NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 पतझड़ में टूटी पत्तियाँ प्रसंग 2 झेन की देन Important Question Answers Lesson 16

 

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सीबीएसई कक्षा 10 हिंदी स्पर्श भाग 2 पुस्तक पाठ 16 के लिए पतझड़ में टूटी पत्तियाँ प्रसंग 2  झेन की देन प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 10 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से बोर्ड परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे पतझड़ में टूटी पत्तियाँ प्रसंग 2  झेन की देन उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract based questions, multiple choice questions, short answer questions, and long answer questions

Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams. 

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Class 10 Hindi पतझड़ में टूटी पत्तियाँ प्रसंग 2 झेन की देन Question Answers Lesson 16 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

सारआधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

 

पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –

 

(1) जापान में मैंने अपने एक मित्र से पूछा, “यहाँ के लोगों को कौन सी बीमारियाँ अधिक होती हैं ?” “मानसिक”, उसने जवाब दिया,”यहाँ के अस्सी फीसदी लोग मनोरुग्ण हैं।” “इसकी क्या वजह है ?” कहने लगे ,”हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं, बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं। ……. अमेरिका से हम प्रतिस्पर्धा करने लगे। एक महीने में पूरा होने वाला काम एक दिन में ही पूरा करने की कोशिश करने लगे। वैसे भी दिमाग की रफ़्तार हमेशा तेज़ ही रहती है। उसे ‘स्पीड’ का इंजन लगाने पर वह हजार गुना अधिक रफ्तार से दौड़ने लगता है। फिर एक क्षण ऐसा आता है जब दिमाग का तनाव बढ़ जाता है और पूरा इंजन टूट जाता है। …… यही कारण है जिससे मानसिक रोग यहाँ बढ़ गए हैं। …. ”

शाम को वह मुझे एक ‘टी-सेरेमनी’ में ले गए। चाय पीने की यह एक विधि है। जापानी में उसे चा-नो-यू कहते हैं। वह एक छः मंजिली इमारत थी जिसकी छत पर दफ़्ती की दीवारोंवाली और तातामी (चटाई) की ज़मीनवाली एक सुंदर पर्णकुटी थी। बाहर बेढब-सा एक मिट्टी का बर्तन था। उसमें पानी भरा हुआ था। हमने अपने हाथ-पाँव इस पानी से धोए। तौलिए से पोंछे और अंदर गए। अंदर ‘चानीज़’ बैठा था। हमें देखकर वह खड़ा हुआ। कमर झुका कर उसने हमें प्रणाम किया। दो….झो…(आइए, तशरीफ़ लाइए) कहकर स्वागत किया। बैठने की जगह हमें दिखाई। अँगीठी सुलगाई। उस पर चायदानी रखी। बगल के कमरे में जाकर कुछ बरतन ले आया। तौलिए से बरतन साफ किए। सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से कीं कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों। वहाँ का वातावरण इतना शांत था कि चायदानी के पानी का खदबदाना भी सुनाई दे रहा था।

 

Q1. गद्यांश के अनुसार जापान के लोग कौन सी बिमारी से ग्रस्त हैं –

(क) मानसिक

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(ख) प्रतिस्पर्द्धा 

(ग) शारीरिक

(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर – (क) मानसिक

 

Q2. जापान के लोगों के मनोरुग्ण होने की क्या वजह है –

(क) जीवन की रफ़्तार का बढ़ना 

(ख) एक महीने में पूरा होने वाला काम एक दिन में ही पूरा करने की कोशिश करना

(ग) अमेरिका से प्रतिस्पर्धा में लगे रहना

(घ) उपरोक्त सभी 

उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी 

 

Q3. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।

कथन (A) – वैसे भी दिमाग की रफ़्तार हमेशा तेज़ ही रहती है। उसे ‘स्पीड’ का इंजन लगाने पर वह हजार गुना अधिक रफ्तार से दौड़ने लगता है। फिर एक क्षण ऐसा आता है जब दिमाग का तनाव बढ़ जाता है और पूरा इंजन टूट जाता है। …… यही कारण है जिससे मानसिक रोग यहाँ बढ़ गए हैं। …. ”

