CBSE Class 9 Hindi Chapter 2 Everest Meri Shikhar Yatra (एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा) Question Answers (Important) from Sparsh Book
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- एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा सार-आधारित प्रश्न
- एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा प्रश्न और उत्तर
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एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा NCERT Solutions
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए –
प्रश्न 1- नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?
उत्तर- नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका भौंचक्की रह गई थीं। लेखिका को वहाँ से एवरेस्ट और अन्य श्रेणियाँ दिख रहीं थीं। वह ऊँची चोटियों से घिरी टेढ़ी मेढ़ी नदी को निहार रही थीं। उसे यह दृश्य हैरान करने वाला लग रहा था।
प्रश्न 2- डॉ. मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं?
उत्तर- डॉ. मीनू मेहता ने कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं। उन्होंने अल्युमिनियम की सीढ़ियों से अस्थाई पुल बनाना, लट्ठों और रस्सियों का उपयोग, बर्फ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना और अग्रिम दल के अभियांत्रिकी कार्यों के बारे में विस्तार से बताया।
प्रश्न 3- तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में क्या कहा?
उत्तर- तेनजिंग ने बताया कि उन्हें एवरेस्ट पर विजय प्राप्त करने के लिए सात बार चढ़ाई करनी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि लेखिका एक पर्वतीय लड़की हैं इसलिए उन्हें यह सफलता एक बार में ही मिल जानी चाहिए।
प्रश्न 4- लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?
उत्तर- लेखिका को की, जय और मीनू के साथ चढ़ाई करनी थी।
प्रश्न 5- लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ किया?
उत्तर- लोपसांग ने तंबू का रास्ता साफ करने के लिए स्विस नाइफ से काटना शुरु किया। फिर उन्होंने बड़े-बड़े बर्फ के टुकड़ों को हटाया। उसके बाद उन्होंने बर्फ की खुदाई की ताकि बचेंद्री को निकाला जा सके और वे सफल भी हुए।
प्रश्न 6- साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरु की?
उत्तर- लेखिका ने खाना, कुकिंग गैस तथा कुछ ऑक्सीजन सिलिंडर इकट्ठे किए। उन्होंने चाय के लिए पानी गरम किया। एक थरमस में जूस भी भर लिया।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में लिखिए-
प्रश्न 1- उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?
उत्तर- उपनेता प्रेमचंद ने सबको खुंभु हिमपात की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि उनके दल ने कैंप-एक तक का रास्ता साफ कर दिया था। उन्होंने बताया कि पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर और झंडियों से रास्ते पर निशान लगाकर, सभी बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया गया था। उन्होंने ये भी बताया कि हिमपात में अनियमित और अनिश्चित बदलाव हो सकता था जिससे रास्ता खोलने का काम दोबारा करना पड़ सकता था।
प्रश्न 2- हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तर- बर्फ के टुकड़ों का अव्यवस्थित ढंग से गिरना हिमपात कहलाता है। ग्लेशियर के बहने से अक्सर बर्फ में हलचल हो जाती है, जिससे बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें अचानक गिर जाती हैं। हिमपात से पर्वतारोही को गंभीर चोट लग सकती है या उसकी मृत्यु भी हो सकती है। हिमपात से रास्ता ख़राब हो सकता है जिससे पर्वतारोही कई दिन तक फँसे रह सकते हैं। मौसम भी अचानक से खराब हो जाता है।
प्रश्न 3- लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया है?
उत्तर- बर्फ का पिंड लेखिका के कैंप के ऊपर गिरा था। एक लंबा बर्फ का पिंड उनके कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा था और उसका एक बहुत बड़ा बर्फ का टुकड़ा बन गया था। हिमखंडों, बर्फ के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ के इस विशालकाय टुकड़े ने, एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज़ गति और भयानक आवाज़ के साथ, सीधी ढलान से नीचे आते हुए कैंप को पूरी तरह नष्ट कर दिया। वास्तव में हर व्यक्ति को चोट लगी थी। यह एक आश्यर्च था कि किसी की मृत्यु नहीं हुई थी। लेखिका की नींद जब टूटी तो उन्हें लगा कि उनका सिर किसी भारी चीज से टकरा गया था।
प्रश्न 4- की लेखिका को देखकर हक्का-बक्का क्यों रह गया?
