CBSE Class 12 Hindi Chapter 2 Joojh (जूझ) Question Answers (Important) from Vitan Book
Joojh Class 12 – CBSE Class 12 Hindi Vitan Bhag-2 Chapter 2 Joojh Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of the chapter, extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions.
सीबीएसई कक्षा 12 हिंदी वितान भाग-2 पुस्तक पाठ 2 जूझ प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है।
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Joojh Question and Answers (जूझ प्रश्न-अभ्यास)
प्रश्न 1 – ‘जूझ’ शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथा नायक की किसी केंद्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता है?
उत्तर – कहानी या किसी रचना का शीर्षक बहुत मायने रखता है। क्योंकि शीर्षक को देखकर ही पाठक को अंदाजा हो जाता है कि वह रचना या कहानी किस सन्दर्भ में है और किसी भी रचना का मुख्य भाव शीर्षक से ही व्यक्त होता है। इस पाठ का शीर्षक ‘जूझ’ है और जूझ का अर्थ होता है जुझना या संघर्ष। इस कहानी में कहानी के मुख्य पात्र आनंद ने पाठशाला जाने व् पढ़ाई करने के लिए बहुत संघर्ष किया। उसका पिता उसको पाठशाला जाने से मना कर देता है और खेतों का काम संभालने के लिए कहता है। इसके बावजूद, कहानी नायक आनंद अपनी माँ को मना कर दादा व देसाई सरकार के सामने अपना पक्ष रखता है ताकि वे उसके पिता को मना सके। आनंद का पिता किसी भी हाल में उसे पाठशाला नहीं भेजना चाहता था अतः वह उस पर कई तरह के आरोप लगता है परन्तु अपने ऊपर लगे आरोपों का आनंद अच्छे से उत्तर देता है। जब दादा व देसाई सरकार उसे आगे बढ़ने के लिए कुछ कठिन शर्तें बताते हैं तो वह वह हर कठिन शर्त मानता है। पाठशाला में भी वह नए माहौल में ढलने, कविता रचने आदि के लिए बहुत संघर्ष करता है। अत: यह शीर्षक सर्वथा उपयुक्त है। इस कहानी के मुख्य पात्र में संघर्ष की प्रवृत्ति है। इस प्रकार यह शीर्षक कथा-नायक की केंद्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता है।
प्रश्न 2 – स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ?
उत्तर – लेखक के मराठी के मास्टर स्वयं कविता करते थे और अनेक मराठी कवियों के काव्य-संग्रह उनके घर में थे। वह भाव छंद और लय के साथ कविताओं का पाठ करता था। वे उन कवियों के चरित्र और उनके संस्मरण बच्चों को बताया करते थे। इसके कारण ये कवि लोग लेखक को ‘आदमी’ ही लगने लगे थे। इसलिए लेखक को भी यह विश्वास हुआ कि वह भी कविता कर सकता है। मास्टर के दरवाजे पर मालती की बेल पर मास्टर ने एक कविता लिखी थी। वह कविता और वह लता लेखक ने दोनों ही देखी थी। इसके कारण लेखक को भी लगता था कि अपने आसपास, अपने गाँव में, अपने खेतों में, कितने ही ऐसे दृश्य हैं जिन पर वह कविता बना सकता है। लेखक भैंस चराते-चराते, फसलों पर, जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा। उन्हें जोर से गुनगुनाता भी था और अपनी बनाई कवितायेँ मास्टर को दिखाने भी लगा। मास्टर कविता लिखने में लेखक का मार्गदर्शन भी किया करते थे।
प्रश्न 3 – श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विशेषताओं को रेखांकित करें जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के मन में रुचि जगाई?
उत्तर – लेखक के एक मराठी मास्टर जिनका नाम न.वा.सौंदलगेकर था। वे कविता बहुत ही अच्छे ढंग से पढ़ाते थे। पहले तो वे एकाध कविता को गाकर सुनाते थे-फिर बैठे-बैठे अभिनय के साथ कविता के भाव बच्चों को समझाते थे। वे स्वयं भी कविता की रचना करते थे। कभी कक्षा में कोई अपनी कविता याद आती तो वे सुना देते। लेखक उनके द्वारा सुनाई व् अभिनय की गई कविताओं को ध्यान से सुनता व् देखता था। लेखक अपनी आँखों और कानों का पूरा ध्यान लगाकर मास्टर के हाव-भाव, ध्वनि, गति, चाल और रस को ग्रहण करता था। और उन सभी कविताओं को सुबह-शाम खेत पर पानी लगाते हुए या जानवरों को चराते हुए अकेले में खुले गले से मास्टर के ही हाव-भाव, यति-गति और आरोह-अवरोह के अनुसार गाता था। लेखक ने अनेक कविताओं को अपनी खुद की चाल में गाना शुरू किया। लेखक भैंस चराते-चराते, फसलों पर, जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा। उन्हें जोर से गुनगुनाता भी था और अपनी बनाई कवितायेँ मास्टर को दिखाने भी लगा। मास्टर कविता लिखने में लेखक का मार्गदर्शन भी किया करते थे। वे लेखक को बताते कि कवि की भाषा कैसी होनी चाहिए, संस्कृत भाषा का उपयोग कविता के लिए किस तरह होता है, छंद की जाति कैसे पहचानें, उसका लयक्रम कैसे देखें, अलंकारों में सूक्ष्म बातें कैसी होती हैं, अलंकारों का भी एक शास्त्र होता है, कवि को शुद्ध लेखन करना क्यों जरूरी होता है, शुद्ध लेखन के नियम क्या हैं, आदि। श्री सौंदलगेकर की इन्हीं विशेषताओं के कारण कविताओं के प्रति लेखक के मन में रुचि जाग गई।
प्रश्न 4 – कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया?
उत्तर – पहले जानवरों को चराते हुए, पानी लगाते हुए, दूसरे काम करते हुए, लेखगक को अकेलापन बहुत खटकता था। उसे किसी के साथ बोलते हुए, गपशप करते हुए, हँसी-मजाक करते हुए काम करना अच्छा लगता था। लेकिन अब उलटा लेखक को अकेले रहना अच्छा लगता था क्योंकि अकेले में वह कविता ऊँची आवाज़ में गा सकता था और किसी भी तरह का अभिनय कर सकता था। लेखक ने अनेक कविताओं को अपनी खुद की चाल में गाना शुरू किया।
प्रश्न 5 – आपके खयाल से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ताजी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता का? तर्क सहित उत्तर दें।
उत्तर – हमारी दृष्टि से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया सही था। लेखक इसलिए पढ़ना चाहता था क्योंकि उसे लगता था कि खेती से उनका गुजारा नहीं हो पाएगा। इसका कारण यह भी था कि उसके दादा के समय में जितनी खेती सफल थी अब उसके पिता के समय में नहीं रह गई थी। लेखक चाहता था कि वह पढ़-लिख कर कोई नौकरी कर ले जिससे चार पैसे उसके हाथ में रहेंगे। यह विचार उसके मन में चलता रहता था। दत्ता जी राव का रवैया भी सही है। उन्होंने लेखक की पढ़ाई छुड़वाने के लिए लेखक के पिता को धमकाया तथा लेखक को पाठशाला भिजवाया। यहाँ तक कि वे खुद लेखक की पढ़ाई का खर्चा उठाने को तैयार थे। इसके विपरीत, लेखक के पिता का रवैया एकदम अनुचित था। वह खेती के काम को ज्यादा बढ़िया समझता था तथा स्वयं आज़ादी से घूम सके इसके लिए बच्चे व् पत्नी को खेती के काम में झोंक रखा था। वह एक आदर्श पिता बिलकुल नहीं था।
प्रश्न 6 – दत्ताजी राव से पिता पर दबाव डलवाने के लिए लेखक और उसकी माँ को एक झूठ का सहारा लेना पड़ा। यदि झूठ का सहारा न लेना पड़ता तो आगे का घटनाक्रम क्या होता? अनुमान लगाएँ।
उत्तर – लेखक को पता था कि खेती से उनका गुजारा नहीं हो पाएगा और उसका पिता उसे पढ़ाई करने नहीं देगा। इसलिए उन्हें दत्ता जी राव का सहारा लेना पड़ा और थोड़ा झूठ भी सच में मिला कर बताना पड़ा। यदि वे झूठ का सहारा न लेते तो लेखक आजीवन अनपढ़ ही रह जाता और वह जीवनभर खेतों में कोल्हू के बैल की तरह काम करता रहता। उसे केवल भैंसे चराना अथवा खेती करने के और कोई काम न आता। वह दिन-भर खेतों पर काम करता और शाम को घर लौट आता। उसका पिता ऐसे ही आजादी से घुमा करता। लेखक के नौकरी करने व् पैसे कमाने के सारे सपने टूट जाते। बिना झूठ का सहारा लिए उसकी प्रतिभा कभी भी न चमक पाती। केवल एक झूठ ने लेखक के जीवन को एक नयी दिशा दी।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – (Important Question Answers)
प्रश्न 1 – लेखक का मन पाठशाला जाने के लिए क्यों तड़पता था?
