाठ 14 शिरीष के फूल प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है।

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शिरीष के फूल पाठ के पाठ्यपुस्तक पर आधारित प्रश्न – Textbook Based Questions

प्रश्न 1 – लेखक ने शिरीष के फूल को “कालजयी अवधूत (सन्यासी)” की तरह क्यों माना है?
उत्तर – लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत कहा है। “कालजयी” अर्थात जिसने काल पर विजय प्राप्त कर ली हो और “अवधूत” यानि एक ऐसा सन्यासी जिसे सुख-दुख, अच्छे-बुरे से कोई फर्क न पड़ता हो। जिसके भाव हर परिस्थिति में एक समान रहते हों। यही सब लक्षण शिरीष के फूल में भी हैं जिस कारण लेखक ने शिरीष के फूल को कालजयी अवधूत कहा है। क्योंकि शिरीष का फूल भयंकर गरमी, उमस, लू आदि के बीच सरस रहता है। वसंत में वह लहक उठता है तथा भादों मास तक फलता-फूलता रहता है। उस पर ना भयंकर गर्मी का असर दिखाई देता है और ना ही तेज बारिश का कोई प्रभाव। वह काल व समय को जीतकर एक सामान लहलहाता रहता है।

प्रश्न 2 – “हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार में कठोरता भी कभी-कभी जरूरी हो जाती है।” प्रस्तुत पाठ के आधार पर स्पष्ट करें ?
उत्तर – प्रस्तुत पाठ में शिरीष के फूल के द्वारा लेखक यही समझाना चाहते हैं कि हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार में कठोरता भी कभी-कभी जरूरी हो जाती है। जिस प्रकार शिरीष का फूल भयंकर गर्मी और लू को सहन करने के लिए बाहर से कठोर स्वभाव अपनाता है और अपने कोमल फूलों की रक्षा कर लेता है। ठीक इसी तरह कभी-कभी मनुष्यों को भी जीवन की विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं। इसीलिए लेखक कहते हैं कि कभी-कभी ह्रदय की कोमलता को बचाए रखने के लिए अपने व्यवहार में कठोरता लानी आवश्यक हो जाती है।

प्रश्न 3 – द्विवेदी जी ने शिरीष के माध्यम से कोलाहल व संघर्ष से भरे जीवन में अविचल रहकर जिन्दा रहने की सीख दी है। स्पष्ट कीजिए?
उत्तर – द्विवेदी जी ने “शिरीष के फूल” के माध्यम से हम सब को एक स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है कि जिस तरह शिरीष का फूल भयंकर गरमी, उमस, लू आदि के बीच सरस रहता है। जिस तरह उस पर ना भयंकर गर्मी का असर दिखाई देता है और ना ही तेज बारिश का कोई प्रभाव। वह काल व समय को जीतकर एक सामान लहलहाता रहता है। यह हमें विषम परिस्थितयों में भी प्रसन्नता व मस्ती के साथ जीवन जीने की कला सिखाता हैं।
ठीक उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन के सभी संकट व् विपरीत परिस्थितियों में धैर्य व विवेक से काम करते हुए सदैव संघर्ष करते रहना चाहिए। दुख हो या सुख, हार मिले या जीत कभी भी विपरीत परिस्थितियों के आगे हार नहीं माननी चाहिए।

प्रश्न 4 – “हाय ! वह अवधूत आज कहां”, ऐसा कहकर लेखक ने आत्मबल पर देह बल के वर्चस्व की वर्तमान सभ्यता के संकट की ओर संकेत किया है। कैसे?
उत्तर – “हाय ! वह अवधूत आज कहां”, यहाँ लेखक ने महात्मा गांधी को अवधूत यानी सन्यासी के रूप में याद किया हैं जिसने देह बल के ऊपर आत्मबल को सिद्ध किया है। यानि शाररिक रूप से बेहद कमजोर गांधी जी ने अपने आत्मबल के सहारे अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन सफलतापूर्वक चलाये और देश को आजादी दिलाने में अहम् भूमिका अदा की। इसीलिए लेखक जब शिरीष की ओर देखते है तो उनके मन में एक हूक उठती है। क्योंकि वर्तमान समय में देश में चारों ओर मारकाट, आगजनी, लूटपाट आदि का बवंडर छाया है। लोगों में आत्मबल की कमी होती जा रही हैं। आज देश में न गांधीजी हैं और न ही उनके जीवन मूल्यों को मानने वाले लोग।

प्रश्न 5 – कवि (साहित्यकार) के लिए अनासक्त योगी की स्थिर प्रज्ञता और विदग्ध प्रेमी का हृदय, एक साथ आवश्यक है। ऐसा विचार प्रस्तुत कर लेखक ने साहित्य कर्म के लिए बहुत ऊंचा मापदंड निर्धारित किया है। विस्तार से समझाइए?
उत्तर – लेखक का मानना है कि कवि सिर्फ उनको ही माना जा सकता हैं जो स्थिरप्रज व अनासक्त योगी हो और शिरीष की भांति ही फक्क्ड़ हो। जिसे कवि बनना है उसे अनासक्त योगी व फक्कड़ बनने की जरूरत है। लेखक मानते हैं कि सिर्फ शब्द लिखने और तुकबंदी करने को कविता नही कह सकते हैं। क्योंकि शब्द तो लेखक भी लिख सकता है और तुकबंदी भी कर सकता है। इसका अर्थ यह नहीं की वह भी कालिदास बन सकता है। कालिदास ने शकुंतला के सौंदर्य का वर्णन किया हैं। परन्तु लेखक मानता है कि वास्तव में वो शकुंतला का सौंदर्य नहीं बल्कि कालिदास के ह्रदय की सुंदरता हैं। लेखक कहते हैं कि राजा दुष्यंत ने भी शकुंतला का चित्र बनाया लेकिन उन्हें उस चित्र में हर बार कुछ ना कुछ कमी महसूस होती थी। बहुत देर बाद उन्हें समझ में आया कि वो शकुंतला के कानों में शिरीष का फूल लगाना ही भूल गए। कालिदास सौंदर्य के बाहरी कवर आवरण को भेदकर उसके भीतर पहुंचने में समर्थ थे। वो सुख-दुख दोनों में भाव रस खींच लिया करते थे। लेखक कबीर व कालिदास को महान मानता है क्योंकि उनमें अनासक्ति का भाव है। जो व्यक्ति शिरीष के समान मस्त, बेपरवाह, फक्कड़, किंतु सरस व मादक है, वही महान कवि बन सकता है।

