JKBOSE Class 10 Hindi Meaning of Difficult Words from all Chapters of Bhaskar Bhag 2 Book
JKBOSE Class 10 Hindi Word Meanings – Here, the difficult words and their meanings of all the chapters of JKBOSE Class 10 Hindi Bhaskar Bhag 2 Book have been compiled for the convenience of the students. This is an exhaustive list of the words and meanings of all the Prose and Poetry from the Bhaskar Bhag 2 Book of JKBOSE Class 10 Hindi. The difficult words’ meanings have been explained lucidly so that every student can understand them.
यहाँ, छात्रों की सुविधा के लिए जम्मू और कश्मीर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड कक्षा 10 हिंदी भास्कर भाग 2 पुस्तक के सभी अध्यायों के कठिन शब्दों और उनके अर्थों को संकलित किया गया है। यह जम्मू और कश्मीर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड कक्षा 10 हिंदी की भास्कर भाग 2 पुस्तक के सभी गद्य और काव्य के शब्दों और अर्थों की एक विस्तृत सूची है। कठिन शब्दों के अर्थों को स्पष्ट रूप से समझाया गया है ताकि प्रत्येक छात्र उन्हें समझ सके।
- Chapter 1 – Saakhi (साखी)
- Chapter 2 – Bihari Ke Dohe (बिहारी के दोहे)
- Chapter 3 – Jammu-Kashmir va Ladakh Mein Hindi (जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में हिंदी)
- Chapter 4 – Hamara Pyara Bharat Varsh (हमारा प्यारा भारत वर्ष)
- Chapter 5 – Shakti ki Mahima (शक्ति की महिमा)
- Chapter 6 – Kaikeyi ka Anutap (कैकेयी का अनुताप)
- Chapter 7 – Parvat Pradesh Mein Pavas (पर्वत प्रदेश में पावस)
- Chapter 8 – Madhur Madhur Mere Deepak Jal (मधुर मधुर मेरे दीपक जल)
- Chapter 9 – Sapno Ke Se Din (सपनों के-से दिन)
- Chapter 10 – Kashmir Ka Loknatak “Bhand-Pathar” (कश्मीर का लोकनाटक “बाँड – पाऽथर”)
- Chapter 11 – Manavata (मानवता)
- Chapter 12 – Jammu ki Chitrakala (जम्मू की चित्रकला)
- Chapter 13 – Hindi Jan Ki Boli (हिंदी जन की बोली)
- Chapter 14 – Bhikshuk (भिक्षुक)
- Chapter 15 – Bade Bhai Sahab (बड़े भाई साहब)
- Chapter 16 – Harihar Kaka (हरिहर काका)
Chapter 1 – Saakhi (साखी)
- बाँणी – बोली
- आपा – अहम् (अहंकार )
- खोइ – त्याग करना
- सीतल – शीतल ( ठंडा ,अच्छा )
- औरन – दूसरों को
- होइ – होना
- कुंडली – नाभि
- मृग – हिरण
- घटि घटि – कण कण
- मैं – अहम् ( अहंकार )
- हरि – परमेश्वर
- अँधियारा – अंधकार
- सुखिया – सुखी
- अरु – अज्ञान रूपी अंधकार
- सोवै – सोये हुए
- दुखिया – दुःखी
- रोवै – रो रहे
- बिरह – बिछड़ने का गम
- भुवंगम – भुजंग , सांप
- बौरा – पागल
- निंदक – निंदा करने वाला
- नेड़ा – निकट
- आँगणि – आँगन
- साबण – साबुन
- निरमल – साफ़
- सुभाइ – स्वभाव
- पोथी – पुस्तक
- मुवा – मरना
- भया – बनना
- अषिर – अक्षर
- पीव – प्रिय
- जाल्या – जलाया
- आपणाँ – अपना
- मुराड़ा – जलती हुई लकड़ी , ज्ञान
- जालौं – जलाऊं
- तास का – उसका
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Chapter 2 – Bihari Ke Dohe (बिहारी के दोहे)
- सोहत – अच्छा लगना
- ओढ़ैं – ओढ़ कर
- पितु – पीला
- पटु – कपड़ा
- गात – शरीर
- नीलमनि -सैल — नीलमणि का पर्वत
- आतपु – धूप
- प्रभात- सुबह
- अहि – साँप
- एकत – इकठ्ठे
- बसत – रहते हैं
- मृग – हिरण
- तपोबन – वह वन जहाँ तपस्वी रहते हैं
- दीरघ – दाघ — भयंकर गर्मी
- निदाघ – ग्रीष्म
- बतरस – बातचीत का आनंद
- लाल – श्री कृष्ण
- मुरली – बाँसुरी
- लुकाइ – छुपाना
- सौंह – शपथ
- भौंहनु – भौंह से
- नटि जाइ – मना कर देना
- कहत – कहना ,बात करना
- नटत – इंकार करना
- रीझत – मोहित होना
- खीझत – बनावटी गुस्सा करना
- मिलत – मिलना
- खिलत – प्रसन्न होना
- लजियात – शर्माना
- भौन – भवन
- नैननु – नेत्रों से
- सघन – घना
- बन – जंगल
- पैठि – घुसना
- सदन-तन — भवन में
- जेठ – जून का महीना
- छाँहौं – छाया भी
- कागद – कागज़
- लिखत न बनत – लिखा नहीं जाता
- सँदेसु – सन्देश
- लजात – लज्जा आना
- कहिहै – कह देगा
- हिय – ह्रदय
- द्विजराज – 1 ) चन्द्रमा 2 )ब्राह्मण
- सुबस – अपनी इच्छा से
- केसव – श्री कृष्ण
- केसवराइ – बिहारी कवि के पिता
- जपमाला – जपने की माला
- छापैं – छापा
- सरै – पूरा होना
- मन काँचै – कच्चा मन ,बिना सच्ची भक्ति वाला
- नाचै – नाचना
- बृथा – बेकार में
- सांचै – सच्ची भक्ति वाला
- रांचै – प्रसन्न होना
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Chapter 3 – Jammu-Kashmir va Ladakh Mein Hindi (जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में हिंदी)
- मूलतः- मूल रूप से, प्रारंभ से
- अहिंदीतर प्रदेश- ऐसा क्षेत्र जहाँ हिंदी मातृभाषा नहीं है
- अभिप्राय – अर्थ, मतलब
- मातृभाषा- जन्म से बोली जाने वाली भाषा
- प्रयोग- इस्तेमाल
- व्यवहार में लाना– उपयोग करना
- बोलियाँ- किसी भाषा की उपशाखाएँ, क्षेत्रीय भाषाएँ
- पर्याप्त – जितना चाहिए उतना
- व्यावहारिक– व्यवहार से संबंधित, रोज़मर्रा में उपयोगी
- साहित्यिक- साहित्य से संबंधित
- प्रायः- अधिकतर
- परिचित– जानकार
- प्राचीन काल- बहुत पुराना समय
- सामाजिक– समाज से संबंधित
- आर्थिक– धन और व्यापार से संबंधित
- सांस्कृतिक– संस्कृति से संबंधित
- पर्यटन – भ्रमण, सैर-सपाटा
- बौद्धिक- ज्ञान और सोच से संबंधित
