Swavrit Lekhan Aur Rojgar Sambandhi Awedan Patra Summary

 

CBSE Class 11 Hindi Core Abhivyakti Aur Madhyam Book Chapter 15 स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोज़गार संबंधी आवेदन-पत्र Summary

 

इस पोस्ट में हम आपके लिए CBSE Class 11 Hindi Core Abhivyakti Aur Madhyam Book के Chapter 15 स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोज़गार संबंधी आवेदन-पत्र का पाठ सार लेकर आए हैं। यह सारांश आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आप जान सकते हैं कि इस कहानी का विषय क्या है। इसे पढ़कर आपको को मदद मिलेगी ताकि आप इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। Swavrit Lekhan Aur Rojgar Sambandhi Awedan Patra Summary of CBSE Class 11 Hindi Core Abhivyakti Aur Madhyam Chapter 15.

  

 

स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोज़गार संबंधी आवेदन-पत्र पाठ  सार  (Swavrit Lekhan Aur Rojgar Sambandhi Awedan Patra Summary)  

 

विद्यार्थियों के मन में अपने भविष्य को लेकर तरह-तरह की कल्पनाएँ और उम्मीदें होती हैं। कुछ अपना खुद का पेशा या व्यवसाय खड़ा करने का सपना देखते हैं तो कुछ अपनी मनचाही नौकरी पाने का ख्वाब बुनते रहते हैं। कोई डॉक्टर, कोई इंजीनियर,कोई मैनेजर, कोई बैंकर तो कोई शिक्षक बनना चाहते हैं। विद्यार्थी जीवन कल्पनाओं का संसार रचने के लिए ही होता है  और उन कल्पनाओं को हकीकत में बदलने का प्रयास भी विद्यार्थी जीवन में ही होता है। छात्र-जीवन में एक दिन ऐसा भी आता है जब छात्र अपनी मेहनत का फल प्राप्त करता है और फिर अपनी कल्पना के महल के दरवाज़े पर अंदर प्रवेश की उम्मीद में दस्तक देने लगते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि जब कोई विद्यार्थी अपनी शिक्षा पूर्ण करता है तो उसने अपने भविष्य के लिए जो रास्ता चुना होता है वह उस दिशा में प्रयास करना प्रारम्भ कर देता है। लेकिन कई बार उसे अपने रास्ते में उसके प्रतिद्वंद्वियों की अच्छी खासी भीड़ मिल जाती है और उस जगह पर सफलता मिलने में मुश्किल होने लगती है। कुछ विद्यार्थियों को उनकी मंज़िल मिल जाती है और अधिकतर उस मंज़िल के बाहर ही रह जाते हैं और फिर से द्वार खुलने की प्रतीक्षा करते रहते हैं। अर्थात विद्यार्थी अपने मनचाहे काम को प्राप्त करने के लिए लगातार मेहनत करते रहते हैं।

 

यह पाठ स्ववृत्त अर्थात बायोडेटा और आवेदन पत्र पर आधारित है। पाठ में दो पात्रों नरेंन्द्र और उसके चाचा के माध्यम से बायोडेटा के महत्व और उसको लिखने के सही ढंग को बताने का प्रयास किया गया है। किसी भी नौकरी को प्राप्त करने के लिए स्ववृत्त अर्थात बायोडेटा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्योंकि यदि स्ववृत्त अच्छा नहीं होगा तो आपके योग्य होने के बाद भी आपको नौकरी नहीं मिलेगी। इसलिए किसी भी व्यक्ति को नौकरी प्राप्त करने के लिए अपने स्ववृत्त को उस नौकरी के उद्देश्य से बेहतर से बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। स्ववृत्त में अपने बारे में वही सुचनाएँ लिखी जानी चाहिए जिसमें न्युक्ति करने वाले की दिलचस्पी हो।

 

