CBSE Class 7 Hindi Chapter 6 Girdhar Kavirai Ki Kundaliya (गिरिधर कविराय की कुंडलिया) Question Answers (Important) from Malhar Book

Class 7 Hindi Girdhar Kavirai Ki Kundaliya Question Answers and NCERT Solutions– Looking for Girdhar Kavirai Ki Kundaliya question answers for CBSE Class 7 Hindi Malhar Book Chapter 6? Look no further! Our comprehensive compilation of important question answers will help you brush up on your subject knowledge.

सीबीएसई कक्षा 7 हिंदी मल्हार के पाठ 6 गिरिधर कविराय की कुंडलिया प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 7 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे गिरिधर कविराय की कुंडलिया प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract-based questions, multiple choice questions, short answer and long answer questions.

Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams. 

 

 

Related: 

 

 

Girdhar Kavirai Ki Kundaliya Chapter 6 NCERT Solutions

 

पाठ से

मेरी समझ से

(क) पाठ के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है ? उसके सामने तारा (★ ) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
प्रश्न 1 – “बिना बिचारे” काम करने के क्या परिणाम होते हैं?
दूसरों से प्रशंसा मिलती है।
मन में शांति बनी रहती है।
अपना काम बिगड़ जाता है।
खान-पान सम्मान मिलता है।
उत्तर – अपना काम बिगड़ जाता है।(★ )

प्रश्न 2 – “चित्त में चैन” न पा सकने का मुख्य कारण क्या है?
प्रयास करने पर भी टाला न जा सकने वाला दुख
बिना सोचे-समझे किए गए कार्य की असफलता
खान-पान, सम्मान और राग-रंग का अभाव
दुनिया द्वारा की जाने वाली निंदा और उपहास
उत्तर – बिना सोचे-समझे किए गए कार्य की असफलता (★ )
दुनिया द्वारा की जाने वाली निंदा और उपहास (★ )

प्रश्न 3 – “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ” पंक्ति द्वारा कौन-सी सलाह दी गई है ?
भविष्य की सफलता के लिए अतीत की गलतियों से सीखने की
अतीत की असफलताओं को भूलकर भविष्य पर ध्यान देने की
अतीत और भविष्य दोनों घटनाओं को समान रूप से याद रखने की
अतीत और भविष्य दोनों को भूलकर केवल वर्तमान में जीने की
उत्तर – अतीत की असफलताओं को भूलकर भविष्य पर ध्यान देने की(★ )

प्रश्न 4 – “जो बनि आवै सहज में ताही में चित देइ” पंक्ति का क्या अर्थ है ?
हमें कठिनाइयों और चुनौतियों से बचना चाहिए।
हमें आराम की तलाश करने में मन लगाना चाहिए।
हमें असंभव और कठिन कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।
हमें सहज जीवन पर ध्यान देना चाहिए।
उत्तर – हमें सहज जीवन पर ध्यान देना चाहिए।(★ )

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग- अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर –
(1) मेरे अनुसार इस प्रश्न का सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर तीसरा विकल्प है क्योंकि बिना विचार किए काम करने पर हमारे कई सारे काम बिगड़ जाते है। अन्य विकल्प इसके लिए उपयुक्त नहीं हैं क्योंकि बिना विचार किए काम करने से न तो किसी से प्रशंसा मिलती है, न ही किसी से सम्मान प्राप्त होता है और न हो मन प्रसन्न होता है।
(2) हमने इस प्रश्न के दो विकल्पों का चयन किया है क्योंकि हमें लगता है कि जब भी हम किसी कार्य को बिना सोचे-समझे करते हैं तो हमें उस कार्य में असफलता झेलनी पड़ती है और हमारा मन उस कार्य के परिणामों को लेकर अशांत हो जाता है। अंततः लोग भी हमारी निंदा करते है और हँसी उड़ाते हैं।
(3) हमारे द्वारा इस प्रश्न का दुसरा विकल्प चुने जाने का कारण था कि जब तक हम अतीत की बातों या घटनाओं में उलझे रहेंगे, तब तक हम आगे नहीं बढ़ पाएँगे क्योंकि पुरानी घटनाएँ, बातें आदि हमें भीतर से दुःख पहुंचती रहेंगी। इसलिए हमें अतीत की सभी बातों को भुलाकर, वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए ताकि हम भविष्य को और बेहतर बना सकें।
(4) हमें सहज रूप से अपने जीवन पर ध्यान देना चाहिए। सुख-दुख जैसी परिस्थितियों को हमें सहजता से स्वीकार करते हुए जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। इसलिए हमने इस विकल्प का चयन किया।

