CBSE Class 12 Hindi Aroh Bhag 2 Book Chapter 11 Bazar Darshan Question Answers
Bazar Darshan Class 12 – CBSE Class 12 Hindi Aroh Bhag-2 Chapter 11 Bazar Darshan Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of the chapter, extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions.
सीबीएसई कक्षा 12 हिंदी आरोह भाग-2 पुस्तक पाठ 11 बाजार दर्शन प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है।
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बाजार दर्शन पाठ के पाठ्यपुस्तक पर आधारित प्रश्न – Textbook Based Questions
प्रश्न 1 – बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है?
उत्तर – बाजार में एक जादू हैं जो आँखों के रास्ते काम करता हैं। बाजार की जादुई ताकत हमें अपना गुलाम बना लेती है। अगर हम अपनी आवश्यकताओं को ठीक-ठीक समझकर बाजार का उपयोग करें, तो उसका लाभ उठा सकते हैं। लेकिन अगर हम ज़रूरत को तय कर बाजार में जाने के बजाय उसकी चमक-दमक में फँस गए तो वह असंतोष, तृष्णा और ईर्ष्या से घायल कर हमें सदा के लिए बेकार बना सकता है। अगर मन खाली हो तो बाजार जाना ही नहीं चाहिए। क्योंकि अगर आँखे बंद भी कर ली जाए तो तब भी मन यहां वहां घूमता रहता है। हमें अपने मन पर खुद ही नियंत्रण रखना होगा। क्योंकि अगर व्यक्ति की जेब भरी है और मन भी भरा है तो बाजार का जादू उस पर असर नहीं करेगा। लेकिन अगर जेब भरी है और मन खाली है तो बाजार उसे जरूर आकर्षित करेगा। और फिर व्यक्ति को सभी चीज़े अपने काम की लगेगी और बिना सोचे विचारे वह सारा सामान खरीदने लगेगा।
प्रश्न 2 – बाजार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभरकर आता है? क्या आपकी नज़र में उनको आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है?
उत्तर – भगत जी बहुत ही संतोषी व्यक्ति हैं। अत्यधिक धन कमाने या इकठ्ठा करने में उनकी बिलकुल रुचि नहीं है। इसीलिए छह आने की आमदनी होने के बाद वो बचा चूर्ण बच्चों में बाँट देते हैं। यहाँ तक की उनका अपने मन पर भी पूरा नियंत्रण रहता है। वो जब अपने सामान के लिए भी बाजार जाते हैं तो बाजार की चकाचौंध से आकर्षित हुए बिना सिर्फ अपनी जरूरत का सामान खरीद कर सीधे अपने घर वापस आते हैं। भगत जी जैसे लोग ही बाजार को उसकी सच्ची सार्थकता देते हैं। ऐसे लोग समाज को प्रेम, भाईचारे व सदभावना का संदेश देते हैं और हमारी नज़र में भी उनका जैसे आचरण रखने वाले व्यक्ति समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकते हैं।
प्रश्न 3 – ‘बाज़ारूपन’ से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार के व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं अथवा बाज़ार की सार्थकता किसमें हैं?