स्ववृत्त की विशेषताएँ –

  • किसी भी नौकरी के लिए उम्मीदवार स्ववृत्त के आधार पर ही चुने जाते हैं।
  • स्ववृत्त के अच्छी तरह न बने होने के कारण या किसी कमी के कारण कई बार योग्य उम्मीदवार पीछे छूट जाते हैं और नौकरी प्राप्त करने में असमर्थ रहते हैं।
  • उम्मीदवार के लिए यह ज़रूरी है कि वह अपना स्ववृत्त सुंदर और आकर्षक बनाए।
  • एक स्ववृत्त को किसी उम्मीदवार का दूत या प्रतिनिधि कहा जा सकता है। जिस प्रकार एक अच्छा दूत या प्रतिनिधि अपने स्वामी का एक सुंदर और आकर्षक चित्र प्रस्तुत करता है, उसी प्रकार एक अच्छा स्ववृत्त नियुक्तिकर्ता के मन में उम्मीदवार के प्रति अच्छी और सकारात्मक धारणा उत्पन्न करता है।
  • एक अच्छे स्ववृत्त की तुलना किसी चुंबक से भी की जा सकती है जो नियुक्तिकर्ता को आकर्षित कर लेता है।
  • नौकरी में सफलता के लिए किसी व्यक्ति की योग्यता जितनी महत्वपूर्ण है उतना ही उस व्यक्ति का स्ववृत्त निर्माण की कला में निपुण होना है।
  • यह कहना गलत नहीं होगा कि पहली लड़ाई तो स्ववृत्त ही लड़ता है और अगर स्ववृत्त कमज़ोर हुआ तो लड़ाई शुरू में ही खत्म हो जाती है।
  •  स्ववृत्त एक विशेष प्रकार का लेखन है, जिसमें किसी व्यक्ति विशेष के बारे में किसी विशेष उद्देश्य को ध्यान में रखकर क्रमानुसार उस व्यक्ति की सूचनाएँ इकट्ठी की जाती हैं।
  •  स्ववृत्त में ईमानदारी होनी चाहिए।
  •  किसी भी प्रकार के झूठे दावे या अतिशयोक्ति से बचना चाहिए।
  • अपने व्यक्तित्व, ज्ञान और अनुभव के सबल पहलुओं पर जोर देना तो कभी भी नहीं भूलना चाहिए।

 

स्ववृत्त के दो पक्ष हैं –

पहला पक्ष है उम्मीदवार। जिसमें वह व्यक्ति है जिसको केंद्र में रखकर सूचनाएँ इकट्ठी की गई होती हैं।

दूसरा पक्ष नियोक्ता। इसमें वह व्यक्ति या संस्था होते है जिसके लिए या जिसके उद्देश्य को ध्यान में रखकर सूचनाएँ इकट्ठी की जाती हैं।

यहाँ ध्यान रखने योग्य यह बात है कि किसी भी व्यक्ति से संबंधित सूचनाऐं अंतहीन हो सकती हैं अर्थात बहुत अधिक हो सकती है। लेकिन हर सूचना नियोक्ता के काम की हो यह आवश्यक नहीं है। इसीलिए स्ववृत्त में वही सूचनाएँ डाली जा सकती हैं जिनमें दूसरे पक्ष यानी नियोक्ता की दिलचस्पी हो या उनके उद्देश्य के हिसाब से सही बैठती हों।

 

स्ववृत्त की भाषा-शैली –

स्ववृत्त में आलंकारिक भाषा की जगह नहीं है। अर्थात आप स्ववृत्त में अत्यधिक कठिन भाषा या शब्दों का चुनाव नहीं कर सकते। इसीलिए इसकी शैली-सरल, सीधी, सटीक और साफ होनी चाहिए ताकि पढ़ने वाले को सारी बातें एक ही नज़र में समझ आ जाएँ और उसे अर्थ निकालने के लिए दिमाग पर ज़ोर न डालना पड़े।

 

ध्यान देने की बात

जब पद बहुत बड़ा होता है तो उसके लिए उम्मीदवार भी कम होते हैं। उदाहरण के लिए यदि मैनेजिंग डायरेक्टर के पद के लिए विज्ञापन दिया जाए तो बहुत काम लोग ही अपना स्ववृत्त भेजेंगे। परन्तु ये सारे लोग अच्छी योग्यता और अधिक अनुभव वाले होंगे। इसी कारण इस स्थिति में यदि स्ववृत्त नौ-दस पृष्ठों का भी लिखा गया होगा तो उसे न्युक्तिकर्ता द्वारा ध्यानपूर्वक और बारीकी से पढ़ा जाएगा। लेकिन यदि छोटे पद के लिए विज्ञापन दिया जाए तो बहुत बड़ी संख्या में आवेदन आएँगे। और इस स्थिति में यदि स्ववृत्त दो-तीन पृष्ठों से अधिक लंबा हुआ तो पढ़ने वाला अपना धैर्य खो सकता है।