- आदान-प्रदान– एक-दूसरे से लेना और देना
- प्रवाह- आना-जाना, आवागमन
- आगमन– प्रवेश, आना
- वैदिक– वेदों से संबंधित
- तत्सम शब्द– संस्कृत से सीधे लिए गए शब्द
- तद्भव शब्द- संस्कृत से विकसित हुए सरल शब्द
- तीर्थ यात्री– धार्मिक यात्रा करने वाले लोग
- आकर्षण का केंद्र– ध्यान आकर्षित करने वाली जगह
- आदान-प्रदान– एक-दूसरे से लेना-देना
- जड़ें पकड़ना- स्थायी रूप से स्थापित हो जाना
- प्रवास– दूसरे देश में रहना
- ब्रजभाषा- हिंदी की एक प्राचीन क्षेत्रीय बोली
- भक्त-कवि– भक्ति भाव से लिखने वाले कवि
- दोहा– भक्ति या कविता का विशेष छंद
- पर्यटक – यात्री, भ्रमण करने वाला
- योगदान– सहयोग
- सुगम- सरल, आसानी से समझ में आने वाला
- गेय– गाया जा सकने योग्य
- लोकप्रिय- जिसे लोग पसंद करें
- संस्कार– परंपरा
- सज्जन– भले, अच्छे, शिष्ट व्यक्ति
- प्रेरित करना- उत्साहित या उत्सुक करना
- रोज़ी-रोटी– जीविका, आजीविका का साधन
- शीतकाल- सर्दियों का मौसम
- शताब्दियों पूर्व- कई सौ वर्षों पहले
- भारोपीय – भारतीय और यूरोपीय भाषाओं का समूह
- कन्नड परिवार– द्रविड़ भाषाओं से संबंधित भाषा समूह
- चीनी परिवार– चीन और आसपास के देशों की भाषाओं का समूह [लद्दाख में बोली जाने वाली मुख्य भाषा लद्दाखी का संबंध भाषाओं के एक अन्य परिवार से है। इसे चीनी परिवार कहते हैं। इसकी एक शाखा तिब्बती-बर्मी है। लद्दाखी इसी शाखा के अंतर्गत आती है।]
- भारतीय आर्य शाखा- भारोपीय भाषा परिवार की वह शाखा जिसमें हिंदी, संस्कृत, कश्मीरी आदि भाषाएँ आती हैं
- परिवारगत समीपता– एक ही भाषा परिवार से होने के कारण समानता
- ध्वनि– आवाज़
- पराई भाषा- जो अपनी न होकर दूसरी हो
- शताब्दी – सदी, सौ वर्षों का समय
- यद्यपि- हालाँकि, भले ही
- मध्यकालीन- बीच का समय (लगभग 8वीं से 18वीं सदी तक का समय) से संबंधित
- भक्ति-आंदोलन- ईश्वर की भक्ति पर आधारित साहित्यिक और धार्मिक आंदोलन
- प्रभावित– असर डालना
- स्वाभाविक– जो सहज रूप से हो
- भक्तिपरक– भक्ति से संबंधित
- कवयित्री- स्त्री कवि
- अंश- भाग, हिस्सा
- विचित्र मिश्रण- अनोखा या अलग-अलग चीज़ों का मेल
- भाखा- मिलीजुली भाषा (ब्रज, खड़ीबोली, पंजाबी, कश्मीरी आदि का मिश्रण)
- योग- मेल, जोड़
- प्रबंध ग्रंथ- कथा-काव्य पर आधारित विस्तृत साहित्यिक रचना
- आधार- मूल विषय
- पर्व- महाकाव्य में विशेष अध्याय या खंड
- स्तोत्र- ईश्वर की प्रशंसा में लिखा गया गीत या पाठ
- वंशज- वंश में आगे जन्मा व्यक्ति, संतान
- अनुवाद- एक भाषा से दूसरी भाषा में परिवर्तन
- उन्नीसवीं शताब्दी- सन् 1801 से 1900 तक का समय
- महाकाव्य- बहुत बड़ा काव्य ग्रंथ जिसमें किसी महान कथा का वर्णन हो, विशाल काव्य
- साहित्यिक योग्यता- साहित्य सृजन की क्षमता और गुणवत्ता
- छंद– कविता में प्रयुक्त लयबद्ध रचनात्मक संरचना
- दोहा, चौपाई, सोरठा– हिंदी कविता के पारंपरिक छंद
- कालांतर में– कुछ समय बाद, आगे चलकर
- ओतप्रोत- पूरी तरह से भरा हुआ, सराबोर
- भक्ति उद्गार– भक्ति भावना से उत्पन्न विचार या भावनाएँ
- वाणी देना- शब्दों में व्यक्त करना
- संरक्षण – देखरेख
- पाक्षिक– हर पंद्रह दिन में एक बार प्रकाशित होने वाला
- पद्य- छंदबद्ध कविता
- आधारित– जिस पर किसी बात का आधार हो
- शोकगीत (मरसिया)- किसी की मृत्यु पर दुःख प्रकट करने वाला गीत
- संस्थापना– स्थापना, आरंभ करना
- पाठ्यक्रम– शिक्षा की निर्धारित विषय-सूची
- उत्तराधिकारी- वारिस, जो किसी के मरने के बाद उसकी सम्पत्ति का मालिक हो
- न्यायालय– अदालत, कोर्ट
- जड़ें जमाना– स्थायी रूप से स्थापित हो जाना
- बीसवीं शताब्दी- सन् 1901 से 2000 तक का समय
- दशक– दस वर्षों की अवधि
- भक्तिपूर्ण– भक्ति से भरा हुआ
- प्रवाह- निरंतरता, क्रम
- रहस्यवादी संत कवि– अध्यात्म और रहस्य पर आधारित भावों को व्यक्त करने वाला संत और कवि
- प्रकाशित कराईं– छपवाया, सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया
- मानव-मूल्य- इंसानियत से जुड़े सिद्धांत जैसे – सच्चाई, करुणा, नैतिकता आदि
- गहरा विश्वास– दृढ़ आस्था, पूरी तरह से मानना
- विधिवत– औपचारिक रूप से, क्रमबद्ध रूप से
- भक्तिरस- भक्ति से ओतप्रोत भावना या रस
- प्रकाश में आई– प्रकाशित हुई, सामने आई
- सम्मिलित- शामिल,जोड़ा गया
- तत्कालीन- उस समय का, उस समय के अनुसार
- शिक्षा निदेशक– शिक्षा विभाग का उच्च अधिकारी
- सरल उर्दू- आम बोलचाल की उर्दू
- फ़ारसी लिपि- फारसी भाषा में लिखने की पद्धति
- देवनागरी लिपि– हिंदी, संस्कृत आदि की लेखन पद्धति
- शिक्षा का माध्यम- पढ़ाई-लिखाई की भाषा या तरीका
- घोषित कर दिया- आधिकारिक रूप से घोषित किया
- प्रचार-प्रसार- फैलाव, विस्तार
- स्वतंत्र संगठन– निजी या गैर-सरकारी संस्था
- स्वतंत्रता से पहले– भारत की आज़ादी (1947) से पहले
- आर्यसमाज, सनातन धर्म सभा– धार्मिक-सामाजिक सुधार संगठन
- हिंदी परिषद, हिंदी साहित्य सम्मेलन– हिंदी भाषा व साहित्य को बढ़ावा देने वाले संगठन
- माध्यम- माध्यम, ज़रिया
- शिक्षा संस्थान– विद्यालय, कॉलेज आदि
- पत्रिकाएँ– नियमित रूप से प्रकाशित साहित्यिक या समाचार पत्र
- विद्यापीठ– शिक्षा केंद्र, शिक्षण संस्थान
- प्रारंभिक- शुरुआती
- प्रशंसनीय- सराहनीय, तारीफ़ के योग्य
- साहित्यकार- लेखक, कवि, साहित्य रचने वाला व्यक्ति
- प्रकाश में लाना– सामने लाना, उजागर करना
- विकास व विस्तार- उन्नति और फैलाव
- युवा हिंदी लेखक संघ (युहिले)– हिंदी लेखन को बढ़ावा देने वाला युवा संगठन
