JKBOSE Class 10 Hindi Chapter 15 Bade Bhai Sahab (बड़े भाई साहब) Question Answers (Important) from Bhaskar Bhag 2 Book
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JKBOSE Class 10 Chapter 15 Bade Bhai Sahab Textbook Questions
(क ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25 -30 ) शब्दों में दीजिए -:
प्रश्न 1 -: छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम – टेबल बनाते समय क्या क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया ?
उत्तर -: छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम – टेबल बनाते समय सोचा कि वह मन लगाकर पढ़ाई करेगा और बड़े भाई को कभी शिकायत का मौका नहीं देगा। सुबह छः से रात ग्यारह बजे तक सभी विषयों को पढ़ने का कार्यक्रम रखा गया। परन्तु पढ़ाई करते समय खेल के मैदान,वॉलीबॉल की तेजी, कबड्डी और गुल्ली -डंडे का खेल उसे अपनी ओर खींचते थे इसीलिए वह टाइम टेबल का पालन नहीं कर पाया।
प्रश्न 2 -: एक दिन जब गुल्ली -डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुंचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर -: एक दिन जब गुल्ली -डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुंचा तो उनकी प्रतिक्रिया बहुत भयानक थी। वह बहुत गुस्से में थे। उन्होंने छोटे भाई को डांटते हुए कहा कि प्रथम दर्जे में पास होने का उसे घमण्ड हो गया है और घमण्ड के कारण रावण जैसे भूमण्डल के स्वामी का भी नाश हो गया था तो हम तो फिर भी साधारण इंसान हैं। बड़े भाई साहब ने छोटे भाई को गुल्ली – डंडा खेलने के बजाये पढ़ाई में ध्यान देने की नसीहत दी।
प्रश्न 3 -: बड़े भाई साहब को अपने मन की बात क्यों दबानी पड़ती थी ?
उत्तर -: बड़े भाई साहब और छोटे भाई की उम्र में पांच साल का अंतर था। वे माता पिता से दूर हॉस्टल में रहते थे। बड़े भाई साहब का भी मन खेलने ,पतंग उड़ाने और तमाशे देखने का करता था परन्तु वे सोचते थे की अगर वो बड़े होकर मनमानी करेंगे तो छोटे भाई को गलत रास्ते पर जाने से कैसे रोकेंगे। बड़े भाई साहब छोटे भाई का ध्यान रखना अपना कर्तव्य मानते थे इसीलिए उन्हें अपनी इच्छाए दबनी पड़ती थी।
प्रश्न 4 -: बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों ?
उत्तर -: बड़े भाई साहब चाहते थे कि छोटा भाई खेल – कूद में ज्यादा ध्यान न देकर पढ़ाई में ध्यान दे। वे छोटे भाई को हमेशा सलाह देते थे कि अंग्रेजी में ज्यादा ध्यान दो ,अंग्रेजी पढ़ना हर किसी के बस की बात नहीं है। अगर पढ़ाई में ध्यान नहीं दोगे तो उसी कक्षा में रह जाओगे। इसलिए बड़े भाई साहब छोटे को खेलकूद से ध्यान हटाने की सलाह देते थे।
प्रश्न 5 -: छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फायदा उठाया ?
उत्तर -: छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का अनुचित लाभ उठाया। उसपर बड़े भाई का डर कम हो गया। भाई के डर से जो थोड़ी बहुत पढाई करता था वह भी बंद कर दी थी क्योंकि छोटे भाई को लगता था कि वह पढ़े या ना पढ़े पास हो ही जायेगा। वह अपना सारा समय मौज मस्ती और खेल के मैदान में बिताने लगा था।
(ख )निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50 -60 ) शब्दों में लिखिए -:
प्रश्न 1 -: बड़े भाई की डाँट फटकार अगर ना मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता ?अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर -: बड़े भाई साहब को अपनी जिम्मेदारिओं का आभास था वे जानते थे कि अगर वह अनुशासन हीनता करेंगे तो छोटे भाई को गलत रास्ते पर जाने से नहीं रोक पाएंगे। छोटा भाई जब भी खेल कूद में ज्यादा समय लगाता तो बड़े भाई साहब उसे डाँट लगाते और पढ़ाई में ध्यान लगाने को कहते। यह बड़े भाई का ही डर था कि छोटा भाई थोड़ा बहुत पढ़ लेता था। अगर बड़े भाई साहब छोटे भाई को डाँट फटकार नहीं लगते तो छोटा भाई कभी कक्षा में अव्वल नहीं आता।
प्रश्न 2 -: बड़े भाई साहब पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचारो से सहमत है ?
उत्तर -: बड़े भाई साहब पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के तौर तरीकों पर व्यंग्य करते हुए कहा है कि ये शिक्षा अंग्रेजी बोलने ,पढ़ने पर जोर देती है चाहे किसी को अंग्रेजी पढ़ने में रूचि है या नहीं। अपने देश के इतिहास के साथ साथ दूसरे देशों के इतिहास को भी पढ़ना पढ़ता है जो बिलकुल भी जरुरी नहीं है। यहाँ पर रटने वाली प्रणाली पर जोर दिया जाता है। बच्चों को कोई विषय समझ में आये या ना आये रट कर परीक्षा में पास हो ही जाते हैं। छोटे -छोटे विषयों पर लम्बे -लम्बे निबंध लिखने होते हैं। ऐसी शिक्षा प्रणाली जो लाभदायक कम और बोझ ज्यादा लगे ठीक नहीं है।
प्रश्न 3 -: बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है ?
उत्तर -: बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ केवल किताबी ज्ञान से नहीं आती। बल्कि जीवन के अनुभवों से आती है। इसके लिए उन्होंने अपनी अम्मा ,दादा और हेडमास्टर की माँ के उदाहरण भी दिए है। उनका कहना है कि हम इतने पढ़े होने के बाद भी अगर बीमार भी पड़ जाते है तो परेशान हो जाते हैं लेकिन हमारे माँ दादा बिना पढ़े भी हर मुसीबत का सामना बड़ी आसानी से करते है इसमें केवल इतना ही फर्क है कि उनके पास हमसे ज्यादा जीवन का अनुभव है। बड़े भाई के अनुसार अनुभव ही समझ दिलाता है।
प्रश्न 4 -: छोटे भाई के मन में बड़े भाई के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई ?
उत्तर -: एक दिन शाम के समय ,हॉस्टल से दूर जब छोटा भाई एक पतंग को पकड़ने के लिए बिना किसी की परवाह किये दौड़ा जा रहा था, अचानक भाई साहब से उसका आमना -सामना हुआ।उन्होंने बाजार में ही उसका हाथ पकड़ लिया और बड़े क्रोधित भाव से बोले ‘लेखक भले ही बहुत प्रतिभावान है ,इसमें कोई शक नहीं हैं ,लेकिन जो प्रतिभा किसी को शर्म लिहाज़ न सिखाये वो किस काम की।बड़े भाई साहब कहते हैं कि लेखक भले ही अपने मन में सोचता होगा कि वह उनसे सिर्फ एक ही कक्षा पीछे रह गया है और अब उन्हें लेखक को डाँटने या कुछ कहने का कोई हक नहीं है ,लेकिन ये सोचना लेखक की गलती है।बड़े भाई साहब उससे पांच साल बड़े हैं और हमेशा ही रहेंगे । समझ किताबें पढ़ लेने से नहीं आती ,बल्कि दुनिया देखने से आती है।बड़े भाई साहब लेखक को कहते हैं कि यह घमंड जो उसने दिल में पाल रखा है कि वह बिना पड़े भी पास हो सकता है और भाई साहब को उसे डाँटने और समझने का कोई अधिकार नहीं रहा ,इसे निकल डाले। बड़े भाई साहब के रहते लेखक कभी गलत रस्ते पर नहीं जा सकता।बड़े भाई साहब लेखक से कहते हैं कि अगर लेखक नहीं मानेगा तो भाई साहब थप्पड़ का प्रयोग भी कर सकते हैं और बड़े भाई साहब लेखक को कहते हैं कि उसको उनकी बात अच्छी नहीं लग रही होगी।छोटा भाई , भाई साहब की इस समझने की नई योजना के कारण उनके सामने सर झुका कर खड़ा था। आज उसे सचमुच अपने छोटे होने का एहसास हो रहा था न केवल उम्र से बल्कि मन से भी और भाई साहब के लिए उसके मन में इज़्ज़त और भी बड़ गई।
प्रश्न 5 -: बड़े भाई साहब की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए।
उत्तर -: बड़े भाई साहब अध्ययनशील थे। हमेशा किताबे खोल कर बैठे रहते थे। दिन रात कठिन परिश्रम करते थे। चाहे उन्हें समझ में आये या ना आये, वे फिर भी एक -एक अक्षर को रट लिया करते थे। अपने बड़े होने का उन्हें एहसास है ,इसलिए वे छोटे भाई को तरह तरह से समझते हैं। अपने कर्तव्य के लिए वे अपनी बहुत सी इच्छाओं को दबा देते थे। छोटे भाई को किताबी ज्ञान से हट कर अनुभव के महत्त्व को समझते थे और कहते थे की उनके रहते वह कभी गलत रास्ते पर नहीं चल पायेगा।
प्रश्न 6 -: बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्पूर्ण कहा है ?
उत्तर -: बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से जिंदगी के अनुभव को महत्पूर्ण कहा है। उन्होंने पाठ में कई उदाहरणों से ये स्पष्ट किया है। अम्मा और दादा का उदाहरण और हेडमास्टर का उदाहरण दे कर बड़े भाई साहब कहते है कि चाहे कितनी भी बड़ी डिग्री क्यों न हो जिंदगी के अनुभव के आगे बेकार है। जिंदगी की कठिन परिस्थितियों का सामना अनुभव के आधार पर सरलता से किया जा सकता है।
प्रश्न 7 -: बताइये पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि -:
(क ) छोटा भाई बड़े भाई का आदर करता था।
उत्तर -: छोटे भाई को पतंगबाज़ी का नया शौक हो गया था और अब उसका सारा समय पतंगबाज़ी में ही गुजरता था। फिर भी वह भाई साहब की इज्जत करता था और उनकी नजरों से छिप कर ही पतंग उडाता था। मांझा देना ,कन्ने बाँधना ,पतंग टूर्नामेंट की तैयारियाँ ये सब काम भाई साहब से छुप कर किया जाता था।
(ख ) भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।
उत्तर -: भाई साहब का अपने कर्तव्यों के लिए अपनी इच्छाओं को दबाना ,छोटे भाई को जीवन के अनुभव पर उदाहरण देना ये सब दर्शाता है कि भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।
(ग ) भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।
उत्तर -: जब भाई साहब ने कटी पतंग देखी तो लम्बे होने की वजह से उन्होंने उछाल कर डोर पकड़ ली और बिना सोचे समझे हॉस्टल की और दौड़े ,ये दर्शाता है की भाई साहब के अंदर भी एक बच्चा है।
(घ ) भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।
उत्तर -: भाई साहब हर समय छोटे भाई को पढ़ने के लिए कहते हैं ,समय व्यर्थ करने पर डाँटते है और चाहते है की वह कभी गलत रास्ते पर ना जाये।
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक–दो पंक्तियों में दीजिए –
1. कथा नायक की रुचि किन कार्यों में थी ?
