JKBOSE Class 10 Hindi Chapter 8 Madhur Madhur Mere Deepak Jal (मधुर मधुर मेरे दीपक जल) Question Answers (Important) from Bhaskar Bhag 2 Book
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- Madhur Madhur Mere Deepak Jal Textbook Questions
- Madhur Madhur Mere Deepak Jal Extract Based Questions
- Madhur Madhur Mere Deepak Jal Extra Question Answers
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JKBOSE Class 10 Chapter 8 Madhur Madhur Mere Deepak Jal Textbook Questions
(क ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1 -: प्रस्तुत कविता में ‘दीपक ‘ और ‘प्रियतम ‘ किसके प्रतिक हैं ?
उत्तर –: प्रस्तुत कविता में ‘दीपक ‘ ईश्वर के प्रति आस्था का और ‘प्रियतम ‘ उसके आराध्य ईश्वर का प्रतिक है।
प्रश्न 2 -: दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों ?
उत्तर -: कवयित्री ने दीपक को निरंतर जलने के लिए इसलिए कहा है क्योंकि जब दीपक निरंतर जलेगा तो उसके आराध्य अर्थात ईश्वर तक जाने का ज्ञान रूपी रास्ता हमेशा प्रकाशमान रहेगा।
प्रश्न 3 -: ‘विश्व – शलभ’ दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है ?
उत्तर -: विश्व – शलभ दीपक के साथ अपने आपको मिलाकर प्रकाशमय होना चाहता है। जिस तरह दीपक अपने आपको जला कर ज्ञान रूपी प्रकाश फैलता है पतंगा भी उसी के साथ मिलकर ज्ञान रूपी प्रकाश फैलाना चाहता है।
प्रश्न 4 -: आपकी दृष्टि में मधुर मधुर मेरे दीप जल कविता का सौंदर्य इन में से किस पर निर्भर करता है ?
(क ) शब्दों की आवृति पर
(ख) सफल बिंब अंकन पर
उत्तर –: इस कविता में सौंदर्य दोनों पर निर्भर है। पुनरुक्ति रूप में शब्द का प्रयोग है – मधुर मधुर, युग युग, गल गल,पुलक पुलक, सिहर सिहर, विहँस विहँस आदि कविता को लयबद्ध बनाते हुए प्रभावी बना रहे हैं। दूसरी ओर बिम्ब योजना भी सफल है – विश्व शलभ सिर धुन कहता, मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन जैसे बिम्ब हैं।
प्रश्न 5 -: कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही है?
उत्तर -: कवयित्री अपने प्रियतम अर्थात ईश्वर का पथ आलोकित करना चाह रही है।
प्रश्न 6 -: कवयित्री को आकाश में तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहें हैं ?
उत्तर -: कवयित्री को आकाश में तारे स्नेहहीन से प्रतीत हो रहे है क्योंकि उनमे प्रकाश तो है परन्तु वे दूसरों को प्रकाशित नहीं कर पा रहे हैं।
प्रश्न 7 -: पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है ?
उत्तर -: पतंगा पछ्ता कर अपना क्षोभ व्यक्त कर रहा है। वह सोचता है कि वह उस दीपक के साथ ही क्यों नहीं जल गया क्योकि पतंगा दीपक के साथ जल कर ज्ञान रूपी प्रकाश फैलाना चाहता था।
प्रश्न 8 -: मधुर मधुर ,पुलक पुलक ,सिहर सिहर और विहँस विहँस कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग अलग तरह से जलने को क्यों कहा है ?स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -: कवयित्री अपने मन रूपी दीपक को मधुरता , कंपन , रोमांच और ख़ुशी हर परिस्थिति में जलने के लिए कहा है ताकि हर परिस्थिति में कवयित्री अपने आराध्य अर्थात ईश्वर के मार्ग को प्रकाशमान बनाये रखे।
प्रश्न 9 -: निचे दी गई काव्य – पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए -:
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल।
विहँस विहँस मेरे दीपक जल।
(क ) स्नेहहीन दीपक से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर -: स्नेहहीन दीपक से तात्पर्य उन व्यक्तिओं से है जो दूसरों के लिए कुछ भी नहीं कर सकते।
(ख ) सागर को जलमय कहने से क्या अभिप्राय है और उसका ह्रदय क्यों जलता है ?
