CBSE Class 11 Hindi Chapter 15 Swavrit Lekhan Aur Rojgar Sambandhi Awedan Patra (स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोज़गार संबंधी आवेदन-पत्र) Question Answers (Important) from Abhivyakti Aur Madhyam Book
Swavrit Lekhan Aur Rojgar Sambandhi Awedan Patra Class 11 – CBSE Class 11 Hindi Core Abhivyakti Aur Madhyam Book Chapter 15 Swavrit Lekhan Aur Rojgar Sambandhi Awedan Patra Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of the chapter, extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions.
सीबीएसई कक्षा 11 हिंदी अभिव्यक्ति और माध्यम पुस्तक पाठ 15 स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोज़गार संबंधी आवेदन-पत्र प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है।
Swavrit Lekhan Aur Rojgar Sambandhi Awedan Patra Question and Answers स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोज़गार संबंधी आवेदन-पत्र प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1 – कल्पना कीजिए कि आपने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना अध्ययन पूरा कर लिया है और किसी प्रसिद्ध अखबार में पत्रकार पद के लिए आवेदन भेजना है। इसके लिए एक आवेवन-पत्र लिखिए।
उत्तर –
सेवा में
संपादक
अमर उजाला
जलंधर।
विषय : पत्रकार पद के लिए आवेदन।
महोदय,
आज दिनांक 20 सितम्बर……… को प्रकाशित अमर उजाला से प्रकाशित विज्ञापन से ज्ञात हुआ है कि आपके कार्यालय को पत्रकार की आवश्यकता है। मैं इस पद के लिए आपको अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ।
मेरा स्ववृत्त इस आवेदन-पत्र के साथ संयुक्त है। इनको ध्यानपूर्वक देखने पर आपको विश्वास होगा कि मैं इस पद के लिए पूरी तरह से उपयुक्त उम्मीदवार हूँ। मैं आपके विज्ञापन में वर्णित सभी योग्यताओं को पूरा करता हूँ। मेरा संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
नाम : सुरेंद्र कुमार
पिता का नाम : प्रवेश चंद
जन्मतिथि : 19-11-…….
वर्तमान पता : 35, शांति नगर, हरिद्वार
स्थायी पता : 450, ऋषि पुरी, दिल्ली,
दूरध्वनि : 0184-2338180
चलध्वनि : 88492-82220
ई-मेल : [email protected]
शैक्षणिक योग्यताएँ
(क) मैं राजनितिक विज्ञान का छात्र रहा हूँ और राजनीति मेरा प्रिय विषय रहा है। मैंने इस विषय में आनर्स के साथ प्रथम श्रेणी में स्नातक की उपाधि पाई है। मैं आपके समाचार पत्र की गतिविधियों और पहलुओं से न केवल पूरी तरह से वाकिफ हूँ बल्कि उन्हें और अच्छे से सरल शब्दों में प्रस्तुत करने की भी क्षमता रखता हूँ।
(ख) राजनीति, संस्कृति, धर्म, सामाजिक और वर्तमान मामलों जैसे विभिन्न क्षेत्रों के बारे में मुझे गहराई से ज्ञान है।
(ग) मैं लिखित और मौखिक दोनों प्रकार से स्वयं को अभिव्यक्त करने में सक्षम हूँ। मुझे वाद-विवाद और निबंध की अखिल भारतीय प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार मिले हैं।
(घ) मैं अपने विद्यालय और महाविद्यालय की क्रिकेट टीमों का कप्तान रहा हूँ। इससे मेरी टीम भावना और नेतृत्व क्षमता प्रमाणित होती है।
(ड़) मैं पर्यटन का शौक रखता हूँ और लगभग पूरे देश के महत्त्वपूर्ण स्थानों का दौरा कर चुका हूँ।
इन योग्यताओं के साथ-साथ मैं कई वर्षों से स्वतंत्र लेखन से भी जुड़ा हुआ हूँ। इसके साथ ही मुझे पत्रकारिता में बहुत रुचि है। मैं आपको पूर्ण विश्वास दिलाता हूँ कि मैं अपना कार्य पूरी ईमानदारी एवं अनुशासन में रहकर करूँगा।
मेरा आपसे अनुरोध है कि उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आप मेरे आवेदन-पत्र पर सकारात्मक विचार करते हुए मुझे पत्रकार पद पर नियुक्त करें।
सधन्यवाद।
भवदीय,
(हस्ताक्षर)
सुरेंद्र कुमार
प्रश्न 2 – राजीव गांधी फाउंडेशन उच्च शिक्षा हेतु स्कॉलरशिप प्रदान करती है। अतः उसे भेजने के लिए अपना बायोडॉटा तैयार कीजिए।
स्ववृत्त
नाम : गीतिका
पिता का नाम : श्री प्रताप
जन्मतिथि : 23-09-……..
