CBSE Class 7 Hindi Chapter 5 Nahi Hona Bimar (नहीं होना बीमार) Question Answers (Important) from Malhar Book

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सीबीएसई कक्षा 7 हिंदी मल्हार के पाठ 5 नहीं होना बीमार प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 7 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे नहीं होना बीमार प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract-based questions, multiple choice questions, short answer and long answer questions.

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Nahi Hona Bimar Chapter 5 NCERT Solutions

 

पाठ से

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

Nahi Hona Bimar QNA img 1

(1) बच्चे के विद्यालय न जाने का मुख्य कारण क्या था?

  • उसका विद्यालय जाने का मन नहीं था।
  • उसका साबूदाने की खीर खाने का मन था।
  • उसने गृहकार्य नहीं किया था।
  • उसे बुखार हो गया था।

उत्तर- उसने गृहकार्य नहीं किया था। (★)

(2) कहानी के अंत में बच्चे ने कहा, “इसके बाद स्कूल से छुट्टी मारने के लिए मैंने बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाया।” बच्चे ने यह निर्णय लिया क्योंकि-

  • घर में रहने के बजाय विद्यालय जाना अधिक रोचक है।
  • बीमारी का बहाना बनाने से साबूदाने की खीर नहीं मिलती।
  • झूठ बोलने से झूठ के खुलने का डर हमेशा बना रहता है।
  • इस बहाने के कारण उसे दिनभर अकेले और भूखे रहना पड़ा।

उत्तर- इस बहाने के कारण उसे दिनभर अकेले और भूखे रहना पड़ा। (★)

Nahi Hona Bimar QNA img 2

(3) “लेटे-लेटे पीठ दुखने लगी” इस बात से बच्चे के बारे में क्या पता चलता है?

  • उसे बिस्तर पर लेटे रहने के कारण ऊब हो गई थी।
  • उसे अपनी बीमारी की कोई चिंता नहीं रह गई थी।
  • वह बिस्तर पर आराम करने का आनंद ले रहा था।
  • बीमारी के कारण उसकी पीठ में दर्द हो रहा था।

उत्तर- उसे बिस्तर पर लेटे रहने के कारण ऊब हो गई थी। (★)

(4) “क्या ठाठ हैं बीमारों के भी!” बच्चे के मन में यह बात आई क्योंकि-

  • बीमार व्यक्ति को बहुत आराम करने को मिलता है।
  • बीमार व्यक्ति को अच्छे खाने का आनंद मिलता है।
  • बीमार व्यक्ति को विद्यालय नहीं जाना पड़ता है।
  • बीमार व्यक्ति अस्पताल में शांति से लेटा रहता है।

उत्तर- बीमार व्यक्ति अस्पताल में शांति से लेटा रहता है। (★)

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?
उत्तर– मैंने जो उत्तर चुने हैं, वे मुझे कहानी की घटनाओं और भावनाओं के आधार पर सबसे उपयुक्त लगे। उदाहरण के लिए, बच्चे ने खुद कहा कि उसने होमवर्क नहीं किया था, इसलिए स्कूल नहीं गया। उसने बीमारी का बहाना बनाया जिससे उसे घर में अकेला और भूखा रहना पड़ा और बिस्तर पे लेटे-लेटे ऊब होने लगी। इसीलिए उसने फिर कभी बीमारी का बहाना न बनाने का निश्चय किया।

मिलकर करें मिलान

पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने परिजनों और शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

शब्द अर्थ
1. साबूदाना 1. किसी विशिष्ट कार्य के लिए घेरकर बनाया हुआ स्थान।
2. वार्ड 2. एक प्रकार का जाड़े का ओढ़ना जिसका कपड़ा दोहरा होता है और जिसमें रुई भरी होती है।
3. नर्स 3. शरीर का तापमान (जैसे बुखार) नापने का एक छोटा यंत्र।
4. रजाई 4. कई तरह की जड़ी-बूटियों और औषधियों को उबालकर उनके रस से बना पेय होता है। इसे सर्दी-जुकाम, खाँसी बुखार और पाचन से जुड़ी समस्याओं में लाभदायक माना जाता है।
5. थर्मामीटर 5. रेशमी, ऊनी, मलमल जैसे नाजुक कपड़ों को पानी, साबुन और डिटर्जेंट के बिना मशीनों से साफ करने वाला व्यक्ति।
6. काढ़ा 6. उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में स्थित 17वीं सदी में निर्मित एक विश्व-प्रसिद्ध स्मारक जो सफेद संगमरमर से बना है।
7. ड्राइक्लीनर 7. एक दाल जिसे तुअर भी कहते हैं।
8. ताजमहल 8. सागू नामक वृक्ष के तने का गूदा, सागूदाना, यह पहले आटे के रूप में होता है और फिर कूटकर दानों के रूप में सुखा लिया जाता है।
9. अरहर 9. वह व्यक्ति जो रोगियों, घायलों या वृद्धों आदि की देखभाल करे।