कारण (R) – दिमाग भले ही हर वक्त गतिशील अवस्था में होता है परन्तु उसे भी आराम की जरुरत होती है। जापान के लोग जरुरत से ज्यादा ही दिमाग का उपयोग कर रहे हैं जिस कारण उन्हें मानसिक बीमारियों को झेलना पड़ रहा है।

(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं

(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है

(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है

(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

 

Q4. जापानी में चा-नो-यू किसे कहते हैं –

(क) किसी विशेष का नाम

(ख) मनोवैज्ञानिक इलाज

(ग) टी-सेरेमनी

(घ) उपरोक्त सभी 

उत्तर – (ग) टी-सेरेमनी

 

Q5. गद्यांश के अनुसार ‘टी-सेरेमनी’ की क्या ख़ास बातें बताई गई –

(क) तातामी की ज़मीनवाली एक सुंदर पर्णकुटी के बाहर बेढब-से मिट्टी के बर्तन से पानी निकाल कर हाथ-पाँव धोकर अंदर गए

(ख) वहाँ का वातावरण इतना शांत था कि चायदानी के पानी का खदबदाना भी सुनाई दे रहा था

(ग) सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से कीं कि चानीज़ की हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों

(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

 

(2) चाय तैयार हुई। उसने वह प्यालों में भरी। फिर वे प्याले हमारे सामने रख दिए गए। वहाँ हम तीन मित्र ही थे। इस विधि में शांति मुख्य बात होती है। इसलिए वहाँ तीन से अधिक आदमियों को प्रवेश नहीं दिया जाता। प्याले में दो घूँट से अधिक चाय नहीं थी। हम ओठों से प्याला लगाकर एक-एक बूँद चाय पीते रहे। करीब डेढ़ घंटे तक चुसकियों का यह सिलसिला चलता रहा। पहले दस-पंद्रह मिनट तो मैं उलझन में पड़ा। फिर देखा दिमाग की रफ़्तार धीरे-धीरे धीमी पड़ती जा रही है। थोड़ी देर में बिलकुल बंद भी हो गई। मुझे लगा, मानो अनंतकाल में मैं जी रहा हूँ। यहाँ तक की सन्नाटा भी मुझे सुनाई देने लगा। अकसर हम या तो गुज़रे हुए दिनों की खट्टी-मीठी यादों में उलझे रहते हैं या भविष्य के रंगीन सपने देखते रहते हैं। हम या तो भूतकाल में रहते हैं या भविष्यकाल में। असल में दोनों काल मिथ्या हैं। एक चला गया है, दूसरा आया नहीं है। हमारे सामने जो वर्तमान क्षण है, वही सत्य है। उसी में जीना चाहिए। चाय पीते-पीते उस दिन मेरे दिमाग से भूत-भविष्य दोनों काल उड़ गए थे। केवल वर्तमान क्षण सामने था। और वह अनंतकाल जितना विस्तृत था।

जीना किसे कहते है, उस दिन मालूम हुआ।

झेन परंपरा की यह बड़ी देन मिली है जापानियों को!

 

Q1. जापान के लोग ‘टी-सेरेमनी’ क्यों करते हैं –

(क) मानसिक शांति के लिए

(ख) प्रतिस्पर्द्धा की तैयारी के लिए

(ग) शारीरिक बल बढ़ाने के लिए

(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर – (क) मानसिक शांति के लिए

 

Q2. ‘टी-सेरेमनी’ की मुख्य बात क्या है –

(क) चाय की तैयारी

(ख) शांति

(ग) प्याले में दो घूँट से अधिक चाय न होना

(घ) उपरोक्त सभी 

उत्तर – (ख) शांति

 

Q3. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।

कथन (A) – हम या तो भूतकाल में रहते हैं या भविष्यकाल में। असल में दोनों काल मिथ्या हैं। एक चला गया है, दूसरा आया नहीं है।

कारण (R) – अकसर हम या तो गुज़रे हुए दिनों की खट्टी-मीठी यादों में उलझे रहते हैं या भविष्य के रंगीन सपने देखते रहते हैं। हमारे सामने जो वर्तमान क्षण है, वही सत्य है। उसी में जीना चाहिए।