उत्तर – ‘बाजारूपन’ से तात्पर्य है – दिखावे के लिए केवल पैसे के बल पर बाजार का उपयोग। बाजार की सार्थकता तभी है जब व्यक्ति केवल अपनी जरूरत का सामान खरीदें। बाजार हमेशा ग्राहकों को अपनी चकाचौंध से आकर्षित करता है। व्यक्ति का अपने मन पर नियंत्रण होना चाहिए। लेकिन जो लोग अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण नहीं रखते हैं। ऐसे व्यक्ति न तो खुद बाज़ार से कुछ लाभ उठा सकते हैं और न ही बाजार को लाभ दे सकते हैं। ये लोग सिर्फ बाजार का बाजारूपन बढ़ाते हैं। जिससे बाजार में छल कपट बढ़ता हैं। सद्भावना का नाश होता हैं। फिर ग्राहक और विक्रेता के बीच संबंध सद्भावना का न होकर, केवल लाभ-हानि तक ही सीमित रहता हैं।
प्रश्न 4 – बाज़ार किसी का लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता, वह देखता है सिर्फ उसकी क्रय शक्ति को। इस रूप में वह एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर – यह बात बिलकुल सत्य है कि बाजार कभी किसी को लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र के आधार पर नहीं देखता। वह केवल व्यक्ति के खरीदने की शक्ति को देखता है। अर्थात जो व्यक्ति जेब से जितना भरा होगा और मन से खाली होगा वह बाजार के लिए उपयोगी होगा। कहने का आशय यह है कि जो व्यक्ति जितना अधिक सामान खरीद सकता है वह बाजार में सर्वश्रेष्ठ है। बाजार ग्राहक को सिर्फ ग्राहक मानता हैं। वह गरीब-अमीर या किसी धर्म विशेष का नहीं मानता हैं। जिससे वह एक प्रकार से सामाजिक समता की रचना भी कर रहा है।
प्रश्न 5 – आप अपने समाज से कुछ ऐसे प्रसंग का उल्लेख करें
(क) जब पैसा शक्ति के परिचायक के रूप में प्रतीत हुआ।
उत्तर – एक बार एक एक बड़े नेता का लड़का अपने दोस्तों के साथ पार्टी करके लौट रहा था और उसकी कार की स्पीड सामान्य से बहुत अधिक थी। इस कारण उनकी कार से एक बच्चे को ठोकर लग गई। मौके पर उन्हें पुलिस अधिकारी ने रोक दिया। परन्तु नेता जी का लड़का अपने पिता का नाम लेकर पुलिस अधिकारी को डराने लगा। परन्तु पुलिस अधिकारी ईमानदार और अपने कर्तव्य के प्रति सजग होने के कारण लड़के की कोई भी बात न माना। लड़के ने अपने पिता को फ़ोन किया जिससे बाद में नेता जी ने पैसों के दम पर उस बच्चे के माता-पिता को खरीद दिया और अपने बेटे को निर्दोष साबित कर दिया। उस समय हर किसी को पैसा शक्ति के परिचायक के रूप में प्रतीत हुआ।
(ख) जब पैसे की शक्ति काम नहीं आई।
उत्तर – एक नामी आमिर व्यक्ति अपनी पत्न्नी को अस्पताल ले कर आया क्योंकि उसकी पत्नी को पेट में भयंकर दर्द हो रहा था। जाँच के बाद पता चला कि उसके पेट में कैंसर नामक रोग घर कर गया है और अब उसका इलाज संभव नहीं है। उस अमीर व्यक्ति ने पैसों के जोर पर बड़े-से-बड़े अस्पताल में अपनी पत्नी का इलाज करवाना चाहा पर अत्याधिक देर होने के कारण उसकी पत्नी को बचाया नहीं जा सका। उस समय एहसास हुआ कि हर समय पैसे की शक्ति काम नहीं आती।
बाजार दर्शन पाठ पर आधारित अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – (Important Question Answers)
प्रश्न 1 – लेखक ने पाठ का नाम ‘बाजार दर्शन’ क्यों रखा होगा?
उत्तर – लेखक ने पाठ का नाम ‘बाजार दर्शन’ इसलिए रखा होगा क्योंकि पाठ में लेखक ने हमें अलग-अलग उदाहरण दे कर बाज़ार के दर्शन करवाए हैं अर्थात् बाज़ार के बारे में बताया है कि बाजार में कौन-कौन सी चीजें मिलती हैं, वस्तुओं की बिक्री के लिए उन्हें कैसे रखा जाता है। यह बाज़ार किस तरह आकर्षित करता है। लोग बाज़ार से आकर्षित होने से कैसे बच सकते हैं इत्यादि।
प्रश्न 2 – ‘पैसे में पर्चेजिंग पावर है’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – पैसा ही पावर है क्योंकि आज के समय में पैसे से ही सब कुछ खरीदा जा सकता हैं। बिना पैसे के जीवन जीना असंभव है। पैसे में पर्चेजिंग पावर है कहने का आशय यह है कि जेब में जितना अधिक पैसा होगा, उतना ही अधिक सामान की खरीदारी की जा सकेगी। फिर चाहे वो सामान उनकी जरूरत का हो या न हो। कुछ लोग इसी पर्चेजिंग पावर का इस्तेमाल करने में खुशी महसूस करते हैं।
प्रश्न 3 – कौन-से लोग फिजूल खर्ची नहीं करते?
