JKBOSE Class 10 Hindi Chapter 3 Jammu-Kashmir va Ladakh Mein Hindi (जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में हिंदी) Question Answers (Important) from Bhaskar Bhag 2 Book

 

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जम्मू और कश्मीर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड कक्षा 10 हिंदी भास्कर भाग 2 के पाठ 3 जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में हिंदी प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। जम्मू और कश्मीर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड कक्षा 10 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में हिंदी प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

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JKBOSE Class 10 Chapter 3 Jammu-Kashmir va Ladakh Mein Hindi Textbook Questions

 

बोध और विचार

प्रश्न- अभ्यास

1. जम्मू-कश्मीर में बोली जाने वाली भाषाओं के नाम लिखें।
उत्तर– जम्मू में मुख्यतः डोगरी, कश्मीर घाटी में कश्मीरी बोली जाती है। इसके अतिरिक्त यहाँ लद्दाखी, पंजाबी, और कई अन्य स्थानीय बोलियाँ भी बोली जाती हैं।

2. प्राचीन काल में जम्मू-कश्मीर में हिंदी का प्रचार किनके द्वारा हुआ ?
उत्तर- प्राचीन काल में हिंदी का प्रचार साधुओं, पर्यटकों तथा भक्त-कवियों जैसे सूर, तुलसी, मीरा, कबीर आदि के दोहों और पदों के माध्यम से हुआ। इन कवियों के कई दोहे व पद सुगम तथा गेय होने के कारण धीरे-धीरे लोकप्रिय हुए तथा हिंदी का संस्कार जड़ पकड़ता गया।

3. हिंदी भाषा का संबंध संसार के कौन-से भाषा-परिवार से है ?
उत्तर– हिंदी भाषा का संबंध भारोपीय भाषा-परिवार की एक शाखा भारतीय आर्य शाखा से है।

4. कश्मीर के भक्त – कवि हिंदी में क्यों कविता करना चाहते थे ?
उत्तर- कश्मीर के भक्त-कवि भक्ति-भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए हिंदी में कविता करना चाहते थे। वे आर्थिक लाभ या लोभ के कारण नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करने हेतु हिंदी में रचना करते थे।

5. जम्मू के प्रथम हिंदी कवि का पूरा नाम क्या था ? वे किस नाम से प्रसिद्ध हुए ?
उत्तर- जम्मू के प्रथम हिंदी कवि का नाम ​​लक्ष्मण जू ‘बुल-बुल’ था। वे दत्तू नाम से प्रसिद्ध हुए थे। इनका समय अठारहवीं शताब्दी था ये जम्मू के प्रथम हिंदी कवि माने जाते हैं।

6. ‘वीरविलास’ नामक ग्रंथ के कवि का नाम लिखें।
उत्तर– ‘वीरविलास’ नामक ग्रंथ के रचयिता दत्तू थे, जो जम्मू के प्रथम हिंदी कवि माने जाते हैं।

7. हिंदी को जम्मू-कश्मीर में कब सरकारी संरक्षण मिला ?
उत्तर- हिंदी को जम्मू-कश्मीर में महाराजा रणवीर सिंह (1857–1865 ई.) के शासनकाल में सरकारी संरक्षण प्राप्त हुआ।

8. हिंदी हमारे देश की राष्ट्रभाषा क्यों बन गई ?
उत्तर– हिंदी अपनी लोकप्रियता, व्यापकता और देशभर में समझी-बोली जाने की क्षमता के कारण भारत की राष्ट्रभाषा बन गई।

9. आजकल जम्मू-कश्मीर में हिंदी का प्रचार तथा प्रसार किन माध्यमों से हो रहा है?
उत्तर– आजकल हिंदी का प्रचार-प्रसार सिनेमा, दूरदर्शन, रेडियो, पत्रिकाएँ जैसे शीराज़ा, वितस्ता, हिमानी, समाचार पत्र जैसे कश्मीर टाइम्स, जम्मू समाचार आदि माध्यमों से हो रहा है।

भाषा-अध्ययन
‘सामाजिक’ शब्द का अर्थ है समाज से संबंधित। यह विशेषण है। प्रस्तुत पाठ में ऐसे कई और शब्द प्रयुक्त हुए हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखें तथा उनके वाक्य बनाएँ ।

