CBSE Class 12 Hindi Chapter 1 Atmaparichay, Ek Geet (आत्मपरिचय और एक गीत) Question Answers (Important) from Aroh Book
Atmaparichay, EK Geet Class 12 – CBSE Class 12 Hindi Aroh Bhag-2 Chapter 1 Atmaparichay, EK Geet Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of the chapter, extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions.
सीबीएसई कक्षा 12 हिंदी आरोह भाग-2 पुस्तक पाठ 1 में हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित दो कविताएँ आत्मपरिचय और एक गीत प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है।
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सार-आधारित प्रश्न Extract Based Questions
सार–आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
आत्मपरिचय पर सार-आधारित प्रश्न
1 –
मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,
फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ!
कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ!
मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ,
मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ,
जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,
मैं अपने मन का गान किया करता हूँ!
प्रश्न 1 – ‘मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ’ पंक्ति से कवि का क्या तात्पर्य है?
(क) जीवन में भरी भरकम काम करना
(ख) जीवन में जिम्मेदारियों का बोझ उठाना
(ग) सम्पूर्ण संसार की कठिनाइयों को उठाना
(घ) जीवन का कष्टों से घिरा होना
उत्तर – (ख) जीवन में जिम्मेदारियों का बोझ उठाना
प्रश्न 2 – अपनी जिम्मेदारियों के बोझ को उठाते हुए भी कवि क्या कर लेता है?
(क) सभी से अच्छे से बात कर लेता है
(ख) सभी को अपने साथ लिए फिरता है
(ग) अपने जीवन से प्रेम करता है
(घ) अपने जीवन की जिम्मेदारियों से प्रेम करता है
उत्तर – (ग) अपने जीवन से प्रेम करता है
प्रश्न 3 – स्नेह-सुरा में कौन सा अलंकार है?
(क) रूपक अलंकार
(ख) अनुप्रास अलंकार
(ग) उत्प्रेक्षा अलंकार
(घ) मानवीकरण अलंकार
उत्तर – (क) रूपक अलंकार
प्रश्न 4 – ‘मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ’ कवि ने ऐसा क्यों कहा है?
(क) क्योंकि कवि संसार से अलग चलता है
(ख) क्योंकि कवि के अनुसार संसार में स्वार्थी व् चापलूस लोग भरे पड़े हैं
(ग) क्योंकि कवि के अनुसार संसार पर ध्यान देना मूर्खता है
(घ) क्योंकि कवि अपनी जिम्मेदारियों में उलझा हुआ है
उत्तर – (ख) क्योंकि कवि के अनुसार संसार में स्वार्थी व् चापलूस लोग भरे पड़े हैं
प्रश्न 5 – ‘जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते’ से कवि क्या कहना चाहते हैं?
(क) संसार उन लोगों की स्तुति करता है जो संसार के अनुसार चलते हैं
(ख) संसार का गुणगान करने से आधी समस्याएँ समाप्त हो जाती है
(ग) संसार के लोग संसार का ही गुणगान करते हैं
(घ) संसार में रहकर संसार की स्तुति करना आवश्यक हो जाता है
उत्तर – (क) संसार उन लोगों की स्तुति करता है जो संसार के अनुसार चलते हैं
2 –
मैं निज उर के उद्गार लिए फिरता हूँ,
मैं निज उर के उपहार लिए फिरता हूँ!
है यह अपूर्ण संसार न मुझको भाता
मैं स्वप्नों का संसार लिए फिरता हूँ!
मैं जला हृदय में अग्नि, दहा करता हूँ,
सुख-दुख दोनों में मग्न रहा करता हूँ!
जग भव-सागर तरने को नाव बनाए,
मैं भव मौजों पर मस्त बहा करता हूँ!
प्रश्न 1 – ‘उर के उद्गार’ से कवि का क्या आशय है?
(क) मन की भावनाएँ
(ख) जीवन में जिम्मेदारियाँ
(ग) मन की कठिनाइयाँ
(घ) मन के कष्ट
उत्तर – (क) मन की भावनाएँ
प्रश्न 2 – ‘ उर के उपहार’ से क्या तात्पर्य है?
(क) कवि के मन की भावना
(ख) कवि को मिलने वाली भेंट
(ग) कवि के मन की खुशियाँ
(घ) कवि के जीवन की जिम्मेदारियाँ
उत्तर – (ग) कवि के मन की खुशियाँ
प्रश्न 3 – कवि को संसार क्यों अच्छा नहीं लगता?
