NCERT Class 7 Hindi Malhar Book Chapter Wise difficult word meanings
Here, the difficult words and their meanings of all the Chapters of CBSE Class 7 Hindi Malhar Book have been compiled for the convenience of the students. This is an exhaustive list of the difficult words and meanings of all the Chapters from the NCERT Class 7 Hindi Malhar Book. The difficult words’ meanings have been explained in an easy language so that every student can understand them easily.
- Chapter 1 Maa, Kh Ek Kahani (माँ, कह एक कहानी)
- Chapter 2 Teen Buddhiman (तीन बुद्धिमान)
- Chapter 3 Phool Aur Kaanta (फूल और काँंटा)
- Chapter 4 Pani Re Pani (पानी रे पानी)
- Chapter 5 Nahi Hona Bimar (नहीं होना बीमार)
- Chapter 6 Girdhar Kavirai Ki Kundaliya (गिरिधर कविराय की कुंडलिया)
- Chapter 7 Varsha Bahar (वर्षा-बहार)
- Chapter 8 Birju Maharaj Se Sakshatkar (बिरजू महाराज से साक्षात्कार)
- Chapter 9 Chidiya (चिड़िया)
- Chapter 10 Meera ke Pad (मीरा के पद)
Class 7 Hindi Word Meaning of Chapters in Malhar Book
Chapter 1 – Maa, Kh Ek Kahani (माँ, कह एक कहानी)
- कह – कहना, सुनाना
- नानी – माँ की माँ
- चेटी – दासी, नौकरानी
- हठी – जिद्दी
- मानधन – वह जिसका धन मान व प्रतिष्ठा हो, जो अपने मान या इज़्ज़त को ही धन समझता हो
- उपवन – बगीचा
- बडे सबेरे – प्रातः काल, सुबह-सवेरे
- तात – पिता
- भ्रमण – घूमना, सैर करना
- सुरभि – सुगंध, सुगन्धित हवा
- मनमानी – इच्छा के अनुसार
- वर्ण-वर्ण के – रंग-बिरंगे, अलग-अलग रंग के
- झलमलकर – झिलमिलाते हुए
- हिम बिन्दु – जमी हुई ओस, पाला
- झिले थे – चमक रहे थे
- हिले मिले थे – मिश्रित थे
- लहराता था पानी – पानी लहरा रहा था।
- खग -पक्षी
- कल-कल स्वर – पक्षियों की मधुर ध्वनि
- सहसा – अचानक
- बिद्ध होकर – घायल होकर
- खर – तेज
- शर – बाण
- पक्ष – पंख
- हानी – हानि
- करुणा -दयालुता
- चौंक – अचम्भित होकर, आश्चर्य से
- उन्होंने – सिद्धार्थ ने
- सा – मानो
- आखेटक – शिकारी
- लक्ष्यसिद्धि – निशाना साधने में मिली सफलता
- मानी – घमण्ड करने वाला
- कोमल कठिन – कोमल और कठोर भाव से परिपूर्ण
- आहत – घायल
- तेरे तात् – तेरे पिता
- रक्षी – रक्षक या रक्षा करने वाला
- खगभक्षी – पक्षियों को खाने वाला
- ठानी – निश्चय
- विवाद – वाद-विवाद
- सदय-निर्दय में – दयावान में और दया से रहित व्यक्ति में
- उभय – दोनों ही
- आग्रही – आग्रह करने वाले, अडिग रहने वाले
- स्व विषय में – अपने विषय में
- जानी- ज्ञात हुआ
- व्यापक हुई – फैल गई, विस्तृत हो गई
- निर्णय – हल, समाधान
- निर्भय – निडर होकर
- बानी – बोली, वचन, बात
- निरपराध – अपराध न करने वाले को
- उबारे – रक्षा करे
- वारे – निछावर किया जा सकता है
- दानी – देने वाला
- गुनी – समझ ली