Class 7 Malhar Book Ch-6 Picture2

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए-

(क) “ बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय ।
काम बिगारे आपनो जग में होत हँसाय।।”
उत्तर – जो बिना सोचे-समझे किसी काम को करते हैं, बाद में उन्हें पछताना पड़ता है। कहने का आशय यह है कि हमें सभी काम सोच-विचार करके ही करने चाहिए। जल्दबाज़ी में या बिना सोचे-समझे काम करने पर हम अपने ही काम बिगाड़ देते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप संसार में हमें हँसी का पात्र बनना पड़ता है। अर्थात जब हम किसी काम को जल्दबाज़ी में, बिना सोच-विचार के करते हैं, तो उसका परिणाम अकसर नकारात्मक ही होता है। ऐसे में हमारे द्वारा किया गया काम तो बिगड़ता ही है, साथ ही समाज में बनी हमारी छवि भी खराब होती है।

(ख) “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ ।
जो बनि आवै सहज में ताही में चित देइ ।। ”
उत्तर – जो भी बातें या घटनाएँ घटित हो चुकी हैं या बीत चुकी हैं, उन्हें भूलकर हमें आगे बढ़ना चाहिए अर्थात हमें भूतकाल की सभी घटनाओं को भूल कर अपने वर्तमान को समझने की कोशिश करनी चाहिए और आगे आने वाले को सहजता से स्वीकार करना चाहिए। जो कार्य सहज और सरल तरीके से हो सकें, उसी में मन लगाना चाहिए। कहने का आशय यह है कि जीवन में व्यर्थ की चिंता और पछतावे से कोई लाभ नहीं होता। बीते समय को याद कर दुखी होने से बेहतर है कि हम अपने वर्तमान को सँवारने हेतु प्रयास करते रहें।

Class 7 Malhar Book Ch-6 Picture3

मिलकर करें मिलान

• नीचे स्तंभ – 1 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं, उनसे संबंधित अर्थ वाली स्तंभ- 2 की पंक्तियों से उनका मिलान कीजिए –

स्तंभ 1 स्तंभ 2
1. जग में होत हँसाय चित्त में चैन पावै। खान पान सन्मान राग रंग मनहिं भावै॥ 1. जो कार्य बिना विचार किए किया जाता है, वह लंबे समय तक मन में खटकता रहता है और उसकी पीड़ा से छुटकारा पाना मुश्किल होता है।
2.  कह गिरिधर कविराय दुख कछु टरत टारे। टकत है जिय माहिं कियो जो बिना बिचारे॥ 2. बिना विचार के किए गए कार्य के कारण मन अशांत रहता है। अच्छा खानपान, सम्मान या जीवन की खुशियाँ भी उस व्यक्ति को सुख नहीं दे पातीं।
3. ताही में चित देइ बात जोई बनि आवै। दुर्जन हँसै कोइ चित्त में खता पावै॥ 3. अपने मन को इस बात पर विश्वास करना सिखाओ कि भविष्य की खुशी को समझते हुए अतीत के दुखों को भुलाकर आगे बढ़ना चाहिए।
4. कह गिरिधर कविराय यहै करु मन परतीती। आगे को सुख होइ समुझि बीती सो बीती॥ 4. ऐसे कार्य कीजिए कि किसी बुरे व्यक्ति को हँसने का मौका मिले में किसी प्रकार का दोष या अपराधबोध हो।

उत्तर –

स्तंभ 1 स्तंभ 2
1 जग में होत हंसाय, चित्त में चैन न पावै।

खान पान सन्मान, राग रंग मनहिं न भावै॥

2 बिना विचार के किए गए कार्य के कारण मन अशांत रहता है। अच्छा खान-पान, सम्मान  या जीवन की खुशियाँ भी उस व्यक्ति को सुख नहीं दे पाती।
2 कह ‘गिरिधर कविराय, दु:ख कछु टरत न टारे।

खटकत है जिय मांहि, कियो जो बिना बिचारे॥

1 जो कार्य बिना विचार किए किया जाता है वह लम्बे समय तक मन में खटकता रहता है और उसकी पीड़ा से छुटकारा पाना मुश्किल होता है।
3 ताही में चित देइ, बात जोई बनि आवै।

दुर्जन हंसे न कोइ, चित्त मैं खता न पावै॥

4 ऐसे कार्य कीजिए कि किसी बुरे व्यक्ति को हँसने का मौका न मिले और मन में किसी प्रकार का दोष या अपराधबोध न हो।
4 कह ‘गिरिधर कविराय यहै करु मन परतीती।

आगे को सुख समुझि, होइ बीती सो बीती॥

3 अपने मन को इस बात पर विश्वास करना सिखाओ कि भविष्य की ख़ुशी को समझते हुए अतीत के दुखों को भुलाकर आगे निकलना चाहिए।

 

