CBSE Class 10 Hindi Chapter 1 Saakhi (साखी) Question Answers (Important) from Sparsh Book

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सीबीएसई कक्षा 10 हिंदी स्पर्श भाग 2 पुस्तक पाठ 1 के लिए साखी प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 10 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से बोर्ड परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे साखी प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

 The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract based questions, short and long answer questions

 Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams. 

 

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साखी (Saakhi) NCERT Solutions

(क ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये

प्रश्न 1 -: मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है ?
उत्तर -:
कबीरदास जी के अनुसार जब आप दूसरों के साथ मीठी भाषा का उपयोग करोगे तो उन्हें आपसे कोई शिकायत नहीं रहेगी। वे सुख का अनुभव करेंगे और जब आपका मन शुद्ध और साफ़ होगा परिणामस्वरूप आपका तन भी शीतल रहेगा।

प्रश्न 2 -: दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है ? साखी के सन्दर्भ में स्पष्ट किजिए।
उत्तर -:
तीसरी साखी में कबीर का दीपक से तात्पर्य ईश्वर दर्शन से है तथा अँधियारा से तात्पर्य अज्ञान से है।  ईश्वर को सर्वोच्च ज्ञान कहा गया है अर्थात जब किसी को सर्वोच्च ज्ञान के दर्शन हो जाये तो उसका सारा अज्ञान दूर होना सम्भव है।

प्रश्न 3 -: ईश्वर कण – कण में व्याप्त है , पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते ?
उत्तर -:
कबीरदास जी दूसरी साखी में स्पष्ट करते हैं कि ईश्वर कण कण में व्याप्त है ,पर हम अपने अज्ञान के कारण उसे नहीं देख पाते क्योंकि हम ईश्वर को अपने मन में खोजने के बजाये मंदिरों और तीर्थों में खोजते हैं।

प्रश्न 4 -: संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी कौन ? यहाँ ‘सोना’ और ‘जागना’ किसके प्रतिक हैं ? इसका प्रयोग यहाँ क्यों किया गया है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -:
कबीरदास के अनुसार संसार के वे सभी व्यक्ति जो बिना किसी चिंता के जी रहे हैं वे सुखी हैं तथा जो ईश्वर वियोग में जी रहे हैं वे दुखी हैं। यहाँ ‘सोना ‘ ‘अज्ञान ‘ का और ‘जागना ‘ ईश्वर – प्रेम ‘ का प्रतिक है।  इसका प्रयोग यहाँ इसलिए हुआ है क्योंकि कुछ लोग अपने अज्ञान के कारण बिना चिंता के सो रहे हैं और कुछ लोग ईश्वर को पाने की आशा में सोते हुए भी जग रहे हैं।

प्रश्न 5 -: अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है ?
उत्तर -:
अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने निंदा करने वाले व्यक्तिओं को अपने आस पास रखने का उपाय सुझाया है। उनके अनुसार निंदा करने वाला व्यक्ति जब आपकी गलतियां निकालेगा तो आप उस गलती को सुधार कर अपना स्वभाव निर्मल बना सकते हैं।

प्रश्न 6 -: ‘ ऐकै अषिर पीव का , पढ़ै सु पंडित होइ ‘ – इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है ?
उत्तर -:
‘ऐकै अषिर पीव का , पढ़ै सु पंडित होइ ‘ – इस पंक्ति में कवि ईश्वर प्रेम को महत्त्व देते हुए कहना चाहता है कि ईश्वर प्रेम का एक अक्षर ही किसी व्यक्ति को पंडित बनाने के लिए काफी है।

प्रश्न 7 -: कबीर की उद्धृत साखियों की भाषा की विशेषता प्रकट कीजिए।
उत्तर -:
कबीर की साखिओं में अनेक भाषाओँ का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।  उद्धृत साखिओं की भाषा की विशेषता यह है कि इसमें भावना की अनुभूति ,रहस्यवादिता तथा जीवन का संवेदनशील संस्पर्श तथा सहजता को प्रमुख स्थान दिया गया है।

( ख ) निम्नलिखित पंक्तिओं के भाव स्पष्ट कीजिये

(1 )  ‘ बिरह भुवंगम तन बसै , मंत्र न लागै कोइ। ‘
भाव -: इस पंक्ति का भाव यह है कि जब किसी मनुष्य के मन में अपनों से बिछड़ने का गम रूपी साँप जगह बना लेता है तो कोई दवा ,कोई मंत्र काम नहीं आते।

(2 ) ‘ कस्तूरी कुंडलि बसै ,मृग ढूँढ़ै बन माँहि। ‘
भाव -: इस पंक्ति का भाव यह है कि अज्ञान के कारण कस्तूरी हिरण पूरे वन में कस्तूरी की खुसबू के स्त्रोत को ढूंढता रहता है जबकि वह तो उसी के पास नाभि में विद्यमान होती है।

( 3 ) ‘ जब मैं था तब हरि नहीं ,अब हरि हैं मैं नहीं। ‘
भाव -: इस पंक्ति का भाव यह है कि अहंकार और ईश्वर एक दूसरे के विपरीत हैं जहाँ अहंकार है वहां ईश्वर नहीं ,जहाँ ईश्वर है वहां अहंकार का वास नहीं होता।

