Kosh Ek Parichay Summary

 

CBSE Class 11 Hindi Core Abhivyakti Aur Madhyam Book Chapter 16 कोश-एक परिचय Summary

 

इस पोस्ट में हम आपके लिए CBSE Class 11 Hindi Core Abhivyakti Aur Madhyam Book के Chapter 16 कोश-एक परिचय का पाठ सार लेकर आए हैं। यह सारांश आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आप जान सकते हैं कि इस कहानी का विषय क्या है। इसे पढ़कर आपको को मदद मिलेगी ताकि आप इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। Kosh Ek Parichay Summary of CBSE Class 11 Hindi Core Abhivyakti Aur Madhyam Chapter 16.

  

 

कोश-एक परिचय पाठ  सार  (Kosh Ek Parichay Summary)

 

जब आप कुछ पढ़ रहे होते हैं और पढ़ते समय जब कोई ऐसा शब्द सामने आ जाता है जिसका अर्थ या उसकी रचना या बनावट आपके बुद्धि या समझ में स्पष्ट नहीं होती ,तब आपके मन में अवश्य ही शब्दकोश का ध्यान आता होगा। इस पाठ में भी चंद्रिका नामक लड़की जब कुछ पढ़ रही थी तो उसे भी कठिन शब्द से जूझना पड़ा और इसी के माध्यम से हमें शब्दकोश की पूरी जानकारी इस पाठ के जरिए दी गई है।

पढ़ते-पढ़ते जब कोई कठिन शब्द सामने आ जाता है तो ऐसा लगता है जैसे स्वादिष्ट भोजन करते हुए दाँतों के बीच अचानक कोई कंकड़ फँस गया हो। सारा मज़ा किरकिरा हो जाता है।

चंद्रिका किसी उपन्यास के काल्पनिक जगत का जब आनंद ले रही थी तब उपन्यास पढ़ते-पढ़ते खाने में कंकड़ की तरह एक शब्द अचानक बीच में आकर उसके आनंद को खराब कर रहा था। वह शब्द था-विदग्ध। इस शब्द का अर्थ जानने के लिए चन्द्रिका ने शब्दकोश की मदद ली और शब्दकोश खोलने पर उसे शब्दकोश के कई रहस्य पता चले जैसे –

शब्दकोश में शब्दों के लिए नियम निर्धारित होते हैं।

जब तक किसी शब्द और उसके अर्थ या अर्थों को समाज की मान्यता नहीं मिल जाती तब तक किसी भी शब्द को शब्दकोश में प्रवेश की अनुमति नहीं होती।

शब्दकोश में लगभग पाँच लाख शब्द हैं और आज भी शब्दकोश में नए शब्द  जुड़ते रहते हैं।

शब्दकोष में शब्दों को योजनाबद्ध ढंग से खंडों और फिर उस खंड में हर शब्द को नियम के अनुसार क्रमवार व्यवस्थित किया जाता है।

शब्दकोश में खंडों के नाम वर्णमाला के अक्षरों पर रखे जाते हैं। जैसे, ‘क खंड’ ‘च खंड’ ‘प खंड’ आदि। इन खंडों का क्रम भी वर्णमाला के अक्षरों के क्रम के अनुसार ही होता है। परन्तु यहाँ दो महत्त्वपूर्ण अंतर होते हैं –

पहला अंतर – हिंदी वर्णमाला ‘अ’ से शुरू होती है मगर शब्दकोश का पहला खंड ‘अं खंड’ होता है और उसके बाद ‘अ खंड’, ‘आ खंड’, ‘इ खंड’ इत्यादि वर्णमाला के क्रम से ही आते हैं।

दूसरा अंतर – हिंदी वर्णमाला में संयुक्ताक्षर क्ष, त्र, ज्ञ, श्र वर्णमाला के अंत में आते हैं। लेकिन शब्दकोश में ये उन वर्णों के अंत्याक्षर के साथ आते हैं।

 