सोच-विचार के लिए

पाठ को एक बार पुनः पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-

(क) “ बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय । ”
कविता में बिना विचार किए कार्य करने के क्या नुकसान बताए गए हैं?
उत्तर – कविता में बिना विचार किए कार्य करने के निम्नलिखित नुकसान बताए गए हैं –
बिना विचार किए कार्य करने के से व्यक्ति अपना काम बिगाड़ लेता है।
बिना विचार किए कार्य करने से व्यक्ति अपमान और हँसी का पात्र बनता है।
बिना विचार किए कार्य करने के कारण व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती है, इसके कारण उसका मन अशांत हो जाता है।
जीवन की सामान्य सुख-सुविधाओं से भी उसकी अरुचि हो जाती है। उसे खाना-पीना अच्छा नहीं लगता, आनंद की चीज़े भी नहीं भातीं।

(ख) “बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय।”
कुंडलिया में जो बातें सैंकड़ों साल पहले कही गई थीं, क्या वे आपके लिए भी उपयोगी हैं? कैसे? उदाहरण देकर समझाइए |
उत्तर – इस कुंडलिया में जो बात सैंकड़ों साल पहले कही गई थीं, वे हमारे लिए आज भी उपयोगी हैं। क्योंकि हम अक्सर भावनाओं में बहकर, जल्दबाजी में या कार्य को जल्दी करने के लिए दूसरों की नकल करके, कार्य कर देते हैं जिसके कारण हमें कई बार बाद में पछताना पड़ता है। ऐसे में यह पंक्ति हमें यह सिखाती है कि हमें हर काम सोच-समझकर करना चाहिए। उदाहरण के लिए – एक दिन मैंने अपना गृहकार्य अपने मित्र की कॉपी से देखकर पूरा किया। मैने इस कदर नकल की कि अपने नाम की जगह पर उसी का नाम लिख लिया जिसकी वजह से अध्यापिका जी को यह बात पता चली। अध्यापिका जी ने मुझे सभी विद्यार्थियों के सामने डाँटा। कक्षा के अन्य विद्यार्थियों के सामने मुझे शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। तब मुझे पछतावा हो रहा था कि मैंने क्यों अपने मित्र की कॉपी से गृहकार्य पूरा किया।

(ग) “खान पान सन्मान राग रंग मनहिं न भावै ॥ ”
इस पंक्ति में रेखांकित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से देखकर लिखिए। प्रत्येक के लिए एक-एक उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर
सन्मान – आदर-सम्मान, प्रतिष्ठा
उदाहरण – हमें अपने बड़ों का सन्मान करना चाहिए।

मनहिं- ‘मन + ही’ का अपभ्रंश रूप है।, मन को
हमें घर का खाना खाने की आदत है। बाहर का खाना हमारे मन को नहीं भाता।

भावै -अच्छा या रुचिकार लगना
जिसका जैसा स्वभाव, उसे वैसे ही व्यक्ति भावै।

अनुमान और कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-

(क )आपने पढ़ा है कि “बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय…।” कल्पना कीजिए कि आपके एक मित्र ने बिना सोचे-समझे एक बड़ा निर्णय लिया है। वह निर्णय क्या था और उसका क्या प्रभाव पड़ा? इसके बारे में एक रोचक कहानी अपने साथियों के साथ मिलकर बनाइए और कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।

(ख) कल्पना कीजिए कि “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ… ।” कविता निम्नलिखित के लिए लिखी गई है-

आप
आपका कोई सहपाठी
आपका कोई परिजन
आपके कोई शिक्षक
कोई पक्षी
कोई पशु
इनकी कौन-कौन सी समस्याएँ होंगी ? यह कविता उन्हें कैसे प्रेरित करेगी?

(ग) कल्पना कीजिए कि आप एक ऐसे व्यक्ति से मिले हैं, जो हमेशा बीती बातों में खोया रहता है। आप उसे समझाने के लिए क्या-क्या कहेंगे?

शब्द से जुड़े शब्द

• नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘चित्त’ या ‘मन’ से जुड़े शब्द कुंडलियों में से चुनकर लिखिए-

Class 7 Malhar Book Ch-6 Picture4

उत्तर –

Class 7 Malhar Book Ch-6 Picture5

कविता की रचना

“बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय ।
काम बिगारे आपनो जग में होत हँसाय।। ”
“बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ ।
जो बनि आवै सहज में ताही में चित देइ ||

Class 7 Malhar Book Ch-6 Picture6

इन पंक्तियों को लय के साथ बोलकर देखिए। इन्हें बोलने में बराबर समय लगा या अलग? आपने ध्यान दिया होगा कि इन पंक्तियों को बोलने में बराबर समय लगता है। इस कारण इन कुंडलियों की सुंदरता बढ़ गई है।

आप ध्यान देंगे तो इन कुंडलियों में आपको ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी। जैसे प्रत्येक कुंडलिया का पहला या दूसरा शब्द उसका अंतिम शब्द भी है। दो-दो पंक्तियों में बातें कही गई हैं। कुंडलिया पढ़ते हुए ऐसा लगता है मानो कोई हमसे संवाद या बातचीत कर रहा है आदि। कुछ विशेषताएँ आपको दोनों कुंडलियों में दिखाई देंगी, कुछ विशेषताएँ दोनों में से किसी एक में दिखाई देंगी।