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- Maa, Kh Ek Kahani Summary, Explanation
- Maa, Kh Ek Kahani Question Answers
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Chapter 2 – Teen Buddhiman (तीन बुद्धिमान)
- निर्धन – गरीब
- प्रायः – अक्सर
- संचित करना – इकट्ठा करना
- पूर्णतः – पूरी तरह से
- दृष्टि – देखने की शक्ति, नजर
- पैनी दृष्टि – तेज और गहराई से देखने की क्षमता
- तीव्र बुद्धि – तेज दिमाग
- तुलना में उन्नीस नहीं रहोगे – दूसरों से कम नहीं रहोगे
- विचार – सोच
- चरवाहा – जो जानवरों को चराने का काम करता है
- श्रमिक – मजदूर
- अंततः – अंत में
- सुनसान – जहाँ कोई न हो, खाली स्थान
- वीरान – उजाड़, खाली और सुनसान
- घाटियाँ – पहाड़ों के बीच की गहरी और लंबी जगह
- लाँघना – पार करना
- ऊँचे-ऊँचे – बहुत ऊँचाई वाले
- पार किया – एक ओर से दूसरी ओर गए
- समाप्त – खत्म
- छाले – फफोले या फुंसी जो चलने या रगड़ के कारण शरीर पर उभर आते हैं
- वृक्ष – पेड़
- संभवत: – शायद
- पश्चात् – बाद में
- घुड़सवार – घोड़े पर सवार व्यक्ति
- सवार – जो किसी वाहन या जानवर पर बैठा हो
- शंका की दृष्टि से – संदेह भरी नजर से
- शीघ्रता से – जल्दी
- स्वामी – मालिक
- चिंतित – परेशान
- आदेश- हुक्म, निर्देश
- भवन- महल, इमारत
- सुरक्षा कर्मी- सुरक्षा में लगे सैनिक या प्रहरी
- स्वयं- खुद
- रेवड़ों- पशुओं के झुंड
- संबंध में– विषय से संबंधित
- सोच-विचार- गहराई से सोचना, विचार करना
- विषय में- संबंध में, बारे में
- अवश्य– निश्चित रूप से, ज़रूर
- झटपट- तुरंत
- धमकाते हुए– धमकी देते हुए
- तुरंत उत्तर दो – फ़ौरन जवाब दो
- साहस– हिम्मत
- परिवेश- आसपास का वातावरण
- पैनी दृष्टि- तेज़ देखने की शक्ति
- संभव- मुमकिन
- मंत्री– राजा का सलाहकार
- फुसफुसाया- कान में धीरे से कुछ कहा
- सेवक- नौकर
- पेटी– डिब्बा, बक्सा
- सावधानी से– ध्यानपूर्वक, सतर्कता से
- द्वार- दरवाज़ा
- विनती- प्रार्थना
- आश्चर्य– हैरानी
- स्पष्ट- साफ़-साफ़, स्पष्ट रूप से
- बुद्धिमान- होशियार, समझदार
- प्रस्तुत लोग– वहाँ मौजूद व्यक्ति
- महल- राजा का निवास स्थान, राजभवन
- उपस्थित– मौजूद
- चकित- हैरान, आश्चर्यचकित
- स्वादिष्ट- स्वाद वाला, स्वादपूर्ण
- आवभगत– आदर सत्कार, स्वागत
- निर्दोष- जो दोषी न हो, बेगुनाह
- विस्तार के साथ– पूरी जानकारी के साथ
- चिह्न- निशान, पहचान
- नज़र दौड़ाना– चारों ओर ध्यान से देखना
- अनुमान- अंदाज़
- ज्यों की त्यों- वैसा का वैसा
- घुटने टेकना- घुटनों के बल बैठना
- बिलकुल- पूरी तरह
- स्पष्ट- साफ़
- ध्वनि- आवाज
- उद्यान– बगीचा
- कारण- वजह
- संकेत– इशारा
- असाधारण– जो सामान्य न हो, विशेष
- पैनी दृष्टि- तेज नजर
- तीक्ष्ण बुद्धि– तेज़ समझ
- धन-संपत्ति– पैसे और अन्य भौतिक वस्तुएँ
- सांसारिक वस्तुएँ- भौतिक सुख-सुविधाओं से जुड़ी चीजें
- कोष- संग्रह, भंडार
- प्रशंसा करते हुए- सराहना करते हुए
- दरबार– राजा की सभा