उत्तर- कथा नायक की पढ़ाई में बिल्कुल रुचि नहीं थी। वह किताब लेकर एक घंटा भी नहीं बैठ पाता था। उसकी रुचि खेल-कूद और मस्तीभरे कार्यों में थी। वह मौका मिलते ही होस्टल से बाहर निकलकर कभी कंकरियाँ उछालता, कभी कागज़ की तितलियाँ उड़ाता या दोस्तों के साथ दीवारों पर चढ़कर कूदता था। कभी फाटक पर चढ़कर मोटरकार का आनंद भी उठाता था। कुल मिलाकर, उसकी रुचि पढ़ाई से अधिक बाहर खेलने-कूदने और शरारत करने में थी।
2. बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे?
उत्तर– बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल यही पूछते थे – “कहाँ थे?” यह प्रश्न वे हमेशा एक ही ध्वनि और सख़्ती से पूछते थे। छोटे भाई के पास इसका कोई उत्तर नहीं होता था, वह केवल मौन रहता था, जिससे उसके अपराध की स्वीकृति प्रकट हो जाती थी।
3. दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर- दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में स्पष्ट परिवर्तन आया। अब वह अधिक स्वच्छंद हो गया और भाई साहब की सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाने लगा। उसे यह धारणा हो गई कि वह चाहे पढ़े या न पढ़े, पास तो हो ही जाएगा। इस सफलता ने उसमें आत्मविश्वास बढ़ा दिया, जिससे उसका पढ़ाई के प्रति रवैया और भी लापरवाह होता गया।
4. बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे?
उत्तर– बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई से उम्र में पाँच साल बड़े थे। जब छोटे भाई की उम्र नौ साल थी, तब बड़े भाई साहब की उम्र चौदह साल थी। वे नौवीं कक्षा में पढ़ते थे जबकि छोटा भाई पाँचवीं कक्षा में पढ़ता था।
5. बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे ?
उत्तर- बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कॉपी पर और किताबों के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तसवीरें बनाते थे। कभी-कभी वे एक ही शब्द, नाम या वाक्य को दस-बीस बार लिखते थे। कभी किसी शेर को सुंदर अक्षरों में बार-बार नकल करते और कभी ऐसी निरर्थक शब्द-रचनाएँ करते जिनका कोई अर्थ या सामंजस्य नहीं होता था।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –
1. इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज़ नहीं, असल चीज़ है बुद्धि का विकास।
उत्तर– “इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज़ नहीं, असल चीज़ है बुद्धि का विकास।” इस कथन का आशय यह है कि केवल परीक्षा में अच्छे अंक लाना या पास हो जाना ही पढ़ाई का उद्देश्य नहीं है। पढ़ाई का असली मकसद बुद्धि का विकास, समझ की गहराई, और जीवन के अनुभवों से सीखना है। यदि कोई विद्यार्थी बिना विषय को समझे, केवल रट्टा लगाकर परीक्षा पास कर लेता है, तो वह सच्चे अर्थों में शिक्षित नहीं माना जा सकता। उसकी बुद्धि का विकास होना जरूरी है।
2. फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था।
उत्तर- “फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था।” इस कथन का आशय यह है कि जैसे इंसान जीवन में कष्ट, दुःख और संकटों के बावजूद अपने मोह-माया और इच्छाओं से मुक्त नहीं हो पाता, वैसे ही लेखक भाई साहब की डाँट, फटकार और डर के बावजूद खेल-कूद से दूर नहीं हो पाता था। उसे पता था कि खेलना उसे डाँट और सज़ा दिलाएगा, फिर भी वह मोह का ऐसा बंधन था जिसे वह छोड़ नहीं सकता था।
3. बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने ?
उत्तर– “बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने?” इस कथन का आशय है कि किसी भी कार्य की सफलता उसकी मजबूत नींव पर निर्भर करती है। यहाँ ‘बुनियाद’ का अर्थ शिक्षा की प्रारंभिक अवस्था से है और ‘मकान’ से तात्पर्य आगे के ज्ञान और भविष्य की सफलता से है।
भाई साहब यह मानते थे कि यदि प्रारंभिक शिक्षा गहराई और समझ के साथ न हो, तो आगे की पढ़ाई और जीवन का निर्माण टिकाऊ नहीं होगा।
4. आँखे आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो।
उत्तर- “आँखें आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो।” इस कथन में लेखक ने पतंग को एक आकाशगामी पथिक के रूप में देखा है। वह पतंग धीरे-धीरे झूमती हुई नीचे गिर रही थी, और लेखक की दृष्टि और चेतना पूरी तरह उसी पर केंद्रित थी।
यहाँ पतंग की तुलना स्वर्ग से पृथ्वी की ओर आती हुई आत्मा से की गई है, जो अपने पुराने बंधनों से मुक्त होकर नए अनुभवों और संस्कारों को अपनाने आ रही हो।
भाषा अध्ययन
1. निम्नलिखित शब्दों के दो–दो पर्यायवाची शब्द लिखिए –
नसीहत, रोष, आज़ादी, राजा, ताज्जुब
उत्तर-
| शब्द | पर्यायवाची शब्द |
| नसीहत | सीख, उपदेश |
| रोष | क्रोध, गुस्सा |
| आज़ादी | स्वतंत्रता, मुक्ति |
| राजा | नरेश, नृप |
| ताज्जुब | आश्चर्य, अचंभा |
2. प्रेमचंद की भाषा बहुत पैनी और मुहावरेदार है। इसीलिए इनकी कहानियाँ रोचक और प्रभावपूर्ण होती हैं। इस कहानी में आप देखेंगे कि हर अनुच्छेद में दो-तीन मुहावरों का योग किया गया है। उदाहरणतः इन वाक्यों को देखिए और ध्यान से पढ़िए-
- – मेरा जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था।
- – भाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी–ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे–ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े–टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती।
- – वह जानलेवा टाइम–टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फजीहत का अवसर मिल जाता।
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
सिर पर नंगी तलवार लटकना, आड़े हाथों लेना, अंधे के हाथ बटेर लगना, लोहे के चने चबाना, दाँतों पसीना आना, ऐरा–गैरा नत्थू खैरा।
उत्तर-
| मुहाबरा | अर्थ | वाक्य प्रयोग |
| सिर पर नंगी तलवार लटकना | बहुत बड़ा खतरा मंडराना | परीक्षा पास न होने पर पिताजी ने जो चेतावनी दी, उसके बाद तो मेरे लिए हर दिन ऐसा था जैसे सिर पर नंगी तलवार लटक रही हो। |
| आड़े हाथों लेना | खरी-खोटी सुनाना | जैसे ही माँ को मेरी शिकायत मिली, उन्होंने मुझे आड़े हाथों ले लिया। |
| अंधे के हाथ बटेर लगना | बिना प्रयास के कोई अच्छी चीज मिल जाना | बिना मेहनत के लॉटरी लग जाना किसी अंधे के हाथ बटेर लगने जैसा ही था। |
| लोहे के चने चबाना | कठोर परिश्रम करना | आईएएस की तैयारी करना लोहे के चने चबाने जैसा कठिन काम है। |
| दाँतों पसीना आना | बहुत मेहनत करना | गर्मी में साइकिल से पहाड़ी रास्ता चढ़ते-चढ़ते मेरे तो दाँतों पसीना आ गया। |
| ऐरा–गैरा नत्थू खैरा | महत्वहीन व्यक्ति | इस मीटिंग में किसी ऐरे-गैरे नत्थू खैरे को बुलाने की कोई ज़रूरत नहीं थी, यह सिर्फ अधिकारियों के लिए थी। |
3. निम्नलिखित तत्सम तद्भव, देशी, आगत शब्दों को दिए गए उदाहरणों के आधार पर छाँटकर लिखिए।
तत्सम तद्भव देशज
आगत (अंग्रेज़ी एवं उर्दू / अरबी–फारसी
जन्मसिद्ध आँख दाल–भात पोज़ीशन, फजीहत
तालीम, जल्दबाज़ी, पुख्ता, हाशिया, चेष्टा, जमात, हर्फ, सूक्तिबाण, जानलेवा, आँखफोड़, घुड़कियाँ, आधिपत्य, पन्ना, मेला–तमाशा, मसलन, स्पेशल, स्कीम, फटकार, प्रातःकाल, विद्वान, निपुण, भाई साहब, अवहेलना, टाइम–टेबिल
उत्तर-
| तत्सम | तद्भव | देशज | आगत | |||
| अंग्रेज़ी | उर्दू | अरबी | फारसी | |||
| जन्मसिद्ध | आँख | दाल–भात | पोज़ीशन | तालीम | फजीहत | जल्दबाज़ी |
| चेष्टा | घुड़कियाँ | आँखफोड़ | स्पेशल | हाशिया | पुख्ता | |
| सूक्तिबाण | पन्ना | फटकार | स्कीम | जमात | जानलेवा | |
| आधिपत्य | भाई साहब | टाइम–टेबिल | हर्फ | |||
| प्रातःकाल | तमाशा | |||||
| विद्वान | मसलन | |||||
| निपुण | ||||||
| अवहेलना | ||||||
| मेला | ||||||
4. क्रियाएँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं– सकर्मक और अकर्मक।
सकर्मक क्रिया – वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा रहती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं;
जैसे – शीला ने सेब खाया।