उत्तर – लेखक कहता है कि संयमी लोग फिजूल खर्ची नहीं करते। वे उसी वस्तु को खरीदते हैं जिनकी उन्हें ज़रूरत होती है। बाजार के आकर्षण में ये कभी नहीं फँसते। उन्हें अपनी ज़रूरत से मतलब है न कि बाजारूपन से। जो चाहिए वही खरीदा नहीं तो छोड़ दिया। ऐसे लोग पैसे के महत्व को समझते है और फ़जूल खर्ची करने से अपने मन पर नियंत्रण रखते हैं और अपनी बुद्धि और संयम से जोड़े हुए पैसों को खर्च करने के बजाय सहेज कर रखने में ज्यादा गर्व महसूस करते है।
प्रश्न 4 – लेखक के मित्र ने अपने फजूल खर्ची का क्या जवाब दिया?
उत्तर – लेखक ने जब अपने मित्र से पूछा कि उसने इतना फजूल सामान क्यों खरीदा तो उन्होंने बाजार को दोष देते हुए जबाब दिया कि यह बाजार तो शैतान का जाल है। जहाँ सामान को कुछ इस तरह आकर्षक तरीके से रखा जाता हैं कि आदमी आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता हैं। लेखक कहते हैं कि बाजार सबको मूक आमंत्रित करता हैं। बाजार का तो काम ही ग्राहकों को आकर्षित करना है। जब कोई व्यक्ति बाजार में खड़ा होता है तो आकर्षक तरीके से रखे हुए सामान को देख कर उसके मन में उस सामान को लेने की तीव्र इच्छा हो जाती है। और अगर उसके पास पर्चेजिंग पावर है तो वह बाजार की गिरफ्त में आ ही जाएगा।
प्रश्न 5 – लेखक का दूसरा मित्र दिल्ली के चांदनी चौक में चक्कर लगाकर वहां से बिना कोई सामान खरीदे वापस क्यों लौट आया?
उत्तर – लेखक कहते हैं कि उनके एक और मित्र जो दिल्ली के चांदनी चौक में चक्कर लगाकर वहां से बिना कोई सामान खरीदे वापस लौट आए थे। जब लेखक ने अपने मित्र से बाजार से खाली हाथ लौट आने का कारण पूछा, तो उन्होंने लेखक को जबाब दिया कि बाजार में जिन भी वस्तुओं को उसने देखा उन्हें उन सभी वस्तुओं को लेने का मन कर रहा था। लेकिन वे सभी को तो ले नहीं सकते थे और अगर वे थोड़ा लेता तो बाकी छूट जाता और वे तो कुछ भी नहीं छोड़ना चाहते थे। इसलिए उन्होंने कुछ भी नहीं खरीदा।
प्रश्न 6 – बाजार में एक जादू हैं जो आँखों के रास्ते काम करता हैं। बाजार के जादू से कैसे बचा जाए, इसका लेखक ने क्या उपाय बताया हैं?
उत्तर – लेखक कहते हैं कि जब पता ही न हो कि हमें क्या लेना हैं? तो बाजार की सभी वस्तुएं हमें अपनी और आकर्षित करेंगी। जिसका परिणाम हमेशा बुरा ही होगा। क्योंकि हम ऐसी स्थिति में बेकार की चीजों को ले आएँगे। बाजार में एक जादू हैं जो आँखों के रास्ते काम करता हैं। बाजार के जादू से कैसे बचा जाए, इसका उपाए बताते हुए लेखक कहते हैं कि अगर मन खाली हो तो बाजार जाना ही नहीं चाहिए। क्योंकि अगर आँखे बंद भी कर ली जाए तो तब भी मन यहां वहां घूमता रहता है। हमें अपने मन पर खुद ही नियंत्रण रखना होगा। क्योंकि अगर व्यक्ति की जेब भरी है और मन भी भरा है तो बाजार का जादू उस पर असर नहीं करेगा। लेकिन अगर जेब भरी है और मन खाली है तो बाजार उसे जरूर आकर्षित करेगा। और फिर व्यक्ति को सभी चीज़े अपने काम की लगेगी और बिना सोचे विचारे वह सारा सामान खरीदने लगेगा।
प्रश्न 7 – भगत के बारे में लेखक क्या बताते हैं?
