Bharat Mata Summary

 

CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag 1 Book Chapter 8 भारत माता Summary 

इस पोस्ट में हम आपके लिए CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag 1 Book के Chapter 8 जामुन का पेड़ का पाठ सार लेकर आए हैं। यह सारांश आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आप जान सकते हैं कि इस कहानी का विषय क्या है। इसे पढ़कर आपको को मदद मिलेगी ताकि वे इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। Bharat Mata Summary of CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag-1 Chapter 8.

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भारत माता पाठ सार (Bharat Mata Summary)

 

“भारत माता” पाठ के लेखक ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू जी’ हैं। यह पाठ उनकी रचना “हिंदुस्तान की कहानी” का पांचवा अध्याय है। मूल रूप से “हिंदुस्तान की कहानी” अंग्रेजी में लिखी गई है। इसका अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद ‘हरभाऊ उपाध्याय जी’ ने किया है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू इस पाठ में बताते हैं अनेक हिस्सों में बांटा होने के बाबजूद भी पूरा हिंदुस्तान एक है और “भारत माता की जय” का मतलब है यहां के करोड़ों-करोड़ लोगों की जय। नेहरू जी कहते हैं कि जब वो कार्यक्रमों के सिलसिले में देश के अलग-अलग हिस्सों में जाते थे तो वो अक्सर अपने श्रोताओं से भारत या हिंदुस्तान के बारे में बात करते थे। भारत संस्कृत का एक शब्द है। दुष्यंत व शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम “भारत” पड़ा। हालांकि वो शहर के लोगों से हिंदुस्तान के बारे में ज्यादा चर्चा नहीं करते थे क्योंकि उनका मानना था कि शहर के लोग ज्यादा समझदार होते हैं मगर जब भी वो गांवों में कार्यक्रम के लिए जाते थे तो किसानों से इस बड़े देश के बारे में चर्चा अवश्य करते थे जिसकी आजादी के लिए वो सब मिलकर कोशिश कर रहे थे।अपनी बातचीत के दौरान नेहरू जी उन्हें यह भी बताते थे कि भले ही देश का एक हिस्सा, दूसरे हिस्से से जुदा (अलग) हो , फिर भी पूरा देश एक है। वो उन सभी समस्याओं के बारे में भी लोगों से बात करते थे जो उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक , सभी किसानों के लिए एक जैसी थी यानि पूरे देश के किसानों की समस्याएं एक सी थी। वो स्वराज या आजादी का महत्व व उसके फायदे भी लोगों को समझाते थे। नेहरू जी कहते हैं कि वो किसानों को यह भी बताते थे कि उन्होंने पूरे भारत की यात्रा की , तब उन्हें महसूस हुआ कि पूरे भारत के किसानों की समस्याएं लगभग एक जैसी ही हैं। इसीलिए सभी जगह के किसान मुझसे एक जैसे ही सवाल करते हैं। उस वक्त अधिकतर किसानों की समस्याएं थी कि वो गरीबी , कर्जदारी , पूजीपतियों के शिकंजे में फंसे थे। जमींदार और महाजन उनसे ज्यादा सूद (ब्याज) वसूलते थे। अंग्रेज सरकार उनसे अत्यधिक लगान लेती थी और ऊपर से पुलिस भी उनपर खूब जुल्म करती थी और यह सब एक विदेशी सरकार यानि अंग्रेज सरकार के कारण हो रहा था। इसीलिए सारे भारतवासी इस विदेशी सरकार से जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहते थे।

नेहरू जी कहते हैं कि उनकी हमेशा यही कोशिश रहती थी कि सभी लोग न सिर्फ अपने बारे में बल्कि पूरे हिंदुस्तान के बारे में सोचें और उससे भी ज्यादा इस पूरी दुनिया के बारे में सोचें , जिसके हम भी एक अंश है। इसीलिए वो अपनी बातचीत में लोगों से चीन , स्पेन , अबीसीनिया , मध्य यूरोप , मिश्र और पश्चिमी एशिया में होने वाले परिवर्तनों का जिक्र भी करते थे। वो सोवियत यूनियन में हुए आश्चर्यजनक बदलाव व अमेरिका की उन्नति के बारे में भी लोगों से बात करते थे। हालाँकि पहले उन्होंने सोचा कि किसानों को विदेशों के बारे में समझाना आसान नही होगा लेकिन बाद में उन्हें लगा कि यह इतना मुश्किल भी नहीं था। इसके तीन प्रमुख कारण थे – पहला कारण यह था कि लोगों ने हमारे महाकाव्य व पुराणों की उन कथा-कहानियों को सुना था जिनमें इन देशों की कल्पना की गई थी और दूसरा कारण यह था कि कुछ लोगों ने हमारे देश के चारों कोनों में स्थित बड़े-बड़े तीर्थों की यात्रायें की थी यानी पूरे देश का भ्रमण किया था। तीसरा कारण यह था कि कुछ पुराने सिपाही बड़ी लड़ाईयों में भाग लेने के लिए , तो कुछ लोग नौकरी करने के लिए विदेश गये थे। इसीलिए लोगों को विदेशों में चल रही गतिविधियों के बारे में समझाना आसान हो गया था।

सन 1930 के बाद आयी आर्थिक मंदी के कारण , दुनिया के देशों में पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जब नेहरू जी लोगों को बताते , तो उनकी समझ में आसानी से आ जाता था। नेहरू जी आगे कहते हैं कि अक्सर कार्यक्रमों में उनका स्वागत “भारत माता की जय” के नारे से होता था। जब वो लोगों से इस नारे का मतलब पूछते तो लोग जवाब नहीं दे पाते थे और एक-दूसरे की तरफ देखने लगते थे। आखिरकार एक दिन एक हट्टे-कट्टे जाट किसान ने उन्हें बताया कि “भारत माता” का अर्थ धरती से हैं। नेहरू जी ने फिर उससे प्रश्न पूछा कि “कौन सी धरती माता , तुम्हारे गांव की धरती या जिले की धरती या सूबे की धरती या फिर सारे हिन्दुस्तान की धरती”। जाट किसान से इसका कोई जवाब देते न बनता देख , नेहरू जी ने उन्हें समझाया कि भारत सिर्फ उतना ही नहीं है जितना उन्होंने समझ रखा है। नदी , पहाड़ , जंगल , अन्न से भरे खेत-खलिहान और करोड़ों भारतीयों से मिलकर ये हिन्दुस्तान बना है।

“भारत माता” दरअसल भारत में रहने वाले यही करोड़ों लोग हैं। इसीलिए “भारत माता की जय” का अर्थ है इन सब की जय अर्थात करोड़ों करोड़ भारतीयों की जय। नेहरू जी उन्हें समझाते थे कि वो सब भारत माता के ही अंश हैं , एक तरह से वो ही भारत माता हैं। नेहरूजी का यह विचार जब उनकी समझ में आ जाता था तो , उनकी आंखों में एक अजीब सी चमक आ जाती थी , जैसे की उन्होंने कोई बड़ी खोज कर ली हो।

 

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