शब्दकोश में शब्दों की व्यवस्था –

शब्दकोश में पहला खंड ‘अं’ खंड होता है। फिर ‘अ’ खंड, ‘आ’ खंड, ‘इ’ खंड, ‘ई’ खंड आदि एक-एक कर वर्णमाला के अक्षरों के क्रम के अनुसार आते हैं।

शब्दकोश में स्वर वर्णों का आखिरी खंड ‘औ’ खंड होता है। फिर व्यंजन वर्ण का पहला खंड ‘क खंड’ आ जाता है।

शब्दकोश में व्यंजन वर्णों के खंडों की एक खास बात यह है कि ये उपखंडों में विभाजित हैं। खंड के भीतर के उपखंडों को व्यंजन पर लगी मात्रा द्वारा नामित किया जाता है। जैसे पहला व्यंजन खंड ‘क खंड’ है और इसके उपखंडों में ‘का’, ‘कि’, ‘की’, ‘कु’, ‘कू’, ‘के’, ‘कै’ और ‘को’ शामिल हैं।

 

संयुक्ताक्षर –

जहाँ दो व्यंजन मिलकर एक व्यंजन बनाते हैं उसे संयुक्ताक्षर कहते हैं। जब ‘क’ उपखंड से चलते-चलते हम ‘कौ’ उपखंड तक पहुँचते हैं। तो इसके बाद संयुक्ताक्षर का उपखंड शुरू हो जाता है। ‘कौ’ उपखंड के तुरंत बाद ‘क्’ उपखंड शुरू हो जाता है। इसमें ‘क्या’, ‘क्यारी’, ‘क्यों’, जैसे शब्द आते हैं।

 ‘क्ष’ ‘त्र’ ‘श्र’ जैसे वर्णों से शुरू होने वाले शब्द इन वर्णों के प्रथमाक्षर के साथ आते हैं। ‘क्ष’ – ‘क’ और ‘ष’ के योग से बना हुआ संयुक्ताक्षर है। इस संयुक्ताक्षर का पहला अक्षर यानी प्रथमाक्षर ‘क’ है अतः यह इसी उपखंड में आगे जाकर आता है।

शब्दकोश में ‘क्रंदन’ और ‘क्रंदित’ के बाद ‘क्र’ का नंबर आता है और ‘क्रम’, ‘क्रमशः’ इत्यादि शब्दों के बाद ‘क्रा’, ‘क्रि’ इत्यादि से प्रारंभ होने वाले शब्द आते है। ‘क्र’ के बाद ‘क्ल’ एवं ‘क्व’ से शुरू होने वाले शब्द आते हैं। फिर ‘क्ष’ से प्रारंभ होने वाले शब्द आते हैं क्योंकि ‘क्ष’ संयुक्ताक्षर ‘क’ और ‘ष’ से मिलकर बना है अतः इसे ‘क’ और ‘व’ से मिलकर बने ‘क्व’ संयुक्ताक्षर से शुरू होने वाले शब्दों के बाद रखा जाता है।

क्योंकि ‘त्र’ संयुक्ताक्षर ‘त’ और ‘र’ वर्णों से मिलकर बना है, अतः इससे शुरू होने वाले शब्द ‘त’ खंड में नियमानुसार निर्धारित स्थलों पर आएँगे।

‘ज्ञ’ संयुक्ताक्षर ‘ज’ और ‘अ’ वर्णों के संयोग से बना है। अतः इससे प्रारंभ होने वाले शब्द ‘ज’ खंड में अपने निर्धारित स्थानों पर आएँगे।

‘श्र’ संयुक्ताक्षर ‘श’ और ‘र’ वर्णों से मिलकर बना है। अतः इससे शुरू होने वाले शब्द ‘श’ खंड में अपने निर्धारित स्थानों पर आएँगे।

 

