CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag 1 Book Chapter 5 गलता लोहा Summary
इस पोस्ट में हम आपके लिए CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag 1 Book के Chapter 5 गलता लोहा का पाठ सार लेकर आए हैं। यह सारांश आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आप जान सकते हैं कि इस कहानी का विषय क्या है। इसे पढ़कर आपको को मदद मिलेगी ताकि वे इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। Galtaa Lohaa Summary of CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag-1 Chapter 5.
Related :
गलता लोहा पाठ सार (Galtaa Lohaa Summary)
‘गलता लोहा’ ‘शेखर जोशी’ की कहानी-कला का एक प्रतिनिधि नमूना है। शेखर जोशी जी की यह कहानी एक ऐसे प्रतिभाशाली ब्राह्मण बालक की कहानी है जिसकी प्रतिभा को उसके जीवन में आयी विपरीत परिस्थितियों ने छीन लिया। दूसरा यह कहानी हमारे समाज में फैली जातिगत विभाजन को भी उजागर करती है जिसमें ब्राह्मण वर्ग के लोगों का शिल्पकार वर्ग के लोगों के बीच उठना-बैठना मर्यादा के विरुद्ध माना जाता है। हालाँकि यह पुराने समय की बात है। समाज के जातिगत विभाजन पर कई कोणों से टिप्पणी करने वाली यह कहानी इस बात का उदाहरण है कि शेखर जोशी के लेखन में अर्थ की गहराई का दिखावा और बड़बोलापन जितना ही कम है, वास्तविक अर्थ-गांभीर्य उतना ही अधिक। लेखक की किसी मुखर टिप्पणी के बगैर ही पूरे पाठ से गुजरते हुए हम यह देख पाते हैं कि एक मेधावी, किन्तु निर्धन ब्राह्मण युवक मोहन किन परिस्थितियों के चलते उस मनोदशा तक पहुँचता है, जहाँ उसके लिए जातीय अभिमान बेमानी हो जाता है। सामाजिक विधि-निषेधों को ताक पर रखकर वह घनराम लोहार के आफर (ऑफर-वह जगह होती है जहां पर आग की भट्टी में लोहे को गला कर उससे अनेक तरह के लोहे के बर्तन या औजार बनाए जाते है यानि लोहे के औजार या बर्तन बनाने की जगह को ऑफर कहा जाता है।) पर बैठता ही नहीं, बल्कि उसके काम में भी अपनी कुशलता दिखाता है। मोहन का व्यक्तित्व जातिगत आधर पर निर्मित झूठे भाईचारे की जगह मेहनतकशों के सच्चे भाईचारे की प्रस्तावना करता प्रतीत होता है, मानो लोहा गलकर एक नया आकार ले रहा हो।
कहानी की शुरुआत करते हुए शेखर जोशी जी कहते हैं कि मोहन एक गरीब ब्राह्मण बालक हैं जिसके पिता बंशीधर पुरोहिताई का काम कर अपना घर चलाते हैं। लेकिन समय के साथ अब वो काफी वृद्ध हो चुके हैं। इसीलिए अब दिन प्रति दिन उनके लिए पुरोहिताई का काम करना मुश्किल होता जा रहा है। एक दिन बंशीधर जी को गणनाथ जाकर अपने यजमान चंद्रदत्त जी के लिए रुद्रीपाठ यानी भोले शंकर की आराधना करनी थी। लेकिन वहां पहुंचने के लिए दो मील की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती थी। जो इस अवस्था में उनके बस की बात नहीं थी। लेकिन पुराने यजमान होने की वजह से वो उन्हें मना भी नहीं कर पा रहे थे। इसीलिए वो इस उम्मीद से मोहन को यह बात बताते हैं कि शायद वह जाकर चंद्रदत्त जी के यहां रुद्रीपाठ कर आये। लेकिन मोहन को इस तरह के पूजा पाठ व अनुष्ठान करने का कोई अनुभव नहीं था। इसीलिए उसने अपने पिता को कोई जवाब नही दिया और अपनी घास काटने की दराँती उठाकर खेतों के किनारे उग आयी कांटेदार झाड़ियों को काटने के लिए निकल पड़ा। लेकिन दराँती की धार खत्म हो चुकी थी। दराँती में धार लगाने के उद्देश्य से वह अपने स्कूल के दोस्त धनराम के आँफर में पहुंच गया। धनराम उस समय अपने ऑफर में लोहे के औजार बनाने में व्यस्त था। मोहन वही एक कनस्तर में बैठ कर धनराम को काम करते हुए ध्यान से देखने लगा। चूंकि बचपन में दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे और मास्टर त्रिलोक सिंह दोनों को ही पढ़ाते थे। इसलिए मोहन ने धनराम से मास्टर त्रिलोक सिंह के बारे में पूछा। धनराम ने मोहन को मास्टर त्रिलोक सिंह के गुजर जाने (मृत्यु) के बारे में बताया। इसके बाद दोनों दोस्त पुरानी बातों को याद करने लगे।
