विदाई संभाषण Question Answers

 

CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag 1 Book Chapter 4 विदाई संभाषण Question Answers


 
Vidaai Sambhaashan Class 11 – CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag-1 Chapter 4 Vidaai Sambhaashan Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of  the chapter,  extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions. 
 
सीबीएसई कक्षा 11 हिंदी आरोह भाग-1 पुस्तक पाठ 4 विदाई संभाषण प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर  तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है। 

 

Vidaai Sambhaashan Question and Answers (विदाई संभाषण प्रश्न-अभ्यास)

 

प्रश्न 1 – शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर – लेखक शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से बताना चाहते हैं कि भारत में मनुष्य तो मनुष्य, पशुओं में भी अपने साथ रहने वालों के प्रति लगाव होता है। वे स्वयं को दुख पहुँचाने वाले व्यक्ति के बिछुड़ने पर भी दुखी होते हैं। यहाँ भावनाएँ प्रधान होती हैं। शिवशंभु की मारने वाली गाय के जाने पर दुर्बल गाय ने चारा नहीं खाया। यहाँ बिछुड़ते समय वैर-भाव को भुला दिया जाता है। विदाई का समय करुणा उत्पन्न करने वाला होता है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि लेखक शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से भारत के गौरव को प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहे हैं।

 

प्रश्न 2 – आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने जरा भी ध्यान नहीं दिया – यहाँ किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर – आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने जरा भी ध्यान नहीं दिया – यहाँ लेखक ने बंगाल के विभाजन की ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया है। लार्ड कर्जन दो बार भारत के वायसराय बने। उन्होंने भारत में ब्रिटिश राज की मजबूती के लिए कार्य किया। भारत में राष्ट्रवादी भावनाओं को कुचलने के लिए उसने बंगाल का विभाजन किया। करोड़ों लोगों ने उनसे यह विभाजन रद्द करने के लिए प्रार्थना की, परंतु उन्होंने उनकी एक नहीं सुनी। वे नादिरशाह से भी आगे निकल गए।

 
 

 

प्रश्न 3 – कर्जन को इस्तीफा क्यों देना पड़ गया?
उत्तर – कर्ज़न द्वारा इस्तीफा देने के निम्नलिखित करण थे –
(क) कर्ज़न ने बंगाल विभाजन लागू किया। इसके विरोध में सारा देश खड़ा हो गया। कर्ज़न द्वारा राष्ट्रीय ताकतों को खत्म करने का प्रयास विफल हो गया, उलटे ब्रिटिश शासन की जड़ें हिल गई।
(ख) कर्ज़न इंग्लैंड में एक फौजी अफसर को इच्छित पद पर नियुक्त करवाना चाहता था। उसकी सिफारिश को नहीं माना गया। उसने इस्तीफे की धमकी से काम करवाना चाहा, परंतु ब्रिटिश सरकार ने उसका इस्तीफा ही मंजूर कर लिया।

 

प्रश्न 4 – विचारिए तो, क्या शान आपकी इस देश में थी और अब क्या हो गई! कितने ऊँचे होकर आप कितने नीचे गिरे। – आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘विचारिए तो, क्या शान आपकी इस देश में थी और अब क्या हो गई! कितने ऊँचे होकर आप कितने नीचे गिरे।’ यह कथन लेखक द्वारा लार्ड कर्जन को संबोधित करते हुए कहा गया है। उस समय जबकि कौंसिल में मनपसंद सदस्यों की नियुक्ति करवाने के मुद्दे पर लॉर्ड को अपमानित होना पड़ा था, लेखक याद दिला रहे हैं कि आपको भारत में बादशाह के बराबर सोने की कुरसी मिली, आपको सबसे ऊँचा ओहदा मिला। आपकी सवारी में आपका हाथी सबसे ऊँचा  होता था और कैसी विडंबना है कि आज आप न इंग्लैंड में मान पा सके, न ही भारत में उस पद पर रह सके। कहने का तात्पर्य यह है कि जिनका हुक्म मनवाने  के लिए लार्ड कर्जन भारतीय जनता का शोषण करते रहे, आज उन्होंने ही लार्ड कर्जन को ठुकरा दिया। लार्ड कर्जन का मान-सम्मान सब मिट्टी में मिल गया। लेखक के यह वाक्य कहने का आशय यह है कि कर्जन सोचकर देखे कि बिना किसी कारण के ही उसने भारतीयों के हितों को कुचलकर बंगाल को काटकर दो हिस्सों में बदल दिया आखिर यह सब कर के भी आज उसे क्या हासिल हुआ?

 

प्रश्न 5 – आपके और यहाँ के निवासियों के बीच में कोई तीसरी शक्ति और भी है – यहाँ तीसरी शक्ति किसे कहा गया है?
उत्तर – आपके और यहाँ के निवासियों के बीच में कोई तीसरी शक्ति और भी है – यहाँ ‘तीसरी शक्ति’ से अभिप्राय ब्रिटिश शासकों से है। इंग्लैंड में रानी विक्टोरिया का राज था। उन्हीं के आदेशों का पालन वायसराय करता था। वह ब्रिटिश हितों की रक्षा करता था। कर्ज़न की नियुक्ति भी इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की गई थी। जब ब्रिटिश शासकों को लगा कि कर्ज़न ब्रिटिश शासकों के हित नहीं बचा पा रहा तो उन्होंने उसे हटा दिया। उस समय कर्ज़न को भारत छोड़ने की आशा नहीं थी। परन्तु रानी विक्टोरिया के आदेश पर कर्ज़न को इंग्लैंड वापस बुलाया गया। इसी वजह से लेखक कर्ज़न को कह रहे हैं कि उसके और भारतियों के बीच में जो तीसरी शक्ति है उस पर कर्ज़न का भी कोई ज़ोर नहीं चलता।

 

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न –

प्रश्न 1 – पूरे भारत में लार्ड कर्जन के किस निर्णय का विरोध होने लगा?
उत्तर – लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया था। देशवासियों को उनका यह निर्णय उचित नहीं लगा इसी कारण पूरा देश उनके विरोध में उठ खड़ा हो गया था। भारत की प्रजा उनसे खफा थी उन्होंने जिस प्रकार का सम्मान लार्ड कर्जन को दिया था उन्हें वह वापिस नहीं मिला। भारत की जनता को लग रहा था कि शायद लॉर्ड कर्ज़न उनकी बात मान जाएंगे और बंगाल का विभाजन रोक देंगे परन्तु ऐसा नहीं हुआ जिस कारण भारत में लॉर्ड कर्ज़न का विरोध शुरू हो गया।

 

प्रश्न 2 – इस पाठ में लेखक किसी तीसरी शक्ति की बात कर रहा है वह तीसरी शक्ति क्या है?
उत्तर – इस पाठ में लेखक इंग्लैंड की रानी विक्टोरिया को तीसरी शक्ति कहकर संबोधित करते हैं। भारत में इंग्लैंड की रानी विक्टोरिया की अनुमति के बिना कोई कार्य नहीं किया जाता था। कोई भी कानून पास करने के लिए अंतिम अनुमति इंग्लैंड की रानी विक्टोरिया की ही होती थी और उसका कहा सर्वमान्य होता था।

 

प्रश्न 3 – लेखक के द्वारा लार्ड कर्जन को किसकी भावनाओं का सम्मान न करने का दोष दिया गया?