ध्यान देने योग्य बातें –

– शब्दकोश, शब्द और कोश दो शब्दों से मिल कर बना है, जिसका अर्थ है – शब्दों का खज़ाना। इसमें एक भाषा-भाषी समुदाय में प्रयोग होने वाले शब्दों को इकट्ठा किया जाता है।

– शब्दकोश में शब्दों की व्युत्पत्ति, स्रोत, लिंग, शब्द-रूप एवं विभिन्न संदर्भपरक अर्थों के बारे में जानकारी दी जाती है।

– हिंदी शब्दकोश में हिंदी वर्णमाला का अनुसरण किया जाता है परंतु अं से प्रारंभ होने वाले शब्द सबसे पहले दिए जाते हैं।

– यद्यपि हिंदी वर्णमाला में कुछ संयुक्त व्यंजन सबसे अंत में आते हैं परंतु शब्दकोश में उन्हें उस क्रम में रखा जाता है जिन व्यंजनों से मिलकर वे बने हैं, जैसे क +ष=क्ष, ज्+ञ =ज्ञ, त्+र=त्र, श्+र=श्र।

– स्वर रहित व्यंजन से प्रारंभ होने वाले शब्द उस व्यंजन में इस्तेमाल होने वाले सभी स्वरों के बाद में रखे जाते हैं, जैसे ‘क्या’शब्द ‘कौस्तुभ’के बाद ही आएगा।

 

चन्द्रिका अपने नाम का अर्थ जानना चाहती थी। इसलिए उसने शब्दकोश को पलटना शुरू किया। थोड़ी देर में ‘च’खंड आ गया। इसके नियमों के हिसाब से पहले ‘चं’उपखंड आया। पहले वे शब्द आते हैं जिनका दूसरा वर्ण ‘क’से शुरू होता है। धीरे-धीरे वे शब्द आए जिनका दूसरा वर्ण ‘द’था। ‘चंदन, ‘चंदेल’ इत्यादि शब्दों के बाद ‘द’और ‘र’के संयुक्ताक्षर ‘द्र’का नंबर आया। इस क्रम का पहला शब्द ‘चंद्र’था। फिर नियमानुसार दूसरा वर्ण ‘द्रा’था। ‘चंद्रा’‘चंद्रायण’इत्यादि शब्दों के बाद ‘द्रि’की बारी आते ही नियमानुसार पहले ‘चंद्रिकांबुज’ और फिर ‘चंद्रिका’शब्द आ गया। अपने नाम को देखकर चंद्रिका का खुश होना स्वाभाविक था।

थोड़ी ही देर में ‘व’खंड आ गया। इस खंड के आते ही चंद्रिका का उतावलापन बढ़ने लगा। इस खंड के नियमों द्वारा निर्धारित क्रम के अनुसार थोड़ी देर में ‘विदग्ध’ शब्द भी आ गया। चन्द्रिका इसी शब्द का अर्थ जानना चाहती थी। इसलिए जिज्ञासावश उस शब्द के अर्थ पढ़ने लगी। विदग्ध- वि.(सं.) नागर; निपुण; पंडित; रसिक; रसज्ञ; जला हुआ; जठराग्नि से पका हुआ; पचा हुआ; नष्ट; गला हुआ; जो जला या पचा न हो; सुंदर; भद्रतापूर्ण। पु. चतुर या धूर्त आदमी; रसिक; एक घास।

यहाँ आप देख सकते हैं कि विदग्ध शब्द के कई अर्थ दिए हुए हैं। किसी लेखन में जहाँ जैसा आवश्यक होगा वहाँ वैसा ही अर्थ लागू होगा। यहाँ पर जो संकेताक्षर लिखे हैं। उनमें वि. का अर्थ है कि विदग्ध एक विशेषण है। पु. से यह अभिप्राय है कि यह शब्द पुलिंग है। (सं.) से यह मतलब निकलता है कि विदग्ध संस्कृत का शब्द है।