उत्तर-

शब्द अर्थ
1. साबूदाना 8. सागू नामक वृक्ष के तने का गूदा, सागूदाना, यह पहले आटे के रूप में होता है और फिर कूटकर दानों के रूप में सुखा लिया जाता है। 
2. वार्ड 1. किसी विशिष्ट कार्य के लिए घेरकर बनाया हुआ स्थान।
3. नर्स 9. वह व्यक्ति जो रोगियों, घायलों या वृद्धों आदि की देखभाल करे। 
4. रजाई 2. एक प्रकार का जाड़े का ओढ़ना जिसका कपड़ा दोहरा होता है और जिसमें रुई भरी होती है।
5. थर्मामीटर 3. शरीर का तापमान (जैसे बुखार) नापने का एक छोटा यंत्र।
6. काढ़ा 4. कई तरह की जड़ी-बूटियों और औषधियों को उबालकर उनके रस से बना पेय होता है। इसे सर्दी-जुकाम, खाँसी बुखार और पाचन से जुड़ी समस्याओं में लाभदायक माना जाता है।
7. ड्राइक्लीनर 5. रेशमी, ऊनी, मलमल जैसे नाजुक कपड़ों को पानी, साबुन और डिटर्जेंट के बिना मशीनों से साफ करने वाला व्यक्ति।
8. ताजमहल 6. उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में स्थित 17वीं सदी में निर्मित एक विश्व-प्रसिद्ध स्मारक जो सफेद संगमरमर से बना है।
9. अरहर 7. एक दाल जिसे तुअर भी कहते हैं।

 

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए-

(क) “मैंने सोचा बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिलकुल ठीक रहेगा। चलो बीमार पड़ जाते हैं।”
उत्तर- इस पंक्ति से यह स्पष्ट होता है कि बच्चा बीमारी को एक आसान उपाय मान रहा है जिससे वह स्कूल न जाए और सजा से बच जाए। वह बीमारी को एक बहाना बनाकर छुट्टी पाने का तरीका समझता है। यह उसकी मासूमियत और बचपने को बताता है, जहाँ वह बीमारी को गंभीर नहीं, बल्कि आराम और स्वादिष्ट खाने का जरिया मान बैठता है।

(ख) “देखो! उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता। कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता। लेकिन नहीं! भूखे रहो !! इससे सारे विकार निकल जाएँगे। विकार निकल जाएँ बस। चाहे इस चक्कर में तुम खुद शिकार हो जाओ।”
उत्तर- यह पंक्तियाँ बच्चे की झुंझलाहट, भूख और उपेक्षा की भावना को बताती है। उसे उम्मीद थी कि बीमार होने पर उसे विशेष देखभाल और स्वादिष्ट खाना मिलेगा, पर जब ऐसा नहीं हुआ तो उसे गुस्सा और दुःख हुआ। ‘ताजमहल’ की तुलना करके वह यह दिखाना चाहता है कि उसकी माँग कोई महँगी या असंभव नहीं थी। यह व्यंग्यात्मक और भोली-सी शिकायत है कि घर वाले बीमारी में भी उसे भूखा रख रहे हैं।

सोच-विचार के लिए

पाठ को एक बार फिर ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-Nahi Hona Bimar QNA img 3