उत्तर – लेखक अपने एक पड़ोसी भगत के बारे में बताते हैं कि वे पिछले दस वर्षों से लेखक के पडोसी हैं वे चूरन बेचते हैं। वे रोज चूरन बेचने जाते हैं। परन्तु वह उतना ही चूरन बेचते हैं जितने में उनकी छः आने की आमदनी होती है। छः आने की कमाई होने के बाद वो बचा हुआ सारा चूरन बच्चों में बांट देते हैं। वो चाहते तो और भी पैसे कमा सकते थे। लेकिन वह ऐसा नहीं करते हैं। जब भगत बाजार जाते हैं तो इधर-उधर न झांकते हुए सीधे पन्सारी की दुकान पर ही जाते हैं जहां उनकी जरूरत का सारा सामान मिल जाता है। वो वहां से अपना सामान लेकर सीधे घर आ जाते हैं। इसके आलावा वो न तो बहुत पैसा कमाने का लालच रखते हैं और न ही बाजार से गैर जरूरी सामान खरीदने में विश्वास रखते हैं।
प्रश्न 8 – लेखक बाजार की सार्थकता किसमे मानते है?
उत्तर – लेखक बाजार की सार्थकता तभी मानते है जब व्यक्ति केवल अपनी जरूरत का सामान खरीदें। बाजार हमेशा ग्राहकों को अपनी चकाचौंध से आकर्षित करता है। व्यक्ति का अपने मन पर नियंत्रण होना चाहिए। लेकिन जो लोग अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण नहीं रखते हैं। ऐसे व्यक्ति न तो खुद बाज़ार से कुछ लाभ उठा सकते हैं और न ही बाजार को लाभ दे सकते हैं। ये लोग सिर्फ बाजार का बाजारूपन बढ़ाते हैं। जिससे बाजार में छल कपट बढ़ता हैं। सद्भावना का नाश होता हैं। फिर ग्राहक और विक्रेता के बीच संबंध सद्भावना का न होकर, केवल लाभ-हानि तक ही सीमित रहता हैं। सद्भाव से हीन बाजार मानवता के लिए विडंबना है और ऐसे बाज़ार का अर्थशास्त्र अनीति का शास्त्र है।
बाजार दर्शन पाठ पर आधारित कुछ बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)
प्रश्न 1 – लेखक का मित्र बाजार किसके साथ गया था?
(क) अपने मन्नीबेग के साथ
(ख) अपनी पत्नी के साथ
(ग) अपनी भरी जेब के साथ
(घ) अपने खाली मन के साथ
उत्तर – (ख) अपनी पत्नी के साथ
प्रश्न 2 – लेखक के अनुसार पैसा क्या है?
(क) पावर
(ख) सबकुछ
(ग) ख़ुशी
(घ) ऊर्जा
उत्तर – (क) पावर
प्रश्न 3 – पाठ के अनुसार बाजार का काम क्या है?
(क) ग्राहकों को लूटना
(ख) ग्राहकों को सुविधा देना
(ग) ग्राहकों को आकर्षित करना
(घ) ग्राहकों की जेब खाली करना
उत्तर – (ग) ग्राहकों को आकर्षित करना
प्रश्न 4 – ग्राहकों पर बाजार के जादू का प्रभाव कब पड़ता है?
(क) जब ग्राहक का मन खाली होता है
(ख) जब ग्राहक का मन भरा होता है
(ग) जब ग्राहक की जेब खाली होती है
(घ) जब ग्राहक की जेब भरा होता है
उत्तर – (क) जब ग्राहक का मन खाली होता है
प्रश्न 5 – पाठ के अनुसार हमें बाजार कब जाना चाहिए?
(क) जब मन खाली हो
(ख) जब जेब खाली न हो
(ग) जब मन खाली न हो
(घ) जब जेब भरी हो
उत्तर – (ग) जब मन खाली न हो
प्रश्न 6 – बाजार के जादू के प्रभाव से बचने का सरल उपाय क्या है?
(क) मन का खाली न होना
(ख) मन का भरा हुआ न होना
(ग) जेब का खाली न होना
(घ) जेब का खाली होना
उत्तर – (क) मन का खाली न होना
प्रश्न 7 – पाठ में “बाजारुपन” से क्या आशय है?
(क) बाजार से आवश्यक वस्तुएं खरीदना
(ख) बाजार से सुविधाजनक वस्तुएं खरीदना
(ग) बाजार से अनावश्यक वस्तुएं खरीदना
(घ) बाजार से आरामदायक वस्तुएं खरीदना
उत्तर – (ग) बाजार से अनावश्यक वस्तुएं खरीदना
प्रश्न 8 – बाजार में सामान को किस तरह रखा जाता है?