उत्तर – लेखक के द्वारा लार्ड कर्जन ने भारत कि उस प्रजा का सम्मान नहीं किया जिस प्रजा ने उन्हें बहुत सम्मान दिया। भारत की प्रजा ने लार्ड कर्जन को वह वैभव प्रदान किया जो उन्हें अपने पूरे जीवन में और कहीं से नहीं मिल सकता था। प्रजा को लार्ड कर्जन से बहुत उम्मीद थी परंतु वे उनकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। भारत की जनता को लगा कि  लॉर्ड कर्ज़न उनकी मांग के अनुसार बंगाल का विभाजन नहीं करेगा, परन्तु उनकी उम्मीद के विपरीत लॉर्ड कर्ज़न ने बंगाल का विभाजन कर दिया जिसके कारण भारत की जनता की भावनाएँ आहात हुईं।

 

प्रश्न 4 – किन दो कहानियों और गीतों के माध्यम से लेखक लॉर्ड कर्ज़न को भारत की प्रजा की भावनाओं को समझाने का प्रयास करते हैं?
उत्तर – लेखक ने पहले तो शिवशंभु की दो गायों जिसमें एक बलवाली और दूसरी कमज़ोर जो बलवाली गाय से मार खाकर भी उसे स्नेह करने वालीहै, उन गाय पर लघु कथा लिखी है। उसके बाद एक लोकगीत के राजकुमार सुलतान ने नरवरगढ़ में रहने और फिर विनम्र अश्रुपूर्ण आज्ञा माँगने की भावपूर्ण स्थिति का वर्णन किया है। इसके माध्यम से लेखक कर्जन को समझाना चाहते है कि भारत में पशु और लोग कितने भावुक हैं, पर तुमने उनकी भावनाओं को जरा-सा भी महत्त्व नहीं दिया। तुम सदा उन्हें दुख देते रहे तो आज तुम्हें भी मिला है। यह विडंबना ही तो है कि तुम उस दुख को व्यक्त भी नहीं कर सकते। यहाँ ही नहीं तुम वहाँ भी अर्थात इंग्लैंड  में भी दुखी ही रहोगे।

 

प्रश्न 5 – नरवरगढ़ से विदा होते समय नर सुल्तान ने नरवरगढ़ के लोगों को धन्यवाद देने के लिए क्या कहा?
उत्तर – नर सुल्तान ने कहा कि “प्यारे नरवरगढ़ ! मेरा प्रणाम ले। आज मैं तुमसे जुदा होता हूँ। तू मेरा अन्नदाता है। अपनी विपदा के दिन मैंने तुझमें कांटे हैं। तेरे ऋण का बदला मैं गरीब सिपाही नहीं दे सकता। भाई नरवरगढ़! यदि मैंने जानबूझकर एक दिन भी अपनी सेवा में चूक की हो, यहां की प्रजा की शुभ चिंता ना की हो, यहां की स्त्रियों को माता और बहन दृष्टि से ना देखा हो तो मेरा प्रणाम ना ले, नहीं तो प्रसन्न होकर एक बार मेरा प्रणाम ले और मुझे जाने की आज्ञा दें। “

 

प्रश्न 6 – लार्ड कर्जन को ब्रिटिश शासकों ने उनके पद से हटा दिया, क्यों?
उत्तर – भारत पर इंग्लैंड में महारानी विक्टोरिया का शासन था। भारत में उनके आदेशों का पालन करने व् करवाने के लिए वायसराय हुआ करते थे। इंग्लैंड के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लार्ड कर्जन को नियुक्त किया गया। जब ब्रिटिश शासकों को लगा कि लॉर्ड कर्जन ब्रिटिश शासकों के हित को नहीं बचा सकता तथा उनके उद्देश्य को पूरा नहीं कर सकता तो उन्होंने लॉर्ड कर्जन को वायसराय के पद से हटा दिया।

 

प्रश्न 7 – बंगाल विभाजन के फैसला का देश, ब्रिटिश सरकार और लॉर्ड कर्जन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर – जब लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया तो उसकी इस फैसले के खिलाफ सारा देश एकमत होकर इस फैसले का विरोध करने लगा। देशव्यापी विरोध ने ब्रिटिश सरकार की जड़ें हिला दी। लार्ड कर्जन से ब्रिटिश सरकार क्षुब्ध हो गई। जब उसने एक सैन्य अधिकारी की नियुक्ति ना मानने पर ब्रिटिश सरकार के समक्ष अपने इस्तीफे की धमकी दी तो ब्रिटिश सरकार ने उस का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उसे पद से हटा दिया।

 

प्रश्न 8 – दो गायों की कहानी का निष्कर्ष समझाइए?
उत्तर – दो गायों की कहानी का निष्कर्ष यह है कि भारत में रहने वाले इंसानों में ही नहीं बल्कि जानवरों में भी साथ रहने वालों के लिए भावनात्मक लगाव हो जाता है। शिवशंभू की दो गायों में से एक गाय अक्सर अपने से कमजोर गाय को मारती थी। जब मारने वाली गाय को एक दिन शिवशंभू ने पंडित को दे दिया तो उस दिन कमजोर गाय ने उस बलवती गाय की अनुपस्थिति में चारा नहीं खाया। कमजोर गाय को दूसरी वाली से एक साथ रहने के कारण भावनात्मक लगाव हो गया, जिसके कारण उसके मन में करुणा उत्पन्न हो गई। वह गाय उसे मारती थी परंतु फिर भी कमजोर गाय दूसरे गाय के बिना चारा नहीं खा पाती । इस कहानी से हमें पता चलता है कि इंसान हो या जानवर सब को एक दूसरे के साथ रहने से भावनात्मक लगाव हो जाता है और उनकी अनुपस्थिति में कोई कार्य करने का मन नहीं करता।

 

प्रश्न 9 – लार्ड कर्जन का वैभव कैसे समाप्त हो गया?
उत्तर – भारत में लार्ड कर्जन जैसा वैभव किसी अन्य अंग्रेज शासक का नहीं था। उनका वैभव दिल्ली दरबार में था। उनके साथ में उनकी पत्नी भी सोने की कुर्सी पर बैठती थी। उनका हाथी बादशाह के भाई के हाथी से ऊंचा और आगे रहता था। लार्ड कर्जन के एक इशारे पर, सम्राट, प्रशासन और सभी रईसों को हाथ जोड़कर देखा गया। उनके एक इशारे पर बड़े-बड़े राजा मिट्टी में विलीन हो जाते थे और कई नालायक रहीस हो गए। लेकिन अंत में लॉर्ड कर्जन ने इस्तीफा दे दिया क्योंकि उनकी सिफारिश पर एक आदमी को नहीं रखा गया, इस बात से लॉर्ड कर्जन बहुत नाराज थे इसी कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उनकी एक जिद के कारण उनका सारा वैभव नष्ट हो गया।