स्कूल के सभी बच्चे मास्टर त्रिलोक सिंह से बहुत डरते थे। लेकिन पूरी कक्षा में मोहन मास्टर जी का सबसे चहेता शिष्य था क्योंकि पढ़ाई के साथ-साथ वह हर चीज में अव्वल रहता था। इसीलिए मास्टर साहब ने उसे पूरे स्कूल का मॉनिटर बनाया हुआ था। मास्टर साहब को मोहन से बहुत उम्मीदें थी। वो कहते थे कि यह लड़का एक दिन कुछ न कुछ बड़ा काम अवश्य करेगा। भले ही किसी सवाल का जबाब पूरी कक्षा में किसी बच्चे को न आये मगर मोहन उस सवाल का जवाब देकर मास्टर जी को संतुष्ट कर देता था। अगर मास्टर जी किसी बच्चे को डंडे मारने व कान खिंचने की सजा देना चाहते थे तो वो ये काम मोहन से करवाते थे। उन सभी बच्चों में धनराम भी एक था जिसने मास्टर जी के कहने पर मोहन से कई बार मार खाई थी। लेकिन धनराम इसका कभी बुरा नही मानता था। धनराम पढ़ने लिखने में शुरू से ही बहुत कमजोर था। एक बार मास्टर जी ने उससे तेरह का पहाड़ा सुनाने को कहा लेकिन वह उसे पूरा नहीं सुना पाया। इसके बाद मास्टरजी ने उसकी डंडे से खूब पिटाई की। स्कूल का नियम था, जो मार खाता था उसको अपने लिए खुद ही डंडा लाना पड़ता था। पढाई में कमजोर होने के कारण धीरे-धीरे धनराम के पिता ने उसे आँफर का काम सीखाना शुरू कर दिया। और पिता गंगाराम की मृत्यु होने के बाद धनराम ने अपना पारिवारिक काम संभाल लिया।
प्राइमरी स्कूल पास करने के बाद मोहन को छात्रवृत्ति मिली। जिससे मोहन के पिता का हौसला और बढ़ गया। अब वो मोहन को बड़ा आदमी बनाने का सपना देखने लगे। इसीलिए उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए मोहन का एडमिशन दूसरे स्कूल में करा दिया। क्योंकि नया स्कूल घर से चार मील की दूरी पर था। दो मील की सीधी चढ़ाई और एक नदी पार कर मोहन को स्कूल पहुँचना होता था। बरसात के दिनों में नदी का पानी अपने उफान पर होता था जिससे मोहन को स्कूल पहुंँचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
एक बार मोहन उस उफनाई नदी को पार करने में डूबते -डूबते बड़ी मुश्किल से बच कर घर पहुँचा। एक बार उनकी ही बिरादरी का एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाला युवक रमेश लखनऊ से छुट्टियों में गांव आया। रमेश जब मोहन के पिता से मिला तो मोहन के पिता ने अपने बेटे की पढ़ाई के संबंध में उससे अपनी चिंता प्रकट की। रमेश ने सहानुभूति जताते हुए उन्हें सुझाव दिया कि वो आगे की पढाई के लिए मोहन को उसके साथ लखनऊ भेज दें। ताकि वह वहां रहकर अच्छे से अपनी पढ़ाई पूरी कर सके। हालाँकि मोहन लखनऊ जाकर पढ़ाई नहीं करना चाहता था लेकिन पिता की मर्जी के आगे उसे झुकना पड़ा और वह रमेश के साथ लखनऊ चला गया। बस यही से मोहन का जीवन बदल गया। लखनऊ में रमेश व उसके परिवार वालों के लिए वह एक मामूली धरेलू नौकर से ज्यादा कुछ नही था। घर के सारे काम-काज करना अब उसकी ही जिम्मेदारी बन गयी थी। इसके अलावा आस-पड़ोस की महिलाएं जिन्हें वह चाची और भाभी कह कर पुकारता था। वो भी अक्सर उससे ही अपना काम कराती थी। इन सब कामों के बाद मोहन के पास पढ़ाई के लिए समय ही नहीं बचता था। गांव का यह मेधावी छात्र शहर जाकर एक मामूली घरेलू नौकर का जीवन जीने लगा।