उत्तर – लेखक का मन पाठशाला जाने के लिए तड़पता था। परन्तु लेखक को अपने दादा अर्थात पिता से यह कहने में डर लगता था लेकिन वह चाहता था कि कोई उसके पिता को यह समझा दे। लेखक इसलिए भी पढ़ना चाहता था क्योंकि उसे लगता था कि खेती से उनका गुजारा नहीं हो पाएगा। इसका कारण यह भी था कि उसके दादा के समय में जितनी खेती सफल थी अब उसके पिता के समय में नहीं रह गई थी। लेखक चाहता था कि वह पढ़-लिख कर कोई नौकरी कर ले जिससे चार पैसे उसके हाथ में रहेंगे।
प्रश्न 2 – पुरे गाँव में लेखक के परिवार का कोल्हू सबसे पहले शुरू होता था। क्यों?
उत्तर – लेखक की खेती की बात की जाए तो उन्हें दीवाली बीत जाने पर महीना-भर ईख पेरने का कोल्हू चलाना होता था। लेखक के पिता का कहना था कि यदि कोल्हू ज़रा जल्दी शुरू किया तो ईख की अच्छी-खासी कीमत मिल जाती है। क्योंकि जब चारों ओर कोल्हू चलने लगते हैं तो बाज़ार में गुड़ की मात्रा अधिक हो जाती और उसके भाव नीचे गिर जाते हैं। इसलिए पुरे गाँव में लेखक के परिवार का कोल्हू सबसे पहले शुरू होता था।
प्रश्न 3 – लेखक की पढ़ाई की समस्या ले कर लेखक और लेखक की माँ कहाँ गए और क्यों?
उत्तर – लेखक की माँ धूप में कंडे थाप रही थी और लेखक भी उनकी मदद कर रहा था। बातों-ही-बातों में लेखक ने अपने पढ़ने की बात छेड़ दी। परन्तु लेखक की माँ भी जानती थी कि वह इस विषय में लेखक की कोई मदद नहीं कर सकती हैं। क्योंकि लेखक के पिता लेखक की पढाई की बात नहीं जमती। लेखक अपनी माँ को मना लेता है कि अब उनके खेत का सारा काम समाप्त हो गया है उसके लिए अब कोई काम नहीं है इसलिए वे दोनों दत्ता जी राव सरकार के पास जा कर उनको सारी बात समझा सकते हैं जिससे वे लेखक की पढ़ाई के बारे में लेखक के पिता को अच्छे से समझा दे। माँ भी मान जाती है और रात में दोनों दत्ता जी राव देसाई के यहाँ गए। लेखक की माँ ने दत्ता जी राव को सारी बात कह दी। और वे भी उनकी बात से सहमत हो गए।
प्रश्न 4 – लेखक की माँ ने दत्ता जी राव को लेखक के पिता के बारे में क्या बताया?
उत्तर – लेखक की माँ ने दत्ता जी राव को लेखक के पिता के बारे में बताया कि लेखक के पिता खेती के काम में हाथ नहीं लगाते। उनको सारे गाँव भर आजादी के साथ घूमने को मिलता रहे, इसलिए उन्होंने लेखक का पढ़ना बंद कर उसे खेती में जोत दिया है।
प्रश्न 5 – लेखक जनवरी के ही महीने में कक्षा में क्यों बैठना चाहता था?
उत्तर – लेखक जनवरी के ही महीने में कक्षा में बैठना चाहता था क्योंकि परीक्षा नज़दीक आ गई थी। और यदि वह अभी भी कक्षा में बैठेगा तो दो महीने में पाँचवीं की सारी तैयारी हो जाएगी और वह परीक्षा पास कर लेगा क्योंकि पहले ही उसका एक वर्ष बेकार में चला गया था।
प्रश्न 6 – देसाई दादा, लेखक और लेखक के पिता की बातचीत का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर – जब लेखक के पिता घर पहुंचे तो लेखक की माँ ने उन्हें देसाई दादा के यहाँ भेज दिया और कुछ समय बाद पिता को बुलाने के बहाने लेखक भी देसाई दादा के घर पहुँच गया। सवाल जवाब में जब देसाई दादा ने बड़ी चतुराई से पूछा की लेखक कौन सी कक्षा में पढता है तो लेखक ने भी तुरंत कह दिया कि वह पाँचवी कक्षा में पढ़ता था परन्तु अब विद्यालय नहीं जाता क्योंकि उनके खेतों में पानी देने वाला कोई नहीं है। इस पर देसाई दादा ने लेखक के पिता को खूब बातें सुनाई। देसाई दादा ने लेखक के पिता द्वारा दिए गए सभी तर्कों को काट दिया और लेखक को रोज स्कूल जाने को कहा और यदि उसका पिता उसे न जाने दें तो उसे अपने पास सुबह-शाम जो भी काम हो सके वह करने को कहा और उसके बदले वे उसे पढ़ाएंगे। यह बात सुन कर लेखक के पिता ने कहा कि वे उसे स्कूल जाने से नहीं रोकते अगर उसे ज़रा गलत-सलत आदत न पड़ गई होती। इसलिए पाठशाला से निकालकर ज़रा नज़रों के सामने रख लिया है। देसाई दादा के पूछने पर पिता ने बताया कि वह यहाँ-वहाँ कुछ भी करता है। कभी वंकंडे बेचता, कभी चारा बेचता, सिनेमा देखता, कभी खेलने जाता। खेती और घर के काम में इसका बिलकुल ध्यान नहीं है। इस पर लेखक ने सफाई देते हुए कहा कि कभी एक बार मेले में पटा पर पैसे लगा दिए थे। दादा तो कभी भी सिनेमा के लिए पैसे नहीं देते हैं। इसलिए खेत पर गोबर बीन-बीनकर माँ से कंडे थपवा लिए थे और उन्हें बेचकर ही कपड़े भी बनवाए थे। उसी समय एक बार सिनेमा भी गया था। देसाई दादा ने सारी बातें सुनी और बीती बातें भूल कर अगले दिन से स्कूल जाने को कहा।
प्रश्न 7 – लेखक के पिता ने पाठशाला जाने के लिए लेखक के समक्ष कौन सी शर्तें रखीं?
उत्तर – घर पर खाना खाते-खाते लेखक के पिता ने लेखक को कुछ शर्तें बताई जैसे कि उसकी पाठशाला का समय ग्यारह बजे होता है। इसलिए लेखक को दिन निकलते ही खेत पर हाज़िर होना है। ग्यारह बजे तक खेतों पर पानी देना है। खेतों में पानी देकर आते समय ही पढ़ने का बस्ता घर से ले जाना। घर से सीधे पाठशाला पहुँचना। छुट्टी होते ही घर में बस्ता रखकर सीधे खेत पर आकर एक घंटे जानवरों को चराना और कभी खेतों में ज़्यादा काम हुआ तो पाठशाला में गैर-हाज़िरी लगाना। लेखक ने भी सभी शर्तों को मान लिया।
प्रश्न 8 – पाठशाला में लेखक को क्या परेशानी झेलनी पड़ी और उनका लेखक ने क्या समाधान निकाला?