 

प्रश्न 10 – लेखक ने लॉर्ड कर्जन की ज़िद की तुलना किस शासक से की?
उत्तर – लेखक ने लॉर्ड कर्जन की ज़िद की तुलना नादिरशाह से की। नादिरशाह एक तानाशाही और बेहद ही क्रूर शासक था। उसने दिल्ली में कत्ले-ऐ-आम करवाया और किसी की नहीं सुनी। परंतु आसिफजाह ने तलवार गले में डाल कर प्रार्थना की तो नादिरशाह ने कत्लेआम बंद कर दिया। लार्ड कर्जन के द्वारा किया गया बंगाल विभाजन किसी कत्लेआम से कम नहीं था। आठ करोड लोगों ने उनसे बार-बार प्रार्थना की लेकिन उन्होंने अपनी जिद नहीं छोड़ी। इसलिए लॉर्ड कर्जन क्रूरता के संदर्भ में नादिर शाह से ज्यादा क्रूर थे। अंततः यह कहना सही है कि लॉर्ड कर्जन की जिद की तुलना नादिर शाह से की जा सकती है।

 

प्रश्न 11 – लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल का संक्षिप्त वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर – लॉर्ड कर्जन को अंग्रेजी सरकार द्वारा दो बार वायसराय का पद दिया गया। भारत में अंग्रेजों के शासन को मजबूती से स्थापित करने के लिए अनेकों काम किए गए उनमें से एक बंगाल का विभाजन भी था। इन्होंने यह योजना राष्ट्रवादी भावनाओं को कुचलने के लिए बनाई थी। लोगों ने लॉर्ड कर्जन को बहुत सम्मान दिया था लेकिन प्रजा को वह सम्मान वापस नहीं मिला। बंगाल के लोग लॉर्ड कर्जन की इस योजना को समझ गए और उसका विरोध करना शुरू कर दिया परंतु लॉर्ड कर्जन ने अपनी योजना पूरी कर ही ली और बंगाल को दो भागों में बांट दिया। जनता इस बात से बहुत खफा थी इसलिए उन्होंने इस योजना का बड़े जोरों से विरोध किया लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। परन्तु देश में अंग्रेजी शासन की जड़े हिल गई जिस कारण इंग्लैंड की रानी विक्टोरिया ने लॉर्ड कर्ज़न को वापिस इंग्लैंड बुला दिया।

 

प्रश्न 12 – लार्ड कर्जन की किन नीतियों से भारतीय परेशान थे?
उत्तर – लॉर्ड कर्जन निरंकुश सत्ता के पक्षधर थे। वे सुधारों के नाम पर विभिन्न आयोगों का गठन करते और हर तरह से अंग्रेज अधिकारियों का वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश करते थे। जनता की भलाई के लिए उन्होंने कभी एक काम भी नहीं किया। वे बड़े ही जिद्दी स्वभाव के थे। उनकी क्रूरता की पराकाष्ठा थी-बंगाल का विभाजन जिसे करोड़ों की प्रार्थना के बाद भी उनके अड़ियल स्वभाव ने अंजाम दिया। इन्हीं नीतियों के कारण भारत के लोग लॉर्ड कर्जन को नापसंद करते थे।

 

प्रश्न 13 – ‘इस्तीफे का एलान लॉर्ड कर्जन के गले की हड्डी बन गया था’ – पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – लॉर्ड कर्जन का प्रथम कार्यकाल 1899 से 1904 तक था। उसे ब्रिटेन ने अपने पक्ष में अच्छा मानकर उन्हें पुनः सन् 1904 में भारत भेज दिया। इससे कर्जन का अहंकार और निरंकुशता और भी बढ़ गई। उन्होंने अपनी इच्छा से कुछ ब्रिटिश सैन्य अधिकारियों की नियुक्ति की माँग की थी जिसे ब्रिटेन ने पूरा नहीं किया। इसके बदले कर्जन ने धमकी देने के लिए इस्तीफ़ा देने की बात कही। उसने सोचा कि ‘मेरे जैसा कुशल वायसराय जो चाहे कर सकता है पर इसके बदले ब्रिटिश सरकार ने इस्तीफ़ा स्वीकार करके उसे वापस बुला लिया। अब कर्जन अपने ही किए में फँसकर रह गया। इस गले की हड्डी को, न निगलते बन रहा था न उगलते ही। बाद में पछताते हुए लौट जाने के सिवाय उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था।

 

प्रश्न 14 – कर्जन की तुलना तानाशाहों से की गई, क्यों?
उत्तर – कर्जन को क्रूरतम तानाशाह बताते हुए लेखक ने उसे कैसर, जार और नादिरशाह से भी अधिक क्रूर कहा है। उनका कहना है कि रोम के तानाशाह कैसर और ज़ार भी जनता के घेरने और घोटने से जनता की बात सुन लेते हैं, पर तुमने एक बार भी ऐसा नहीं किया। ईरान के क्रूर शासक नादिरशाह ने जब दिल्ली में कत्लेआम किया तो आसिफ़जाह की प्रार्थना पर उसे रोक दिया था। इन सब से ऊपर निरंकुश लॉर्ड कर्जन ने तो करोड़ों की प्रार्थना को ठुकराकर बंगाल पर आरी चलाई थी। अतः लेखक उसे संसार का क्रूरतम तानाशाह कहता है।

 

प्रश्न 15 -‘विदाई-संभाषण तत्कालीन साहसिक लेखन का नमूना है। सिद्ध कीजिए।
उत्तर – विदाई-संभाषण जैसा व्यंग्यात्मक, विनोदप्रिय, चुलबुला, जोश भरा, ताजगीवाला गद्य पढ़कर ऐसा अहसास नहीं होता कि उस समय लॉर्ड कर्जन ने प्रेस पर पाबंदी लगाई हुई थी। इस गद्य में आततायी को पीड़ा की चुभन का अहसास कराया गया है जो अपने-आप में एक साहसिक कदम है। इस गद्य में इतने प्यारे व्यंग्यात्मक बाण छोड़े गए हैं कि कर्जन तो कर्जन है, आज भी कोई कठोर शासक घायल हुए बिना नहीं रह सकता। अतः इसे साहसिक लेखन को नमूना ही नहीं, आदर्श भी कहा जा सकता है। भारतीय जनता की लाचारी को कर्जन की विवशता से जोड़कर लिखना लेखन की कलात्मक प्रस्तुति है।

 

प्रश्न 16 – पाठ में वर्णित किन कार्यों को लॉर्ड कर्जन की क्रूरता व्यक्त होती है?
उत्तर – कर्जन के निम्नलिखित कार्य क्रूरता की सीमा में आते हैं –
(क) प्रेस पर प्रतिबंध।
(ख) करोड़ों लोगों की विनती के बावजूद बंगाल का विभाजन।
(ग) देश के संसाधनों का अंग्रेजी हित में प्रयोग।
(घ) अंग्रेजों का वर्चस्व स्थापित करना।

 