(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं

(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है

(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है

(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

 

Q4. चाए पीते-पीते लेखक ने क्या महसूस किया –

(क) लेखक के दिमाग से भूत-भविष्य दोनों काल उड़ गए थे

(ख) लेखक के सामने केवल वर्तमान क्षण था

(ग) लेखक को वह वर्तमान काल अनंतकाल जितना विस्तृत लग रहा था

(घ) उपरोक्त सभी 

उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

 

Q5. गद्यांश के अनुसार जापानियों को क्या देन मिली है –

(क) झेन परंपरा की देन

(ख) टी-सेरेमनी की देन

(ग) मानसिक शांति को बनाए रखने की देन

(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर – (क) झेन परंपरा की देन

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Class 10 Hindi Sparsh Lesson 16 पतझड़ में टूटी पत्तियाँ प्रसंग 2 झेन की देन बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।

Q1- झेन की देन में लेखक जापानी लोगों के बारे में क्या कहता है ?

A) जापानी लोगो को मानसिक बीमारिया अधिक हैं

B) जापानी लोग स्मार्ट हैं

C) जापानी लोग गतिवान हैं

D) कोई नहीं

 

Q2- लेखक को टी सेरेमनी में कौन लेकर गया था ?

A) उसका बॉस

B) उसका भाई

C) उसका दोस्त

D) उसका अंकल

 

Q3- चाय पीने की जापानी विधि को क्या कहते हैं ?

A) चा – नो – यू

B) मा – नो -यू

C) रा -नो-यू

D) नो-यू

 

Q4- लेखक को चाय के पानी के उबलने की आवाज़ स्पष्ट क्यों सुनाई दे रही थी ?

A) पहाड़ो के कारण

B) शांत वातावरण के कारण

C) सुनने की मशीन के कारण

D) कोई नहीं

 

Q5- चाय पीने के बाद लेखक को कैसा अनुभव हुआ ?

A) सुखद

B) दुखद

C) शांत और सुखद जैसे अनंतकाल में हो

D) अच्छा

 

Q6- लेखक और उसके मित्र कहाँ गए थे ?

A) घूमने

B) टी सेरेमनी में

C) पहाड़ो पर

D) सेरेमनी में

 

Q7- जापानी में चाय पीने की विधी को क्या कहा जाता है ?

A) चा – नो -यू

B) मा – नो -यू

C) रा – नो -यू

D) नो -यू

 

Q8- जपानिओ के दिमाग में स्पीड का इंजन होने से क्या भाव है ?

A) वे सपीडी इंजन में काम करते हैं

B) बहुत तेज़ चलते हैं

C) उनका दिमाग बहुत तेज़ गति से चलता है

D) तेज़ चलते हैं

 

Q9- टी सेरेमनी में कितने लोगों को प्रवेश दिया जाता है ?

A) दो लोगों को

B) चार लोगों को

C) तीन लोगों को

D) सात लोगों को

 

Q10- टी सेरेमनी में केवल तीन लोगों को प्रवेश क्यों दिया जाता है ?

A) क्योंकि ट्रेंड है

B) जगह कम होती है

C) ताकि शान्ति भंग न हो

D) ताकि बात हो सके

 

Class 10 Hindi Sparsh Lesson 16 पतझड़ में टूटी पत्तियाँ प्रसंग 2 झेन की देन बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

 

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Class 10 Hindi पतझड़ में टूटी पत्तियाँ प्रसंग 2 झेन की देन प्रश्न और उत्तर Questions Answers (including questions from Previous Years Question Papers)

In this post we are also providing important questions for CBSE Class 10 Boards in the coming session. These questions have been taken from previous years class 10 Board exams and the year is mentioned in the bracket along with the question.