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Chapter 3 – Phool Aur Kaanta (फूल और काँंटा)
- जगत – संसार
- पालता – पालना, पालन-पोषण करना
- एक ही–सी – एक समान
- चांदनी – चाँद की रौशनी
- मेह – वर्षा
- वहीं – बहना
- सदा – हमेशा
- ढंग – स्वभाव अथवा व्यवहार
- वर – श्रेष्ठ, सुंदर
- वसन – वस्त्र, कपडे
- पर – पँख
- कतर – कतरना, कांटना
- भौंर – भँवरा
- वेध – घायल
- श्याम – काला
- तन – शरीर
- अनूठा – सुंदर, अच्छा, बढ़िया
- निज – अपनी
- सुगंधी – सुगंध
- निराले – सुन्दर
- सदा – हमेशा
- कली दिल की खिला – प्रसन्न कर देना
- खटकता – चुभना, अच्छा न लगना
- सोहता – शोभित होना,
- सुर – देवता, सज्जन
- सीस – सिर
- कुल – वंश
- बड़ाई – बड़े होने की अवस्था या भाव, बड़ापन
- काम – कार्य
- बड़प्पन – श्रेष्ठ होने का गुण या भाव, श्रेष्ठता, महत्व, गौरव
- कसर – नुक़्सान, घाटा, द्वेष, वैर
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Chapter 4 – Pani Re Pani (पानी रे पानी)
- जल-चक्र – पानी के प्राकृतिक प्रवाह की प्रक्रिया जिसमें समुद्र से भाप बनकर बादल बनते हैं, फिर बारिश के रूप में धरती पर गिरते हैं, नदियों के माध्यम से वापस समुद्र में मिल जाते हैं।
- भूगोल – पृथ्वी, उसका स्वरूप, जलवायु, प्राकृतिक संसाधनों आदि का अध्ययन करने वाला विषय।
- भाप – पानी जब गरमी से गैस में बदल जाता है, तो उसे भाप कहते हैं।
- बेवक्त – अनिश्चित समय पर।
- सूँ-सूँ की आवाज़ – नल से पानी न आने पर निकलने वाली हवा की आवाज़
- कार्यालय – वह स्थान जहाँ कोई व्यक्ति नौकरी या व्यवसाय करता है।
- कारखाने – ऐसे स्थान जहाँ चीज़ों का उत्पादन या निर्माण होता है, जैसे फैक्ट्री।
- अजीब-सा चक्कर – अनोखी, उलझनभरी स्थिति या समस्या
- मीठी नींद – गहरी और सुखद नींद
- तू-तू, मैं-मैं – आपसी झगड़ा या बहस
- झगड़े-टंटों – रोजमर्रा के विवाद
- मोहल्ला – बस्ती या कॉलोनी; एक ही क्षेत्र में रहने वाले लोगों का समूह
- कष्ट – परेशानी, दुख, तकलीफ
- अकाल – जब लंबे समय तक बारिश न हो और खेती न हो सके, तब की गंभीर स्थिति, जल और अन्न की भारी कमी।
- पटरियाँ – रेल की पटरियाँ; वे लोहे की लाइनें जिन पर ट्रेन चलती है।
- बाढ़ – अत्यधिक वर्षा के कारण जब जल स्तर का बढ़ना
- थम जाता है – रुक जाता है
- एक ही सिक्के के दो पहलू – एक ही समस्या के दो उल्टे रूप या पक्ष, यहाँ बाढ़ और अकाल की तुलना की गई है।
- गुल्लक – बच्चों द्वारा पैसे जमा करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली छोटी मटकी या डिब्बी।
- झट से – तुरंत
- सिक्के – धातु के बने छोटे पैसे
- बचत – बचाया हुआ पैसा
- विशाल – बहुत बड़ी
- प्रकृति – प्राकृतिक शक्ति या वातावरण, यहाँ बारिश करने वाली प्राकृतिक व्यवस्था।
- भंडार – संग्रह, भरी हुई मात्रा
- रिसकर – धीरे-धीरे टपककर
- छनकर – छानकर, फ़िल्टर होकर
- भूजल – ज़मीन के अंदर का जल, जिसे कुंए या बोरवेल से निकाला जाता है