उत्तर- की को लेखिका की हिम्मत पर आश्चर्य हो रहा था। लेखिका को अभी ऊपर की चढ़ाई करनी थी लेकिन वह थकान की परवाह किये बिना अन्य साथियों की तलाश में नीचे आ गई थीं। लेखिका ने सबके लिए चाय भी बनाई थी। इसलिए की हक्का बक्का था।
प्रश्न 5- एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर- एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल 6 कैंप बनाए गये थे जो निम्नलिखित हैं:
बेस कैंप- यह मुख्य कैंप था।
कैंप 1– यह समुद्र से 4000 मी की ऊँचाई पर था। इसमें सामान इकट्ठा किये गये थे।
कैंप 2– यह चढ़ाई के रास्ते में था।
कैंप 3- यह ल्होत्से की सीधी ढ़लान पर था। यहीं पर हिमपिंड लेखिका के तंबू पर गिरा था।
कैंप 4- यह समुद्र तट से 7900 मी की ऊँचाई पर था। इस कैंप को साउथ कोल में लगाया गया था।
शिखर कैंप– यह एवरेस्ट के ठीक नीचे था।
प्रश्न 6- चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?
उत्तर- चारों तरफ बर्फीली हवाएँ चल रही थीं। एवरेस्ट की चोटी की नोक पर इतनी जगह नहीं थी कि दो व्यक्ति साथ-साथ खड़े हो सकें। चारों तरफ़ हजारों मीटर लंबी सीधी ढलान को देखते हुए उन सभी के सामने प्रश्न अब सुरक्षा का था। उन्होंने पहले बर्फ के फावड़े से बर्फ की खुदाई कर अपने आपको सुरक्षित रूप से खड़ा रहने लायक जगह बनाई।
प्रश्न 7- सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है?
उत्तर- बचेंद्री पाल ने कई कार्यों में अपनी सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय दिया है। वे अपने साथियों के लिए खाना और चाय बनाती हैं। वह जितना हो सके सामान ढ़ोती हैं। वह दुर्घटना के बाद भी घबराती नहीं हैं और दूसरों का हौसला बढ़ाती हैं। अन्य पर्वतारोहियों के लाख कहने पर भी वह बीच में से ही वापस आने से साफ मना कर देती हैं।
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 1- एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करना चाहिए।
उत्तर- एवरेस्ट जैसे महान अभियान का मौका अधिकतर लोगों को बड़ी मेहनत के बाद भी जीवन में एक बार ही मिलता है। यह अभियान खतरों से भरा होता है। इसमें जान जाने का पूरा अंदेशा रहता है। ऐसे में अगर कोई घबरा जाए तो फिर वह इस अभियान को पूरा करने की हिम्मत खो देगा। एवरेस्ट की चढ़ाई का अर्थ है सीधे मौत के मुँह में कदम रखना।
प्रश्न 2- सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे चौड़े हिम विदर में बदल जाने का मात्र ख़्याल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।
उत्तर- एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान कई बार ज़मीन पर दरार पड़ती है और वह दरार चौड़े विदर में बदल जाती है। यह बहुत ही खतरनाक और जानलेवा साबित हो सकता है। प्रतिदिन पर्वतारोहियों के दल के कितने ही लोग हिमपात के शिकार होकर या तो जख्मी हो जाते हैं या अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। यह सब काफी डरावना होता है। पूरे सफर के दौरान बचेंद्री पाल और उनके साथियों को ना जाने ऐसे कितनी कठिनाइयों का सामना करना था।
प्रश्न 3- बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी सी पूजा अर्चना की और इनको बर्फ में गाड़ दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता पिता का ध्यान आया।
उत्तर- एवरेस्ट पर विजय के बारे में सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह एक रोमांचकारी और अभूतपूर्व अनुभव होता होगा; ऐसा अनुभव जिसको दोहराना नामुमकिन है। ऐसे में पर्वतारोही के लिए अपनी भावनाओं पर काबू रखना बहुत मुश्किल होता होगा। वह अलग-अलग तरीके से अपनी खुशी जाहिर करता होगा। लेखिका ने अपने आराध्य की पूजा करके और अपने माता-पिता को याद करके उस विजय का जश्न मनाया।
Class 9 Hindi एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा Question Answers Lesson 2 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)
सार–आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
1)
एवरेस्ट अभियान दल 7 मार्च को दिल्ली से काठमांडू के लिए हवाई जहाज़ से चल दिया। एक मज़बूत अग्रिम दल बहुत पहले ही चला गया था जिससे कि वह हमारे “बेस कैंप’ पहुँचने से पहले दुर्गम हिमपात के रास्ते को साफ़ कर सके।
नमचे बाज़ार, शेरपालैंड का एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नगरीय क्षेत्र है। अधिकांश शेरपा इसी स्थान तथा यहीं के आसपास के गाँवों के होते हैं। यह नमचे बाज़ार ही
था, जहाँ से मैंने सर्वप्रथम एवरेस्ट को निहारा, जो नेपालियों में ‘सागरमाथा’ के नाम से प्रसिद्ध है। मुझे यह नाम अच्छा लगा।
i. एवरेस्ट अभियान दल दिल्ली से कब रवाना हुआ?