(क) क्योंकि कवि के अनुसार संसार अधूरा है
(ख) क्योंकि कवि के अनुसार संसार नीरस है
(ग) क्योंकि कवि के अनुसार संसार विस्तृत है
(घ) क्योंकि कवि के अनुसार संसार दुखों से भरा है
उत्तर – (क) क्योंकि कवि के अनुसार संसार अधूरा है
प्रश्न 4 – कवि के अनुसार संसार क्यों अधूरा है?
(क) क्योंकि संसार में प्रेम नहीं है
(ख) क्योंकि संसार बनावटी हैं
(ग) क्योंकि संसार स्वार्थी और चापलूसों से भरा है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – ‘जग भव-सागर तरने को नाव बनाए’ से कवि क्या कहना चाहते हैं?
(क) संसार के लोग भावनाओं रूपी सागर को पार करने के लिए कोशिश करते रहते हैं
(ख) संसार के लोग भावनाओं रूपी सागर को पार करने के लिए नाव बनाते हैं
(ग) संसार के लोग सागर को पार करने के लिए कोशिश करते रहते हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) संसार के लोग भावनाओं रूपी सागर को पार करने के लिए कोशिश करते रहते हैं
3 –
मैं यौवन का उन्माद लिए फिरता हूँ,
उन्मादों में अवसाद लिए फिरता हूँ,
जो मुझको बाहर हँसा, रुलाती भीतर,
मैं, हाय, किसी की याद लिए फिरता हूँ!
कर यत्न मिटे सब, सत्य किसी ने जाना?
नादान वहीं है, हाय, जहाँ पर दाना!
फिर मूढ़ न क्या जग, जो इस पर भी सीखे?
मैं सीख रहा हूँ, सीखा ज्ञान भुलाना!
प्रश्न 1 – पद्यांश की पहली चार पंक्तियों में कवि ने क्या वर्णन किया है?
(क) अपने मन के कष्टों को व्यक्त किया है
(ख) अपने मन के अनुभव को व्यक्त किया है
(ग) अपने जीवन के अनुभव को व्यक्त किया है
(घ) अपने सुख-दुःख को व्यक्त किया है
उत्तर – (ख) अपने मन के अनुभव को व्यक्त किया है
प्रश्न 2 – पद्यांश की अंतिम चार पंक्तियों में कवि ने क्या बताया है?
(क) अपने मन की भावना के बारे में
(ख) अपनी प्रिय के बारे में
(ग) अपने जीवन के विषय में
(घ) सांसारिक जीवन के विषय में
उत्तर – (घ) सांसारिक जीवन के विषय में
प्रश्न 3 – ‘उन्मादों में अवसाद’ में कौन सा अलंकार है?
(क) विरोधाभास अलंकार
(ख) पुनरुक्ति अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) उपमा अलंकार
उत्तर – (क) विरोधाभास अलंकार
प्रश्न 4 – पद्यांश में कवि किस सत्य को जानने की बात कर रहा है?
(क) संसार के सत्य की
(ख) कवि की प्रिय की
(ग) जीवन-सत्य की
(घ) सांसारिक वस्तुओं के सत्य की
उत्तर – (ग) जीवन-सत्य की
प्रश्न 5 – कवि सीखे हुए ज्ञान को क्यों भूलना चाहता है?
(क) क्योंकि कवि अपनी मस्ती में रहना चाहता है
(ख) क्योंकि कवि अपनी मस्ती में रहते हुए, अपने मन के अनुसार जीना चाहता है
(ग) क्योंकि कवि सांसारिक वस्तुओं से ऊब चूका है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) क्योंकि कवि अपनी मस्ती में रहते हुए, अपने मन के अनुसार जीना चाहता है
4 –
मैं और, और जग और, कहाँ का नाता,
मैं बना-बना कितने जग रोज़ मिटाता!
जग जिस पृथ्वी पर जोड़ा करता वैभव,
मैं प्रति पग से उस पृथ्वी को ठुकराता!