( 4 ) ‘ पोथी पढ़ि – पढ़ि जग मुवा , पंडित भया न कोइ। ‘
भाव -: इस पंक्ति का भाव यह है कि किताबी ज्ञान किसी को पंडित नहीं बना सकता , पंडित बनने के लिए ईश्वर – प्रेम का एक अक्षर ही काफी है।

प्रश्न 8 – कबीर जी अपनी साखी के द्वारा भ्रमित लोगों के बारे में क्या कहते हैं ?
उत्तर – कबीर जी अपनी साखी के द्वारा भ्रमित लोगों के बारे में कहते हैं कि लोगों के मन में यह भ्र्म है कि ईश्वर देवालयों और तीर्थों में वास करते हैं जिस कारण लोग ईश्वर को देवालयों और तीर्थों में ढूंढते हैं । परन्तु ईश्वर संसार के कण – कण में विद्यमान है और मनुष्य इस बात से बेखबर ईश्वर को देवालयों और तीर्थों में ढूंढ़ता है। कबीर जी कहते है कि अगर ईश्वर को ढूंढ़ना ही है तो अपने मन में ढूंढो।

प्रश्न 9 – कबीर दास  जी के भाव सौंदर्य की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर –  कबीर दास भारत के सबसे बड़े कवियों में से एक है। उनकी कविता भारत में सबसे प्रसिद्ध कविताएं हैं। कबीर दास के भाव सौंदर्य की कई विशेषताएं थी।
(क) ईश्वर के समक्ष सबकी समानता – अपने दोहों के द्वारा कबीर दास जी सभी प्राणियों को सीख देना चाहते हैं कि जब ईश्वर किसी के साथ भेदभाव नहीं करते तो उनका भी कोई अधिकार नहीं है कि वह किसी भी प्राणी को निचा दिखाए।
(ख) जाति – प्रथा का विरोध – जाति – प्रथा समाज की एक ऐसी बुराई है जो सदियों से हमारे समाज को खोखला करती आ रही है। कबीर दास जी ने अपने दोहों में जाति प्रथा के विरुद्ध जागरूकता फैलाने की पूर्ण कोशिश की। 

प्रश्न 10 – कबीर दास ने साखी के अनुसार साधु से कौन सी बातें पूछने से इंकार किया है ?
उत्तर – कबीर दास ने साखी के अनुसार साधु से उसकी जाति पूछने से इंकार किया है क्योंकि साधु से उसकी जाति नहीं पूछनी चाहिए बल्कि उनसे ज्ञान की बातें करनी चाहिए , उनसे ज्ञान लेना चाहिए। क्योंकि जब आप तलवार लेने जाते हैं तो मोल तलवार का होता है न की उसकी म्यान का , उसी तरह साधु की जाति का मोल नहीं होता उसके ज्ञान का होता है। 

 

Class 10 Hindi Lesson 1 साखी सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

सारआधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

 

पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –

1)
ऐसी बाँणी बोलिये , मन का आपा खोइ।
अपना तन सीतल करै ,औरन कौ सुख होइ।।

 

Q1. पद्यांश में कैसी वाणी का प्रयोग करने की सलाह दी गई है –
(क) ऐसी बाँणी
(ख) मीठी वाणी
(ग) सीतल वाणी
(घ) कठोर वाणी
उत्तर – (ख) मीठी वाणी

Q2. ‘ मन का आपा ‘ से क्या अभिप्राय है –
(क) मन का अहंकार
(ख) मन का दुःख
(ग) मन की ख़ुशी
(घ) मन का स्वभाव
उत्तर – (क) मन का अहंकार

Q3. किस चीज़ का त्याग करके मीठी वाणी को अपनाने की सलाह दी गई है ?
(क) अपना स्वभाव
(ख) दूसरों की ख़ुशी
(ग) तन की शीतलता
(घ) मन का अहंकार
उत्तर – (घ) मन का अहंकार

Q4. पद्यांश के अनुसार हम दूसरों को सुख कैसे दे सकते है ?
(क) अपना स्वभाव बदलने से
(ख) मीठी वाणी बोलने से
(ग) तन की शीतलता से
(घ) अहंकार का त्याग करके
उत्तर – (ख) मीठी वाणी बोलने से

(5) मीठी वाणी बोलने से क्या लाभ बताए गए हैं ?
(क) मन स्वस्थ होता है
(ख) दूसरों को सुख प्राप्त होता है
(ग) तन शीतल होता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

2)
कस्तूरी कुंडली बसै , मृग ढूँढै बन माँहि।
ऐसैं घटि- घटि राँम है , दुनियां देखै नाँहिं।।

Q1. मृग किसकी तलाश में वन में भटकता है ?
(क) भगवान् की
(ख) कस्तूरी की खुशबू की तलाश में
(ग) सर्प की कुंडली की तलाश में
(घ) दुनियाँ को देखने की चाह में
उत्तर – (ख) कस्तूरी की खुशबू की तलाश में

