NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 तीसरी क़सम के शिल्पकार शैलेंद Important Question Answers Lesson 13 

 

Class 10 Hindi Teesri Kasam Ke Shilpkaar Shailendra Question Answers – Looking for Teesri Kasam Ke Shilpkaar Shailendra question answers for CBSE Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 Book Lesson 13? Look no further! Our comprehensive compilation of important questions will help you brush up on your subject knowledge.

 

सीबीएसई कक्षा 10 हिंदी स्पर्श भाग 2 पुस्तक पाठ 13 के लिए तीसरी क़सम के शिल्पकार शैलेंद प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 10 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से बोर्ड परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे तीसरी क़सम के शिल्पकार शैलेंद उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

 

The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract based questions, multiple choice questions, short answer questions, and long answer questions

 

Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams. 

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Class 10 Hindi तीसरी क़सम के शिल्पकार शैलेंद Question Answers Lesson 13 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

सारआधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –

(1) ‘संगम’ की अद्भुत सफलता ने राजकपूर में गहन आत्मविश्वास भर दिया और उसने एक साथ चार फिल्मों के निर्माण की घोषणा की -‘मेरा नाम जोकर’, ‘अजंता’, ‘मैं और मेरा दोस्त’ और ‘सत्यम शिवम् सुंदरम’। पर जब 1965 में राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ का निर्माण आरम्भ किया तब संभवतः उसने भी यह कल्पना नहीं की होगी कि इस फिल्म का एक ही भाग बनाने में छह वर्षों का समय लग जायेगा। इन छह वर्षों के अंतराल में राजकपूर द्वारा अभिनीत कई फ़िल्में प्रदर्शित हुईं, जिनमें सन 1966 में प्रदर्शित कवि शैलेंद्र कि ‘तीसरी कसम’ भी शामिल है। यह वह फिल्म है जिसमें राजकपूर ने अपने जीवन की सर्वोत्कृष्ट भूमिका अदा की। यही नहीं ‘तीसरी कसम’ वह फिल्म है जिसने हिंदी साहित्य की एक अत्यंत मार्मिक कृति को सैल्यूलाइड पर पूरी सार्थकता से उतारा। ‘तीसरी कसम’ फिल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी। ‘तीसरी कसम’ शैलेंद्र के जीवन की पहली और अंतिम फिल्म है। ‘तीसरी कसम’ को ‘राष्ट्रपति स्वर्णपदक’ मिला, बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फिल्म और कई अन्य पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया। मास्को फिल्म फेस्टिवल में भी यह फिल्म पुरस्कृत हुई। इसकी कलात्मकता की लंबी-चौड़ी तारीफ़ें हुई। इसमें शैलेंद्र की संवेदनशीलता पूरी शिद्द्त के साथ मौजूद है। उन्होंने ऐसी फिल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।

 

Q1. ‘संगम’ की अद्भुत सफलता के बाद राजकपूर ने किन फिल्मों के निर्माण की घोषणा की –

(क) ‘मेरा नाम जोकर’, ‘अजंता’

(ख) ‘मैं और मेरा दोस्त’ ‘सत्यम शिवम् सुंदरम’

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(ग) ‘मेरा नाम जोकर’, ‘तीसरी कसम’

(घ) (क) और (ख) दोनों

उत्तर – (घ) – (क) और (ख) दोनों

 

Q2. राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ का निर्माण कब आरम्भ किया और इसे समाप्त होने में कितना समय लगा –

(क) 1964 में आरम्भ और समाप्ति में लगभग 6 वर्ष लगे

(ख) 1965 में आरम्भ और समाप्ति में लगभग 6 वर्ष लगे

(ग) 1955 में आरम्भ और समाप्ति में लगभग 6 वर्ष लगे

(घ) 1965 में आरम्भ और समाप्ति में लगभग 7 वर्ष लगे

उत्तर – (ख) 1965 में आरम्भ और समाप्ति में लगभग 6 वर्ष लगे

 

Q3. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।

कथन (A) – तीसरी कसम में शैलेंद्र की संवेदनशीलता पूरी शिद्द्त के साथ मौजूद है। उन्होंने ऐसी फिल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।