उत्तर – जब कक्षा के बच्चों ने लेखक के पहनावे का मजाक बनाया, उसकी धोती खींचीं-गमछा खींचा हैं, तो लेखक निराश हो कर सोचने लगा कि ऐसी पाठशाला में वह नहीं जाएगा। इससे तो उसका खेत ही अच्छा है-चुपचाप काम करते रहो। और कक्षा में उसकी गली के दो ही लड़के हैं, जो उससे भी कमज़ोर हैं। उनसे कोई मदद नहीं मिल सकती। लेखक का मन उदास हो गया। उसे चौथी से पाँचवीं तक पाठशाला अपनी लगती थी। लेकिन अब वह एकदम पराई-पराई जैसी लगने लगी है। उसे लग रहा था जैसे कक्षा में उसका कोई नहीं है। परन्तु सवेरा होते ही लेखक फिर से उमंग में था और फिर से पाठशाला चला गया। उसके पहनावे का मजाक न बने इसलिए माँ के पीछे पड़कर उसने एक नयी टोपी और दो नाड़ीवाली चड्डी आठ दिन में मँगवा ली। चड्डी पहनकर पाठशाला में और धोती पहनकर खेत पर जाना शुरू हुआ। धीरे-धीरे लड़कों से परिचय बढ़ गया।
प्रश्न 9 – वसंत पाटील कौन था और लेखक का उसके साथ कैसा सम्बन्ध था?
उत्तर – लेखक की कक्षा में एक वसंत पाटील नाम का एक दुबला-पतला, किन्तु बड़ा होशियार लड़का था। उसकी होश्यारी के कारण मास्टर ने उसे कक्षा मॉनीटर बना दिया था। लेखक को वह अपनी अपेक्षा छोटा लगता था और लेखक उससे पहले ही पाँचवीं में पहुँच गया था। गलती से पिछड़ गया था। इसलिए लेखक के अनुसार मास्टर को कक्षा की मॉनीटरी उसे सौंपनी चाहिए थी। परन्तु दूसरी ओर लेखक को पता था कि उसके पास पाँचवी की परीक्षा पास करने के लिए केवल दो महीने ही है। कक्षा में दंगा करना और पढ़ाई की उपेक्षा करना लेखक के लिए मुमकिन नहीं था। इन सब बातों के कारण लेखक का सारा ध्यान पढ़ाई की ओर ही रहा और पढ़ाई में लेखक वसंत पाटिल की नकल करने लगा। जिसके परिणाम स्वरूप लेखक के मन की एकाग्रता बड़ गई और लेखक को गणित झटपट समझ में आने लगा और सवाल सही होने लगे। मास्टरों लेखक को अपनेपन का व्यवहार मिलने लगा। मास्टरों के इस व्यवहार के कारण और वसंत की दोस्ती के कारण पाठशाला में लेखक का विश्वास बढ़ने लगा।
प्रश्न 10 – न.वा.सौंदलगेकर कौन थे और उनकी कविताओं का लेखक पर क्या असर हुआ?
उत्तर – लेखक के एक मराठी मास्टर जिनका नाम न.वा.सौंदलगेकर था। वे कविता बहुत ही अच्छे ढंग से पढ़ाते थे। पहले तो वे एकाध कविता को गाकर सुनाते थे-फिर बैठे-बैठे अभिनय के साथ कविता के भाव बच्चों को समझाते थे। वे स्वयं भी कविता की रचना करते थे। कभी कक्षा में कोई अपनी कविता याद आती तो वे सुना देते। लेखक उनके द्वारा सुनाई व् अभिनय की गई कविताओं को ध्यान से सुनता व् देखता था। लेखक अपनी आँखों और कानों का पूरा ध्यान लगाकर मास्टर के हाव-भाव, ध्वनि, गति, चाल और रस को ग्रहण करता था। और उन सभी कविताओं को सुबह-शाम खेत पर पानी लगाते हुए या जानवरों को चराते हुए अकेले में खुले गले से मास्टर के ही हाव-भाव, यति-गति और आरोह-अवरोह के अनुसार गाता था। पहले जानवरों को चराते हुए, पानी लगाते हुए, दूसरे काम करते हुए, लेखक को अकेलापन बहुत खटकता था। उसे किसी के साथ बोलते हुए, गपशप करते हुए, हँसी-मजाक करते हुए काम करना अच्छा लगता था। लेकिन अब उलटा लेखक को अकेले रहना अच्छा लगता था क्योंकि अकेले में वह कविता ऊँची आवाज़ में गा सकता था और किसी भी तरह का अभिनय कर सकता था। लेखक ने अनेक कविताओं को अपनी खुद की चाल में गाना शुरू किया।
प्रश्न 11 – मराठी मास्टर ने किस तरह लेखक को कविताएँ लिखने के लिए प्रोत्साहित किया?
उत्तर – मास्टर स्वयं कविता करते थे और अनेक मराठी कवियों के काव्य-संग्रह उनके घर में थे। वे उन कवियों के चरित्र और उनके संस्मरण बच्चों को बताया करते थे। इसके कारण ये कवि लोग लेखक को ‘आदमी’ ही लगने लगे थे। इसलिए लेखक को भी यह विश्वास हुआ कि वह भी कविता कर सकता है। मास्टर के दरवाजे पर मालती की बेल पर मास्टर ने एक कविता लिखी थी। वह कविता और वह लता लेखक ने दोनों ही देखी थी। इसके कारण लेखक को भी लगता था कि अपने आसपास, अपने गाँव में, अपने खेतों में, कितने ही ऐसे दृश्य हैं जिन पर वह कविता बना सकता है। लेखक भैंस चराते-चराते, फसलों पर, जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा। उन्हें जोर से गुनगुनाता भी था और अपनी बनाई कवितायेँ मास्टर को दिखाने भी लगा। मास्टर कविता लिखने में लेखक का मार्गदर्शन भी किया करते थे। वे लेखक को बताते कि कवि की भाषा कैसी होनी चाहिए, संस्कृत भाषा का उपयोग कविता के लिए किस तरह होता है, छंद की जाति कैसे पहचानें, उसका लयक्रम कैसे देखें, अलंकारों में सूक्ष्म बातें कैसी होती हैं, अलंकारों का भी एक शास्त्र होता है, कवि को शुद्ध लेखन करना क्यों जरूरी होता है, शुद्ध लेखन के नियम क्या हैं, आदि। अब लेखक इसी दिशा में कोशिश करने लगा और जाने-अनजाने लेखक की मराठी भाषा भी सुधरने लगी। लेखक लिखते समय अब बहुत सचेत रहने लगा। अलंकार, छंद, लय आदि को सूक्ष्मता से देखने लगा। लेखक पर अब शब्दों का नशा चढ़ने लगा और उसे ऐसा प्रतीत होने लगा कि उसके मन में कोई मधुर बाजा बजता रहता है। यह लेखक की अपनी लगन व मेहनत ही थी कि जहाँ उस छोटे बच्चे के पिता उसकी पढ़ाई-लिखाई के विरोधी थी ,अब वही छोटा बच्चा बड़ा होकर महान कथाकार व उपन्यासकर बन गया था।
सार–आधारित प्रश्न Extract Based Questions
सार–आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
1 –
पाठशाला जाने के लिए मन तड़पता था। लेकिन दादा के सामने खड़े होकर यह कहने की हिम्मत नहीं होती कि, “मैं पढ़ने जाऊँगा।” डर लगता था कि हड्डी–पसली एक कर देगा। इसलिए मैं इस ताक में रहता कि कोई दादा को समझा दे। मुझे इसका विश्वास था कि जन्म–भर खेत में काम करते रहने पर भी हाथ कुछ नहीं लगेगा। जो बाबा के समय था, वह दादा के समय नहीं रहा। यह खेती हमें गड्डे में धकेल रही है। पढ़ जाऊँगा तो नौकरी लग जाएगी, चार पैसे हाथ में रहेंगे, विठोबा आण्णा की तरह कुछ धंधा कारोबार किया जा सकेगा।’ अंदर–ही–अंदर इस तरह के विचार चलते रहते।
प्रश्न 1 – लेखक का मन कहाँ जाने के लिए तड़पता था?