प्रश्न 6 – “सवग्रासी काल की मार से बचते हुए वहीं दीर्घजीवी हो सकता है जिसने अपने व्यवहार में जड़ता छोड़कर नित बदल रही स्थितियों में निरंतर अपनी गतिशीलता बनाए रखी है। ” पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर – “सवग्रासी काल की मार से बचते हुए वहीं दीर्घजीवी हो सकता है जिसने अपने व्यवहार में जड़ता छोड़कर नित बदल रही स्थितियों में निरंतर अपनी गतिशीलता बनाए रखी है।” यह पंक्ति समय के परिवर्तन शील व गतिशील होने को दर्शाती है। पुराने रीति-रिवाज, जीवन-सिद्धांत व जीवन जीने का ढंग भी बहुत तेजी से बदल रहा हैं और इन बदलती परिस्थितियों के अनुसार हमें अपने आप को समयानुसार ढाल लेना चाहिए और समाज में आए बदलाव को स्वीकार कर लेना चाहिए। शिरीष के फूल हमें यही सीख देते हैं कि पुरानी पीढ़ी को समय रहते ही अपने अधिकार करने के लोभ को छोड़ देना चाहिए और नई पीढ़ी के लिए स्थान बनाना चाहिए। जिस तरह शिरीष का फूल हर मौसम में अपने को और अपने स्वभाव को बदल लेता है। जैसे वसंत, आषाढ़ और भादों में खिला रहता है। प्रचंड लू और उमस को सहन करता है। लेकिन फिर भी खिला रहता है। उसी तरह हमें भी परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को ढालना चाहिए तभी हम अपने जीवन को आनंद पूर्वक व्यतीत कर सकते हैं।

प्रश्न 7 – आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) दुरंत प्राणधारा और सर्वव्यापक कालाग्नि का संघर्ष निरंतर चल रहा है। मूर्ख समझते हैं कि जहां बने हैं वही देर तक बने रहे तो काल देवता की आंख बचा पाएंगे। भोले हैं वो। हिलते डुलते रहो , स्थान बदलते रहो , आगे की ओर मुंह किये रहो तो कोड़े की मार से बच भी सकते हो। जमे की सरे।

आशय – लेखक कहते है कि काल रूपी अग्नि और जीवन शक्ति का संघर्ष निरंतर चलता रहता है कहने का तात्पर्य यह है कि जीवित रहने के लिए हर प्राणी संधर्ष करता रहता हैं लेकिन कई बार कुछ मुर्ख यह भूल जाते हैं कि एक न एक दिन मृत्यु निश्चित हैं। मूर्ख व्यक्ति तो यही समझते हैं कि वो जहां भी टिके हैं वहीं टिके रहे तो मृत्यु से बच जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं है। समय गतिवान है और यदि समय के साथ अपने जीवन में परिवर्तन करते रहे और अपने जीने के ढंग में बदलाव करते रहे तो जीवन जीना आसान हो जाएगा। जो व्यक्ति हिलते-डुलते रहते हैं, स्थान बदलते रहते हैं तथा प्रगति की ओर बढ़ते रहते हैं, वे ही मृत्यु से बच सकते हैं। लेखक ने जीवन में जड़ता को मृत्यु के समान माना है तथा गतिशीलता को ही जीवन बताया है।

(ख) जो कवि अनासक्त नहीं रह सका, जो फक्क्ड़ नहीं बन सका, वह किए-कराए का लेखा-जोखा मिलाने में उलझ गया, वह भी क्या कवि है। मैं कहता हूं कि कवि बनना है मेरे दोस्तों तो, फक्क्ड़ बनो।

आशय – लेखक का मानना है कि किसी भी कालजयी साहित्य की रचना करने के लिए व्यक्ति के अंदर एक अनासक्त योगी के जैसी स्थिर प्रज्ञता और साथ में एक विदग्ध प्रेमी का हृदय भी होना चाहिए। कवि भी सिर्फ उनको ही माना जा सकता हैं जो स्थिरप्रज व अनासक्त योगी हो और शिरीष की भांति ही फक्क्ड़ हो। लेखक कहते हैं कि जो पहले से चली आ रही परंपरा को या किसी कवि को गुरु मान कर उसी की तरह बनने की कोशिश करता है वह काव्य की रचना नहीं कर सकता, वो कभी भी कवि नही बन सकता हैं। जिसे कवि बनना है उसे अनासक्त योगी व फक्कड़ बनने की जरूरत है।

(ग) फ़ल हो या पेड़, वह अपने आप में समाप्त नहीं है। वह किसी अन्य वस्तु को दिखाने के लिए उठी हुई अंगुली है। वह इशारा है।