कारण (R) – ‘तीसरी कसम’ वह फिल्म है जिसने हिंदी साहित्य की एक अत्यंत मार्मिक कृति को सैल्यूलाइड पर पूरी सार्थकता से उतारा। ‘तीसरी कसम’ फिल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी। ‘तीसरी कसम’ को ‘राष्ट्रपति स्वर्णपदक’ मिला, बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फिल्म और कई अन्य पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया।

(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं

(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है

(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है

(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

 

Q4. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन से पुरुस्कार मिले –

(क) ‘राष्ट्रपति स्वर्णपदक’

(ख) बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फिल्म

(ग) मास्को फिल्म फेस्टिवल में भी यह फिल्म पुरस्कृत हुई

(घ) उपरोक्त सभी 

उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी 

 

Q5. गद्यांश से शैलेन्द्र के बारे में पता चलता है कि वे थे –

(क) बेहतरीन लेखक व् सच्चा कवि-हृदय 

(ख) बेहतरीन लेखक

(ग) संगीतज्ञ 

(घ) बेहतरीन कवि व् निर्देशक

उत्तर – (क) बेहतरीन लेखक व् सच्चा कवि-हृदय 

 

(2) राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फिल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया। पर वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार सम्पति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी। ‘तीसरी कसम’ कितनी ही महान फिल्म क्यों न रही हो, लेकिन यह एक दुखद सत्य है कि इसे प्रदर्शित करने के लिए बमुश्किल वितरक मिले। बावजूद इसके कि ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे नामज़द सितारे थे, शंकर-जयकिशन का संगीत था, जिनकी लोकप्रियता उन दिनों सातवें आसमान पर थी और इसके गीत भी फ़िल्म के प्रदर्शन के पूर्व ही बेहद लोकप्रिय हो चुके थे, लेकिन इस फिल्म को खरीदने वाला कोई नहीं था। दरअसल इस फिल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने का गणित जानने वाले की समझ से परे थी। उसमें रची-बसी करुणा तराज़ू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी। इसीलिए बमुश्किल जब ‘तीसरी कसम’ रिलीज़ हुई तो इसका कोई प्रचार नहीं हुआ। फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा। ऐसा नहीं है कि शैलेंद्र बीस सालों तक फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ़ थे। परन्तु उन में उलझकर वे अपनी आदमियता नहीं खो सकते थे। ‘श्री 420’ का एक लोकप्रिय गीत है – ‘प्यार हुआ, इकरार हुआ है, प्यार से फिर क्यूँ डरता है दिल।’ इसके अंतरे की एक पंक्ति- ‘रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति की। उनका ख्याल था कि दर्शक ‘चार दिशाएँ तो समझ सकते हैं- ‘दस दिशाएँ’ नहीं। लेकिन शैलेंद्र परिवर्तन के लिए तैयार नहीं हुए। उनका दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे। और उनका यकीन गलत नहीं था। यही नहीं, वे बहुत अच्छे गीत भी जो उन्होंने लिखे बेहद लोकप्रिय हुए। शैलेंद्र ने झूठे अभिजात्य को कभी नहीं अपनाया। उनके गीत भाव-प्रणव थे-दुरूह नहीं। ‘मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंग्लिस्तानी, सर पे लाल टोपी रुसी, फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी’ -यह गीत शैलेंद्र ही लिख सकते थे। शांत नदी का प्रवाह और समुद्र की गहराई लिए हुए। यही विशेषता उनकी जिंदगी की थी और यही उन्होंने अपनी फिल्म के द्वारा भी साबित किया था।

 

Q1 . राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को किससे आगाह किया –

(क) फ़िल्म की बेकार कहानी से 

(ख) बेकार निर्देशन से

(ग) फ़िल्म की सफलता से

(घ) फिल्म की असफलता के खतरों से

उत्तर – (घ) फिल्म की असफलता के खतरों से

 

Q2 . शैलेंद्र को किस चीज़ की इच्छा थी –

(क) अपार सम्पति

(ख) यश की अभिलाषा

(ग) आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा

(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर – (ग) आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा

 

Q3. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।

कथन (A) – बावजूद इसके कि ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे नामज़द सितारे थे, शंकर-जयकिशन का संगीत था, जिनकी लोकप्रियता उन दिनों सातवें आसमान पर थी और इसके गीत भी फ़िल्म के प्रदर्शन के पूर्व ही बेहद लोकप्रिय हो चुके थे, लेकिन इस फिल्म को खरीदने वाला कोई नहीं था।