(क) खेत जाने के लिए
(ख) पाठशाला जाने के लिए
(ग) मास्टर के घर जाने के लिए
(घ) माँ के पास जाने के लिए
उत्तर – (ख) पाठशाला जाने के लिए
प्रश्न 2 – “मैं पढ़ने जाऊँगा।” यह कहने की लेखक की हिम्मत किसके सामने नहीं होती थी?
(क) माँ के सामने
(ख) दत्ता जी राव के सामने
(ग) भाई के सामने
(घ) दादा के सामने
उत्तर – (घ) दादा के सामने
प्रश्न 3 – लेखक को यह विश्वास क्यों था कि जन्म-भर खेत में काम करते रहने पर भी हाथ कुछ नहीं लगेगा?
(क) क्योंकि लेखक को खेती में कोई रूचि नहीं थी
(ख) क्योंकि लेखक का पिता उनकी खेती में बिलकुल सहायता नहीं करता था
(ग) क्योंकि वे खेतों में अच्छे से काम नहीं कर पा रहे थे
(घ) क्योंकि जो बाबा के समय था, वह दादा के समय नहीं रहा
उत्तर – (घ) क्योंकि जो बाबा के समय था, वह दादा के समय नहीं रहा
प्रश्न 4 – लेखक पढ़ना क्यों चाहता था?
(क) क्योंकि लेखक को पता था कि पढ़ लिख कर वह नौकरी कर सकेगा
(ख) क्योंकि लेखक पढ़ लिख कर नौकरी करना चाहता था ताकि कुछ पैसे उसके पास रहे
(ग) क्योंकि लेखक पढ़-लिखकर कुछ धंधा कारोबार करना चाहता था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – लेखक किस ताक में रहता था? कि कोई दादा को समझा दे
(क) कि कोई उसकी पढ़ाई के लिए दादा को समझा दे
(ख) कि कोई उसके खेलने के लिए दादा को समझा दे
(ग) कि कोई उसके काम के तरीकों को दादा को समझा दे
(घ) कि कोई उसके स्कूल की परिस्थिति दादा को समझा दे
उत्तर – (क) कि कोई उसकी पढ़ाई के लिए दादा को समझा दे
2 –
दीवाली बीत जाने पर महीना-भर ईख पेरने का कोल्हू चलाना होता। कोल्हू ज़रा जल्दी शुरू किया तो दादा की समझ से ईख की अच्छी-खासी कीमत मिल जाती। यह उसकी समझ कुछ हद तक सही थी। जब चारों ओर कोल्हू चलने लगते तो बाज़ार में गुड़ की बहुतायत हो जाती और भाव नीचे उतर आते। उस समय नंबर एक और नंबर दो का गुड़ बहुत आता और हमारे जैसे खेतों पर ही बनाए गए नंबर तीन के गुड़ को कौन पूछता। बाकी के किसान दूसरे ढंग से विचार करते थे। उनका मत था कि यदि ईख को और कुछ दिन खेत में खड़ी रहने दिया गया तो गुड़ ज़रा ज़्यादा निकलता है। देर तक खड़ी रहने वाली ईख के रस में पानी की मात्रा कम होती है और रस गाढ़ा हो जाता है जिसके कारण ज़्यादा गुड़ निकलता है। लेकिन दादा की समझ से गुड़ ज़्यादा निकलने की अपेक्षा भाव ज़्यादा मिलना चाहिए। इसलिए सारे गाँव भर में हमारा कोल्हू सबसे पहले शुरू होता था।
प्रश्न 1 – दीवाली बीत जाने पर महीना-भर लेखक को खेत में क्या काम होता?
(क) ईख पेरने का कोल्हू चलाना होता
(ख) ईख काट कर बाजार में बेचना होता
(ग) ईख पेर कर सुखाना होता
(घ) ईख सूखा कर बाँधना होता
उत्तर – (क) ईख पेरने का कोल्हू चलाना होता
प्रश्न 2 – लेखक के दादा कोल्हू जल्दी शुरू क्यों करते थे?
(क) दादा की समझ से इससे गुड़ की अच्छी-खासी कीमत मिल जाती
(ख) दादा की समझ से इससे रस की अच्छी-खासी कीमत मिल जाती
(ग) दादा की समझ से इससे ईख की अच्छी-खासी कीमत मिल जाती
(घ) दादा की समझ से इससे काम जल्दी समाप्त हो जाता
उत्तर – (ग) दादा की समझ से इससे ईख की अच्छी-खासी कीमत मिल जाती
प्रश्न 3 – जब चारों ओर कोल्हू चलने लगते तो क्या होता?
(क) बाज़ार में गुड़ की बहुतायत हो जाती
(ख) गुड़ के भाव नीचे उतर आते
(ग) उस समय नंबर एक और नंबर दो का गुड़ बहुत आता और लेखक के खेतों के नंबर तीन के गुड़ को कोई न पूछता
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – दूसरे किसान ईख की कटाई के बारे में क्या विचार रखते थे?
(क) उनका मत था कि यदि ईख को और कुछ दिन खेत में खड़ी रहने दिया गया तो गुड़ ज़रा ज़्यादा निकलता है
(ख) उनका मत था कि देर तक खड़ी रहने वाली ईख के रस में पानी की मात्रा कम होती है
(ग) उनका मत था कि रस गाढ़ा हो जाता है जिसके कारण ज़्यादा गुड़ निकलता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – गाँव भर में कोल्हू सबसे पहले शुरू करने के पीछे लेखक के दादा की क्या समझ थी?
(क) दादा की समझ से गुड़ जल्दी निकलना चाहिए ताकि काम जल्दी ख़त्म हो सके
(ख) दादा की समझ से गुड़ ज़्यादा निकलने की अपेक्षा भाव ज़्यादा मिलना चाहिए
(ग) दादा की समझ से भाव ज़्यादा मिलने की अपेक्षा गुड़ ज़्यादा निकलना चाहिए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) दादा की समझ से गुड़ ज़्यादा निकलने की अपेक्षा भाव ज़्यादा मिलना चाहिए
3 –
रात को मैं और माँ दत्ता जी राव देसाई के यहाँ गए। माँ ने दीवार के सहारे बैठकर दत्ता जी राव से सब कुछ कह दिया। वे भी इस बात से सहमत हो गए। माँ ने यह भी बताया कि दादा सारे दिन बाजार में रखमाबाई के पास गुजार देता है। खेती के काम में हाथ नहीं लगाता है। माँ ने देसाई को यह विश्वास दिला दिया कि
दादा को सारे गाँव भर आजादी के साथ घूमने को मिलता रहे, इसलिए उसने मेरा पढ़ना बंद कर मुझे खेती में जोत दिया है। यह सुनते ही देसाई दादा चिढ़ गए और बोले, “आने दे अब उसे, मैं उसे सुनाता हूँ कि नहीं अच्छी तरह, देख।” उठते-उठते मैंने भी दत्ता जी राव से कहा, “अब जनवरी का महीना है। अब परीक्षा नशदीक आ गई है। मैं यदि अभी भी कक्षा में जाकर बैठ गया और पढ़ाई की दुहराई कर ली तो दो महीने में पाँचवीं की सारी तैयारी हो जाएगी और मैं परीक्षा में पास हो जाऊँगा। इस तरह मेरा साल बच जाएगा। अब खेती में ऐसा कुछ काम नहीं है। मेरा पहले ही एक वर्ष बेकार में चला गया है।”
“ठीक है, ठीक है। अब तुम दोनों अपने घर जाओ-जब वह आ जाए तो मेरे पास भेज देना और उसके पीछे से घड़ी भर बाद में तू भी आ जाना रे छोरा।”
“जी!” कहकर हम खड़े हो गए। उठते-उठते हमने यह भी कहा कि “हमने यहाँ आकर ये सभी बातें कही हैं, यह मत बता देना, नहीं तो हम दोनों की खैर नहीं है। माँ अकेली साग-भाजी देने आई थी। यह बता देंगे तो अच्छा होगा।”
प्रश्न 1 – रात को लेखक और लेखक की माँ दत्ता जी राव देसाई के यहाँ क्यों गए?