वर्तमान पता : 57, हुमुण्डा कॉलोनी, श्रीनगर।
स्थायी पता : 57, हुमुण्डा कॉलोनी, श्रीनगर।
टेलीफ़ोन नं० : 0191-2224439
मोबाइल नं० : 8893456660
ई-मेल : [email protected]
शैक्षणिक योग्यताएँ
क्र.सं. | परीक्षा/डिग्री/वर्ष
डिप्लोमा |
विद्यालय/बोर्ड/ महाविद्यालय/ विश्वविद्यालय | विषय | श्रेणी | प्रतिशत |
1 | दसवीं /1997 | राजकीय उच्च विद्यालय/
सीबीएसई |
अंग्रेजी,हिंदी, विज्ञान, गणित
सामाजिक विज्ञान |
प्रथम | 93% |
2 | बारहवीं /1999 | राजकीय उच्च विद्यालय/
सीबीएसई |
अंग्रेजी, भौतिकी,
रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित |
प्रथम | 95% |
3 | बी.एस.सी./ 2002 | सीमा कॉलेज/ (आनर्स) शिमला विश्वविद्यालय,
|
रसायन विज्ञान,
|
प्रथम | 84% |
अन्य संबधित योग्यताएँ
-कंप्यूटर का अच्छा ज्ञान
-अंग्रेज़ी व्याकरण का ज्ञान
तिथि : …….
हस्ताक्षर
स्थान : श्रीनगर
प्रश्न 3 – स्ववृत्त में कौन-कौन से बिंदुओं को शामिल किया जाता है और उनकी प्रस्तुति का क्या प्रभाव पड़ता है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – स्ववृत्त में निम्नलिखित बिंदुओं को शामिल किया जाता है-
(1) स्ववृत्त को ईमानदारी से बनाना चाहिए।
(2) स्ववृत्त की भाषा-शैली सीधी, सटीक व् स्पष्ट चाहिए।
(3) स्ववृत्त न तो ज़रूरत से अधिक लंबा हो व् न ही ज्यादा छोटा होना चाहिए।
(4) स्ववृत्त में किसी भी प्रकार की अतिशयोक्ति से बचना चाहिए।
(5) स्ववृत्त साफ़, स्वच्छ और सुंदर ढंग से लिखा होना चाहिए
(6) स्ववृत्त साफ-सुथरे ढंग से या कंप्यूटर द्वारा छापा हुआ होना चाहिए।
(7) स्ववृत्त में व्याकरण संबंधी भूलों को भी दूर कर लेना चाहिए।
उपर्युक्त बिंदुओं का ध्यान रहने पर नियोक्ता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एक अच्छा स्ववृत्त किसी चुंबक की तरह होता है जो नियुक्तिकर्ता को आकर्षित कर लेता है। एक स्ववृत्त को किसी उम्मीदवार का दूत या प्रतिनिधि कहा जा सकता है। जिस प्रकार एक अच्छा दूत या प्रतिनिधि अपने स्वामी का एक सुंदर और आकर्षक चित्र प्रस्तुत करता है, उसी प्रकार एक अच्छा स्ववृत्त नियुक्तिकर्ता के मन में उम्मीदवार के प्रति अच्छी और सकारात्मक धारणा उत्पन्न करता है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – (Important Question Answers)
प्रश्न 1 – स्ववृत्त की क्या विशेषताएँ होनी चाहिए?
उत्तर –
- स्ववृत्त में ईमानदारी होनी चाहिए।
- उम्मीदवार के लिए यह ज़रूरी है कि वह अपना स्ववृत्त सुंदर और आकर्षक बनाए।
- एक स्ववृत्त को किसी उम्मीदवार का दूत या प्रतिनिधि कहा जा सकता है।
- एक अच्छे स्ववृत्त की तुलना किसी चुंबक से भी की जा सकती है जो नियुक्तिकर्ता को आकर्षित कर लेता है।
- नौकरी में सफलता के लिए किसी व्यक्ति की योग्यता जितनी महत्वपूर्ण है उतना ही उस व्यक्ति का स्ववृत्त निर्माण की कला में निपुण होना है।
- किसी भी प्रकार के झूठे दावे या अतिशयोक्ति से बचना चाहिए।
प्रश्न 2 – स्ववृत्त में झूठे दावे या अतिशयोक्ति से क्यों बचना चाहिए?