(क) अब आप पाठ में दी गई दोनों कुंडलियों को ध्यान से देखिए और अपने – अपने समूह में मिलकर इनकी विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए ।

जो विशेषताएँ दोनों कुंडलियों में हैं      जो विशेषताएँ किसी एक कुंडलिया में हैं
   
   

उत्तर –

जो विशेषताएँ दोनों कुंडलियों में हैं      जो विशेषताएँ किसी एक कुंडलिया में हैं
1. मानव व्यवहार पर शिक्षा  किसी भी कार्य को करने से पहले सोच-विचार करना
2. संदेश और उपदेशपरक भाव अतीत को छोड़कर वर्तमान पर ध्यान देना, ताकि भविष्य अच्छा हो।

(ख) नीचे एक स्तंभ में कविता की पंक्तियों की कुछ विशेषताएँ दी गई हैं और उनसे संबंधित पंक्तियाँ दूसरे स्तंभ में दी गई हैं। कविता की विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए-

कविता की विशेषताएँ कविता की पंक्तियाँ
1 पंक्ति के अंतिम शब्द की ध्वनि आपस में मिलती जुलती है। 1 कह ‘गिरिधर कविराय यहै करु मन परतीती।
2 कवि के नाम का उल्लेख किया गया है। 2 ताही में चित देइ, बात जोई बनि आवै।

दुर्जन हंसे न कोइ, चित्त मैं खता न पावै॥

3 एक दूसरे के विपरीत विचार एक साथ आए हैं। 3 बिना बिचारे जो करै, सो पाछे पछिताय।
4 एक ही वर्ण से शुरू होने वाले एक से अधिक शब्द एक ही पंक्ति में आए हैं। 4 बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ।

उत्तर –

कविता की विशेषताएँ कविता की पंक्तियाँ
1 पंक्ति के अंतिम शब्द की ध्वनि आपस में मिलती जुलती है। 2 ताही में चित देइ, बात जोई बनि आवै।

दुर्जन हंसे न कोइ, चित्त मैं खता न पावै॥

2 कवि के नाम का उल्लेख किया गया है। 1 कह ‘गिरिधर कविराय यहै करु मन परतीती।
3 एक दूसरे के विपरीत विचार एक साथ आए हैं। 4 बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ।
4 एक ही वर्ण से शुरू होने वाले एक से अधिक शब्द एक ही पंक्ति में आए हैं। 3 बिना बिचारे जो करै, सो पाछे पछिताय।

काल से जुड़े शब्द

“बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ।”
इस वाक्य में ‘बीती’ शब्द अतीत यानी ‘भूतकाल’ के कार्यों को व्यक्त कर रहा है और ‘आगे’ शब्द ‘भविष्य’ के कार्यों को व्यक्त कर रहा है। इसी प्रकार ‘वर्तमान’ समय में होने वाले कार्यों को ‘आज’ जैसे शब्दों से व्यक्त किया जा सकता है। रोचक बात यह है कि अनेक शब्दों का प्रयोग बीते हुए समय, आने वाले समय और वर्तमान समय को बताने वाले, तीनों प्रकार के वाक्यों में किया जा सकता है।

(क) नीचे कुछ शब्द दिए गए हैं। इनका प्रयोग करते हुए तीनों प्रकार के ‘काल’ व्यक्त करने वाले तीन-तीन वाक्य बनाइए –

उत्तर –
भूतकाल –
1 – कल हम पुरे परिवार के साथ घूमने गए थे।
2 – परसों हम पिता जी के साथ बगीचे गए थे।
3 – पिछले सप्ताह मेरे भाई की शादी थी।

वर्तमान काल-
1 – मैं अभी-अभी विद्यालय से घर पहुँचा हूँ।
2 – मैं हमेशा समय पर विद्यालय आता है।
3 – आजकल मौसम ठंडा हो रहा है।

भविष्य काल –
1 – परसों मेरे घर पर पूजा है।
2 – आगामी सप्ताह में हम विदेश घूमने जा रहे हैं।
3 – मैं परीक्षा की तैयारी के लिए जल्दी ही तुम्हारे घर आऊँगा।

(ख) आपने जो वाक्य बनाए हैं, उन्हें ध्यान से देखिए । पहचानिए कि इन वाक्यों में किन शब्दों से पता चल रहा है कि वाक्य में कार्य भूतकाल में हुआ, वर्तमान काल में हुआ है या भविष्य काल में होगा? वाक्यों में उन शब्दों को रेखांकित कीजिए ।
उत्तर –
भूतकाल –
1 – कल हम पुरे परिवार के साथ घूमने गए थे।
2 – परसों हम पिता जी के साथ बगीचे गए थे।
3 – पिछले सप्ताह मेरे भाई की शादी थी।