(क) भाजी तरकारी देने के लिए
(ख) ताकि वे लेखक के पिता को उसकी पढ़ाई के लिए समझ सकें
(ग) लेखक के पिता की शिकायत करने के लिए
(घ) लेखक को उनके यहाँ काम पर रखने के लिए
उत्तर – (ख) ताकि वे लेखक के पिता को उसकी पढ़ाई के लिए समझ सकें
प्रश्न 2 – लेखक की माँ ने अपना पक्ष मजबूत करने के लिए क्या कहा?
(क) लेखक का पिता खेती के काम में हाथ नहीं लगाता है
(ख) लेखक के पिता को सारे गाँव भर आजादी के साथ घूमने को मिलता रहे, इसलिए उसने लेखक का पढ़ना बंद कर खेती में जोत दिया है
(ग) लेखक का पिता सारे दिन बाजार में रखमाबाई के पास गुजार देता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3 – लेखक जनवरी के महीने में ही पाठशाला क्यों जाना चाहता है?
(क) अपना साल बचाने के लिए
(ख) खेती से बचने के लिए
(ग) पिता की मार से बचने के लिए
(घ) घर के काम से बचने के लिए
उत्तर – (क) अपना साल बचाने के लिए
प्रश्न 4 – यह वाक्य किसका हैं – “हमने यहाँ आकर ये सभी बातें कही हैं, यह मत बता देना, नहीं तो हम दोनों की खैर नहीं है।”
(क) लेखक की माँ का
(ख) लेखक के पिता का
(ग) देसाई दादा का
(घ) लेखक का
उत्तर – (घ) लेखक का
प्रश्न 5 – गद्यांश से लेखक के बारे में क्या पता चलता है?
(क) कि वह अपने पिता से नफ़रत करता है
(ख) की वह देसाई दादा को बहुत मानता है
(ग) कि वह पढ़-लिख कर नौकरी करना चाहता है
(घ) कि वह बहुत आलसी है
उत्तर – (ग) कि वह पढ़-लिख कर नौकरी करना चाहता है
4 –
खाना खाते-खाते दादा ने मुझसे वचन ले लिया। पाठशाला ग्यारह बजे होती है। दिन निकलते ही खेत पर हाज़िर होना चाहिए। ग्यारह बजे तक पानी लगाना चाहिए। खेत पर से सीधे पाठशाला पहुँचना। सवेरे आते समय ही पढ़ने का बस्ता घर से ले आना। छुट्टी होते ही घर में बस्ता रखकर सीधे खेत पर आकर घंटा भर ढोर चराना और कभी खेतों में ज़्यादा काम हुआ तो पाठशाला में गैर-हाज़िरी लगाना…समझे! मंजूर है का?”
“हाँS। खेत में काम होगा तो गैरहाज़िर रहना ही चाहिए।” मैं ऐसे बोल रहा था मानो मुझे सारी बातें मंजूर हैं। मन आनंद से उमड़ रहा था।
“हाँS, इतना मंजूर हो तो पाठशाला जाना। नहीं तो यह पढ़ना-लिखना किस काम का?”
“मैं सवेरे-शाम खेतों पर आता रहूँगा न।”
“हाँ, यदि नहीं आया किसी दिन तो देख गाँव में जहाँ मिलेगा वहीं कुचलता हूँ कि नहीं-तुझे। तेरे ऊपर पढ़ने का भूत सवार हुआ है। मुझे मालूम है, बालिस्टर नहीं होने वाला है तू?” दादा बार-बार कुर-कुर कर रहा था-मैं चुपचाप गरदन नीची करके खाने लगा था।
रोते-धोते पाठशाला फिर से शुरू हो गई। गरमी-सरदी, हवा-पानी, वर्षा, भूख-प्यास आदि का कुछ भी खयाल न करते हुए खेती के काम की चक्की में, ग्यारह से पाँच बजे तक पिसते रहने से छुटकारा मिल गया। उस चक्की की अपेक्षा मास्टर की छड़ी की मार अच्छी लगती थी। उसे मैं मजे से सहन कर लेता था।
दोपहरी-भर की कड़क धूप का समय पाठशाला की छाया में व्यतीत हो रहा था-गरमी के दो महीने आनंद में बीत गए।
फिर से पाँचवीं में जाकर बैठने लगा। फिर से नाम लिखवाने की ज़रूरत नहीं पड़ी। ‘पाँचवीं नापास’ की टिप्पणी नाम के आगे लिखी हुई थी। वह पाँचवीं के ही हाज़िरी रजिस्टर में लिखा रह गया था। पहले दिन कक्षा में गया तो गली के दो लड़कों को छोड़कर कोई भी पहचान का नहीं था। मेरे साथ के सभी लड़के आगे चले गए थे। मेरी अपेक्षा कम उम्र के और मैं जिन्हें कम अकल का समझता था, उन्हीं के साथ अब बैठना पड़ेगा, यह बात कक्षा में पहुँचने पर समझ में आई। मन खट्टा हो गया।
प्रश्न 1 – खाना खाते-खाते लेखक के पिता ने लेखक को पाठशाला जाने देने की क्या शर्त बताई?
(क) पाठशाला ग्यारह बजे होती है। दिन निकलते ही खेत पर हाज़िर होना चाहिए
(ख) ग्यारह बजे तक पानी लगाना चाहिए। खेत पर से सीधे पाठशाला पहुँचना
(ग) छुट्टी होते ही घर में बस्ता रखकर सीधे खेत पर आकर घंटा भर ढोर चराना और कभी खेतों में ज़्यादा काम हुआ तो पाठशाला में गैर-हाज़िरी लगाना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2 – लेखक के पिता ने लेखक के समक्ष कठिन शर्तें क्यों रखी?
(क) ताकि वह पाठशाला जाने का ख्याल छोड़ दे
(ख) ताकी वह पढ़ाई में अच्छी तरह ध्यान दें
(ग) ताकि वह पढ़ाई के साथ-साथ खेती का काम भी सीखे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) ताकि वह पाठशाला जाने का ख्याल छोड़ दे
प्रश्न 3 – ग्यारह से पाँच बजे तक पिसते रहने से लेखक को छुटकारा मिल गया। उस चक्की की अपेक्षा लेखक को क्या अच्छा कहने लगा।
(क) पाठशाला में दोस्तों का साथ
(ख) मास्टर की छड़ी की मार
(ग) घर पर माँ का दुलार
(घ) पिता की मार
उत्तर – (ख) मास्टर की छड़ी की मार
प्रश्न 4 – कक्षा के रजिस्टर में लेखक के नाम के आगे क्या लिखा रह गया?
(क) पाँचवीं पास
(ख) नापास
(ग) पाँचवीं फेल
(घ) पाँचवीं नापास
उत्तर – (घ) पाँचवीं नापास
प्रश्न 5 – लेखक का मन खट्टा क्यों हो गया?