उत्तर – किसी भी प्रकार के झूठे दावे या अतिशयोक्ति से बचना चाहिए। क्योंकि नियोक्ता को उम्मीदवारों के चयन का अच्छा खासा अनुभव होता है। गलत या बढ़ा-चढ़ा कर किए गए दावों से उन्हें धोखा देने की कोशिश खतरनाक बन सकती है। अगर साक्षात्कार के लिए बुला भी लिया गया तो उस दौरान कलई खुलने का पूरा अंदेशा रहता है।
प्रश्न 3 – क्या स्ववृत्त के आकार-प्रकार को लेकर भी कोई नियम है?
उत्तर – इसका कोई निश्चित नियम तो नहीं है लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि स्ववृत्त न तो ज़रूरत से अधिक लंबा हो न ही ज़्यादा छोटा। अगर बहुत संक्षिप्त हुआ तो इसमें अनेक ज़रूरी चीजें आने से रह जाएँगी। दूसरी ओर यदि बहुत लंबा हुआ तो पढ़ने वाला अनेक पहलुओं को नज़रअंदाज कर सकता है।
प्रश्न 4 – स्ववृत्त की भाषा-शैली कैसी होनी चाहिए?
उत्तर – स्ववृत्त में आलंकारिक भाषा की जगह नहीं है। अर्थात आप स्ववृत्त में अत्यधिक कठिन भाषा या शब्दों का चुनाव नहीं कर सकते। इसीलिए इसकी शैली-सरल, सीधी, सटीक और साफ होनी चाहिए ताकि पढ़ने वाले को सारी बातें एक ही नज़र में समझ आ जाएँ और उसे अर्थ निकालने के लिए दिमाग पर ज़ोर न डालना पड़े।
प्रश्न 5 – स्ववृत्त में सूचनाओं का सिलसिला किस प्रकार का होना चाहिए?
उत्तर – स्ववृत्त सूचनाओं का एक अनुशासित प्रवाह है। यानी इसमें प्रवाह और अनुशासन दोनों ही होने चाहिए। प्रवाह व्यक्ति परिचय से प्रारंभ होता है और शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, प्रशिक्षण, उपलब्धियाँ, कार्येतर गतिविधियाँ इत्यादि पड़ावों को पार करता हुआ अपनी पूर्णता प्राप्त करता है। स्ववृत्त के ये अवयव केवल उदाहरण के लिए हैं। आवश्यकतानुसार इनमें फेरबदल किया जा सकता है।
प्रश्न 6 – व्यक्ति परिचय में क्या-क्या बातें होनी चाहिए।
उत्तर – व्यक्ति परिचय के अंतर्गत उम्मीदवार का नाम, जन्मतिथि, उम्र, पत्र व्यवहार का पता, टेलीफोन नंबर, ई-मेल का पता आदि सूचनाएँ दी जाती हैं।
व्यक्ति परिचय में जन्म तिथि और माता-पिता का नाम अवश्य डालना चाहिए। जिन पदों के लिए बड़ी संख्या में आवेदन आते हैं वहाँ एक ही नाम के कई उम्मीदवार होते हैं। पिता के नाम और जन्मदिन के आधार पर उनमें आसानी से भेद किया जा सकता है।
प्रश्न 7 – व्यक्ति परिचय के बाद किस प्रकार की सूचनाएँ डाली जानी चाहिए?