(क) 6 मार्च
(ख) 7 मार्च
(ग) 8 मार्च
(घ) 9 मार्च
उत्तर: (ख) 7 मार्च
ii. निम्न में से कौन सा क्षेत्र शेरपालैंड का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नगरीय क्षेत्र है?
(क) नमचे बाजार
(ख) काठमांडू
(ग) ल्होत्से
(घ) पैरिच
उत्तर: (क) नमचे बाजार
iii. अधिकांश शेरपा कहां के रहने वाले थे?
(क) नमचे बाजार
(ख) काठमांडू
(ग) ल्होत्से
(घ) पैरीच
उत्तर: (क) नमचे बाजार
iv. सागरमाथा नाम से कौन सा क्षेत्र प्रसिद्ध था?
(क) काठमांडू
(ख) नमचे बाजार
(ग) ल्होत्से
(घ) पैरीच
उत्तर: (ख) नमचे बाजार
2)
एवरेस्ट की तरफ़ गौर से देखते हुए, मैंने एक भारी बर्फ़ का बड़ा फूल (प्लूम) देखा, जो पर्वत-शिखर पर लहराता एक ध्वज-सा लग रहा था। मुझे बताया गया कि यह दृश्य शिखर की ऊपरी सतह के आसपास 50 किलोमीटर अथवा इससे भी अधिक की गति से हवा चलने के कारण बनता था, क्योंकि तेज़ हवा से सूखा बर्फ़ पर्वत पर उड़ता रहता था। बर्फ़ का यह ध्वज 10 किलोमीटर या इससे भी लंबा हो सकता था। शिखर पर जानेवाले प्रत्येक व्यक्ति को दक्षिण-पूर्वी पहाड़ी पर इन तूफ़ानों को झेलना पड़ता था, विशेषकर खराब मौसम में। यह मुझे डराने के लिए काफ़ी था, फिर भी मैं एवरेस्ट के प्रति विचित्र रूप से आकर्षित थी और इसकी कठिनतम चुनौतियों का सामना करना चाहती थी।
जब हम 26 मार्च को पैरिच पहुँचे, हमें हिम-स्खलन के कारण हुई एक शेरपा कुली की मृत्यु का दुःखद समाचार मिला। खुंभु हिमपात पर जानेवाले अभियान-दल के रास्ते के बाईं तरफ़ सीधी पहाड़ी के धसकने से, ल्होत्से की ओर से एक बहुत बड़ी बर्फ़ की चट्टान नीचे खिसक आई थी। सोलह शेरपा कुलियों के दल में से एक की मृत्यु हो गई और चार घायल हो गए थे।
i. लेखिका ने बर्फ का ध्वज किसको कहा?
(क) खुंभु हिमपात
(ख) भारी बर्फ का प्लूम
(ग) पैरिच
(घ) ल्होत्से
उत्तर: (ख) भारी बर्फ का प्लूम
ii. शिखर पर जानेवाले प्रत्येक व्यक्ति को क्या झेलना पड़ता था?
(क) बर्फ का ध्वज
(ख) बर्फ का तूफान
(ग) बर्फ की बड़ी बड़ी चट्टान
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर: (क) बर्फ का ध्वज
iii. सोलह शेरपा कुलियों के दल में से एक की मृत्यु कैसे हुई?
(क) ल्होत्से की ओर से एक बहुत बड़ी बर्फ़ की चट्टान नीचे खिसकने से
(ख) सीधी पहाड़ी के धसकने से
(ग) खुम्भु हिमपात से
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर: (क) ल्होत्से की ओर से एक बहुत बड़ी बर्फ़ की चट्टान नीचे खिसकने से
iv. लेखिका पैरिच कब पहुंची?