- द्रुतगति– तेज़ गति से
- राजकीय भाषा– सरकार द्वारा स्वीकृत भाषा
- संरक्षण– देखरेख
- राष्ट्रभाषा– पूरे देश में लोकप्रिय और सामान्यत: बोली जाने वाली भाषा
- पाठ्यक्रम- शिक्षा में पढ़ाए जाने वाले विषयों की सूची
- महाविद्यालय– कॉलेज
- अनुभाग- वर्ग, उप विभाग
- रचनाएँ- साहित्यिक लेखन (कविता, कहानी, लेख आदि)
- विशेष रूप से उल्लेखनीय– ख़ास तौर पर ध्यान देने योग्य
- प्रवेश- दाखिला/एडमिशन लेना
- एम.ए., एम.फिल., पी.एच.डी.- उच्च शिक्षा की डिग्रियाँ
- शोधप्रबंध– खोज ग्रंथ
- केंद्रीय कार्यालय– भारत सरकार के विभाग
- आंशिक रूप से– कुछ हद तक / पूरी तरह नहीं
- काम-काज– सरकारी कार्य
- हिंदी का वातावरण– हिंदी के उपयोग और रुचि का माहौल
- सृजन – रचना, बनाना
- प्रमाण- सबूत
- साहित्यकार- लेखक, कवि, रचनाकार
- वर्ग- समूह
- रचनाएँ- साहित्यिक लेखन (जैसे – कविता, कहानी, उपन्यास आदि)
- लेखन के फलस्वरूप– लेखन के परिणामस्वरूप
- विधाएँ- प्रकार, श्रेणियाँ (जैसे कविता, नाटक, उपन्यास आदि)
- आलोचना– समीक्षा करना, रचनात्मक विवेचना
- संवेदना- भावना, संवेदनशील सोच
- प्रभावित- असर में आना, प्रेरित होना
- असंगत – बेमेल
- तेज़ गति से- बहुत तेजी से, जल्दी-जल्दी
- चलचित्र- फिल्म, सिनेमा
- चाव से- रुचि के साथ, उत्साहपूर्वक
- सक्रिय- काम में लगे हुए, कार्यशील
- समाचार पत्र– अख़बार
- उज्ज्वल भविष्य– अच्छा और आशावादी आने वाला समय
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Chapter 4 – Hamara Pyara Bharat Varsh (हमारा प्यारा भारत वर्ष)
- उपहार – भेंट
- अभिनंदन – स्वागत
- हीरक हार – हीरों का हार (अर्थात प्रातः की चमकती ओस)
- आलोक – प्रकाश
- व्योम-तम-पुंज – आकाश पर अंधेरे का जमघट
- अखिल – संपूर्ण
- संसृति – सृष्टि, संसार
- अशोक – शोक हीन
- भिक्षुक होकर… – सम्राट अशोक बौद्ध बने थे
- यवन – यूनान (ग्रीस नामक देश )
- स्वर्ण – सोना
- रत्न – आभूषण
- शील – नैतिकता
- सिंहल – श्रीलंका
- छीना – जोर जबरदस्ती किसी की वस्तु हथियाना
- पालना – परवरिश करना, देख-भाल करना
- उत्थान – उन्नति
- पतन – बर्बादी
- आँधियाँ – तूफान
- झड़ी – लगातार होने वाली वर्षा
- प्रचंड – भंयकर, भीषण
- समीरन -हवा
- झेला – सामना करना
- प्रलय – भीषण विपत्ति या विनाश का समय
- चरित – अच्छे चरित्र वाला
- पूत – बेटा, पुत्र
- नम्रता – सम्मान के साथ, विनम्रतापूर्वक
- गौरव – सम्मान, आदर, इज़्ज़त
- विपन्न – अभावग्रस्त, निर्धन
- संचय – संग्रह
- टेक – आग्रह, अभ्यास
- दिव्य – अलौकिक, भव्य
- अभिमान – घमंड, अहंकार
- निछावर – त्याग
- सर्वस्व – सब कुछ
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Chapter 5 – Shakti ki Mahima (शक्ति की महिमा)
- शक्ति – बल, ऊर्जा, सामर्थ्य (यहाँ मातृशक्ति के रूप में)
- सृजित– निर्माण
- संबलित– बल से परिपूर्ण
- विस्तृत – फैला हुआ
- समता– समानता (समान भाव से देखना)
- ममता – माँ का स्नेह, प्रेम
- क्षमता – योग्यता, सामर्थ्य
- राग – स्वर
- ताल – लय
- गीत – गाना
- संगीत – सुर, लय और भाव का समन्वय
- दुःखों का हरण – दुःखों को दूर करना, कष्टों से छुटकारा
- जीवन मरण – जन्म और मृत्यु, जीवन की पूरी प्रक्रिया
- सम्मान – आदर, प्रतिष्ठा
- दूजा – दूसरा, कोई और
- आशीष – आशीर्वाद
- विरोधी – दुश्मन, विरोध करने वाला
- चरण – पाँव
- शरण – आश्रय, सहारा
- परम लक्ष्य – सबसे बड़ा उद्देश्य
- प्रण – संकल्प, दृढ़ निश्चय
- भक्ति – श्रद्धा
- काया – शरीर
- मातृशक्ति – माँ की शक्ति
- अक्षर – वर्ण
- वचन – शब्द, बोल
- पल-प्रतिपल – हर समय
- नमन – प्रणाम
- अर्पण – भेंट करना
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Chapter 6 – Kaikeyi ka Anutap (कैकेयी का अनुताप)
- अटल – दृढ़, अडिग
- स्वर – आवाज़
- वैधव्य – विधवा होने की स्थिति
- तुषारावृता – बर्फ से ढकी
- विधु-लेखा – चाँद की किरण
- अचल – स्थिर
- असंख्य – अनेक
- तरंगा – लहरें
- सिंही – शेरनी
- हहा – दुखी स्वर, करुण पुकार
- गोमुखी – गंगा का उद्गम स्थल
- भरत – राम के भाई
- अपराधिन – अपराध करने वाली
- तात – पिता
- मैया – माँ
- दुर्बलता – कमजोरी
- चिह्न – निशान, संकेत
- विशेष – खास
- शपथ – सौगंध
- अबलाजन – स्त्रियाँ
- पथ – मार्ग, रास्ता
- उकसाई – प्रेरित की गई, बहकाई गई
- स्वयं – खुद
- सार – मूल्य, अर्थ, महत्व
- मौन – चुप
- राई – एक सूक्ष्म वस्तु, बहुत ही कम मात्रा
- अनुताप – पछतावा, पश्चाताप
- सनक्षत्र – तारों से भरी
- शशि – चंद्रमा
- निशा – रात
- ओस – नमी की बूंदें
- नीरव – चुप
- उल्का – मशाल, प्रकाश, आकाश से गिरी हुई अग्नि, टूटता तारा
- दीप्त – चमकती हुई
- विस्मय – आश्चर्य
- खेद – दुख, पछतावा
- मंथरा – कैकेयी की दासी
- दासी – सेविका
- निज – अपना
- विश्वासी – विश्वास रखने वाला
- पंजर गत – हड्डियों के ढांचे (पंजर) में बैठे हुए या बंद
- अधीरे – व्याकुल, बेचैन
- अभागे – दुर्भाग्यशाली
- ज्वलित – जले हुए
- भाव – भावना
- शेष – बचा हुआ
- वात्सल्य – स्नेह
- वत्स – बेटा
- अन्य-सा – पराया, अजनबी जैसा
- त्रैलोक्य – तीनों लोक
- मातृपद – माँ का अधिकार, मातृत्व
- दुहाई – दीनतापूर्ण की गई याचना।
- नरदेही – मनुष्य का शरीर धारण करने वाला
- कुमाता – बुरी माँ
- कुपुत्र – बुरा पुत्र
- हाय – दुःख की अभिव्यक्ति
- विरुद्ध – उलटे, खिलाफ़
- विधाता – भगवान, नियति
- सुपुत्र – उत्तम पुत्र
- बाह्य – बाहरी रूप