Q2. ‘ घटि – घटि राँम है ‘ से आशय है –
(क) हर मन में राम है
(ख) राम हर घट में विद्यमान है
(ग) कण – कण में ईश्वर है
(घ) राम को मन में ढूँढो
उत्तर – (ग) कण – कण में ईश्वर है

Q3. कस्तूरी की खुशबू कहाँ विद्यमान है ?
(क) जंगल में
(ख) मन में
(ग) हिरण की नाभि में
(घ) राम नाम में
उत्तर – (ग) हिरण की नाभि में

Q4. ‘ दुनियां देखै नाँहिं ‘ से क्या अभिप्राय है ?
(क) दुनियाँ का अँधा होना
(ख) हिरण का दुनियाँ को न देखना
(ग) मनुष्य का लापरवाह होना
(घ) संसार के कण कण में ईश्वर विद्यमान है , मनुष्य का इस बात से बेखबर होना
उत्तर – (घ) संसार के कण कण में ईश्वर विद्यमान है , मनुष्य का इस बात से बेखबर होना

Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) हिरण कस्तूरी की खुशबु को जंगल में ढूंढ़ता फिरता है जबकि वह सुगंध उसी की नाभि में विद्यमान होती है
(ख) संसार के कण कण में ईश्वर विद्यमान है
(ग) मनुष्य ईश्वर को देवालयों और तीर्थों में ढूंढ़ता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

 

3)
जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि हैं मैं नांहि।
सब अँधियारा मिटी गया , जब दीपक देख्या माँहि।।

Q1. पद्यांश में ‘ मैं ‘ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है ?
(क) कवि के लिए
(ख) अहंकार के लिए
(ग) पाठकों के लिए
(घ) ईश्वर के लिए
उत्तर – (ख) अहंकार के लिए

Q2. पद्यांश का आशय है –
(क) भगवान् और अहंकार एक साथ वास करते हैं
(ख) अंधकार और दीपक का सम्बन्ध घनिष्ठ है
(ग) अहंकार और ईश्वर कभी एक साथ वास नहीं कर सकते
(घ) अहंकार का नाश आवश्यक है
उत्तर – (ग) अहंकार और ईश्वर कभी एक साथ वास नहीं कर सकते

Q3. ‘ जब मैं था तब हरि नहीं ‘ से क्या तात्पर्य है ?
(क) जब मन में अहंकार था तब इसमें परमेश्वर का वास नहीं था
(ख) जब अहंकार था तब भी परमेश्वर का वास था
(ग) अहंकार और परमेश्वर साथ नहीं है
(घ) कवि का परमेश्वर से मेल नहीं हो पाया
उत्तर – (क) जब मन में अहंकार था तब इसमें परमेश्वर का वास नहीं था

Q4. अज्ञान रूपी अन्धकार को मिटाने के लिए क्या आवश्यक है ?
(क) मन में अहंकार
(ख) मन से अहंकार का नाश
(ग) मन में ज्ञान रूपी दीपक का वास
(घ) परमेश्वर नमक दीपक के दर्शन
उत्तर – (घ) परमेश्वर नमक दीपक के दर्शन

Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) जब इस हृदय में ‘मैं ‘ अर्थात मेरा अहंकार था तब इसमें परमेश्वर का वास नहीं था
(ख) हृदय में अहंकार नहीं है तो इसमें प्रभु का वास है
(ग) जब परमेश्वर नमक दीपक के दर्शन हुए तो अज्ञान रूपी अहंकार का विनाश हो गया
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

 

4)
सुखिया सब संसार है , खायै अरु सोवै।
दुखिया दास कबीर है , जागै अरु रोवै।।


Q1. ‘ सुखिया सब संसार है ‘ से आशय है ?
(क) पूरा संसार सुखी है
(ख) संसार के लोग अज्ञान रूपी अंधकार में डूबे हुए हैं , जिस कारण सुखी हैं
(ग) कबीर जी संसार को देख कर सुखी हैं
(घ) संसार के लोग ईश्वर भक्ति में लीन हैं इसलिए सुखी हैं
उत्तर – (ख) संसार के लोग अज्ञान रूपी अंधकार में डूबे हुए हैं , जिस कारण सुखी हैं

Q2. कबीर जी क्यों दुःखी हैं –
(क) क्योंकि पूरा संसार सुखी है
(ख) क्योंकि संसार के लोग अज्ञान रूपी अंधकार में डूबे हुए हैं
(ग) क्योंकि वे प्रभु को पाने की आशा में हमेशा चिंता में जागते रहते हैं
(घ) क्योंकि वे अहंकार का नाश नहीं कर पा रहे
उत्तर – (ग) क्योंकि वे प्रभु को पाने की आशा में हमेशा चिंता में जागते रहते हैं

Q3. ‘ खायै अरु सोवै ‘ से क्या तात्पर्य है ?
(क) संसार के लोग अज्ञान रूपी अंधकार में डूबे हुए हैं अपनी मृत्यु आदि से भी अनजान सोये हुये हैं
(ख) संसार के लोग अज्ञान रूपी अंधकार में डूबे हुए हैं
(ग) अपनी मृत्यु आदि से भी अनजान सोये हुये हैं
(घ) संसार के लोग अज्ञान से भरे हुए हैं
उत्तर – (क) संसार के लोग अज्ञान रूपी अंधकार में डूबे हुए हैं अपनी मृत्यु आदि से भी अनजान सोये हुये हैं