मैं निज रोदन में राग लिए फिरता हूँ,
शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ,
हों जिस पर भूपों के प्रासाद निछावर,
मैं वह खंडहर का भाग लिए फिरता हूँ।
प्रश्न 1 – पद्यांश में ‘मैं और, और जग और, कहाँ का नाता’ इस पंक्ति में आए तीन बार ‘और’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) पहला “और” कवि के लिए, दूसरा “और” संसार के लिए, तीसरा “और” संसार और कवि के बीच का संबंध बताता है
(ख) पहला “और” कवि के लिए, दूसरा “और” हमारे लिए, तीसरा “और” पाठको और कवि के बीच का संबंध बताता है
(ग) पहला “और” पाठकों के लिए, दूसरा “और” संसार के लिए, तीसरा “और” संसार और पाठकों के बीच का संबंध बताता है
(घ) पहला “और” कवि के लिए, दूसरा “और” संसार के लिए, तीसरा “और” पाठकों के लिए
उत्तर – (क) पहला “और” कवि के लिए, दूसरा “और” संसार के लिए, तीसरा “और” संसार और कवि के बीच का संबंध बताता है
प्रश्न 2 – ‘रोदन में राग’ और ‘शीतल वाणी में आग’ में कौन सा अलंकार है?
(क) विरोधाभास अलंकार
(ख) पुनरुक्ति अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) उपमा अलंकार
उत्तर – (क) विरोधाभास अलंकार
प्रश्न 3 – ‘मैं बना-बना कितने जग रोज़ मिटाता!’ से कवि का क्या आशय है?
(क) कवि घमंडी है जो संसार की परवाह नहीं करता
(ख) कवि को संसार पर कविता लिखने का शोक है
(ग) कवि अपनी कल्पना में नए-नए संसार बनाता और बिगाड़ता है
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ग) कवि अपनी कल्पना में नए-नए संसार बनाता और बिगाड़ता है
प्रश्न 4 – ‘मैं और, और जग और, कहाँ का नाता’ में कौन सा अलंकार है?
(क) उपमा अलंकार
(ख) पुनरुक्ति अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) यमक अलंकार
उत्तर – (घ) यमक अलंकार
प्रश्न 5 – कवि किस खंडहर का वर्णन कर रहा है?
(क) प्रेम महल के खंडहर
(ख) राज महल के खंडहर
(ग) महल के खंडहर
(घ) जीवन के खंडहर
उत्तर – (क) प्रेम महल के खंडहर
5 –
मैं रोया, इसको तुम कहते हो गाना,
मैं फूट पड़ा, तुम कहते, छंद बनाना!
क्यों कवि कहकर संसार मुझे अपनाए,
मैं दुनिया का हूँ एक नया दीवाना!
मैं दीवानों का वेश लिए फिरता हूँ,
मैं मादकता निःशेष लिए फिरता हूँ!
जिसको सुनकर जग झूम, झुके, लहराए,
मैं मस्ती का संदेश लिए फिरता हूँ!
प्रश्न 1 – संसार लेखक के रोने अर्थात दुःख को क्या समझता है?
(क) प्रेम
(ख) गीत
(ग) शब्द
(घ) मादकता
उत्तर – (ख) गीत
प्रश्न 2 – ‘क्यों कवि कहकर संसार मुझे अपनाए’ में कौन सा अलंकार है?
(क) प्रश्न अलंकार
(ख) पुनरुक्ति अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) उपमा अलंकार
उत्तर – (क) प्रश्न अलंकार
प्रश्न 3 – कवि अपने आप को क्या कहलाना पसंद करता है?
(क) उभरता हुआ कवि
(ख) एक आम व्यक्ति
(ग) एक नया दीवाना
(घ) एक संदेशवाहक
उत्तर – (ग) एक नया दीवाना
प्रश्न 4 – कवि संसार को क्या सन्देश देता फिरता है?
(क) प्रेम का
(ख) झूमने का
(ग) झुकने का
(घ) मादकता का
उत्तर – (क) प्रेम का
प्रश्न 5 – कवि के संदेश से संसार पर उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है?
(क) संसार झूमता है
(ख) संसार आनंद से लहराता है
(ग) संसार झुकता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
एक गीत पर सार-आधारित प्रश्न
1 –
बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगे-
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है !
मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचला?
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विहवलता हैं!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
प्रश्न 1 – पद्यांश में चिड़िया के घोंसले के कैसे दृश्य की कल्पना की गई हैं?