मोहन पानी पी रहा है।
अकर्मक क्रिया – वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा नहीं होती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं;
जैसे – शीला हँसती है।
बच्चा रो रहा है।
नीचे दिए वाक्यों में कौन–सी क्रिया है– सकर्मक या अकर्मक? लिखिए –
(क) उन्होंने वहीं हाथ पकड़ लिया। _ _ _ _ _ _ _ _
(ख) फिर चोरों–सा जीवन कटने लगा। _ _ _ _ _ _ _ _
(ग) शैतान का हाल भी पढ़ा ही होगा। _ _ _ _ _ _ _ _
(घ) मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता। _ _ _ _ _ _ _ _
(ङ) समय की पाबंदी पर एक निबंध लिखो। _ _ _ _ _ _ _ _
(च) मैं पीछे–पीछे दौड़ रहा था। _ _ _ _ _ _ _ _
उत्तर-
| वाक्य | क्रिया |
| (क) उन्होंने वहीं हाथ पकड़ लिया। | सकर्मक |
| (ख) फिर चोरों–सा जीवन कटने लगा। | अकर्मक |
| (ग) शैतान का हाल भी पढ़ा ही होगा। | सकर्मक |
| (घ) मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता। | सकर्मक |
| (ङ) समय की पाबंदी पर एक निबंध लिखो। | सकर्मक |
| (च) मैं पीछे–पीछे दौड़ रहा था। | अकर्मक |
5. ‘इक‘ प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए –
विचार, इतिहास, संसार, दिन, नीति, प्रयोग, अधिकार
उत्तर-
विचार + इक= वैचारिक
इतिहास + इक= ऐतिहासिक
संसार + इक= सांसारिक
दिन + इक= दैनिक
नीति + इक= नैतिक
प्रयोग + इक= प्रायोगिक
अधिकार + इक= आधिकारिक
योग्यता विस्तार
1. प्रेमचंद की कहानियाँ मानसरोवर के आठ भागों में संकलित हैं। इनमें से कहानियाँ पढ़िए और कक्षा में सुनाइए। कुछ कहानियों का मंचन भी कीजिए।
उत्तर-
प्रेमचंद की कहानियाँ मानसरोवर के आठ भागों में कई कहानियाँ हैं। इनमें से किसी भी कहानी को पढ़कर छात्र मंचन कर सकते हैं-
मानसरोवर (भाग-1)
1. अलग्योझा 2. ईदगाह 3. माँ4. बेटों वाली विधवा 5. बड़े भाई साहब 6. शान्ति 7. नशा8. स्वामिनी 9. ठाकुर का कुआँ 10. घर-जमाई 11. पूस की रात 12. झाँकी 13. गुल्ली-डंडा 14. ज्योति 15. दिल की रानी 16. धिक्कार 17. कायर 18. शिकार 19. सुभागी 20. अनुभव 21. लांछन 22. आख़िरी हीला 23. तावान 24. घासवाली 25. गिला 26. रसिक संपादक 27. मनोवृत्ति
मानसरोवर (भाग-2)
1. कुसुम 2. खुदाई फ़ौज़दार 3. वेश्या 4. चमत्कार 5. मोटर के छींटे 6. कैदी 7. मिस पद्मा 8. विद्रोही 9. उन्माद 10. न्याय 11. कुत्सा 12. दो बैलों की कथा 13. रियासत का दीवान 14. मुफ्त का यश 15. बासी भात में खुदा का साझा 16. दूध का दाम 17. बालक18. जीवन का शाप 19. दामुल का कैदी 20. नेउर 21. गृह-नीति 22. कानूनी कुमार 23. लॉटरी 24. जादू 25. नया विवाह 26. शूद्र
मानसरोवर (भाग-3)
1. विश्वास 2. नरक का मार्ग 3. स्त्री और पुरूष 4. उद्धार 5. निर्वासन 6. नैराश्य लीला 7. कौशल 8. स्वर्ग की देवी 9. आधार 10. एक आँच की कसर 11. माता का हृदय 12. परीक्षा 13. तेंतर 14. नैराश्य15. दण्ड 16. धिक्कार17. लैला 18. मुक्तिधन 19. दीक्षा 20. क्षमा 21. मनुष्य का परम धर्म 22. गुरु-मंत्र 23. सौभाग्य के कोड़े 24. विचित्र होली 25. मुक्ति-मार्ग 26. डिक्री के रुपये 27. शतरंज के खिलाड़ी 28. वज्रपात 29. सत्याग्रह 30. भाड़े का टट्टू 31. बाबा जी का भोग 32. विनोद
मानसरोवर (भाग-4)
1. प्रेरणा 2. सद्गति 3. तगादा 4. दो कब्रें 5. ढपोरसंख 6. डिमॉन्सट्रेशन 7. दारोगा जी 8. अभिलाषा 9. खुचड़ 10. आगा-पीछा 11. प्रेम का उदय 12. सती 13. मृतक-भोज 14. भूत 15. सवा सेर गेहूँ 16. सभ्यता का रहस्य 17. समस्या 18. दो सखियाँ 19. मांगे की घड़ी 20. स्मृति का पुजारी
मानसरोवर (भाग-5)
1. मंदिर 2. निमंत्रण 3. रामलीला 4. कामना-तरु 5. हिंसा परमो धर्म: 6. बहिष्कार 7. चोरी 8. लांछन 9. सती 10. कज़ाकी 11. आँसुओं की होली 12. अग्नि-समाधि 13. सुजान भगत 14. पिसनहारी का कुआं 15. सोहाग का शव 16. आत्म-संगीत 17. एक्ट्रेस 18. ईश्वरीय न्याय 19. ममता 20. मंत्र 21. प्रायश्चित 22. कप्तान साहब 23. इस्तीफ़ा
मानसरोवर (भाग-6)
1. यह मेरी मातृभूमि है 2. राजा हरदौल 3. त्यागी का प्रेम 4. रानी सारन्धा 5. शाप 6. मर्यादा की वेदी 7. मृत्यु के पीछे 8. पाप का अग्निकुंड 9. आभूषण 10. जुगनू की चमक 11. गृह दाह 12. धोखा 13. लाग-डाट 14. अमावस्या की रात 15. चकमा 16. पछतावा 17. आप-बीती 18. राज्य-भक्त 19. अधिकार-चिन्ता 20. दुराशा (प्रहसन)
मानसरोवर (भाग-7)
1. जेल 2. पत्नी से पति 3. शराब की दुकान 4. जुलूस 5. मैकू 6. समर-यात्रा 7. शांति 8. बैंक का दिवाला 9. आत्माराम 10. दुर्गा का मंदिर 11. बड़े घर की बेटी 12. पंच परमेश्वर 13. शंखनाद 14. ज़िहाद 15. फ़ातिहा 16. वैर का अंत 17. दो भाई 18. महातीर्थ 19. विस्मृति 20. प्रारब्ध 21. सुहाग की साड़ी 22. लोकमत का सम्मान 23. नागपूजा
मानसरोवर (भाग-8)
1. खून सफेद 2. गरीब की हाय 3. बेटी का धन 4. धर्मसंकट 5. सेवा-मार्ग 6. शिकारी राजकुमार 7. बलिदान 8. बोध 9. सच्चाई का उपहार 10. ज्वालामुखी 11. पशु से मनुष्य 12. मूठ 13. ब्रह्म का स्वांग 14. विमाता 15. बूढ़ी काकी 16. हार की जीत 17. दफ्तरी 18. विध्वंस 19. स्वत्व-रक्षा 20. पूर्व संस्कार 21. दुस्साहस 22. बौड़म 23. गुप्त धन 24. आदर्श विरोध 25. समस्या 26. अनिष्ट शंका 27. सौत 28. सज्जनता का दंड 29. नमक का दरोगा 30. उपदेश 31. परीक्षा
2. शिक्षा रटंत विद्या नहीं है – इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
चर्चा-
“शिक्षा रटंत विद्या नहीं है” – शिक्षा केवल जानकारी को कंठस्थ करने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि समझ, विश्लेषण, और रचनात्मक सोच को विकसित करने का माध्यम है। रटंत विद्या से विद्यार्थी केवल परीक्षा पास कर सकते हैं, परंतु वास्तविक ज्ञान, समस्याओं को सुलझाने की क्षमता और नैतिक विकास तभी संभव है जब वे विषयों को गहराई से समझें।
शिक्षा का उद्देश्य संपूर्ण व्यक्तित्व विकास है, न कि केवल अंक अर्जन। शिक्षण प्रक्रिया में परियोजना कार्य, प्रयोग, समूह चर्चा और व्यावहारिक अनुभवों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि सीखना अधिक सार्थक और स्थायी हो सके।
3. क्या पढ़ाई और खेल-कूद साथ-साथ चल सकते हैं – कक्षा में इस पर वाद-विवाद कार्यक्रम आयोजित कीजिए।
चर्चा-
पढ़ाई और खेल दोनों ही जीवन के लिए आवश्यक हैं—जहाँ पढ़ाई मानसिक विकास करती है, वहीं खेल शारीरिक और मानसिक ताजगी प्रदान करते हैं। समय का सही प्रबंधन करके दोनों को संतुलित किया जा सकता है और कई सफल व्यक्ति पढ़ाई में अच्छे होने के साथ-साथ खेलों में भी उत्कृष्ट रहे हैं।
पढ़ाई पर अधिक ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि वही भविष्य की नींव रखती है, और खेलों में अधिक समय देने से पढ़ाई प्रभावित हो सकती है। कार्यक्रम का निष्कर्ष यह रहा कि पढ़ाई और खेल-कूद दोनों का संतुलित रूप से विकास करना चाहिए क्योंकि दोनों मिलकर एक सम्पूर्ण और सफल जीवन की दिशा तय करते हैं।
4. क्या परीक्षा पास कर लेना ही योग्यता का आधार है ? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
चर्चा-
केवल परीक्षा पास कर लेना किसी की पूर्ण योग्यता का प्रमाण नहीं हो सकता, क्योंकि परीक्षा केवल स्मृति और पाठ्यक्रम की जानकारी को मापती है, जबकि योग्यता में सोचने की क्षमता, रचनात्मकता, व्यवहारिक ज्ञान, नैतिकता और संवाद कौशल भी शामिल होते हैं।
परीक्षा एक आवश्यक प्रक्रिया है, परंतु यह व्यक्ति की सम्पूर्ण क्षमता को नहीं दर्शाती। परीक्षा केवल एक माध्यम है, न कि अंतिम मापदंड, और असली योग्यता का मूल्यांकन व्यक्ति के व्यवहार, समस्या-समाधान की क्षमता और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रदर्शन से किया जाना चाहिए।
परियोजना कार्य
1. कहानी में जिंदगी से प्राप्त अनुभवों को किताबी ज्ञान से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बताया गया है। अपने माता-पिता, बड़े भाई-बहिनों या अन्य बुजुर्ग / बड़े सदस्यों से उनके जीवन के बारे में बातचीत कीजिए और पता लगाइए कि बेहतर ढंग से ज़िंदगी जीने के लिए क्या काम आया-समझदारी / पुराने अनुभव या किताबी पढ़ाई ?
