CBSE Class 11 Hindi Chapter 15 “Sabse Khatarnaak”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Aroh Bhag 1 Book
इस पोस्ट में हम आपके लिए CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag 1 Book के Chapter 15 सबसे खतरनाक का पाठ सार और व्याख्या लेकर आए हैं। यह सारांश और व्याख्या आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आप जान सकते हैं कि इस कहानी का विषय क्या है। इसे पढ़कर आपको को मदद मिलेगी ताकि आप इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। Sabse Khatarnaak Summary, Explanation of CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag-1 Chapter 15.
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सबसे खतरनाक पाठ का सारांश (Sabse Khatarnaak Summary)
‘सबसे खतरनाक’ कविता के रचियता अवतार सिंह पाश हैं। कवि ने हमें यह बताया है कि कौन-सी चीज़ कितनी ख़तरनाक है। जैसे किसी की मेहनत की लूट खतरनाक नहीं होती, क्योंकि यह लूट फिर से पाई जा सकती है। पुलिस की मार खतरनाक नहीं होती। मगर किसी के साथ गद्दारी करना या किसी से रिश्वत लेना खतरनाक है। कवि ने व्यक्ति की जीवन में आई खतरनाक स्थिति के बारे में बताया है। जैस खतरनाक वह स्थिति है, जब व्यक्ति मनुष्य ना होकर मशीन बन जाता है। वह घर से काम पर जाता है और काम से घर में आता है। इस बीच उसके जीवन में कुछ भी अच्छा करने की हिम्मत नहीं होती है। यह होती है, खतरनाक की स्थिति जब मनुष्य अपनी सारी इच्छा को समाप्त कर लेता है। और सिर्फ मशीन की तरह काम करता है। कवि के अनुसार वे आँखें जमी हुई बर्फ के समान होती हैं, जो अपने सामने अच्छाई को भूलकर हर चीज को गलत नज़रिए से देखती है और यह स्थिति खतरनाक है। बिना किसी लक्ष्य के ज़िन्दगी जीना भी खतरनाक है। कवि अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने के हक की बात करते हैं। कवि ने दुख से भरे गीतों को खतरनाक बताया है। कवि ने अनुसार सबसे खतरनाक स्थिति वह है जब हम किसी भी समस्या से लड़ने की क्षमता नहीं रखते और हमारा स्वाभिमान भी मर जाता है।
कविता में कवि पाश ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि हर एक व्यक्ति के जीवन में कुछ ना कुछ हलचल होती ही रहती है। कुछ हरकतें जो होती हैं, वे खतरनाक होते हुए भी खतरनाक नहीं होती हैं। वहीँ कुछ हरकतें जो होती हैं, वे दूर से भले खतरनाक ना दिखती हों, पर वे खतरनाक अवश्य होती हैं। इस कविता के माध्यम से कवि ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि मनुष्य को हर एक परिस्थिति में समझदारी से काम करना चाहिए।
सबसे खतरनाक पाठ व्याख्या (Sabse Khatarnaak Explanation)
1 –
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना-बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़ जाना-बुरा तो है
पर सबसे खतरनाक नहीं होता
कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है
मुट्ठियां भींच कर बस वक़्त निकाल लेना-बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता
शब्दार्थ –
मेहनत – श्रम, परिश्रम, प्रयास
लूट – लूटने का काम, डाका, डकैती, लूटने में मिला माल
खतरनाक – घातक
गद्दारी – व्यक्ति, देश या शासन से द्रोह या धोखा
लोभ – कामना, लालसा, लालच
बैठे-बिठाए – अनायास या अकारण
कपट – छल, दंभ, धोखा
लौ – रोशनी