 

Q1. जापान के अस्सी प्रतिशत लोग किस रोग के शिकार हैं और इसका क्या कारण है? “पतझड़ में टूटी पत्तियाँ” पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (CBSE 2015)

अथवा

जापान में मानसिक रोगों के क्या कारण हैं? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं? “झेन की देन’ के आधार पर तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए। (CBSE 2014, 2016)

अथवा

‘झेन की देन’ के आधार पर बताइए कि जापानी लोगों को मानसिक बीमारियाँ अधिक क्यों होती हैं? (CBSE 2010)

उत्तर – “पतझड़ में टूटी पत्तियाँ” पाठ के आधार पर, जापान के अस्सी प्रतिशत लोग मानसिक रोगों के शिकार हैं। इसका सबसे बड़ा कारण तनाव है। जापान में कोई आराम से नहीं चलता ,बल्कि दौड़ता है अर्थात सब एक दूसरे से आगे जाने की सोच रखते हैं। जापान में कोई भी व्यक्ति आराम से बात नहीं करता ,वे लोग केवल काम की ही बात करते हैं। यहाँ तक की जब जापान के लोग कभी अपने आप को अकेला महसूस करते हैं तो वे किसी और से नहीं बल्कि अपने आप से ही बातें करते हैं। जापान के लोग अमेरिका से प्रतियोगिता में लग गए जिसके कारण वे एक महीने में पूरा होने वाला काम एक दिन में ही ख़त्म करने की कोशिश करने लगे। वैसे भी दिमाग हमेशा तेज ही रहता है और अगर उसमें स्पीड का इंजन लगा दिया जाए तो उसकी राफ्तार में कई हज़ार गुना तेजी आ सकती है और वह दौड़ने लगता है। फिर एक समय ऐसा भी आता है जब दिमाग थक जाता है और टेंशन में आ कर पूरा इंजन टूट जाता है। यही कारण है कि जापान के लोगो में मानसिक बिमारी इतनी अधिक फैल गई है।

 

Q2. ‘टी-सेरेमनी’ के कर्म में लेखक ने क्या अनुभव किया?

अथवा

पाठ के आधार पर लिखिए कि चाय पिने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया? (CBSE 2011)

उत्तर – ‘टी-सेरेमनी’ में चाय पीते समय लेखक पहले दस-पंद्रह मिनट उलझन में पड़ा। लेकिन धीरे -धीरे लेखक ने महसूस किया कि उनके दिमाग की रफ़्तार कम होने लेगी है। और कुछ समय बाद तो लगा कि दिमाग बिलकुल बंद ही हो गया है। लेखक को लगा जैसे वह कभी न ख़त्म होने वाले समय में जी रहा है। यहाँ तक की लेखक का मन इतना शांत हो गया था की बाहर की शांति भी शोर लग रही थी। चाय पीते-पीते उस दिन मेरे दिमाग से भूत-भविष्य दोनों काल उड़ गए थे। केवल वर्तमान क्षण सामने था। और वह अनंतकाल जितना विस्तृत था।

 

Q3. ‘जीना इसी का नाम है’लेखक ने ऐसा किस स्थिति को कहा है?

उत्तर – ‘जीना इसी का नाम है’ लेखक ने ऐसा उस स्थिति को कहा है जब वह भूतकाल और भविष्य दोनों को मिथ्या मानकर उन्हें भूल बैठा। उसके सामने जो वर्तमान था उसी को उसने सच मान लिया था। टी-सेरेमनी में चाय पीते-पीते उसके दिमाग से दोनों काले उड़ गए थे। वह अनंतकाल जितने विस्तृत वर्तमान में जी रहा था।

 

Q4. भारत में भी लोगों की जिंदगी की गतिशीलता में खूब वृद्धि हुई है। इसके कारण और परिणाम का उल्लेख ‘झेन की देन’ पाठ के आधार पर कीजिए।

उत्तर – अत्यधिक सुख-सुविधाएँ पाने की लालसा, भौतिकवादी सोच और विकसित बनने की चाहत ने भारतीयों की जिंदगी की गतिशीलता में वृधि की है। भारत विकास के पथ पर अग्रसर है। गाँव हो या महानगर, प्रगति के लिए भागते दिख रहे हैं। विकसित देशों की भाँति जीवन शैली अपनाने के लिए लोगों की जिंदगी में भागमभाग मची है। लोगों के पास अपनों के लिए भी समय नहीं बचा है। यहाँ के लोगों की स्थिति भी जापानियों जैसी हो रही है जो चलने की जगह दौड़ रहे हैं, बोलने की जगह बक रहे हैं और इससे भी दो कदम आगे बढ़कर मनोरोगी होने लगे हैं।