(क) अस्पताल में बच्चे को कौन-कौन सी चीजें अच्छी लगीं और क्यों?
उत्तर- अस्पताल में बच्चे को कई चीजें अच्छी लगीं, जैसे – सफेद चादर वाले साफ-सुथरे बिस्तर, सफेद कपड़े पहने लोग, और मरीजों को मिलने वाला विशेष खाना, जैसे साबूदाने की खीर।
उसे यह सब अच्छा इसलिए लगा क्योंकि उसे लगा कि बीमार होना एक आरामदायक अनुभव है जहाँ स्कूल नहीं जाना पड़ता और स्वादिष्ट खाना भी मिलता है। यह उसका भ्रम था कि बीमार व्यक्ति को विशेष सुख-सुविधाएँ मिलती हैं।

(ख) कहानी के अंत में बच्चे को महसूस हुआ कि उसे स्कूल जाना चाहिए था। क्या आपको लगता है कि उसका निर्णय सही था? क्यों?
उत्तर– हाँ, बच्चे का निर्णय बिल्कुल सही था। उसे महसूस हुआ कि झूठ बोलकर बीमारी का बहाना बनाना न केवल गलत है, बल्कि इससे उसे दिनभर अकेलापन महसूस हुआ, भूखा रहना पड़ा और ऊबन हुई।
यह अनुभव उसे यह सिखाता है कि विद्यालय में रहना, दोस्तों और शिक्षकों के साथ समय बिताना कहीं बेहतर और सच्चा अनुभव है, बजाय झूठ के सहारे आराम की उम्मीद करना।

(ग) जब बच्चा बीमार पड़ने का बहाना बनाकर बिस्तर पर लेटा रहा तो उसके मन में कौन-कौन से भाव आ रहे थे?
(संकेत- मन में उत्पन्न होने वाले विकार या विचार को भाव कहते हैं, उदाहरण के लिए – क्रोध, दुख, भय, करुणा, प्रेम आदि।)
उत्तर– बिस्तर पर लेटे-लेटे बच्चे के मन में कई भाव आ रहे थे –
1. क्रोध- जब किसी ने उससे खाना नहीं पूछा, तो उसे गुस्सा आया।
2. दुख- उसे दुख हुआ कि वह भूखा रह गया और किसी ने उसकी परवाह नहीं की।
3. पछतावा- उसने झूठ बोलकर जो किया, उसका उसे पछतावा हुआ।
4. ईर्ष्या- घर के सदस्य अच्छा-अच्छा खाना खा रहे थे, उसे जलन होने लगी।
5. उलझन- उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसने जो सोचा था, वह क्यों नहीं हुआ।

Nahi Hona Bimar QNA img 4

(घ) कहानी में बच्चे ने सोचा था कि “ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटे रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो।” आपको क्या लगता है, असल में बीमार हो जाने और इस बच्चे की सोच में कौन-कौन सी समानताएँ और अंतर होंगे?
उत्तर-
समानताएँ-
बीमार व्यक्ति को आराम करने को मिलता है।
उसपे विशेष ध्यान दिया जाता है।
अंतर-
कल्पना में- बच्चा सोचता था कि बीमारी आराम और स्वादिष्ट खाने का समय है।
वास्तव में- बीमारी में शरीर दुखता है, भूख नहीं लगती, और कई बार खाना नहीं मिलता।
बीमारी असहज, अकेलापन भरी और थकाने वाली होती है, जबकि बच्चे की सोच में वह मज़ेदार लग रही थी।
(संकेत – आप अपने अनुभवों के आधार पर इस प्रश्न पर विचार कर सकते हैं कि कहानी वाले बच्चे की कल्पना वास्तविकता से कितनी अलग है।)

(ङ) नानीजी और नानाजी ने बच्चे को बीमारी की दवा दी और उसे आराम करने को कहा। बच्चे को खाना नहीं दिया गया। क्या आपको लगता है कि उन्होंने सही किया? आपको ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर- हाँ, उन्होंने सही किया, क्योंकि उन्होंने बच्चे की बातों पर भरोसा कर उसे बीमार समझा और दवा दी। बीमारी में हल्का भोजन या उपवास करना कई बार आवश्यक होता है। उन्होंने इसलिए खाना नहीं दिया कि वह जल्दी ठीक हो जाए। इससे बच्चे को भी यह सीख मिली कि झूठ बोलने से परेशानी होती है और आगे से उसे सच बोलना चाहिए।