उत्तर -: सागर के पास भरपूर पानी होने के बाद भी वह पानी किसी काम नहीं आता लेकिन बादल के पास जितना भी पानी होता है वो संसार पर बरसा देता है यह देख कर सागर का हृदय जलता है।
(ग ) बादलों की क्या विशेषता बताई गई है ?
उत्तर -: बादलों में जल भरा होता है वो इस जल को संसार पर बरसा कर संसार को हरा भरा करते हैं और बिजली की चमक से संसार को प्रकाशमान करते हैं अतः बादल का स्वभाव परोपकारी कहा गया है।
(घ ) कवयित्री दीपक को विहँस विहँस कर जलने को क्यों कह रही है ?
उत्तर -: कवयित्री दीपक को सबकी भलाई करते हुए जलने को इसलिए कहती है क्योंकि उसने देखा है कि सागर भरपूर पानी के बाद भी किसी की प्यास नहीं भुजा सकता और बादल थोड़े से पानी से सबको खुश कर देता है तो कवयित्री भी चाहती है की वो सागर ना बन कर बादल बने और सबकी भलाई करे।
प्रश्न 10 -: क्या मीराबाई और आधुनिक मीरा महादेवी वर्मा इन दोनों ने अपने अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं ,उनमे आपको कुछ समानता या अंतर प्रतीत होता है ? अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर -: महादेवी वर्मा ने ईश्वर को निराकार ब्रम्ह माना है और उसी को अपना अराध्य भी मानती हैं। सबकुछ समर्पित करने की इच्छा भी की है परन्तु उसके स्वरूप का वर्णन नहीं किया है। मीरा कृष्ण को अपना प्रियतम मानती है और उनकी सेविका बनना चाहती हैं। उनके स्वरूप और सौन्दर्य की रचना भी की है। इन दोनों में बस इतना ही फर्क है कि महादेवी अपने अराध्य को निर्गुण मानती है और मीरा अपने प्रियतम की सगुण उपासक है।
(ख ) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए
(1)-: दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल
उत्तर -: कवयित्री का मानना है की मेरे आस्था के दीपक तू जल जल कर अपने जीवन के एक – एक कण को गला दे और उस प्रकाश को सागर की भांति फैला दे। ताकि दूसरे लोग भी उसका लाभ उठा सकें।
(2)-: युग युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर।
उत्तर –: कवयित्री का भाव यह है कि आस्था रूपी दीपक जलता रहे और युगों – युगों तक प्रकाश फैलाता रहे ताकि प्रियतम रूपी ईश्वर का मार्ग हमेशा प्रकाशित रहे अर्थात ईश्वर में आस्था बनी रहे।
(3)-: मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन;
उत्तर -: इस पंक्ति में कवयित्री का मानना है कि इस कोमल तन को मोम की तरह पिघलना होगा ताकि प्रियतम तक पहुंचना संभव हो अर्थात ईश्वर प्राप्ति के लिए कठिन साधना करनी पड़ती है।
JKBOSE Class 10 Hindi Lesson 8 मधुर मधुर मेरे दीपक जल सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)
1)
मधुर मधुर मेरे दीपक जल
युग युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर।
प्रश्न 1. कविता और कवि का नाम बताइए।
उत्तर – कविता का नाम – मधुर मधुर मेरे दीपक
कवि का नाम – महादेवी वर्मा
प्रश्न 2. ‘युग युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल’, में कौन सा अलंकार है।
उत्तर – अनुप्रास
प्रश्न 3. प्रस्तुत कविता में दीपक किसका प्रतीक है?
उत्तर – ईश्वर के प्रति आस्था
प्रश्न 4. कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाहती है?
उत्तर – अपने प्रियतम का
2)
सौरभ फैला विपुल धूप बन,
मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन;
दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल
पुलक पुलक मेरे दीपक जल।
प्रश्न 1. कवयित्री दीपक से किसके लिए जलने को कहती है?
उतर – अपने प्रियतम के लिए
प्रश्न 2. कवयित्री अपने कोमल तन को किस की तरह पिघलाने की बात कर रही है?
उतर – कोमल मोम की तरह
प्रश्न 3. पुलक पुलक में कौन सा अलंकार है?
उत्तर – पुनरुक्ति प्रकाश
3)
सारे शीतल कोमल नूतन,
माँग रहे तुझसे ज्वाला-कण
विश्व-शलभ सिर धुन कहता मैं
हाय! न जल पाया तुझमें मिल,
सिहर-सिहर मेरे दीपक जल!
प्रश्न 1. सारे शीतल कोमल और नूतन दीपक से क्या मांग रहे हैं?
