CBSE Class 12 Hindi Chapter 6 “Baadal Raag”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Aroh Bhag 2 Book
इस पोस्ट में हम आपके लिए CBSE Class 12 Hindi Aroh Bhag 2 Book के Chapter 6 में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा रचित कविता बादल राग का पाठ सार, व्याख्या और कठिन शब्दों के अर्थ लेकर आए हैं। यह सारांश और व्याख्या आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आप जान सकते हैं कि इस कविता का विषय क्या है। इसे पढ़कर आपको मदद मिलेगी ताकि आप इस कविता के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। Suryakant Tripathi Nirala Poem Baadal Raag Summary, Explanation, Difficult word meanings of CBSE Class 12 Hindi Aroh Bhag-2 Chapter 6.
Related:
बादल राग कविता का पाठ सार (Summary)
कविता ‘बादल राग’ ‘आरोह, भाग-2’ से महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित अनामिका में छह खंडों में प्रकाशित है। यहाँ उसका छठा खंड लिया गया है। लघुमानव अर्थात आम आदमी के दुख से त्रस्त कवि यहाँ बादल का आह्नान क्रांति के रूप में कर रहा है क्योंकि विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते। किसान मज़दूर की आकांक्षाएँ बादल को नव-निर्माण के राग के रूप पुकार रही हैं। इस कविता में कवि ने बादलों को क्रान्ति का प्रतिक बतलाया है। मानव जीवन में सुख व् दुःख हवा के समान चंचल है अथवा अस्थायी है। क्योंकि मानव जीवन में सुख और दुःख दोनों आते-जाते रहते हैं। संसार का हृदय शोषण रूपी अग्नि से जला हुआ है और बादल दुःख व् शोषण से ग्रस्त संसार पर जल बरसा कर शोषण के खिलाफ लोगों के मन में दबे क्रान्ति के बीज को अंकुरित करता है। जिस प्रकार लोगों की उम्मीद होती है कि बादल जल बरसा कर गर्मी से राहत देगा उसी प्रकार लोगों को क्रान्ति से उम्मीद है कि उन्हें शोषण से मुक्ति मिलेगी। क्रांति की हुँकार से कमजोर व निष्क्रिय व्यक्ति भी शोषण के विरुद्ध संघर्ष के लिए तैयार हो जाते हैं। शोषण का शिकार हुए लोग अपने मन में अपने उद्धार की आशाएँ लिए क्रान्ति की ओर ताकते रहते हैं। आकाश की ऊँचाइयों को छूने की इच्छा रखने वाले ऊँचे-ऊँचे पर्वत भी बिजली गिरने से उस प्रकार खंडित अथवा नष्ट हो जाते हैं जिस प्रकार युद्ध भूमि में हथियारों के प्रहार से बड़े-बड़े वीर मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि क्रांति से बड़े लोग या पूँजीपति ही प्रभावित होते हैं। इसके विपरीत, पर्वतों के खंडित होने पर छोटे पौधे हँसते हैं, वे इससे अपार हरियाली प्राप्त करते हैं, और प्रसन्न होकर हाथ हिलाकर तुझे अर्थात बादल को बुलाते हैं। क्रांति से शोषित व दलित वर्ग को लाभ मिलता है अर्थात शोषित वर्ग जब शोषण के विरुद्ध आवाज उठाते हैं, तो बड़े से बड़े पूंजीपतियों का घमंड चूर-चूर हो जाता है। कवि कहता है कि पूँजीपतियों के द्वारा बनाए गए ऊँचे-ऊँचे भवन केवल भवन नहीं हैं बल्कि ये तो गरीबों में भय पैदा करने वाले भवन हैं। क्योंकि पूंजीपति लोगों ने इन्हें गरीबों का शोषण करके ही बनाया है। प्रलय से पूँजीपति वर्ग ही प्रभावित होता है। जबकि निम्न वर्ग में बच्चे कोमल शरीर के होते हैं तथा रोग व कष्ट की स्थिति में भी हमेशा हँसते-मुस्कराते रहते हैं। कवि बादल अर्थात क्रांतिकारी से कहता है कि शोषित वर्ग शोषण के कारण अत्यधिक कमजोर हो गया है और अब वह शोषण को ख़त्म करने के लिए बैचेन है। शोषकों ने शोषित वर्ग की जीवन-शक्ति छीन ली है अर्थात उनका रक्त रूपी सार तत्त्व चूस लिया है। अब वह केवल हड्डियों का ढाँचा मात्र रह गया है। कवि बादल अर्थात क्रांतिकारियों से कहता है कि तुम बरस कर किसान की गरीबी दूर करो अर्थात क्रांति करके शोषण को समाप्त करो।
बादल राग कविता की व्याख्या (Explanation)
काव्यांश 1 –
तिरती हैं समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जगके दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-
यह तेरी रण-तरी
भरी आकांक्षाओं से,
धन्, भेरी-गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
उर में पृथ्वी के, आशावों से
नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,
तक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल!