कारण (R) – दरअसल इस फिल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने का गणित जानने वाले की समझ से परे थी। उसमें रची-बसी करुणा तराज़ू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी। इसीलिए बमुश्किल जब ‘तीसरी कसम’ रिलीज़ हुई तो इसका कोई प्रचार नहीं हुआ। फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।

(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं

(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है

(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है

(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

 

Q4. ‘तीसरी कसम’ जब रिलीज़ हुई तो इसका प्रचार क्यों नहीं हुआ-

(क) उसमें रची-बसी करुणा तराज़ू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी

(ख) इसे प्रदर्शित करने के लिए बमुश्किल वितरक मिले

(ग) ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे नामज़द सितारे थे

(घ) शंकर-जयकिशन का संगीत था

उत्तर – (क) उसमें रची-बसी करुणा तराज़ू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी

 

Q5. गद्यांश से राजकपूर के बारे में पता चलता है कि वे थे –

(क) बेहतरीन नायक व् नामज़द सितारे 

(ख) बेहतरीन लेखक

(ग) एक अच्छे और सच्चे मित्र

(घ) बेहतरीन कवि व् निर्देशक

उत्तर – (क) और (ग) दोनों 

 

(3) हमारी फिल्मों की सबसे बड़ी कमजोरी होती है, लोक-तत्व का आभाव। वे जिंदगी से दूर होती है। यदि त्रासद स्थितियों का चित्रांकन होता है तो उन्हें ग्लोरिफ़ाई किया जाता है। दुख का ऐसा वीभत्स रूप प्रस्तुत होता है जो दर्शकों का भावनात्मक शोषण कर सके। और ‘तीसरी कसम’ की यह खास बात थी कि वह दुःख को भी सहज स्थिति में, जीवन-सापेक्ष प्रस्तुत करती है। मैंने शैलेंद्र को गीतकार नहीं, कवि कहा है। वे सिनेमा की चकाचौंध के बीच रहते हुए यश और धन-लिप्सा से कोसों दूर थे। जो बात उनकी जिंदगी में थी वही उनके गीतों में भी। उनके गीतों में सिर्फ करुणा नहीं, जूझने का संकेत भी था और वह प्रक्रिया भी मौजूद थी जिसके तहत अपनी मंजिल तक पहुँचा जाता है। व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संकेत देती है। शैलेंद्र ने ‘तीसरी कसम’ को अपनी भावप्रणवता का सर्वश्रेष्ठ तथ्य प्रदान किया। मुकेश की आवाज में शैलेंद्र का यह गीत तो अद्वितीय बन गया है –

सजनवा बैरी हो गए हमार चिठिया हो तो हर कोई बाँचै भाग न बाँचै कोय…..अभिनय के दृष्टिकोण से ‘तीसरी कसम’ राजकपूर की जिंदगी की सबसे हसीन फिल्म है। राजकपूर जिन्हें समीक्षक और कला-मर्मज्ञ आँखों से बात करने वाला कलाकार मानते हैं, ‘तीसरी कसम’ में मासूमियत के चर्मोत्कर्ष को छूते हैं। अभिनेता राजकपूर जितनी ताकत के साथ ‘तीसरी कसम’ में मौजूद हैं, उतना ‘जागते रहो’ में भी नहीं। ‘जागते रहो’ में राजकपूर के अभिनय को बहुत सराहा गया था, लेकिन ‘तीसरी कसम’ वह फिल्म है जिसमें राजकपूर अभिनय नहीं करता। वह हिरामन के साथ एकाकार हो गया है। खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं। जिसके लिए मोहब्बत के सीवा किसी दूसरी चीज़ का कोई अर्थ नहीं।

 

Q1. गद्यांश के अनुसार हमारी फिल्मों की सबसे बड़ी कमजोरी क्या है –

(क) वे जिंदगी से दूर होती है

(ख) लोक-तत्व का आभाव

(ग) उन्हें ग्लोरिफ़ाई किया जाता है 

(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर – (ख) लोक-तत्व का आभाव 

 