संज्ञा विशेषण
साहित्य साहित्यिक
समाज सामाजिक 
संस्कृति सांस्कृतिक 
  धर्म धार्मिक
प्रकृति प्राकृतिक  
अध्यात्म आध्यात्मिक
व्यवसाय व्यावसायिक
शिक्षा शैक्षिक

योग्यता विस्तार

जम्मू व कश्मीर में बोली जाने वाली विभिन्न उपभाषाओं (बोलियाँ) के नाम ज्ञात कर उनकी सूची बनाएँ ।

जम्मू क्षेत्र की प्रमुख बोलियाँ कश्मीर क्षेत्र की प्रमुख बोलियाँ
डोगरी कश्मीरी (कॉशुर)
पंजाबी शिना
गोजरी डर्दी (ब्रोकपा)
पोठोहरी बाल्ती
पुंछी पारिमी
भद्रवाही तत्समी
सराजी
किश्तवारी  
मिरासी  

 

JKBOSE Class 10 Hindi Lesson 3 जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में हिंदी सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

 

1
भारत के उत्तर में स्थित जम्मू-कश्मीर मूलतः अहिंदीतर प्रदेश है। अहिंदीतर प्रदेश से हमारा अभिप्राय ऐसे क्षेत्र से है, जहाँ हिंदी मातृभाषा के रूप में न बोलकर अन्य भाषा के रूप में प्रयोग में लाई जाती है। जम्मू-कश्मीर के दो मुख्य क्षेत्र हैं- जम्मू व कश्मीर। डोगरी जम्मू क्षेत्र की प्रमुख भाषा है। कश्मीर घाटी में कश्मीरी प्रमुख रूप से व्यवहार में लाई जाती है। इन भाषाओं के अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर में कई बोलियां भी बोली जाती हैं।
जम्मू-कश्मीर में हिंदी बोलने वालों की संख्या पर्याप्त है। यहां शिक्षित जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग हिंदी के व्यावहारिक तथा साहित्यिक रूपों से परिचित है। प्रायः सभी लोग हिंदी समझ-बोल सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर और हिंदी क्षेत्र के बीच प्राचीन काल से ही सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। कश्मीर अपने पर्यटन महत्त्व के अतिरिक्त विश्व-प्रसिद्ध संस्कृत भाषा का शिक्षा केंद्र रहा है। प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के अतिरिक्त बौद्धिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए भी लोगों का प्रवाह यहाँ आता रहा है। इस्लाम के आगमन से पूर्व बोली जाने वाली कश्मीरी में वैदिक तथा संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव दोनों प्रकार के शब्द पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। आजकल भी ये दोनों प्रकार के शब्द कश्मीरी भाषा में पाए जाते हैं । यहाँ यह कहना असंगत न होगा कि हिंदी में भी संस्कृत के ऐसे शब्दों की बहुत बड़ी संख्या पाई जाती है।

1. जम्मू-कश्मीर को अहिंदीतर प्रदेश क्यों कहा गया है?
(क) वहाँ हिंदी आधिकारिक भाषा है
(ख) वहाँ हिंदी को मातृभाषा के रूप में नहीं बोला जाता
(ग) वहाँ हिंदी को समझा नहीं जाता
(घ) वहाँ संस्कृत प्रमुख भाषा है
उत्तर – (ख) वहाँ हिंदी को मातृभाषा के रूप में नहीं बोला जाता

2. जम्मू क्षेत्र की प्रमुख भाषा कौन-सी है?
(क) कश्मीरी
(ख) संस्कृत
(ग) डोगरी
(घ) उर्दू
उत्तर – (ग) डोगरी

3. कश्मीरी भाषा में किस प्रकार के संस्कृत शब्द मिलते हैं?
(क) तत्सम और तद्भव दोनों
(ख) केवल तत्सम
(ग) केवल तद्भव
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (क) तत्सम और तद्भव दोनों

4. हिंदी और कश्मीरी भाषा में किस प्रकार का भाषिक संबंध पाया जाता है?
उत्तर- हिंदी और कश्मीरी दोनों भाषाओं में संस्कृत के तत्सम और तद्भव शब्द बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। दोनों भाषाओं की जड़ें प्राचीन भारतीय भाषिक परंपरा में जुड़ी हुई हैं।

5. जम्मू-कश्मीर और हिंदी क्षेत्र के बीच प्राचीन काल से किस प्रकार के संबंध रहे हैं?
उत्तर- जम्मू-कश्मीर और हिंदी क्षेत्र के बीच प्राचीन काल से सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। कश्मीर एक प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र रहा है, जहाँ संस्कृत पढ़ाई जाती थी और पर्यटन के साथ-साथ बौद्धिक आदान-प्रदान होता रहा है।