संदर्भ-ग्रंथ

– जिस प्रकार ‘शब्दकोश’में शब्दों के अर्थ दिए होते हैं उसी प्रकार ‘संदर्भ-ग्रंथों’ में मानव द्वारा इकठ्ठे किए गए ज्ञान को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

– संदर्भ-ग्रंथ कई प्रकार के होते हैं। संदर्भ-ग्रंथ का सबसे विशद रूप ‘विश्व ज्ञान कोश’ है। इसमें मानव द्वारा संचित हर प्रकार की जानकारी और सूचना का संक्षिप्त संकलन होता है।

– संदर्भ-ग्रंथों के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रकार हैं ‘साहित्य कोश’और ‘चरित्र कोश’ ‘साहित्य कोश’में साहित्यिक विषयों से संबंधित जानकारियाँ इकठ्ठी होती हैं। ‘चरित्र कोश’में साहित्य, संस्कृति, विज्ञान आदि क्षेत्रों के महान व्यक्तियों के व्यक्तित्व और कृतित्त्व के बारे में जानकारी संकलित होती है।

– संदर्भ-ग्रंथ गागर में सागर के समान हैं। जब भी हमें किसी विषय पर तुरंत जानकारी की आवश्यकता होती है, तब संदर्भ-ग्रंथ हमारे काम आते हैं।

– संदर्भ-ग्रंथों में जानकारियों का सिलसिलेवार संकलन ‘शब्दकोश’के नियमों के अनुसार ही होता है।

चंद्रिका ने शब्दकोश में एक बात और देखी। इस पुस्तक के हर पृष्ठ के शीर्ष पर दो शब्दों का जोड़ा दिया हुआ था। जैसे ‘उत्तरण-उत्थान, ‘जड़-जन’आदि।

इसका उद्देश्य चन्द्रिका को तब समझ आया जब उसने ध्यान से शब्दकोश को देखा। उसने देखा कि हर पृष्ठ के ऊपर दिए गए शब्द युग्म का पहला शब्द उस पृष्ठ का पहला शब्द होता है और दूसरा शब्द पृष्ठ के आखिरी शब्द को दर्शाता है। इस प्रकार पूरे पृष्ठ पर किसी शब्द को तलाशने की ज़रूरत नहीं होती, शब्द-युग्म को देखकर ही पता चल जाता है कि जिस शब्द के अर्थ को खोज रहे हैं उसका उस पृष्ठ पर होना संभव है या नहीं।

विश्वज्ञान कोश –

विश्वज्ञान कोश में भी शब्दकोश की तरह ही शब्द क्रमवार व्यवस्थित होते है। अंतर यह है कि शब्दकोश में ‘शब्द’ निवास करते हैं और विश्वज्ञान कोश में ‘जानकारियों’ का निवास होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि मानव ज्ञान से संबंधित जो भी सूचना या जानकारी हमें चाहिए वह विश्वज्ञान कोश से मिल जाती है।

चंद्रिका बहुत खुश थी क्योंकि अब जब उसे किसी विषय पर संक्षिप्त जानकारी की ज़रूरत होगी तो उसे ज़्यादा भटकना नहीं पड़ेगा। एक ही स्थान पर उसे हर विषय की संक्षिप्त जानकारी मिल जाएगी।

चरित्र-लोक –

यहाँ से भी जानकारियाँ प्राप्त की जाती हैं। अंतर यह है कि ये जानकारियाँ विचारकों, साहित्यकारों, वैज्ञानिकों आदि के संक्षिप्त परिचय और उपलब्धियों तक ही सीमित रहती हैं। यहाँ पर भी शब्दकोश की तरह ही जानकारियों को क्रमवार रूप से व्यवस्थित किया जाता है। तात्पर्य यह है कि जब भी किसी को किसी भी क्षेत्र के महान व्यक्ति के बारे में जानना होगा तो चरित्र-लोक की मदद से आसानी से जाना जा सकता है।

साहित्य कोश – 

साहित्य कोश से साहित्य से संबंधित विषयों की जानकारियाँ मिलती हैं।