कठिन शब्द –
तिरती – तैरती, तैरना
समीर – वायु, हवा, सुबह की खुशबू
सागर – समुद्र, जलधि, उदधि
अस्थिर – क्षणिक, जो स्थिर न हो, डाँवाडोल, चंचल
दग्ध – जला या जलाया हुआ, भस्मीकृत
निर्दय – बेदर्द, जिसके मन में दया न हो, दयाहीन, निष्ठुर, क्रूर, बेरहम
विप्लव – विनाश, उपद्रव, उत्पात, उथल-पुथल, विपदा, विपत्ति, आफ़त
प्लावित – बाढ़ से ग्रस्त, डूबा हुआ (बाढ़ में), जलमग्न, जिसपर बाढ़ का पानी चढ़ आया हो, जल से व्याप्त, तैराया हुआ
माया – खेल, दौलत, भ्रम, इंद्रजाल, जादू, कपट, धोखा
रण – युद्ध, लड़ाई, जंग
तरी – नाव, नौका
आकांक्षा – कामना, अभिलाषा, इच्छा, चाह
भेरी – नगाड़ा, युद्ध क्षेत्र का बाजा नगाड़ा
गर्जन – गरजना, बादलों की गड़गड़ाहट, गुस्सा, युद्ध
सजग – जागरूक, सचेत, सावधान
सुप्त – सोया हुआ, निद्रित, रुका, थमा या दबा हुआ
अंकुर – बीज से निकला नन्हा पौधा, कोंपल, पल्लव, कली
उर – हृदय
नवजीवन – नया जीवन
व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ से महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित कविता ‘बादल राग’ से उद्धृत है। इस कविता में कवि ने बादलों को क्रान्ति का प्रतिक बतलाया है। कवि कहते है कि बादल वायु रूपी सागर पर ऐसे तैरते रहते हैं जैसे अस्थिर सुख पर दुख की छाया मंडराती रहती है। कहने का अभिप्राय यह है कि मानव जीवन में सुख व् दुःख हवा के समान चंचल है अथवा अस्थायी है। क्योंकि मानव जीवन में सुख और दुःख दोनों आते-जाते रहते हैं। और सुखों पर सैदेव दुःख रूपी बादल मंडराते रहते हैं। संसार के जले हुए हृदय पर निर्दयी विनाशरूपी माया के रूप में बादल हमेशा स्थित रहते हैं। अर्थात संसार का हृदय शोषण रूपी अग्नि से जला हुआ है और बादल दुःख व् शोषण से ग्रस्त संसार पर जल बरसा कर शोषण के खिलाफ लोगों के मन में दबे क्रान्ति के बीज को अंकुरित करता है। कवि बादलों से कहते हैं कि तुम्हारी युद्धरूपी नाव में आम आदमी की बहुत सारी इच्छाएँ भरी हुई हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि जिस प्रकार लोगों की उम्मीद होती है कि बादल जल बरसा कर गर्मी से राहत देगा उसी प्रकार लोगों को क्रान्ति से उम्मीद है कि उन्हें शोषण से मुक्ति मिलेगी। कवि कहता है कि हे बादल! तुम्हारे युद्ध क्षेत्र के नगाड़ों अर्थात तुम्हारी गरजना से धरती के अंदर सोए हुए अंकुर अर्थात बीज जाग जाते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि क्रांति की हुँकार से कमजोर व निष्क्रिय व्यक्ति भी शोषण के विरुद्ध संघर्ष के लिए तैयार हो जाते हैं। आगे कवि कहते हैं कि हे विप्लव के बादल! पृथ्वी के अंदर ये अंकुर नए जीवन की आशा में सिर उठाकर तुझे देख रहे हैं अर्थात शोषण का शिकार हुए लोग अपने मन में अपने उद्धार की आशाएँ लिए क्रान्ति की ओर ताकते रहते हैं।