आशय – लेखक कहता है कि फल हो या पेड़ हो दोनों का अपना अस्तित्व है। वे अपने-आप में समाप्त नहीं होते। कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन अनंत है। फल व पेड़, वे किसी अन्य वस्तु को दिखाने के लिए उठी हुई अंगुली हैं। अर्थात यह संकेत है कि जीवन में अभी बहुत कुछ बाकी है। जीवन यात्रा यही बताती हैं कि संघर्ष की प्रक्रिया बहुत लंबी होती है। सफलता रूपी मीठे फल पाने के लिए इस प्रक्रिया से गुजरना ही पड़ता हैं।

 

शिरीष के फूल पाठ पर आधारित अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – (Important Question Answers)

 

प्रश्न 1 – शिरीष के फूल निबंध के लेखक कौन हैं और वे इस निबंध के माध्यम से क्या सन्देश देना चाहते हैं?
उत्तर – “शिरीष के फूल” लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी जी द्वारा लिखा गया एक निबंध है। इस निबंध में लेखक ने शिरीष के फूल के माध्यम से संदेश दिया है कि जिस तरह शिरीष के फूल आँधी, लू, भयंकर गर्मी आदि विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए भी अपनी कोमलता व सुंदरता को बनाए रहता है, उसी तरह हमें भी अपने जीवन की विपरीत परिस्थितियों में अपने धैर्य व संयम को बनाए रखते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए। शिरीष का फूल हमें जीवन में लगातार संधर्ष करने की प्रेरणा देता हैं।

प्रश्न 2 – अमलतास की तुलना शिरीष के फूल से क्यों नहीं की जा सकती?
उत्तर – वैसे तो जेठ की भयंकर गर्मी में बहुत कम फूल ही खिलने की हिम्मत कर पाते हैं। इन फूलों में अमलतास भी शामिल है। किन्तु इसकी तुलना शिरीष के फूलों से है की जा सकती। क्योंकि वह केवल 15 से 20 दिनों के लिए ही खिलता है। जैसे बसंत ऋतू में पलाश का फूल। परन्तु शिरीष के फूल लम्बे समय तक खिले रहते हैं। वो बसंत के शुरुआत में खिलना प्रारंभ होते हैं और आषाढ़ तक खिले रहते हैं।

प्रश्न 3 – लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत किस कारण कहा है?
उत्तर – लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत कहा है। “कालजयी” अर्थात जिसने काल पर विजय प्राप्त कर ली हो और “अवधूत” यानि एक ऐसा सन्यासी जिसे सुख-दुख, अच्छे-बुरे से कोई फर्क न पड़ता हो। जिसके भाव हर परिस्थिति में एक समान रहते हों। यही सब लक्षण शिरीष के फूल में भी हैं जिस कारण लेखक ने शिरीष के फूल को कालजयी अवधूत कहा है। क्योंकि शिरीष का फूल भयंकर गरमी, उमस, लू आदि के बीच सरस रहता है। वसंत में वह लहक उठता है तथा भादों मास तक फलता-फूलता रहता है। उस पर ना भयंकर गर्मी का असर दिखाई देता है और ना ही तेज बारिश का कोई प्रभाव। वह काल व समय को जीतकर एक सामान लहलहाता रहता है। यह हमें विषम परिस्थितयों में भी प्रसन्नता व मस्ती के साथ जीवन जीने की कला सिखाता हैं।

प्रश्न 4 – शिरीष के पेड़ों की डालों के कमजोर होने पर भी लेखक क्यों मानते हैं कि उन पर झूला बनाया जा सकता है?
उत्तर – शिरीष के वृक्ष बड़े और छायादार होते हैं और पुराने समय में इन वृक्षों को मंगल कारक मानकर इन्हें बाग़ -बगीचों में लगाया जाता था। वात्स्यायन कहते हैं कि बगीचे में घने व छायादार वृक्षों और बकुल के पेड़ों में ही झूला लगाना चाहिए। लेकिन लेखक मानते हैं कि शिरीष के पेड़ भी झूला झूलने के लिए प्रयोग में लाए जा सकते है। भले ही शिरीष के पेड़ की डालें कुछ कमजोर होती हैं। इसीलिए उसे झूला झूलने योग्य नही समझा जाता। परन्तु लेखक कहते हैं कि शिरीष के पेड़ भी झूला झूलने के लिए प्रयोग में किए जा सकते है क्योंकि झूला झूलने वालों अर्थात बच्चे व् किशोरियों का वजन भी तो ज़्यादा नहीं होता।

प्रश्न 5 – महाकवि कालिदास की किस बात का विरोद्ध लेखक नहीं करना चाहता?
उत्तर – शिरीष के फूल को संस्कृत साहित्य में बहुत ही कोमल माना गया है। यहाँ तक की कालिदास तो यह कह गए हैं कि शिरीष के फूल केवल भौंरों के पैरों का दबाव ही सहन कर सकते हैं पक्षियों के पैरों का दबाव वे सहन नहीं कर सकते। लेखक यहाँ महाकवि कालिदास की इस बात का न तो विरोद्ध करना चाहता है और न ही लेखक की कुछ ऐसी इच्छा भी है।

प्रश्न 6 – शिरीष के फलों के बारे में लेखक क्या बताते हैं?
उत्तर – कालिदास ने शिरीष के फूल की कोमलता के बारे में बताया है कि वह केवल भौंरों के पैरों का दबाव ही सहन कर सकते हैं पक्षियों के पैरों का दबाव वे सहन नहीं कर सकते। महाकवि कालिदास की इस बात से दूसरे कवियों ने यह समझ लिया कि शिरीष के पेड़ का सब कुछ ही कोमल है जबकि इसके फल बहुत मजबूत होते हैं। इसके फल इतनी मजबूती से अपने स्थान पर या डालियों पर चिपके रहते हैं कि नए फलों के आने पर भी वो अपना स्थान आसानी से नहीं छोड़ते हैं। वो अपना स्थान तभी छोड़ते हैं जब नए पत्तों व् फूलों द्वारा उन्हें जबरदस्ती धकेला जाता है। नहीं तो सूखकर भी वो डालियों में ही खड़खड़ाते रहते हैं।