वर्तमान काल-
1 – मैं अभी-अभी विद्यालय से घर पहुँचा हूँ।
2 – मैं हमेशा समय पर विद्यालय आता है।
3 – आजकल मौसम ठंडा हो रहा है।

भविष्य काल –
1 – परसों मेरे घर पर पूजा है।
2 – आगामी सप्ताह में हम विदेश घूमने जा रहे हैं।
3 – मैं परीक्षा की तैयारी के लिए जल्दी ही तुम्हारे घर आऊँगा।

पाठ से आगे

आपकी बात

(क) “खटकत है जिय माहिं कियो जो बिना बिचारे ॥” का अर्थ है ‘बिना सोचे किए गए कार्य मन में चुभते रहते हैं।’ क्या आपने कभी ऐसा अनुभव किया है? उस घटना को साझा कीजिए ।
उत्तर – ‘बिना सोचे किए गए कार्य मन में चुभते रहते हैं।’ मेरे पास इस वाक्य से जुड़ा एक अनुभव है। एक बार मैं अपनी दिनचर्या से इतनी परेशान हो गई थी कि छोटी-छोटी बात पर चीड़ रही थी। मेरी छोटी बहन ने पानी का गिलास बिस्तर पर रखा और गलती से गिरा दिया। मैंने बिना वजह जाने उसे बहुत अधिक डाँट दिया जिस कारण वह रो पड़ी। उस समय मुझे एहसास नहीं हुआ, परन्तु जब मेरा गुस्सा और चिड़चिड़ाहट ख़त्म हुई तब मुझे एहसास हुआ कि मैने कुछ ज्यादा ही उसका दिल दुख दिया। जिस कारण यह घटना कई दिनों तक शब्द मेरे मन में खटकती रही।

(ख) “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ। ” का अर्थ है ‘अतीत को भूलना और भविष्य पर ध्यान देना चाहिए।’ क्या आप इस बात से सहमत हैं? क्यों ? उदाहरण देकर समझाइए |
उत्तर – हाँ, मैं इस बात से सहमत हूँ कि अतीत को भूलना और भविष्य पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि जब तक हम बीती बातों से बाहर नहीं निकलेंगे, तब तक हम अपने भीतर न तो सुधार कर पाएँगे, न ही आगे बढ़ पाएँगे। इस बात को इस उदाहरण से समझा जा सकता है –
एक व्यापारी ने अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति के साथ हिस्सेदारी की। परन्तु वह दूसरा व्यक्ति ईमानदार नहीं था जिस कारण उस व्यापारी को बहुत नुक्सान झेलना पड़ा। अब अगर वह हर समय यही सोचता रहे, कि “मैंने उस व्यक्ति के साथ हिस्सेदारी क्यों की?” तो वह चिंता में अपना और भी नुकसान कर लेगा तथा उसका व्यापार डूब जाएगा। इसके विपरीत यदि वह इस घटना से सीख लेकर नई रणनीति बनाए, नए तरीके से सोचे, तो वह अपने व्यापार को और भी अधिक ऊँचाई पर ले जा सकता है।

(ग) पाठ में दी गई दोनों कुंडलियों के आधार पर आप अपने जीवन में कौन-कौन से बदलाव लाना चाहेंगे?
उत्तर – इन कुंडलियों के आधार पर मैं अपने जीवन में निम्नलिखित बदलाव लाना चाहूँगी –
हर काम को करने से पूर्व सोच-विचार करना।
किसी भी निर्णय को जल्दबाजी में न लेना।
पुरानी बातों को दिल से निकालना।
जो बीत गया, उस पर दुखी न होकर उससे सीख लेकर आगे बढ़ना।
जो जीवन में सरलता से उपलब्ध हो, उसी में संतोष करना।

(घ) “खान पान सन्मान राग रंग मनहिं न भावै।। ”
इस पंक्ति में खान-पान, सम्मान और राग-रंग अच्छा न लगने की बात की गई है। आप इसमें से किसे सबसे आवश्यक मानते हैं? अपने उत्तर के कारण भी बताइए ।
उत्तर – “खान पान सन्मान राग रंग मनहिं न भावै ॥ का भाव यह है कि जब मन में पछतावा, चिंता या दुख होता है, तो व्यक्ति को न भोजन अच्छा लगता है, न सम्मान और न ही किसी प्रकार का कोई आनंद।
मेरे अनुसार ‘सन्मान’ (सम्मान) इन सब में अति आवश्यक है। इसके निम्नलिखित कारण है-
सम्मान केवल दूसरों से मिलने वाला आदर ही नहीं, बल्कि अपने आत्मसम्मान से भी जुड़ा होता है। यदि व्यक्ति को समाज में सम्मान न मिले तो उसकी सारी सुविधाएँ उसे बेकार ही लगेगी।
यदि व्यक्ति का अपने मन में खुद के प्रति सम्मान न हो, तो वह किसी भी सुख का आनंद नहीं ले सकता। क्योंकि वह सदा अपने आपको हीन भावना से देखेगा।
सम्मान खोने पर बाकी चीजें फीकी लगती हैं।