उत्तर– इस विषय पर मैंने अपने दादा जी से बातचीत की, जो अब सेवानिवृत्त हैं और कभी एक छोटे व्यापारी थे। उन्होंने बताया कि उनके जीवन में किताबी पढ़ाई केवल शुरुआती समझ देने में मददगार रही, लेकिन असली सीख उन्हें जीवन के अनुभवों से मिली। उन्होंने कहा कि व्यापार में बार-बार हुए नुकसान, लोगों से व्यवहार, धोखाधड़ी से बचाव और समय की कद्र करना, ये सब बातें उन्हें किताबों से नहीं बल्कि अपने अनुभवों से सीखनी पड़ीं। उन्होंने यह भी कहा कि समझदारी और अनुभव ने उन्हें मुश्किल समय में सही निर्णय लेने में मदद की, जबकि किताबी ज्ञान वहाँ सीमित था। इस बातचीत से मुझे यह समझ में आया कि जीवन में सफलता पाने और सही दिशा में चलने के लिए अनुभव और व्यावहारिक समझ सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण होती है।
2. आपकी छोटी बहिन / छोटा भाई छात्रावास में रहती / रहता है। उसकी पढ़ाई-लिखाई के संबंध में उसे एक पत्र लिखिए।
उत्तर-
प्रिय भाई,
सप्रेम नमस्ते।
आशा है कि तुम छात्रावास में स्वस्थ, सुरक्षित और प्रसन्नचित्त होगे। यहाँ हम सब कुशल हैं और तुम्हारी पढ़ाई की प्रगति के बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं।
तुम छात्रावास में रहकर आत्मनिर्भर बन रहे हो, यह बहुत अच्छी बात है। पढ़ाई के साथ-साथ समय का सही उपयोग करना, अपना कमरा साफ़-सुथरा रखना, और नियमित दिनचर्या बनाए रखना तुम्हारे व्यक्तित्व विकास में बहुत सहायक होगा। पढ़ाई में कोई कठिनाई हो तो अपने शिक्षकों और सीनियर छात्रों से निःसंकोच मदद लो। विषयों को रटने के बजाय समझने की कोशिश करो। इससे लंबे समय तक याद रहेगा और परीक्षा में भी अच्छा प्रदर्शन होगा।
माँ-पापा भी तुम्हें बहुत याद करते हैं। समय मिले तो पत्र अवश्य लिखना या फ़ोन करना। हम सब तुम्हारी सफलता की कामना करते हैं।
तुम्हारी स्नेहिल बहन
JKBOSE Class 10 Hindi Lesson 14 बड़े भाई साहब सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)
पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
(1)
मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े ,लेकिन केवल तीन दर्जे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था ,जब मैने शुरू किया लेकिन तालीम जैसे महत्त्व के मामले में वह जल्दबाज़ी से काम लेना पसन्द ना करते थे। इस भवन की बुनियाद बहुत मजबूत डालना चाहते थे ,जिस पर आलीशान महल बन सके। एक साल का काम दो साल में करते थे। कभी कभी तीन साल भी लग जाते थे बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने। मैं छोटा था , वे बड़े थे। मेरी उम्र नौ साल की थी और वह चौदह साल के थे। उन्हें मेरी तम्बीह और निगरानी का पूरा और जन्मसिद्ध अधिकार था और मेरी शालीनता इसी में थी कि उनके हुक्म को कानून समझूँ।
Q1. गद्यांश के अनुसार लेखक के बड़े भाई के व्यवहार की किस खूबी का पता चलता है –
(क) वे जिम्मेदार थे
(ख) वे लापरवाह थे
(ग) वे मंदबुद्धि थे
(घ) वे रौबदार थे
उत्तर – (क) जिम्मेदार
Q2. ‘मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े ,लेकिन केवल तीन दर्जे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था ,जब मैने शुरू किया लेकिन तालीम जैसे महत्त्व के मामले में वह जल्दबाज़ी से काम लेना पसन्द ना करते थे।’
कथन के माध्यम से ज्ञात होता है कि –
(क) लेखक के भाई मंदबुद्धि थे
(ख) लेखक के भाई शिक्षा के महत्त्व को समझते थे इसलिए बिना समझे आगे नहीं बड़ पाते थे
(ग) लेखक के भाई सुस्त व्यक्ति थे
(घ) लेखक के भाई का पढ़ने में मन नहीं लगता था
उत्तर – (ख) लेखक के भाई शिक्षा के महत्त्व को समझते थे इसलिए बिना समझे आगे नहीं बड़ पाते थे
Q3. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।
कथन (A) – उन्हें मेरी तम्बीह और निगरानी का पूरा और जन्मसिद्ध अधिकार था और मेरी शालीनता इसी में थी कि उनके हुक्म को कानून समझूँ।
कारण (R) – क्योंकि लेखक अपने बड़े भाई की बहुत इज़्जत करता था।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
Q4. ‘बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने’ कथन से आशय है –
(क) नीव मजबूत न हो तो मकान कैसे मजबूत हो सकता है
(ख) अगर जमीन अच्छी नहीं हो तो मकान नहीं बनाया जा सकता
(ग) अगर समय रहते मेहनत न की जाए तो अच्छे भविष्य की कल्पना कैसे की जा सकती है
(घ) किसी काम बुनियाद सही से न रखी जाए तो काम कैसे सफल हो सकता है
उत्तर – (ग) अगर समय रहते मेहनत न की जाए तो अच्छे भविष्य की कल्पना कैसे की जा सकती है
Q5. गद्यांश के आधार पर लेखक के निजी जीवन की छाप मिलती है कि वे थे –
(क) मस्तीखोर व् पढ़ाकू
(ख) मस्तीखोर व् गैरज़िम्मेदार
(ग) बेहद गंभीर व् गैरज़िम्मेदार
(घ) बड़ों का सम्मान करने वाले
उत्तर – (घ) बड़ों का सम्मान करने वाले
(2)
मेरा जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था। एक घण्टा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था। मौका पाते ही होस्टल से निकलकर मैदान में आ जाता था और कभी कंकरियाँ उछलता , कभी कागज़ की तितलियाँ उड़ाता और कहीं कोई साथी मिल गया ,तो पूछना ही क्या। कभी चारदीवारी पर चढ़ कर निचे कूद रहे हैं। कभी फाटक पर सवार,उसे आगे पीछे चलाते हुए मोटरकार का आनन्द उठा रहे हैं , लेकिन कमरे में आते ही भाई साहब का वह रूद्र रूप देख कर प्राण सूख जाते। उनका पहला सवाल यह होता -‘कहाँ थे’? हमेशा यही सवाल , इसी ध्वनि में हमेशा पूछा जाता और इसका जवाब मेरे पास केवल मौन था। न जाने मेरे मुँह से यह बात क्यों नहीं निकलती कि जरा बाहर खेल रहा था। मेरा मौन कह देता था कि मुझे मेरा अपराध स्वीकार है और भाई साहब के लिए उसके सिवा और कोई इलाज न था कि स्नेह और रोष के मिले हुए शब्दों में मेरा सत्कार करे।
Q1. गद्यांश के अनुसार लेखक को एक घण्टा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ क्यों लगता था –
(क) क्योंकि उन्हें पढ़ना बिलकुल भी पसंद नहीं था
(ख) क्योंकि किताबों में कुछ भी मज़ेदार नहीं होता था
(ग) क्योंकि पढ़ने में उनका मन बिलकुल भी नहीं लगता था
(घ) क्योंकि किताबें बहुत मोटी और भारी थीं
उत्तर – (ग) क्योंकि पढ़ने में उनका मन बिलकुल भी नहीं लगता था
Q2. ‘न जाने मेरे मुँह से यह बात क्यों नहीं निकलती कि जरा बाहर खेल रहा था।’
कथन के माध्यम से ज्ञात होता है कि –
(क) लेखक का उनके भाई के प्रति अपार स्नेह था
(ख) लेखक का उनके भाई के प्रति आदर
(ग) लेखक का भाई के प्रति क्रोध
(घ) लेखक का भाई के प्रति डर
उत्तर – (ख) लेखक का उनके भाई के प्रति आदर
Q3. लेखक के भाई लेखक का सत्कार कैसे करते थे
(क) क्रोध से
(ख) स्नेह से
(ग) कुछ न कह कर
(घ) स्नेह और रोष के मिले हुए शब्दों से
उत्तर – (घ) स्नेह और रोष के मिले हुए शब्दों से
Q4. लेखक मौक़ा पाते ही क्या – क्या करते थे –
(क) होस्टल से निकलकर मैदान में आ जाते थे
(ख) कभी कंकरियाँ उछलते, कभी कागज़ की तितलियाँ उड़ाते
(ग) कभी चारदीवारी पर चढ़ कर निचे कूदते, कभी फाटक पर सवार, उसे आगे पीछे चलाते हुए मोटरकार का आनन्द उठाते
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
Q5. गद्यांश के आधार पर लेखक के निजी जीवन की छाप मिलती है कि वे थे –
(क) मस्तीखोर व् पढ़ाकू
(ख) मस्तीखोर व् गैरज़िम्मेदार
(ग) बेहद गंभीर व् गैरज़िम्मेदार
(घ) मस्तीखोर व् बड़ों का सम्मान करने वाले
उत्तर – (घ) मस्तीखोर व् बड़ों का सम्मान करने वाले
(3)