उतर – ज्वाला कण
प्रश्न 2. ‘ज्वाला कण’ का अर्थ बताएं |
उतर – आग की लपट
प्रश्न 3. ‘शलभ’ का अर्थ बताएं |
उतर – पतंगा
प्रश्न 4. पतंगे को पश्चाताप है कि वह ____________
उतर – दीपक से एकाकार न हो सका
4)
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस-विहँस मेरे दीपक जल!
प्रश्न1. ‘स्नेहहीन दीपक’ से क्या तात्पर्य है?
(क) दीपक में तेल नहीं है।
(ख) जिसके हृदय में आस्था और विश्वास है।
(ग) जिसके हृदय में ईश्वर के प्रति आस्था नहीं है।
(घ) व्यक्ति, जिसके हृदय में प्रेम नहीं है।
उत्तर – (घ) व्यक्ति, जिसके हृदय में प्रेम नहीं है
प्रश्न2. सागर का हृदय क्यों जलता है?
(क) स्वयं खुश होने के कारण
(ख) आस्थाहीन असंख्य तारों को देखकर
(ग) स्नेहहीन असंख्य तारों को देखकर
(घ) धरती पर शांति होने के कारण
उत्तर – (ग) स्नेहहीन असंख्य तारों को देखकर
प्रश्न3. कवि ने बादल की क्या विशेषता बताई है?
(क) बादल गरजकर बरसता जाता है
(ख) बादल पृथ्वी को प्रेम देने के लिए जलवृष्टि करता है
(ग) बादल मेघ वर्षा लाते हैं।
(घ) बिजली के साथ बादल गिरता है
उत्तर – (ख) बादल पृथ्वी को प्रेम देने के लिए जलवृष्टि करता है
प्रश्न4. ‘विहँस-विहँस जलने’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
(क) स्नेह प्रकट करते हुए जलना
(ख) दूसरों को सदैव प्रसन्न रखना
(ग) दूसरों को सुख देना
(घ) मोमबत्ती की तरह धीरे-धीरे प्रकाश देना
उत्तर – (क) स्नेह प्रकट करते हुए जलना
प्रश्न5. ‘नभ’ का पर्यायवाची शब्द ___________ है।
(क) सिंध
(ख) सरिता
(ग) आकाश
(घ) पथ
उत्तर – (ग) आकाश
प्रश्न6. ‘जलमय सागर का हृदय जलने’ से क्या अभिप्राय है?
(क) भक्तों की समृद्धि देखकर ईर्ष्या करना
(ख) प्रभु भक्ति में हीन रहना
(ग) प्रभु भक्ति में लीन रहना
(घ) भक्तों से ईर्ष्या करना
उत्तर – (ग) प्रभु भक्ति में लीन रहना
JKBOSE Class 10 Hindi मधुर मधुर मेरे दीपक जल प्रश्न और उत्तर (Extra Question Answers)
प्रश्न1. “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल” कविता में कवयित्री ने आकाश में चमकते तारों को स्नेहहीन क्यों कहा है?
उत्तर – कवयित्री महादेवी वर्मा ने आकाश में चमकते तारों को “स्नेहहीन दीपक” कहा है, क्योंकि वे बिना किसी प्रेम (तेल) के जलते रहते हैं। वे किसी को रोशनी नहीं देते। कवयित्री ने इन प्रेम रहित दीयों की तुलना उन असंख्य मनुष्यों से की है जिनके हृदय में दया, करुणा, स्नेह नहीं है। उनमें परोपकार और उत्साह की कमी होती है। जो किसी के लिए मार्ग प्रशस्त नहीं करते, वे इन प्रेम रहित सितारों के समान हैं।
प्रश्न2. “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल” कविता में कवयित्री ने दीपक से किस बात का आग्रह किया है और क्यों ?
उत्तर – “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल” कविता में कवयित्री एक दीपक से साधना के कठोर पथ पर, बिना किसी दर्द के, निरंतर जलते हुए भगवान के मार्ग को रोशन करने का आग्रह करती है। इससे आत्मा को ईश्वर के करीब होने में मदद मिलेगी, और आत्मा और ईश्वर का मिलन हो सकता है, जिसका अर्थ है कि वे एक हो सकते हैं। इसके लिए कवयित्री उनसे परमार्थ के लिए जलने और प्राकृतिक वस्तुओं से प्रेरणा लेने का आग्रह करती हैं, कभी कांपती हैं तो कभी मुस्कुराती हैं।
प्रश्न3. “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल” कविता में कवयित्री दीपक से जलने का आग्रह क्यों कर रही हैं?