 

Class 7 Hindi Girdhar Kavirai Ki Kundaliya– Extract Based Questions (गद्यांश पर आधारित प्रश्न)

 

1 –
बिना बिचारे जो करै, सो पाछे पछिताय।
काम बिगारै आपनो, जग में होत हंसाय॥
जग में होत हंसाय, चित्त में चैन न पावै।
खान पान सन्मान, राग रंग मनहिं न भावै॥
कह ‘गिरिधर कविराय, दु:ख कछु टरत न टारे।
खटकत है जिय मांहि, कियो जो बिना बिचारे॥

प्रश्न 1 – हमें बाद में क्यों पछताना पड़ता है?
(क) जब हम सोचे-समझे किसी काम को करते हैं
(ख) जब हम बिना सोचे-समझे किसी काम को करते हैं
(ग) जब हम किसी काम को समय से पहले करते हैं
(घ) जब हम किसी दूसरे से अपना काम करवाते हैं
उत्तर – (ख) जब हम बिना सोचे-समझे किसी काम को करते हैं

प्रश्न 2 – कोई भी व्यक्ति हँसी का पात्र कब बन जाता है?
(क) जब कोई व्यक्ति अपना काम समय से नहीं करता है
(ख) जब कोई व्यक्ति अपना काम दूसरों से करवाता है
(ग) जब कोई व्यक्ति अपने काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहता है
(घ) जब कोई व्यक्ति अपना काम बिना विचार किए करता है
उत्तर – (घ) जब कोई व्यक्ति अपना काम बिना विचार किए करता

प्रश्न 3 – बिना विचार किए कार्य करने वाले व्यक्ति की मानसिक स्थिति कैसी हो जाती है ?
(क) व्यक्ति चित्त अशांत रहता है
(ख) व्यक्ति को खान-पान, सम्मान अच्छा नहीं लगता
(ग) व्यक्ति को किसी भी प्रकार की खुशी अच्छी नहीं लगती
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – कुंडलिया में आए ‘सन्मान’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) सम्मान या आदर
(ख) सामना करना
(ग) अनादर
(घ) संत का मान
उत्तर – (क) सम्मान या आदर

प्रश्न 5 – काव्यांश में बिना बिचारे कार्य करने के परिणामों के बारे में गिरिधर कविराय क्या सिखाते हैं?
(क) बिना बिचारे कार्य करने से दुख, पछतावा और अशांति मिलती है
(ख) जीवन में शांति और सुख प्राप्त करने के लिए हमें अपने कार्यों में विवेक और सोच-विचार का प्रयोग करना चाहिए
(ग) हम अपनी गलतियों से सीख सकते हैं और अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

2 –
बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ।
जो बनि आवै सहज में, ताही में चित देइ॥
ताही में चित देइ, बात जोई बनि आवै।
दुर्जन हंसे न कोइ, चित्त मैं खता न पावै॥
कह ‘गिरिधर कविराय यहै करु मन परतीती।
आगे को सुख समुझि, होइ बीती सो बीती॥

प्रश्न 1 – हमें क्या भूलकर आगे बढ़ना चाहिए?
(क) जो भी बातें या घटनाएँ अभी घटित नहीं हुई हैं
(ख) जो भी व्यक्ति हमारे बारे में बुरा सोचता है
(ग) जो भी बातें या घटनाएँ घटित हो चुकी हैं या बीत चुकी हैं
(घ) जो भी बातें या घटनाएँ अभी घटित होने वाली है
उत्तर – (ग) जो भी बातें या घटनाएँ घटित हो चुकी हैं या बीत चुकी हैं

प्रश्न 2 – ‘जो बनि आवै सहज में ताही में चित देइ’ का क्या मतलब है?
(क) जो सहज रूप से आता है, उसे स्वीकार करना चाहिए।
(ख) जीवन में कोई भी चीज़ सटीक नहीं होती ।
(ग) सब कुछ उलझा हुआ होता है।
(घ) सहज चीज़ों को नजरअंदाज़ करना चाहिए ।
उत्तर – (क) जो सहज रूप से आता है, उसे स्वीकार करना चाहिए।

प्रश्न 3 – ‘बीती ताहि बिसारि दे’ में कौन-सा अलंकार है ?
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्तर – (क) अनुप्रास अलंकार