2
जम्मू-कश्मीर देश-विदेश के तीर्थ यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। इनमें से मुख्य आकर्षण अमरनाथ जी की पवित्र गुफा तथा वैष्णो देवी की यात्राएँ हैं। जो यात्री यहाँ आते हैं उनमें हिंदी भाषी क्षेत्रों के यात्री भी होते हैं । आदान-प्रदान की प्रक्रिया में यहां धीरे-धीरे हिंदी जड़ें पकड़ती गई। कश्मीर में ज़ैन-उल-आबदीन (बडशाह) के समय ई० था। बडशाह के पूर्वज सिंकदर तथा अलीशाह के शासनकाल में जो कश्मीरी पंडित कश्मीर छोड़कर पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में बस गए थे, उनमें से बहुत से लोग बडशाह के समय में पुनः कश्मीर लौटे। तीस-बत्तीस वर्षों के हिंदी प्रदेश के प्रवास में वे ब्रजभाषा और हिंदी की अन्य बोलियों से अवश्य प्रभावित हुए होंगे ।
जम्मू-कश्मीर में हिंदी भाषा का प्रचार जहां एक ओर साधुओं, पर्यटकों आदि के द्वारा हुआ, वहीं दूसरी ओर भक्त-कवियों जैसे सूर, तुलसी, मीरा, कबीर आदि के दोहों तथा पदों ने इसमें योगदान दिया। इन कवियों के कई दोहे व पद सुगम तथा गेय होने के कारण धीरे-धीरे लोकप्रिय हुए तथा हिंदी का संस्कार जड़ पकड़ता गया। आजकल भी ये दोहे तथा पद साधु-संतों तथा सज्जनों की ज़बानी सुने-सुनाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त व्यावसायिक रुचि में पंजाब, उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों के हज़ारों लोगों को जम्मू-कश्मीर में बसने के लिए प्रेरित किया । इसी प्रकार जम्मू-कश्मीर के हज़ारों लोग रोज़ी-रोटी के लिए शीतकाल में राज्य से बाहर काम की खोज में जाते रहे हैं। इन लोगों की वहाँ के लोगों के साथ बोलचाल तथा सहयोग की भाषा हिंदी रही है। इससे स्पष्ट होता है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने शताब्दियों पूर्व ही हिंदी के संस्कार को समझा और पहचाना था।

1. जम्मू-कश्मीर में हिंदी के प्रचार में तीर्थ यात्रियों का क्या योगदान रहा?
(क) उन्होंने वहाँ स्कूल खोले
(ख) उन्होंने हिंदी में साहित्य रचा
(ग) उन्होंने हिंदी भाषी क्षेत्रों से आकर संपर्क बढ़ाया
(घ) उन्होंने हिंदी में भाषण दिए
उत्तर – (ग) उन्होंने हिंदी भाषी क्षेत्रों से आकर संपर्क बढ़ाया

2. बडशाह के समय कौन-से लोग पुनः कश्मीर लौटे?
(क) मुस्लिम व्यापारी
(ख) कश्मीरी पंडित
(ग) अंग्रेज अधिकारी
(घ) डोगरी भाषी
उत्तर – (ख) कश्मीरी पंडित

3. सूर, तुलसी, मीरा, कबीर के पद लोकप्रिय क्यों हुए?
(क) वे सुगम और गेय थे
(ख) वे राजा के आदेश से पढ़े जाते थे
(ग) वे कठिन भाषा में थे
(घ) वे संस्कृत में थे
उत्तर – (क) वे सुगम और गेय थे

4. जम्मू-कश्मीर में तीर्थयात्रा से हिंदी के प्रचार को कैसे बल मिला?
उत्तर- अमरनाथ और वैष्णो देवी जैसे पवित्र स्थलों पर देश-विदेश से तीर्थयात्री आते हैं, जिनमें हिंदी भाषी लोग भी होते हैं। इन यात्रियों के माध्यम से आदान-प्रदान की प्रक्रिया में हिंदी धीरे-धीरे वहाँ जड़ें जमाने लगी।

