कैकेयी का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of Kaikeyi from JKBOSE Class 10 Hindi Bhaskar Bhag 2 Book Chapter 6 Kaikeyi ka Anutap

 

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कैकेयी का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Kaikeyi)

1. पुत्रमोह के कारण स्वार्थी
कैकेयी अपने पुत्र भरत के प्रति अत्यधिक स्नेह रखती थी। इसी मोहवश उन्होंने राम के वनवास की मांग की। यह निर्णय उन्होंने मंथरा के बहकावे और राजनीतिक लाभ की आशा में लिया, जिससे उनका चरित्र पुत्रमोह के कारण चिंताजनक और स्वार्थी प्रतीत होता है।

2. आत्मग्लानिपूर्ण पश्चाताप करने वाली नारी
वनवास के बाद जब राम, भरत और समाज का दुख, व्यथा और विरोध सामने आता है, तब कैकेयी को अपने किए पर गहन पछतावा होता है। कविता में वह स्वयं को अपराधिन, अभागिन, महास्वार्थ से घिरी मानती हैं, जो उनके पश्चाताप की भावना को बताता है।

3. उत्तरदायित्व स्वीकारने वाली नारी
कैकेयी अपने अपराध के लिए किसी और को दोषी नहीं ठहरातीं। वह कहती है कि इसमें मंथरा का कोई दोष नहीं है, दोष उनके स्वयं का है। इससे स्पष्ट होता है कि वह पूरा उत्तरदायित्व स्वयं लेती हैं, जो उनके ईमानदार और साहसी चरित्र को उजागर करता है।

4. मातृत्व को लेकर व्यथित
कैकेयी की सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि उनका भरत जैसा स्नेही पुत्र अब उनसे दूर हो गया है। वह कहती हैं कि जिस पुत्रमोह ने उन्हें अपराध के पथ पर धकेला, वही पुत्र आज उनसे अजनबी की भांति व्यवहार कर रहा है। यह उनकी मातृत्वविहीन अवस्था की पीड़ा को बताता है।

5. धर्म और नीति से विमुख होकर पश्चाताप करने वाली
कैकेयी स्वीकार करती हैं कि उन्होंने स्वार्थ के कारण परमार्थ की उपेक्षा की।
उन्होंने भरत के कोमल, बाह्य स्वरूप को ही देखा, पर उसके दृढ़, त्यागमयी और परमार्थी स्वभाव को नहीं पहचान पायीं । उनका दृष्टिकोण केवल स्वार्थ से प्रेरित था, इसलिए वे अपने कर्तव्यों से विचलित हो गईं थीं और आज इस घोर पीड़ा का सामना पड़ा।

6. लोक-निंदा की पीड़ा झेलने वाली महिला
वह जानती हैं कि उनका नाम युग-युग तक कुमाता के रूप में लिया जाएगा। उनके अनुसार आने वाली पीढ़ियाँ कहेंगी कि रघुकुल जैसे महिमामय वंश में भी एक ऐसी अभागिनी रानी थी, जिसने अपनी स्वार्थपूर्ण इच्छाओं के कारण पूरे वंश को संकट में डाल दिया।

 

कैकेयी के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to the Character of a Kaikeyi)

Q1. कैकयी के चरित्र को उजागर कीजिये।
Q2. कैकयी ने मंथरा के प्रति कैसा व्यव्हार किया ?