काव्यांश 2 –
फिर-फिर
बार-बार गर्जन
वर्षण है मूसलधार,
हृदय थाम लेता संसार,
सुन-सुन घोर वज्र-हुंकार।
अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर,
क्षत-विक्षत हत अचल-शरीर,
गगन-स्पर्शी स्पर्द्धा धीर।
हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार-
शस्य अपार,
हिल-हिल ,
खिल-खिल,
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।
कठिन शब्द –
वर्षण – वृष्टि, वर्षा, बारिश
मूसलधार – भयंकर या भीषण, जोरों की बारिश
हृदय थामना – भयभीत होना
घोर – भयंकर, भयावह, विकराल, डरावना
वज्र-हुंकार – वज्रपात के समान भयंकर आवाज़
अशनि-पात – बिजली गिरना
शापित – शाप से ग्रस्त, शाप दिया हुआ
उन्नत – बड़ा, उच्च, उठा हुआ
शत-शत -सैकड़ो, सौ का संग्रह
विक्षप्त – घायल, पागलपन, उन्माद
हत – मरे हुए, जो मार डाला गया हो, वध किया हुआ
अचल – स्थिर, गतिहीन, पर्वत
गगन-स्पर्शी – आकाश को छूने वाला
स्पर्द्धा-धीर – आगे बढ़ने की होड़ करने हेतु बेचैनी
लघुभार – हलके
शस्य – हरियाली, अन्न, गल्ला, खाद्यान्न, धान्य
अपार – बहुत, जिसका पार न हो, अनंत, असीम
रव – शोर, शब्द, आवाज़
व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ से महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित कविता ‘बादल राग’ से उद्धृत है। कवि बादलों से कहता है कि तुम बार-बार गरजना करते हो तथा मूसलाधार बारिश करते हो। बार-बार तुम्हारी वज्र के समान भयानक आवाज को सुनकर संसार अपना हृदय थाम लेता है अर्थात संसार तुम्हारी वज्र के समान भयंकर आवाज से भयभीत हो जाता है। आकाश की ऊँचाइयों को छूने की इच्छा रखने वाले ऊँचे-ऊँचे पर्वत भी बिजली गिरने से उस प्रकार खंडित अथवा नष्ट हो जाते हैं जिस प्रकार युद्ध भूमि में हथियारों के प्रहार से बड़े-बड़े वीर मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि क्रांति से बड़े लोग या पूँजीपति ही प्रभावित होते हैं। इसके विपरीत, पर्वतों के खंडित होने पर छोटे पौधे हँसते हैं, वे इससे अपार हरियाली प्राप्त करते हैं, और प्रसन्न होकर हाथ हिलाकर तुझे अर्थात बादल को बुलाते हैं। विनाश के शोर से सदा छोटे प्राणियों को ही लाभ मिलता है। कहने का अभिप्राय यह है कि क्रांति से शोषित व दलित वर्ग को लाभ मिलता है अर्थात शोषित वर्ग जब शोषण के विरुद्ध आवाज उठाते हैं, तो बड़े से बड़े पूंजीपतियों का घमंड चूर-चूर हो जाता है।