 

Q5. ‘झेन की देन’ प्रसंग के आधार पर बताइये कि हमारा दिमाग हर वक्त कहाँ उलझा रहता है और क्यों? (CBSE 2013)

उत्तर – ‘झेन की देन’ प्रसंग के अनुसार हमारा दिमाग अकसर या तो गुज़रे हुए दिनों की खट्टी-मीठी यादों में उलझा रहता है या भविष्य के रंगीन सपने देखता रहता है। हम या तो भूतकाल में रहते हैं या भविष्यकाल में। यह स्पष्ट करता है कि हमारे व्यक्तित्व में स्थिरता का अभाव है।

 

Q6. चा-नो-यू की पूरी प्रक्रिया का वर्णन अपने शब्दों में करते हुए लिखिए कि उसे झेन परंपरा की अनोखी देन क्यों कहा गया है?(CBSE 2019)

अथवा

जापान में अस्सी प्रतिशत लोगों में मनोरूग्णता के कारणों को समझाते हुए लिखिए कि इस सन्दर्भ में चा-नो-यू की परंपरा को ‘एक बड़ी देन’ क्यों कहा गया है?(CBSE 2020)

उत्तर – जापान में चाय पीने की एक विधि है। जापानी में जिसे चा-नो-यू कहते हैं। इस विधि में शांति को प्रमुखता दी जाती है। इसलिए चाय पीने के स्थान पर एक साथ तीन लोगों से अधिक को प्रवेश नहीं दिया जाता है। एक बहुमंजिला इमारत की छत पर दफ़्ती दीवारों तथा चटाई की ज़मीन वाली एक सुंदर पर्णकुटी बानी होती है। बाहर मिट्टी के बर्तन में पानी भरा होता है। हाथ-पाँव धोकर और तौलिए से पोंछकर अंदर प्रवेश किया जाता है। चानीज़ अँगीठी सुलगाकर चाय तैयार करता है। बर्तन तौलिए से साफ़ करके चाय को प्यालों में डाल कर अतिथि के सामने लता है। प्याले में दो घूँट से अधिक चाय नहीं होती। वहाँ ओठों से प्याला लगाकर एक-एक बूँद चाय पी जीती है। करीब डेढ़ घंटे तक चुसकियों का यह सिलसिला चलता रहता है।

इससे चाय पीने वाले व्यक्ति के दिमाग की रफ़्तार धीरे-धीरे धीमी पड़ने लगती है। और वह अनंतकाल में जीने लगता है। लेखक ने इसे झेन की अनोखी देन इसलिए कहा है, क्योंकि इस प्रक्रिया के माध्यम से लेखक को यह आभास हुआ था कि जीना किसे कहते हैं अर्थात यह प्रक्रिया वर्तमान में जीना सिखाती है। इसलिए यह झेन की अनोखी परंपरा है।

 

Q7. ‘झेन की देन’ पाठ से आपको क्या संदेश मिलता है?

उत्तर – ‘झेन की देन’ पाठ हमें अत्यधिक व्यस्त जीवनशैली और उसके दुष्परिणामों से अवगत कराता है। पाठ में जापानियों की व्यस्त दिनचर्या से उत्पन्न मनोरोग की चर्चा करते हुए वहाँ की ‘टी-सेरेमनी’ के माध्यम से मानसिक तनाव से मुक्त होने का संकेत करते हुए यह संदेश दिया है कि अधिक तनाव मनुष्य को पागल बना देता है। इससे बचने का उपाय है मन को शांत रखना। बीते दिनों और भविष्य की कल्पनाओं को भूलकर वर्तमान की वास्तविकता में जीना और वर्तमान का भरपूर आनंद लेना। इसके मन से चिंता, तनाव और अधिक काम की बोझिलता हटाना आवश्यक है ताकि शांति एवं चैन से जीवन कटे।

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