Q4. कबीर जी क्यों रो रहे है ?
(क) संसार के लोगों के मन में अहंकार देख कर
(ख) संसार के लोग को अज्ञान रूपी अंधकार में डूबे हुए हैं और अपनी मृत्यु आदि से भी अनजान सोये हुये हैं देख कर
(ग) अपने मन में ज्ञान रूपी दीपक के न जल पाने से
(घ) परमेश्वर नमक दीपक के दर्शन न मिल पाने से
उत्तर – (ख) संसार के लोग को अज्ञान रूपी अंधकार में डूबे हुए हैं और अपनी मृत्यु आदि से भी अनजान सोये हुये हैं देख कर

Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) संसार के लोग अज्ञान रूपी अंधकार में डूबे हुए हैं
(ख) कबीर दुखी हैं और वे रो रहे हैं
(ग) कबीर जी प्रभु को पाने की आशा में हमेशा चिंता में जागते रहते हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

 

5)
बिरह भुवंगम तन बसै , मंत्र न लागै कोइ।
राम बियोगी ना जिवै , जिवै तो बौरा होइ।।

Q1. ‘ बिरह भुवंगम तन बसै ‘ से आशय है ?
(क) मनुष्य के मन में अपनों के बिछड़ने का गम सांप बन कर लोटने लगता है
(ख) विरह में बिछड़ना सबसे दुखदाई होता है
(ग) विरह में बिछड़ना और साँप का काटना बराबर दर्द देता है
(घ) विरह सांप बन मन में रहता है
उत्तर – (क) मनुष्य के मन में अपनों के बिछड़ने का गम सांप बन कर लोटने लगता है

Q2. ‘ राम बियोगी ना जिवै ‘ से क्या तात्पर्य है –
(क) राम से बिछड़ना मरने बराबर है
(ख) राम से वियोग असहनीय है
(ग) राम अर्थात ईश्वर के वियोग में मनुष्य जीवित नहीं रह सकता
(घ) ईश्वर को न प्राप्त कर पाना अत्यधिक दुःख देता है
उत्तर – (ग) राम अर्थात ईश्वर के वियोग में मनुष्य जीवित नहीं रह सकता

Q3. किस व्यक्ति पर कोई मन्त्र और दवा असर नहीं करती है ?
(क) जब मनुष्य के मन में अपनों के बिछड़ने का गम सांप बन कर लोटने लगता है
(ख) जिस व्यक्ति का मन अहंकार से भरा हुआ हो
(ग) जो व्यक्ति अपनी मृत्यु आदि से भी अनजान सोये हुये हैं
(घ) जो किसी भयंकर बिमारी से पीड़ित हो
उत्तर – (क) जब मनुष्य के मन में अपनों के बिछड़ने का गम सांप बन कर लोटने लगता है

Q4. ‘ जिवै तो बौरा होइ ‘ से आशय है ?
(क) बियोग में जीने वाला पागल होता है
(ख) ईश्वर के वियोग में मनुष्य जीवित नहीं रह सकता और यदि वह जीवित रहता भी है तो उसकी स्थिति पागलों जैसी हो जाती है
(ग) वियोग के कारण व्यक्ति पागलों की तरह जीवन जीता है
(घ) पागलों की तरह जीवन जीना गलत है
उत्तर – (ख) ईश्वर के वियोग में मनुष्य जीवित नहीं रह सकता और यदि वह जीवित रहता भी है तो उसकी स्थिति पागलों जैसी हो जाती है

Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) जब मनुष्य के मन में अपनों के बिछड़ने का गम सांप बन कर लोटने लगता है तो उस पर न कोई मन्त्र असर करता है और न ही कोई दवा असर करती है
(ख) ईश्वर के वियोग में मनुष्य जीवित नहीं रह सकता
(ग) ईश्वर के वियोग में मनुष्य जीवित नहीं रह सकता और यदि वह जीवित रहता भी है तो उसकी स्थिति पागलों जैसी हो जाती है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

 

6)
निंदक नेड़ा राखिये , आँगणि कुटी बँधाइ।
बिन साबण पाँणीं बिना , निरमल करै सुभाइ।।

 

Q1. यह पद्यांश किसके द्वारा निर्मित है ?
(क) बिहारी जी द्वारा
(ख) कबीर जी द्वारा
(ग) मीराबाई द्वारा
(घ) महादेवी वर्मा द्वारा
उत्तर – (ख) कबीर जी द्वारा

Q2. कबीर जी किसे नजदीक रखने के लिए कहा है –
(क) ज्ञान
(ख) साबुन
(ग) निंदक
(घ) पानी
उत्तर – (ग) निंदक

Q3. निंदक को नजदीक रखने का क्या लाभ बताया गया है ?
(क) मोह – माया दूर हो जाती है
(ख) स्वभाव निर्मल हो जाता है
(ग) क्रोध नहीं आता
(घ) अहंकार का नाश होता है
उत्तर – (ख) स्वभाव निर्मल हो जाता है