मुझे अपना मुर्ख रहना मंज़ूर था, लेकिन उतनी मेहनत से मुझे तो चक्कर आ जाता था। लेकिन घंटे-दो घंटे के बाद निराशा के बादल फट जाते और मैं इरादा करता कि आगे से खूब जी लगाकर पढ़ूँगा। चटपट एक टाइम टेबल बना डालता। बिना पहले से नक्शा बनाए बिना कोई स्कीम तैयार किये काम कैसे शुरू करूँ। टाइम टेबिल में खेल – कूद की मद बिलकुल उड़ जाती। प्रातः काल छः बजे उठना, मुँह हाथ धो ,नाश्ता कर ,पढ़ने बैठ जाना। छः से आठ तक अंग्रेजी, आठ से नौ तक हिसाब, नौ से साढ़े नौ तक इतिहास, फिर भोजन और स्कूल। साढ़े तीन बजे स्कूल से वापिस होकर आधा घंटा आराम, चार से पांच तक भूगोल, पांच से छः तक ग्रामर, आधा घंटा हॉस्टल के सामने ही टहलना,साढ़े छः से सात तक अंग्रेजी कम्पोज़िशन, फिर भोजन करके आठ से नौ तक अनुवाद, नौ से दस तक हिंदी, दस से ग्यारह तक विविध विषय, फिर विश्राम। लेकिन टाइम टेबिल बना लेना अलग बात है ,उस पर अमल करना दूसरी बात। पहले ही दिन उसकी अवहेलना शुरू हो जाती। मैदान की वह सुखद हरियाली, हवा के हलके हलके झोंके, फूटबाल की वह उछल कूद, कबड्डी के वह दाँव घात, वॉलीबाल की वह तेज़ी और फुरति, मुझे अज्ञात और अनिवार्य रूप से खींच ले जाती और वहां जा कर में सब कुछ भूल जाता।
Q1. लेखक को किस बात पर चक्कर आ जाता था –
(क) अपने मुर्ख रहने की बात सोच कर
(ख) अपने बड़े भाई की तरह पढ़ाई में कड़ी मेहनत करने के बारे में सोच कर
(ग) पढ़ाई करने के बारे में सोच कर
(घ) यह सोच कर कि पढाई के कारण उसे खेलने का समय नहीं मिलेगा
उत्तर – (ख) अपने बड़े भाई की तरह पढ़ाई में कड़ी मेहनत करने के बारे में सोच कर
Q2. जी लगाकर पढ़ाई करने के लिए लेखक क्या काम करता है –
(क) लेखक खेलने नहीं जाता
(ख) लेखक अपने भाई की तरह कड़ी मेहनत करने का मन बनाता है
(ग) लेखक एक टाइम टेबल बनाता है
(घ) लेखक अपने भाई का कहना मानने लगता है
उत्तर – (ग) लेखक एक टाइम टेबल बनाता है
Q3. लेखक ने अपने टाइम टेबल में कौन – कौन सी चीजें रखी थी –
(क) प्रातः काल छः बजे उठना, मुँह हाथ धो ,नाश्ता कर ,पढ़ने बैठ जाना
(ख) छः से आठ तक अंग्रेजी, आठ से नौ तक हिसाब, नौ से साढ़े नौ तक इतिहास, फिर भोजन और स्कूल
(ग) साढ़े तीन बजे स्कूल से वापिस होकर आधा घंटा आराम, चार से पांच तक भूगोल, पांच से छः तक ग्रामर, आधा घंटा हॉस्टल के सामने ही टहलना,साढ़े छः से सात तक अंग्रेजी कम्पोज़िशन, फिर भोजन करके आठ से नौ तक अनुवाद, नौ से दस तक हिंदी, दस से ग्यारह तक विविध विषय, फिर विश्राम
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
Q4. ‘लेकिन टाइम टेबिल बना लेना अलग बात है ,उस पर अमल करना दूसरी बात। पहले ही दिन उसकी अवहेलना शुरू हो जाती’ इस कथन से लेखक के बारे में क्या पता चलता है –
(क) लेखक बहुत आलसी है
(ख) लेखक टाइम टेबल का अनुसरण नहीं करता
(ग) लेखक अपनी बात पर नहीं टिका रहता
(घ) लेखक पढाई के बारे में बहुत लापरवाह है
उत्तर – (घ) लेखक पढाई के बारे में बहुत लापरवाह है
Q5. गद्यांश के अनुसार पढ़ाई से लेखक का मन कौन से चीज़े भटकाती हैं –
(क) मैदान की वह सुखद हरियाली
(ख) हवा के हलके हलके झोंके, फूटबाल की वह उछल कूद
(ग) कबड्डी के वह दाँव घात, वॉलीबाल की वह तेज़ी और फुरति
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
(4)
मैं उनके साये से भागता, उनकी आँखों से दूर रहने की चेष्टा करता ,कमरे में इस तरह दबे पाँव आता कि उन्हें खबर न हो। उनकी नज़र मेरी ओर उठी और मेरे प्राण निकले। हमेशा सर पर एक नंगी तलवार – सी लटकती मालूम होती। फिर भी मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेलकूद का तिरस्कार न कर सकता था। सालाना इम्तिहान हुआ। भाई साहब फेल हो गए और मैं पास हो गया और दरजे में प्रथम आया। मेरे और उनके बीच केवल दो साल का अंतर रह गया। जी में आया, भाई साहब को आड़े हाथों लूँ ‘आपकी वह घोर तपस्या कहाँ गई ? मुझे देखिये मज़े से खेलता भी रहा और दरजे में अव्वल भी हूँ। ‘ लेकिन वह इतने दुखी और उदास थे कि मुझे उनसे दिली हमदर्दी हुई और उनके घाव पर नमक छिड़कने का विचार ही लज्जास्पद जान पड़ा। हाँ,अब मुझे अपने ऊपर कुछ अभिमान हुआ और आत्मसम्मान भी बड़ा। भाई साहब का वह रौब मुझ पर न रहा। आज़ादी से खेलकूद में शरीक होने लगा। दिल मजबूत था। अगर उन्होंने फिर मेरी फ़जीहत की,तो साफ कह दूँगा -‘आपने अपना खून जलाकर कौन सा तीर मार लिया। मैं तो खेलते – कूदते दरजे में अव्वल आ गया। ‘ज़बान से यह हेकड़ी जताने का सहस न होने पर भी मेरे रंग – ढंग से साफ़ ज़ाहिर होता था की भाई साहब का वह आंतक मुझ पर नहीं था।
Q1. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।
कथन (A) – मैं उनके साये से भागता, उनकी आँखों से दूर रहने की चेष्टा करता ,कमरे में इस तरह दबे पाँव आता कि उन्हें खबर न हो।
कारण (R) – क्योंकि लेखक को अपने बड़े भाई की डाँट का डर रहता था इसलिए लेखक बिना अपने भाई की नजरों में आए अपने कमरे में जाने की कोशिश करता था।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
Q2. ‘उनकी नज़र मेरी ओर उठी और मेरे प्राण निकले। हमेशा सर पर एक नंगी तलवार – सी लटकती मालूम होती।’ कथन से आशय है –
(क) लेखक अपने बड़े भाई की डाँट से बहुत डरता था
(ख) लेखक अपने भाई की आँखों से डरता था
(ग) लेखक के बड़े भाई के पास एक तलवार थी जिससे लेखक को डर लगता था
(घ) लेखक अपने भाई को मुसीबत समझता था
उत्तर – (क) लेखक अपने बड़े भाई की डाँट से बहुत डरता था
Q3. गद्यांश में दिए गए मुहावे ‘आड़े हाथों लेना’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए –
(क) दोनों हाथ पकड़ लेना
(ख) हाथों को तिरछा करना
(ग) बुरा भला कहना या लज्जित करना
(घ) इन में से कोई नहीं
उत्तर – (ग) बुरा भला कहना या लज्जित करना
Q4. परीक्षा में प्रथम आने पर लेखक को अपने में क्या बदलाव महसूस हुए –
(क) अपने ऊपर कुछ अभिमान हुआ
(ख) लेखक का आत्मसम्मान बड़ा
(ग) आज़ादी से खेलकूद में शरीक होने लगा
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
Q5. ‘ज़बान से यह हेकड़ी जताने का सहस न होने पर भी मेरे रंग – ढंग से साफ़ ज़ाहिर होता था की भाई साहब का वह आंतक मुझ पर नहीं था।’ कथन का क्या आशय है –
(क) कक्षा में प्रथम आ जाने के कारण लेखक पर उनके भाई का डर समाप्त हो गया था और लेखक अब अपने मन की करने लगा था
(ख) लेखक अपने मुँह से अपने भाई को कोई बात नहीं कहता था
(ग) कक्षा में प्रथम आने के बाद लेखक अपने बड़े भाई को बुरा-भला कहने लगा था
(घ) कक्षा में प्रथम आने के बाद लेखक गुंडा-गर्दी करने लगा था
उत्तर – (क) कक्षा में प्रथम आ जाने के कारण लेखक पर उनके भाई का डर समाप्त हो गया था और लेखक अब अपने मन की करने लगा था
(6)
यह समझ लो कि तुम अपनी मेहनत से नहीं पास हुए, अंधे के हाथ बटेर लग गई। मगर बटेर केवल एक बार हाथ लग सकती है, बार – बार नहीं लग सकती। कभी कभी गुल्ली – डंडे में भी अँधा चोट निशाना पड़ जाता है। इससे कोई सफल खिलाडी नहीं हो जाता। सफल खिलाडी वो है जिसका कोई निशाना खाली न जाये। मेरे फेल होने पर मत जाओ, मेरे दरजे में आओगे, तो दाँतों पसीना आ जायेगा, जब अलजबरा और जामेट्री के लोहे के चने चबाने पड़ेंगे और इंग्लिस्तान का इतिहास पढ़ना पड़ेगा। बादशाहों के नाम याद रखना कोई आसान नहीं। आठ – आठ हेनरी हो गुजरें हैं। कौन सा कांड किस हेनरी के समय में हुआ, क्या यह याद कर लेना आसान समझते हो ? हेनरी सातवें की जगह हेनरी आठवाँ लिखा और सब नंबर गायब। सफ़ाचट। सिफ़र भी ना मिलेगा, सिफ़र भी। हो किस खयाल में। दरजनों तो जेम्स हुए हैं, दरजनों विलियम, कोड़ियों चार्ल्स। दिमाग चक्कर खाने लगता है। आंधी रोग हो जाता है। इन अभागों को नाम भी ना जुड़ते थे। एक ही नाम के पीछे दोयम, सोयम, चाहरूम, पंचुम लगाते चले गए। मुझसे पूछते तो दस लाख नाम बता देता।
Q1. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।
कथन (A) – यह समझ लो कि तुम अपनी मेहनत से नहीं पास हुए, अंधे के हाथ बटेर लग गई। मगर बटेर केवल एक बार हाथ लग सकती है, बार – बार नहीं लग सकती।
कारण (R) – लेखक के बड़े भाई साहब लेखक को समझाना चाहते हैं कि एक बार परीक्षा में प्रथम आ जाने से अगर वह पढ़ाई के प्रति लापरवाही बरतेगा तो किस्मत बार-बार उसका साथ नहीं देगी।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