प्रश्न 7 – शिरीष के पुराने फलों से लेखक को किनकी याद आती है?
उत्तर – शिरीष के फल इतनी मजबूती से अपने स्थान पर या डालियों पर चिपके रहते हैं कि नए फलों के आने पर भी वो अपना स्थान आसानी से नहीं छोड़ते हैं। वो अपना स्थान तभी छोड़ते हैं जब नए पत्तों व् फूलों द्वारा उन्हें जबरदस्ती धकेला जाता है। नहीं तो सूखकर भी वो डालियों में ही खड़खड़ाते रहते हैं। इन पुराने फलों को देखकर लेखक को उन नेताओं की याद आ जाती है जो बदलते समय की परस्थितियों को नहीं पहचानते और अपने पद को तब तक नहीं छोड़ते, जब तक उन्हें नयी पीढ़ी के नेता जबरदस्ती धक्का मारकर पद छोड़ने को विवश ना कर दें। पुरानी पीढ़ी को समय रहते ही अपने अधिकार करने के लोभ को छोड़ देना चाहिए और नई पीढ़ी के लिए स्थान बनाना चाहिए।

प्रश्न 8 – लेखक शिरीष को सन्यासी की तरह क्यों मानता है?
उत्तर – लेखक शिरीष को एक सन्यासी की तरह मानता है क्योंकि सन्यासी की ही तरह न तो उसे सुख की चिंता है और न ही दुःख की, उसे किसी से कुछ लेना-देना नहीं है। जब भयंकर गर्मी से आसमान और धरती दोनों जल रहे होते हैं तब भी न जाने कहाँ से शिरीष का फूल अपने लिए जीवन रस ढूंढ ही लेता है। वह दिन के आठों पहर अपनी ही मस्ती में मस्त रहता है। एक वनस्पति शास्त्री ने लेखक को बताया कि यह वायुमंडल से अपना रस खींचता है और लेखक को भी यह बात सही लगती है क्योंकि तभी तो भयंकर गर्मी व लू में भी यह ऐसे मीठे केसर उगा सकता है और किसी सन्यासी की भाँति अपना अस्तित्व बनाये रखता है।

प्रश्न 9 – कर्नाट राज की प्रिया किन्हें कवि मानती हैं?
उत्तर – कर्नाट राज की प्रिया अर्थात रानी विज्जिका देवी ने केवल ब्रह्मा जिन्होंने वेदों की रचना की , बाल्मीकि जिन्होंने रामायण को रचा और व्यास जी जिन्होंने महाभारत की रचना की, इन तीनों को ही कवि माना हैं।

प्रश्न 10 – लेखक कालिदास के बारे में क्या बताते हैं?
उत्तर – लेखक का मानना है कि जिसे कवि बनना है उसे अनासक्त योगी व फक्कड़ बनने की जरूरत है। कालिदास भी किसी अनासक्त योगी की तरह शांत मन और चतुर प्रेमी थे। उनका एक-एक श्लोक मंत्रमुग्ध कर देने वाला था। लेखक मानते हैं कि सिर्फ शब्द लिखने और तुकबंदी करने को कविता नही कह सकते हैं। क्योंकि शब्द तो लेखक भी लिख सकता है और तुकबंदी भी कर सकता है। इसका अर्थ यह नहीं की वह भी कालिदास बन सकता है। कालिदास ने शकुंतला के सौंदर्य का वर्णन किया हैं। परन्तु लेखक मानता है कि वास्तव में वो शकुंतला का सौंदर्य नहीं बल्कि कालिदास के ह्रदय की सुंदरता हैं। लेखक कहते हैं कि राजा दुष्यंत ने भी शकुंतला का चित्र बनाया लेकिन उन्हें उस चित्र में हर बार कुछ ना कुछ कमी महसूस होती थी। बहुत देर बाद उन्हें समझ में आया कि वो शकुंतला के कानों में शिरीष का फूल लगाना ही भूल गए। कालिदास सौंदर्य के बाहरी कवर आवरण को भेदकर उसके भीतर पहुंचने में समर्थ थे। वो सुख-दुख दोनों में भाव रस खींच लिया करते थे। ऐसी प्रकृति सुमित्रानंदन पंत व रवींद्र नाथ टैगोर में भी थी।

 

शिरीष के फूल पाठ पर आधारित कुछ बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)

 

प्रश्न 1 – “शिरीष के फूल” के लेखक कौन हैं?
(क) संसारी प्रसाद द्विवेदी जी
(ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी जी
(ग) रविन्द्र नाथ टैगोर जी
(घ) सुमित्रानंदन पंत जी
उत्तर – (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी जी

प्रश्न 2 – “धरा को प्रमान यही तुलसी जो फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना” कथन किस कवि का है?
(क) कबीरदास
(ख) सूरदास
(ग) तुलसीदास
(घ) बिहारी
उत्तर – (ग) तुलसीदास

प्रश्न 3 – लेखक निबंध को जेठ की तपती गर्मी में कहाँ लिख रहे हैं?
(क) देवदार के पेड़ों के एक समूह के बीच बैठ कर
(ख) शिरीष के पेड़ों के एक समूह के बीच बैठ कर
(ग) बकुल के पेड़ों के एक समूह के बीच बैठ कर
(घ) अशोक के पेड़ों के एक समूह के बीच बैठ कर
उत्तर – (ख) शिरीष के पेड़ों के एक समूह के बीच बैठ कर