(क) जब लेखक ने देखा कि सभी बच्चे कम उम्र के और कम अकल के हैं
(ख) जब लेखक को कम उम्र के और कम अकल के बच्चों के साथ बैठना पड़ा
(ग) जब लेखक की समझ में आया कि जिन्हें वह अपनी अपेक्षा कम उम्र का और कम अकल का समझता था, उन्हीं के साथ अब बैठना पड़ेगा
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) जब लेखक की समझ में आया कि जिन्हें वह अपनी अपेक्षा कम उम्र का और कम अकल का समझता था, उन्हीं के साथ अब बैठना पड़ेगा
5 –
घर जाते समय सोच रहा था कि लड़के मेरी खिल्ली उड़ाते हैं-धोती खींचते हैं-गमछा खींचते हैं, तो इस तरह कैसे निबाह होगा…? नहीं जाऊँगा ऐसी पाठशाला में। इससे तो अपना खेत ही अच्छा है-चुपचाप काम करते रहो। गली के दो ही लड़के हैं कक्षा में, वे भी मुझसे भी कमज़ोर हैं। वे क्या मदद करेंगे?…
मन उदास हो गया। चौथी से पाँचवीं तक पाठशाला अपनी लगती थी। लेकिन अब वह एकदम पराई-पराई जैसी लगने लगी है। अपना वहाँ कोई नहीं है।
सवेरे हो जाने पर मैं उमंग में था-फिर से पाठशाला चला गया। माँ के पीछे पड़कर एक नयी टोपी और दो नाड़ीवाली चड्डी मैलखाऊ रंग की आठ दिन में मँगवा ली। चड्डी पहनकर पाठशाला में और धोती पहनकर खेत पर जाना शुरू हुआ। धीरे-धीरे लड़कों से परिचय बढ़ गया।
मंत्री नामक मास्टर कक्षा अध्यापक के रूप में बीच में आए। वे प्रायः छड़ी का उपयोग नहीं करते थे। हाथ से गरदन पकड़कर पीठ पर घूसा लगाते थे। पीठ पर एक ज़ोर का बैठते ही लड़का हूक भरने लगता। लड़कों के मन में उनकी दहशत बैठी हुई थी। इसके कारण ऊधम करने वाले लड़कों को प्रायः मौका नहीं मिलता था। पढ़ने वाले लड़कों को शाबाशी मिलने लगी। मंत्री मास्टर गणित पढ़ाते थे। एकाध सवाल गलत हो जाता तो उसे वे अपने पास बुलाकर समझा देते। एकाध लड़के की कोई मूर्खता दिखाई दी तो वे उसे वहीं ठोंक देते। इसलिए सभी का पसीना छूटने लगता। सभी लड़के घर से पढ़ाई करके आने लगे।
वसंत पाटील नाम का एक लड़का शरीर से दुबला-पतला, किन्तु बड़ा होशियार था। उसके सवाल हमेशा सही निकलते थे। स्वभाव से शांत। हमेशा पढ़ने में लगा रहता। घर से पूरी तैयारी करके आता होगा। दूसरों के सवालों की जाँच करता था। मास्टर ने उसे कक्षा मॉनीटर बना दिया था। हमेशा पहली बेंच पर बैठता बिलकुल मास्टर के पास। कक्षा में उसका सम्मान था।
प्रश्न 1 – जब लेखक को बच्चों ने पाठशाला में तंग किया तब लेखक ने क्या सोचा? मन में क्या घर जाते समय सोच रहा था कि लड़के मेरी खिल्ली उड़ाते हैं-धोती खींचते हैं-गमछा खींचते हैं, तो इस तरह कैसे निबाह होगा…? नहीं जाऊँगा ऐसी पाठशाला में। इससे तो अपना खेत ही अच्छा है-चुपचाप काम करते रहो। गली के दो ही लड़के हैं कक्षा में, वे भी मुझसे भी कमज़ोर हैं। वे क्या मदद करेंगे?..
(क) लेखक सोच रहा था कि लड़के उसकी खिल्ली उड़ाते हैं-धोती खींचते हैं-गमछा खींचते हैं, तो इस तरह कैसे निबाह होगा
(ख) वह ऐसी पाठशाला में नहीं जाएगा जहाँ बच्चे उसका मजाक बनाए
(ग) कक्षा में उसकी गली के दो ही लड़के हैं, वे भी उससे भी कमज़ोर हैं। वे उसकी क्या मदद करेंगे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2 – लेखक ने चड्डी पहनकर पाठशाला में और धोती पहनकर खेत पर जाना क्यों शुरू किया?
(क) ताकि उसकी धोती गन्दी न हो
(ख) ताकि उसकी चड्डी गन्दी न हो
(ग) ताकि कोई उसका मज़ाक न बनाए
(घ) ताकि किसी को पता न चले कि वह खेत में काम करकेआया है
उत्तर – (ग) ताकि कोई उसका मज़ाक न बनाए
प्रश्न 3 – मंत्री नामक मास्टर की लड़कों के मन में दहशत बैठी हुई थी। क्यों?
(क) क्योंकि वह हाथ से गरदन पकड़कर पीठ पर घूसा लगाते थे
(ख) क्योंकि वह छड़ी का उपयोग करते थे
(ग) क्योंकि वह गणित पढ़ाते हुए पीटते थे
(घ) क्योंकि वह कविता बनाने के लिए कहा करते थे
उत्तर – (क) क्योंकि वह हाथ से गरदन पकड़कर पीठ पर घूसा लगाते थे
प्रश्न 4 – मास्टर ने कक्षा का मॉनीटर किसे बना दिया था?
(क) आनंद यादव को
(ख) वसंत पाटील को
(ग) मंत्री
(घ) सौंदलगेकर
उत्तर – (ख) वसंत पाटील को
प्रश्न 5 – गद्यांश में वसंत पाटील की क्या विशेषता बताई गई है?
(क) वह शरीर से दुबला-पतला, किन्तु बड़ा होशियार था
(ख) स्वभाव से शांत। हमेशा पढ़ने में लगा रहता
(ग) हमेशा पहली बेंच पर बैठता बिलकुल मास्टर के पास। कक्षा में उसका सम्मान था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
6 –
मुझे यह लड़का मेरी अपेक्षा छोटा लगता था…मैं उससे पहले ही पाँचवीं में पहुँच गया था। गलती से पिछड़ गया हूँ मैं। इसलिए मास्टर को कक्षा की मॉनीटरी मेरे हाथ में सौंपनी चाहिए, मुझे ऐसा लगने लगा। दूसरी ओर यह भी लगता था कि मुझे दो महीने में पाँचवीं की पूरी तैयारी करके अच्छी तरह पास होना है। कक्षा में दंगा करना और पढ़ाई की उपेक्षा करना मेरे लिए मुनासिब नहीं। हम तो इस कक्षा में ऊपरी हैं, यह नहीं भूलना चाहिए।
इन सब बातों के कारण मेरा सारा ध्यान पढ़ाई की ओर ही रहा और वसंत पाटिल की तरह ही पढ़ाई का काम करने लगा। मैंने अपनी किताबों पर अखबारी कागज़ के कवर चढ़ा दिए। अपना बस्ता व्यवस्थित रखने लगा। हमेशा कुछ-न-कुछ पढ़ने बैठता था। उसने यदि कक्षा में कोई शाबाशी का काम किया तो मैं भी दूसरे दिन वैसा ही कुछ करने लगा। मन की एकाग्रता के कारण गणित झटपट समझ में आने लगा और सवाल सही होने लगे।
कभी-कभी वसंत पाटील के साथ-साथ, एक तरफ से वह तो दूसरी तरफ से मैं लड़कों के सवाल जाँचने लगा। इसके कारण मेरी और वसंत की दोस्ती जम गई। एक-दूसरे की सहायता से कक्षा में हम अनेक काम करने लगे। मास्टर मुझे ‘आनंदा’ कहकर बुलाने लगे। मुझे पहली बार किसी ने ‘आनंदा’ कहकर पुकारा। माँ कभी ‘आनंदा’ कहती, परन्तु बहुत कम। मास्टरों के इस अपनेपन के व्यवहार के कारण और वसंत की दोस्ती के कारण पाठशाला में मेरा विश्वास बढ़ने लगा।
प्रश्न 1 – लेखक को क्यों लगता था कि मास्टर को कक्षा की मॉनीटरी उसके हाथ में सौंपनी चाहिए?
(क) क्योंकि लेखक को लगता था कि वह अच्छी कविता लिखता है
(ख) क्योंकि लेखक को लगता था कि वह सभी को अच्छे से संभाल सकता है
(ग) क्योंकि लेखक की लगता था कि वह सभी से पहले पाँचवी में पहुँच गया था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) क्योंकि लेखक की लगता था कि वह सभी से पहले पाँचवी में पहुँच गया था
प्रश्न 2 – लेखक के पास पाँचवीं की पूरी तैयारी करके अच्छी तरह पास होने के लिए कितना समय था?