प्रश्न 17 – ‘विदाई-संभाषण’ पाठ का प्रतिपादय स्पष्ट करें।
उत्तर – विदाई संभाषण पाठ वायसराय कर्जन जो 1899-1904 व 1904-1905 तक दो बार वायसराय रहे, के शासन में भारतीयों की स्थिति का खुलासा करता है। यह अध्याय शिवशंभु के चिट्टे का अंश है। कर्जन के शासनकाल में विकास के बहुत कार्य हुए, नए नए आयोग बनाए गए, किंतु उन सबका उद्देश्य शासन में गोरों का वर्चस्व स्थापित करना तथा इस देश के संसाधनों का अंग्रेजों के हित में सर्वाधिक उपयोग करना था। कर्ज़न ने हर स्तर पर अंग्रेजों का वर्चस्व स्थापित करने की चेष्टा की। वह सरकारी निरंकुशता का पक्षधर था। लिहाजा प्रेस की स्वतंत्रता तक पर उसने प्रतिबंध लगा दिया। अंततः कौंसिल में मनपसंद अंग्रेज सदस्य नियुक्त करवाने के मुद्दे पर उसे देश विदेश दोनों जगहों पर नीचा देखना पड़ा। क्षुब्ध होकर उसने इस्तीफा दे दिया और वापस इंग्लैंड चला गया। लेखक ने भारतीयों की बेबसी, दुख एवं लाचारी को व्यंग्यात्मक ढंग से लॉर्ड कर्जन की लाचारी से जोड़ने की कोशिश की है। साथ ही यह बताने की कोशिश की है कि शासन के आततायी रूप से हर किसी को कष्ट होता है चाहे वह सामान्य जनता हो या फिर लॉर्ड कर्जन जैसा वायसराय। यह निबंध भी उस समय लिखा गया है जब प्रेस पर पाबंदी का दौर चल रहा था। ऐसी स्थिति में विनोदप्रियता, चुलबुलापन, संजीदगी, नवीन भाषा प्रयोग एवं रवानगी के साथ यह एक साहसिक गद्य का नमूना भी है।

 

प्रश्न 18 – राजकुमार सुल्तान ने नरवरगढ़ से किन शब्दों में विदा ली थी?
उत्तर – राजकुमार सुल्तान ने नरवरगढ़ से विदा लेते समय कहा, ‘प्यारे नरवरगढ़ मेरा प्रणाम स्वीकार करें। आज मैं तुझसे जुदा होता हैं। तू मेरा अन्नदाता है। अपनी विपद के दिन मैंने तुझमें काटे हैं। तेरे ऋण का बदला यह गरीब सिपाही नहीं दे सकता। भाई नरवरगढ़ यदि मैंने जानबूझकर एक दिन भी अपनी सेवा में चूक की हो, यहाँ की प्रजा की शुभ चिंता न की हो, यहाँ की स्त्रियों को माता और बहन की दृष्टि से न देखा हो तो मेरा प्रणाम न ले, नहीं तो प्रसन्न होकर एक बार मेरा प्रणाम ले और मुझे जाने की आज्ञा दे।’

 

बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।

 

प्रश्न 1 – “विदाई संभाषण” को बालमुकुंद गुप्त जी की किस रचना से लिया गया हैं –
(क) “शिवशंभु की चिठ्ठी”
(ख) “शिवशंभु की गाएँ”
(ग) “शिवशंभु के चिट्ठे”
(घ) “शिवशंभु के मित्र”
उत्तर – (ग) “शिवशंभु के चिट्ठे”

प्रश्न 2 – इस पाठ में “सूत्रधार” शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है –
(क) रानी विक्टोरिया के लिए
(ख) लॉर्ड कर्जन के लिए
(ग) अंग्रेजों के लिए
(घ) भारतीयों के लिए
उत्तर – (ख) लॉर्ड कर्जन के लिए

प्रश्न 3 – लॉर्ड कर्जन भारत में कितनी बार वॉइसराय बनकर आए –
(क) दो बार
(ख) चार बार
(ग) एक बार
(घ) तीन बार
उत्तर – (क) दो बार

प्रश्न 4 – लार्ड कर्जन ने भारत में क्या करने की कोशिश की –
(क) अपना वर्चस्व स्थापित करने की
(ख) भारतीयों का वर्चस्व स्थापित करने की
(ग) अंग्रेजों का विनाश करने की
(घ) अंग्रेजों का वर्चस्व स्थापित करने की
उत्तर – (घ) अंग्रेजों का वर्चस्व स्थापित करने की

प्रश्न 5 – लार्ड कर्जन ने किसकी स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया था –
(क) प्रेस की स्वतंत्रता
(ख) जनता की स्वतंत्रता
(ग) वाचन की स्वतंत्रता
(घ) भ्रमण की स्वतंत्रता
उत्तर – (क) प्रेस की स्वतंत्रता

प्रश्न 6 – “विदाई संभाषण” पाठ में लेखक ने “तीसरी शक्ति” किसे कहा हैं –
(क) अंग्रेजी शासकों को
(ख) लॉर्ड कर्ज़न को
(ग) इंग्लैंड की महारानी को
(घ) भारतीयों को
उत्तर – (ग) इंग्लैंड की महारानी को

प्रश्न 7 – लेखक के अनुसार , लॉर्ड कर्जन ने किन्हें “गर्म तवे पर पानी की बूंदों की भांति नचाया है” –
(क) भारतीयों को
(ख) अंग्रेजों को
(ग) रानी विक्टोरिया को
(घ) अपनी पत्नी को
उत्तर – (क) भारतीयों को

प्रश्न 8 – शिवशंभू ने अपनी कौन सी गाय पुरोहित को दान दे दी थी –
(क) कोई भी नहीं
(ख) दोनों
(ग) कमजोर
(घ) शक्तिशाली
उत्तर – (घ) शक्तिशाली

प्रश्न 9 – लेखक के अनुसार , बिछड़ने के समय मन में किस रस का आविर्भाव होता है –
(क) करुण रस का
(ख) शांति रस का
(ग) वियोग रस का
(घ) संयोग रस का
उत्तर – (ग) वियोग रस का

प्रश्न 10 – लेखक के अनुसार , ईश्वर व इग्लैण्ड के महाराजा एडवर्ड के बाद इस देश में सबसे ऊँचा स्थान किसका था –
(क) लॉर्ड कर्जन का
(ख) रानी विक्टोरिया का
(ग) अंग्रेज शासकों का
(घ) भारतीय राजाओं का
उत्तर – (क) लॉर्ड कर्जन का

प्रश्न 11 – भारत की शिक्षा व्यवस्था को लगभग किसने खत्म किया –
(क) रानी विक्टोरिया ने
(ख) अंग्रेजों ने
(ग) नेताओं ने
(घ) लॉर्ड कर्जन ने
उत्तर – (घ) लॉर्ड कर्जन ने

प्रश्न 12 – लॉर्ड कर्जन की क्या जिद्द थी –
(क) भारत विभाजन
(ख) विरासत विभाजन
(ग) बंगाल विभाजन
(घ) राष्ट्र विभाजन
उत्तर – (ग) बंगाल विभाजन