प्रश्न 4 – हमें किसमें मन लगाना चाहिए?
(क) जो कार्य कठिन तरीके से हो सकें
(ख) जो कार्य सहज और सरल तरीके से हो सकें
(ग) जो कार्य कोई और न कर सके
(घ) जो कार्य करना अत्यंत कठिन हो
उत्तर – (ख) जो कार्य सहज और सरल तरीके से हो सकें

प्रश्न 5 – उपरोक्त कुंडलिया में गिरिधर कविराय क्या कहना चाहते हैं?
(क) जो मन को सही लगे वही काम करो
(ख) आगे जो होने वाला है उसी में अपना सुख देखो
(ग) जो बात बीत चुकी है, उसे भूलकर आगे आने वाले सुख के बारे में सोचना चाहिए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

 

Class 7 Hindi Malhar Lesson 6 Girdhar Kavirai Ki Kundaliya Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)

 

प्रश्न 1 – कुंडलिया के कवि कौन हैं?
(क) गिरिधर राजपूत
(ख) गिरिराज कविराय
(ग) गिरिधर कविराय
(घ) गंगाधर कविराय
उत्तर – (ग) गिरिधर कविराय

प्रश्न 2 – गिरिधर कविराय हमें क्या सीख देना चाहते हैं?
(क) सभी काम सोच-विचार करने की
(ख) हमें बीती घटनाओं को भूलकर आगे बढ़ने की
(ग) जो बात बीत चुकी है, उसे भूलकर आगे आने वाले सुख के बारे में सोचने की
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3 – हमें बाद में क्यों पछताना पड़ता है?
(क) जब हम सोचे-समझे किसी काम को करते हैं
(ख) जब हम बिना सोचे-समझे किसी काम को करते हैं
(ग) जब हम किसी काम को समय से पहले करते हैं
(घ) जब हम किसी दूसरे से अपना काम करवाते हैं
उत्तर – (ख) जब हम बिना सोचे-समझे किसी काम को करते हैं

प्रश्न 4 – कोई भी व्यक्ति हँसी का पात्र कब बन जाता है?
(क) जब कोई व्यक्ति अपना काम समय से नहीं करता है
(ख) जब कोई व्यक्ति अपना काम दूसरों से करवाता है
(ग) जब कोई व्यक्ति अपने काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहता है
(घ) जब कोई व्यक्ति अपना काम बिना विचार किए करता है
उत्तर – (घ) जब कोई व्यक्ति अपना काम बिना विचार किए करता

प्रश्न 5 -हमें क्या भूलकर आगे बढ़ना चाहिए?
(क) जो भी बातें या घटनाएँ अभी घटित नहीं हुई हैं
(ख) जो भी व्यक्ति हमारे बारे में बुरा सोचता है
(ग) जो भी बातें या घटनाएँ घटित हो चुकी हैं या बीत चुकी हैं
(घ) जो भी बातें या घटनाएँ अभी घटित होने वाली है
उत्तर – (ग) जो भी बातें या घटनाएँ घटित हो चुकी हैं या बीत चुकी हैं

प्रश्न 6 – ‘बिना बिचारे जो करै, सो पाछे पछिताय’ अर्थ है?
(क) जो विचार बिना सोचे समझे आए वह बुरा है
(ख) जो बिना सोचे-समझे किसी काम को करते हैं, बाद में उन्हें पछताना पड़ता है
(ग) बाद में पछताना पड़ता है उस काम को त्याग दो
(घ) बिना विचार के कभी नहीं पछताना पड़ता
उत्तर – (ख) जो बिना सोचे-समझे किसी काम को करते हैं, बाद में उन्हें पछताना पड़ता है

प्रश्न 7 – ‘खटकत है जिय मांहि, कियो जो बिना बिचारे’ का क्या आशय है?
(क) बिना सोचे विचारे किए गए कार्य का खेद हमारे हृदय में खटकता रहता है
(ख) मन को खटकने वाली बात नहीं सोचनी चाहिए
(ग) मन में जो बात खटके उसे भूल जाना चाहिए
(घ) मन ही मन में किसी बात को नहीं रखना चाहिए वह खटकती है
उत्तर – (क) बिना सोचे विचारे किए गए कार्य का खेद हमारे हृदय में खटकता रहता है

प्रश्न 8 – ‘बिगारै’ का क्या अर्थ है?
(क) बिगाड़ना
(ख) सवारना
(ग) बात को बिगाड़ना
(घ) बिना द्वेष के
उत्तर – (क) बिगाड़ना

प्रश्न 9 – ‘राग’ का क्या अर्थ है?
(क) द्वेष
(ख) नफ़रत
(ग) गीत-संगीत
(घ) गाना
उत्तर – (ग) गीत-संगीत

प्रश्न 10 – ‘जिय’ का क्या अर्थ है?
(क) हृदय
(ख) जीना
(ग) जाना
(घ) जिगर
उत्तर – (क) हृदय