(क) भोजन की आशा में घोंसलों से झांकते बच्चे
(ख) तेजी से घोंसले की और आती चिड़िया
(ग) बच्चों से भरा पूरा घोंसला
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) भोजन की आशा में घोंसलों से झांकते बच्चे
प्रश्न 2 – चिड़िया के पंखों में चंचलता आने का क्या कारण है?
(क) क्योंकि उन्हें अपने घोंसले की चिंता हो जाती है
(ख) क्योंकि उन्हें अपने बच्चों की चिंता में बेचैनी हो जाती है
(ग) क्योंकि उन्हें अपने घोंसले में रात होने से पहले पहुँचना है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) क्योंकि उन्हें अपने बच्चों की चिंता में बेचैनी हो जाती है
प्रश्न 3 – ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता हैं’ से क्या आशय है?
(क) दिन जल्दी गुजरता है
(ख) सूर्य दिन में जल्दी ढलता है
(ग) दिन का समय जल्दी निकलता है
(घ) समय परिवर्तनशील है
उत्तर – (घ) समय परिवर्तनशील है
प्रश्न 4 – ‘मुझसे मिलने’ में कौन सा अलंकार है?
(क) प्रश्नालंकार
(ख) अनुप्रास अलंकार
(ग) यमक अलंकार
(घ) उपमा अलंकार
उत्तर – (ख) अनुप्रास अलंकार
प्रश्न 5 – ‘मैं होऊँ किसके हित चंचल?’ में कौन सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) यमक अलंकार
(ग) प्रश्नालंकार
(घ) उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्तर – (ग) प्रश्नालंकार
पाठ्यपुस्तक पर आधारित प्रश्न – Textbook Based Questions
प्रश्न 1 – कविता एक ओर जग-जीवन का भार लिए घूमने की बात करती है और दूसरी ओर ‘मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ’-विपरीत से लगते इन कथनों का क्या आशय हैं?
उत्तर – कविता में एक ओर कवि जग-जीवन का भार लिए घूमने की बात करता है। जग-जीवन का भार लेने से कवि का आशय यह है कि वह अपने जीवन के सभी दायित्वों को निभा रहा है। वह भी एक आम व्यक्ति ही है, वह आम व्यक्ति से बिलकुल अलग नहीं है। जिस तरह एक आम व्यक्ति अपने सुख-दुख, लाभ-हानि आदि को झेलते हुए अपना जीवन यापन करता है कवि भी अपनी जीवन यात्रा इसी तरह पूरी कर रहा है। परन्तु कविता में दूसरी तरफ कवि कहता है कि वह कभी संसार की तरफ ध्यान नहीं देता, उसे संसार की कोई परवाह नहीं है। यहाँ पर कवि अपने जीवन के दायित्वों से मुँह मोड़ने की बात नहीं कर रहा है। बल्कि वह संसार की स्वार्थी व् चापलूसी भरी बातों पर ध्यान न देकर केवल प्रेम पर ध्यान देने की बात कर रहा है। इन दोनों पंक्तियों का आशय यह है कि कवि अपने आप को आम व्यक्तियों से अलग मानता है क्योंकि एक आम व्यक्ति सामाजिक बाधाओं से डरकर कुछ नहीं कर पाता। परन्तु कवि सांसारिक बाधाओं की परवाह न करते हुए अपने मन की करता है। इस प्रकार कह सकते हैं कि इन दोनों पंक्तियों के अपने-अपने अर्थ हैं और ये एक-दूसरे के विपरीत नहीं है।
प्रश्न 2 – जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं – कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर – नादान अर्थात मूर्ख व्यक्ति और दाना अर्थात ज्ञानी व्यक्ति। ‘जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं ‘ पंक्ति का आशय है कि समाज में मुर्ख और ज्ञानी दोनों ही तरह के व्यक्ति होते हैं।
एक ओर मुर्ख व्यक्ति सांसारिक मोह-माया में फसा रहता है। उसे यह ज्ञात होते हुए भी कि यह मोह-माया केवल एक भ्र्म है फिर भी वह इस मोह-माया के बंधन में फैसा रहता है। भौतिक सुख-सुविधाओं के पीछे भागते हुए वह अपने जीवन की राह से भटक जाते है। परन्तु इसके विपरीत, कुछ ज्ञानी लोग भी समाज में रहते हैं जो इस सांसारिक मोह-माया से दूर रहते हुए केवल प्रेम पूर्वक अपनी मस्ती में अपना जीवन जीते हैं और दूसरों को भी मोह-माया से दूर करने व् प्रेम बांटने का प्रयास करते रहते हैं।
प्रश्न 3 – मैं और, और जग और कहाँ का नाता – पंक्ति में ‘और’ शब्द की विशेषता बताइए।
उत्तर – मैं और, और जग और कहाँ का नाता – पंक्ति में ‘और’ शब्द का तीन बार प्रयोग हुआ है। पहले ‘और’ शब्द को कवि अपने लिए प्रयोग कर रहा है, जिसमें कवि स्वयं को आम व्यक्ति से अलग बताता है। वह आम व्यक्तियों की तरह सांसारिक भोग-विलास में नहीं फसता। दूसरा ‘और’ शब्द संसार के लिए प्रयोग किया गया है, जिसमें संसार की विशेषता को बताया गया है। तीसरे ‘और’ का प्रयोग ‘संसार और कवि में किसी तरह का संबंध है यह दर्शाने के लिए किया गया है। तीनों और शब्द का अर्थ अलग-अलग है, अत: यहाँ यमक अलंकार है।
प्रश्न 4 – शीतल वाणी में आग’ के होने का क्या अभिप्राय हैं?