(क) सही तरीके से
(ख) सजा कर आकर्षक तरीकों से
(ग) इधर उधर बिखरकर
(घ) उथल-पुथल
उत्तर – (ख) सजा कर आकर्षक तरीकों से
प्रश्न 9 – लेखक के अनुसार लोभ की जीत क्या है?
(क) लोभ को नकारना
(ख) लोभ को स्वीकारना
(ग) लोभ को मनाना
(घ) लोभ को धिकारना
उत्तर – (क) लोभ को नकारना
प्रश्न 10 – लेखक ने लोभ से बचने का क्या उपाय बताया है?
(क) मन को बंद करना चाहिए
(ख) मन को भरा हुआ रखना चाहिए
(ग) मन को खाली करना चाहिए
(घ) मन को इच्छापूर्ण रखना चाहिए
उत्तर – (क) मन को बंद करना चाहिए
प्रश्न 11 – पाठ में बाजार के जादू की तुलना किससे की गई है?
(क) आंखों के जादू से
(ख) हाथों के जादू से
(ग) मन के जादू से
(घ) चुंबक के जादू से
उत्तर – (घ) चुंबक के जादू से
प्रश्न 12 – भगतजी किस प्रकार के व्यक्ति थे?
(क) संतोषी
(ख) लालची
(ग) बुद्धिमान
(घ) आत्मनिर्भर
उत्तर – (क) संतोषी
प्रश्न 13 – भगतजी क्या बेचते थे?
(क) पान
(ख) मूंगफली
(ग) चूरन
(घ) अदरक
उत्तर – (ग) चूरन
प्रश्न 14 – भगतजी हर दिन केवल कितनी कमाई करते थे?
(क) सात आने की
(ख) तीन आने की
(ग) आठ आने की
(घ) छः आने की
उत्तर – (घ) छः आने की
प्रश्न 15 – बाजार का जादू किसके माध्यम से काम करता है?
(क) हाथों के
(ख) मन के
(ग) आंखों के
(घ) व्यक्तियों के
उत्तर – (ग) आंखों के
प्रश्न 16 – बाजार की असली उपयोगिता क्या है?
(क) जरूरत का समय न दिलाने में
(ख) जरूरत के समय काम न आने में
(ग) जरूरत के समय काम आने में
(घ) आरामदायक वस्तुएँ दिलाने में
उत्तर – (ग) जरूरत के समय काम आने में
प्रश्न 17 – लोभ से बचने का उपयुक्त तरीका कौन सा नहीं है?
(क) हठयोग
(ख) खाली मन
(ग) भरी जेब
(घ) संतुष्टि
उत्तर – (क) हठयोग
प्रश्न 18 – लेखक किन शब्दों के सूक्ष्म अंतर में नहीं पड़ना चाहता?
(क) आत्मिक
(ख) नैतिक
(ग) धार्मिक
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 19 – लेखक के मित्र ने उसके सामने अपना क्या रख दिया था?
(क) मनी बैग
(ख) सामान
(ग) बिल
(घ) खर्चा
उत्तर – (क) मनी बैग
प्रश्न 20 – जड़ता क्या है?