Q2. दुःख के विषय में ‘तीसरी कसम’ की यह खास बात थी कि –

(क) वह दुःख को भी सहज स्थिति में प्रस्तुत करती है

(ख) वह दुःख को जीवन-सापेक्ष प्रस्तुत करती है

(ग) दुख का कोई वीभत्स रूप प्रस्तुत नहीं करती

(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

 

Q3. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।

कथन (A) – मैंने शैलेंद्र को गीतकार नहीं, कवि कहा है। वे सिनेमा की चकाचौंध के बीच रहते हुए यश और धन-लिप्सा से कोसों दूर थे। जो बात उनकी जिंदगी में थी वही उनके गीतों में भी।

कारण (R) – क्योंकि उनके गीतों में सिर्फ करुणा ही नहीं थी , बल्कि जिंदगी की मुश्किलों से जूझने का संकेत भी था और वह प्रक्रिया भी मौजूद थी जिसके अनुसार कोई अपनी मंजिल तक पहुँचा जाता है।

(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं

(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है

(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है

(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

 

Q4. ‘तीसरी कसम’ में हिरामन को कैसे प्रस्तुत किया गया है –

(क) खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ दिल की जुबान समझता है

(ख) जिसके लिए मोहब्बत के सीवा किसी दूसरी चीज़ काकोई अर्थ नहीं।

(ग) वह दिमाग की बात नहीं सुनता

(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

 

Q5. गद्यांश से राजकपूर के बारे में पता चलता है कि वे थे –

(क) बेहतरीन समीक्षक और कला-मर्मज्ञ आँखों से बात करने वाले कलाकार हैं

(ख) राजकपूर जितनी ताकत के साथ ‘तीसरी कसम’ में मौजूद हैं, उतना ‘जागते रहो’ में भी नहीं

(ग) ‘तीसरी कसम’ वह फिल्म है जिसमें राजकपूर अभिनय नहीं करता। वह हिरामन के साथ एकाकार हो गया है।

(घ) उपरोक्त सभी 

उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

 

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Class 10 Hindi Sparsh Lesson 13 तीसरी क़सम के शिल्पकार शैलेंद पुस्तकालय बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।

Q1- तीसरी कसम के लेखक कौन हैं ?

A) निदा फ़ाज़ली

B) प्रह्लाद अग्रवाल

C) कोई नहीं

D) खुशवंत सिंह

 

Q2- लेखक का जन्म कब हुआ ?

A) १९४५

B) १९४६

C) १९४७

D) १९४५

 

Q3- लेखक का जन्म कहाँ हुआ ?

A) झांसी में

B) मध्यप्रदेश के जबलपुर में

C) जमशेदपुर में

D) रायपुर में

 

Q4- लेखक को फिल्मों में रूचि कब पैदा हुई ?

A) स्कूल में

B) स्नातक में

C) बचपन से

D) कोई नहीं

 

Q5- लेखक ने स्नातकोत्तर किस विषय में की ?

A) अंग्रेजी

B) फ़ारसी

C) हिंदी में

D) कोई नहीं

 

Q6- प्रह्लाद अग्रवाल की रचनाओं के नाम बताएं |

A) सातवाँ दशक

B) तानाशाह

C) सभी

D) यायावर

 

Q7- तीसरी फिल्म कब प्रदर्शित हुई ?

A) १९६६ में

B) १९६८ में

C) १९७७ में

D) १९६७ में

 

Q8- इन के लेखन में कैसे शब्दों की भरमार है ?

A) फ़िल्मी दुनिया में प्रयोग होने वाले शब्दों की

B) मधुर शब्दों की

C) नए शब्दों की

D) कोई नहीं

 

Q9- कौन सी चार फिल्मे राज कपूर ने एक साथ घोषित की ?

A) मेरा नाम जोकर

B) मैं और मेरा दोस्त

C) सत्यम शिवम् सुंदरम

D) सभी

 

Q10- किस फिल्म के बाद राज कपूर आत्म विश्वास से भर गए ?

A) मेरा नाम जोकर

B) सत्यम शिवम् सुंदरम

C) संगम

D) अजंता

 

Q11- तीसरी फ़िल्म् को कौन से पुरस्कार मिले ?