उत्तर – ‘मधुर-मधुर मेरे दीपक जल’ कविता में कवयित्री दीपक से जलने का आग्रह इसलिए कर रही हैं, ताकि उसके प्रिय निर्गुण ब्रह्म का दर्शन सभी को हो सके। दीपक आस्था, भक्ति और विश्वास का प्रतीक है। कवयित्री चाहती है कि उसके दीए की रोशनी से आस्था की सुगंध सब जगह फैल जाए और अपनी भक्ति की लौ से वह भक्ति की खोज में नए जीवों को भी आलोकित कर दे। दीपक का महत्व इस बात में निहित है कि वह अपने प्रकाश से लोगों को सही रास्ता दिखा सकता है। इसलिए कवयित्री दीपक से निरंतर जलने का आग्रह कर रही है।
प्रश्न4. “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल’ में कवयित्री के दीपक से ज्वाला-कण कौन मांग रहे हैं और क्यों?
उत्तर – संसार के वे जीव जिनके हृदय में अभी ईश्वर प्रेम की लौ नहीं जगी है, भक्ति के मार्ग पर अभी शुरुआत करने वालों के लिए, जिनके पास एक दयालु हृदय और शीतलता है, वे कवयित्री के विश्वास के दीपक से विश्वास की चिंगारी की तलाश कर रहे हैं, जिससे उनके हृदय में भी आस्था रूपी दीपक प्रज्वलित हो जाए। जब मनुष्य के मन में विश्वास नहीं होता है, तो वह अपने भीतर ईर्ष्या और द्वेष को निरंतर जलता हुआ महसूस करता है। लेकिन जब उसकी ईश्वर में आस्था होती है तो उसे इन दुर्भावनाओं से मुक्ति मिल जाती है।
प्रश्न5. महादेवी वर्मा अपने दीपक को किस प्रकार जलने के लिए कह रही है और क्यो ?
उत्तर – कवयित्री महादेवी वर्मा अपनी आस्था रूपी दीपक से मधुर-मधुर, पुलक-पुलक और विहँस-विहँस कर जलने का आग्रह करती हैं। मधुर-मधुर पर मुस्कान है, पुलक-पुलक में हंसी है। कवयित्री चाहती है कि उनकी भक्ति भावना में सुख बना रहे। कैसी भी स्थिति हो, विश्वास का दीपक प्रज्वलित और खुशी से जलता रहना चाहिए, और आपको ईश्वर की ओर मार्गदर्शन करने में मदद करता है। वह इस आस्था के दीये को उसके जाने के बाद भी जलते रहने का आह्वान कर रही है, क्योंकि कवयित्री के लिए ईश्वर ही सब कुछ है। वह अपने हृदय में प्रभु के प्रति आस्था और भक्ति की ज्योति जलाए रखना चाहती है।
प्रश्न6. “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल” कविता में कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाहती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!” कविता में कवयित्री महादेवी वर्मा अपने प्रियतम अर्थात ईश्वर का पथ आलोकित (प्रकाशित) करना चाह रही हैं। कवयित्री अपने हृदय में आस्था रूपी दीपक जलाकर उस प्रभु तक पहुँचने के मार्ग को प्रकाशवान कर देना चाहती हैं।
प्रश्न7. “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल” कविता में कवयित्री ने अपने दीपक से मोम की तरह घुलने के लिए क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए कि उसके घुलने में उसका कौन-सा भाव छिपा है।
उत्तर – “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल! कविता में महादेवी वर्मा शरीर को कोमल और आसानी से पिघलाने वाला मानती हैं। जिस प्रकार मोम अग्नि में गलकर अपना प्रकाश फैलाता है, उसी प्रकार वह अपने प्रियतम से मिलने की साधना में इस कोमल शरीर को विलीन करना चाहती है। तभी अपने प्रियतम से मिलन संभव होगा। ईश्वर के प्रति उनका समर्पण और त्याग की भावना उनके वियोग में छिपी है।
प्रश्न8. मधुर-मधुर मेरे दीपक जल” कविता में कवयित्री दीपक को “विहँस-विहँस” जलने के लिए क्यों कहती है?