उत्तर – यदि उम्मीदवार किसी बड़े पद के लिए आवेदन कर रहा है और बहुत अनुभवी है तो अनुभव की चर्चा व्यक्ति परिचय के तुरंत बाद डाली जा सकती है। लेकिन कॉलेज से तुरंत ही बाहर निकले छात्र को व्यक्ति परिचय के तत्काल बाद अपनी शैक्षणिक योग्यताओं की चर्चा करनी चाहिए। शैक्षणिक योग्यताओं से संबंधित सूचनाएँ एक सारणी के रूप में प्रस्तुत की जानी चाहिए जिनमें प्राप्त डिप्लोमा या डिग्री का विवरण, स्कूल या कॉलेज का नाम, बोर्ड या विश्वविद्यालय का नाम, संबंधित परीक्षा का वर्ष, परीक्षा के विषय, प्राप्तांक प्रतिशत और श्रेणी का उल्लेख होना चाहिए।
प्रश्न 8 – कार्येतर गतिविधियों की चर्चा क्यों ज़रूरी है।
उत्तर – जब नियोक्ता किसी उम्मीदवार को चुनने का निर्णय लेता है तो उसके संपूर्ण व्यक्तित्व को ध्यान में रखता है। कार्येतर गतिविधियों के माध्यम से उम्मीदवार के व्यक्तित्व के बारे में अच्छी जानकारियाँ मिलती हैं और पद के लिए उसकी योग्यता को तय करना आसान हो जाता है। उदाहरण के लिए यदि कोई उम्मीदवार अच्छा फुटबॉल खिलाड़ी है तो यह माना जा सकता है कि उसमें टीम भावना अवश्य ही होगी। अगर किसी को भाषण या वाद-विवाद में ढेरों पुरस्कार मिल चुके हैं तो इससे उसकी वाक्कपटुता और संभाषण कला का पता चलता है। ऐसी कोई गतिविधि या हॉबी, जो उम्मीदवारी को सबल बनाते हों तो उनकी चर्चा करना नहीं भूलना चाहिए। स्ववृत्त में दो-तीन वैसे लोगों के नाम पते भी दिए जा सकते हैं जो उम्मीदवार के रिश्तेदार न हों मगर उसकी योग्यताओं एवं क्षमताओं से परिचित हों। जिन लोगों का विवरण दिया जाए वे प्रतिष्ठित व्यक्ति हों। यदि वे उसी क्षेत्र के जाने-माने लोग हों जिस क्षेत्र में उम्मीदवार आवेदन कर रहा है तो यह सोने पर सुहागा वाली बात है।
प्रश्न 9 – जब स्ववृत्त में सारी जानकारियाँ दे दी जाती हैं तो फिर अलग से आवेदन-पत्र लिखने की ज़रूरत क्यों पड़ती है?
उत्तर – स्ववृत्त तो बना-बनाया रखा होता है। विज्ञापन देखा और भेज दिया। अतः सिर्फ स्ववृत्त से यह पता नहीं चलता कि उम्मीदवार पद और संबंधित संस्थान को लेकर कितना गंभीर है। स्ववृत्त की एक कमी यह होती है कि यह सूचनाओं के सिलसिलेवार संकलन के रूप में होता है। इसमें भाषा का वह वैयक्तिक स्पर्श नहीं आ पाता। दूसरी ओर, आवेदन-पत्र हर विज्ञापन के लिए विशेषतौर पर लिखे जाते हैं। ये उम्मीदवार के भाषा-ज्ञान और अभिव्यक्ति की क्षमता की तो जानकारी देते ही हैं, साथ ही यह भी दर्शाते हैं कि उम्मीदवार पद और संस्थान को लेकर गंभीर है या नहीं। नियोक्ता को योग्य उम्मीदवार की तलाश तो होती ही है, वह यह अपेक्षा रखता है कि चयन के बाद वह नौकरी में कम से कम कुछ वर्षों तक अवश्य टीके। आवेदन-पत्र से बहुत कुछ इन बातों का भी आभास नियोक्ता को मिल जाता है।
प्रश्न 10 – क्या नौकरी के आवेदन-पत्र अपने स्वरूप में अन्य आवेदन-पत्रों से भिन्न होता है?
उत्तर – आवेदन का ढाँचा या स्वरूप तो वैसा ही होता है जैसा अन्य दूसरे आवेदन-पत्रों का होता है। लेकिन इसका उद्देश्य अलग होता है-पद के लिए अपनी योग्यता और गंभीरता के प्रति नियोक्ता का विश्वास जगाना। उद्देश्य की भिन्नता की वजह से इसकी विषय-वस्तु अन्य आवेदन-पत्रों से भिन्न होती है।
प्रश्न 11 – विषय-वस्तु के अंतर्गत क्या होगा और उसे आकार कैसे देंगे?