(क) दो महीने
(ख) तीन महीने
(ग) एक महीना
(घ) चार महीने
उत्तर – (क) दो महीने
प्रश्न 3 – लेखक वसंत पाटिल की किन कामों में नकल करने लगा?
(क) किताबों पर अखबारी कागज़ के कवर चढ़ाने में
(ख) अपना बस्ता व्यवस्थित रखने में
(ग) हमेशा कुछ-न-कुछ पढ़ने में
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – मास्टर लेखक को क्या कहकर बुलाने लगे?
(क) आनंदा
(ख) आनन्दो
(ग) आनंद
(घ) यादव
उत्तर – (क) आनंदा
प्रश्न 5 – पाठशाला में लेखक का विश्वास बढ़ने का क्या कारण था?
(क) मास्टरों के अपनेपन के व्यवहार के कारण
(ख) वसंत की दोस्ती के कारण
(ग) केवल (क)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों
7 –
मास्टर स्वयं कविता करते थे। अनेक मराठी कवियों के काव्य-संग्रह उनके घर में थे। वे उन कवियों के चरित्र और उनके संस्मरण बताया करते थे। इसके कारण ये कवि लोग मुझे ‘आदमी’ ही लगने लगे थे। खुद सौंदलगेकर मास्टर कवि थे। इसलिए यह विश्वास हुआ कि कवि भी अपने जैसा ही एक हाड़-माँस का; क्रोध-लोभ का मनुष्य ही होता है। मुझे भी लगा कि मैं भी कविता कर सकता हूँ। मास्टर के दरवाजे पर छाई हुई मालती की बेल पर मास्टर ने एक कविता लिखी थी। वह कविता और वह लता मैंने दोनों ही देखी थी। इसके कारण मुझे लगता था कि अपने आसपास, अपने गाँव में, अपने खेतों में, कितने ही ऐसे दृश्य हैं जिन पर मैं कविता बना सकता हूँ। यह सब कुछ अनजाने में ही होता रहता था। भैंस चराते-चराते मैं फसलों पर, जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा। उन्हें जोर से गुनगुनाता भी था और मास्टर को दिखाने भी लगा। कविता लिखने के लिए खीसा में कागज़ और पेंसिल रखने लगा। कभी वह न होते तो लकड़ी के छोटे टुकड़े से भैंस की पीठ पर रेखा खींचकर लिखता था या पत्थर की शिला पर कंकड़ से लिख लेता। जब कंठस्थ हो जाती तो पोंछ देता। किसी रविवार के दिन एकाध
कविता बन जाती तो सोमवार के दिन मास्टर को दिखाता।
प्रश्न 1 – लेखक को कैसे विश्वास हुआ कि वह भी कविता कर सकता है?
(क) लेखक के मास्टर अनेक कवियों के चरित्र और उनके संस्मरण बताया करते थे
(ख) लेखक के मास्टर सौंदलगेकर खुद कवि थे। इसलिए लेखक विश्वास हुआ कि कवि भी अपने जैसा ही एक हाड़-माँस का; क्रोध-लोभ का मनुष्य ही होता है
(ग) केवल (ख)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों
प्रश्न 2 – मास्टर ने किस पर कविता लिखी थी?
(क) दरवाजे पर छाई हुई बेलपत्र पर
(ख) दरवाजे पर छाई हुई लता की बेल पर
(ग) दरवाजे पर छाई हुई मालती की बेल पर
(घ) दरवाजे पर छाई हुई अपराजिता की बेल पर
उत्तर – (ग) दरवाजे पर छाई हुई मालती की बेल पर
प्रश्न 3 – मास्टर के द्वारा मालती की बेल पर कविता लिखने से लेखक को क्या प्रेरणा मिली?
(क) अपने आसपास, गाँव में, खेतों में, विभिन्न दृश्यों पर वह कविता बना सकता है
(ख) वह भी इसी तरह लताओं पर कविता बना सकता है
(ग) वह भी कविता बना कर मास्टर को प्रभावित कर सकता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) अपने आसपास, गाँव में, खेतों में, विभिन्न दृश्यों पर वह कविता बना सकता है
प्रश्न 4 – लेखक किन पर तुकबंदी करने लगा?
(क) मालती लता पर
(ख) मास्टर व् विद्यार्थियों पर
(ग) फसलों पर, जंगली फूलों पर
(घ) अपने पिता व् माँ पर
उत्तर – (ग) फसलों पर, जंगली फूलों पर
प्रश्न 5 – लेखक खीसा में कागज़ और पेंसिल क्यों रखने लगा?
(क) पिता को दिखाने के लिए
(ख) कविता लिखने के लिए
(ग) कहानी लिखने के लिए
(घ) मास्टर को प्रसन्न करने के लिए
उत्तर – (ख) कविता लिखने के लिए
8 –
बहुत बार तो सवेरा होने तक का धीरज छूट जाता और मैं रात को ही मास्टर के घर जाकर कविता दिखाता। वे उसे देखते और शाबाशी देते। और फिर कभी-कभी तो कविता के शास्त्र पर एक पूरी महफ़िल हो जाती। बोलते-बोलते मास्टर बताते-कवि की भाषा कैसी होनी चाहिए, संस्कृत भाषा का उपयोग कविता के लिए किस तरह होता है, छंद की जाति कैसे पहचानें, उसका लयक्रम कैसे देखें, अलंकारों में सूक्ष्म बातें कैसी होती हैं, अलंकारों का भी एक शास्त्र होता है, कवि को शुद्ध लेखन करना क्यों जरूरी होता है, शुद्ध लेखन के नियम क्या हैं, आदि अनेक विषयों पर वे सहज बातें बताते रहते। मुझे उनके प्रति अपनापा अनुभव होता। वे मुझे पुस्तक देते। अलग-अलग प्रकार के कविता-संग्रह देते। उन्होंने कई नयी तरह की कविताएँ सुनाईं तो लगा मैं इस ढर्रे पर कविता बनाऊँ।
फिर तो सारे दिन उस दिशा में मेरी कोशिश चलती। इन बातों से मैं सौंदलगेकर मास्टर के बहुत नज़दीक पहुँच गया और जाने-अनजाने मेरी मराठी भाषा सुधरने लगी। उसे लिखते समय मैं बहुत सचेत रहने लगा। अलंकार, छंद, लय आदि को सूक्ष्मता से देखने लगा। शब्दों का नशा चढ़ने लगा और ऐसा लगने लगा कि मन में कोई मधुर बाजा बजता रहता है।
प्रश्न 1 – मास्टर किन विषयों पर लेखक को सहज बातें बताते रहते?
(क) कवि की भाषा कैसी होनी चाहिए, संस्कृत भाषा का उपयोग कविता के लिए किस तरह होता है
(ख) छंद की जाति कैसे पहचानें, उसका लयक्रम कैसे देखें, अलंकारों में सूक्ष्म बातें कैसी होती हैं, अलंकारों का भी एक शास्त्र होता है
(ग) कवि को शुद्ध लेखन करना क्यों जरूरी होता है, शुद्ध लेखन के नियम क्या हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2 – लेखक सारे दिन किस दिशा में कोशिश करने लगा?
(क) लेख लिखने की
(ख) कविता रचने की
(ग) गणित में अच्छा करने की
(घ) अच्छा विद्यार्थी बनने की
उत्तर – (ख) कविता रचने की
प्रश्न 3 – सौंदलगेकर मास्टर के नज़दीक पहुँच कर लेखक को क्या लाभ हुआ?
(क) जाने-अनजाने उसकी मराठी भाषा सुधरने लगी
(ख) वह अलंकार, छंद, लय आदि को सूक्ष्मता से देखने लगा
(ग) शब्दों का नशा चढ़ने लगा और ऐसा लगने लगा कि मन में कोई मधुर बाजा बजता रहता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – मास्टर के व्यवहार का लेखक पर क्या असर हुआ?