(क) ठाठ देख कर मन को खाली करना
(ख) ठाठ देख कर मन को भर देना
(ग) ठाठ देख कर मन को बंद करना
(घ) ठाठ देख कर इच्छाओं को उजागर करना
उत्तर – (ग) ठाठ देख कर मन को बंद करना
बाजार दर्शन पाठ के सार-आधारित प्रश्न Extract Based Questions
सार–आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
1 –
उनका आशय था कि यह पत्नी की महिमा है। उस महिमा का मैं कायल हूँ। आदिकाल से इस विषय में पति से पत्नी की ही प्रमुखता प्रमाणित है। और यह व्यक्तित्व का प्रश्न नहीं स्त्रीत्व का प्रश्न है। स्त्री माया न जोड़े, तो क्या मैं जोड़ूँ। फिर भी सच सच है और वह यह कि इस बात में पत्नी की ओट ली जाती है। मूल में एक और तत्व की महिमा सविशेष है। वह तत्त्व है मनीबैग, अर्थात पैसे की गरमी या एनर्जी। पैसा पावर है। पर उसके सबूत में आस-पास माल-टाल न जमा हो तो क्या वह खाक पावर है. पैसे को देखने के लिए बैंक-हिसाब देखिए, पर माल-असबाब मकान-कोठी तो अनदेखें भी देखते हैं। पैसे की इस पचेंजिग पावर के प्रयोग में ही पावर का रस है। लेकिन नहीं। लोग संयमी भी होते हैं। वे फिजूल सामान को फ़िजूल समझते हैं। वे पैसा बहाते नहीं हैं और बुद्धिमान होते हैं। बुद्धि और संयमपूर्वक वे पैसे को जोड़ते जाते हैं, जोड़ते जाते हैं। वे पैसे की पावर को इतना निश्चय समझते हैं कि इसके प्रयोग की परीक्षा उन्हें दरकार नहीं है। बस खुद पैसे से भरा होने पर उनका मन गर्व से भरा फूला रहता है।
प्रश्न 1 – गद्यानुसार माया कौन जोड़ता है?
(क) पुरुष
(ख) स्त्री
(ग) लेखक
(घ) संयमी लोग
उत्तर – (ख) स्त्री
प्रश्न 2 – सामान्य लोग अपनी पैसे की पावर का प्रदर्शन किस तरह करते हैं?
(क) अपने आस-पास माल टाल, कोठी, मकान खड़ा करके
(ख) अपने आस-पास के बाज़ारों में पैसे खर्च करके
(ग) अपने आस-पास दिखावा करके
(घ) अपने आस-पास के लोगों को अपना बैंक-खाता दिखा करके
उत्तर – (क) अपने आस-पास माल टाल, कोठी, मकान खड़ा करके
प्रश्न 3 – गद्यानुसार पावर क्या है?
(क) कोठी
(ख) बैंक-खाता
(ग) पैसा
(घ) मकान
उत्तर – (ग) पैसा
प्रश्न 4 – संयमी व्यक्ति क्या करते है?
(क) ‘पर्चेजिंग पावर’ के नाम पर अपनी शान नहीं दिखाते
(ख) वे धन को जोड़कर बुद्धि और संयम से अपनी पावर बनाते हैं
(ग) प्रसन्न रहते हैं, और फ़िजूल खर्च नहीं करते
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – संयमी व्यक्ति खुद पैसे से भरा होने पर उनका मन किससे भरा फूला रहता है?
(क) गर्व से
(ख) ख़ुशी से
(ग) गम से
(घ) संतोष से
उत्तर – (क) गर्व से
2 –
बाजार में एक जादू है। वह जादू आँख की राह काम करता है। वह रूप का जादू है जैसे चुंबक का जादू लोहे पर ही चलता है, वैसे ही इस जादू की भी मर्यादा है। जेब भरी हो, और मन खाली हो, ऐसी हालत में जादू का असर खूब होता है। जेब खाली पर मन भरा न हो, तो भी जादू चल जाएगा। मन खाली है तो बाजार की अनेकानेक चीज़ों का निमन्त्रण उस तक पहुँच जाएगा। कहीं उस वक्त जेब भरी हो तब तो फिर वह मन किसकी मानने वाला है। मालूम होता है यह भी लें, वह भी लें। सभी सामान ज़रूरी और आराम को बढ़ाने वाला मालूम होता है। पर यह सब जादू का असर है। जादू की सवारी उतरी कि पता चलता है कि फैंसी चीजों की बहुतायत आराम में मदद नहीं देती, बल्कि खलल ही डालती है। थोड़ी देर को स्वाभिमान को ज़रूर सेंक मिल जाता है पर इससे अभिमान की गिल्टी की और खुराक ही मिलती है। जकड़ रेशमी डोरी की हो तो रेशम के स्पर्श के मुलायम के कारण क्या वह कम जकड़ होगी?
पर उस जादू की जकड़ से बचने का एक सीधा-सा उपाय है। वह यह कि बाजार जाओ तो खाली मन न हो। मन खाली हो, तब बाजार न जाओ। कहते हैं लू में जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहिए। पानी भीतर हो, लू का लूपन व्यर्थ हो जाता है। मन लक्ष्य में भरा हो तो बाजार भी फैला-का-फैला ही रह जाएगा। तब वह घाव बिलकुल नहीं दे सकेगा, बल्कि कुछ आनंद ही देगा। तब बाजार तुमसे कृतार्थ होगा, क्योंकि तुम कुछ-न-कुछ सच्चा लाभ उसे दोगे। बाजार की असली कृतार्थता है आवश्यकता के समय काम आना।
प्रश्न 1 – बाजार का जादू आँख की राह काम करता है। कैसे?