Q4. ‘ बिन साबण पाँणीं बिना , निरमल करै सुभाइ ‘ से आशय है ?
(क) हमें हमेशा निंदा करने वाले व्यक्तिओं को अपने निकट रखना चाहिए
(ख) हो सके तो निंदा करने वाले व्यक्तिओं के लिए अपने आँगन में ही घर बनवा लेना चाहिए अर्थात हमेशा अपने आस पास ही रखना चाहिए
(ग) निंदा करने वाले व्यक्तिओं को अपने निकट रखने से हमारा स्वभाव बिना साबुन और पानी की मदद के ही साफ़ हो जाता है
(घ) इन में से कोई नहीं
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) हमें हमेशा निंदा करने वाले व्यक्तिओं को अपने निकट रखना चाहिए
(ख) ताकि हम उनके द्वारा बताई गई हमारी गलतिओं को सुधर सकें
(ग) इससे हमारा स्वभाव बिना साबुन और पानी की मदद के ही साफ़ हो जायेगा
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

 

7)
पोथी पढ़ि – पढ़ि जग मुवा , पंडित भया न कोइ।
ऐकै अषिर पीव का , पढ़ै सु पंडित होइ।

Q1. ‘ पोथी पढ़ि – पढ़ि जग मुवा ‘ से आशय है ?
(क) किताबें पढ़ – पढ़ कर कई लोग मर गए
(ख) केवल किताबें पढ़ लेने से कुछ ज्ञान नहीं मिल सकता
(ग) किताबों को पढ़ना ज्ञान को मारना है
(घ) किताबें पढ़ – पढ़ कर संसार मर गया
उत्तर – (ख) केवल किताबें पढ़ लेने से कुछ ज्ञान नहीं मिल सकता

Q2. ‘ पोथी पढ़ि – पढ़ि ‘ में कौन सा अलंकार है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) रूपक अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) पुनरुक्ति अलंकार
उत्तर – (क) अनुप्रास अलंकार

Q3. इस पद में किस पर व्यंग्य किया गया है ?
(क) प्रेम पर
(ख) संसार पर
(ग) किताबों पर
(घ) ज्ञानी वर्ग पर
उत्तर – (घ) ज्ञानी वर्ग पर

Q4. इस साखी में सच्चा ज्ञानी किसे बताया गया है ?
(क) सांसारिक लोगो को
(ख) किताबें पढ़ने वालों को
(ग) परमात्मा को जानने वाले को
(घ) प्रेम करने वालों को
उत्तर – (ग) परमात्मा को जानने वाले को

Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) इस संसार में मोटी – मोटी पुस्तकें (किताबें) पढ़ कर कई मनुष्य मर गए परन्तु कोई भी मनुष्य पंडित (ज्ञानी) नहीं बन सका
(ख) अब कबीर जी के हाथों में जलती हुई मशाल (लकड़ी) है यानि ज्ञान है
(ग) यदि किसी व्यक्ति ने ईश्वर प्रेम का एक भी अक्षर पढ़ लिया होता तो वह पंडित बन जाता
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) और (ग)

 

8)
हम घर जाल्या आपणाँ , लिया मुराड़ा हाथि।
अब घर जालौं तास का , जे चलै हमारे साथि।।

Q1. ‘ हम घर जाल्या आपणाँ ‘ से आशय है ?
(क) अपने घर में आग लगाना
(ख) अपने अंदर से मोह – माया का त्याग करना
(ग) अपने ही हाथों अपने को कष्ट पहुँचाना
(घ) अपने किसी ख़ास का घर जलाना
उत्तर – (ख) अपने अंदर से मोह – माया का त्याग करना

Q2. ‘ मुराड़ा ‘ से क्या तात्पर्य है –
(क) ज्ञान
(ख) जलती हुई मशाल
(ग) लकड़ी
(घ) कुल्हाड़ा
उत्तर – (क) ज्ञान

Q3. कबीर जी अपने साथ चलने वालों के साथ क्या करना चाहते हैं ?
(क) उनके मोह – माया रूपी घर को जला कर ज्ञान प्राप्त करवाना चाहते हैं
(ख) उनका घर जलाना चाहते हैं
(ग) उन्हें ज्ञान देना चाहते हैं
(घ) उनके अहंकार का नाश करना चाहते हैं
उत्तर – (क) उनके मोह – माया रूपी घर को जला कर ज्ञान प्राप्त करवाना चाहते हैं

Q4. ‘ अब घर जालौं तास का ‘ से आशय है ?
(क) ताश का घर जलाना है
(ख) अब दूसरों का घर जलाना है
(ग) उसे भी मोह – माया से मुक्त होना होगा जो ज्ञान प्राप्त करना चाहता है
(घ) हर व्यक्ति को मोह – माया का त्याग करना चाहिए
उत्तर – (ग) उसे भी मोह – माया से मुक्त होना होगा जो ज्ञान प्राप्त करना चाहता है

Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) कबीर जी ने मोह -माया रूपी घर को जला कर ज्ञान प्राप्त कर लिया है
(ख) अब कबीर जी के हाथों में जलती हुई मशाल (लकड़ी) है यानि ज्ञान है
(ग) अब कबीर जी उसका घर जलाएंगे जो उनके साथ चलना चाहता है अर्थात उसे भी मोह – माया से मुक्त होना होगा जो ज्ञान प्राप्त करना चाहता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

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Class 10 Hindi साखी प्रश्न और उत्तर (including questions from Previous Years Question Papers)

In this post we are also providing important questions for CBSE Class 10 Boards in the coming session. These questions have been taken from previous years class 10 Board exams and the year is mentioned in the bracket along with the question.