5. भक्त-कवियों ने हिंदी प्रचार में क्या भूमिका निभाई?
उत्तर: सूर, तुलसी, मीरा और कबीर जैसे भक्त-कवियों के दोहे और पद सरल व गेय होने के कारण आम जनता में लोकप्रिय हुए। साधु-संतों द्वारा इन्हें सुनाया गया जिससे हिंदी का प्रचार और अधिक हुआ।

3
हिंदी जम्मू-कश्मीर में कई शताब्दियों से है, यद्यपि सही तिथि बताना कठिन है। मध्यकालीन भक्ति-आंदोलन ने संपूर्ण भारत को प्रभावित किया था । उसका प्रभाव जम्मू-कश्मीर पर पड़ना स्वाभाविक था । इस प्रभाव के फलस्वरूप जम्मू-कश्मीर के कई कवियों ने भक्तिपरक कविताएँ मातृभाषा हिंदी में भी रचीं । इस प्रसंग में कश्मीर की संत कवयित्री रूपभवानी का नाम लिया जा सकता है। कश्मीर के एक और भक्तकवि परमानंद ने अपनी कई कश्मीरी रचनाओं में हिंदी के कुछ अंश जोड़ दिए। उनकी भाषा में ब्रज, खड़ीबोली, पंजाबी तथा कश्मीरी का विचित्र मिश्रण है। यह ‘भाखा’ नाम से जानी जाती है। अठारहवीं शती में लक्ष्मण जू ‘बुलबुल’ ने कुछ कविताएँ लिखीं, जिनमें हिंदी तथा कश्मीरी दोनों भाषाओं का योग है। इधर जम्मू के (दत्तू) नाम से ही चर्चित हुए । इनका समय अठारहवीं शताब्दी था ये जम्मू के प्रथम हिंदी कवि माने जाते हैं। ‘वीरविलास’ तथा ‘ब्रजराज पंचाशिका’ इनके द्वारा रचित प्रबंध ग्रंथ हैं। वीरविलास नामक ग्रंथ का आधार संस्कृत भाषा में लिखित ‘महाभारत’ काव्य है। ‘महाभारत’ में एक पर्व विशेष का वर्णन हुआ है, जिसे द्रोणपर्व कहते हैं। ‘वीरविलास’ का आधार वस्तुतः यही द्रोणपर्व है। कमलनेत्र स्तोत्र भी इन्हीं की रचना है, जिसे उत्तर भारत के लोग बड़ी श्रद्धा से गाते हैं। उनके काव्य की कोई विशेष परंपरा देखने को नहीं मिलती है। विद्वानों का विचार है कि उनके एक वंशज कृष्णलाल नामक किसी व्यक्ति ने ‘महाभारत’ के कई पदों का अनुवाद हिंदी में किया है। कश्मीर के भक्ति-काव्य की तरह जम्मू में भक्ति – काव्य की कोई ठोस परंपरा दिखाई नहीं देती है।

1. रूपभवानी कौन थीं?
(क) महारानी
(ख) कश्मीरी संत कवयित्री
(ग) हिंदी शिक्षिका
(घ) पत्रकार
उत्तर – (ख) कश्मीरी संत कवयित्री

2. ‘वीरविलास’ नामक ग्रंथ का आधार क्या है?
(क) रामायण
(ख) भगवद्गीता
(ग) महाभारत का द्रोणपर्व
(घ) ब्रजराज कथा
उत्तर – (ग) महाभारत का द्रोणपर्व

3. लक्ष्मण जू ‘बुलबुल’ की रचनाओं की भाषा किस प्रकार की थी?
(क) केवल संस्कृत
(ख) केवल हिंदी
(ग) केवल कश्मीरी
(घ) हिंदी और कश्मीरी का मिश्रण
उत्तर – (घ) हिंदी और कश्मीरी का मिश्रण

4. मध्यकालीन भक्ति आंदोलन का जम्मू-कश्मीर पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- मध्यकालीन भक्ति आंदोलन का प्रभाव जम्मू-कश्मीर पर भी पड़ा। इस कारण वहाँ के कई कवियों ने भक्ति-भावना से प्रेरित होकर हिंदी में कविताएँ रचीं, जिनमें रूपभवानी और परमानंद प्रमुख हैं।

5. दत्तू कौन थे और उन्हें किस रूप में जाना जाता है?
उत्तर- दत्तू जम्मू के अठारहवीं शताब्दी के कवि थे। उन्हें जम्मू का प्रथम हिंदी कवि माना जाता है। उनके प्रमुख ग्रंथ ‘वीरविलास’ और ‘ब्रजराज पंचाशिका’ हैं।