- समृद्ध – संपन्न, भरपूर
- खजाना – अमूल्य संग्रह
- पाठशाला – स्कूल, विद्यालय
- महत्व – महत्ता, मूल्य, उपयोगिता
- लालच – अधिक पाने की इच्छा, स्वार्थ
- कचरे से पाटकर – कूड़ा-कचरा डालकर भर देना
- समतल – सपाट
- बस्तियाँ – गाँव, मोहल्ले
- जलस्रोत – पानी के स्रोत, जैसे तालाब, नदी, झरना आदि।
- रखवाली – संरक्षण, सुरक्षा करना
- थाम लेना – रोक लेना
- भूजल भंडार – जमीन के नीचे जमा पानी का संग्रह
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Chapter 5 – Nahi Hona Bimar (नहीं होना बीमार)
- अस्पताल – रोगियों के इलाज का स्थान
- भर्ती – दाखिल होना
- अवसर – मौका
- वार्ड – अस्पताल का एक खंड या कमरा जहाँ कई रोगी साथ रहते हैं
- पलंग – सोने के लिए लकड़ी या लोहे का बना बिस्तर
- सिरहाने – सिर के पास का स्थान, बिस्तर का वह हिस्सा जहाँ सिर रखा जाता है
- माहौल – वातावरण
- शोरगुल – आवाज़ें, हल्ला
- गुनगुन – धीमी आवाज में बातें या गुनगुनाहट
- नर्स – अस्पताल में रोगियों की देखभाल करने वाली महिला
- अभिवादन – नमस्कार, सम्मान प्रकट करने की क्रिया
- ठाठ – आराम, सुख-सुविधा
- काश – इच्छा प्रकट करने वाला शब्द
- होमवर्क – स्कूल का दिया गया घर का कार्य
- बुखार – शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होना, रोग का लक्षण
- गतिविधियाँ – क्रियाएँ, काम-काज
- अनुमान लगाना – अंदाज़ा लगाना, बिना देखे समझने की कोशिश करना
- झपकी – थोड़ी देर की नींद
- कराहते हुए – दर्द या दुख प्रकट करते हुए धीमी आवाज़ में बोलना
- नब्ज देखना – हाथ की नस की गति से शरीर की हालत जानना
- थर्मामीटर – शरीर का तापमान मापने का उपकरण
- चाल – तरकीब, युक्ति
- पुड़िया – कागज़ में लिपटी हुई दवाई
- काढ़ा – औषधीय जड़ी-बूटियों से बना गरम पेय
- गुडुप हो गया – अचानक गहरी नींद में सो जाना
- चहल-पहल – हलचल
- ड्राइक्लीनर – कपड़े साफ़ करने वाला व्यक्ति या दुकान
- ग्राहक – खरीदने वाला व्यक्ति
- आँच – आग की गर्मी
- मजबूरी – विवशता, करना ही पड़े ऐसा हाल
- ऊब – बोरियत, थकावट या अरुचि महसूस होना
- आहट – हल्की आवाज़
- उम्मीद – आशा
- तबियत ढीली – स्वास्थ्य ठीक न होना
- विकार – शरीर की अशुद्धियाँ या रोग के कारण
- रिसेस – स्कूल में मिलने वाला मध्यांतर का समय
- झपकी – हल्की नींद
- खस्ता कचौड़ी – कुरकुरी और स्वादिष्ट कचौड़ी
- बेसन की चिक्की – बेसन और गुड़ से बनी कुरकुरी मिठाई
- उपवास – व्रत, भूखे रहना धार्मिक या स्वास्थ्य कारणों से
- गुझिया – पकवान, त्योहारों में बनाई जाती है
- झख मार रहा होऊँगा – व्यर्थ में समय काट रहा होऊँगा
- अक्लमन्द – समझदार
- रुआँसा – रोने की स्थिति में, भावुक या दुखी होना
- खुशबू – महक
- मसलकर – दबाकर, चटनी की तरह मिलाकर
- दबे पाँव – बिना आवाज़ किए धीरे-धीरे
- चुपके से – चोरी-छिपे, धीरे से
- गुठली – फल का बीज
- ठूंसे – ठूँस देना, जबरन भर लेना