उत्तर – “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल” कहानी में दीपक को निरंतर जलने के लिए कहा गया है क्योंकि कवयित्री की आत्मा हमेशा प्रसन्न और संतुष्ट रहना चाहती है। कवयित्री की आत्मा कभी निराश या उदास नहीं रहना चाहती और वह हमेशा प्रसन्न रहना चाहती है।
प्रश्न9. पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?
उत्तर:- पतंगा दीपक को रोशनी फैलाते देखकर चाहता है कि वह भी उसके साथ जलकर और अपना सर्वस्व उस पर न्यौछावर करके, संसार को प्रकाशित करना चाहता है; लेकिन वह अपने मन में बसे अहंकार, ईर्ष्या, आदि की वजह से ऐसा नहीं कर पाता। वह मोक्ष प्राप्ति करके ईश्वर से मिलन की इच्छा रखता है, इसलिए उसे पश्चाताप होता है।
प्रश्न10. ‘स्नेहहीन दीपक’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – स्नेहहीन दीपक से तात्पर्य है बिना तेल का दीपक अर्थात प्रभु भक्ति से शून्य व्यक्ति।
प्रश्न11. “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल” कविता में कवयित्री दीपक को स्वयं समर्पित करने के लिए क्यों कहती है?
उत्तर – कवयित्री ने दीपक से पूर्ण समर्पण और त्याग की भावना प्राप्त करने के लिए स्वयं को पूर्ण रूप से अपने कार्य के प्रति समर्पित करने के लिए कहा है। दीपक को प्रेयसी के रूप में ईश्वर के करीब होने के लक्ष्य के लिए खुद को समर्पित करने के लिए कहा गया है।
प्रश्न12. “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल” कविता में कवयित्री दीपक को “प्रतिदिन, प्रतिक्षण, प्रतिपल” जलने को क्यों कहती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – कवयित्री दीपक से “प्रतिदिन, प्रतिक्षण, प्रतिपल” शब्दों के साथ जलने (जला रहने) के लिए कहती है क्योंकि वह ईश्वर तक पहुँचने के अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहना चाहती है। वह एक पल के लिए भी अपने रास्ते से हटना या उससे दूर नहीं जाना चाहती।
काव्यांश पर आधारित प्रश्न (Poem Based Questions)
प्रश्न1. कवयित्री महादेवी वर्मा की कविता “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल” का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!” कविता में महादेवी वर्मा कहती हैं कि प्रियतम-भगवान से मिलने के लिए बहुत एकाग्रता की जरूरत होती है। आपको अपनी आत्मा को एक दीपक की तरह रोशन करना होगा और भगवान को पाने के लिए खुश और आनंदित होना होगा। ईश्वर को पाने के लिए आपको अपने शरीर की कोमलता को वैसे ही पिघलाना होगा जैसे मोम को पिघलाने पर होता है। केवल ईश्वर के प्रेम का संदेश फैलाकर ही हम दुनिया में बदलाव लाना शुरू कर सकते हैं। आज लोग सांसारिक बातों में इतने व्यस्त हैं कि उनके पास आध्यात्मिक बातों के लिए समय ही नहीं है। आध्यात्मिक सोच की दुनिया से दूर एक व्यक्ति में विश्वास लोगों को विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से मुक्त करने में मदद कर सकता है।
प्रश्न2. अपने प्रियतम को प्राप्त करने के लिए जो दीप जलाया गया है, उसकी क्या विशेषताएं हैं? “मधुर-मधुर मेरे दीपक जल” कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर – महादेवी वर्मा एक ऐसी कवयित्री हैं जो ईश्वर प्राप्ति के लिए आस्था का दीपक जलाए रखने की बात करती हैं। उनका कहना है कि आस्था का दीपक हर बार अलग-अलग तरीके से जलाया जाना चाहिए, “मधुर-मधुर” (मधुर-मधुर), “पुलक-पुलक” (गरजने वाली) और “विहंस-विहंस” (सुन्दर-सुन्दर) कहकर उन्होंने दीपक की इन्हीं विशेषताओं की ओर संकेत किया है। कवयित्री चाहती है कि हर कोई खुश रहे और अपनी भक्ति में खुशी पाए। कठिन परिस्थितियों में भी, उनका मानना है कि अगर हम अपना विश्वास बनाए रखें तो भी हम खुशी पा सकते हैं। कवयित्री कहती हैं कि ईश्वर तक पहुँचने के लिए हमें कई चरणों से गुज़रना पड़ता है और अलग-अलग तरीकों से खुद को अभिव्यक्त करना पड़ता है। हमें अपने विश्वास की ज्योति को जलाए रखना है।