(क) 23 मार्च
(ख) 24 मार्च
(ग) 25 मार्च
(घ) 26 मार्च
उत्तर: (घ) 26 मार्च
3)
इस समाचार के कारण अभियान दल के सदस्यों के चेहरों पर छाए अवसाद को देखकर हमारे नेता कर्नल खुल्लर ने स्पष्ट किया कि एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।
उपनेता प्रेमचंद, जो अग्रिम दल का नेतृत्व कर रहे थे, 26 मार्च को पैरिच लौट आए। उन्होंने हमारी पहली बड़ी बाधा खुंभु हिमपात की स्थिति से हमें अवगत कराया।
उन्होंने कहा कि उनके दल ने कैंप एक (6000 मी.), जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ़ कर दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा झंडियों से रास्ता चिह्नित कर, सभी बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया गया है। उन्होंने इस पर भी ध्यान दिलाया कि ग्लेशियर बर्फ़ की नदी है और बर्फ़ का गिरना अभी जारी है। हिमपात में अनियमित और अनिश्चित बदलाव के कारण अभी तक के किए गए सभी काम व्यर्थ हो सकते हैं और हमें रास्ता खोलने का काम दोबारा करना पड़ सकता है।
i. लेखिका के नेता का क्या नाम था?
(क) कर्नल खुल्लर
(ख) कर्नल सोनाराम
(ग) कर्नल प्रेमचंद
(घ) डॉक्टर मीनू मेहता
उत्तर: (क) कर्नल खुल्लर
ii. लेखिका के उपनेता का क्या नाम था?
(क) कर्नल खुल्लर
(ख) कर्नल सोनाराम
(ग) कर्नल प्रेमचंद
(घ) डॉक्टर मीनू मेहता
उत्तर: (ग) कर्नल प्रेमचंद
iii. उपनेता प्रेमचंद पैरिच कब लौट के आ गए?
(क) 23 मार्च
(ख) 24 मार्च
(ग) 25 मार्च
(घ) 26 मार्च
उत्तर: (घ) 26 मार्च
iv. उपनेता प्रेमचंद ने लेखिका को किस बात से अवगत कराया?
(क) खुंभु हिमपात
(ख) भारी बर्फ का प्लूम
(ग) पैरिच
(घ) ल्होत्से
उत्तर: (क) खुंभु हिमपात
4)
“बेस कैंप’ में पहुँचने से पहले हमें एक और मृत्यु की खबर मिली। जलवायु अनुकूल न होने के कारण एक रसोई सहायक की मृत्यु हो गई थी। निश्चित रूप से हम आशाजनक स्थिति में नहीं चल रहे थे।
एवरेस्ट शिखर को मैंने पहले दो बार देखा था, लेकिन एक दूरी से। बेस कैंप पहुँचने पर दूसरे दिन मैंने एवरेस्ट पर्वत तथा इसकी अन्य श्रेणियों को देखा। मैं भौचक्का होकर खड़ी रह गई और एवरेस्ट, ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरी, बर्फ़ीली टेढ़ी-मेढ़ी नदी को निहारती रही। हिमपात अपने आपमें एक तरह से बर्फ़ के खंडों का अव्यवस्थित ढंग से गिरना ही था। हमें बताया गया कि ग्लेशियर के बहने से अकसर बर्फ़ में हलचल हो जाती थी, जिससे बड़ी-बड़ी बर्फ़ की चट्टानें तत्काल गिर जाया करती थीं और अन्य कारणों से भी अचानक प्राय: खतरनाक स्थिति धारण कर लेती थीं। सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चौड़े हिम-विदर में बदल जाने का मात्र खयाल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज़्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रवास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।
दूसरे दिन नए आनेवाले अपने अधिकांश सामान को हम हिमपात के आधे रास्ते तक ले गए। डॉ. मीनू मेहता ने हमें अल्यूमिनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुलों का बनाना, लट्टों और रस्सियों का उपयोग, बर्फ़ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना और हमारे अग्रिम दल के अभियांत्रिकी कार्यों के बारे में हमें विस्तृत जानकारी दी।
i. बेस कैंप पहुंचने से पहले लेखिका को कौन सी बुरी खबर मिली?
(क) रसोई सहायक की मृत्यु
(ख) नेता की मृत्यु
(ग) उपनेता की मृत्यु
(घ) शेरपा की मृत्यु
उत्तर: (क) रसोई सहायक की मृत्यु
ii. लेखिका के रसोई सहायक की मृत्यु कैसे हुई?