अनुमान और कल्पना से

(क) कहानी के अंत में बच्चा नानाजी और नानीजी को सब कुछ सच सच बताने का निर्णय कर लेता तो कहानी में आगे क्या होता?
(संकेत – उसका दिन कैसे बदल जाता? उसकी सोच और अनुभव कैसे होते?)
उत्तर– यदि कहानी के अंत में बच्चा नानाजी और नानीजी को सब कुछ सच-सच बताने का निर्णय कर लेता, तो आगे यह हो सकता था –
1. बच्चा जब नानाजी और नानीजी के सामने सच स्वीकार कर लेता कि उसने बीमारी का बहाना बनाया था, तो शुरुआत में वे उसे डाँट सकते थे या थोड़ा नाराज़ हो सकते थे। लेकिन उसके साहस और ईमानदारी को देखकर वे उसकी सराहना भी कर सकते थे।
2. नानाजी उसे समझाते कि झूठ बोलने से जीवन में परेशानियाँ बढ़ती हैं और हमेशा सच बोलना ही अच्छा होता है। नानीजी उसे कुछ हल्का-फुल्का खाने को दे देतीं ताकि वह भूखा न रहे।
3. इसके बाद बच्चा खुद को हल्का और सच्चा महसूस करता। वह यह अनुभव करता कि झूठ बोलने से कहीं बेहतर है कि हम अपनी गलती को स्वीकार करें और आगे से सुधार करें। वह निश्चय करता कि अब वह कभी भी बहाने नहीं बनाएगा और ईमानदारी से स्कूल जाया करेगा।
4. इस प्रकार उसका दिन अच्छा बीतता, उसे खाना मिलता, मन की बेचैनी दूर होती और वह एक मूल्यवान जीवन-शिक्षा सीखता।

Nahi Hona Bimar QNA img
(ख) कहानी में बच्चे की नानीजी के स्थान पर आप हैं। आप सारे नाटक को समझ गए हैं लेकिन चाहते हैं कि बच्चा सारी बात आपको स्वयं बता दे। अब आप क्या करेंगे?
(संकेत – इस सवाल में आपको नानीजी की जगह लेकर सोचना है और एक मनोरंजक योजना बनानी है जिससे बच्चा आपको स्वयं सारी बातें बता दे ।)
उत्तर- यदि मैं नानीजी की जगह होती और मुझे बच्चे का सारा नाटक समझ में आ गया होता, लेकिन मैं चाहती कि बच्चा खुद सारी बात मुझसे बता दे, तो मैं एक मनोरंजक योजना बनाती।

मेरी योजना कुछ ऐसी होती –

1. मैं जानबूझकर बच्चे से बहुत ज़्यादा सहानुभूति जताती। उससे कहती, “तू बहुत बीमार लग रहा है बेटा, लगता है अब तुझे अस्पताल ले जाना पड़ेगा, वहाँ इंजेक्शन लगेंगे और दवाई भी दी जाएगी।”
2. फिर मैं कुछ कड़वी दवाइयाँ निकालकर दिखाती और कहती, “अब तो इन्हें पीना ही पड़ेगा वरना तबीयत और बिगड़ जाएगी। और हाँ, खाना मत माँगना, बीमारों को उपवास करना चाहिए – इससे सारे विकार निकल जाते हैं।”
3. इसके बाद मैं टीवी या खेल की कोई दिलचस्प चीज़ सामने रख देती लेकिन उसे कहती कि “बीमार लोग तो टीवी नहीं देखते, आँखों पर असर होता है।”
4. जब बच्चा इन सब बातों से तंग आकर खुद से कहता कि “मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ, मुझे स्कूल जाना है,” तब मैं मुस्कराकर कहती, “बस बेटा, मुझे भी यही लग रहा था – पर मैं चाहती थी कि तू खुद मुझसे कहे। अब चलो, चलकर गर्मागर्म खीर खा लो, और फिर कल से ईमानदारी से स्कूल जाना।”
5. इस तरह प्यार, थोड़ी चतुराई और हास्य के साथ मैं बच्चे को खुद सच बोलने के लिए प्रेरित करती, और उसे एक महत्वपूर्ण सीख भी दे देती।