- भुक्कड़ – जो हर समय खाने के बारे में सोचता है
- सान रहा है – मसल रहा है, फैला रहा है
- जलन – ईर्ष्या
- कुढ़न – मन की बेचैनी या चिढ़
- विकार – शरीर के दोष या बुरे तत्व
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Chapter 6 – Girdhar Kavirai Ki Kundaliya (गिरिधर कविराय की कुंडलिया)
- बिचारे – विचार किए
- करै – करता है
- सो – वह
- पाछे – पीछे, बाद में
- पछिताय – पछताना
- बिगारै – बिगाड़ना
- जग – संसार
- होत – होना
- हंसाय – मज़ाक
- चित्त – मन, हृदय
- सन्मान – सम्मान
- राग – गीत-संगीत
- कछु – कुछ
- टरत न टारे – टलाने पर भी न टलना
- खटकत – खटकता या चुभता रहना
- जिय – हृदय
- बीती – बीत गई, घटित होना
- ताहि – उसको
- बिसारि दे – भुला दे
- सुधि – समझ, ध्यान
- सहज – सहजता या आसानी से
- चित – मन
- बनि आवै – बन सके
- दुर्जन – दुष्ट
- चित्त – मन, विचार
- खता – पछतावा
- करु – करो
- परतीती – दृढ़ विश्वास
- समुझि – समझकर
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Chapter 7 – Varsha Bahar (वर्षा-बहार)
- वर्षा-बहार – वर्षा ऋतु की सुंदरता, वर्षा का सौंदर्य
- लुभा रही है – आकर्षित कर रही है
- नभ – आकाश
- छटा – दृश्य, शोभा, सुंदरता
- अनूठी – अद्वितीय, एकदम अलग और सुंदर
- घनघोर – घने और गहरे
- छा रही है – फैल रही है
- बिजली – आकाशीय चमक, विद्युत
- गरज रहे हैं – तेज आवाज के साथ गूंज रहे हैं
- बरस रहा है – गिर रहा है (वर्षा होना)
- चलती हवा – बहती हुई वायु
- ठंडी – शीतल
- डालियाँ – पेड़ की शाखाएँ
- बागों – बग़ीचों, उद्यानों
- गीत सुंदर – मधुर और प्यारे गीत
- मालिनें – बागों में काम करने वाली स्त्रियाँ, माली की स्त्री
- तालों – तालाबों
- जीव जलचर – जल में रहने वाले प्राणी, जैसे- मछलियाँ, मेंढक आदि
- अति प्रसन्न होते – बहुत प्रसन्न होते हैं, अत्यधिक खुश होते हैं
- फिरते – घूमते, इधर-उधर उड़ते
- लखो – अनेक, असंख्य
- पपीहे – एक प्रकार का पक्षी जो वर्षा ऋतु में कूकता है
- ग्रीष्म ताप – गर्मी की गर्म लहर या तपन
- नृत्य – नाच, नाचना
- वन – जंगल
- लुभा रहे हैं – आकर्षित कर रहे हैं, मन मोह रहे हैं
- सुगीत प्यारे – सुंदर और मनभावन गीत
- सौरभ – खुशबू, सुगंध
- उड़ा रहा है – फैला रहा है
- सुख से – आनंदपूर्वक, प्रसन्नता के साथ
- आमोद – प्रसन्नता, सुख का वातावरण
- छा रहा है – फैल रहा है, भर गया है
- चलते हैं – आगे बढ़ते हैं, उड़ते हुए जाते हैं
- हंस – एक प्रकार का सुंदर पक्षी, यहाँ बादलों का रूपक
- कतार – पंक्ति
- गीत – गाने, मधुर स्वर
- मनहर – मन को हर्षित करने वाले, मनभावन
- भाँति – प्रकार, तरह
- अनोखी – विशेष, अद्वितीय
- वर्षा बहार – वर्षा ऋतु की सुंदरता, वर्षा का सौंदर्य
- भू पर – पृथ्वी पर, धरती पर
- सारे जगत – पूरा संसार
- शोभा – सुंदरता, आकर्षण
- निर्भर है – आश्रित है, टिकी हुई है
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Chapter 8 – Birju Maharaj Se Sakshatkar (बिरजू महाराज से साक्षात्कार)