प्रश्न 13 – “विदाई संभाषण” पाठ में , “घमंडी खिलाड़ी” किसे कहा गया है –
(क) रानी विक्टोरिया को
(ख) लार्ड कर्जन को
(ग) भारतीयों को
(घ) लेखक को
उत्तर – (ख) लार्ड कर्जन को

प्रश्न 14 – नादिरशाह ने कहां कत्लेआम किया –
(क) मुंबई में
(ख) दिल्ली में
(ग) बंगाल में
(घ) भारत में
उत्तर – (ख) दिल्ली में

प्रश्न 15 – लॉर्ड कर्जन की जिद किससे भी भयंकर थी –
(क) अंग्रेज शासक
(ख) रानी विक्टोरिया
(ग) नादिरशाह
(घ) आसिफजाह
उत्तर – (ग) नादिरशाह

प्रश्न 16 – लेखक ने भारतीय प्रजा की क्या विशेषता बताई है –
(क) वह अपने दुख और कष्टों का इतना ध्यान नहीं रखती जितना कि परिणामों का ध्यान रखती है
(ख) उसे पता है कि इस संसार में हर चीज का अंत होना निश्चित है
(ग) अपने को कष्ट पहुंचाने वाले के जाने पर भी भावुक हो जाती है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 17 – कर्जन “कृतज्ञता की इस भूमि” की महिमा को समझ नही पाया ” , यहाँ पर “कृतज्ञता की भूमि” किसे कहा गया हैं –
(क) बंगाल भूमि को
(ख) भारत भूमि को
(ग) इंग्लैंड भूमि को
(घ) इन में से कोई नहीं
उत्तर – (ख) भारत भूमि को

प्रश्न 18 – लॉर्ड कर्जन समाज के किस वर्ग को सबसे अधिक नापसंद करते थे –
(क) अशिक्षित वर्ग को
(ख) शिक्षित वर्ग को
(ग) पंडित वर्ग को
(घ) विद्यार्थी वर्ग को
उत्तर – (ख) शिक्षित वर्ग को

प्रश्न 19 – नरवरगढ़ से अपने घर लौटते वक्त , राजकुमार नर सुल्तान ने क्या किया –
(क) नरवरगढ़ को केवल प्रणाम किया
(ख) नरवरगढ़ को केवल शुक्रिया अदा किया
(ग) नरवरगढ़ को प्रणाम कर उसका शुक्रिया अदा किया
(घ) नरवरगढ़ को पूरी तरह से भुला दिया
उत्तर – (ग) नरवरगढ़ को प्रणाम कर उसका शुक्रिया अदा किया

प्रश्न 20 – लॉर्ड कर्जन के भारत छोड़ते वक्त , लेखक उससे क्या उम्मीद कर रहे थे –
(क) कर्जन जाते वक्त भारतीयों से माफी मांगते जायेंगे
(ख) कर्जन जाते वक्त इस देश का शुक्रिया अदा करते जायेंगे
(ग) कर्जन जाते वक्त इस देश के अनपढ़ लोगों को शिक्षित करते जायेंगे
(घ) कर्जन जाते वक्त इस देश में कभी वापिस न आने का वादा करते जायेंगे
उत्तर – (ख) कर्जन जाते वक्त इस देश का शुक्रिया अदा करते जायेंगे

 

सार-आधारित प्रश्न Extract Based Questions

सारआधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

 

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए  –

 

1 –
बिछड़न समय बड़ा करुणत्पादक होता है। आपको बिछड़ते देखकर आज हृदय में बड़ा दुख है। माइ लॉर्ड। आपके दूसरी बार इस देश में आने से भारतवासी किसी प्रकार प्रसन्न न थे। वे यही चाहते थे कि आप फिर न आयें। पर आप आए और उससे यहाँ के लोग बहुत ही दुखित हुए। वे दिन-रात यही मनाते थे कि जल्द श्रीमान् यहाँ से पधारें। पर हो. भाजभापके जाने पर हर्ष की जगह विषाद होता है। इसी से जाना कि बिछड़न-समय बड़ा करुणोत्पादक होता है, बड़ा पवित्र बाड़ा निर्मल और बड़ा कोमल होता है। वैर-भाद छूटकर शांत रस का आविर्भाव उस समय होता है। माइ लॉर्ड का देश देखने का इस दीन ब्राह्मण को कभी इस जन्म में सौभाग्य नहीं हुआ। इससे नहीं जानता कि वहाँ बिछड़ने के समय लोगों का क्या भाव होता है। पर इस देश के पशु-पक्षियों को भी बिछड़ने के समय उदास देखा है। एक बार शिवशंभु के दो गायें थीं। उनमें एक अधिक बलवाली थी। वह कभी-कभी अपने सींगों की टक्कर से दूसरी कमजोर गाय को गिरा देती थी। एक दिन वह टक्कर मारने वाली गाय पुरोहित को दे दी गई। देखा कि दुर्बल गाय उसके चले जाने से प्रसन्न नहीं हुई, वरंच उस दिन वह भूखी खड़ी रही, चारा छुआ तक नहीं। माइ लॉर्ड! जिस देश के पशुओं के बिछड़ते समय यह दशा होती है, वहाँ मनुष्यों की कैसी दशा हो सकती है, इसका अंदाजा लगाना कठिन नहीं है।

 

प्रश्न 1 – लेखक किसके बिछड़ने की बात कर रहा है –
(क) लॉर्ड कर्जन के भारत से बिछुड़ने की
(ख) लॉर्ड कर्जन के इंग्लैंड से बिछुड़ने की
(ग) शिवशंभु के अपनी गायों से बिछुड़ने की
(घ) शिवशंभु के दो गायों के बिछुड़ने की
उत्तर – (क) लॉर्ड कर्जन के भारत से बिछुड़ने की

प्रश्न 2 – लॉर्ड कर्जन कहाँ जा रहा है –
(क) इंग्लैंड वापस
(ख) भारत वापस
(ग) ब्रिटेन वापस
(घ) इंग्लैंड से भारत
उत्तर – (क) इंग्लैंड वापस

प्रश्न 3 – बिछड़न का समय कैसा होता हैं –
(क) करुणा उत्पन्न करने वाला
(ख) इस समय मन बड़ा पवित्र, निर्मल व कोमल हो जाता है
(ग) इस समय वैर भाव समाप्त होने लगता है और शांत रस अपने-आप आ जाता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – कर्जन के जाने के समय हर्ष की जगह विषाद क्यों हो रहा है –
(क) क्योंकि भारतीय संस्कृति में विदाई के वक्त लोग दुःखी हो जाते हैं
(ख) क्योंकि कर्ज़न सर्वाधिक शक्तिशाली वायसराय था
(ग) क्योंकि कर्ज़न एक अच्छा व्यक्ति था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) क्योंकि भारतीय संस्कृति में विदाई के वक्त लोग दुःखी हो जाते हैं

प्रश्न 5 – बिछड़न के समय भारतीय लोगों के दुःख को दर्शाने के लिए लेखक ने कर्ज़न के समक्ष किसका उदहारण रखा –
(क) शिवशंभु और लेखक का
(ख) शिवशंभु के दो दोस्तों का
(ग) शिवशंभु की दो गायों का
(घ) गायों और पुरोहित का
उत्तर – (ग) शिवशंभु की दो गायों का