स्ववृत्त साफ-सुथरे ढंग से या कंप्यूटर द्वारा छापा हुआ होना चाहिए। व्याकरण संबंधी भूलों को भी दूर कर लेना चाहिए। ये सभी बातें दिखने में या समझने में छोटी लग सकती हैं परन्तु उम्मीदवार के प्रति विपरीत धारणा उत्पन्न कर सकती हैं। इन कमियों के कारण नियोक्ता को ऐसा लग सकता है कि उम्मीदवार या तो लापरवाह है या फिर उसकी शिक्षा-दीक्षा ढंग से नहीं हुई है।

 

विविध सूचनाओं का ब्योरा –

स्ववृत्त सूचनाओं का एक अनुशासित प्रवाह है। कहने का तात्पर्य यह है कि इसमें प्रवाह और अनुशासन दोनों ही होने चाहिए। प्रवाह व्यक्ति परिचय से प्रारंभ होता है और शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, प्रशिक्षण, उपलब्धियाँ, कार्येतर गतिविधियाँ इत्यादि पड़ावों को पार करता हुआ अपनी पूर्णता प्राप्त करता है। परिचय में नाम, जन्मतिथि, उम्र, पत्र व्यवहार का पता, टेलीफोन नंबर, ई-मेल आदि अवश्य लिखने चाहिए। स्ववृत्त के ये अवयव केवल उदाहरण के लिए हैं। आवश्यकतानुसार इनमें फेरबदल किया जा सकता है।

 

स्ववृत्त लेखन

नाम – योगेंद्र कुमार

पिता का नाम – सुरेंद्र कुमार

माँ का नाम – रीता देवी

जन्म तिथि – 19 नवंबर, 1982

वर्तमान पता – हॉउस नंबर 72, बिग मार्केट, मयूर विहार (फेज एक) दिल्ली 110092

स्थायी पता – हॉउस नंबर 72, बिग मार्केट, मयूर विहार (फेज एक) दिल्ली 110092

टेलीफोन नं. – 011-33786256

मोबाइल नं. – 8834598765

ई-मेल – [email protected]

 

 

शैक्षणिक योग्यताएँ

क्र.सं. परीक्षा/डिग्री/वर्ष

डिप्लोमा              

विद्यालय/बोर्ड/  महाविद्यालय/   विश्वविद्यालय   विषय         श्रेणी   प्रतिशत
1 दसवीं /1997 राजकीय विद्यालय/

सीबीएसई

अंग्रेजी,हिंदी, विज्ञान, गणित

सामाजिक विज्ञान

प्रथम 93%
2 बारहवीं /1999 राजकीय विद्यालय/

सीबीएसई

अंग्रेजी, भौतिकी,

रसायन विज्ञान,

जीव विज्ञान, गणित

प्रथम 95%
3 बी.एस.सी./ 2002 हिंदू कॉलेज/ (आनर्स) दिल्ली विश्वविद्यालय,

 

कंप्यूटर साइंस प्रथम 84%
4 एमबीए/2004 आदर्श इन्स्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट   प्रथम 85%

 

 

अन्य संबंधित योग्यताएँ

– कंप्यूटर का अच्छा ज्ञान और अभ्यास (एम.एस. ऑफ़िस तथा इंटरनेट)

– फ़्रांसीसी भाषा का कार्य योग्य ज्ञान

 

उपलब्धियाँ

– अखिल भारतीय वाद-विवाद प्रतियोगिता (वर्ष 2001) में प्रथम पुरस्कार

– राजीव गाँधी स्मारक निबंध प्रतियोगिता (2002) में प्रथम पुरस्कार

– विद्यालय और महाविद्यालय क्रिकेट टीमों का कप्तान कार्येतर गतिविधियाँ और अभिरुचियाँ

– उद्योग व्यापार संबंधी पत्रिकाओं और अखबारों का नियमित पाठन

– देश भ्रमण का शौक

– इंटरनेट सर्फिंग

– फुटबाल और क्रिकेट में अभिरुचि

वैसे सम्मानित व्यक्तियों का विवरण जो उम्मीदवार के व्यक्तित्व और उपलब्धियों से परिचित हों