(क) लेखक को उनके प्रति ईर्ष्या का भाव उत्पन्न हुआ
(ख) लेखक को उनके प्रति अपनापन अनुभव हुआ
(ग) लेखक को उनके प्रति घृणा भाव जगा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ख) लेखक को उनके प्रति अपनापन अनुभव हुआ
प्रश्न 5 – लेखक की लगन व मेहनत का क्या परिणाम निकला?
(क) वे एक महान कवि बन गए
(ख) वे महान अध्यापक बन गए
(ग) वे महान कथाकार व उपन्यासकर बन गए
(घ) वे महान व्यक्ति बन गए
उत्तर – (ग) वे महान कथाकार व उपन्यासकर बन गए
बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 1 – लेखक के पिता ने उनकी पढ़ाई किस कक्षा में छुड़वा दी थी?
(क) जब वो चौथी में पढ़ते थे
(ख) जब वो छठी में पढ़ते थे
(ग) जब वो पांचवी में पढ़ते थे
(घ) जब वो तीसरी में पढ़ते थे
उत्तर – (ग) जब वो पांचवी में पढ़ते थे
प्रश्न 2 – जूझ कहानी के मुख्य पात्र की चरित्र की विशेषताएं क्या हैं?
(क) संघर्षशील
(ख) परिश्रमी और कविता के प्रति लगाव
(ग) जुझारूपन
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3 – लेखक ने फिर से कौन सी कक्षा में दाखिला लिया?
(क) चौथी कक्षा में
(ख) पांचवी कक्षा में
(ग) तीसरी कक्षा में
(घ) छठी कक्षा में
उत्तर – (ख) पांचवी कक्षा में
प्रश्न 4 – लेखक अपने पिता को क्या कहकर पुकारते थे?
(क) दादा
(ख) बाबा
(ग) पिता जी
(घ) दत्ता जी
उत्तर – (क) दादा
प्रश्न 5 – लेखक की अपने पिता के सामने बोलने की हिम्मत क्यों नहीं होती थी?
(क) क्योंकि उसके पिता आलसी स्वभाव के थे
(ख) क्योंकि उसके पिता कामचोरी करते थे
(ग) क्योंकि उसके पिता गुस्सैल व्यक्ति थे
(घ) क्योंकि उसके पिता उससे प्यार नहीं करते थे
उत्तर – (ग) क्योंकि उसके पिता गुस्सैल व्यक्ति थे
प्रश्न 6 – लेखक के पढ़ने के पीछे का क्या उद्देश्य था?
(क) वो पढ़-लिखकर कोई अच्छी नौकरी पाना चाहते था
(ख) वो पढ़-लिखकर सभी को दिखाना चाहता था
(ग) वो पढ़-लिखकर पिता का नाम रौशन करना चाहता था
(घ) वो पाठशाला जा कर मौज करना चाहता था
उत्तर – (क) वो पढ़-लिखकर कोई अच्छी नौकरी पाना चाहते था
प्रश्न 7 – लेखक को सातवीं कक्षा तक कौन पढ़ाना चाहता था?
(क) पिता
(ख) माँ
(ग) अध्यापक
(घ) मराठी मास्टर
उत्तर – (ख) माँ
प्रश्न 8 – लेखक की मां के अनुसार लेखक के पिता ने लेखक के पाठशाला जाने पर क्यों रोक लगा दी?
(क) क्योंकि वह उनकी बात नहीं मानता था
(ख) क्योंकि वह बदमाशी करता था
(ग) ताकि वह स्वयं आज़ादी से घूम सके
(घ) क्योंकि वह पढाई में अच्छा नहीं था
उत्तर – (ग) ताकि वह स्वयं आज़ादी से घूम सके
प्रश्न 9 – लेखक की पाठशाला का समय कब से शुरू था?
(क) सुबह 10:00 बजे से
(ख) सुबह 9:00 बजे से
(ग) सुबह 8:00 बजे से
(घ) सुबह 11:00 बजे से
उत्तर – (घ) सुबह 11:00 बजे से
प्रश्न 10 – लेखक को कविताएं लिखने के लिए किसने प्रोत्साहित किया?
(क) बसंत पाटिल
(ख) गणित अध्यापक
(ग) मराठी अध्यापक
(घ) स्वयं अपना
उत्तर – (ग) मराठी अध्यापक
प्रश्न 11 – अपनी पढ़ाई को अच्छा करने के लिए लेखक ने किसका अनुसरण किया?
(क) बसंत पाटिल
(ख) गणित अध्यापक
(ग) मराठी अध्यापक
(घ) स्वयं अपना
उत्तर – (क) बसंत पाटिल
प्रश्न 12 – बसंत पाटिल की नकल करने पर लेखक को क्या लाभ हुआ?
(क) वो गणित विषय में अच्छा हो गया
(ख) कक्षा में मॉनिटर जैसा सम्मान मिला
(ग) अध्यापक की नजरों में एक अच्छे छात्र की जगह बनी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 13 – लेखक की मां के अनुसार लेखक की पढ़ाई की बात करने पर लेखक का पिता कैसे गुर्राता है?
(क) जंगली भैंसे के समान
(ख) जंगली हाथी के समान
(ग) जंगली सूअर के समान
(घ) जंगली शेर के समान
उत्तर – (ग) जंगली सूअर के समान
प्रश्न 14 – दत्ता राव सरकार ने लेखक के पिता को क्यों डांट लगाईं?
(क) लेखक को स्कूल न भेजने के कारण
(ख) लेखक को मारने के कारण
(ग) लेखक को पढ़ाई करवाने के कारण
(घ) लेखक को उसके घर न भेजने के कारण
उत्तर – (क) लेखक को स्कूल न भेजने के कारण
प्रश्न 15 – दत्ताजी राव सरकार ने लेखक को क्या निर्देश दिया?
(क) अगले दिन से स्कूल जाने का
(ख) मन लगाकर पढ़ाई करने का
(ग) पिता के स्कूल ना भेजने पर तुरंत उनके पास आने का
(घ) उपरोउत्तर क्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 16 – लेखक और उसकी मां ने, दत्ताजी राव को उसके पिता को कौन सी बात न बताने का आग्रह किया?
(क) उन दोनों की उनके पास पढ़ाई से सम्बंधित बात ले कर आने की
(ख) उन दोनों के दत्ताजी राव के घर आने की
(ग) उन दोनों के दत्ताजी राव के घर सब्जी के कर आने की
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) उन दोनों की उनके पास पढ़ाई से सम्बंधित बात ले कर आने की
प्रश्न 17 – लेखक के पिता ने दत्ताजी राव सरकार के सामने अपने आपको सही साबित करने के लिए लेखक पर क्या आरोप लगाए?
(क) कि वह सिनेमा देखने जाता है
(ख) कि वह घर व खेती के कार्य में मन नहीं लगाता
(ग) कि वह व्यर्थ में यहां-वहां घूमता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 18 – लेखक के पिता ने लेखक के सामने स्कूल जाने के लिए क्या शर्त रखी?
(क) स्कूल जाने से पहले खेतों में पानी भरना
(ख) स्कूल से आने के बाद जानवर चराना
(ग) घर में काम अधिक होने पर स्कूल न जाना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 19 – कविता पढ़ाते समय मराठी अध्यापक क्या करते थे?
(क) बीच बीच में बच्चों को सुनाने को कहते थे
(ख) बीच बीच में अपने द्वारा लिखी कवितायेँ सुनाते थे
(ग) बीच बीच में कवियों की कहानियां सुनाते थे
(घ) बीच बीच में कविता की व्याख्या सुनाते थे
उत्तर – (ख) बीच बीच में अपने द्वारा लिखी कवितायेँ सुनाते थे
प्रश्न 20 – अगर लेखक और उसकी मां ने झूठ का सहारा ना लिए होता तो क्या परिणाम हो सकता था?
(क) लेखक अशिक्षित ही रह जाते
(ख) लेखक नौकरी नहीं कर पाते
(ग) लेखक खेती के काम को आगे बढ़ाते
(घ) लेखक पिता की तरह गाँव में आज़ादी से घूमते
उत्तर – (क) लेखक अशिक्षित ही रह जाते
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