- संघर्षों– कठिनाइयाँ, मुश्किलों से भरा समय
- छोटे नवाब- किसी समय धनवान और रौबदार घर के छोटे सदस्य
- हवेली– बहुत बड़ा और भव्य घर
- पहरा- सुरक्षा के लिए नियुक्त किए गए सिपाही, निगरानी
- देहांत– मृत्यु
- कर्ज– उधार लिया गया पैसा
- ज़री- सुनहरी या चाँदी की कढ़ाई वाली कपड़े की किनारी
- गुजारा- जीवन यापन, ज़रूरतों को पूरा करना
- अभ्यास- लगातार मेहनत या अभ्यास करना
- कथक- भारत का एक शास्त्रीय नृत्य
- गुरु– शिक्षक, मार्गदर्शक
- तालीम- प्रशिक्षण, शिक्षा
- औपचारिक प्रशिक्षण– विधिवत रूप से सिखाया जाने वाला अभ्यास या शिक्षा
- दरबार– राजा या नवाब का दरबार, जहाँ दरबारी और कलाकार मौजूद रहते हैं
- गंडा (ताबीज़)– एक धार्मिक प्रतीक रूपी धागा या धातु, गुरु-शिष्य संबंध का प्रतीक
- भेंट– उपहार, श्रद्धा या सम्मानपूर्वक दी गई वस्तु
- रस्म– परंपरा, रीति-रिवाज
- लगन- निष्ठा
- सामर्थ्य– योग्यता, क्षमता
- शिष्या– महिला विद्यार्थी, जिसे कोई गुरु सिखा रहा हो
- आई.ए.एस. अफसर- भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी
- नर्तकी– महिला नृत्यांगना, जो नृत्य करती है
- नाटिकाएँ- लघु नाटक या छोटे मंचन
- दृढ़ निश्चय– पक्का संकल्प, पक्का इरादा
- पनपना– विकसित होना, पूरी तरह खिलना या उभरना
- परंपरा– पुरानी और चली आ रही रीति
- आदिपर्व- महाभारत का पहला भाग
- अनौपचारिक– बिना किसी नियम या औपचारिकता के, सहज
- कथा कहने का ढंग– कहानी सुनाने की शैली
- कथिक– कथक नृत्य करने वाले व्यक्ति
- प्रचलित- जो आम लोगों में प्रसिद्ध हो गया हो
- मग्न– पूरी तरह डूब जाना, ध्यान केंद्रित कर लेना
- घराना- शास्त्रीय संगीत या नृत्य की विशिष्ट शैली या परंपरा, जिसे एक खास क्षेत्र या परिवार अपनाता है
- शैली- ढंग या विशेष तरीका
- लय– गति और ताल का क्रम
- अदृश्य– जो दिखाई न दे
- निमंत्रण– बुलावा
- तपस्या- कठिन अभ्यास और एकाग्र साधना
- घसियारा– घास काटने वाला व्यक्ति
- हँसिया- घास काटने का चंद्राकार औजार
- संतुलन- बराबरी या तालमेल
- आवरण– ढकने वाली परत या सजावट की परत
- परंपरा– किसी कार्य या विचार को लंबे समय तक अपनाए रखना, रिवाज़
- प्रस्तुतीकरण– किसी चीज़ को प्रस्तुत करने का तरीका या शैली
- गौर किया– ध्यान दिया
- भाव-भंगिमा– शरीर और चेहरे के हाव-भाव से भावों की अभिव्यक्ति
- निराला– अनोखा, अलग तरह का
- ब्रह्मा, विष्णु, महेश– हिंदू धर्म के प्रमुख देवता, यहाँ आदर्श गुरु या मार्गदर्शक के रूप में संकेत
- रचना– कुछ नया बनाना या सृजन करना
- कायम रखना- बनाए रखना, जारी रखना
- आधुनिक कवि– नए समय के कवि, जो वर्तमान युग में लिखते हैं
- दर्शक– देखने वाला व्यक्ति
- संस्कार– परंपरा और व्यवहार की सीख जो परिवार और समाज से मिलती है
- तौर-तरीके- व्यवहार या काम करने का तरीका
- आश्रय- शरण, सहारा या सुरक्षा देने की जगह
- स्वभाव– किसी व्यक्ति का स्वाभाविक व्यवहार या चरित्र