काव्यांश 3 –
अट्टालिका नहीं है रे
आंतक–भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लवन,
क्षुद्र प्रफुल्ल जलजं से
सदा छलकता नीर,
रोग-शोक में भी हसता है
शैशव का सुकुमार शरीर।
रुद्ध कोष हैं, क्षुब्ध तोष
अंगना-अगा सो लिपटे भी
आतंक अंक पर काँप रहे हैं।
धनी, वज्र-गर्जन से बादल
त्रस्त नयन-मुख ढाँप रहे हैं।
कठिन शब्द –
अट्टालिका – अटारी, महल
आतंक-भवन – भय का निवास
यक – कीचड़, अकेला, एक
प्लावन – बाढ़, जल-प्रलय
क्षुद्र – तुच्छ, नगण्य, महत्वहीन, दरिद्र
प्रफुल- खिला हुआ, प्रसन्न, विकसित
जलज – कमल, जल में उत्पन्न होने वाला, जो जल में उत्पन्न हो
नीर – पानी, जल
शोक – दुख, गम, दर्द, दुखड़ा
शैशव – बचपन, लड़कपन
सुकुमार – कोमल, कोमलता, नर्मी, मुलायमत
रुदध – रुका हुआ
कोष – ख़ज़ाना, भंडार, धन-दौलत रखने की जगह
क्षुब्ध – क्रुद्ध, चिंतित, भयभीत
तोष – शांति, आनंद, प्रसन्नता, ख़ुशी
अंगना – पत्नी
अंग – शरीर
अंक – गोद
वज्र-गर्जन – वज्र के समान गर्जन
त्रस्त – पीड़ित, जो कष्ट में हो, डरा हुआ, भयभीत
व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ से महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित कविता ‘बादल राग’ से उद्धृत है। कवि कहता है कि पूँजीपतियों के द्वारा बनाए गए ऊँचे-ऊँचे भवन केवल भवन नहीं हैं बल्कि ये तो गरीबों में भय पैदा करने वाले भवन हैं। क्योंकि पूंजीपति लोगों ने इन्हें गरीबों का शोषण करके ही बनाया है। कवि कहता है कि सदैव कीचड़ पर ही अत्यधिक वर्षा के कारण होने वाली बाढ़ का प्रभाव पड़ता है। अर्थात भयंकर जल-प्रलय सदैव कीचड़ पर ही होता है। यही जल जब कमल की कोमल पंखुड़ियों पर पड़ता है तो वह और अधिक विकसित हो उठती है। कहने का अभिप्राय यह है कि प्रलय से पूँजीपति वर्ग ही प्रभावित होता है। जबकि निम्न वर्ग में बच्चे कोमल शरीर के होते हैं तथा रोग व कष्ट की स्थिति में भी हमेशा हँसते-मुस्कराते रहते हैं। पूँजीपतियों ने उनके आर्थिक साधनों व् धन पर कब्जा कर रखा है। इतना धन इकट्ठा कर लेने पर भी उन्हें शांति प्राप्त नहीं हुई है। अपनी प्रियाओं की गोद में लिपटे हुए होने के बावजूद भी बादलों की गर्जना अर्थात क्रान्ति की गूँज सुनकर काँप रहे हैं। उन्होंने क्रांति की गर्जन सुनकर के भय से अपनी आँखें बँद की हुई है तथा मुँह को छिपाए हुए हैं।
काव्यांश 4 –
जीर्ण बाहु, है शीर्ण शरीर,
तुझे बुलाता कृषक अधीर,
ऐ विप्लव के वीर!
चूस लिया हैं उसका सार,
धनी, वज़-गजन से बादल।
ऐ जीवन के पारावार!