आठवीं की पढ़ाई खत्म होने के बाद रमेश ने उसे आगे पढ़ाने के बजाय उसका एडमिशन एक तकनीकी स्कूल में करा दिया। जहां उसने डेढ़ वर्ष तक पढ़ाई की। उसके बाद वह नौकरी के लिए फैक्ट्रियों व कारखानों के चक्कर लगाने लगा। इधर पंडित बंशीधर सोच रहे थे कि उनका बेटा एक न एक दिन बड़ा ऑफिसर बन कर घर वापस लौटेगा। लेकिन एक दिन जब उन्हें सच्चाई का ज्ञान हुआ तो उन्हें अथाह दुःख पहुँचा। एक दिन धनराम ने भी जब पंडित बंशीधर से बातों ही बातों में मोहन की नौकरी के बारे में पूछ लिया तो उन्होंने झूठ बोलते हुए कह दिया था कि उसकी सचिवालय में नियुक्ति हो गई है। शीघ्र ही विभागीय परीक्षा देकर वह बड़े पद पर पहुँच जाएगा। धनराम ने उनकी इस बात पर सहज ही यकीन कर लिया।
दोनों दोस्त मिलकर बहुत देर तक मास्टर त्रिलोक सिंह और स्कूल के अन्य साथियों की बात करते रहे। इस बीच धनराम ने मोहन की दराँती की धार को तेज कर उसे मोहन को सौंप दिया। लेकिन मोहन दराँती को पकड़कर काफी देर तक उसके पास ही बैठा रहा। ऐसा लग रहा था मानो जैसे उसे कहीं जाने की जल्दी नहीं है। सामान्यतया ग्रामीण क्षेत्रों में ब्राह्मण जाति के लोगों का शिल्पकार जाति के लोगों के साथ बैठना उचित नहीं माना जाता था। लेकिन मोहन धनराम के पास काफी देर तक बैठकर उसके काम को ध्यान से देखता रहा। इस बीच धनराम लोहे की एक मोटी छड़ी को भट्टी में गला कर उसे गोलाई देने की कोशिश करने लगा। लेकिन काफी प्रयास के बाद भी वह उस लोहे की छड़ी को उचित आकार में नहीं ढाल पा रहा था। मोहन काफी देर तक उसे काम करते हुए देखता रहा। फिर अचानक उसने अपना संकोच त्यागा और एक हाथ में धनराम के हाथ से लोहे की छड़ी लेकर दूसरे हाथ से उसमें हथौड़े से चोट करने लगा। बीच-बीच में वह उस छड़ी को भट्टी में गरम कर, फिर उसमें चोट मार कर उसे आकार देने की कोशिश करने लगा। बहुत जल्दी ही उसने उस छड़ी को गोल आकार दे दिया। यह सब इतनी जल्दी में हुआ कि धनराम मोहन से कुछ न कह सका और वह मोहन को देखते ही रह गया। उसे यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि एक पुरोहित खानदान का लड़का उसकी लोहे की भट्टी में बैठकर बड़ी ही कुशलता पूर्वक काम कर रहा था। लेकिन मोहन को तो जैसे इन बातों से कोई मतलब नही था। वह अपने बनाये हुए लोहे के छल्ले की बारीकी से जांच परख कर रहा था। तभी उसने धनराम की तरफ देखा जैसे वह उससे पूछना चाह रहा हो कि, यह कैसे बना है? धनराम की आंखों में अपने लिए मौन प्रशंसा देखकर मोहन की आंखों में एक अजीब सी चमक छा गई। लेकिन उस चमक में ना तो कोई स्पर्धा थी और ना ही हार जीत का भाव।
Also See:
Hindi Aroh Bhag 1 Book Lessons
- नमक का दरोगा पाठ सार Class 11 Chapter 1
- मियाँ नसीरुद्दीन पाठ सार Class 11 Chapter 2
- अपू के साथ ढाई साल पाठ सार Class 11 Chapter 3
- विदाई संभाषण पाठ सार Class 11 Chapter 4
- गलता लोहा पाठ सार Class 11 Chapter 5
- रजनी पाठ सार Class 11 Chapter 6
- जामुन का पेड़ पाठ सार Class 11 Chapter 7
- भारत माता पाठ सार Class 11 Chapter 8
- कबीर के पद पाठ सार और व्याख्या Class 11 Chapter 9
- मीरा के पद पाठ सार और व्याख्या Class 11 Chapter 10
- घर की याद पाठ सार और व्याख्या Class 11 Chapter 11
- चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती पाठ सार और व्याख्या Class 11 Chapter 12
- ग़ज़ल पाठ सार और व्याख्या Class 11 Chapter 13
- वचन पाठ सार और व्याख्या Class 11 Chapter 14
- सबसे खतरनाक पाठ सार और व्याख्या Class 11 Chapter 15
- आओ मिलकर बचाएँ पाठ सार और व्याख्या Class 11 Chapter 16
Hindi Aroh Bhag 1 Question Answers