(क) बाजार में सजी सुंदर वस्तुओं को हम आँखों से देखते है और उनकी सुंरता आकृष्ट होकर आवश्यकता न होने पर भी उन्हें खरीद लेते हैं
(ख) आँखे ही हैं जिसके कारण बाजार का जादू दीखता है
(ग) बिना आँखों के बाजार का जादू अथवा चकाचौंध न के बराबर है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) बाजार में सजी सुंदर वस्तुओं को हम आँखों से देखते है और उनकी सुंरता आकृष्ट होकर आवश्यकता न होने पर भी उन्हें खरीद लेते हैं
प्रश्न 2 – जादू का असर कब खूब होता है?
(क) जेब खली हो, और मन भी खाली हो
(ख) जेब खाली हो, और मन भरा हो
(ग) जेब भरी हो, और मन खाली हो
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) जेब भरी हो, और मन खाली हो
प्रश्न 3 – जादू की सवारी के उतरने पर क्या पता चलता है?
(क) फैंसी चीजों की बहुतायत आराम में मदद नहीं देती, बल्कि खलल ही डालती है
(ख) थोड़ी देर को स्वाभिमान को ज़रूर सेंक मिल जाता है
(ग) अभिमान की गिल्टी की और खुराक ही मिलती है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – बाज़ार के जादू की जकड़ से बचने का सीधा-सा उपाय क्या है?
(क) मन खाली हो, तब बाजार न जाओ
(ख) जेब खाली हो, तब बाजार न जाओ
(ग) मन खाली हो, तब बाजार जाओ
(घ) जेब भरी हो, तब बाजार जाओ
उत्तर – (क) मन खाली हो, तब बाजार न जाओ
प्रश्न 5 – बाजार की असली कृतार्थता क्या है?
(क) आवश्यकता के समय काम न आना
(ख) आवश्यकता के समय काम आना
(ग) सुविधा के समय काम आना
(घ) परेशानी के समय काम आना
उत्तर – (ख) आवश्यकता के समय काम आना
3 –
यहाँ एक अंतर चीन्ह लेना बहुत जरूरी है। मन खाली नहीं रहना चाहिए, इसका मतलब यह नहीं है कि वह मन बंद रहना चाहिए। जो बंद हो जाएगा, वह शून्य हो जाएगा। शून्य होने का अधिकार बस परमात्मा का है जो सनातन भाव से संपूर्ण है। शेष सब अपूर्ण है। इससे मन बंद नहीं रह सकता। सभी इच्छाओं का निरोध कर लोगे, यह झूठ है और अगर ‘इच्छानिरोधस्तपः’ का ऐसा ही नकारात्मक अर्थ हो तो यह तप झूठ है। वैसे तप की राह रेगिस्तान को जाती होगी, मोक्ष की राह वह नहीं है। ठाठ देकर मन को बंद कर रखना जड़ता है। लोभ का यह जीतना नहीं है कि जहाँ लोभ होता है, यानी मन में, वहाँ नकार हो! यह तो लोभ की ही जीत है और आदमी की हार। आँख अपनी फोड़ डाली, तब लोभनीय के दर्शन से बचे तो क्या हुआ? ऐसे क्या लोभ मिट जाएगा? और कौन कहता है कि आँख फूटने पर रूप दीखना बंद हो जाएगा? क्या आँख बंद करके ही हम सपने नहीं लेते हैं? और वे सपने क्या चैन-भंग नहीं करते हैं? इससे मन को बंद कर डालने की कोशिश तो अच्छी नहीं। वह अकारथ है यह तो हठवाला योग है। शायद हठ-ही-हठ है, योग नहीं है। इससे मन कृश भले हो जाए और पीला और अशक्त जैसे विद्वान का ज्ञान। वह मुक्त ऐसे नहीं होता। इससे वह व्यापक की जगह संकीर्ण और विराट की जगह क्षुद्र होता है। इसलिए उसका रोम-रोम मूँदकर बंद तो मन को करना नहीं चाहिए। वह मन पूर्ण कब है? हम में पूर्णता होती तो परमात्मा से अभिन्न हम महाशून्य ही न होते? अपूर्ण हैं, इसी से हम हैं। सच्चा ज्ञान सदा इसी अपूर्णता के बोध को हम में गहरा करता है। सच्चा कर्म सदा इस अपूर्णता की स्वीकृति के साथ होता है। अतः उपाय कोई वही हो सकता है जो बलात् मन को रोकने को न कहे, जो मन को भी इसलिए सुने क्योंकि वह अप्रयोजनीय रूप में हमें नहीं प्राप्त हुआ है। हाँ, मनमानेपन की छूट मन को न हो, क्योंकि वह अखिल का अंग है, खुद कुल नहीं है।
प्रश्न 1 – गद्यांश में मन बंद होने का क्या अर्थ है?