Q1. ” साखी ” पाठ का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – कबीर जी ने अपनी साखियों में ईश्वर प्रेम के महत्त्व को प्रस्तुत किया हैं। कबीर जी सभी को मीठी भाषा का प्रयोग करने की सलाह देते हैं ताकि दूसरों को भी सुख और मीठी भाषा का प्रयोग करने वाले तन को भी शीतलता प्राप्त हो। क्योंकि जब हम दूसरों के साथ मीठी भाषा का उपयोग करते हैं तो उन्हें आपसे कोई शिकायत नहीं रहेगी। वे सुख का अनुभव करेंगे और जब आपका मन शुद्ध और साफ़ होगा परिणामस्वरूप आपका तन भी शीतल रहेगा। कबीर जी ईश्वर को मंदिरों और तीर्थों में ढूंढ़ने के बजाए अपने मन में ढूंढ़ने की सलाह देते हैं। अपनी साखी में कबीर जी ने अहंकार और ईश्वर को एक दूसरे के बिलकुल विपरीत अर्थात उल्टा बताया है। और कहा है कि जहाँ अहंकार होता है वहाँ ईश्वर नहीं होते और जहाँ ईश्वर होते हैं वहाँ अहंकार नहीं होता। कबीर जी अपने आप को संसार के लोगो से अलग बताते है और इसका कारण वे प्रभु को पाने की आशा बतलाते है। कबीर जी कहते हैं कि ईश्वर के वियोग में कोई व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता और अगर कोई जीवित रहता भी है तो उसकी स्थिति पागलों जैसी हो जाती है। कबीर जी निंदा करने वालों को हमारे स्वभाव परिवर्तन में मुख्य मानते हैं। और कहते हैं कि अगर हमें अपने स्वभाव को बदलना है तो निंदा करने वालों को हमेशा अपने आस – पास ही रखना चाहिए। कबीर जी ईश्वर प्रेम के अक्षर को पढने वाले व्यक्ति को पंडित बताते हैं और बताते हैं कि यदि हमें ज्ञान प्राप्त करना है तो हमें मोह – माया का त्याग करना पड़ेगा।

Q2. कबीर जी की साखियाँ जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। प्रस्तुत पाठ में दी गई कबीर जी की साखियों से जिन जीवन – मूल्यों की झलक मिलती है , उनका उल्लेख कीजिए।
अथवा
कबीरदास की साखियों के मुख्य उद्देश्य स्पष्ट कीजिए। (CBSE 2016, 2010)
उत्तर – कबीर जी की साखियाँ कबीर जी के अनुभवों और गहनता से खोजे गए सत्य पर आधारित हैं। उनकी हर साखी मनुष्य को कोई न कोई सीख देती हुई प्रतीत होती है। इन साखियों में हमें कई जीवन – मूल्यों की झलक मिलती है ; जैसे –
(क) मनुष्य को सदैव ऐसी वाणी बोलना चाहिए जिससे बोलने और सुनने वाले दोनों को ही सुख और शीतलता मिले।
(ख) मनुष्य को अहंकार का त्याग कर देना चाहिए।
(ग) अपने आलोचकों को अपने आसपास ही जगह देनी चाहिए ताकि व्यक्ति का स्वभाव परिष्कृत हो सके।
(घ) ईश्वर प्राप्ति के लिए मनुष्य को उचित प्रयास करना चाहिए जिसके लिए यह समझना आवश्यक है कि उसका वास कण – कण में है।
(ङ) ज्ञान प्राप्ति के लिए मोह – माया का त्याग आवश्यक है।

Q3. निंदक किसे कहा गया है ? वह व्यक्ति के स्वभाव का परिष्करण किस तरह करता है ?
अथवा
कबीर निंदक को अपने निकट रखने का परामर्श क्यों देते हैं ? (CBSE 2019)
उत्तर – कबीर जी के अनुसार निंदक वह व्यक्ति है जो अपने आसपास रहने वालों की स्वाभाविक कमियों को अनदेखा नहीं करता है। वह उन कमियों की ओर व्यक्ति का ध्यान बार – बार आकर्षित कराता है। उसकी इस आलोचना से व्यक्ति गलतियों और अपनी कमियों के प्रति सजग हो जाता है। वह उन्हें दूर करने या भगाने का प्रयास करता है और सुधार के लिए उन्मुख हो जाता है। आत्मसुधार की भावना पनपते ही व्यक्ति धीरे – धीरे अपने दुर्गुणों और कमियों से मुक्ति पा जाता है। ऐसा करने में व्यक्ति को कुछ खर्च भी नहीं करना पड़ता और उसका स्वभाव भी निर्मल हो जाता है। इस तरह निंदक अपने आसपास रहने वालों के स्वभाव का परिष्करण करता है।