- मात्र – केवल
- दृढ़ – मजबूत
- हृदय – दिल, मन
- मृदुल – कोमल / मीठा
- परमार्थ – परोपकार, दूसरों का हित
- स्वार्थ – अपना हित, खुद का लाभ
- साधा – पूरा किया, अपनाया
- बाधा – संकट, रुकावट
- युग-युग तक – पीढ़ी दर पीढ़ी, बहुत लंबे समय तक
- रघुकुल – राजा रघु का वंश, राम का वंश
- अभागिन – दुर्भाग्यशाली
- निज – अपना
- जन्म-जन्म में – हर जन्म में, जन्म-जन्मांतरों तक
- जीव – प्राणी, व्यक्ति
- धिक्कार – निंदा, तिरस्कार
- महास्वार्थ – अत्यधिक स्वार्थ
- धन्य – पूजनीय, प्रशंसनीय
- लाल – पुत्र, बेटा
- माई – माँ
- जननी – जन्म देने वाली, माँ
- जना – जन्म दिया
- भरत-सा – भरत जैसा (सद्गुणी)
- पागल सी – विक्षिप्त-सी, उन्मादी-सी
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Chapter 7 – Parvat Pradesh Mein Pavas (पर्वत प्रदेश में पावस)
- पावस ऋतु – वर्षा ऋतु
- परिवर्तित – बदलना
- प्रकृति -वेश — प्रकृति का रूप
- मेखलाकार – करघनी के आकर की पहाड़ की ढाल
- सहस्र – हज़ार
- दृग -सुमन – पुष्प रूपी आँखे
- अवलोक – देखना
- महाकार – विशाल आकार
- ताल – तालाब
- दर्पण – आईना
- गिरि – पहाड़
- मद – मस्ती
- झग – फेन
- उर – हृदय
- उच्चांकाक्षा – ऊँच्चा उठने की कामना
- तरुवर –पेड़
- नीरव नभ शांत – शांत आकाश
- अनिमेष – एक टक
- भूधर – पहाड़
- पारद के पर– पारे के समान धवल एवं चमकीले पंख
- रव -शेष – केवल आवाज का रह जाना
- सभय – भय के साथ
- शाल- एक वृक्ष का नाम
- जलद -यान – बादल रूपी विमान
- विचर- घूमना
- इंद्रजाल – जादूगरी
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Chapter 8 – Madhur Madhur Mere Deepak Jal (मधुर मधुर मेरे दीपक जल)
- प्रतिक्षण – हर घडी
- प्रतिपल – हर पल
- प्रियतम – आराध्य , ईश्वर
- आलोकित – प्रकाशित
- सौरभ – सुगंध
- विपुल – विस्तृत
- मृदुल – कोमल
- अपरिमित – असीमित ,अपार
- पुलक – रोमांच
- नूतन – नया
- ज्वाला कण – आग की लपट
- शलभ – पतंगा
- सिर धुन – पछताना
- सिहर – कांपना
- असंख्यक – अनेक
- स्नेहहीन – प्रेम से रहित
- उर – ह्रदय
- विद्युत – बिजली
- विहँस – भलाई
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Chapter 9 – Sapno Ke Se Din (सपनों के-से दिन)
- अकड़ – घमण्ड
- अठे – यहाँ
- अलियार – गली की तरह का लंबा सीधा रास्ता
- अलौकिक – अद्भुत या अपूर्व
- आढ़तिये – जो किसानों की फसलों को खरीदते और बेचते हैं
- आदेश – आज्ञा
- उठै – वहाँ
- कतार – पंक्ति
- खाल उधेड़ना – कड़ा दंड देना, बहुत अधिक मारना–पीटना
- खेडण – खेलने के
- गंदले – गंदा, मटमैला
- गठीला – पुष्ट
- गुडविल – साख, प्रख्याति
- गुर्राए – गुस्से में चिल्लाना
- गुस्सैल – गुस्से वाला
- घुड़की – धमकी भरी डाँट
- चपड़ासी – चपरासी `
- चाव – शौक, इच्छा
- चौबारा – वह कमरा जिसमें चारों और से खिड़कियाँ और दरवाजें हों
- ज़बानी – केवल जुबान के द्वारा
- ज़िक्र – चर्चा
- ट्रेनिंग – प्रशिक्षण
- ठिगना – छोटा
- ठिगने – छोटे कद का
- ठुट्टों – लात–घुस्से
- डिसीप्लिन – अनुशासन
- ढाँढ़स – धीरज दिलाना, हौसला देना
- तमगा – पदक, मैडल
- दफ़्तर – कार्यालय, ऑफिस
- दिलचस्पी – रूचि
- दुम – पूँछ
- दोपहरी – दिन में ही
- धनाढ्य – अधिक धन वाले
- ननिहाल – नानी के घर
- परचूनिये – राशन की दुकान वाला
- पिंडलियाँ – घुटने और टखने के बीच का पिछला मांसल भाग
- पिछड़ा – जो उन्नति न कर सका हो।
- फटकारना – डाँटना
- बर्बरता – असभ्यता एवं जंगलीपन
- बहियाँ – खाता
- बाल–मनोविज्ञान – बच्चों के मन का विज्ञान या ज्ञान
- बालिश्त – बित्ता
- बिल्ला – पट्टी या डंडा
- बूट – जूते
- मंजूरी – स्वीकृति
- मसखरे – विदूषक या हँसी–मजाक करने वाले व्यक्ति
- महकमाए–तालीम – शिक्षा विभाग
- मुअत्तल – निलंबित या निकाल देना
- मुनीमी – दुकानदारी
- रंगरूट – सेना या पुलिस आदि में नया भर्ती होने वाला सिपाही
- रकम – सम्पति, दौलत
- रति भर – थोड़ी सी भी
- लंडे – हिसाब–किताब लिखने की पंजाबी प्राचीन लिपि
- लीतर – फटे–पुराने खस्ताहाल जूते
- लोकोक्ति – लोगों के द्वारा कही गयी उक्ति/बात
- विलायत – प्रदेश
- शामियाना – तम्बू
- श्रेणी – कक्षा
- सतिगुर – सतगुरु
- सयाने – समझदार
- सलाह – विचार–विमर्श,परामर्श
- स्वाभाविक – प्राकृतिक
- हरफनमौला – सर्वगुण सम्पन्न, हर क्षेत्र में आगे रहे वाला
- हाँड़ी – मटका
- हिसाब के मास्टर जी – गणित के अध्यापक
- ह्विसल – सीटी
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Chapter 10 – Kashmir Ka Loknatak “Bhand-Pathar” (कश्मीर का लोकनाटक “बाँड – पाऽथर”)
- लोक गीत- लोगों द्वारा रचा गया पारंपरिक गीत
- लोक कहानी- जनसामान्य में प्रचलित कथाएँ
- लोक नाटक– जनसामान्य द्वारा प्रस्तुत किया गया पारंपरिक नाटक
- आम लोग- साधारण जनता
- रचा- बनाया
- प्रस्तुत करते हैं- दर्शकों के सामने दिखाते हैं
- नट– बाजीगर, भाँड
- अभ्यस्त- आदी, बार-बार किया हुआ
- व्यवसाय- रोज़गार, काम
- व्यावसायिक– पेशेवर, रोजगार से जुड़ा हुआ
- दुख-दर्द- पीड़ा, कष्ट
- शोक-शिकायत- दुःख और असंतोष
- आशा-आकांक्षा- उम्मीद और चाह
- पारंपरिक- परंपरा से चला आया हुआ
- कथा- कहानी
- प्रशिक्षण- अभ्यास
- अभिनय- किसी भूमिका को मंच पर निभाना
- बनावटीपन- दिखावटीपन
- अभ्यास- बार-बार दोहराने से सीखा गया कौशल
- वार्तालाप- संवाद, बातचीत
- दृश्य– दिखनेवाला
- विषयवस्तु- विषय से संबंधित सामग्री
- वेषभूषा- कपडा लिबास