प्रश्न 4 – कबीरदास को कौन से फूल पसंद नहीं है?
(क) लम्बे समय के लिए खिलने वाले फूल
(ख) मधुर सुगंध न फैलाने वाले फूल
(ग) 10-15 दिन के लिए खिलने वाले फूल
(घ) केवल रात्रि में खिलने वाले फूल
उत्तर – (ग) 10-15 दिन के लिए खिलने वाले फूल

प्रश्न 5 – शिरीष के फूल कब तक खिले रहते हैं?
(क) बसंत से आषाढ़ तक
(ख) बसंत से भादो तक
(ग) बसंत से अश्विन तक
(घ) माघ से आषाढ़ तक
उत्तर – (क) बसंत से आषाढ़ तक

प्रश्न 6 – शिरीष के वृक्षों को पुराने समय में बाग़ -बगीचों में क्यों लगाया जाता था?
(क) बड़े और छायादार होने के कारण
(ख) फूलों से लम्बे समय तक लदे रहने के कारण
(ग) मंगल कारक मानकर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ग) मंगल कारक मानकर

प्रश्न 7 – किसका कथन है कि बगीचे में घने व छायादार वृक्षों और बकुल के पेड़ों में ही झूला लगाना चाहिए?
(क) वात्स्यायन
(ख) कालिदास
(ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(घ) सुमित्रानंदन पंथ
उत्तर – (क) वात्स्यायन

प्रश्न 8 – शिरीष के फूल को किसमें कोमल माना गया है।
(क) पाश्चात्य साहित्य में
(ख) संस्कृत साहित्य में
(ग) हिंदी साहित्य में
(घ) अंग्रेजी साहित्य में
उत्तर – (ख) संस्कृत साहित्य में

प्रश्न 9 – महाकवि कालिदास की शिरीष के फूल को कोमल कहने वाली बात से दूसरे कवियों ने क्या समझ लिया?
(क) शिरीष के पेड़ का सब कुछ ही कोमल है
(ख) शिरीष के पेड़ का फूल ही कोमल है
(ग) शिरीष के पेड़ का फल ही कोमल है
(घ) शिरीष के पेड़ के पत्ते ही कोमल है
उत्तर – (क) शिरीष के पेड़ का सब कुछ ही कोमल है

प्रश्न 10 – शिरीष के पेड़ का फल अपना स्थान कब छोड़ते हैं?
(क) जब नए फलों द्वारा उन्हें जबरदस्ती धकेला जाता है
(ख) जब नए पत्तों द्वारा उन्हें जबरदस्ती धकेला जाता है
(ग) जब नए फूलों द्वारा उन्हें जबरदस्ती धकेला जाता है
(घ) जब नए पत्तों व् फूलों द्वारा उन्हें जबरदस्ती धकेला जाता है
उत्तर – (घ) जब नए पत्तों व् फूलों द्वारा उन्हें जबरदस्ती धकेला जाता है

प्रश्न 11 – पुराने फलों को देखकर लेखक को किन नेताओं की याद आ जाती है?
(क) जो बदलते समय की परस्थितियों को नहीं पहचानते
(ख) जो अपने पद को तब तक नहीं छोड़ते जब तक उन्हें जबरदस्ती न हटाया जाए
(ग) जो नई पीढ़ी को उनका स्थान देने में हिचकिचाते हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 12 – निबंध में इस जगत के किस सत्य की बात की गई है?
(क) वृद्धावस्था और बचपन
(ख) वृद्धावस्था और जवानी
(ग) वृद्धावस्था और मृत्यु
(घ) वृद्धावस्था और किशोरावस्था
उत्तर – (ग) वृद्धावस्था और मृत्यु

प्रश्न 13 – लेखक शिरीष को एक सन्यासी की तरह क्यों मानता है?
(क) क्योंकि सन्यासी की ही तरह उसे सुख की चिंता नहीं है
(ख) क्योंकि सन्यासी की ही तरह उसे दुःख की चिंता नहीं है
(ग) क्योंकि सन्यासी की ही तरह उसे किसी से कुछ लेना-देना नहीं है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 14 – लेखक कबीरदास और शिरीष में क्या समानता बताता है?
(क) दोनों ही मस्त रहते हैं
(ख) दोनों ही बेपरवाह हैं
(ग) दोनों ही सरस व् मादक हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 15 – कर्नाट राज की प्रिया अर्थात रानी विज्जिका देवी ने केवल किन्हें कवि माना हैं?
(क) ब्रह्मा, बाल्मीकि और व्यास जी
(ख) ब्रह्मा, विष्णु और महेश
(ग) ब्रह्मा, बाल्मीकि और गणेश जी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क) ब्रह्मा, बाल्मीकि और व्यास जी

प्रश्न 16 – कालिदास जैसी प्रकृति किन कवि में थी?
(क) सुमित्रानंदन पंत व कबीरदास
(ख) कबीरदास व रवींद्र नाथ टैगोर
(ग) सुमित्रानंदन पंत व रवींद्र नाथ टैगोर
(घ) सुमित्रानंदन पंत व वाल्मीकि
उत्तर – (ग) सुमित्रानंदन पंत व रवींद्र नाथ टैगोर

प्रश्न 17 – लेखक के अनुसार आज देश में चारों ओर किसका बवंडर छाया है?
(क) कबीर व् कालिदास आदि का
(ख) मारकाट, आगजनी, लूटपाट आदि का
(ग) लेखक व् कवियों आदि का
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) मारकाट, आगजनी, लूटपाट आदि का