A) राष्ट्रपति से स्वर्ण पदक

B) सर्व श्रेष्ठ फ़िल्म् बङ्गाल फ़िल्म् एसोसिएशन जर्नलिस्ट से

C) मास्को फ़िल्म फ़ेस्तिवल से

D) सभी

 

Q12- तीसरी कसम फिल्म किस कवि की है ?

A) कैफ़ी आजमी

B) शैलेन्द्र

C) शैलन्द्र

D) निदा फ़ाज़ली

 

Q13- तीसरी कसम में किसने अभिनय किया ?

A) राज कपूर ने

B) राजेश खन्ना ने

C) शम्मी कपूर ने

D) निदा फ़ाज़ली

 

Q14- लेखक के अनुसार हमारी फिल्मो में सबसे बड़ी कमी क्या है ?

A) मसाले की

B) शोखी की

C) लोक तत्त्व की

D) कोई नहीं

 

Q15- तीसरी फिल्म को क्या कह कर पुकारा गया?

A) सैल्यू लाईड पर लिखी कविता

B) सैल्यू लाईड पर लिखी कहानी

C) सैल्यू लाईड पर लिखी चिठ्ठी

D) कोई नहीं

 

Q24- शैलेन्द्र के गीतों की क्या विशेषता है ?

A) भाव प्रदान

B) सरल

C) दोनों

D) कोई नहीं

 

Q16- जोकर फिल्म के एक भाग को पूरा होने मे कितना समय लगा ?

A) एक साल

B) दो साल

C) छः साल

D) सात साल

 

Q17- राज कपूर ने अन्य लोगो की फिल्मो में कैसे काम किया ?

A) बड़ी मेहनत से

B) पैसे लेकर

C) लापरवाही से

D) होश्यारी से

 

Q18- राजकपूर की बात सुनकर शैलेन्द्र की क्या दशा हुई ?

A) चेहरा खिल गया

B) चेहरा हैरान हो गया

C) चेहरा मुरझा गया

D) चेहरा फीका पड़ गया

 

Q19- शैलेन्द्र ने तीसरी कसम कहानी किसे सुनाई ?

A) राज कपूर को

B) शम्मी कपूर को

C) राजेश खन्ना को

D) किसी को नहीं

 

Q20- कहानी सुन कर राज कपूर ने क्या कहा ?

A) मेरा पारिश्रमिक एडवांस देना होगा

B) मैं मुफ्त में काम करूँगा

C) अच्छी नहीं है

D) कोई नहीं

 

Q21- राजकपूर कितना पारिश्रमिक लेते थे ?

A) एक सौ

B) एक रुपैया

C) एक हजार रुपैया

D) एक लाख

 

Q22- कौन सी फिल्म महान फिल्मों की श्रेणी में आती है ?

A) तीसरी कसम

B) सत्यम शिवम् सुंदरम

C) मेरा नाम जोकर

D) अजंता

 

Q23- तीसरी फिल्म के संगीतकार कौन हैं ?

A) शंकर जय किशन

B) मदन मोहन

C) लक्ष्मी कांत प्यारे लाल

D) प्यारे लाल

 

Q25- हमारी फिल्मों में दर्शकों का शोषण कैसे किया जाता है ?

A) दुःख की अति दिखा कर

B) पैसे ऐंठ कर

C) कोई नहीं

D) फज़ूल में हँसा कर

 

Q26- शैलेन्द्र ने कितनी फिल्में बनाई ?

A) एक

B) दो

C) तीन

D) चार

 

Q27- लेखक ने व्यथा के विषय में क्या कहा है ?

A) व्यथा हराती है

B) आगे नहीं बढ़ने देती

C) आगे बढ़ने का सन्देश देती है

D) कुछ नहीं

 

Q28- तीसरी कसम में राज कपूर ने किसकी भूमिका निभाई?

A) एक गाड़ीवान हीरामन की

B) नायक की

C) किसी की नहीं

D) हीरो की

 

Q29- शैलेन्द्र की फिल्म का नाम लिखें ?

A) तीसरी कसम

B) सत्यम

C) शिवम

D) अजंता

 

Q30- फिल्म समीक्षक राज कपूर को किस तरह का कलाकार मानते हैं ?