 

2 –
आगे भी इस देश में जो प्रधान शासक आए अंत में उनको जाना पड़ा। इससे आपका जान भी परंपरा की चाल से कुछ अलग नहीं है, तथापि आपके शासन काल का नाटक घोर दुखांत है, और अधिक आश्चर्य की बात यह है कि दर्शक तो क्या, स्वयं सूत्रधार भी नहीं जानता था कि उसने जो खेल सुखांत समझकर खेलना भारंभ किया था, वह दुखत हो जावेगा। जिसके आदि में सुख था, मध्य में सीमा से बाहर सुख था, उसका अंत ऐसे धर दुख के साथ कैसे हुआ? आह! घमंडी खिलाड़ी समझता है कि दूसरों को अपनी लीला दिखाता है। किंतु पर्दै के पीछे एक और ही लीलामय की लीला हो रही है, यह उसे खबर नहीं।
इस बार बंबई’ में उतरकर माइ लॉर्ड! आपने जो इरादे जाहिर किए थे, ज़रा देखिए तो उनमें से कौन-कौन पूरे हुए? आपने कहा था कि यहाँ से जाते समय
भारतवर्ष को ऐसा कर जाऊँगा कि मेरे बाद आने वाले बडे़ लाटों को वर्षों तक कुछ करना न पड़ेगा, वे कितने ही वर्षों सुख की नींद सोते रहेंगे। किन्तु बात उलटी हुई।

 

प्रश्न 1 – कर्ज़न के शासनकाल का नाटक दुखांत क्यों हैं?
(क) कर्ज़न को भारत पर अंग्रेजी प्रभुत्व सुदृढ़ करने के लिए भेजा गया था परंतु उसकी नीतियों के कारण देश में समस्याएँ बढ़ती गई
(ख) समस्याओं का समाधान करने के बजाय दमन का रास्ता अपनाया गया
(ग) इससे इंग्लैंड के शासक इससे नाराज हो गए और कर्ज़न बीच में ही पद से हटा दिया गया
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2 – सबसे अधिक आश्चर्य की बात क्या है?
(क) दर्शक तो क्या स्वयं सूत्रधार भी नहीं जानता था कि उसने जो खेल दुखांत समझकर खेलना आरंभ किया था, वह सुखांत हो जाएगा
(ख) दर्शक तो क्या स्वयं सूत्रधार भी नहीं जानता था कि उसने जो खेल सुखांत समझकर खेलना आरंभ किया था, वह दुखांत हो जाएगा
(ग) दर्शक तो क्या स्वयं सूत्रधार भी नहीं जानता था कि उसने जो खेल खेलना आरंभ किया था, उसका अंत शीघ्र हो जाएगा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ख) दर्शक तो क्या स्वयं सूत्रधार भी नहीं जानता था कि उसने जो खेल सुखांत समझकर खेलना आरंभ किया था, वह दुखांत हो जाएगा

प्रश्न 3 – सूत्रधार कौन हैं?
(क) भारत का शासक
(ख) वायसराय
(ग) इंग्लैंड का शासक
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) इंग्लैंड का शासक

प्रश्न 4 – सूत्रधार के द्वारा खेल खेलने से क्या अभिप्राय हैं।
(क) इंग्लैंड का शासक भारत पर वायसराय के जरिए शासन करता था
(ख) वायसराय को अंग्रेजी प्रभुत्व स्थापित करने हेतु कार्य करने की छूट दी जाती थी
(ग) कर्जन के निरंकुश शासन से अंग्रेज-विरोधी माहौल बन गया, अतः कर्जन को बीच में ही हटा दिया गया
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 5 – दूसरी बार कर्जन के कौन से इरादे थे जो पुरे न हो सके –
(क) भारत से जाते समय भारतवर्ष को ऐसा कर जाऊँगा कि उनके बाद आने वाले बडे़ लाटों को वर्षों तक कुछ करना न पड़ेगा
(ख) वे कितने ही वर्षों सुख की नींद सोते रहेंगे
(ग) केवल (क)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों

 

3 –
विचारिए तो, या शान आपकी इस देश में थी और अब क्या हो गई। जितने ऊँचे होकर आप कितने नीचे गिरे। अलिफ लैला के अलहदीन ने चिराग रगड़कर और अबुल हसन ने बगदाद के खलीफा की गद्दी पर आँख खोलकर वह शान न देखी, जो दिल्ली दरबार में आपने देखी। आपकी और आपकी लेडी की कुर्सी सोने की थी और आपके प्रभु महाराज के छोटे भाई और उनकी पत्नी की चाँदी की। आप दाहिने थे, वह बाएँ. आप प्रथम थे, वह दूसरे। इस देश के सब रईसों ने आपको सलाम पहले किया और बादशाह के भाई को पीछ। जुलूस में आपका हाथी सबसे आगे और सबसे ऊंचा था, हौदा, चँवर, छत्र आदि सबसे बढ़ चढ़कर थे। सारांश यह है कि ईश्वर और महाराज एडवर्ड के बाद इस देश में भाप ही का एक दर्जा था। किंतु अब देखते हैं कि जंगी लाट के मुकाबले में आपने पटखनी खाई, सिर के बल नीचा आ रहे! आपका स्वदेश में वही ऊँचे माने गए, आपको साफ़ नीचा देखना पड़ा! पदत्याग की धमकी से भी ऊँचे न हो सके। आप बहुत धीर गंभीर प्रसिद्ध थे।

 

प्रश्न 1 – ‘कितने ऊँचे होकर आप कितने नीचे गिरें’ यह पंक्ति किसके लिए कही गई –
(क) अबुल हसन
(ख) अलिफ लैला के अलहदीन
(ग) लॉर्ड कर्ज़न
(घ) महाराज एडवर्ड
उत्तर – (ग) लॉर्ड कर्ज़न

प्रश्न 2 – लॉर्ड कर्ज़न के लिए क्यों कहा गया कि ‘कितने ऊँचे होकर आप कितने नीचे गिरें’ –
(क) भारत में वायसराय का पद सर्वोच्च होता था
(ख) वायसराय एक तरह से सम्राट की शक्तियों से युक्त था, उसे कोई चुनौती नहीं दे सकता था
(ग) गलत नीतियों के चलते किसी को उस पद से हटना पड़े तो यह अपमानजनक होता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) गलत नीतियों के चलते किसी को उस पद से हटना पड़े तो यह अपमानजनक होता है