Q2. लेखक को समझाने के लिए लेखक के बड़े भाई साहब ने किन मुहावरों के उदाहरण दिए –
(क) अंधे के हाथ बटेर लग जाना
(ख) अँधा चोट निशाना
(ग) दाँतों पसीना आना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
Q3. गद्यांश में भाई साहब ने लेखक को क्यों कहा कि ‘बटेर केवल एक बार हाथ लग सकती है, बार – बार नहीं’ –
(क) लेखक के बड़े भाई साहब लेखक को समझाना चाहते थे कि किस्मत एक बार साथ दे सकती है बार-बार नहीं
(ख) लेखक के बड़े भाई साहब लेखक को समझाना चाहते थे कि बटेर एक बार हाथ लग सकती है बार-बार नहीं
(ग) लेखक के बड़े भाई साहब लेखक को घमंड न करने को कहते हैं
(घ) लेखक के बड़े भाई साहब लेखक को समझाना चाहते थे कि पढ़ाई बहुत जरुरी है लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए
उत्तर – (क) लेखक के बड़े भाई साहब लेखक को समझाना चाहते थे कि किस्मत एक बार साथ दे सकती है बार-बार नहीं
Q4. ‘कभी कभी गुल्ली – डंडे में भी अँधा चोट निशाना पड़ जाता है। इससे कोई सफल खिलाडी नहीं हो जाता। सफल खिलाडी वो है जिसका कोई निशाना खाली न जाये।’ कथन से क्या आशय है –
(क) किस्मत के भरोसे सफलता कभी कबार ही मिल सकती है, सफल व्यक्ति उसे माना जा सकता है जो अपने हर कार्य में सफलता प्राप्त करे
(ख) किस्मत से केवल गुल्ली-डंडा ही जीता जा सकता है और कुछ नहीं
(ग) सफल खिलाड़ी गुल्ली-डंडे में हर निशाना सही लगाता है
(घ) सफल खिलाड़ी का निशाना कभी खराब नहीं लगता
उत्तर – (क) किस्मत के भरोसे सफलता कभी कबार ही मिल सकती है, सफल व्यक्ति उसे माना जा सकता है जो अपने हर कार्य में सफलता प्राप्त करे
Q5. गद्यांश के अनुसार लेखक के बड़े भाई साहब के किस व्यवहार का पता चलता है –
(क) लेखक से परेशान
(ख) पढ़ाई से निराश व् हताश
(ग) लेखक के कक्षा में प्रथम आने से नाराज
(घ) लेखक के व्यवहार से परेशान
उत्तर – (ख) पढ़ाई से निराश व् हताश
(7)
स्कूल का समय निकट था, नहीं ईश्वर जाने यह उपदेश-माला कब समाप्त होती। भोजन आज मुझे निःस्वाद-सा लग रहा था। जब पास होने पर यह तिरस्कार हो रहा है, तो फेल हो जाने पर तो शायद प्राण ही ले लिए जाएँ। भाई साहब ने अपने दरजे की पढ़ाई का जो भयंकर चित्र खींचा था, उसने मुझे भयभीत कर दिया। स्कूल छोड़ कर घर नहीं भागा, यही ताज्जुब है, लेकिन इतने तिरस्कार पर भी पुस्तकों में मेरी अरुचि ज्यों की त्यों बनी रही। खेल-कूद का कोई अवसर हाथ से ना जाने देता। पढता भी, लेकिन बहुत कम। बस, इतना कि रोज टास्क पूरा हो जाये और दरजे में जलील न होना पड़े। अपने ऊपर जो विश्वास पैदा हुआ था, वह फिर लुप्त हो गया और फिर चोरों का-सा जीवन काटने लगा। फिर सालाना इम्तिहान हुआ और कुछ ऐसा संयोग हुआ कि मैं फिर पास हुआ और भाई साहब फिर फेल हो गए। मैंने बहुत मेहनत नहीं की, पर न जाने कैसे दरजे में अव्वल आ गया। मुझे खुद अचरज हुआ। भाई साहब ने प्राणांतक परिश्रम किया। कोर्स का एक-एक शब्द चाट गए थे, दस बजे रात तक इधर, चार बजे भोर से उधर, छः से साढ़े नौ तक स्कूल जाने के पहले। मुद्रा कांतिहीन हो गई थी, मगर बेचारे फेल हो गए। मुझे इन पर दया आती थी। नतीजा सुनाया गया, तो वह रो पड़े और मैं भी रोने लगा। अपने पास होने की ख़ुशी आधी हो गई। मैं भी फेल हो गया होता, तो भाई साहब को इतना दुःख न होता, लेकिन विधि की बात कौन टालें !
Q1. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।
कथन (A) – जब पास होने पर यह तिरस्कार हो रहा है, तो फेल हो जाने पर तो शायद प्राण ही ले लिए जाएँ।
कारण (R) – लेखक के बड़े भाई साहब लेखक को समझा रहे थे, परन्तु लेखक को यह अपना अपमान लग रहा था क्योंकि वह कक्षा में प्रथम आया था और फिर भी उसे डाँट पड़ रही थी।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
Q2. लेखक को भोजन निःस्वाद क्यों लग रहा था –
(क) क्योंकि भोजन अच्छा नहीं बना था
(ख) भोजन में नमक नहीं था
(ग) क्योंकि लेखक को बहुत डांट पड़ी थी
(घ) क्योंकि भोजन लेखक के बड़े भाई साहब ने बनाया था
उत्तर – (ग) क्योंकि लेखक को बहुत डांट पड़ी थी
Q3. भाई साहब ने जब लेखक के सामने अपने दरजे की पढ़ाई का भयंकर चित्र खींचा तो लेखक की क्या प्रतिक्रिया थी –
(क) लेखक पढ़ाई करने के लिए तैयार हो गया
(ख) लेखक भयभीत हो गया
(ग) लेखक बड़े भाई साहब से क्षमा मांगने लगा
(घ) लेखक पर कोई असर नहीं पड़ा
उत्तर – (ख) लेखक भयभीत हो गया
Q4. सालाना इम्तिहान का क्या नतीजा निकला –
(क) लेखक फिर पास हुआ और भाई साहब फिर फेल हो गए
(ख) लेखक फेल हुआ और भाई साहब पास हो गए
(ग) लेखक और भाई साहब दोनों फेल हो गए
(घ) लेखक और भाई साहब दोनों पास हो गए
उत्तर – (क) लेखक फिर पास हुआ और भाई साहब फिर फेल हो गए
Q5. लेखक ने उपके बड़े भाई साहब के फेल होने पर कैसे व्यवहार किया –
(क) अपने भाई को रोता देख, लेखक भी रोने लगा
(ख) लेखक की पास होने की ख़ुशी आधी हो गई
(ग) लेखक सोचने लगा कि अगर वह भी फेल हो गया होता, तो भाई साहब को इतना दुःख न होता
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
(8)
अब भाई साहब बहुत कुछ नरम पड़ गए थे। कई बार मुझे डाँटने का अवसर पाकर भी उन्होंने धीरज से काम लिया। शायद वे खुद समझने लगे थे कि मुझे डाँटने का अधिकार उन्हें नहीं रहा, या रहा भी, तो बहुत कम। मेरी स्वच्छंदता भी बड़ी। मैं उनकी सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाने लगा। मुझे कुछ ऐसी धारणा हुई कि मैं पास ही हो जाऊंगा, पढ़ूँ या ना पढ़ूँ, मेरी तक़दीर बलवान है, इसलिए भाई साहब के डर से जो-थोड़ा बहुत पढ़ लिया करता था, वह भी बंद हुआ। मुझे कनकौए उड़ाने का नया शौक पैदा हो गया था और अब सारा समय पतंगबाज़ी की ही भेंट होता था, फिर भी मैं भाई साहब का अदब करता था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाता था। मांझा देना, कन्ने बाँधना, पतंग टूर्नामेंट की तैयारियाँ आदि समस्याएँ सब गुप्त रूप से हल की जाती थी। मैं भाई साहब को यह संदेह नहीं होने देना चाहता था की उनका सम्मान और लिहाज़ मेरी नजरों में कम हो गया है। एक दिन संध्या समय, हॉस्टल से दूर मैं एक कनकौआ लूटने बेतहाशा दौड़ा जा रहा था। आँखे आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला जा रहा था ,मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकल कर विरक्त मन से नए संस्करण ग्रहण करने जा रही हो। बालकों की पूरी सेना लग्गे और झाड़दार बाँस लिए इनका स्वागत करने को दौड़ी आ रही थी। किसी को अपने आगे पीछे की ख़बर ना थी। सभी मनो उस पतंग के साथ ही आकाश में उड़ रहे थे, जहाँ सबकुछ समतल है, न मोटरकारें हैं, न ट्राम, न गाड़ियां। सहसा भाई साहब से मेरी मुठभेड़ हो गई, जो शायद बाजार से लौट रहे थे। उन्होंने वहीँ हाथ पकड़ लिया और उग्र भाव से बोले -‘इन बाजारी लौडों के साथ धेले के कनकौए के लिए दौड़ते तुम्हें शर्म नहीं आती ? तुम्हें इसका भी कोई लिहाज नहीं कि अब नीची जमात में नहीं हो, बल्कि आठवीं जमात में आ गए हो और मुझसे केवल एक दरजा निचे हो। आखिर आदमी को कुछ तो अपनी पोज़िशन का ख्याल करना चाहिए।
Q1. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।
कथन (A) – अब भाई साहब बहुत कुछ नरम पड़ गए थे। कई बार मुझे डाँटने का अवसर पाकर भी उन्होंने धीरज से काम लिया। शायद वे खुद समझने लगे थे कि मुझे डाँटने का अधिकार उन्हें नहीं रहा, या रहा भी, तो बहुत कम।
कारण (R) – लेखक के बड़े भाई साहब लेखक को समझा रहे थे, परन्तु लेखक को यह अपना अपमान लग रहा था क्योंकि वह कक्षा में प्रथम आया था और फिर भी उसे डाँट पड़ रही थी।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
Q2. लेखक को कौन सा नया शौक चढ़ा था –
(क) कनकौए उड़ाने का
(ख) लुका-छुपी खेलने का