A) उम्दा

B) बेहतरीन

C) आँखों से बात करने वाला

D) कोई नहीं

 

Answer Key for Class 10 Hindi Chapter 13 Teesri kasam ke Shilpkaar Shailendra MCQ

 

Question No.
Answer
1
B
2
C
3
B
4
C
5
C
6
C
7
A
8
A
9
D
10
C
11
A
12
C
13
A
14
C
15
A
16
C
17
A
18
C
19
A
20
A
21
B
22
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25
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27
C
28
A
29
A
30
C

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Class 10 Hindi तीसरी क़सम के शिल्पकार शैलेंद प्रश्न और उत्तर Questions Answers (including questions from Previous Years Question Papers)

In this post we are also providing important questions for CBSE Class 10 Boards in the coming session. These questions have been taken from previous years class 10 Board exams and the year is mentioned in the bracket along with the question.

  

Q1. राजकपूर ने फ़िल्म की कहानी सुनकर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की? (CBSE 2010)

उत्तर – राजकपूर शैलेंद्र के सच्चे मित्र थे। शैलेंद्र ने राज कपूर से अपनी फ़िल्म में अभिनय करने का प्रस्ताव रखा था , लिसके लिए वे तैयार भी हो गए थे , परन्तु एक सच्चे मित्र के कर्तव्य का निर्वाह करते हुए उन्होंने शैलेंद्र को पहले ही इस फ़िल्म की असफलता के प्रति सचेत कर दिया था।

 

Q2. राजकपूर ने शैलेंद्र के साथ अपनी मित्रता ? निर्वाह कैसे किया?

उत्तर – राजकपूर ने अपने मित्र शैलेंद्र की फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में पूरी तन्मयता से काम किया। इस काम के बदले उन्होंने किसी प्रकार के पारिश्रमिक की अपेक्षा नहीं की। उन्होंने मात्र एक रुपया एडवांस लेकर काम किया और मित्रता का निर्वाह किया।

 

Q3. शैलेंद्र द्वारा उनकी फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में व्यक्त करुणा को स्पष्ट कीजिए। (CBSE 2016)

उत्तर – शैलेंद्र द्वारा उनकी फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में व्यक्त करुणा में निराशा नहीं, अपितु परिस्थितियों से जूझने और कभी हार न मानने की प्रेरणा थी। जिसने फ़िल्म को बहुत प्रशंसा दिलाई। इस फ़िल्म में ऐसे लोगों की जिंदगी को अभिव्यक्त किया गया है, जो बहुत ही गरीब हैं, किन्तु फिर भी वे सुनहरे सपनों में मौज-मस्ती से जीते हैं तथा प्रत्येक परिस्थिति में मुस्कुराते हैं। अभावों की जिंदगी जीते लोगों के सपनीले कहकहे ‘तीसरी कसम’ की अत्यन्त कारूणिक पंक्ति है।

 

Q4. राजकपूर ने शैलेंद्र के साथ किस तरह यारउन्ना मस्ती की ?

उत्तर – गीतकार शैलेंद्र जब अपने मित्र राजकपूर के पास फ़िल्म में काम करने का अनुरोध करने गए तो राजकपूर ने हाँ कह दिया, परंतु साथ ही यह भी कह दिया कि ‘निकालो मेरा पूरा एडवांस।’ फिर उन्होंने हँसते हुए एक रुपया एडवांस माँगा। एडवांस माँग कर राजकपूर ने शैलेंद्र के साथ याराना मस्ती की।

 

Q5. ‘तीसरी कसम’ जैसी फ़िल्म बनाने के पीछे शैलेंद्र की मंशा क्या थी?

उत्तर – शैलेंद्र कवि हृदय रखने वाले गीतकार थे। तीसरी कसम बनाने के पीछे उनकी मंशा यश या धनलिप्सा न थी। आत्म संतुष्टि के लिए ही उन्होंने फ़िल्म बनाई।

 

Q6 . शैलेंद्र द्वारा बनाई गई फ़िल्म के न चलने के कारण क्या थे?