  1. श्री जे. रामनाथन, निदेशक, आदर्श इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, लोदी इस्टेट, नयी दिल्ली
  2. श्री देवेंद्र गुप्ता, प्राध्यापक (मार्केटिंग), आदर्श इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट लोदी इस्टेट, नयी दिल्ली

तिथि

स्थान हस्ताक्षर

 

नौकरी के लिए केवल स्ववृत्त देने से काम नहीं चलता। स्ववृत्त के साथ आवेदन-पत्र भी लिखना होता है। इस आवेदन-पत्र के साथ हम स्ववृत्त को लगाते हैं और नियोक्ता को उसके विचार के लिए भेज देते हैं।

 

आवेदन-पत्र –

सेवा में,

महाप्रबंधक (मानव संसाधन)

मानव संसाधन विभाग

इंडिया केमिकल्स लिमिटेड

36, न्यू लिंक रोड

अंधेरी, मुंबई-400053

विषय – मार्केटिंग एक्ज़क्यूटिव पद के लिए आवेदन

महोदय,

आज दिनांक 16 अप्रैल, 2006 को दिल्ली से प्रकाशित नवभारत टाइम्स के प्रातः संस्करण में प्रकाशित विज्ञापन से ज्ञात हुआ है कि आपकी कंपनी को मार्केटिंग एक्ज़क्यूटिव्स की आवश्यकता है। मैं इस पद के लिए अपना आवेदन प्रस्तुत कर रहा हूँ।

मेरा स्ववृत्त इस आवेदन के साथ संलग्न है। इसका अवलोकन करने पर आप पाएँगे कि मैं इस पद के लिए पूरी तरह से उपयुक्त उम्मीदवार हूँ। मैं विज्ञापन में आपके द्वारा वर्णित सभी योग्यताओं और अर्हताओं को पूरा करता हूँ। संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है –

(क) मैं विज्ञान का छात्र रहा हूँ और रसायन शास्त्र मेरा प्रिय विषय रहा है। मैंने इस विषय में आनर्स के साथ प्रथम श्रेणी में स्नातक की उपाधि पाई है। मैं आपकी कंपनी की गतिविधियों और उत्पादों के वैज्ञानिक पहलुओं से न केवल पूरी तरह से वाकिफ हूँ बल्कि उन्हें आपके ग्राहकों के समक्ष सरल शब्दों में प्रस्तुत करने की भी क्षमता रखता हूँ।

(ख) मैंने मार्केटिंग में प्रथम श्रेणी में एमबीए किया है और मुझे मार्केटिंग के विभिन्न सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं का पूरा ज्ञान है।

(ग) मैं लिखित और मौखिक दोनों प्रकार से स्वयं को अभिव्यक्त करने में सक्षम हूँ। मुझे वाद-विवाद और निबंध की अखिल भारतीय प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार मिले हैं।

(घ) मैं अपने विद्यालय और महाविद्यालय की क्रिकेट टीमों का कप्तान रहा हूँ। इससे मेरी टीम भावना और नेतृत्व क्षमता प्रमाणित होती है।

(ड़) मैं पर्यटन का शौक रखता हूँ और लगभग पूरे देश के महत्त्वपूर्ण स्थानों का दौरा कर चुका हूँ। मेरी यह प्रकृति पद की आवश्यकता के अनुकूल है।

 

मैं उद्योग और व्यवसाय से जुड़ी पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ने का शौक रखता हूँ। इनके माध्यम से मैं आपकी कंपनी की गतिविधियों से निरंतर अवगत रहा हूँ कि अपनी स्थापना के कुछ ही वर्षों के अंदर कंपनी की गतिविधियों में व्यापक विस्तार हुआ है। मेरी सूचना के अनुसार कंपनी ने भविष्य के लिए अत्यंत महत्त्वाकांक्षी योजनाएँ बनाई हैं। मैं महसूस करता हूँ कि ऐसे माहौल में मुझे न केवल अपनी उन्नति और विकास का अवसर मिलेगा बल्कि मैं कंपनी की उन्नति और विकास में भी योगदान कर सकूँगा।

अनुरोध है कि उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मेरे आवेदन पर सकारात्मक रूप से विचार करें और मुझे मार्केटिंग एक्ज़क्यूटिव के पद पर नियुक्त करें।

सधन्यवाद

भवदीय

(नरेंद्र कुमार)