उत्तर – ‘शीतल वाणी में आग’ पंक्ति में कवि ने विरोधाभास अलंकार का प्रयोग किया है। कवि की वाणी भले ही शीतलता प्रदान करने वाली है, परंतु उसके मन में समाज के प्रति विद्रोह, असंतोष का भाव है। कवि प्रेम-रहित संसार को स्वीकार नहीं करता। कवि अपने शब्दों के माध्यम से लोगों के दिलों में उत्साह व जोश जगाने की असीम शक्ति रखता हैं। इसी कारण ‘शीतल वाणी में आग’ कहा गया है।
प्रश्न 5 – बच्चे किस बात की आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे?
उत्तर – पक्षी दिन भर भोजन की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते हैं। उनके बच्चे घोंसलों में माता-पिता की प्रतीक्षा करते रहते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि उनके माता-पिता उनके लिए दाना लाएँगे। साथ-साथ वे छोटे बच्चे इस प्रतीक्षा में रहते हैं कि कब उनके माता-पिता आएंगे और कब उनके उनका स्पर्श व उनकी गोद, उनका प्रेम-प्रदर्शन भी असीम आनंद उन्हें मिलेगा। यही सब सोचते हुए और अपने माता-पिता की प्रतीक्षा करते हुए वे नीड़ों से झाँकते हैं।
प्रश्न 6 – ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता हैं’ – की आवृति से कविता की किस विशेषता का पता चलता हैं?
उत्तर – ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ – की आवृत्ति से यह प्रकट होता है कि समय प्रगतिशील है वह किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। कविता से हमें ज्ञात होता है कि जब व्यक्ति अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ता है तो उसे समय जल्दी-जल्दी बीतता प्रतीत होता है।
कविता में इस पंक्ति की एक और विशेषता यह भी है कि इस पंक्ति के कारण कविता में एक लय आती है जिससे कविता अधिक आकर्षक लगती है।
‘आत्मपरिचय और एक गीत’ कविता पर आधारित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न – (Important Question Answers)
प्रश्न 1 – कवि जग-जीवन को भार क्यों समझता है?
उत्तर – कवि जग-जीवन को भार समझता है क्योंकि कवि संसार में जीवन का भार अर्थात सांसारिक कठिनाइयों अथवा जिम्मेदारियों का बोझ उठाता घूमता है जबकि कवि को इन जिम्मेदारियों को निभाने से अधिक अपने जीवन को प्रेम व् मस्ती से जीना पसंद है। जिस कारण कवि को जग-जीवन भार प्रतीत होता है।
प्रश्न 2 – कवि के मन को किसने झंकृत कर दिया?
उत्तर – कवि अपने जीवन को सितार की तरह मानते हैं, जिसके तारों को उनके अनुसार किसी ने छूकर कम्पित कर दिया है अर्थात छेड़ दिया है। और वे मानते हैं कि उनका जीवन इन्हीं तार रूपी साँसों के कारण चल रहा है। कहने का तात्पर्य यह है कि किसी प्रिय के द्वारा कवि के कोमल मन की भावनाओं को छू लेने से जो दिल में हलचल पैदा हुई है, उसी प्रेम से भरे हुए अपने जीवन को कवि जी रहा है।
प्रश्न 3 – कवि और संसार में क्या भिन्नता है, स्पष्ट कीजिए?