(ग) पढ़ाई करने का
(घ) बड़े भाई साहब की हर बात मानने का
उत्तर – (क) कनकौए उड़ाने का
Q3. ‘मांझा देना, कन्ने बाँधना, पतंग टूर्नामेंट की तैयारियाँ आदि समस्याएँ सब गुप्त रूप से हल की जाती थी। मैं भाई साहब को यह संदेह नहीं होने देना चाहता था की उनका सम्मान और लिहाज़ मेरी नजरों में कम हो गया है।’ कथन का आशय है –
(क) लेखक खेलने में मस्त रहने लगा था
(ख) लेखक को अपने भाई का कोई डर नहीं था
(ग) लेखक अब भी बड़े भाई साहब की इज्जत करता था
(घ) लेखक पर कोई असर नहीं पड़ा
उत्तर – (ग) लेखक अब भी बड़े भाई साहब की इज्जत करता था
Q4. पतंग का पीछा करते हुए लेखक को क्या महसूस हो रहा था –
(क) मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकल कर विरक्त मन से नए संस्करण ग्रहण करने जा रही हो
(ख) सभी मनो उस पतंग के साथ ही आकाश में उड़ रहे थे
(ग) लग रहा था मानो सबकुछ समतल है, न मोटरकारें हैं, न ट्राम, न गाड़ियां
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
Q5. बड़े भाई ने लेखक को पकड़ कर क्या कहा –
(क) इन बाजारी लौडों के साथ धेले के कनकौए के लिए दौड़ते तुम्हें शर्म नहीं आती
(ख) तुम्हें इसका भी कोई लिहाज नहीं कि अब नीची जमात में नहीं हो, बल्कि आठवीं जमात में आ गए हो और मुझसे केवल एक दरजा निचे हो
(ग) आखिर आदमी को कुछ तो अपनी पोज़िशन का ख्याल करना चाहिए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
(9)
समझ किताबें पढ़ने से नहीं आती, दुनिया देखने से आती है। हमारी अम्माँ ने कोई दरजा नहीं पास किया और दादा भी शायद पांचवी -छठी जमात से आगे नहीं गए, लेकिन हम दोनों चाहे साड़ी दुनिया की विद्या पढ़ लें, अम्माँ और दादा को हमें समझने और सुधरने का अधिकार हमेशा रहेगा। केवल इसलिए नहीं कि वे हमारे जन्मदाता हैं, बल्कि इसलिए कि उन्हें दुनिया का हमसे ज्यादा तजुरबा है और रहेगा। अमेरिका में किस तरह की राज -व्यवस्था है, और आठवें हेनरी ने कितने ब्याह किये और आकाश में कितने नक्षत्र है ,यह बातें चाहे उन्हें ना मालुम हों, लेकिन हजारों ऐसी बातें हैं, जिनका ज्ञान उन्हें हमसे और तुमसे ज्यादा है। दैव न करे, आज मैं बीमार हो जाऊँ, तो तुम्हारे हाथ-पाँव फूल जायेंगे। दादा को तार देने के सिवा तुम्हें और कुछ न सूझेगा, लेकिन तुम्हारी जगह दादा हो, तो किसी को तार ना दें, न घबराएं, न बदहवास हों। पहले खुद मरज़ पहचान कर इलाज करेंगे, उसमें सफल न हुए तो किसी डॉक्टर को बुलाएँगे। बिमारी तो ख़ैर बड़ी चीज़ है। हम तुम तो इतना भी नहीं जानते कि महीने भर का खर्च महीना भर कैसे चले। जो कुछ दादा भेजते हैं, उसे हम बीस-बाइस तक खर्च कर डालते हैं और फिर पैसे-पैसे को मुहताज हो जाते हैं। नाश्ता बंद हो जाता है, धोबी और नाई से मुँह चुराने लगते हैं, लेकिन जितना आज हम और तुम खर्च कर रहे हैं, उसके आधे में दादा ने अपनी उम्र का बड़ा भाग इज्जत और नेकनामी के साथ निभाया है और कुटुम्ब का पालन किया है, जिसमे सब मिलाकर नौ आदमी थे।
Q1. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।
कथन (A) – हमारी अम्माँ ने कोई दरजा नहीं पास किया और दादा भी शायद पांचवी -छठी जमात से आगे नहीं गए, लेकिन हम दोनों चाहे साड़ी दुनिया की विद्या पढ़ लें, अम्माँ और दादा को हमें समझने और सुधरने का अधिकार हमेशा रहेगा।
कारण (R) – लेखक के बड़े भाई साहब लेखक को समझा रहे थे, कि चाहे वह कितना भी पढ़ाई में उनसे आगे निकल जाए परन्तु बड़े होने के नाते हमेशा उनका अधिकार होगा कि वे लेखक को उसकी गलती पर डाँट लगाए।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
Q2 . ‘समझ किताबें पढ़ने से नहीं आती, दुनिया देखने से आती है।’ वाक्य का क्या आशय है –
(क) किताबें पढ़ना बेकार है
(ख) दुनिया का ज्ञान सर्वोपरि है
(ग) समझ के लिए किताबी ज्ञान से ज्यादा तजुर्बा काम आता है
(घ) समझ के लिए किताबें नहीं दुनिया जरुरी है
उत्तर – (ग) समझ के लिए किताबी ज्ञान से ज्यादा तजुर्बा काम आता है
Q3. लेखक को समझाने के लिए कि उनका तजुरबा कितना कम है, बड़े भाई साहब ने क्या उदाहरण दिए –
(क) अपनी अम्माँ का
(ख) अपने आप का
(ग) अपने दादा का
(घ) लेखक का
उत्तर – (क) और (ग)
Q4. गद्यांश के अनुसार लेखक के दादा का व्यवहार कैसा था –
(क) वे बहुत महान थे
(ख) वे सबकी मदद करते थे
(ग) उनको जिंदगी का तजुरबा था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) उनको जिंदगी का तजुरबा था
Q5. बड़े भाई साहब अगर बीमार पड़ जाते तो लेखक के विपरीत दादा क्या करते –
(क) पहले खुद मरज़ पहचान कर इलाज करते, उसमें सफल न हुए तो किसी डॉक्टर को बुलाते
(ख) खुद मरज़ पहचान कर इलाज करते
(ग) किसी डॉक्टर को बुलाते
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) पहले खुद मरज़ पहचान कर इलाज करते, उसमें सफल न हुए तो किसी डॉक्टर को बुलाते
JKBOSE Class 10 Hindi ड़े भाई साहब प्रश्न और उत्तर (Extra Question Answers)
Q1. लेखक अपने बड़े भाई के हुकम को कानून समझने में शालीनता समझता था, ऐसा क्यों ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – लेखक और उसके भाई साहब छात्रावास में रहकर पढ़ाई करते थे। लेखक अपने बड़े भाई से उम्र में पाँच वर्ष छोटा था। वह नौ साल का और भाई साहब चौदह वर्ष के। उम्र और अनुभव के इस अंतर के कारण उन्हें लेखक की देखभाल और डाँट-डपट का पूरा अधिकार था और उनकी बातें मानने में ही लेखक की शालीनता थी।
Q2. लेखक को मौन देखकर बड़े भाई का व्यवहार कैसा हो जाता था? (CBSE 2016)
उत्तर – जब लेखक बड़े भाई साहब के सामने मौन हो जाता था ,तो बड़े भाई को यह विशवास हो जाता था कि उसने अपने अपराध को स्वीकार कर लिया है। ऐसे में वह बड़े होने का कर्तव्य निभा कर उसे कभी डाँटते, तो कभी स्नेह से बातें करते।
Q3. शिक्षा जैसे महत्त्वपूण मसले पर बड़े भाई साहब के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – भाई साहब शिक्षा को जीवन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानते थे। ऐसे महत्त्वपूर्ण मामलों में वे जल्दबाजी करने के पक्षधर न थे। उनका मानना था कि जिस प्रकार एक मजबूत मकान बनाने के लिए मजबूत नींव की जरूरत होती है उसी प्रकार शिक्षा की नींव मजबूत बनाने के लिए वे एक-एक कक्षा में दो-दो, और किसी में तो तीन साल लगा देते थे।
Q4. मैदान का आकर्षण छोटे भाई को कहाँ ले जाता था और क्या-क्या करवाता था? कहानी ‘बड़े भाई साहब’ के आधार पर लिखिए। (CBSE 2010, 16)
उत्तर – मैदान का आकर्षण छोटे भाई को पढ़ाई से दूर खेल की दुनिया में ले जाता और उससे फूटबाल की उछल कूद, कबड्डी के दाँव घात, वॉलीबाल की तेज़ी और फुरति, कभी वहाँ पत्थरों के छोटे- छोटे टुकड़ों को उछालता ,कभी कागज़ की तितलियाँ बना कर उड़ाता और अगर कोई मित्र या साथी साथ में खेलने के लिए मिल जाये तो बात ही कुछ और होती, साथी के साथ मिल कर कभी चारदीवारी पर चढ़ कर कूदते, कभी फाटक पर चढ़ कर उसे आगे पीछे करके मोटरकार का आनंद लेते। मैदान का आकर्षण अज्ञात और अनिवार्य रूप से छोटे भाई को खींच ले जाता और वहां जा कर वह सब कुछ भूल जाता।
Q5. कक्षा में प्रथम आने पर छोटे भाई के स्वभाव में क्या परिवर्तन आ गया था? (CBSE 2011)
उत्तर – कक्षा में प्रथम आने पर छोटे भाई के स्वभाव में बहुत परिवर्तन आ गया था, उसे स्वयं पर थोड़ा अभिमान हुआ और आत्मसम्मान भी बड़ा। उसे लगने लगा था कि बड़े बही साहब उसे उपदेश देते हैं, परन्तु स्वयं फेल हो गए। इसलिए अब वह खेलकूद में निर्भीक हो कर पहले से भी अधिक समय व्यतीत करने लगा। अब उसे उनकी डाँट का भी भय नहीं रहा था। उसको यह लगने लगा था कि वह कम मेहनत करके भी पास हो जाएगा। उस पर बड़े भाई का पुराना आतंक नहीं रहा।
Q6. ‘मुझे देखकर भी सबक नहीं लेते’ – ऐसा कहकर भाई साहब लेखक को क्या बताना चाहते थे?