4
उन्नीसवीं शताब्दी में कश्मीर के लालजी जाडू ने हिंदी से परिपूर्ण महाकाव्य लिखा, जो पर्याप्त साहित्यिक योग्यता का प्रमाण देता है। इसमें कई प्रकार के छंदों का प्रयोग किया गया है, जैसे दोहा, चौपाई, सोरठा आदि। कालांतर में कृष्ण जू राज़दान ठाकुर जू मनवटी, हलधर जू ककरू, पंडित नीलंकठ शर्मा जैसे कवियों ने कश्मीरी कविताओं के साथ-साथ बहुत-सी हिंदी कविताएँ भी रचीं, जो भक्ति, धर्म और नीति की भावनाओं से ओतप्रोत हैं। ये कवि आर्थिक लाभ अथवा किसी अन्य लोभ के कारण हिंदी में नहीं लिखते थे । अपितु भक्ति उद्गारों को वाणी देने के लिए वे हिंदी में रचना करते थे ।
महाराजा रणवीर सिंह (सन् 1857 – 1865 ई०) के समय में हिंदी को सरकारी संरक्षण मिला । ‘रणवीर समाचार’ पाक्षिक हिंदी समाचार-पत्र निकालने का श्रेय उन्हीं को है। रणवीर सिंह के दरबारी लेखक नीलकंठ ने ‘रणवीर प्रकाश’ नामक हिंदी पद्य में ग्रंथ लिखा । यह सात सौ पृष्ठों पर आधारित था । इसी काल में ‘रणवीर रत्नमाला’ एक और ग्रंथ हिंदी में लिखा गया, जिसमें हीरे-जवाहरातों, मोतियों आदि के विषय में वर्णन है। रणवीर सिंह के निधन पर हिंदी में शोकगीत (मरसिया) रचा गया । इसी काल में जम्मू में संस्कृत पाठशाला की स्थापना भी की गई। जहाँ संस्कृत के साथ-साथ हिंदी पढ़ाने की भी व्यवस्था की गई।
महाराजा रणवीर सिंह के उत्तराधिकारी महाराजा प्रताप सिंह ने उर्दू को सरकारी भाषा और फ़ारसी को न्यायालय की भाषा बना दिया । फिर भी हिंदी शिक्षासंस्थानों के पाठ्यक्रम की सूची में एक विषय के रूप में स्वीकार की जाती रही । इसमें हिंदी ने जम्मू-कश्मीर में जड़ें जमानी आरंभ कर दीं।

1. कश्मीर के किस कवि ने उन्नीसवीं शताब्दी में हिंदी से परिपूर्ण महाकाव्य लिखा?
(क) पंडित नीलकंठ शर्मा
(ख) लालजी जाडू
(ग) ठाकुर जू मनवटी
(घ) कृष्ण जू राज़दान
उत्तर- (ख) लालजी जाडू

2. ‘रणवीर समाचार’ नामक पाक्षिक हिंदी पत्रिका किसके शासनकाल में शुरू हुई थी?
(क) महाराजा प्रताप सिंह
(ख) महाराजा हरि सिंह
(ग) महाराजा रणवीर सिंह
(घ) महाराजा गुलाब सिंह
उत्तर- (ग) महाराजा रणवीर सिंह

3. महाराजा प्रताप सिंह ने न्यायालय की भाषा क्या घोषित की?
(क) हिंदी
(ख) पंजाबी
(ग) डोगरी
(घ) फ़ारसी
उत्तर- (घ) फ़ारसी

4. लालजी जाडू द्वारा रचित महाकाव्य की क्या विशेषता थी?
उत्तर– लालजी जाडू का महाकाव्य हिंदी से परिपूर्ण था और इसमें दोहा, चौपाई, सोरठा आदि अनेक छंदों का प्रयोग किया गया था। यह उनकी साहित्यिक योग्यता का प्रमाण है।

5. हिंदी लेखन के पीछे कवियों की क्या भावना थी?
उत्तर– उन कवियों ने हिंदी में लेखन आर्थिक लाभ या लोभ के कारण नहीं किया, बल्कि अपने भक्ति-भाव और उद्गारों को व्यक्त करने के लिए हिंदी को माध्यम बनाया।

 

JKBOSE Class 10 Hindi जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में हिंदी प्रश्न और उत्तर (Extra Question Answers)