उत्तर – कवि के अनुसार उन्हें उनके जीवन में जो प्रेम मिला है। वे उसी प्रेम रूपी मदिरा अर्थात शराब को पीकर उसके नशे में मस्त रहते हैं। उन्होंने कभी संसार की परवाह नहीं की। क्योंकि कवि के अनुसार यह पूरा संसार उन्हीं लोगों को अधिक महत्व देता है या उन्ही को पूछता हैं जो संसार के अनुसार चलते हैं तथा उनका गुणगान करते हैं। लेकिन कवि अपने मन की इच्छा के अनुसार चलता है, अर्थात कवि वही करता है जो उसका मन कहता है। फिर दुनिया उनके बारे में क्या कहेगी, इसकी उन्होंने कभी परवाह नहीं की। कहने का तात्पर्य यह है कि कवि और संसार दोनों एक-दूसरे से बिलकुल अलग है।
प्रश्न 4 – कवि को कैसा संसार पसंद नहीं आता? और कवि कैसे संसार में रहना पसंद करता है?
उत्तर – कवि हर समय अपने हृदय के भावों को संसार के समक्ष लाने की कोशिश करता रहता है। कवि को जो प्रेम रूपी भेंट मिली है वह उसको हमेशा अपने दिल में लिए फिरता है। कवि के अनुसार यह संसार अधूरा है, जिस कारण उसको यह संसार पसंद नहीं आता। यही वजह है कि कवि अपनी कल्पना के संसार में खुश रहता है। कहने का तात्पर्य यह है कि कवि को स्वार्थी व् चापलूसी से भरे संसार में रहने से अधिक, अपनी कल्पना के संसार में (जहाँ प्रेम ही प्रेम भरा है) रहना पसंद है।
प्रश्न 5 – यौवन के उन्माद से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर – कवि अपनी जवानी के पागलपन की मस्ती में घूमता रहता है। इस पागलपन के कारण कवि अनेक दुखों व् निराशा का भी सामना करता है और वह इन दुखों व् निराशा को साथ में लिए घूमता है। अर्थात वह अपना जीवन दुखों व् निराश के साथ जी रहा है। कवि किसी प्रिय को याद करता रहता है जिसकी याद उसे बाहर से तो हँसा जाती है, परंतु उसका मन रो देता है अर्थात याद आने पर कवि का मन व्याकुल हो जाता है।
प्रश्न 6 – ‘नादान वहीं है, हाय, जहाँ पर दाना’ पंक्ति में कवि क्या बताना चाहता है?
उत्तर – इस संसार में लोगों ने सत्य को जानने की कोशिश की, परंतु कोई भी सत्य को नहीं जान पाया और बिना सत्य जाने ही इस संसार को छोड़ कर चले गए। कवि बताते हैं कि नादान अर्थात मूर्ख भी वहीं होते हैं जहाँ समझदार एवं चतुर होते हैं। कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि हर व्यक्ति अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए वैभव, समृद्ध, भोग-विलास की तरफ भाग रहा है। वे इतना सत्य भी नहीं सीख सके हैं कि सांसारिक वस्तुएँ सदैव के लिए नहीं रहती। यह सब जानते समझते हुए भी अगर यह संसार कुछ सीख नहीं पाता हैं तो, फिर इसे मूर्ख ही कहा जायेगा। कवि कहते हैं कि वह इस बात को जान चुका है। उन्होंने इस दुनिया में रहते हुए जो भी सांसारिक बातें सीखी हैं, अब वह उनको भूलना चाहता है। क्योंकि कवि अपनी मस्ती में रहते हुए, अपने मन के अनुसार जीना चाहता है।
प्रश्न 7 – कवि का और संसार का क्या संबंध है?