व्याख्या – इस काव्यांश में कवि ने हमें यह बताया है कि कौन-सी चीज़ कितनी ख़तरनाक है तथा क्या खतरनाक होता है और क्या खतरनाक नहीं होता। किसी के परिश्रम की कमाई की लूट खतरनाक नहीं होती, क्योंकि यह लूट फिर से पाई जा सकती है। पुलिस की मार खतरनाक नहीं होती। मगर किसी के साथ गद्दारी करना या किसी से रिश्वत लेना खतरनाक है। कवि कहते हैं कि यदि पुलिस आपको बिना किसी कारण के बेवजह गिरफ्तार करती है तो यह बुरी बात है। परन्तु किसी भी प्रकार के अन्याय को चुपचाप सहना खतरनाक है। कवि कहते हैं कि सही होते हुए भी छल व् धोखे को सहन करना गलत बात है, कोई जुगनू की रोशनी में पढ़ता है, अर्थात साधन के अभाव में अपनी पूरी जिंदगी गुजार देता है, यह गलत तो है परंतु यह सब कुछ खतरनाक होते हुए भी उतना खतरनाक नहीं है। कुछ बातें, कुछ चीजें बहुत खतरनाक होती है और यही खतरनाक चीजें आगे जाकर बुरा परिणाम देती है, जैसे कुछ किए बिना ही वक्त को बर्बाद करना।
2 –
सबसे खतरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का सब सहन कर जाना
घर से निकल कर काम पर
और काम से लौट कर घर आना
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना
सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी निगाह में रुकी होती है
शब्दार्थ –
मुर्दा – निरुत्साह, निर्जीव, प्राणरहित
तड़प – बैचैनी
व्याख्या – इस काव्यांश में कवि ने व्यक्ति की जीवन में आई खतरनाक स्थिति के बारे में बताया है। कवि कहते हैं, खुश रहते रहते अचानक से निर्जीव की तरह उदास हो जाना, चुपचाप सब कुछ बैचैनी सहन कर जाना, यह सब कुछ खतरनाक की निशानी है। कवि कहते हैं खतरनाक वह स्थिति है, जब व्यक्ति मनुष्य ना होकर मशीन बन जाता है। वह घर से काम पर जाता है और काम समाप्त कर घर आता है। इस बीच उसके जीवन में कुछ भी अच्छा करने की हिम्मत नहीं होती है। यह होती है, खतरनाक की स्थिति जब मनुष्य अपनी सारी इच्छा को समाप्त कर लेता है। और सिर्फ मशीन की तरह काम करता है। कवि कहते हैं कि सबसे खतरनाक वह स्थिति है जब मनुष्य अपने हाथों की घड़ी को चलता हुआ देखता तो है, लेकिन फिर भी वह समझता है कि उसके जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं हो सकता। अगर दुख की घड़ी है, तो वह दुख की घड़ी हमेशा रहेगी। दूसरे शब्दों में यदि कहा जाए, तो मनुष्य परिवर्तन के साथ खुद को नहीं बदलता है और ना ही वह बदलने की इच्छा को प्रकट करता है।
3 –
सबसे खतरनाक वह आँख होती है
जो सब कुछ देखती हुई भी ज़मी बर्फ होती है
जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चीजों से उठती अंधेपन की भाप पर ढुलक जाती है
जो रोज़मर्रा के क्रम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है
सबसे खतरनाक वह चाँद होता है
जो हर हत्या काण्ड के बाद
विरान हुए आँगनों में चढ़ता है
पर आपकी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है
शब्दार्थ –
अंधेपन – बुद्धिहीनता, मूर्खता, अज्ञानता, टेढ़ी समझ
रोज़मर्रा – नित्य, प्रतिदिन, हर रोज़
दुहराव – दुहराने की क्रिया या भाव, पुनरुक्ति
उलटफेर – परिवर्तन, बदलाव, क्रांति
विरान – उजड़ा हुआ