1. जम्मू-कश्मीर को अहिंदीतर प्रदेश क्यों कहा जाता है?
उत्तर- जम्मू-कश्मीर को अहिंदीतर प्रदेश इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ हिंदी मातृभाषा के रूप में नहीं बोली जाती। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ डोगरी और कश्मीरी हैं। लोग हिंदी को दूसरी भाषा के रूप में समझते और बोलते हैं, लेकिन यह उनकी पहली भाषा नहीं है।

2. जम्मू-कश्मीर में हिंदी भाषा कैसे फैलनी शुरू हुई?
उत्तर– हिंदी भाषा का प्रचार जम्मू-कश्मीर में साधुओं, तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों और भक्त कवियों के माध्यम से हुआ। सूरदास, तुलसीदास, मीरा, कबीर जैसे कवियों के पद लोगों को सरल और गेय लगे, जिससे हिंदी धीरे-धीरे लोकप्रिय होती गई।

3. कश्मीर में पर्यटन का हिंदी भाषा पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर– कश्मीर एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यहाँ देश-विदेश से यात्री आते हैं, जिनमें हिंदी भाषी यात्री भी होते हैं। यात्रियों से संवाद करने के लिए स्थानीय लोग हिंदी सीखने लगे। इससे हिंदी भाषा को बढ़ावा मिला।

4. भक्त कवियों ने हिंदी के प्रचार में कैसे योगदान दिया?
उत्तर– सूर, तुलसी, मीरा, कबीर जैसे भक्त कवियों के दोहे और पद बहुत सरल और सुगम थे। वे गाए जाते थे, जिससे लोग उन्हें आसानी से याद कर लेते थे। इस तरह उनके माध्यम से हिंदी का प्रचार हुआ।

5. प्रश्न: जम्मू के पहले हिंदी कवि कौन माने जाते हैं?
उत्तर– जम्मू के पहले हिंदी कवि ‘दत्तू’ माने जाते हैं। वे अठारहवीं शताब्दी के थे। उन्होंने ‘वीरविलास’ और ‘ब्रजराज पंचाशिका’ जैसे ग्रंथ लिखे, जिनमें हिंदी भाषा का सुंदर प्रयोग हुआ है।

6. प्रश्न: महाराजा रणवीर सिंह के समय हिंदी को क्या लाभ मिला?
उत्तर– महाराजा रणवीर सिंह (1857-1865 ई.) के समय हिंदी को सरकारी संरक्षण मिला। उन्होंने ‘रणवीर समाचार’ नामक हिंदी समाचार पत्र शुरू करवाया। उनके दरबारी नीलकंठ ने ‘रणवीर प्रकाश’ नामक हिंदी ग्रंथ भी लिखा।

7. संविधान में हिंदी को क्या स्थान प्राप्त है?
उत्तर– भारतीय संविधान में हिंदी को राजकीय भाषा माना गया है। यह सरकारी कामकाज की भाषा है और इसे सरकारी संरक्षण प्राप्त है। इसकी लोकप्रियता के कारण इसे राष्ट्रभाषा भी माना जाता है।

8. रणवीर रत्नमाला किस विषय पर लिखा गया ग्रंथ है?
उत्तर: ‘रणवीर रत्नमाला’ हिंदी में लिखा गया एक ग्रंथ है, जिसमें हीरे, जवाहरात, मोती आदि के बारे में जानकारी दी गई है। यह ग्रंथ रणवीर सिंह के समय में लिखा गया था और हिंदी में रचनाओं को बढ़ावा देने वाला था।

9. ‘डोगरी भजनमाला’ में क्या था?
उत्तर– ‘डोगरी भजनमाला’ एक पुस्तक है जिसमें डोगरी, पंजाबी और हिंदी भाषा के भजन तथा गीत शामिल हैं। यह पुस्तक जम्मू क्षेत्र में भक्ति साहित्य को बढ़ावा देने के लिए प्रकाशित की गई थी।

10. स्वतंत्र संगठनों ने हिंदी के लिए क्या किया?
उत्तर– आर्य समाज, सनातन धर्म सभा, हिंदी परिषद जैसे संगठनों ने हिंदी की परीक्षाएँ आयोजित कीं, विद्यालय खोले और पत्रिकाएँ प्रकाशित कीं। इससे हिंदी का प्रचार बढ़ा और लोगों में रुचि बढ़ी।