- Namak ka Daroga Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Miya Nasiruddin Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Aapu Ke Saath Dhaai Saal Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Vidaai Sambhaashan Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Galtaa Lohaa Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Rajni Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Jaamun Ka Ped Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Bharat Mata Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Kabir Ke Pad Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Mira Ke Pad Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Ghar Ki Yaad Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Champa Kaale-Kaale Achar Nahi Chinhati Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Ghazal Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Vachan Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Sabse Khatarnaak Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
- Aao Milkar Bachaaen Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Aroh book
Hindi Vitan Bhag 1 Book Lessons and Question Answers
- भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ – लता मंगेशकर पाठ सार Class 11 Chapter 1
- Bhartiya Gayikaon Me Bejod Lata Mangeshkar Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Vitan book
- राजस्थान की रजत बूंदें पाठ सार Class 11 Chapter 2
- Rajasthan Ki Rajat Bunde Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Vitan book
- आलो आँधारि पाठ सार Class 11 Chapter 3
- Aalo Aandhari Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Vitan book
- भारतीय कलाएं पाठ सार Class 11 Chapter 4
- Bhartiya Kalaein Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Vitan book
Hindi Abhivyakti Aur Madhyam Book Lessons and Question Answers
- जनसंचार माध्यम पाठ सार Class 11 Chapter 1
- Jansanchar Madhyam Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam book
- पत्रकारिता के विविध आयाम पाठ सार Class 11 Chapter 2
- Patrakarita ke Vividh Aayam Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam book
- डायरी लिखने की कला आयाम पाठ सार Class 11 Chapter 9
- Diary Likhne Ki Kala Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam book
- कथा-पटकथा पाठ सार Class 11 Chapter 10
- Katha Patkatha Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam book
- कार्यालयी लेखन और प्रक्रिया पाठ सार Class 11 Chapter 14
- Karyalayi Lekhan Aur Prakriya Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam book
- स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोज़गार संबंधी आवेदन-पत्र पाठ सार Class 11 Chapter 15
- Swavrit Lekhan aur Rojgar Sambandhi Awedan Patra Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam book
- कोश-एक परिचय पाठ सार Class 11 Chapter 16
- Kosh Ek Parichay Question Answers (Important) | Class 11 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam Book
Also See:
- CBSE Class 11 Hindi Summary, Question Answers
- Character Sketch of Class 11 Hindi
- CBSE Class 11 Hindi (Core) Syllabus 2024-25