Q4. ‘ मन का आपा खोइ ‘ से कबीर जी क्या कहना चाहते हैं ? इससे क्या लाभ है ?
अथवा
मन का आपा खोने का आशय बताइए। (CBSE 2015)
उत्तर – प्रत्येक मनुष्य की इच्छा होती है कि वह सांसारिक सुखों का अधिक से अधिक उपयोग करे। इन सुखों की प्राप्ति के लिए वह धन और बल का स्वामी भी बनना चाहता है। इसी कारण मनुष्य के मन में आपा अर्थात अहंकार उत्पन्न हो जाता है। ‘ मन का आपा खोइ ‘ में कबीर जी इसी अहंकार का त्याग कर ऐसी भाषा का प्रयोग करने को कह रहे हैं , जिसमें हमारा अपना तन मन भी सवस्थ रहे और दूसरों को भी कोई कष्ट न हो अर्थात दूसरों को भी सुख प्राप्त हो। क्योंकि जब हम मीठी वाणी का प्रयोग करते हैं तब मन का अहंकार समाप्त हो जाता है। इससे हमारे तन को तो शीतलता प्रदान होती ही है तथा सुनने वालों को भी सुख की तथा प्रसन्नता की अनुभूति होती है इसलिए सदा दूसरों को सुख पहुँचाने वाली व अपने को भी शीतलता प्रदान करने वाली मीठी वाणी बोलनी चाहिए और अहंकार का त्याग करना चाहिए।

Q5. ‘ ऐसैं घटि घटि राँम है ’ के माध्यम से कबीर जी मनुष्य को संसार के किस सत्य से परिचित कराना चाहते हैं और ईश्वर हर प्राणी में है , यह समझाने के लिए कबीर जी ने क्या उदहारण प्रस्तुत किया है ?
उत्तर – ‘ ऐसैं घटि घटि राँम है ’ के माध्यम से कबीर जी मनुष्य को संसार के उस सत्य से परिचित कराना चाहते हैं जिससे मनुष्य आजीवन अनजान रहता है। मनुष्य ईश्वर को पाने के लिए देवालय , तीर्थ – स्थान , गुफा – कंदराओं जैसे दुर्गम स्थानों पर खोज करता रहता है , परन्तु वह ईश्वर को कहीं ढूँढ नहीं पता , क्योंकि वह ईश्वर को अपने मन में नहीं खोजता , जहाँ ईश्वर का सच्चा वास है। इसीलिए कबीर जी ने कहा है ‘ ऐसैं घटि घटि राँम है ’ अर्थात ईश्वर तो घट – घट पर , हर प्राणी में यहाँ तक कि संसार के कण – कण में व्याप्त है।
कबीर जी हिरण का उदहारण दे कर समझाते हैं कि जिस प्रकार एक हिरण कस्तूरी की खुशबु को जंगल में ढूंढ़ता फिरता है , जबकि वह सुगंध उसी की नाभि में विद्यमान होती है परन्तु वह इस बात से बेखबर होता है , उसी प्रकार संसार के कण कण में ईश्वर विद्यमान है और मनुष्य इस बात से बेखबर ईश्वर को देवालयों और तीर्थों में ढूंढ़ता है। कबीर जी कहते है कि अगर ईश्वर को ढूंढ़ना ही है तो अपने मन में ढूंढो।

Q6. ‘ सब अँधियारा मिटि गया ’ यहाँ किस अँधियारे की ओर संकेत किया गया है और इस अँधियारे को दूर करने का क्या उपाय है ?
उत्तर – ‘ सब अँधियारा मिटि गया ’ के माध्यम से मनुष्य के मन में समाए अहंकार, अज्ञान, भय जैसे अँधियारे की ओर संकेत किया गया है जिसके कारण मनुष्य सांसारिक सुखों में डूबा जाता है और ईश्वर को नहीं पहचान पाता है। कबीर जी कहते हैं कि जब उनके हृदय में ‘ मैं ‘ अर्थात उनका अहंकार था तब उनके हृदय में परमेश्वर का वास नहीं था परन्तु अब हृदय में अहंकार नहीं है तो इसमें प्रभु का वास है। कहने का तात्पर्य यह है कि अहंकार जब तक आपके अंदर विद्यमान है आप परमेश्वर को प्राप्त नहीं कर सकते। जब परमेश्वर नमक दीपक के दर्शन आपको होंगे तो अज्ञान रूपी अहंकार का विनाश हो जाएगा। यह जो अँधियारा अर्थात अहंकार है यह प्रकाशपुंज ईश्वर रूपी दीपक को मन में जलाने से उसी तरह मिट सकता है जैसे दीपक जलाने से अँधेरा समाप्त हो जाता है।