(क) दुर्घटना से
(ख) पोलर बियर के हमला करने से
(ग) प्रतिकूल जलवायु से
(घ) फूड प्वाइजनिंग से
उत्तर: (ग) प्रतिकूल जलवायु से
iii. बेसकैंप पहुंचने से पहले लेखिका ने एवरेस्ट को कितनी बार देखा था?
(क) 2
(ख) 3
(ग) 4
(घ) 5
उत्तर: (क) 2
iv. लेखिका के अग्रिम दल के अभियांत्रिकी कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी किसने दी?
(क) कर्नल खुल्लर
(ख) कर्नल सोनाराम
(ग) कर्नल प्रेमचंद
(घ) डॉक्टर मीनू मेहता
उत्तर: (घ) डॉक्टर मीनू मेहता
5)
तीसरा दिन हिमपात से कैंप-एक तक सामान ढोकर चढ़ाई का अभ्यास करने के लिए निश्चित था। रीता गोंबू तथा मैं साथ-साथ चढ़ रहे थे। हमारे पास एक वॉकी-टॉकी था, जिससे हम अपने हर कदम की जानकारी बेस कैंप पर दे रहे थे। कर्नल खुल्लर उस समय खुश हुए, जब हमने उन्हें अपने पहुँचने की सूचना दी क्योंकि कैंप-एक पर पहुँचनेवाली केवल हम दो ही महिलाएँ थीं। अंगदोरजी, लोपसांग और गगन बिस्सा अंतत: साउथ कोल पहुँच गए और 29 अप्रैल को 7900 मीटर पर उन्होंने केंप-चार लगाया। यह संतोषजनक प्रगति थी।
जब अप्रैल में मैं बेस कैंप में थी, तेनजिंग अपनी सबसे छोटी सुपुत्री डेकी के साथ हमारे पास आए थे। उन्होंने इस बात पर विशेष महत्त्व दिया कि दल के प्रत्येक सदस्य और प्रत्येक शेरपा कुली से बातचीत की जाए। जब मेरी बारी आई, मैंने अपना परिचय यह कहकर दिया कि मैं बिलकुल ही नौसिखिया हूँ और एवरेस्ट मेरा पहला अभियान है। तेनजिंग हँसे और मुझसे कहा कि एवरेस्ट उनके लिए भी पहला अभियान है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि शिखर पर पहुँचने से पहले उन्हें सात बार एवरेस्ट पर जाना पड़ा था। फिर अपना हाथ मेरे कंधे पर रखते हुए उन्होंने कहा, “तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।”
5-6 मई 1984 को बुद्ध पूर्णिमा के दिन मैं ल्होत्से की बफ़ीली सीधी ढलान पर लगाए गए सुंदर रंगीन नाइलॉन के बने तंबू के कैंप-तीन में थी। कैंप में 10 और व्यक्ति थे।
i. कैंप एक पर कितनी महिलाएं पहुंची थी?
(क) 2
(ख) 3
(ग) 4
(घ) 5
उत्तर: (क) 2
ii. लेखिका के साथ और कौन कैंप 1 पर पहुंचा था?
(क) नेता खुल्लर
(ख) रीता गोंबू
(ग) डॉक्टर मीनू मेहता
(घ) डेकी
उत्तर: (ख) रीता गोंबू
iii. कैंप चार किसने लगाया?
(क) नेता खुल्लर, अंगदोरजी, लोपसांग और गगन बिस्सा
(ख) लेखिका, अंगदोरजी, नेता खुल्लर, लोपसांग और गगन बिस्सा
(ग) अंगदोरजी, लोपसांग और गगन बिस्सा
(घ) रीता गोंबू, डेकी, लेखिका, नेता खुल्लर
उत्तर: (ग) अंगदोरजी, लोपसांग और गगन बिस्सा
iv. तेनजिंग की सबसे छोटी बेटी का क्या नाम था?
(क) रीता गोंबू
(ख) डेकी
(ग) अंगदोरजी
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर: (ख) डेकी
Class 9 Hindi एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा प्रश्न और उत्तर (including questions from Previous Years Question Papers)
Q1. एवरेस्ट पर चढ़ने के बाद लेखिका ने सर्वप्रथम क्या किया?
उत्तर: एवरेस्ट पर चढ़ने के बाद लेखिका घुटनों के बल बैठी और बर्फ़ पर अपने माथे को लगाकर ‘सागरमाथे” के ताज का चुंबन लिया। फिर बिना उठे ही लेखिका ने अपने थेले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। लेखिका ने इनको अपने साथ लाए लाल कपडे में लपेटा, छोटी-सी पूजा-अर्चना की और इनको बर्फ़ में दबा दिया।
Q2. लेखिका के एवरेस्ट मिशन में डॉक्टर मीनू मेहता के योगदान का वर्णन कीजिए?