- मंच-सज्जा– मंच को सजाने की विधि
- प्रचलित– जो पहले से लोगों में फैला हो
- शोषक वर्ग- अत्याचार या अन्याय करने वाला वर्ग
- व्यंग्य- मज़ाक के रूप में आलोचना
- मनोरंजन- मन को आनंद देने वाला कार्य
- धन-धान्य– पैसा और अनाज
- गुज़ारा- जीवन यापन
- कश्मीरी– कश्मीर क्षेत्र से संबंधित
- श्रृंखला- क्रमबद्ध समूह या कड़ी
- बाँड-पाऽथर- बाँडों द्वारा प्रस्तुत हास्यप्रधान लोकनाटक
- चौराहे– चार सड़कों का मिलन बिंदु
- आँगन- घर या भवन का खुला हिस्सा
- कस्बे- छोटा नगर
- भवनों-हालों- इमारतों और बड़े कमरों/सार्वजनिक स्थानों
- मनोरंजन- आनंद देना, मनोरथ का साधन
- समय गुज़रना– वक्त का बीतना
- भाषा– बोली
- परिवर्तन– बदलाव
- भाँड- हास्य नाटक करने वाला पात्र
- अभिनेता- नाटक में अभिनय करने वाला व्यक्ति
- पात्र- अभिनेता, अभिनय करने वाला व्यक्ति
- पाऽथर– स्वांग या नाटक (कश्मीरी शब्द)
- हास्य-नाटक– हँसी उत्पन्न करने वाला नाटक
- व्याख्या– विवरण, स्पष्ट रूप से समझाना
- परंपरा– परिपाटी, लंबे समय से चली आ रही कोई रीत
- सुरनय- शहनाई (वाद्य यंत्र)
- वादन– वाद्य बजाना
- सूत्रधार- नाटक का परिचय देने वाला मुख्य पात्र
- मागुन- मुख्य पात्र (महागुणी), सूत्रधार
- वेषभूषा- पोशाक, परिधान
- परिचय– जानकारी देना
- करतब- चतुराई या कला का प्रदर्शन
- मसखरे- हँसोड़, बहुत हँसी-मज़ाक करने वाले
- ढोलक- एक वाद्य यंत्र जो हाथ से बजाया जाता है
- थाप- ताल या बीट
- लय- संगीत की गति या बहाव
- भूमिका- किरदार या रोल
- प्रायः – अधिकतर, सामान्यतः
- बाँड पाऽथर– कश्मीरी लोकनाट्य परंपरा का नाम
- विषयवस्तु- नाटक की केंद्रीय कहानी या कथानक
- वातल- मेहतर (सफाईकर्मी)
- बुहुर्य्- पंसारी (मसाले व सामान बेचने वाला)
- राजुॅ- राजा
- दरजुॅ– दरद जाति की स्त्री
- ग्वसाऽन्य्- गोसाईं साधु
- बकरवाल– बकरियाँ पालने वाला समुदाय
- अंगरेज़- अंग्रेज (विदेशी शासक)
- शिकारगाह– शिकारी और वन्यपशुओं से संबंधित
- वार्तालाप– संवाद, बातचीत
- साजसज्जा- सजावट
- उजागर करना- सामने लाना, प्रकट करना
- विषमता– असमानता, अंतर
- हास्यपूर्ण- हँसी का कारण बनने वाला
- चित्रण- वर्णन, प्रस्तुति
- सीमित साधन- कम संसाधन या सुविधाएँ
- असीम आकांक्षा– अत्यधिक इच्छाएँ
- दुत्कार- अपमान, तिरस्कार
- ज़ालिम- अत्याचारी, निर्दयी
- उफ नहीं करता- अत्याचार सहते हुए भी विरोध नहीं करता
- अत्याचार- अन्यायपूर्ण व्यवहार
- अन्यायी- जो अन्याय करता है
- रोब झाड़ना- धौंस जमाना, प्रभाव दिखाना
- गलत-सलत- अशुद्ध, बेतुकी (बोलियाँ)
- हास्यास्पद- हँसी का पात्र, मजाकिया
- लिहाज़ से- दृष्टिकोण से, हिसाब से
- कारिंदा– राजा का सेवक, दरबारी
- उल्लू सीधा करना– अपना स्वार्थ सिद्ध करना
- फरियादी- शिकायत करने वाला व्यक्ति
- मज़ाक उड़ाना- हँसी उड़ाना
- विरोध प्रकट करना– असहमति दिखाना
- ग्वसाऽन्य पाऽथर- गोसाईं साधु की कथा पर आधारित बाँड पाऽथर
- अमरनाथ- जम्मू-कश्मीर में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल
- युवक साधु- युवा संन्यासी या तपस्वी
- मोहित होना– आकर्षित या प्रेम में पड़ जाना
- ग्वालिन– गाय चराने वाली युवती
- कथा- कहानी, किस्सा
- टाल देना– टालमटोल करना, मना करना
- कड़ी शर्तें- कठिन नियम या प्रतिबंध
- धर्मसंकट- धार्मिक या नैतिक दुविधा
- उपदेश- सीख देना
- वाख- ललेश्वरी द्वारा रचित धार्मिक काव्य/कहावतें
- अंतर्ध्यान- लुप्त, ओझल, गायब
- अवशेष- कोई चिह्न, निशानी, स्मृति वस्तु
- लीन हो जाना– किसी भाव में पूरी तरह डूब जाना
- अँगरेज़ पाऽथर- अंग्रेज़ी शासन या अधिकारी पर आधारित व्यंग्यात्मक नाटक
- नंबरदार- गाँव का मुखिया या राजस्व अधिकारी
- चौकीदार- निगरानी रखने वाला व्यक्ति
- पेश होने की आज्ञा- हाजिर होने का आदेश
- भीगी-बिल्ली– डर के मारे चुप हो जाना
- डैम-फैट-लैट- अटपटी अंग्रेजी की गाली या शब्द
- बेसिर पैर की बात– तर्कहीन या बेतुकी बातें
- अटपटी बोली- टेढ़ी-मेढ़ी, असामान्य भाषा
- हाँडी- मिट्टी या धातु का बर्तन
- बेगार– बिना मज़दूरी का काम
- पीढ़ियों से– कई नस्लों से, वर्षों से
- सुरनय- शहनाई जैसा वाद्य यंत्र
- अकिन गाम, वाहथोर, बुमय- कश्मीर के गाँव जिनकी बाँड टोलियाँ प्रसिद्ध हैं
- पेशा- जीविका या व्यवसाय
- सामाजिक उत्सव– समाज से जुड़े त्योहार या समारोह
- धार्मिक उत्सव- धर्म से जुड़े पर्व जैसे ईद, शिवरात्रि
- व्यक्तिगत उत्सव- किसी व्यक्ति के घर का निजी आयोजन जैसे शादी, यज्ञोपवीत आदि
- पीर-फ़कीर- मुस्लिम संत या साधु
- यज्ञोपवीत- जनेऊ, उपवीत
- उर्स- किसी सूफी की पुण्यतिथि का कार्यक्रम
- स्वांग- अभिनय या नाटक
- शरद ऋतु– साल का वह समय जब धान कटता है (अक्टूबर–नवंबर)
- पेशेवर- किसी काम को पेशे के रूप में करने वाला व्यक्ति
- गृहस्थ- घर परिवार वाला व्यक्ति
- धन-धान्य- पैसा और अन्न
- कर– टैक्स, शुल्क
- शासन काल– किसी राजा या शासक के समय का दौर
- महाराजा- राजा, राजशाही का प्रमुख व्यक्ति
- घोड़ा-कर- घोड़ों पर लगाया जाने वाला टैक्स या शुल्क
- मवेशी-कर– मवेशियों पर लगने वाला कर या टैक्स
- सड़क-कर- सड़कों के उपयोग या निर्माण पर लगाया गया कर
- अनिवार्य- परमावश्यक, बहुत जरुरी
- अन्न-भंडार- अनाज का भंडार
- राशन- नियत मात्रा में वितरित खाद्य सामग्री
- स्वतंत्रता प्राप्ति- आज़ादी मिलने का समय (1947 में भारत की आज़ादी)
- ज़मीनदारी प्रथा– जमीन पर मालिकाना हक रखने वाली पुरानी व्यवस्था
- खेतीबाड़ी– कृषि कार्य, खेती करना