उत्तर – तीसरी कसम संवेदनापूर्ण भाव-प्रणव फ़िल्म थी। संवेदना और भावों की यह समझ पैसा कमाने वालों की समझ से बाहर होती है। ऐसे लोगों का उद्देश्य अधिकाधिक लाभ कमाना होता है। तीसरी कसम फ़िल्म में रची-बसी करुणा अनुभूति की चीज़ थी। ऐसी फ़िल्म के खरीददार और वितरक कम मिलने से यह फ़िल्म न चल सकी।

 

Q7. ‘रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी नयाँ’ इस पंक्ति के रेखांकित अंश पर किसे आपत्ति थी और क्यों ?

उत्तर – रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पंक्ति के दसों दिशाओं पर संगीतकार शंकर जयकिशन को आपत्ति थी। उनका मानना था कि जन साधारण तो चार दिशाएँ ही जानता-समझता है, दस दिशाएँ नहीं। इसका असर फ़िल्म और गीत की लोकप्रियता पर पड़ने की आशंका से उन्होंने ऐसा किया।

 

Q8. ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर और वहीदा रहमान का अभिनय लाजवाब था। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – जिस समय फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ के लिए राजकपूर ने काम करने के लिए हामी भरी वे अभिनय के लिए प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय हो गए थे। इस फ़िल्म में राजकपूर ने ‘हीरामन’ नामक देहाती गाड़ीवान की भूमिका निभाई थी। फ़िल्म में राजकपूर का अभिनय इतना सशक्त था कि हीरामन में कहीं भी राजकपूर नज़र नहीं आए। इसी प्रकार छींट की सस्ती साड़ी में लिपटी हीराबाई’ का किरदार निभा रही वहीदा रहमान का अभिनय भी लाजवाब था जो हीरामन की बातों का जवाब जुबान से नहीं आँखों से देकर वह सशक्त अभिव्यक्ति प्रदान की जिसे शब्द नहीं कह सकते थे। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर और वहीदा रहमान का अभिनय लाजवाब था।

 

Q9. हिंदी फ़िल्म जगत में एक सार्थक और उद्देश्यपरक फ़िल्म बनाना कठिन और जोखिम का काम है।’ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – हिंदी फ़िल्म जगत की एक सार्थक और उद्देश्यपरक फ़िल्म है तीसरी कसम, जिसका निर्माण प्रसिद्ध गीतकार शैलेंद्र ने किया। इस फ़िल्म में राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे प्रसिद्ध सितारों का सशक्त अभिनय था। अपने जमाने के मशहूर संगीतकार शंकर जयकिशन का संगीत था जिनकी लोकप्रियता उस समय सातवें आसमान पर थी। फ़िल्म के प्रदर्शन के पहले ही इसके सभी गीत लोकप्रिय हो चुके थे। इसके बाद भी इस महान फ़िल्म को कोई न तो खरीदने वाला था और न इसके वितरक मिले। यह फ़िल्म कब आई और कब चली गई मालूम ही न पड़ा, इसलिए ऐसी फ़िल्में बनाना जोखिमपूर्ण काम है।

 

Q10. ‘राजकपूर जिन्हें समीक्षक और कलामर्मज्ञ आँखों से बात करने वाला मानते हैं’ के आधार पर राजकपूर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।

अथवा

प्रस्तुत पाठ के आधार पर राज कपूर के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए। (CBSE 2013, 2015)

उत्तर – राजकपूर हिंदी फ़िल्म जगत के सशक्त अभिनेता थे। अभिनय की दुनिया में आने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे उत्तरोत्तर सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते गए और अपने अभिनय से नित नई ऊचाईयाँ छूते रहे। संगम फ़िल्म की अद्भुत सफलता से उत्साहित होकर उन्होंने एक साथ चार फ़िल्मों के निर्माण की घोषणा की। ये फ़िल्में सफल भी रही। इसी बीच राजकपूर अभिनीत फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ के बाद उन्हें एशिया के शोमैन के रूप में जाना जाने लगा। इनका अपना व्यक्तित्व लोगों के लिए किंवदंती बन चुका था। वे आँखों से बात करने वाले कलाकार जो हर भूमिका में जान फेंक देते थे। वे अपने रोल में इतना खो जाते थे कि उनमें राजकपूर कहीं नज़र नहीं आता था। वे सच्चे इंसान और मित्र भी थे, जिन्होंने अपने मित्र शैलेंद्र की फ़िल्म में मात्र एक रुपया पारिश्रमिक लेकर काम किया और मित्रता का आदर्श प्रस्तुत किया।

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