उत्तर – कवि का और संसार का कोई संबंध नहीं है। कहने का तात्पर्य यह है कि कवि जिस तरह का व्यक्ति है, संसार उससे बिलकुल अलग है। अर्थात कवि और संसार में कोई समानता नहीं है। कवि हर रोज अपनी कल्पना के अनुसार संसार का निर्माण करता है, फिर उसे मिटा देता है। कवि कहता है कि यह संसार इस धरती पर सुख-समृद्धि के साधन इकट्ठे करता रहता है, उस धरती को कवि हर कदम पर ठुकराया करता है। कहने का तात्पर्य यह है कि कवि जिस धरती पर रहता है उसके अनुसार न चल कर उसके विपरीत व्यवहार करता है।
प्रश्न 8 – कवि को संसार की कौन सी बात समझ नहीं आती?
उत्तर – प्रेम की पीड़ा के कारण कवि के मन का रोना अर्थात मन की पीड़ा शब्द रूप में प्रकट हुई और उसके इस रोने को संसार ने गीत समझा। जब कवि की वेदना अधिक हो गई, तो उसने अपने दुख को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करना चाहा और संसार इस प्रक्रिया को मात्राओं का निश्चित मान अनुसार पद्य रचना मानने लगी। कवि को यह समझ नहीं आ रहा है कि यह संसार उसे कवि के रूप में क्यों अपनाना चाह रहा है? क्योंकि कवि तो स्वयं को नया दीवाना कहता है जो इस दुनिया में मिलने वाली हर परिस्थितियों में मस्त रहता है।
प्रश्न 9 – कवि अपने आप को दीवाना क्यों कहता है?
उत्तर – कवि दीवानों का रूप धारण करके संसार में घूमता रहता है। उसके जीवन में जो प्रेम रूपी मस्ती शेष रह गई है, वह उसे लिए घूमता फिरता है। कवि उसी प्रेम रूपी मस्ती का सन्देश लिए फिरता है जिसको सुनकर सारा संसार झूम उठता है। कवि के प्रेम भरे गीतों की मस्ती सुनकर लोग प्रेम में झुक जाते हैं तथा प्रेम के आनंद से झूमने लगते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि कवि अपने मन के भावों को शब्दों में व्यक्त करता है और संसार के लोग उन शब्दों को गीत समझकर झूम उठते हैं।
प्रश्न 10 – लक्ष्य प्राप्ति की होड़ में समय जल्दी-जल्दी गुजरता हुआ प्रतीत होता है इसे कवि ने किस तरह समझाने का प्रयास किया है?
उत्तर – लक्ष्य प्राप्ति की होड़ में समय जल्दी-जल्दी गुजरता हुआ प्रतीत होता है इसे कवि समझाते हुए कहते हैं कि कहीं रास्ते में ही रात न हो जाए इस वजह से शाम होते देखकर यात्री तेजी से चलता है। यात्री को पता है कि उसकी मंजिल दूर नहीं है, इस कारण वह दिन भर थका होने के बावजूद भी जल्दी-जल्दी चलता है। कहने का तातपर्य यह है कि लक्ष्य-प्राप्ति के लिए पथिक अपने थके हुए शरीर के बावजूद भी मन में भी उल्लास, तरंग और आशा भर कर अपने पैरों की गति कम नहीं होने देता।
प्रश्न 11 – चिड़ियाँ दिन ढलने पर चंचल क्यों हो जाती हैं?
उत्तर – चिड़ियाँ दिन ढलने पर चंचल अर्थात अत्यधिक क्रियाशील हो उठती हैं। वे जितनी जल्दी हो सके अपने घोंसलों में पहुँचना चाहती हैं क्योंकि उन्हें ध्यान आता है कि उनके बच्चे भोजन की आशा में घोंसलों से बाहर झाँक रहे होंगे। यह ध्यान आते ही वे अपने पंखों को तेजी से चलती है क्योंकि दिन जल्दी जल्दी ढल रहा है और वे जल्दी-जल्दी अपने घोंसलों में पहुँच जाना चाहती हैं।
प्रश्न 12 – कवि अपने आप को थका हुआ क्यों महसूस करता है?
उत्तर – इस संसार में कवि अपने आप को बिलकुल अकेला मानता है। इस कारण कवि को लगता है कि उससे मिलने के लिए कोई भी परेशान नहीं होता, अर्थात कोई उसकी प्रतीक्षा नहीं करता, तो भला वह किसके लिए चंचल हो अर्थात किसके लिए भागकर घर जाए। कवि के मन में जैसे ही यह प्रश्न आता है तो उसे महसूस होता है कि उसके पैर ढीले हो गए हैं अर्थात कवि अपने आप को थका हुआ महसूस करता है।
‘आत्मपरिचय और एक गीत’ कविता पर आधारित कुछ बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 1 – ‘आत्मपरिचय’ कविता के कवि कौन हैं?