- निर्भर– आश्रित
- मंच– वह ऊँचा स्थान या प्लेटफ़ॉर्म जहाँ कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं
- फर्श- ज़मीन पर बिछा हुआ समतल भाग
- चाँदनी– बिछाने की सफेद चादर, विशेष रूप से कार्यक्रमों के लिए प्रयोग में लाई जाती है
- शृंगार- सजने-संवरने की प्रक्रिया
- चंदनलेप– चंदन का लेप या पेस्ट, जिसे त्वचा पर सजावटी या ठंडक के लिए लगाया जाता है
- पनघट– वह स्थान जहाँ से औरतें पानी भरने जाती हैं
- कथा– कहानी या किस्सा
- विस्तृत वर्णन– किसी चीज़ का विस्तार से बताया जाना
- कल्पना- मन में किसी दृश्य या बात की तस्वीर बनाना
- छुटपन– बचपन, जब बच्चा बहुत छोटा होता है
- तबला पीटना– तबले (वाद्य यंत्र) को बजाना
- लय– ताल या संगीत की गति, सुर और ताल का संतुलन
- हारमोनियम– एक प्रकार का वाद्य यंत्र जिसमें हवा और की-बोर्ड के माध्यम से ध्वनि निकलती है
- लहरा- कोई खास धुन या सुर
- फरमाइश- किसी चीज़ को करने या सुनने का अनुरोध या इच्छा
- शास्त्रीय नृत्य– नियमों और परंपराओं पर आधारित नृत्य, जिसे गुरु से विधिवत सीखा जाता है
- लोक नृत्य– किसी क्षेत्र विशेष की सांस्कृतिक नृत्य शैली, जो आम लोग सामूहिक रूप से करते हैं
- सामूहिक- समूह में किया जाने वाला, एक साथ मिलकर किया गया
- मनोरंजन- खुशी और आनंद के लिए किया गया कार्य
- मन बहलाव– दिल लगाने या खुद को व्यस्त रखने का तरीका
- संतुष्टि– संतोष या तृप्ति का अनुभव
- दर्शक– देखने वाले लोग
- कथावाचक- कहानी सुनाने वाला व्यक्ति
- स्थिति- हालात
- दयनीय- दुखद या खराब स्थिति
- लोकप्रियता– पसंद किए जाने की स्थिति, लोगों में प्रसिद्धि
- शोर वाला संगीत– तेज़ और ऊँचे स्वर वाला आधुनिक संगीत
- प्रचलन– चलन में होना
- भाव-भंगिमा– चेहरे के भाव और शरीर की मुद्राएँ
- दैनिक जीवन– रोजमर्रा की ज़िंदगी
- मूर्तिकला- मूर्तियाँ बनाने की कला, जिसमें शरीर की मुद्राओं की सुंदरता होती है
- कोमलता- नरमी, सौम्यता
- ओज– शक्ति और तेज
- चिराग की लौ- दीपक की नर्म, हिलती हुई लौ
- घूँघट– सिर या चेहरे को ढकने वाला कपड़ा
- तंबू- बड़ा कपड़ा या छावनी जो टेढ़ा-मेढ़ा और फैला हुआ होता है (यहाँ अतिशयोक्ति में प्रयोग)
- खाली समय- फुर्सत का समय, जब कोई ज़रूरी काम न हो
- जिज्ञासा– जानने की इच्छा
- कल-पुर्जे- मशीन के छोटे-छोटे भाग
- पेचकस– स्क्रू खोलने और कसने का औजार
- औजार- उपकरण, यंत्र
- चित्रकार– पेंटिंग बनाने वाला व्यक्ति
- शौक– रुचि, लगाव
- प्रायः- अधिकतर, आमतौर पर
- विनती– निवेदन, अनुरोध
- रुचि– दिलचस्पी, लगाव
- समय का अंदाजा– समय का सही उपयोग समझ पाना
- सदुपयोग- अच्छे तरीके से इस्तेमाल करना
- बौद्धिक विकास– सोचने-समझने की शक्ति का बढ़ना, मानसिक प्रगति
- महत्वपूर्ण– ज़रूरी, आवश्यक
- हुनर– कौशल, विशेष कला या क्षमता
- आत्मनिर्भर– जो अपने पैरों पर खड़ा हो सके, स्वावलंबी
- खज़ाना– अमूल्य वस्तु
- मन की शांति– मानसिक संतुलन और सुख