उत्तर – नौकरी के आवेदन-पत्रों की विषय-वस्तु के मुख्यतः चार हिस्से होते हैं। पहला हिस्सा भूमिका का होता है, जिसमें उम्मीदवार विज्ञापन और विज्ञापित पद का हवाला देते हुए अपनी उम्मीदवारी की इच्छा प्रकट करता है। दूसरे खंड में उम्मीदवार यह बतलाता है कि वह विज्ञापन में वर्णित योग्यताओं और आवश्यकताओं को पूरा करने में किस प्रकार सक्षम है। तीसरे खंड में उम्मीदवार पद और संस्थान के प्रति अपनी गंभीरता और अभिरुचि को अभिव्यक्त करता है। चौथा खंड उपसंहार यानी आवेदन-पत्र की विषय-वस्तु के औपचारिक समापन के लिए होता है।
प्रश्न 12 – उम्मीदवार पद और संस्थान के प्रति अपनी गंभीरता और अभिरुचि को अभिव्यक्त करता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – उम्मीदवार पद और संस्थान के प्रति अपनी गंभीरता और अभिरुचि को अभिव्यक्त करता है। जिस प्रकार नियोक्ता अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनता है उसी प्रकार उम्मीदवार को भी नियोक्ता का संस्थान पसंद आना चाहिए। तभी उम्मीदवार के लंबे समय तक टिकने की संभावना रहती है। जब उम्मीदवार पद और संस्थान को लेकर गंभीर होता है तो वह उसके बारे में जानकारियाँ हासिल करता है और यह तय करता है कि वे उसके सपनों और भावी योजनाओं के अनुरूप हैं या नहीं। अगर उम्मीदवार ने जानकारी जुटाने के बाद संस्थान को अपनी इच्छाओं के अनुरूप पाया है तो आवेदन-पत्र में इसकी चर्चा अवश्य होनी चाहिए। नियोक्ता पर इसका बहुत ही अच्छा असर होता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 1 – नौकरी के लिए उम्मीदवार किसके आधार पर ही चुने जाते हैं?
(क) स्ववृत्त
(ख) योग्यता
(ग) न्युक्तिकर्ता
(घ) शैक्षणीयता
उत्तर – (क) स्ववृत्त
प्रश्न 2 – कई बार योग्य उम्मीदवार पीछे छूट जाते हैं और नौकरी प्राप्त करने में असमर्थ रहते हैं क्योंकि –
(क) उनकी शैक्षणीयता कम होती है
(ख) उनके स्ववृत्त में कुछ न कुछ कमी रह जाती है
(ग) उनकी अन्य उपलब्धियों में कमी होती है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) उनके स्ववृत्त में कुछ न कुछ कमी रह जाती है
प्रश्न 3 – एक स्ववृत्त को किसी उम्मीदवार का दूत या प्रतिनिधि कहा जा सकता है क्योंकि –
(क) वह उम्मीदवार का एक सुंदर और आकर्षक चित्र प्रस्तुत करता है
(ख) एक अच्छा स्ववृत्त नियुक्तिकर्ता के मन में उम्मीदवार के प्रति अच्छी धारणा उत्पन्न करता है
(ग) एक अच्छा स्ववृत्त नियुक्तिकर्ता के मन में उम्मीदवार के प्रति सकारात्मक धारणा उत्पन्न करता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – स्ववृत्त में क्या आवश्यक है?
(क) अतिश्योक्ति
(ख) ईमानदारी
(ग) कलिष्ट शब्द
(घ) गागर में सागर शब्दावली
उत्तर – (ख) ईमानदारी
प्रश्न 5 – स्ववृत्त के कितने पक्ष हैं?
(क) तीन
(ख) चार
(ग) दो
(घ) एक
उत्तर – (ग) दो
प्रश्न 6 – स्ववृत्त में कैसी सूचनाएँ डाली जा सकती हैं?
(क) जिनमें नियोक्ता की दिलचस्पी हो
(ख) जो नियोक्ता के उद्देश्य के हिसाब से सही बैठती हों
(ग) केवल (ख)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों
प्रश्न 7 – स्ववृत्त की भाषा-शैली कैसी होनी चाहिए?
(क) सरल, सीधी, सटीक और साफ
(ख) जिससे पढ़ने वाले को सारी बातें एक ही नज़र में समझ आ जाएँ
(ग) जिससे पढ़ने वाले को अर्थ निकालने के लिए दिमाग पर ज़ोर न डालना पड़े
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 8 – स्ववृत्त में सूचनाओं का प्रवाह कैसा होता है?
(क) अनुशासित
(ख) शैक्षणिक
(ग) व्यावसायिक
(घ) आवश्यकतानुसार
उत्तर – (क) अनुशासित
प्रश्न 9 – स्ववृत्त के साथ और क्या लिखना होता है?
(क) शिकायत-पत्र
(ख) अनुरोध-पत्र
(ग) प्रार्थना-पत्र
(घ) आवेदन-पत्र
उत्तर – (घ) आवेदन-पत्र
प्रश्न 10 – विषय-वस्तु के अंतर्गत क्या होगा?
(क) उम्मीदवार विज्ञापन और विज्ञापित पद का हवाला देते हुए अपनी उम्मीदवारी की इच्छा प्रकट करता है
(ख) उम्मीदवार पद और संस्थान के प्रति अपनी गंभीरता और अभिरुचि को अभिव्यक्त करता है
(ग) उम्मीदवार विज्ञापन में वर्णित योग्यताओं और आवश्यकताओं को पूरा करने में किस प्रकार सक्षम है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
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