उत्तर: डॉक्टर मीनू मेहता ने लेखिका को अल्यूमिनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुलों का बनाना, लट्टों और रस्सियों का उपयोग, बर्फ़ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना और उनके अग्रिम दल के अभियांत्रिकी कार्यों के बारे में उनको विस्तृत जानकारी दी।
Q3. लेखिका और तेनजिंग तथा उनकी बेटी के बीच के संवाद का वर्णन कीजिए?
उत्तर: लेखिका बताती हैं कि जब वह अप्रैल में बेस कैंप में थी, तेनजिंग अपनी सबसे छोटी सुपुत्री डेकी के साथ उनके पास आए थे। डेकी को लेखिका ने अपना परिचय यह कहकर दिया कि वह बिलकुल ही नौसिखिया हैं और एवरेस्ट उनका पहला अभियान है। तेनजिंग हँसे और उनसे कहा कि एवरेस्ट उनके लिए भी पहला अभियान है। फिर अपना हाथ लेखिका के कंधे पर रखते हुए उन्होंने कहा, “तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।”
Q4. उपनेता प्रेमचंद ने लेखिका को किन स्थितियों से अवगत कराया?
उत्तर: उपनेता प्रेमचंद ने लेखिका को बताया कि उन्होंने कहा कि उनके दल ने कैंप एक (6000 मी.), जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ़ कर दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा झंडियों से रास्ता चिह्नित करके बताया कि ग्लेशियर बर्फ़ की नदी है और बर्फ़ का गिरना अभी जारी है।
Q5. नजदीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?
उत्तर: लेखिका बताती हैं कि इससे पहले उन्होंने एवरेस्ट को 2 बार देखी थी लेकिन दूर से। जब वह एवरेस्ट और उसकी श्रेणियों को देखी तो भौचक्का होकर खड़ी रह गई और एवरेस्ट, ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरी, बर्फ़ीली टेढ़ी-मेढ़ी नदी को निहारती रही।
Q6. लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ किया?
उत्तर: लेखिका बताती हैं कि लोपसांग अपनी स्विस छुरी की मदद से उनके तंबू का रास्ता साफ़ करने में सफल हो गए थे। बड़े-बड़े हिमपिंडों को मुश्किल से हटाते हुए उन्होंने लेखिका के चारों तरफ़ की कड़े जमे बर्फ़ की खुदाई की और लेखिका को उस बर्फ़ की कब्र से निकाल बाहर खींच लाने में सफल हो गए।
Q7. एवरेस्ट फतेह करने के बाद कर्नल खुल्लर ने लेखिका को कैसे बधाई दी?
उत्तर: लेखिका बताती है कि, कर्नल खुल्लर उनकी सफलता से बहुत प्रसन्न थे। उन्होंने लेखिका को बधाई देते हुए कहा, “वे तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए लेखिका के माता-पिता को बधाई देना चाहते हैं!” कर्नल खल्लर बोले कि देश को लेखिका की उपलब्धि पर गर्व है और अब वह अब ऐसे संसार में वापस जाओगी, जो उनके लिए अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम भिन्न होगा!
Q8. लेखिका ने साउथ कोल पहुंचने के बाद क्या-क्या किया?
उत्तर: लेखिका बताती हैं कि जैसे ही वे साउथ कोल कैंप पहुँची, उसके अगले दिन ही उन्होंने अपनी महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने खाना, कुकिंग गैस तथा कुछ ऑक्सीजन सिलिंडर इकट्ठे किए। दोपहर बाद उन्होंने अपने दल के दूसरे सदस्यों की मदद करने और अपने एक थरमस को जूस से और दूसरे को गरम चाय से भरने के लिए नीचे जाने का निश्चय किया।
Q9. लेखिका के कैंप पर गिरे बर्फ के पिंड का वर्णन कीजिए?
उत्तर: लेखिका बताती हैं रात में 2.30 बजे एक लंबा बर्फ़ का पिंड उनके कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा था और उसका विशाल हिमपुंज बन गया था। हिमखंडों, बर्फ़ के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ़ के इस विशालकाय पुंज ने, एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज़ गति और भीषण गर्जना के साथ, सीधी ढलान से नीचे आते हुए उनके कैंप को तहस-नहस कर दिया।
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