- अनुशासन– नियमों के अनुसार रहना, व्यवस्थित जीवनशैली
- संतुलन– तालमेल या बराबरी की स्थिति
- तालमेल– एकसाथ सही तरह से काम करना
- लक्ष्य– उद्देश्य
- प्रेरणा– आगे बढ़ने की ऊर्जा या उत्साह
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- डाली – पेड़ की शाखा
- ज्ञात – जानकारी
- प्रेम-प्रीति – प्यार और सौहार्द
- रीति – ढंग, तरीका
- जग – संसार
- बंदी – कैदी
- मुक्ति-मंत्र – स्वतंत्र होने का रास्ता, बंधन से छुटकारे की बात
- पंछी – पक्षी, चिड़िया
- खंजन – एक प्रकार का सुंदर, छोटा पक्षी
- कपोत – कबूतर
- चातक – पपीहा
- कोकिल – कोयल
- काक – कौआ
- हंस – एक सफेद, सुंदर और शांत पक्षी
- शुक – तोता
- वास – रहना, निवास करना
- हिलमिल – प्रेम और सौहार्द से, मिल-जुलकर
- दुनिया एक बसाते हैं – अपने जीवन को सुखी और स्थिर बनाते हैं
- लोभ – लालच
- पाप – बुरे काम
- परवाह – चिंता, फ़िक्र
- माल – धन
- हड़पकर – लूटकर
- चाह नहीं – इच्छा नहीं
- श्रम – परिश्रम, मेहनत
- हित – भला, भलाई
- सीमा-हीन – बिना सीमा वाला, जिसकी कोई सीमा नहीं होती
- गगन – आकाश
- निर्भय – बिना भय के
- विचरण – घूमना, उड़ना
- कमाई – जो मेहनत से प्राप्त किया गया हो
- जग – संसार
- स्वच्छंद – स्वतंत्र, आज़ाद
- बेड़ी – जंज़ीर
- पग – पाँव, पैर
- सोने की कड़ियाँ – सांसारिक बंधन, भौतिक लालच का प्रतीक
- तोड़ो – मुक्त हो जाओ, आज़ाद हो जाओ
- मानवता – इंसानियत, मानव प्रेम
- द्रोह-भावना – द्वेष, नफ़रत की भावना
- घड़ी भर – थोड़ी देर के लिए, क्षण भर के लिए
- चकित – आश्चर्यचकित, हैरान
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Chapter 10 – Meera ke Pad (मीरा के पद)
- बसो – बसना, रहना
- नैनन – आँख
- नंदलाल – नन्द के पुत्र, श्री कृष्ण
- मोहन – मन को लुभाने वाला, श्री कृष्ण
- मूरति – मूर्ति, आकृति
- साँवरि – साँवली (रंग)
- सूरति – छवि
- अधर – होंठ
- सुधा रस – अमृत जैसा रस
- मुरली – बाँसुरी
- राजति – शोभित होती है
- उर – हृदय
- वैजंती माल – फूलों की माला (कृष्ण जी की विशेष माला)
- क्षुद्र – दरिद्र
- घंटिका – छोटी घंटियाँ
- कटितट – कमर का किनारा
- नूपुर – पायल
- रसाल – मधुर
- संतन सुखदाई – संतों को सुख देने वाले
- भक्त वछल – भक्तों से प्रेम करने वाले
- गोपाल – श्रीकृष्ण (गायों के रक्षक)
- बरसे – वर्षा की रिमझिम ध्वनि
- बदरिया – बादलों की गड़गड़ाहट की ध्वनि
- मन भावन – मन को भाने वाली
- उमग्यो – उमंग से भरा हुआ
- भनक – आभास
- आवन की – आने की
- उमड़ घुमड़ – बादलों की गरजने और मँडराने की गूँज
- चहुँ दिश से – चारों दिशाओं से
- दामिन दम – बिजली की चमक और उसकी आवाज़
- झर लावन की – झरने की तरह गिरती वर्षा की ध्वनि
- नन्हीं-नन्हीं बूँदन – वर्षा की छोटी-छोटी बूँदें|
- शीतल पवन – ठंडी हवा
- सोहावन – सुहावना
- गावन की – गाने की क्रिया
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