(क) अमिताभ बच्चन जी
(ख) हरिवंश राय बच्चन जी
(ग) हरिश्चंद्र राय बच्चन जी
(घ) पुरुषोत्तम राय बच्चन जी
उत्तर – (ख) हरिवंश राय बच्चन जी
प्रश्न 2 – कवि इस संसार में किसका भार लिए फिर रहा हैं?
(क) जग-जीवन का
(ख) प्रेम-रहित जीवन का
(ग) जीवन की जिम्मेदारियों का
(घ) जीवन के सुख-दुःख का
उत्तर – (क) जग-जीवन का
प्रश्न 3 – ‘जग-जीवन’ में कौन सा अलंकार हैं?
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) यमक अलंकार
(ग) उत्प्रेक्षा अलंकार
(घ) उपमा अलंकार
उत्तर – (क) अनुप्रास अलंकार
प्रश्न 4 – कवि ने कौन सा पान किया हैं?
(क) मदिरा
(ख) प्रेम
(ग) स्नेह सुरा
(घ) अनुराग सुरा
उत्तर – (ग) स्नेह सुरा
प्रश्न 5 – ‘स्नेह-सुरा’ में कौन सा अलंकार है?
(क) यमक अलंकार
(ख) रूपक अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) उपमा अलंकार
उत्तर – (ख) रूपक अलंकार
प्रश्न 6 – कवि किसकी परवाह नहीं करता है?
(क) समाज की
(ख) संसार की
(ग) गाँव की
(घ) घर की
उत्तर – (ख) संसार की
प्रश्न 7 – कवि के अनुसार ये दुनिया कैसे लोगों से भरी पड़ी है?
(क) गरीब व अमीर लोगों से
(ख) सच्चे व अच्छे लोगों से
(ग) छोटे व बड़े लोगों से
(घ) चापलूस व स्वार्थी लोगों से
उत्तर – (घ) चापलूस व स्वार्थी लोगों से
प्रश्न 8 – कवि के अनुसार यह दुनिया क्यों अपूर्ण या अधूरी है?
(क) प्रेम का अभाव
(ख) क्रोध का अभाव
(ग) साथी का अभाव
(घ) जीवन का अभाव
उत्तर – (क) प्रेम का अभाव
प्रश्न 9 – कवि अपने हृदय में सदैव क्या जला कर रखते हैं?
(क) क्रोध रूपी अग्नि
(ख) प्रेम रूपी अग्नि
(ग) क्रान्ति रूपी अग्नि
(घ) जीवन रूपी अग्नि
उत्तर – (ख) प्रेम रूपी अग्नि
प्रश्न 10 – ‘भव-सागर’ में कौन सा अलंकार है?
(क) यमक अलंकार
(ख) रूपक अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) उपमा अलंकार
उत्तर – (ख) रूपक अलंकार
प्रश्न 11 – ‘सुख-दुख’ में कौन सा समास है?
(क) द्वंद समास
(ख) तत्पुरुष समास
(ग) अव्ययीभाव समास
(घ) द्विगु समास
उत्तर – (क) द्वंद समास
प्रश्न 12 – कवि के यौवन के उन्माद में भी क्या छुपा हैं?
(क) विरोध
(ख) प्रेम
(ग) अवसाद
(घ) उवसाद
उत्तर – (ग) अवसाद
प्रश्न 13 – कवि की वाणी कैसी हैं?
(क) उग्र
(ख) कठोर
(ग) शीतल
(घ) अवसादी
उत्तर – (ग) शीतल
प्रश्न 14 – दुनिया कवि को किस रूप में अपनाती है?
(क) कवि के
(ख) ज्ञानी के
(ग) नादान के
(घ) विरोधी के
उत्तर – (क) कवि के
प्रश्न 15 – कवि दुनिया को कौन सा संदेश देना चाहते हैं?
(क) उग्र भाव से जीवन जीने का
(ख) कठिनाइयों का सामना करने का
(ग) भौतिक सुख-सुविधाओं के साथ जीवन जीने का
(घ) मौज मस्ती से जीवन जीने का
उत्तर – (घ) मौज मस्ती से जीवन जीने का
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