(क) किसी काम में मन न लगना
(ख) इच्छाओं का समाप्त हो जाना
(ग) मन का स्थिर न रहना
(घ) मन से कोई काम न करना
उत्तर – (ख) इच्छाओं का समाप्त हो जाना
प्रश्न 2 – लेखक के अनुसार क्या झूठ है?
(क) मनुष्य द्वारा अपनी सभी इच्छाओं का निरोध कर लेने की बात
(ख) मनुष्य द्वारा अपनी सभी इच्छाओं को पूरा कर लेने की बात
(ग) मनुष्य द्वारा अपनी सभी भोग-विलास का निरोध कर लेने की बात
(घ) मनुष्य द्वारा अपनी सभी इच्छाओं को स्वीकार कर लेने की बात
उत्तर – (क) मनुष्य द्वारा अपनी सभी इच्छाओं का निरोध कर लेने की बात
प्रश्न 3 – लेखक के अनुसार लोभ की जीत क्या हैं?
(क) लोभ को स्वीकारना
(ख) लोभ को मारना
(ग) लोभ को नकारना
(घ) लोभ के साथ समझौता
उत्तर – (ग) लोभ को नकारना
प्रश्न 4 – परमात्मा व मनुष्य की प्रकृति में क्या अंतर है?
(क) परमात्मा संपूर्ण है, परंतु मनुष्य अपूर्ण है
(ख) परमात्मा शून्य होने का अधिकार रखता है, परंतु मनुष्य में इच्छा बनी रहती है
(ग) केवल (क)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों
प्रश्न 5 – गद्यांश में हठयोग का क्या प्रभाव बताया है?
(क) हठयोग से मन कमजोर हो जाता है
(ख) हठयोग से मन पीला और अशक्त हो जाता है
(ग) हठयोग से मन संकीर्ण हो जाता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
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- कवितावली, लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप Question Answers| NCERT Solutions Class 12 Chapter 7
- रुबाइयाँ Question Answers| NCERT Solutions Class 12 Chapter 8
- छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख Question Answers| NCERT Solutions Class 12 Chapter 9
- भक्तिन Question Answers| NCERT Solutions Class 12 Chapter 10
- काले मेघा पानी दे Question Answers | NCERT Solutions Class 12 Chapter 12
- पहलवान की ढोलक Question Answers | NCERT Solutions Class 12 Chapter 13
Lesson Summary and Explanation
- आत्मपरिचय, एक गीत पाठ सार, व्याख्या Class 12 Chapter 1
- पतंग पाठ सार, व्याख्या Class 12 Chapter 2
- कविता के बहाने, बात सीधी थी पर पाठ सार, व्याख्या Class 12 Chapter 3
- कैमरे में बंद अपाहिज पाठ सार, व्याख्या Class 12 Chapter 4
- उषा पाठ सार, व्याख्या Class 12 Chapter 5
- बादल राग पाठ सार, व्याख्या Class 12 Chapter 6
- कवितावली, लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप पाठ सार, व्याख्या Class 12 Chapter 7
- रुबाइयाँ पाठ सार, व्याख्या Class 12 Chapter 8
- छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख पाठ सार, व्याख्या Class 12 Chapter 9
- भक्तिन पाठ सार Class 12 Chapter 10
- बाजार दर्शन पाठ सार Class 12 Chapter 11
- काले मेघा पानी दे पाठ सार Class 12 Chapter 12
- पहलवान की ढोलक पाठ सार Class 12 Chapter 13