- सुरक्षित– रक्षा की गई, संरक्षित
- विकसित- आगे बढ़ाना, उन्नत बनाना
- प्रोत्साहन- प्रेरणा, सहयोग
- प्रदर्शन– मंच पर प्रस्तुत करना
- लोकसंस्कृति- आम जनता की पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर
- भवई– गुजरात का एक लोकनाट्य
- तमाशा- महाराष्ट्र का पारंपरिक लोकनाट्य
- जात्रा– बंगाल का प्रसिद्ध लोकनाटक
- नौटंकी- उत्तर प्रदेश का लोकप्रिय लोकनाट्य
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Chapter 11 – Manavata (मानवता)
- दान– पुण्य
- दानी– उदार
- कलम– लेखनी
- कदर – महत्व, सम्मान
- मानवता – मनुष्यता, इंसानियत
- एकमात्र – केवल
- निशानी– भेंट
- खातिर – के लिए
- चवन्नी– 25 पैसे
- शब्द- कथन
- बलि- आत्महत्या
- बेगानी – पराई
- प्रण- प्रतिज्ञा
- कुरीति – बुरी रीति या प्रथा
- अवगति – बुरी दशा
- सगाई- विवाह का ठहराव
- निशानी- यादगार के लिए दी गयी वस्तु
- चौरासी- 84
- जिंदगानी- ज़िंदगी
- सदा- हमेशा
- प्रदूषित- गन्दा
- यमदूत- मृत्यु के दूत
- जवानी- युवावस्था
- फानी – नश्वर, नष्ट हो जाने वाला
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Chapter 12 – Jammu ki Chitrakala (जम्मू की चित्रकला)
- विश्व – संसार
- ललित – सुन्दर
- विहीन – रहित
- साक्षात – आँखों के सामने, प्रत्यक्ष
- पुच्छ – पूँछ
- विषाण – सींग
- हीन – बिना
- श्रेष्ठ – उत्तम, अच्छा
- परखा – जाँचना
- विविध – विभिन्न
- व्यापी – व्याप्त
- लिपि – लिखावट, किसी भी भाषा को लिखने का ढंग
- केंद्र – किसी कार्य या गतिविधि (शिक्षा, व्यापार, कला, लेखन, शोध आदि) का स्थान, (सेंटर)
- विशिष्ट – विशेष, असाधारण, अद्भुत, प्रसिद्ध
- संरक्षक – वह जो भरण-पोषण, देख-रेख आदि करता हो
- दरबारी – दरबार में अधिकृत रूप से बैठने वाला आदमी, राजा या बादशाह का सभासद
- अनुपम – अनोखा, अनूठा
- विश्वविख्यात – विश्व में जाना जाने वाला
- चित्रावली – चित्रों के संग्रह की पंजिका, (ऐलबम)
- चित्रित – जिसे चित्र के माध्यम से दिखाया गया हो, चित्रयुक्त
- भेंट – उपहार, तौफा
- स्वर्णिम काल – सुनहरा युग
- शासक – राजा, शासन करने वाला
- उपरांत – बाद में
- उपलब्ध – प्राप्त होना, मिलना
- उत्तरार्द्ध – पिछला आधा, बाद का अर्ध भाग
- सृजन – रचना
- स्तर – परत, तह
- प्रेरणा- स्रोत – प्रेरणा देने वाला
- मुरगाबी – मुरगे की जाति का एक पक्षी, जलकुक्कुट, जलमुरगा, यह जल में तैरता और मछलियाँ पकड़कर खाता है
- प्रमाणित – सिद्ध
- वास्तविक – यथार्थ, ठीक, जो अस्तित्व में हो, (रीअल)
- शैली – ढंग, तरीका, रीति
- सर्वाधिक – सबसे अधिक
- अतिरिक्त – अलावा
- संरक्षित – अच्छी तरह बचाया हुआ
- पश्चात् – बाद
- बाह्य – बाहरी
- आक्रमण – युद्ध
- फलस्वरूप – परिणाम के रूप में
- साधना – कठिन परिश्रम, सिद्धि, आराधना, उपासना
- छत्रछाया – पनाह, शरण, रक्षा, आश्रय
- पनपने – फलने-फूलने, विकसित होने
- अवसर – मौका
- सिद्धहस्त – कुशल, प्रवीण, निपुण, जिसका हाथ किसी काम में मँजा हो
- अनुपम – अद्धभुत
- शिष्य – विद्यार्थी
- प्रतिभा संपन्न – जिसमें प्रतिभा हो, प्रतिभाशाली, प्रतिभावान
- शैली – रीति, ढंग
- मिश्रण – चीज़ों या तत्वों को आपस में मिलाना, मिलावट, मिश्रित करना
- सराहे – तारीफ़ करना, प्रशंसा करना, बखानना, बड़ाई करना
- परम्परा – रीति
- कार्यरत – काम में लगा हुआ, जुटा हुआ
- समकालीन – एक ही समय के
- निखार – सुंदरता, चमक, सजावट
- अर्जित – कमाया हुआ
- जान पड़ता है – ज्ञात होता है
- प्रयुक्त – प्रयोग
- बहुधा – हमेशा, अक्सर, ज़्यादातर
- निर्मित – बनाया या रचा हुआ, रचित
- हाशियों – पृष्ठ या सतह के चारों ओर छोड़ी हुई सादा जगह
- विशुद्ध – पवित्र
- नखशिख – पैर के नख से सिर तक के सभी अंग, ऊपर से नीचे तक
- सधी हुई – स्पष्ट रूप से
- बारीक – झीना, महीन
- नमूने – उदाहरण, मिसाल
- कलात्मकता – कलापूर्णता
- पारदर्शी – आर-पार देखने वाला
- मुँडेर – खेत के चारों ओर सीमा पर अथवा क्यारियों में का उभरा हुआ भाग, मेंड़
- मेहराब – द्वार के ऊपर का अर्धमंडलाकार बनाया हुआ भाग, डाट वाला गोल दरवाज़ा
- ख्याति – प्रसिद्धि, लोकप्रियता
- उजागर – प्रकट करना, सामने लाना
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Chapter 13 – Hindi Jan Ki Boli (हिंदी जन की बोली)
- सगी – बहुत करीबी
- कामना – इच्छा, अभिलाषा
- साधना – तपस्या
- सौत – पति की दूसरी पत्नी, यहाँ प्रतीकात्मक रूप में प्रतिद्वंद्वी भाषा
- तत्सम – संस्कृत से ज्यों के त्यों लिए गए शब्द (जैसे- अग्नि, जल)
- तद्भव – प्राकृत या अपभ्रंश से विकसित शब्द (जैसे- आग, पानी)
- देशी – स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा के शब्द
- विदेशी – विदेशों से लिए गए शब्द (जैसे- स्कूल, कलम)
- अपनाती – ग्रहण करती
- मधुर – मीठा
- मनभाती – मन को अच्छी लगने वाली, आकर्षक
- रूप धारती – नया रूप लेती है
- प्रदेश – राज्य, क्षेत्र
- माटी – मिट्टी
- खाली-पीली-बोम-मारती – बिना किसी आधार के बढ़ा चढ़ा कर बोलना
- बंबई – मुंबई शहर का पुराना नाम
- चौपाटी – मुंबई का प्रसिद्ध समुद्र तट
- चौरंघी – कोलकाता का प्रसिद्ध क्षेत्र
- नवेली – नई
- प्रीति पियासी – प्रेम की प्यासी
- भालो-बाशी – अच्छी, प्यारी
- जन – साधारण लोग
- जन की बोली – आम जनता द्वारा बोली जाने वाली भाषा, लोकभाषा
- वर्ग-भेद – समाज में ऊँच-नीच या अमीर-गरीब का अंतर
- हमजोली – साथ निभाने वाली
- संगम – मिलन स्थल
- नाद – ध्वनि
- लिपि – लेखन की शैली या अक्षरों का रूप
- भरोसा – विश्वास
- अनुपम – बेजोड़, बहुत अच्छा
- कमल-पंखुरी सेतु – कमल की पंखुड़ियों का पुल
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Chapter 14 – Bhikshuk (भिक्षुक)
- टूक – टुकड़े
- कलेजे – जिगर
- पछताता – अफ़सोस या पश्चाताप करना
- पथ – रास्ता
- पेट – पीठ दोनों एक होना – बहुत कमजोर होना
- लकुटिया – लाठी
- टेक – सहारा
- मुट्ठी भर – बहुत कम
- झोली – कपड़े की थैली; छोटा झोला
- सदा – हमेशा
- बाएँ – उल्टा
- दाहिना – सीधा
- दया-दृष्टि – कोमल व्यवहार, सहानुभूति,
- दाता भाग्य – विधाता – दानी, भाग्य का निर्माण करने वाला
- पत्तल – प्लेट
- झपट – छीनना
- अड़े हुए – डटे हुए
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Chapter 15 – Bade Bhai Sahab (बड़े भाई साहब)
- अँधा चोट निशाना – अनजाने में सही निशाना लगाना
- अंधे के हाथ बटेर लगना – बिना प्रयास बड़ी चीज पा लेना
- अचरज – हैरानी
- अज्ञात – जिसे जानते न हो
- अदब – इज्जत
- अध्ययनशील – पढ़ाई को महत्त्व देने वाला
- अनर्थ – अर्थहीन
- अनिवार्य – जरुरी
- अनुचित – गलत
- अपराध – गलती
- अभिमान – घमण्ड
- अभिमान – घमण्ड
- अमल करना – पालन करना
- अवहेलना – तिरस्कार
- अव्वल – प्रथम
- आंतक – भय
- आटे –दाल का भाव – सारी बाते पता चलना
- आधिपत्य – गुलामी
- आलीशान – बहुत सुन्दर
- इबारत – लेख
- इम्तिहान – परीक्षा
- उग्र – क्रोध
- ऐरा – गैरा नत्थू –खैरा – बेकार आदमी
- कंकरियाँ – पत्थर के छोटे टुकड़े
- कनकौए – पतंग
- कसूर – गलती
- कांड – घटना
- कांतिहीन – बिना किसी चमक के
- किफ़ायत – बचत से
- कुकर्म – बुरा काम
- कुटिल भावना – बुरा विचार
- कुटुम्ब – परिवार
- खुराफ़ात – व्यर्थ की बातें
- खून जलाना – कड़ी मेहनत करना
- गरूर – घमंड
- गाढ़ी कमाई – मेहनत की कमाई
- घुड़कियाँ – गुस्से से भरी बातें सुनना
- घोंघा – आलसी जीव
- चटपट – फटाफट
- चरित्र – व्यवहार
- चेष्टा – कोशिश
- चेष्टा – कोशिश
- जन्मदाता – जन्म देने वाले
- जन्मसिद्ध – जन्म से ही प्राप्त
- जमात – कक्षा
- जमात – कक्षा
- जलील – बेशर्म
- ज़हीन – प्रतिभावान
- जानलेवा – जान के लिए खतरा
- ज़ाहिर – स्पष्ट
- जिगर –हृदय,दिल
- ज्यों की त्यों – जैसे की तैसी
- टहलना – घूमना
- टाइम टेबल – समय सारणी
- तजुरबा – अनुभव
- तमीज़ – अच्छे –बुरे की पहचान
- तम्बीह – डाँट –डपट
- ताज्जुब – आश्चर्य
- तालीम – शिक्षा
- तिरस्कार – अपमान
- दबे पाँव – बिना आवाज़ के
- दरजा – कक्षा
- दर्जा – कक्षा
- दाँतों पसीना आ जाना – बहुत मेहनत करना
- दुरूपयोग – अनुचित उपयोग
- नसीहत – सलाह
- निःस्वाद – बिना स्वाद का
- निगरानी – देखरेख
- निपूर्ण – बहुत अच्छे
- निराशा – दुःख
- निर्दयी – जिसमें दया न हो
- पनाह – शरण
- पापड बेलना – कठिन काम
- पायेदार – ऐसी वस्तु जिसके पैर हो ,मज़बूत
- पुख्ता – सही
- पोज़िशन – पदवी
- प्रयोजन – उद्देश्य
- प्राण सूख जाना – बुरी तरह डर जाना
- प्राणांतक – बहुत अधिक कठिन परिश्रम
- प्रातः काल – सुबह का समय
- फ़जीहत – अपमान
- फ़ज़ीहत – बेज्ज़ती
- फटकार – डाँट
- बदहवास – बोखलाना
- बुनियाद – नींव
- बूते – बस
- बे –सिर –पैर – बिना अर्थ का
- बेतहाशा – जिसे किसी की खबर न हो
- बेतहाशा– बिना सोचे समझे
- बेराह – रास्ते से भटकना
- भाँप लिया – जान लिया
- भूमण्डल – पूरी धरती
- मंज़ूर – स्वीकार
- मरज़ – बीमारी
- मसलन – उदाहरणतः
- महज़ – सिर्फ
- महज़ – सिर्फ
- महीप – राजा
- मातहती – कहे अनुसार
- मिडिलचियों – दसवीं पास
- मुठभेड़ –आमना –सामना
- मुमतहिनों – परीक्षक
- मुहताज – दूसरों पर आश्रित
- मौन – चुप
- युक्ति – योजना
- रूद्र रूप – भयानक या घुसे वाला रूप
- रोष – गुस्सा
- रौब – डर
- लज्जास्पद – शर्मनाक
- लताड़ – डाँट फटकार
- लिहाज – शर्म
- लुप्त – गायब
- लोहे के चने चबाना – कठोर परिश्रम करना
- विधि – किस्मत
- विपत्ति – मुसीबत
- शरीक – शामिल
- शालीनता – समझदारी
- संध्या – शाम का समय
- सजल – नमी वाली
- सत्कार – स्वागत
- सफ़ाचट – बिलकुल साफ़
- सबक – सीखना
- समकक्ष – एक ही कक्षा में
- सर फिर गया – लापरवाह होना
- सहज बुद्धि – सामान्य बुद्धि
- सहिष्णुता –सहनशीलता
- सामंजस्य – ताल मेल
- सालाना – वार्षिक
- सिफ़र – शून्य
- सूक्ति–बाण – व्यंग्यात्मक कथन, चुभती बातें
- स्कीम – योजना
- स्नेह – प्रेम
- स्वच्छंदता – स्वतंत्रता
- स्वाधीन – स्वतंत्र
- हर्फ़ – अक्षर
- हस्ती – अस्तित्व
- हाथ –पाँव फूल जाना – परेशान हो जाना
- हाशियों – किनारों
- हिमाकत – बेवकूफ़ी
- हुक्म – आज्ञा,आदेश
- हेकड़ी – घमण्ड
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Chapter 16 – Harihar Kaka (हरिहर काका)
- अकारथ – अकारण
- अखंड – निर्विघ्न
- अखरने – बुरा लगना
- अगउम – प्रयोग में लाने से पहले देवता के लिए निकाला गया अंश
- अचल – गतिहीन
- अतिरिक्त – सिवाय
- अधिकांश – ज्यादातर
- अपेक्षा – तुलना
- अफ़सोस – दुःख
- अर्जित –इकठ्ठा
- अवगत – जाना हुआ
- असमर्थ – योग्यता न होना
- अहाता – चारों ओर से दीवारों से घिरा हुआ मैदान
- आगमन – आने पर
- आच्छादित – छाया हुआ
- आत्मसमर्पण – हथियार डाल देना
- आदरणीय – आदर के योग्य
- आलावा – अतिरिक्त
- आवभगत – सत्कार
- आशंका – संदेह / शक
- आसक्ति – लगाव
- आहाट – किसी के आने–जाने, बात करने की मंद आवाज
- इंचार्ज – प्रभारी
- इंतज़ाम – प्रबंध
- इत्मीनान – तसल्ली
- उक्ति – कथन / वाक्य
- उगल – बोलना
- उपलक्ष्य – संकेत
- उबारना – पार करना / निकलना
- एकत्र – इकठ्ठे
- एकमात्र – केवल एक
- एकांत – खाली
- कलेवर – शरीर / देह / ऊपरी ढाँचा
- कान खड़े होना – सावधान होना
- कीर्ति – प्रसिद्धि / ख्याति
- कीर्ति – प्रसिद्धि /ख्याति
- कुंजी – चाबी
- कुकर्मी – बुरे काम करने वाले
- क्लर्की – लिपिक / कर्मचारी
- खूँखार – अत्यधिक क्रूर / निर्दयी
- खून खौल उठना – बहुत क्रोध आना
- गिद्ध–दृष्टि – तेज़ नज़र
- गुहार – रक्षा के लिए गुहार
- गोपनीयता – जो सभी को न बता कर कुछ लोगो को ही बताया जाए
- घनिष्ठ – अत्यधिक निकटता
- घृणा – घिन
- घृणित – घिनौना
- घृणित – बुरा
- चंद – कुछ
- चंपत – गायब हो जाना
- चपेट – आघात / प्रहार
- चर्चनीय – चर्चा के योग्य
- चिंतामग्न – सोच में पड़ना
- चिकनी–चुपड़ी बातें – खुशामद भरी
- चेत – ध्यान
- छल, बल, कल – युक्ति / बुद्धि
- जबरदस्ती – बलपूर्वक
- जबरन – जबरदस्ती
- जागरूक – सावधान
- जाग्रत – जगाना
- जायदादहीन – धन–दौलत के बिना
- टोह – खोज
- ठाकुरबारी – देवस्थान
- ड्यूटी – कर्तव्य / काम
- तत्काल – उसी समय
- तत्क्षण – उसी पल
- तत्क्षण – उसी समय
- तत्परता – दक्षता / निपूर्णता
- तथ्य – वास्तविक घटना
- तनिक – थोड़े भी
- तबियत – शरीर की स्थिति / मन की स्थिति
- तबीयत – शरीर की स्थिति / मन की स्थिति
- तितर–बितर – अस्त–व्यस्त
- दबंग – प्रभावशाली
- दरोगा – इंस्पेक्टर
- दल–बल – संगी–साथी
- दवनी – गेंहूँ / धान निकालने की प्रक्रिया
- दस्तक – दरवाजा खटखटाना
- दालान – बरामदा
- दुराचारी – दुष्ट / बुरा आचरण करने वाला
- दुर्गति – बुरी हालत
- दुलार – प्यार
- दूध की मक्खी – तुच्छ समझना / बेकार समझना
- दोनों जून – दोनों वक्त
- धमाचौकड़ी – उछल–कूद
- धर दबोचना – पकड़ लेना
- नकार – मना करना
- नियुक्ति – तैनाती / लगाया गया
- निरंतर – लगातार
- निर्वाह – निभाना / आज्ञानुसार कार्य करना
- निश्चिंत – बेफिक्र
- निष्कर्ष – परिणाम
- नेक – भला
- नेपथ्य – रंग–मंच के पीछे की जगह
- पखारना – धोना
- परंपरा – प्रथा / प्रणाली
- परदाफ़ाश – भेद प्रकट कर देना
- परिणत – जिसमें परिवर्तन हुआ हो
- परिवर्तित – बदला हुआ
- परिस्थितिवश – परिस्थितियों के कारण
- परोक्ष – जो सामने दिखाई न दे
- पसीज़ – मन में दया का भाव जागना
- पाँव पखारना – पाँव धोना
- पुनः – फिर से
- पैरवी – खुशामद / अनुगमन
- प्रचलित – चलनसार
- प्रतिकार – विरोध
- प्रतिक्रिया – प्रतिकार / बदला
- प्रतिक्रिया – प्रतिकार / बदला / क्रिया के विरोध में होनेवाली घटना
- प्रतीक्षा – इंतज़ार
- प्रतीक्षारत – इंतज़ार करना
- प्रत्यक्ष – जो सामने दिखाई दे
- प्रयत्नशील – प्रयास में लगे रहना
- प्रवचन – वेद, पुराण आदि का उपदेश करना
- प्रस्ताव – योजना
- प्रस्थान – जाना
- प्रहार – हमला
- फ़रार – भाग जाना
- फ़िलहाल – अभी / इस समय
- फुरती – तेज़ी
- फूटी आँखों न सुहाना – थोड़ा भी अच्छा न लगना
- बदतर – अत्यधिक बुरा
- बय – वसीयत
- बयान – हाल / वृतांत
- बरामद – हासिल करना
- बहुमूल्य – बहुत ज्यादा कीमती
- बाने – वेश में
- बूते – अपने बल पर
- बेचैन – व्याकुल
- बेचैन – व्याकुल
- बैकुंठ – स्वर्ग
- भनक – उड़ती खबर
- भयावनी – डरावनी
- भावी आशंका – भविष्य की चिंता
- मँडरा – घूमते
- मझधार – बीच में (जल प्रवाह या भवसागर के मध्य में)
- मथना – बार–बार सोचना
- मध्य – बीच में
- मनःस्थिति – मन की स्थिति
- मनौती – मन्नत
- मय – युक्त / भरा हुआ
- मशगूल – व्यस्त
- महटिया – नजरअंदाज कर देना
- माध्यम – सहारा
- मिष्टान्न – मिठाई
- मुस्तैद – कमर कस कर तैयार रहना
- मोहभंग – प्रेम की भ्रान्ति का नाश
- यंत्रणा – यातना / कलेश / कष्ट
- याचना – माँगना
- रँगे हाथों पकड़ना – जुर्म करते हुए पकड़े जाना
- रहस्यात्मक – राज से भरी हुई
- राजी – सहमत
- रोड़ा – छोटा पत्थर
- वय – उम्र
- वरन – सामना
- वशिष्ट – ख़ास
- वाकिफ – परिचित
- वास्तविक – असल में
- विकल्प – उपाय
- विकल्प – दूसरा उपाय
- विचारणीय – विचार करने योग्य
- विमुख – प्रतिकूल
- विराजमान – उपस्थित
- विलम्ब – देर
- विलीन – लुप्त हो जाना
- विस्फोट – फूट कर बाहर निकलना
- वैचारिक – विचार सम्बन्धी
- व्यंजन – अच्छा खाना
- व्यंजन – तरह–तरह का भोजन
- व्यक्त – स्पष्ट / साफ़
- व्याप्त – पूरी तरह फैला और समाया हुआ
- व्यावहारिक – व्यावहार सम्बन्धी
- शंकालु – संदेह करने वाला
- शुभचिंतक – भलाई चाहने वाला
- श्रद्धा – आदरपूर्ण आस्था या विश्वास
- श्रद्धेय – श्रद्धा के योग्य
- सँजोना – सँभाल कर रखना
- संकोच – झिझक
- संतोष – तृप्ति / प्रसन्नता / हर्ष
- संयोग – किस्मत
- सञ्चालन – नियंत्रण / चलाना
- सतर्क – सावधान
- सदभाव – अच्छा व्यवहार
- सन्नाटा – चुपी / मौन
- समक्ष – सामने
- समाधान – उपाय
- समाधान – हल
- समिति – संस्था
- समूचे – पुरे
- सम्भावना – हो सकने का भाव
- सम्मिलित – सामूहिक
- सयाना – व्यस्क / बुद्धिमान / समझदार
- सराहना – प्रशंसा
- सार्थक – उद्देश्य वाला
- सिवाय – अलावा
- सीमित – सीमा के अंदर
- सुरमा – योद्धा / बहादुर
- स्वतः – अपने आप
- स्वार्थ – अपना मतलब
- हड़प लेना – बेईमानी से ले लेना
- हरजाने – हानि के बदले दिया जाने वाला धन
- हस्तगत – अपने हाथों में
- हाथापाई – मारपीट
- हिमायती – तरफदारी करने वाला / पक्षपाती
- हुमाध – हवन में प्रयुक्त होने वाली सामग्री
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