व्याख्या – इस काव्यांश में कवि कहते हैं कि बिना किसी लक्ष्य के ज़िन्दगी जीना भी खतरनाक है। कवि अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने के हक की बात करते हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं, कि सबसे खतरनाक वह आँख है, जो चुपचाप कुछ भी ना देखने का अभिनय करती हुई अन्याय को सहती है। कवि के अनुसार वे आँखें जमी हुई बर्फ के समान होती हैं, जो अपने सामने अच्छाई को भूलकर हर चीज को गलत नज़रिए से देखती है और यह स्थिति खतरनाक है। ऐसी आँखें लालची आँखें होती हैं, जो स्वार्थ में पड़कर लोभी बन जाती है, ऐसी स्थिति खतरनाक होती है। कवि यह भी कहते हैं कि वह जिंदगी बेकार है, जिस जिंदगी में कोई लक्ष्य ना हो। बिना लक्ष्य के जिंदगी जीना भी खतरनाक ही होता है। चांद को सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। कवि कहते हैं कि ऐसी चांदनी की चमक भी खतरनाक होती है, जो अन्याय के खिलाफ आवाज नहीं उठाती। बल्कि गलत करने वालों के घर में अपनी रोशनी बिखेरने लगती है। बल्कि उसको तो अपनी रोशनी के ज़रिए गलत करने वालों को ठंडक के बजाए तकलीफ देनी चाहिए थी अर्थात गलत करने वालों के खिलाफ हमें आवाज़ बुलंद करनी चाहिए नहीं तो भविष्य में खतरनाक स्थिति बन जाती है।
4 –
सबसे खतरनाक वह गीत होता है
आपके कानो तक पहुंचने के लिए
जो मरसिए पढ़ता है
आतंकित लोगों के दरवाजों पर
जो गुंडों की तरह अकड़ता है
सबसे खतरनाक वह रात होती है
जो जिंदा रूह के आसमानों पर ढलती है
जिसमें सिर्फ उल्लू बोलते और हुआँ हुआँ करते गीदड़
हमेशा के अंधेरे बंद दरवाजों-चौगाठौ पर चिपक जाते हैं
सबसे खतरनाक वह दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुर्दा धूप का कोइ टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती,
पुलिस की मार भी सबसे ख़तरनाक नहीं होती
गहरी लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती।
शब्दार्थ –
मरसिए – करुण रस की कविता जो किसी व्यक्ति की मृत्यु पर लिखी जाती है
आतंकित – आतंक से पीड़ित, भयग्रस्त
रूह – आत्मा
चौगाठौ – चौखटों
व्याख्या – इस काव्यांश में कवि ने दुख से भरे गीतों को खतरनाक बताया है। कवि कहते हैं कि सबसे खतरनाक वो गीत है, जो मनुष्य के मन में दुख की तरह प्रभावित होता है। जो गीत मृत्यु के उपरांत सुनाया जाता है, वह गीत जीवित इंसान को सुनाकर उन्हें डराना खतरनाक की निशानी है। कवि के अनुसार ऐसे गीतों का कोई मतलब नहीं है। कवि के अनुसार रात बहुत खतरनाक होती है, जो जीवित इंसान के ऊपर आसमान में आशा के नहीं निराशा के बादल लाती है। यह निराशा के बादल उस जीवित व्यक्ति के घर के आंगन में विद्रोह की तरह शोक बनकर रह जाते हैं। जिनसे व्यक्ति कभी भी बाहर नहीं निकल पाता है। कवि ने अनुसार सबसे खतरनाक स्थिति वह है जब हम किसी भी समस्या से लड़ने की क्षमता नहीं रखते और हमारा स्वाभिमान भी मर जाता है। कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहते हैं कि सबसे खतरनाक वह दशा है, जिस दशा में मनुष्य की आत्मा डूब जाती है। ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति अपने अंतर्मन की आवाज़ को नहीं सुन पाता है और एक मुर्दा व्यक्ति के समान बन जाता है। ऐसी स्थिति बेहद खतरनाक होती है। कवि को लगता है मनुष्य अन्याय को सहना ही उचित समझते हैं। जब तक वे अन्याय के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाएंगे, तब तक उनके मन की अशांति भी दूर नहीं होगी। कवि यह भी कहते हैं कि मेहनत की कमाई लूटना खतरनाक नहीं होता, पुलिस की मार या गद्दारी भी खतरनाक नहीं होती। लेकिन खतरनाक वह स्थिति होती है, जब व्यक्ति के अंदर कुछ करने की क्षमता खत्म हो जाए। व्यक्ति परिस्थिति से लड़ने के बजाय, परिस्थिति से समझौता करने लगे। कवि के अनुसार सबसे खतरनाक स्थिति वह है, जब हमारा स्वाभिमान मर जाता है और हम अपने साथ होने वाले अत्याचार पर कुछ नहीं बोलते, कोई प्रतिक्रिया नहीं करते।
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