प्रश्न 3 – कज़न की भारत में कैसी शान-शौकत थी?
(क) उसकी व उसकी पत्नी की कुर्सी सोने की बनी थी
(ख) इन्हें इंग्लैंड के राजा के भाई से भी अधिक सम्मान मिलता था। जुलूस में इसका हाथी सबसे आगे व सबसे ऊँचा चलता था।
(ग) ईश्वर व महाराज एडवर्ड के बाद कर्जन को ही माना जाता था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – ‘पदत्याग की धमकी से भी ऊँचे न हो सके’ से आशय है –
(क) कर्जन ने वायसराय की कौंसिल में मनपसंद फौजी अफसर रखना चाहा। इसके लिए गैरकानूनी बिल भी पास किया।
(ख) गैरकानूनी बिल की हर जगह निंदा हुई। इस पर उसने पद त्याग की धमकी दी।
(ग) पद त्याग की धमकी को बादशाह ने मंजूर किया। कर्ज़न का पासा उलट गया। पद लेने के बजाय पद छोड़ना पड़ा।
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 5 – कर्जन किसलिए प्रसिद्ध थे?
(क) अत्याचार के लिए
(ख) कठोरता के लिए
(ग) धीर गंभीरता के लिए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) धीर गंभीरता के लिए

 

4 –
उस सारी धीरता गंभीरता को आपने इस बार कौंसिल में बेकानूनी कानून पास करने और कोकेशन वकृता देते समय दिवाला निकाल दिया। यह दिवाला तो इस देश में हुआ। उधर विलायत में आपके बार-बार इस्तीफा देने की धमकी ने प्रकाश कर दिया कि जड़ हिल गई है। अंत में वहाँ भी आपको दिवालिया होना पड़ा और धीरता भीरता के साथ दृढ़ता को भी तिलांजलि देनी पड़ी। इस देश के हाकिम आपकी ताल पर नाचते थे, राजा-महाराजा डोरी हिलाने से सामने हाथ बाँधे हाजिर होते थे। आपके एक इशारे में प्रलय होती थी। कितने ही राजों को मट्टी के खिलौने की भाँति आपने तोड़-फोड़ डाला। कितने ही मट्टी-काठ के खिलौने आपकी कृपा के जादू से बड़े बड़े पदाधिकारी बन गए। आपके इस इशारे में इस देश की शिक्षा पायमान हो गई, स्वाधीनता उड़ गई। बंग देश के सिर पर आर रखा गया। आह, इतने बड़े माइ लॉई का यह दर्जा हुआ कि फौजी अफसर उनके इच्छित पद पर नियत न हो सका और उनको उसी गुस्से के मारे इस्तीफा दाखिल करना पड़ा, वह भी मंजूर हो गया। उनका रखाया एक आदमी नौकर न रखा, उलटा उन्हीं को निकल जाने का हुक्म मिला! जिस प्रकार आपका बहुत ऊँचे चढ़कर गिरना यहाँ के निवासियों को दुखित कर रहा है, गिरकर पड़ा रहना उससे भी अधिक दुखित करता है। आपका पद छूट गया तथापि आपका पीछा नहीं छूटा है। एक अदना क्लर्क जिसे नौकरी छोड़ने के लिए एक महीने का नोटिस मिल गया हो नोटिस की अवधि को बड़ी घृणा से काटता है। आपको इस समय अपने पद पर रहना कहाँ तक पसंद है यह आप ही जाते होंगे। अपनी दशा पर आपको कैसी घृणा भाती है, इस बात के जान लेने का इन देशवासियों की अवसर नहीं मिला पर पतन के पीछे इतनी उलझन में पड़ते उन्होंने किसी को नहीं देखा।

 

प्रश्न 1 – कर्ज़न का भारत व इंग्लैंड में दिवाला कैसे निकला?
(क) कर्जन ने कौंसिल में बंगाल विभाजन जैसा गैरकानूनी कानून पारा करवाया
(ख) कनपोकेशन में भारत विरोधी बातें कहीं। इससे इनकी घटिया मानसिकता का पता चल गया। भारत में इनका पुरजोर विरोध किया गया।
(ग) बार-बार इस्तीफा देने की धमकी ने प्रकाश कर दिया कि जड़ हिल गई है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2 – कर्ज़न का भारत में कैसा प्रभाव था?
(क) इस देश के हाकिम आपकी ताल पर नाचते थे, राजा-महाराजा डोरी हिलाने से सामने हाथ बाँधे हाजिर होते थे
(ख) आपके एक इशारे में प्रलय होती थी
(ग) उसने अनेक राजाओं का शासन छीन लिया तथा अनेक निकम्मों को बड़े-बड़े पदों पर बैठाया था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3 – कर्ज़न को इस्तीफा क्यों देना पड़ा?
(क) कर्ज़न एक फौजी अफसर को अपनी इच्छा के पद पर रखवाना चाहते थे, परंतु उनकी बात नहीं मानी गई
(ख) इस पर क्रोधित होकर इसने अपना इस्तीफा भेज दिया जिसे स्वीकार कर लिया गया।
(ग) केवल (क)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों

प्रश्न 4 – गिरकर पड़ रहना से क्या आशय हैं –
(क) कर्जन ने पद से त्याग-पत्र दे दिया, जिसे मंजूर कर लिया गया तथा अगले वायसराय के आने तक पद पर बने रहने को कहा गया
(ख) अपने पद पर अपमानित होते हुए भी पद को न छोड़ पाना
(ग) कहीं गिर जाना और किसी के द्वारा भी मदद न होना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) कर्जन ने पद से त्याग-पत्र दे दिया, जिसे मंजूर कर लिया गया तथा अगले वायसराय के आने तक पद पर बने रहने को कहा गया

प्रश्न 5 – कर्जन अपने ही फैलाए जाल में कैसे फंसकर रह गए –
(क) इस्तीफे की धमकी से उसने अपने पक्ष को सही ठहराना चाहा
(ख) उसका इस्तीक ही मंजूर कर लिया गया
(ग) इस्तीफे की धमकी से उसने अपने पक्ष को सही ठहराना चाहा, परंतु उसका इस्तीक ही मंजूर कर लिया गया
(घ) केवल (क)
उत्तर – (ग) इस्तीफे की धमकी से उसने अपने पक्ष को सही ठहराना चाहा, परंतु उसका इस्तीक ही मंजूर कर लिया गया

 

5 –
शासक-प्रजा के प्रति कुछ तो कर्तव्य होता है, यह बात आप निश्चित मानते होंगे। सो कृपा करके बतलाइए, क्या कर्तव्य आप इस देश की प्रजा के साथ पालन कर चले! क्या आंख बंद करके मनमाने हुक्म चलाना और किसी को कुछ न सुनने का नाम ही शासन है? क्या प्रज्ञा की बात पर कभी कान न देना और उसको दबाकर उसकी मर्जी के विरुद्ध जिद्द से सब काम किए चले जाना ही शासन कहलाता है? एक काम तो ऐसा बतलाइए, जिसमें आपने जिद्द छोड़कर प्रजा की बात पर ध्यान दिया हो। कैसर और तार भी घेरने घोटने से प्रजा की बात सुन लेते हैं पर आप एक मौका तो बताइए, जिसमें किसी अनुरोध या प्रार्थना सुनने के लिए प्रजा के लोगों को आपने अपने निकट फटकने दिया हो और उनकी बात सुनी हो। नादिरशाह ने जब दिल्ली में कत्लेआम किया तो आसिफजाह के तलवार गले में डालकर प्रार्थना करने पर उसने कत्लेआम उसी क्षण रोक गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने ज़रा भी ध्यान नहीं दिया। यहाँ की प्रजा ने आपकी जिद्द का फल यहीं देख लिया। उसने देख लिया कि आपकी जिस जिद्द ने इस देश की प्रजा को पीड़ित किया, आपको भी उसने कम पीड़ा न दी, यहाँ तक कि आप स्वयं उसका शिकार हुए। यहाँ की प्रजा वह प्रजा है, जो अपने दुख और कष्टों की । अपेक्षा परिणाम का अधिक ध्यान रखती है। वह जानती है कि संसार में सब चीज़ों का अंत है। दुख का समय भी एक दिन निकल जाएगा, इसी से सब दुखों को झेलकर, पराधीनता सहकर भी वह जीतीं है। माइ लॉर्ड। इस कृतज्ञता की भूमि की महिमा आपने कुछ न समझी और न यहाँ की दीन प्रजा की श्रद्धा-भक्ति अपने साथ ले जा सके, इसका बड़ा दुख है।