प्रश्न 18 – लेखक ने गांधीजी को कैसे सन्यासी के रूप में याद किया हैं?
(क) जिसने देह बल के ऊपर आत्मबल को सिद्ध किया है
(ख) जो शाररिक रूप से बेहद कमजोर था और अपने आत्मबल के सहारे अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन सफलतापूर्वक चलाये
(ग) जिसने देश को आजादी दिलाने में अहम् भूमिका अदा की
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 19 – शिरीष का फूल हमें क्या प्रेरणा देता हैं?
(क) जीवन में लगातार संधर्ष करने की
(ख) जीवन में लगातार सुगंध फैलाने की
(ग) जीवन में लगातार चर्चा में रहने की
(घ) जीवन में लगातार आगे बढ़ने की
उत्तर – (क) जीवन में लगातार संधर्ष करने की

प्रश्न 20 – ईक्षुदण्ड किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(क) नीम के लिए
(ख) गन्ने के लिए
(ग) चावल के लिए
(घ) बांस के लिए
उत्तर – (ख) गन्ने के लिए

 

शिरीष के फूल पाठ पर सार-आधारित प्रश्न Extract Based Questions

 

सारआधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

 

1 –
जहाँ बैठ के यह लेख लिख रहा हूँ उसके आगे-पीछे, दाएँ-बाएँ, शिरीष के अनेक पेड़ हैं। जेठ की जलती धूप में, जबकि धरित्री निर्धूम अग्निकुंड बनी हुई थी, शिरीष नीचे से ऊपर तक फूलों से लद गया था। कम फूल इस प्रकार की गरमी में फूल सकने की हिम्मत करते हैं। कर्णिकार और आरग्वध (अमलतास) की बात मैं भूल नहीं रहा हूँ। वे भी आस-पास बहुत हैं। लेकिन शिरीष के साथ आरग्वध की तुलना नहीं की जा सकती। वह पद्रंह-बीस दिन के लिए फूलता है, वसंत ऋतु के पलाश की भाँति। कबीरदास को इस तरह पद्रंह दिन के लिए लहक उठना पसंद नहीं था। यह भी क्या कि दस दिन फूले और फिर खंखड़-के खंखड़-‘दिन दस फूला फूलिके खंखड़ भया पलास!’ ऐसे दुमदारों से तो लँडूरे भले। फूल है शिरीष। वसंत के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक जो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है। मन रम गया तो भरे भादों में भी निर्घात फूलता रहता है। जब उमस से प्राण उबलता रहता है और लू से हृदय सूखता रहता है, एकमात्र शिरीष कालजयी अवधूत की भाँति जीवन की अजेयता का मंत्र प्रचार करता रहता है। यद्यपि कवियों की भाँति हर फूल-पत्ते को देखकर मुग्ध होने लायक हृदय विधाता ने नहीं दिया है, पर नितांत ठूँठ भी नहीं हूँ। शिरीष के पुष्प मेरे मानस में थोड़ा हिल्लोल जरूर पैदा करते हैं।

प्रश्न 1 – लेखक अपना लेख कहाँ बैठकर लिख रहा है?
(क) फूल-पत्तों के समूह के बीच में बैठकर
(ख) पलाश के पेड़ों के समूह के बीच में बैठकर
(ग) शिरीष के पेड़ों के समूह के बीच में बैठकर
(घ) जेठ की जलती धूप में बैठकर
उत्तर – (ग) शिरीष के पेड़ों के समूह के बीच में बैठकर

प्रश्न 2 – कबीरदास को पलाश के फूल क्यों पसंद नहीं थे?
(क) क्योंकि वे पंद्रह-बीस दिन के लिए फूलते हैं
(ख) क्योंकि उनमें जीवन-शक्ति कम होती है
(ग) क्योंकि कबीरदास को अल्पायु वाले कमजोर फूल पसंद नहीं थे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3 – ‘नितांत ठूँठ’ का अर्थ है?
(क) रसयुक्त होना
(ख) रसहीन होना
(ग) मोह माया सहित होना
(घ) मोह माया रहित होना
उत्तर – (ख) रसहीन होना

प्रश्न 4 – लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत क्यों कहा है?
(क) क्योंकि वह कठिन परिस्थितियों में भी फलता फूलता रहता है
(ख) क्योंकि वह भयंकर गरमी, लू में भी फूलों से लदा हुआ मिलता है
(ग) क्योंकि उमस आदि में भी शिरीष का पेड़ फूलों से लदा हुआ मिलता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 5 – शिरीष किस ऋतु में लहक उठता है?
(क) वसंत के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक जो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है
(ख) सावन के आगमन के साथ लहक उठता है, भादो तक जो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है
(ग) जेठ के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक जो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है
(घ) वसंत के आगमन के साथ लहक उठता है, जेठ तक जो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है
उत्तर – (क) वसंत के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक जो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है

2 –
शिरीष का फूल संस्कृत-साहित्य में बहुत कोमल माना गया है। मेरा अनुमान है कि कालिदास ने यह बात शुरू-शुरू में प्रचार की होगी। उनका इस पुष्प पर कुछ पक्षपात था (मेरा भी है)। कह गए हैं, शिरीष पुष्प केवल भौंरों के पदों का कोमल दबाव सहन कर सकता है, पक्षियों का बिलकुल नहीं- ‘पदं सहेत भ्रमरस्य पेलवं शिरीष पुष्पं न पुनः पतत्रिणाम्।’ अब मैं इतने बड़े कवि की बात का विरोध कैसे करूँ? सिर्फ विरोध करने की हिम्मत न होती तो भी कुछ कम बुरा नहीं था, यहाँ तो इच्छा भी नहीं है। खैर, मैं दूसरी बात कह रहा था। शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब-कुछ कोमल है! यह भूल है। इसके फल इतने मज़बूत होते हैं कि नए फूलों के निकल आने पर भी स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नए फल-पत्ते मिलकर, धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं। वसंत के आगमन के समय जब सारी वनस्थली पुष्प-पत्र से मर्मरित होती रहती है, शिरीष के पुराने फल बुरी तरह खड़खड़ाते रहते हैं। मुझे इनको देखकर उन नेताओं की बात याद आती है, जो किसी प्रकार ज़माने का रुख नहीं पहचानते और जब तक नयी पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं।