प्रश्न 11 – ‘जो बनि आवै सहज में, ताही में चित देइ’ का क्या आशय है?
(क) जो बात बन गई है उसी पर ध्यान दो
(ख) जो कार्य सहज और सरल तरीके से हो सकें, उसी में मन लगाना चाहिए
(ग) जो बात सहज है उसे छोड़ दो
(घ) जो बात सहजता से आए उसे याद रखो
उत्तर – (ख) जो कार्य सहज और सरल तरीके से हो सकें, उसी में मन लगाना चाहिए

प्रश्न 12 – ‘आगे को सुख समुझि, होइ बीती सो बीती’ का क्या आशय है?
(क) आगे के सुख को समझना चाहिए
(ख) जो बात बीत गई है उसे भूल जाओ
(ग) जो बात बीत चुकी है, उसे भूलकर आगे आने वाले सुख के बारे में सोचना चाहिए
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ग) जो बात बीत चुकी है, उसे भूलकर आगे आने वाले सुख के बारे में सोचना चाहिए

प्रश्न 13 – ‘बिसारि दे’ का क्या अर्थ है?
(क) दया दे
(ख) विनती कर
(ग) बता दे
(घ) भुला दे
उत्तर – (घ) भुला दे

प्रश्न 14 – ‘परतीती’ का क्या अर्थ है?
(क) पराया
(ख) पतझड़
(ग) दृढ़ विश्वास
(घ) दृढ़ता
उत्तर – (ग) दृढ़ विश्वास

प्रश्न 15 – ‘खता’ का क्या अर्थ है?
(क) पछतावा
(ख) हैरानी
(ग) नाराजगी
(घ) पत्र
उत्तर – (क) पछतावा

 

Girdhar Kavirai Ki Kundaliya Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)

 

प्रश्न 1 – बिना सोचे-समझे काम करने वालों के साथ क्या होता है?
उत्तर – जो बिना सोचे-समझे किसी काम को करते हैं, बाद में उन्हें पछताना पड़ता है। कहने का आशय यह है कि हमें सभी काम सोच-विचार करके ही करने चाहिए। जल्दबाज़ी में या बिना सोचे-समझे काम करने पर हम अपने ही काम बिगाड़ देते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप संसार में हमें हँसी का पात्र बनना पड़ता है।

प्रश्न 2 – दूसरों की हँसी का कारण बनने के क्या परिणाम होते हैं?
उत्तर – जब हम दूसरों की हँसी का कारण बनते हैं। तब हमारे मन को भी शांति नहीं मिलती और उसे किसी प्रकार के सुख की अनुभूति नहीं होती। खानपान, सम्मान, गीत-संगीत कोई भी चीज़ हमारे मन को नहीं भाती।

प्रश्न 3 – पहले कुंडलिया में गिरिधर कविराय जी क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर – पहले कुंडलिया में गिरिधर कविराय जी कहना चाहते हैं कि बिना विचार किया गया कार्य हमें हर समय ऐसा दुख देता है, जिसे टाला भी नहीं जा सकता। और बिना सोचे विचारे किए गए कार्य का खेद हमारे हृदय में खटकता रहता है। कहने का आशय यह है कि बिना सोचे विचारे किए गए कार्य का दुःख व्यक्ति के हृदय में पछतावा बनकर घर कर जाता है। उसकी पीड़ा से छुटकारा पाना मुश्किल होता है। अतः हमें कोई भी काम बहुत सोच-विचारकर ही करना चाहिए।

प्रश्न 4 – कवि क्या भुलाकर आगे बढ़ने को कहता है?
उत्तर – जो भी बातें या घटनाएँ घटित हो चुकी हैं या बीत चुकी हैं, उन्हें भूलकर हमें आगे बढ़ना चाहिए अर्थात हमें भूतकाल की सभी घटनाओं को भूल कर अपने वर्तमान को समझने की कोशिश करनी चाहिए और आगे आने वाले को सहजता से स्वीकार करना चाहिए।

प्रश्न 5 – दुष्ट व्यक्ति की हँसी का पात्र बनने से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर – जो कार्य सहज और सरल तरीके से हो सकें, उसी में मन लगाना चाहिए। ऐसा करने पर हम किसी दुष्ट व्यक्ति की हँसी का पात्र बनने से बच जाएंगे और हमारे मन में कोई पछतावा भी नहीं रहेगा।

प्रश्न 6 – दूसरे कुंडलिया में गिरिधर कविराय क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर – दूसरे कुंडलिया में गिरिधर कविराय जी कहना चाहते हैं कि जो मन को सही लगे वही काम करो और आगे जो होने वाला है उसी में अपना सुख देखो, जो पीछे चला गया है उसे बीत जाने दो। कहने का आशय यह है कि हमें जो बात बीत चुकी है, उसे भूलकर आगे आने वाले सुख के बारे में सोचना चाहिए।