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Give a Character Sketch of Havaldar, Panwala and Captain from CBSE Class 10 Hindi Chapter 7 नेताजी का चश्मा
नेताजी का चश्मा स्वयं प्रकाश जी की कृति है। इस कृति के माध्यम से नेताजी ने एक साधारण चश्मा बेचने वाले व्यक्ति का देश के प्रति प्रेम का वर्णन किया है।
Character Sketch of Havaldar
- देशभक्त: हवलदार एक देशभक्त इंसान हैं। जब पानवाला कैप्टन को लंगड़ा बोलता है तो उनको बुरा लगता है क्योंकि उनको कैप्टन को एक स्वतंत्रता सेनानी माने थे।
- कुशल प्रेक्षक: हवलदार एक कुशल प्रेक्षक हैं तभी वह एक ही नजर में मूर्ति के चश्मों को देख लेते हैं।
- इमोशनल प्राणी: हवलदार बड़े इमोशनल प्राणी हैं तभी जब वह बच्चो का बनाया चश्मा देखते हैं तो उनकी आखें भर आती है।
- विनम्र: हवलदार बड़े विनम्र स्वभाव के व्यक्ति हैं तभी पान वाले के कैप्टन के प्रति उल्टा सीधा सुनकर कुछ न बोलते हैं।
Questions related to Character of Havaldar
- हवलदार की आखें क्यों भर आई?
- हवलदार को पान वाले की कौन सी बात बुरी लगी?
- हवलदार मूर्ति की तरफ न देखने का निर्णय क्यों करता है?
Character Sketch of Panwala
- गंवार: पानवाला काफी गंवार प्रकृति का व्यक्ति है, तभी वह कैप्टन को उल्टा सीधा कहता है।
- खुशमिजाज: पान वाला एक खुशमिजाज प्रकृति का व्यक्ति है। हवलदार के नेताजी की मूर्ति से चश्मा बदलने की बात सुनकर वह बहुत खुश होकर उनसे वजह बताता है।
- स्पष्टवादी: पान वाला एक स्पष्ट वादी व्यक्ति है तभी वह हवलदार को चश्मे से जुड़ी सारी बात बिल्कुल सही-सही बताता है और कोई भी अतिरिक्त बात का मिलावट नहीं करता है।
Questions related to Character of Panwala
- लेखक की दृष्टि से पान वाले का चरित्र का चित्रण कीजिए?
- पान वाले का मन क्यों उदास था?
Character Sketch of Captain
- देशभक्त: कैप्टन एक देशभक्त इंसान है तभी वह नेताजी की मूर्ति को बिना चश्मे के नहीं देख सकता है, इसमें वह नेताजी का अपमान समझता है।
- चालाक: कैप्टन की छोटी सी दुकान है इसलिए जो चश्मे ग्राहक मांगते हैं उसको मूर्ति से उतारकर ग्राहक को दे देता है तथा जिन फ्रेम की मांग नहीं रहती उसको मूर्ति में पहना देता है।
- परिश्रमी: कैप्टन एक परिश्रमी व्यक्ति है। वह है तो लंगड़ा तथा बूढ़ा लेकिन तब भी रोज मूर्ति के पास जाकर चश्मा बदलता है।
Questions related to Character of Captain
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- कैप्टन की प्रमुख चारित्रिक प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए?
- कैप्टन मूर्ति का चश्मा रोज क्यों बदल देता था?
Netaji ka Chashma Summary
स्वयं प्रकाश जी कहते हैं कि हालदार जिस कंपनी में काम करते हैं उसे कंपनी के काम से हर 15-15 दिन में एक छोटे से कस्बे से होकर गुजरते थे। कहने को तो वह एक छोटा सा कस्बा था लेकिन उसमें स्कूल कारखाना, नगरपालिका तथा एक ओपन सिनेमा था। यह नगर पालिका बस नाम की ही नगर पालिका थी। सारे विकास का काम तो अन्य विभाग करते थे।
एक बार की बात है इस नगर पालिका का एक अधिकारी जोश में आकर चौराहे में एक संगमरमर की सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति बनवा दी। अब मूर्ति तो बनवा दी लेकिन बजट की कमी होने के कारण उसे मूर्ति का चश्मा ना बनवा पाए। चश्मे की जगह एक चौड़ा काला फ्रेम बस पहना दिया था। हवलदार जब आए तो उन्होंने संगमरमर की मूर्ति के साथ फ्रेम देखा तो बोला कि वाह यह बात भी सही है। मूर्ति नकली लेकिन चश्मा असली। दूसरे दिन जब हवलदार आए तो देख की मूर्ति पर तार का फ्रेम लगा है तथा एक गोल चश्मा लगा है यह देखकर वह आश्चर्यचकित हुए। अगली बार जब आए तो देखें कि चश्मा बदला हुआ था। अब उन्होंने हार मानकर पास वाले पानवाले से पूछा कि यह चश्मा हमेशा क्यों बदला रहता है? तब पानवाले ने बताया कि यह चश्मा तो कैप्टन चश्मावाला बदल देता है।
हवलदार को लगा कि यह कैप्टन वास्तव में कोई देश प्रेमी होगा या तो नेताजी की आजाद हिंद फौज का कोई रिटायर सिपाही होगा जिनको नेताजी बिना चश्मा के नहीं अच्छे लगते हैं लेकिन जब इसके बारे में उन्होंने पान वाले से पूछा तो पान वाले ने कहा कि यह लंगड़ा लूला क्या ही जायेगा फौज में। हवलदार को यह सुनकर बहुत बुरा लगा लेकिन जब उन्होंने कैप्टन को देखा तो वह आश्चर्य से भर गए क्योंकि वह कैप्टन वास्तव में एक पतला लंगड़ा व्यक्ति था। जिसके सिर में गांधी की टोपी, चश्मा और हाथ में संदूकची तथा एक बस में ढेर सारे चश्मे टांगे थे।
कुछ साल बाद हवलदार जब इस रास्ते से गुजरे तो नेताजी की मूर्ति में कोई भी चश्मा नहीं लगा था यह देखकर वह आश्चर्यचकित हुए और पान वाले से पता किया तो यह पता चला कि कैप्टन की मृत्यु हो गई है। यह सुनकर उनको बहुत दुख हुआ। कुछ दिन बाद वह जब गुजरे तो देखा कि एक सरकंडे से बना चश्मा लगा हुआ था। पूछने में पता चला कि यह मोहल्ले के बच्चों की करतूत है। यह सब देखकर हवलदार की आखें भर आई।
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