प्रश्न 1 – संस्कृत-साहित्य में किसे कोमल माना गया है?
(क) शिरीष के फूल को
(ख) शिरीष के पेड़ को
(ग) शिरीष के बीज को
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) शिरीष के फूल को

प्रश्न 2 – ‘पदं सहेत भ्रमरस्य पेलवं शिरीष पुष्पं न पुनः पतत्रिणाम्।’ पंक्ति का क्या अर्थ है?
(क) शिरीष पुष्प केवल पक्षियों के पदों का कोमल दबाव सहन कर सकता है, भौरों का बिलकुल नहीं
(ख) शिरीष पुष्प केवल भौंरों के पदों का कोमल दबाव सहन कर सकता है
(ग) शिरीष पुष्प पक्षियों के पदों का दबाव बिलकुल सहन नहीं कर सकता है
(घ) शिरीष पुष्प केवल भौंरों के पदों का कोमल दबाव सहन कर सकता है, पक्षियों का बिलकुल नहीं
उत्तर – (घ) शिरीष पुष्प केवल भौंरों के पदों का कोमल दबाव सहन कर सकता है, पक्षियों का बिलकुल नहीं

प्रश्न 3 – शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने क्या भूल की?
(क) शिरीष के फूलों का सब-कुछ कोमल समझने की
(ख) शिरीष के फलों को कोमल समझने की
(ग) शिरीष के पेड़ों को कोमल समझने की
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) शिरीष के फूलों का सब-कुछ कोमल समझने की

प्रश्न 4 – शिरीष के फल कब तक अपना स्थान नहीं छोड़ते?
(क) जब तक नए पत्ते धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते
(ख) जब तक नए फल धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते
(ग) जब तक नए फूल धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते
(घ) जब तक नए फल-पत्ते मिलकर, धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते
उत्तर – (घ) जब तक नए फल-पत्ते मिलकर, धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते

प्रश्न 5 – शिरीष के पुराने फलों को देखकर लेखक को किन नेताओं की बात याद आती है?
(क) जो किसी प्रकार ज़माने का रुख नहीं पहचानते
(ख) जो तब तक जमे रहते हैं जब तक नयी पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते
(ग) जो किसी प्रकार ज़माने का रुख नहीं पहचानते और जब तक नयी पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ग) जो किसी प्रकार ज़माने का रुख नहीं पहचानते और जब तक नयी पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं

3 –
मैं सोचता हूँ कि पुराने की यह अधिकार-लिप्सा क्यों नहीं समय रहते सावधान हो जाती? जरा और मृत्यु, ये दोनों ही जगत के अतिपरिचित और अतिप्रामाणिक सत्य हैं। तुलसीदास ने अफसोस के साथ इनकी सच्चाई पर मुहर लगाई थी-‘धरा को प्रमान यही तुलसी जो फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना!’ मैं शिरीष के फूलों को देखकर कहता हूँ कि क्यों नहीं फलते ही समझ लेते बाबा कि झड़ना निश्चित है! सुनता कौन हैं? महाकालदेवता सपासप कोड़े चला रहे हैं, जीर्ण और दुर्बल झड़ रहे हैं, जिनमें प्राणकण थोड़ा भी ऊर्ध्वमुखी है, वे टिक जाते हैं। दुरंत प्राणधारा और सर्वव्यापक कालाग्नि का संघर्ष निरंतर चल रहा है। मूर्ख समझते हैं कि जहाँ बने हैं, वहीं देर तक बने रहें तो कालदेवता की आँख बचा जाएँगे। भोले हैं वे। हिलते-डुलते रहो, स्थान बदलते रहो, आगे की ओर मुँह किए रहो तो कोड़े की मार से बच भी सकते हो। जमे कि मरे! एक-एक बार मुझे मालूम होता है कि यह शिरीष एक अद्भुत अवधूत है। दुःख हो या सुख, वह हार नहीं मानता। न ऊधो का लेना, न माधो का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हज़रत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं। एक वनस्पतिशास्त्री ने मुझे बताया है कि यह उस श्रेणी का पेड़ है जो वायुमंडल से अपना रस खींचता है। ज़रूर खींचता होगा। नहीं तो भयंकर लू के समय इतने कोमल तंतुजाल और ऐसे सुकुमार केसर को कैसे उगा सकता था? अवधूतों के मुँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएँ निकली हैं। कबीर बहुत-कुछ इस शिरीष के समान ही थे, मस्त और बेपरवा, पर सरस और मादक। कालिदास भी ज़रूर अनासक्त योगी रहे होंगे।

प्रश्न 1 – जगत के अतिपरिचित और अतिप्रामाणिक सत्य क्या हैं?
(क) जवानी और मृत्यु
(ख) बचपन और मृत्यु
(ग) वृद्धावस्था और मृत्यु
(घ) जवानी और वृद्धावस्था
उत्तर – (ग) वृद्धावस्था और मृत्यु