कठिन शब्द –
जीर्ण – पुरानी, शिथिल, बदहाल, अत्यधिक पुराना
बहु – भुजा, जिसमें अनेक कोण हों, बहुभुज, कई तरह से होने वाला
शीण – कमजोर
कृषक – किसान, खेतिहर, हलवाहा
अधीर – व्याकुल, धैर्यहीन, उतावला, आतुर
विप्लव – विनाश, उपद्रव, उत्पात, उथल-पुथल, विपदा, विपत्ति, आफ़त
सार – प्राण, तत्व, सत्त
हाड़-मात्र – केवल हड्डयों का ढाँचा
यारावार – समुद्र
व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ से महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित कविता ‘बादल राग’ से उद्धृत है। कवि बादल अर्थात क्रांतिकारी से कहता है कि हे विप्लव के वीर! शोषण के कारण किसान की भुजाएँ बलहीन हो गई हैं, उसका शरीर कमजोर हो गया है। वह बैचेन हो कर तुझे बुला रहा है। कहने का अभिप्राय यह है कि शोषित वर्ग शोषण के कारण अत्यधिक कमजोर हो गया है और अब वह शोषण को ख़त्म करने के लिए बैचेन है। शोषकों ने शोषित वर्ग की जीवन-शक्ति छीन ली है अर्थात उनका रक्त रूपी सार तत्त्व चूस लिया है। अब वह केवल हड्डियों का ढाँचा मात्र रह गया है। कवि बादल अर्थात क्रांतिकारियों से कहता है कि हे जीवन-दाता! तुम बरस कर किसान की गरीबी दूर करो अर्थात क्रांति करके शोषण को समाप्त करो।
CBSE Class 12 Hindi Aroh and Vitan Lessons Explanation
- Atmaparichay, Ek Geet (आत्मपरिचय और एक गीत) Summary, Explanation, Word meanings
- Patang (पतंग) Summary, Explanation, Word meanings
- Kavita ke Bahaane, Baat Seedhi Thi Par (कविता के बहान और बात सीधी थी पर) Summary, Explanation, Word meanings
- Camere Mein Band Apahij (कैमरे में बंद अपाहिज) Summary, Explanation, Word meanings
- Usha (उषा) Summary, Explanation, Word meanings
- Baadal Raaga (बादल राग) Summary, Explanation, Word meanings
- Kavitawali, Lakshman Moorchha aur Ram ka Vilap (कवितावली और लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप) Summary, Explanation, Word meanings
- Rubaiyan (रुबाइयाँ) Summary, Explanation, Word meanings
- Chhota Mera Khet, Bagulon ke Pankh (छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख) Summary, Explanation, Word meanings
- Bhaktin (भक्तिन) Summary, Explanation, Word meanings
- Bazar Darshan (बाजार दर्शन) Summary, Explanation, Word meanings
- Kaale Megha Paani De (काले मेघा पानी दे) Summary, Explanation, Word meanings
- Pahalwan ki Dholak (पहलवान की ढोलक) Summary, Explanation, Word meanings
- Shireesh Ke Phool (शिरीष के फूल) Summary, Explanation, Word meanings
- Shram Vibhaajan Aur Jaati-Pratha (श्रम विभाजन और जाति-प्रथा पाठ सार) Summary, Explanation, Word meanings
CBSE Class 12 Hindi Aroh and Vitan Question Answers
- Atmaparichay, Ek Geet Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
- Patang Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
- Kavita ke Bahaane, Baat Seedhi Thi Par Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
- Camere Mein Band Apahij Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
- Usha Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
- Baadal Raaga Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
- Kavitawali, Lakshman Moorchha aur Ram ka Vilap Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
- Rubaiyan Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
- Chhota Mera Khet, Bagulon ke Pankh Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
- Bhaktin Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
- Bazar Darshan Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
- Kaale Megha Paani De Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
- पहलवान की ढोलक Pahalwan ki Dholak Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
- Shireesh Ke Phool Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
- Shram Vibhaajan Aur Jaati-Pratha Question Answers (Important) | Class 12 Hindi Aroh book
Also See: