JKBOSE Class 10 Hindi Chapter 4 Hamara Pyara Bharat Varsh (हमारा प्यारा भारत वर्ष) Question Answers (Important) from Bhaskar Bhag 2 Book

 

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JKBOSE Class 10 Chapter 4 Hamara Pyara Bharat Varsh Textbook Questions

 

भाव – सौंदर्यं

प्रश्न 1 – कवि ने भारत को “हिमालय का आँगन” क्यों कहा है?
उत्तर – कवि ने भारत को “हिमालय का आँगन” इसलिए कहा है क्योंकि भारत में उषा की पहली किरण हिमालय पर ही पड़ती है। पहली किरण ऐसा प्रतीत करवाती है जैसे यह पहली किरण सुबह का भारत के लिए कोई उपहार हो क्योंकि उस पहली किरण के कारण ओस की बूंदें किसी हीरे के हार के समान दिखाई पड़ती है।

प्रश्न 2 – भारत का कौन-सा सम्राट (बौद्ध) भिक्षुक बन गया था ?
उत्तर – भारतीय संस्कृति में सम्राट भी भिक्षुक बन कर रहे हैं और घर-घर में दया का उपदेश देते रहे हैं। भारत के सम्राट अशोक बौद्ध बने थे और लोक कल्याण में अपना जीवन अर्पित कर दिया था।

प्रश्न 3 – किस यवन यूनानी राजा को भारत में दया का दान मिला था ?
उत्तर – भारत ने यूनान को दया का दान दिया। अर्थात चंद्रगुप्त ने तक्षशिला विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान भारत में छिपकर प्रवेश करने वाले यवन (यूनानी) सम्राट सिकंदर को तलवार – युद्ध में हराकर फिर जीवित छोड़ दिया था ।

निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए :-
(क) ज्ञान का प्रकाश सबसे पहले भारत में फैला ।
उत्तर – पंक्ति का आशय यह है कि सबसे पहले ज्ञान हमारे भारत देश में ही जागृत हुआ था। हमारा भारत ने विश्व गुरु बन कर पूरे विश्व को अपने ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित किया है। विश्व में सब जगह अज्ञान रूपी अंधकार छाया हुआ था। भारत द्वारा फैलाए गए ज्ञान के प्रकाश ने पूरे विश्व से अज्ञानता के अंधकार का विनाश हुआ और पूरी सृष्टि के दुख दर्द मानो उस ज्ञान से दूर हो गए।

(ख) भारत हमारा मूल स्थान है, हम बाहर से नहीं आए ।
उत्तर – पंक्ति का आशय यह है कि हम (आर्य) भारत के ही मूल निवासी हैं। कुछ इतिहासकारों की यह मान्यता कि आर्य मध्य एशिया से आकर भारत में बसे, कवि जयशंकर प्रसाद को स्वीकार नहीं । दूसरा अर्थ यह भी है कि भारत के लोग भारत में ही जन्में हैं वे कहीं और से आ कर भारत में नहीं बसे बल्कि भारत में बाहर से अनेक शरणार्थी आए और भारत में ही बस गए।

(ग) शक्तिशाली होकर भी हमने विनम्रता नहीं छोड़ी।
उत्तर – पंक्ति का आशय यह है कि भारतीयों ने कभी किसी से जोर-जबरदस्ती कोई चीज़ नहीं ली है। अर्थात भारत ने किसी पर बलपूर्वक अपना अधिकार स्थापित नहीं किया है।

(घ) हमारे देश में अतिथि का सत्कार देवता के समान होता है ।
उत्तर – पंक्ति का आशय यह है कि भारतीयों द्वारा इकठ्ठे किए गए उनके धन में भी दान का एक भाग सदा रहता है और अथितियों को भारत में भगवान् के बराबर माना जाता है। भारत की संस्कृति में ‘अतिथि देवो भवः’ माना जाता है।

(ङ) हम भारतवर्ष के लिए सब कुछ भेंट कर दें ।
उत्तर – पंक्ति का आशय यह है कि हम अपना जीवन इस भारत वर्ष के लिए अर्पित करते हैं। हम घमंड और ख़ुशी में अपना जीवन, अपना सब कुछ इस भारत वर्ष पर न्योछावर करते हैं क्योंकि भारत ने सम्पूर्ण संसार को सिर्फ भौतिक या सांसारिक वस्तुएँ नहीं दीं, बल्कि पूरे विश्व को धर्म, ज्ञान, नैतिकता, और संस्कृति की अमूल्य धरोहर सौंपी है।

शिल्प-सौंदर्य
(क) वही है रक्त, वही है देश, वही साहस है, वैसा ज्ञान,
वही है शांति, वही है शक्ति, वही हम दिव्य आर्य-संतान ।
उपर्युक्त पंक्तियों में “वही” शब्द पर ध्यान दीजिए। यह वास्तव में वह – ही का परिवर्तित रूप है । “ही” अव्यय से “वह” के अर्थ में बल आ जाता है। इस प्रकार के अव्ययों को निपात कहते हैं । अन्य निपात हैं – भी, तो, तक, मात्र, भर ।
प्रस्तुत कविता में निपात वाले शब्दों के उदाहरण ढूँढ निकालें।
उत्तर –
कविता में निपात वाले शब्दों के उदाहरण-
व्योम-तम-पुंज हुआ तब नष्ट
मिला था स्वर्ण-भूमि को रत्नशील की सिंहल को भी सृष्टि
जियें तो सदा उसी के लिए

(ख) प्रस्तुत पाठ में कवि ने तत्सम शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है।
उदा० :- प्रथम, उपहार, उषा, अभिनंदन, विश्व आदि ।
पाठ में आए ऐसे ही दस तत्सम शब्दों को लिखें तथा अर्थ बताते हुए उनका वाक्यों में प्रयोग करें।
उत्तर – पाठ में निम्नलिखित तत्सम शब्द आए हैं – उपहार, विश्व, भिक्षु, प्रचंड, विपन्न, हृदय, हर्ष, सर्वस्व, शक्ति, अतिथि।
उपहार – तोहफ़ा – परीक्षा में प्रथम आने पर पिता ने पुत्र को उपहार दिया।
विश्व – संसार – भारत ने विश्व गुरु बन कर संसार से अज्ञान का अन्धकार दूर किया है।
भिक्षु – भिखारी – भारत के कई सम्राटों ने भिक्षु बनकर लोककल्याण का रास्ता अपनाया।
प्रचंड – भयंकर – बरसात में बारिश प्रचंड रूप धारण करती है।
विपन्न – दुःखी – संपन्न को विपन्न की सहायता करना, भारतीय संस्कृति की सीख है।
हृदय – दिल — प्राचीन समय से ही भारतीयों का हृदय पवित्र रहा है।
हर्ष – प्रसन्नता – संतान की सफलता से माता-पिता हर्ष महसूस करते है।
सर्वस्व – सब कुछ – भारतीय वीरों ने देश के लिए सर्वस्व अर्पित कर दिया।
शक्ति – ताकत – संसार भारतीयों की शक्ति का लोहा मानता है।
अतिथि – मेहमान – भारत की संस्कृति में अतिथि को भगवान् के समान समझा जाता हैं।

योग्यता – विस्तार

(ख) “विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम “
उपर्युक्त कथन की पुष्टि में भारत के प्राचीन और वर्तमान इतिहास से एक-एक उदाहरण दीजिए ।
उत्तर – विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम। इस कथन की पुष्टि यहीं से की जा सकती है कि भारतीयों ने शस्त्रों के बल पर दूसरे देशों को नहीं जीता, बल्कि उन्होंने प्रेमभाव से लोगों के हृदय जीते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही लोगों के मन में धर्म की भावना रही है। भारत वर्ष में महावीर और गौतम बुद्ध जैसे धर्मपुरुष हुए हैं, जिन्होंने अपना विशाल साम्राज्य लोककल्याण के लिए छोड़ दिया और स्वयं भिक्षु का स्वरूप धारण किया और घर-घर घूमकर लोगों का कष्ट दूर करने का प्रयास किया अर्थात धर्म का प्रचार किया।
आधुनिक इतिहास से हम इस कथन की पुष्टि हेतू गाँधी जी का नाम ले सकते हैं। क्योंकि उन्होंने सत्य एवं अहिंसा के बल पर अंग्रेज सरकार से टक्कर ली और भारत छोड़ने पर विवश कर दिया। उन्होंने हिंसा को न चुन कर धर्म की राह चुनी और विजय प्राप्त की।

JKBOSE Class 10 Hindi Lesson 4 हमारा प्यारा भारत वर्षसार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

 

1 –
हिमालय के आंगन में उसे प्रथम किरणों का दे उपहार,
उस ने हँस अभिनंदन किया और पहनाया हीरक हार।
जगे हम, लगे जगाने विश्व लोक में फैला फिर आलोक,
व्योम-तम-पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक।

प्रश्न 1 – पद्यांश में किसका वर्णन किया गया है?
(क) हिमालय की सुंदरता का
(ख) भारत की महानता का
(ग) भारत की प्राकृतिक सुंदरता एवं संस्कृति के उद्भव का
(घ) भारत के गौरव का
उत्तर – (ग) भारत की प्राकृतिक सुंदरता एवं संस्कृति के उद्भव का

प्रश्न 2 – सूर्य सबसे पहले अपनी किरणों की भेंट किसको देता है?
(क) भारत की भूमि को
(ख) हिमालय के आँगन को
(ग) ओस की बूंदों को
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) हिमालय के आँगन को

प्रश्न 3 – हीरक हार का क्या अर्थ है?
(क) हीरों की माला
(ख) हीरे की खान
(ग) ओस की बड़ों का हार
(घ) हिमालय का हार
उत्तर – (क) हीरों की माला

प्रश्न 4 – सबसे पहले ज्ञान का उदय कहाँ हुआ?
(क) चीन देश में
(ख) म्यांमार देश में
(ग) भारत देश में
(घ) श्रीलंका देश में
उत्तर – (ग) भारत देश में

प्रश्न 5 – प्रस्तुत पद्यांश का भाव क्या है?
(क) संसार में सर्वप्रथम भारत में ही ज्ञान का सूर्य चमका था
(ख) भारतीय संस्कृति सब से प्राचीन है और इसे विश्व की संस्कृति की जननी कहा जाता है
(ग) भारत में वेदों का ज्ञान अवतरित हुआ था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

2 –
विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम,
भिक्षुक हो कर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम।
यवन को दिया दया का दान, चीन को मिली धर्म की दृष्टि,
मिला था स्वर्ण-भूमि को रत्न, शील की सिंहल को भी सृष्टि।
किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं,
हमारी जन्म भूमि थी यही कहीं से हम आए थे नहीं।

प्रश्न 1 – इस पृथ्वी पर सच्ची विजय क्या है?
(क) शस्त्रास्त्रों की विजय
(ख) आध्यात्मिक विजय
(ग) धर्म-विजय
(घ) सांस्कृतिक विजय
उत्तर – (ग) धर्म-विजय

प्रश्न 2 – भारत भूमि पर किसकी धूम रही है?
(क) धर्म-विजय की
(ख) शस्त्रास्त्रों की विजय की
(ग) सांस्कृतिक विजय की
(घ) आध्यात्मिक विजय की
उत्तर – (क) धर्म-विजय की

प्रश्न 3 – कौन अपने संपूर्ण वैभव-विलास का परित्याग कर भिक्षु बनकर रहते थे?
(क) सम्राट् सिकंदर
(ख) सम्राट् पोरस
(ग) सम्राट् अशोक
(घ) राणा प्रताप
उत्तर – (ग) सम्राट् अशोक

प्रश्न 4 – सिंहल का क्या अर्थ है?
(क) चीन
(ख) श्रीलंका
(ग) भारत
(घ) यूनान
उत्तर – (ख) श्रीलंका

प्रश्न 5 – हमारी जन्मभूमि थी यही, कहीं से हम आये थे नहीं। से क्या आशय है?
(क) हम (आर्य जाति) बाहर से आए है।
(ख) हम (आर्य जाति) यवन से आए है। भारत हमारी जन्म भूमि नहीं है।
(ग) आर्य जाति भारत की नहीं है।
(घ) हम (आर्य जाति) यहां कहीं बाहर से नहीं आए। भारत ही हमारी जन्म भूमि है।
उत्तर – (घ) हम (आर्य जाति) यहां कहीं बाहर से नहीं आए। भारत ही हमारी जन्म भूमि है।

3 –
जातियों का उत्थान, पतन, आँधियाँ, झड़ी, प्रचंड समीरन,
खड़े देखा, झेला, हँसते, प्रलय में पले हुए हम वीर।
चरित के पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न,
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न।

प्रश्न 1 – भारतीयों ने क्या क्या देखा है?
(क) जातियों का उत्थान-पतन
(ख) आँधियाँ
(ग) झड़ी, प्रचंड समीरन
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2 – चरित के पूत का क्या अर्थ है?
(क) चरित्र वाले संत
(ख) अच्छे चरित्र के पुत्र
(ग) अच्छे चरित्र के अभिभावक
(घ) अच्छे चरित्र के गुरु
उत्तर – (ख) अच्छे चरित्र के पुत्र

प्रश्न 3 – पद्यांश के अनुसार हमारे पूर्वज कैसे थे?
(क) शक्तिशाली, आचरण से शुद्ध
(ख) स्वाभिमानी
(ग) नम्र एवं परोपकारी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – किसी को देख न सके विपन्न से क्या आशय है ?
(क) हम किसी को समृद्ध नहीं देख सकते
(ख) हम किसी को अच्छा करते हुए सहन नहीं कर सकते
(ग) हम किसी को भी यहाँ तक कि शत्रु को भी दुःखी नहीं देख सकते
(घ) हमें सभी को दुखी करना अच्छा लगता है
उत्तर – (ग) हम किसी को भी यहाँ तक कि शत्रु को भी दुःखी नहीं देख सकते

प्रश्न 5 – पद्यांश का भाव क्या है?
(क) हम सभी से ज्ञानी व् समृद्ध है
(ख) हम सदैव शत्रु का विनाश करते आए हैं
(ग) हम किसी को समृद्ध नहीं देख सकते
(घ) हमें अनेक प्रकार के संघर्षों का सामना करना पड़ा है
उत्तर – (घ) हमें अनेक प्रकार के संघर्षों का सामना करना पड़ा है

4 –
हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देव,
वचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा में रहती थी टेक।
वही है रक्त, वही है देश, वही साहस है, वैसा ज्ञान,
वही है शांति, वही है शक्ति, वही हम दिव्य आर्य – संतान।
जिएँ तो सदा उसी के लिए, यही अभिमान रहे, यह हर्ष,
निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारत वर्ष ।

प्रश्न 1 – पद्यांश के अनुसार भारतवासी धन संग्रह क्यों करते थे?
(क) समृद्धि पाने के लिए
(ख) दान देने के लिए
(ग) इज्ज़त पाने के लिए
(घ) वचस्व बढ़ाने के लिए
उत्तर – (ख) दान देने के लिए

प्रश्न 2 – पद्यांश के अनुसार भारत वासियों का स्वभाव कैसा रहा है?
(क) वचन में सत्य
(ख) प्रतिज्ञा में टेक
(ग) हृदय में तेज
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3 – वही हम दिव्य आर्य संतान’ वाक्य में दिव्य आर्य संतान क्यों कहा गया है?
(क) क्योंकि शक्तिशाली की संतान भी शक्तिशाली ही होती है
(ख) क्योंकि आर्य भारत में ही जन्में थे
(ग) क्योंकि आर्य बहुत शक्तिशाली थे
(घ) क्योंकि अपने पूर्वजों के ही पद-चिह्नों पर चल रहे हैं
उत्तर – (घ) क्योंकि अपने पूर्वजों के ही पद-चिह्नों पर चल रहे हैं

प्रश्न 4 – जिएँ तो सदा उसी के लिए, वाक्य में किसकी बात हो रही है ?
(क) भारत देश की
(ख) आर्यों की
(ग) पूर्वजों की
(घ) हिमालय की
उत्तर – (क) भारत देश की

प्रश्न 5 – निछावर कर दें हम सर्वस्व, किस पर सब कुछ न्योछावर करने की बात हो रही है?
(क) संस्कृति पर
(ख) नैतिक मूल्यों पर
(ग) भारत वर्ष पर
(घ) जन्म स्थान पर
उत्तर – (ग) भारत वर्ष पर

 

JKBOSE Class 10 Hindi हमारा प्यारा भारत वर्ष प्रश्न और उत्तर (Extra Question Answers)

 

प्रश्न 1 – हिमालय पर पड़ने वाली पहली किरण किस तरह प्रतीत होती है?
उत्तर – उषा की पहली किरण मानो हिमालय के आंगन में किसी उपहार की तरह लगती है। कहने का अभिप्राय यह है कि भारत में उषा की पहली किरण हिमालय पर किसी उपहार की तरह अपने दर्शन देती है। सुबह की किरण हंसते हुए भारत का स्वागत करती है और हिमालय पर सूर्य की किरण पड़ने के कारण ओंस की बूंदें चमकने लगती है। जिससे ऐसा आभास होता है जैसे हिमालय ने हीरों का हार पहन रखा हो।

प्रश्न 2 – भारत किस तरह विश्व गुरु कहलाया?
उत्तर – सबसे पहले ज्ञान भारत देश में ही जागृत हुआ था। हमारा भारत ने विश्व गुरु बन कर पूरे विश्व को अपने ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित किया है। विश्व में सब जगह अज्ञान रूपी अंधकार छाया हुआ था। भारत द्वारा फैलाए गए ज्ञान के प्रकाश ने पूरे विश्व से अज्ञानता के अंधकार का विनाश हुआ और पूरी सृष्टि के दुख दर्द मानो उस ज्ञान से दूर हो गए।

प्रश्न 3 – भारत ने बल से अधिक महत्त्व धर्म को दिया। कैसे?
उत्तर – भारतीयों ने शस्त्रों के बल पर कभी किसी दूसरे देश को जीतने का प्रयास नहीं किया, बल्कि हमेशा धर्म के मार्ग पर चल कर ही, प्रेमभाव से सम्पूर्ण धरती पर इतिहास रचे हैं। अर्थात भारत में प्राचीन काल से ही लोगों के मन में धर्म की भावना रही है। भारतीय संस्कृति में सम्राट भी भिक्षुक बन कर रहे हैं और घर-घर में दया का उपदेश देते रहे हैं। उदाहरण के लिए – सम्राट अशोक बौद्ध बने थे और लोक कल्याण में अपना जीवन अर्पित कर दिया था।

प्रश्न 4 – भारत ने कौन-कौन से देशों को क्या-क्या दिया ?
उत्तर – भारत की संस्कृति ऐसी रही है कि भारत ने विश्व को कुछ न कुछ मूल्यवान प्रदान किया है। जैसे भारत ने यूनान को दया का दान दिया। अर्थात चंद्रगुप्त ने तक्षशिला विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान भारत में छिपकर प्रवेश करने वाले यवन (यूनानी) सम्राट सिकंदर को तलवार – युद्ध में हराकर फिर जीवित छोड़ दिया था । भारत ने चीन को धर्म की दृष्टि दी। अर्थात धार्मिक विचार, ध्यान, अहिंसा आदि भारत से बौद्ध धर्म और धार्मिक दर्शन द्वारा चीन पहुँचा। भारत से ही स्वर्ण-भूमि अर्थात बर्मा देश (म्यांमार) (भारत का एक पूर्वी पड़ोसी देश) को केवल धन ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक, नैतिक मूल्यों जैसे बहुमूल्य रत्न (बौद्ध तथा जैन धर्म में दर्शन, ज्ञान और चरित्र, तीन “रत्न”) भी मिले हैं। भारत ने ही श्रीलंका को शील (सदाचार बौद्ध धर्म में “अस्तेय (चोरी न करना), अहिंसा, ब्रह्मचर्य, सत्य, नशीली वस्तुओं का त्याग ” पाँच शील माने हैं) की रचना भी दी।

प्रश्न 5 – कवि भारत की महानता को कैसे सिद्ध करते हैं?
उत्तर – कवि भारत की महानता सिद्ध करते हुए कहते हैं कि भारतीयों ने कभी किसी से जोर-जबरदस्ती कोई चीज़ नहीं ली है। अर्थात भारत ने किसी पर बलपूर्वक अपना अधिकार स्थापित नहीं किया है। हम (आर्य) भारत के ही मूल निवासी हैं। कुछ इतिहासकारों की यह मान्यता कि आर्य मध्य एशिया से आकर भारत में बसे, कवि जयशंकर प्रसाद को स्वीकार नहीं । भारतीयों ने अनेक जन-समुदायों को पनपते और समृद्ध होते हुए भी देखा है और उनका विनाश होते हुए भी देखा है। तूफानों, भारी वर्षा और भयानक हवाओं का भी सामना किया है। अनेक विपरीत परिस्थितियों व् भीषण विनाश के समय को हँस कर झेलने वाले वीर इस भारत की भूमि पर पले हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि भारत जैसे विविध संस्कृति वाले देश ने हर तरह के बुरे समय व् परिस्थितियों का सामना किया है और डट कर हमेशा खड़ा रहा है।

प्रश्न 6 – भारत का गौरवशाली अतीत रहा है। कविता के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तर – कविता में भारत के गौरवशाली अतीत का बहुत सुन्दर वर्णन किया गया है। भारत में पैदा होने वाले पुत्र सदा से चरित्रवान रहे है। भारतीयों की भुजाओं में भरपूर शक्ति रही है। भारतीयों के स्वभाव में हमेशा से विनम्रता का भाव रहा है। भारतीयों ने कभी अपनी महानता का घमंड नहीं दिखाया है। अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व रहा है। भारतीय सदा दिन-दुखियों की सेवा करने के लिए तैयार रहते है। भारतीयों द्वारा इकठ्ठे किए गए उनके धन में भी दान का एक भाग सदा रहता है और अथितियों को भारत में भगवान् के बराबर माना जाता है। भारतीयों अपने वचन को निभाने के लिए अपना जीवन भी त्याग सकते है। भारतीयों के हृदय में  शक्ति व् पराक्रम भरा रहता है और  भारतीय अपनी प्रतिज्ञा पर अटल रहते हैं। हम अपना जीवन इस भारत वर्ष के लिए अर्पित करते हैं। हम घमंड और ख़ुशी में अपना जीवन, अपना सब कुछ इस भारत वर्ष पर न्योछावर करते हैं क्योंकि भारत ने सम्पूर्ण संसार को सिर्फ भौतिक या सांसारिक वस्तुएँ नहीं दीं, बल्कि पूरे विश्व को धर्म, ज्ञान, नैतिकता, और संस्कृति की अमूल्य धरोहर सौंपी है।