प्रश्न 2 – लेखक शिरीष के फूलों को देखकर क्या कहता हैं?
(क) कि इनका झड़ना निश्चित है
(ख) कि इन्हें फूलते देख ख़ुशी का अनुभव होता है
(ग) कि इनका झड़ना देख दुःख देता है
(घ) कि इन्हें फूलते ही यह समझ लेना चाहिए कि झड़ना निश्चित है
उत्तर – (घ) कि इन्हें फूलते ही यह समझ लेना चाहिए कि झड़ना निश्चित है

प्रश्न 3 – मुर्ख व्यक्ति क्या समझते हैं?
(क) हिलते-डुलते रहने से कोड़े की मार से बच भी सकते हैं
(ख) जहाँ बने हैं, वहीं देर तक बने रहें तो कालदेवता की आँख बचा जाएँगे
(ग) स्थान बदलते रहने से कोड़े की मार से बच सकते हैं
(घ) हिलते-डुलते रहने, स्थान बदलते रहने, आगे की ओर मुँह किए रहने से कोड़े की मार से बच सकते हैं
उत्तर – (ख) जहाँ बने हैं, वहीं देर तक बने रहें तो कालदेवता की आँख बचा जाएँगे

प्रश्न 4 – लेखक ने शिरीष को एक अद्भुत अवधूत क्यों कहा है?
(क) क्योंकि दुःख हो या सुख, वह हार नहीं मानता
(ख) क्योंकि शिरीष कठिन परिस्थितियों में मस्ती से जीता है
(ग) क्योंकि शिरीष को संसार में किसी से मोह नहीं है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 5 – लेखक ने कबीर के बारे में क्या बताया है?
(क) मस्त और बेपरवा
(ख) अनासक्त योगी
(ग) सरस और मादक
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

4 –
कालिदास महान थे, क्योंकि वे अनासक्त रह सके थे। कुछ इसी श्रेणी की अनासक्ति आधुनिक हिंदी कवि सुमित्रानंदन पंत में है। कविवर रवींद्रनाथ में यह अनासक्ति थी। एक जगह उन्होंने लिखा-‘राजोद्यान का सिंहद्वार कितना ही अभ्रभेदी क्यों न हो, उसकी शिल्पकला कितनी ही सुंदर क्यों न हो, वह यह नहीं कहता कि हममें आकर ही सारा रास्ता समाप्त हो गया। असल गंतव्य स्थान उसे अतिक्रम करने के बाद ही है, यही बताना उसका कर्तव्य है।’ फूल हो या पेड़, वह अपने-आप में समाप्त नहीं है। वह किसी अन्य वस्तु को दिखाने के लिए उठी हुई अँगुली है। वह इशारा है। शिरीष तरु सचमुच पक्के अवधूत की भाँति मेरे मन में ऐसी तरंगें जगा देता है जो ऊपर की ओर उठती रहती हैं। इस चिलकती धूप में इतना इतना सरस वह कैसे बना रहता है? क्या ये बाह्य परिवर्तन-धूप, वर्षा, आँधी, लू-अपने आपमें सत्य नहीं हैं? हमारे देश के ऊपर से जो यह मार-काट, अग्निदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बवंडर बह गया है, उसके भीतर भी क्या स्थिर रहा जा सकता है? शिरीष रह सका है। अपने देश का एक बूढ़ा रह सका था। क्यों मेरा मन पूछता है कि ऐसा क्यों संभव हुआ? क्योंकि शिरीष भी अवधूत है। शिरीष वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर है। गांधी भी वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर हो सका था। मैं जब-जब शिरीष की ओर देखता हूँ तब तब हूक उठती है-हाय, वह अवधूत आज कहाँ है!

प्रश्न 1 – कालिदास क्यों महान थे?
(क) क्योंकि वे काव्य रचना कर सके थे
(ख) क्योंकि वे अनासक्त रह सके थे
(ग) क्योंकि वे लय और तुक जोड़ सके थे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) क्योंकि वे अनासक्त रह सके थे

प्रश्न 2 – कविवर रवींद्रनाथ ने राजोद्यान के सिंहद्वार के बारे में क्या लिखा है?
(क) राजोद्यान का सिंहद्वार कितना ही अभ्रभेदी क्यों न हो, वह यह नहीं कहता कि हममें आकर ही सारा रास्ता समाप्त हो गया
(ख) उसकी शिल्पकला कितनी ही सुंदर क्यों न हो, वह यह नहीं कहता कि हममें आकर ही सारा रास्ता समाप्त हो गया
(ग) असल गंतव्य स्थान उसे अतिक्रम करने के बाद ही है, यही बताना उसका कर्तव्य है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3 – शिरीष तरु सचमुच पक्के अवधूत की भाँति क्यों है?
(क) शिरीष का वृक्ष भयंकर गर्मी, उमस में भी फुला रहता है
(ख) क्योंकि वह कठिन परिस्थितियों में भी मस्त रहता है
(ग) चिलकती धूप में भी सरस रहता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – अपने देश का एक बूढ़ा कौन था?
(क) कवि सुमित्रानंदन पंत
(ख) महात्मा गाँधी
(ग) कविवर रवींद्रनाथ
(घ) कविवर कालिदास
उत्तर – (ख) महात्मा गाँधी

प्रश्न 5 – लेखक के अनुसार महात्मा गाँधी और शिरीष में क्या समानता है?
(क) दोनों ही कठिन परिस्थितियों में समभाव रहते हैं
(ख) दोनों पर ही गर्मी का कोई असर नहीं पड़ता
(ग) दोनों में गजब का आकर्षण है
(घ) दोनों ही कठिन परिस्थितियों में बदल जाते हैं
उत्तर – (क) दोनों ही कठिन परिस्थितियों में समभाव रहते हैं

 

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Lesson Question Answers

Lesson Summary and Explanation