 

प्रश्न 1 – कर्ज़न ने किस प्रकार शासन किया था?
(क) प्रजातंत्र
(ख) निरंकुश
(ग) सफल
(घ) उपयुक्त
उत्तर – (ख) निरंकुश

प्रश्न 2 – कर्ज़न और नादिरशाह के बीच क्या तुलना की गई है –
(क) नादिरशाह ने जिद्द के कारण दिल्ली में भयंकर कलेआम करवाया। इसी तरह कर्जन ने बंगाल-विभाजन कर दिया
(ख) दोनों ने आम जनता के जीने के अधिकार छीने। कर्जन नादिरशाह से भी अधिक जिद्दी था
(ग) नादिरशाह ने आसिफजाह की प्रार्थना पर कत्लेआम रुकवाया, परंतु कर्ज़न पर आठ करोड़ लोगों की गिड़गड़ाहट का कोई असर नहीं पड़ा
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3 – लॉर्ड कर्जन की जिद्द से भारतीय जनता ने क्या पीड़ा सही?
(क) लॉर्ड कर्जन को बंगाल विभाजन की जिद्द थी। उसने 1905 में बंगाल विभाजन किया
(ख) जनता की प्रार्थनाओं व विरोध पर उसने कोई ध्यान नहीं दिया। इससे जनता बहुत परेशान हो गई थी
(ग) कर्जन को इंग्लैंड वापस जाना था, परंतु जाते जाते वह बंगाल का विभाजन भी कर गया
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – भारतीय प्रजा की क्या विशेषता है?
(क) दुख और कष्टों की अपेक्षा परिणाम का अधिक ध्यान रखती है
(ख) वह सब दुखों को झेलकर पराधीनता सहकर भी जीती है
(ग) केवल (ख)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों

प्रश्न 5 – लेखक को किस बात का दुख हैं?
(क) कर्ज़न ने भारत-भूमि की गरिमा को नहीं समझा
(ख) उसने भारत के कृतज्ञता भाव को नहीं समझा
(ग) यदि वह भारतीयों की भलाई के लिए कुछ करता तो अपने साथ गरीब प्रजा की श्रद्धा भक्ति को ले जाता
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

 

6 –
माइ लॉर्ड! जिस प्रजा में ऐसे राजकुमार का गीत गाया जाता है, उसके देश से क्या आप भी चलते समय कुछ संभाषण करेंगे? क्या आप कह सकेंगे, “अभागे भारत! मैंने तुमसे सब प्रकार का लाभ उठाया और तेरी बदौलत वह शान देखी, जो इस जीवन में असंभव है। तूने मेरा कुछ नहीं । बिगाड़ा, पर मैंने तेरे बिगाड़ने में कुछ कमी न की। संसार के सबसे पुराने देश! जब तक मेरे हाथ में शक्ति थीं, तेरी भलाई की इच्छा मेरे जी में न थी। अब कुछ शक्ति नहीं है, जो तेरे लिएँ कुछ कर सकें। पर आशीर्वाद करता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर से प्राप्त करे। मेरे बाद आने वाले तेरे गौरव को समझे।’ आप कर सकते हैं और यह देश आपकी पिछली सब बातें भूल सकता है, पर इतनी उदारता माई लॉर्ड में कहाँ?

 

प्रश्न 1 – लेखक कर्ज़न से किसके प्रति सम्भाषण करने को कह रहे हैं –
(क) भारत के
(ख) भारत वासियों के
(ग) प्रजाजन के
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) भारत के

प्रश्न 2 – कर्जन ने भारत से क्या लाभ उठाया –
(क) भारत ने कर्जन का कुछ नहीं बिगाड़ा
(ख) भारत की बदौलत कर्जन ने वह शान देखी, जो इस जीवन में असंभव है
(ग) कर्जन ने भारत को बिगाड़ने में कुछ कमी न की
(घ) केवल (क)
उत्तर – (ख) भारत की बदौलत कर्जन ने वह शान देखी, जो इस जीवन में असंभव है

प्रश्न 3 – भारत ने लाई कज़न से कैसा व्यवहार किया?
(क) भारत ने लॉर्ड कर्जन का कुछ नहीं बिगाड़ा
(ख) भारत ने लॉर्ड कर्जन को पूरा मान-सम्मान दिया
(ग) भारत ने लॉर्ड कर्जन की शान-शौकत बढ़ाई तथा उसके अत्याचार सहकर भी कुछ नहीं किया
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – लेखक कर्जन से क्या उदारता चाहते हैं –
(क) कि कर्जन भारत से प्रार्थना करे – संसार के सबसे पुराने देश! जब तक मेरे हाथ में शक्ति थीं, तेरी भलाई की इच्छा मेरे जी में न थी।
(ख) कि कर्जन भारत से प्रार्थना करे – अब कुछ शक्ति नहीं है, जो तेरे लिएँ कुछ कर सकें।
(ग) कि कर्जन भारत से प्रार्थना करे – कि वह आशीर्वाद करता है कि भारत फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर से प्राप्त करे। मेरे बाद आने वाले तेरे गौरव को समझे।
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 5 – ‘इतनी उदारता माई लॉर्ड में कहाँ?’ का व्यग्य बताइए।
(क) कर्जन जाते समय भारतीयों की प्रशंसा, अपने कुकृत्यों को स्वीकारना तथा भारत के अच्छे भविष्य की कामना कर दें तो यह देश उसकी सारी पिछली बातें भूल सकता है, परंतु कर्ज़न में उदारता नहीं है।
(ख) कर्जन यदि भारतीयों की प्रशंसा करे तो यह देश उसकी सारी पिछली बातें भूल सकता है, परंतु वह घमंडी तथा नस्ल-भेद से ग्रस्त है।
(ग) वह घमंडी तथा नस्ल-भेद से ग्रस्त है।
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) कर्जन जाते समय भारतीयों की प्रशंसा, अपने कुकृत्यों को स्वीकारना तथा भारत के अच्छे भविष्य की कामना कर दें तो यह देश उसकी सारी पिछली बातें भूल सकता है, परंतु कर्ज़न में उदारता नहीं है।