उत्तर – लेखक के बड़े भाई साहब पढ़ाई के नाम पर किताबें रटाने का प्रयास करते वे रटकर परीक्षा पास करने का प्रयास करते। वे ऐसा करने के क्रम में अकसर किताबें खोले रहते और खेलकूद, मेले-तमाशे छोड़कर पढ़ते रहते थे, फिर भी परीक्षा में फेल हो गए। वे अपने उदाहरण द्वारा यह बताना चाहते थे कि यदि इतना पढ़कर भी मैं फेल हो गया तो तुम सोचो खेलने में समय गंवाने वाले तुम्हारा क्या हाल होगा।
Q7. डाँट-फटकार लगाते भाई साहब लेखक को क्या-क्या सलाह दे डालते थे? उनके ऐसे व्यवहार को आप कितना उचित समझते हैं?
उत्तर – पढ़ाई छोड़कर खेलकूद में समय गंवाकर लौटे लेखक को भाई-साहब खूब डाँटते-फटकारते और यह सलाह भी दे देते कि जब मैं एक दरजे में दो-तीन साल लगाता हूँ तो तुम उम्र भर एक ही दरजे में पड़े सड़ते रहोगे। इससे बेहतर है कि तुम घर जाकर गुल्ली-डंडा खेलो और दादा की गाढ़ी कमाई के पैसे बरबाद न करो। उनके इस व्यवहार को मैं उचित नहीं मानता/मानती, क्योंकि उनके विचारों में नकारात्मकता झलकती है। और इस तरह के व्यवहार का किसी भी बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है।
Q8. लेखक अपने ही बनाए टाइम-टेबिल पर अमल क्यों नहीं कर पाता था?
उत्तर – लेखक का मन पढ़ाई से अधिक खेलकूद में लगता था। वह पढ़ने का निश्चय करके भले ही टाइम-टेबिल बना लेता पर इस टाइम-टेबिल पर अमल करने की जगह उसकी अवहेलना शुरू हो जाती। मैदान की सुखद हरियाली, हवा के झोंके, खेलकूद की मस्ती और उल्लास, कबड्डी के दाँव-पेंच और बॉलीबाल की फुरती उसे खींच ले जाती, ऐसे में उसे टाइम टेबिल और किताबों की याद तक नहीं रहती थी।
Q9. भाई साहब ने अपने दरजे की पढ़ाई का जो चित्र खींचा था उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर – भाई साहब ने अपने दरजे की पढ़ाई को अत्यंत कठिन बताते हुए उसका जो भयंकर चित्र खींचा था, उससे लेखक भयभीत हो गया। लेखक को इस बात के लिए खुद पर आश्चर्य हो रहा था कि वह स्कूल छोड़कर घर क्यों नहीं भागा। इतने के बाद भी उसकी खेलों में रुचि और पुस्तकों में अरुचि यथावत बनी रही। वह अब कक्षा में अपमानित होने से बचने के लिए अपने टस्क पूरे करने लगा। अर्थात लेखक थोड़े समय के लिए तो डर गया था कि वह पढ़ाई कर पाएगा भी या नहीं, परन्तु कुछ ही समय बाद वह पहले की तरह खेलकूद में व्यस्त हो गया।
Q10. भाई साहब के फेल होने और खुद के अव्वल आने पर लेखक के मन में क्या-क्या विचार आए?
उत्तर – वार्षिक परीक्षा का जब परिणाम आया तो दिन-रात किताबें खोलकर बैठे रहने वाले भाई साहब फेल हो गए और उनका छोटा भाई (लेखक) जिसका सारा समय खेलकूद को भेंट होता था और बहुत डाँट-डपट खाने के बाद थोड़ी-सी पढ़ाई कर लेता था, परीक्षा में अव्वल आ गया। लेखक जब भी बाहर से खेलकर आता तो भाई साहब रौद्र रूप धारण कर सूक्तिबाणों से उसका स्वागत करते और जी भरकर लताड़ते। अब उनके फेल होने पर लेखक के मन में यह विचार आया क्यों न वह भाई साहब को आड़े हाथों ले और पूछे कि कहाँ गई वह आपकी घोर तपस्या? मुझे देखिए, मजे से खेलता भी रहा और दरजे में अव्वल भी हूँ, पर भाई साहब की उदासी और दुख देखकर उनके घावों पर नमक छिड़कने की हिम्मत लेखक को न हुई।
Q11. भाई साहब भले ही फेल होकर एक कक्षा में दो-तीन साल लगाते थे पर उनकी सहज बुधि बड़ी तेज़ थी। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – भाई साहब पढ़ाई के प्रति घोर परिश्रम करते थे, परंतु एक-एक कक्षा में दो-दो या तीन-तीन साल लगाते थे। इसके बाद भी उनकी सहज बुद्धि बड़ी तेज़ थी। भाई साहब के फेल होने और छोटे भाई के पास होने से उसमें अभिमान की भावना बलवती हो गई। वह आज़ादी से खेलकूद में शामिल होने लगा। वह भाई साहब को मौखिक जवाब तो नहीं दे सकता था पर उसके रंग-ढंग से यह जाहिर होने लगा कि छोटा भाई अब भाई साहब के प्रति वैसी अदब नहीं रखता जैसी वह पहले रखा करता था। भाई की सहज बुद्धि ने बिना कुछ कहे-सुने इसे भाँप लिया और एक दिन जब वह खेलकर लौटा तो भाई साहब ने उसे उपदेशात्मक भाषा में खूब खरी-खोटी सुनाई । इससे स्पष्ट होता है कि भाई साहब की सहज बुद्धि अत्यंत तीव्र थी।
Q12. बड़े भाई साहब ने तत्कालीन शिक्षा प्रणाली की जिन कमियों की ओर संकेत करते हुए अपने फेल होने के लिए उसे उत्तरदायी ठहराने की कोशिश की है, उससे आप कितना सहमत हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर – बड़े भाई साहब ने उस समय की शिक्षा प्रणाली में जिन कमियों की ओर संकेत किया है उनमें मुख्य हैं – एक ही परीक्षा द्वारा छात्रों का मूल्यांकन अर्थात् वार्षिक परीक्षा के परिणाम पर ही छात्रों का भविष्य निर्भर करता था। इस प्रणाली से रटने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता था। इसमें छात्रों के अन्य पहलुओं के मूल्यांकन की न तो व्यवस्था थी और न उन्हें महत्त्व दिया जाता था। इसके अलावा परीक्षकों का दृष्टिकोण भी कुछ ऐसा था कि वे छात्रों से उस तरह के उत्तर की अपेक्षा करते थे जैसा पुस्तक में लिखा है। किताब से उत्तर अलग होते ही शून्य अंक मिल जाते थे। यद्यपि इन कारणों से ही भाई साहब अपने फेल होने का दोष परीक्षा प्रणाली पर नहीं डाल सकते हैं। वे खुद भी तो समझकर पढ़ने के बजाय रटकर पढ़ते थे जो उनके फेल होने का कारण बनी। इस तरह भाई साहब के विचारों से मैं सहमत नहीं हूँ। पास होने के लिए उन्हें विषयों को समझकर पढ़ने की जरूरत होती है जो उन्होंने नहीं किया।
Q13. कहानी ‘बड़े भाई साहब’ के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है? (CBSE 2020)
उत्तर – कहानी ‘बड़े भाई साहब’ के अनुसार जीवन की समझ अनुभव से आती है। कहानी में बताया गया है कि समझ किताबें पढ़ने से नहीं आती, दुनिया देखने से आती है। लेखक की अम्माँ ने कोई दरजा नहीं पास किया और दादा भी शायद पांचवी -छठी जमात से आगे नहीं गए, लेकिन लेखक और उनके भाई दोनों चाहे सारी दुनिया की विद्या पढ़ लें, अम्माँ और दादा को उन्हें समझने और सुधरने का अधिकार हमेशा रहेगा। केवल इसलिए नहीं कि वे उनके जन्मदाता हैं, बल्कि इसलिए कि उन्हें दुनिया का उनसे ज्यादा तजुरबा है और रहेगा। अमेरिका में किस तरह की राज -व्यवस्था है, और आठवें हेनरी ने कितने ब्याह किये और आकाश में कितने नक्षत्र है, यह बातें चाहे उन्हें ना मालुम हों, लेकिन हजारों ऐसी बातें हैं, जिनका ज्ञान उन्हें लेखक और उनके भाई से ज्यादा है। इससे हमें पता चलता है कि जीवन की समझ कभी किताबें पढ़ने से नहीं आ सकती, जीवन की समझ के लिए दुनिया को देखना जरुरी है।
Q14. बड़े भाई साहब की स्वभावगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। (CBSE 2019)
उत्तर – बड़े भाई साहब अनुशासन प्रिय थे। वह अपने छोटे भाई को भी तरह-तरह के आदर्श उदाहरण देकर अनुशासन अपनाने के लिए सलाह देते रहते थे।
बड़े भाई साहब का स्वभाव भी गंभीर और सयंमी प्रवृत्ति का था।
बड़े बड़े भाई साहब यूं तो परिश्रमी थे, लेकिन अपनी कक्षा में तीन बार बाद फेल हो गए थे। फिर भी उन्होंने पढ़ाई से नाता नहीं तोड़ा।
बड़े भाई साहब बोलने में बड़े कुशल थे और वह अपने छोटे भाई को तरह-तरह के उदाहरण देकर अक्सर उपदेश देते रहते थे ताकि उन का छोटा भाई अपने रास्ते से नहीं भटके और पढ़ाई पर ध्यान दें।
बड़े भाई साहब के लिए अपने से बड़ों के प्रति सम्मान का भाव था।
बड़े भाई साहब फिजूलखर्ची पसंद नहीं थी। जब उन का छोटा भाई किसी तरह की फिजूलखर्ची करता अथवा पढ़ाई से ध्यान हटाकर खेलकूद में अपना ध्यान लगाता तो वह उसे डांटते रहते थे।
बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई से 5 साल में उम्र में बड़े थे। इसीलिए वे अपने को ज्यादा अनुभवी समझ कर अपने अनुभव का ज्ञान अपने छोटे भाई को देते रहते थे।
Q15. पाठ ‘बड़े बही साहब’ के आधार पर छोटे भाई के व्यक्तित्व का चित्रण कीजिए। (CBSE 2018)
उत्तर – छोटे भाई का पढाई में बिलकुल मन नहीं लगता था।
पढ़ाई में मन न लगने के बावजूद भी छोटा भाई बहुत प्रतिभावान था।
छोटा भाई हमेशा अपने बड़े भाई का आदर करता था।
अपने भाई के प्रति छोटे भाई को सहानुभूति होती थी और उनके प्रति छोटे भाई की अपार श्रद्धा थी।
छोटे भाई को खेलों में बहुत रूचि थी।
इन सभी के साथ – साथ लेखक में एक भोलापन भी झलकता है।