Q7. राम वियोगी की दशा को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – राम का वियोग झेल रहे व्यक्ति की दशा दयनीय हो जाती है। जब मनुष्य के मन में अपनों के बिछड़ने का गम सांप बन कर लोटने लगता है तो उस पर न कोई मन्त्र असर करता है और न ही कोई दवा असर करती है। कोई किसी भी तरह का उपाय क्यों न कर लें , उस वियोग से पीड़ित व्यक्ति की दशा में कोई सुधार नहीं ला सकता। उसी तरह राम अर्थात ईश्वर के वियोग में पड़ा मनुष्य जीवित नहीं रह सकता और यदि वह जीवित रहता भी है तो उसकी स्थिति पागलों जैसी हो जाती है। कोई मंत्र या उपाय उसे ठीक नहीं कर पाता है। वह इस दुःख की अधिकता को सह नहीं पाता है और अपने प्राणों से हाथ धो बैठता है। वह राम से मिलकर अर्थात प्रभु दर्शन से ही स्वस्थ हो सकता है। इससे बढ़ कर कोई और उसके वियोग का इलाज नहीं है।

Q8. ‘ हम घर जाल्या आपणाँ ‘ से कबीर जी का क्या तात्पर्य है ? इससे क्या सीख देने का प्रयास किया गया है ?
उत्तर – ‘ हम घर जाल्या आपणाँ ‘ से कबीर जी यह कहना चाहते हैं कि उन्होंने अपने हाथों से अपना घर जला दिया है अर्थात उन्होंने मोह – माया रूपी घर को जला कर ज्ञान प्राप्त कर लिया है। अब उनके हाथों में जलती हुई मशाल (लकड़ी) है यानि ज्ञान है। अब वे उसका घर जलाएंगे जो उनके साथ चलना चाहता है अर्थात उसे भी मोह – माया से मुक्त होना होगा जो ज्ञान प्राप्त करना चाहता है। कबीर जी मोह – माया का त्याग करने की सीख दे रहे हैं और साथ – ही – साथ यह भी बतला रहे हैं कि जब तक मोह – माया का त्याग नहीं करोगे तब तक किसी भी प्रकार का ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता। कबीर जी स्वयं तो मोह – माया का त्याग कर ज्ञान प्राप्त कर चुके हैं अब वे उनके मार्ग पर चलने वालों अर्थात मोह – माया का त्याग करने वालों की मदद करना चाहते हैं , जो ज्ञान प्राप्त करने की चाह रखते हैं।

Q9. कबीर और मीरा की भक्ति की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। (CBSE 2022)
उत्तर – कबीर दास भक्ति काल के निर्गुण काव्यधारा के प्रमुख कवियों में से एक है उन्होंने राम को निर्गुण रूप में स्वीकार किया है तथा वह निर्गुण की उपासना का संदेश देते हैं उनकी राम भावना ब्रह्म भावना से सर्वथा मिलती है। कबीर पहले भक्त हैं फिर कवि है। उन्होंने जाति-पाती, काम-धाम, चमक-दमक, दिखावा,पहनावा, अंधविश्वास, मूर्तिपूजा, हिंसा, माया, छुआछूत, आदि पर विद्रोह भावना प्रकट की हैं। इन सब से दूर होकर भक्ति की भावना में लीन होने के लिए कबीरदास जी कहते हैंl
मीरा का काव्य जहाँ एक तरफ कृष्ण-भक्ति में एकनिष्ठ होकर अपनी मुक्ति का मार्ग खोजने का आख्यान है वहीं दूसरी तरफ एक नारी के शाश्वत दुःखों का गायन भी है। मीरा के काव्य में काव्यशास्त्रों में वर्णित सिद्धान्तों का निदर्शन बहुत कम प्राप्त होता है, क्योंकि इनके काव्य में भाव-प्रवणत्ता प्रधान है और शिल्प द्वितीयक है। ऐसा भी नहीं है कि शिल्प का बिल्कुल अभाव हो, परन्तु कलात्मक तत्त्वों से अधिक भावात्मक तत्त्वों का ध्यान रखने के कारण इनका काव्य शिल्प-प्रधान नहीं है।

Q10. कबीर के अनुसार व्यक्ति अपने स्वभाव को निर्मल कैसे रख सकता है?​ (CBSE 2020)
उत्तर – कबिर मानते है की अगर हमें अपने स्वभाव को निर्मल रखना है तो हमे अपने आस पास निंदक यानी की निंदा करने वालो को रखना चाहिए जिससे की वो हमारे गलतियों को बता सके और हम उन्हे सुधार करने का प्रयास करे। उनके द्वारा की गई निंदा को अगर हम हमारी गलतियाँ समझ कर उन्हें दूर करें तो हम अपने आप को निर्मल कर सकते हैं।

Q11. कबीर के दोहों की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए। (CBSE 2018)
उतर – कबीर के दोहों की शिक्षा प्रत्येक काल में सार्थक सिद्ध हुई हैं। मिठ्ठी वाणी का प्रयोग, आपसी विश्वास , ईश्वर का प्रत्येक मन में विश्वास , अहंकार को समाप्त करने का सन्देश , झूठे पाखंडों का विरोध , ईश्वर एक व् सभी मनुष्य समान , निंदकों को समीप रखने का परामर्श इत्यादि सीख कबीर द्वारा समाज को दी गई हैं। कबीर के दोहों द्वारा दिए गए ऐसे मूल्यों द्वारा स्वस्थ समाज एवम समाज का विकास संभव है।

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