(ग) कहानी में बच्चे के स्थान पर आप हैं और घर में अकेले हैं। अब आप ऊबने से बचने के लिए क्या-क्या करेंगे?
उत्तर- यदि कहानी में बच्चे की जगह मैं होता और घर में अकेले रहता, तो ऊबने से बचने के लिए मैं निम्नलिखित काम करता–
1. कहानियाँ पढ़ता– घर में रखी किताबों में से कोई मज़ेदार कहानी की किताब पढ़ता या अपनी एक छोटी कहानी लिखने की कोशिश करता।
2. ड्राइंग और रंग भरना- मैं कागज़ और रंग लेकर कुछ चित्र बनाता। जैसे- पेड़, घर, जानवर आदि। इससे मेरा ध्यान बँटा रहता और मन लगा रहता।
3. खिड़की से बाहर की दुनिया देखना- खिड़की या बालकनी से बाहर झाँककर पक्षियों को देखता, लोगों की आवाजाही पर ध्यान देता और कल्पनाएँ करता कि वे कहाँ जा रहे होंगे।
4. खिलौनों से खेलना या घर के सामान से गेम बनाना– अगर मेरे पास खिलौने होते, तो उनसे खेलता, नहीं तो घर की चीजों से कोई खेल बना लेता।
5. यादों में खो जाना- मैं सोचता कि स्कूल में दोस्तों के साथ क्या मज़ेदार बातें होती थीं या पहले की छुट्टियों में क्या-क्या खेला गया था।
6. गाने गुनगुनाना या कोई कविता याद करना- अकेले समय में मैं कोई फिल्मी गाना गुनगुनाता या अपनी कोई पसंदीदा कविता दोहराता।

(घ) कहानी के अंत में बच्चे को लगा कि उसे स्कूल जाना चाहिए था। कल्पना कीजिए, अगर वह स्कूल जाता तो उसका दिन कैसा होता? अगले दिन जब वह स्कूल गया होगा तो उसने क्या-क्या किया होगा?
उत्तर– यदि बच्चा उस दिन स्कूल चला जाता, तो उसका दिन कुछ इस प्रकार होता—
स्कूल का दिन कैसा होता-
1. सुबह वह समय पर उठकर तैयार होता और स्कूल की यूनिफार्म पहनता।
2. नानीजी प्यार से उसे नाश्ता करातीं, जिससे वह खुश होकर स्कूल जाता।
3. स्कूल पहुँचकर वह अपने दोस्तों से मिलता और उनके साथ बातें करता।
4. कक्षा में वह पढ़ाई में ध्यान देता और अध्यापक की बातें ध्यान से सुनता।
5. खेल के समय वह मैदान में दौड़ता, खेलता और हँसी-मज़ाक करता।
6. रेसेस में खाना खाता।

अगले दिन जब वह स्कूल गया होगा, तो—
1. वह अपने दोस्तों को बताता कि कैसे उसने बीमारी का बहाना बनाया था।
2. वह शिक्षक से माफ़ी माँगता कि बिना बताए छुट्टी ली।
3. वह ध्यान से गृहकार्य पूरा करता और तय करता कि आगे से कभी बहाना नहीं बनाएगा।
4. हो सकता है वह अपनी डायरी में भी यह अनुभव लिखता, ताकि दोबारा वही गलती न दोहराए।
5. इस प्रकार, अगर वह स्कूल जाता, तो उसका दिन मज़ेदार, सीखने से भरा और संतोषजनक होता — न कि अकेलेपन, भूख और पछतावे से भरा हुआ।

(ङ) कहानी में नानाजी और नानीजी ने बच्चे की बीमारी ठीक करने के लिए उसे दवाई दी और खाने के लिए कुछ नहीं दिया। अगर आप नानीजी या नानाजी की जगह होते तो क्या-क्या करते?
उत्तर-
1. सबसे पहले बच्चे की तबीयत की सही जानकारी लेता– मैं उसके माथे पर हाथ रखकर देखता कि सच में बुखार है या नहीं। अगर शक होता कि वह बहाना बना रहा है, तो भी सीधे कुछ नहीं कहता, बल्कि उसकी बातों और व्यवहार को ध्यान से देखता।
2. बच्चे से आराम से बात करता– मैं बच्चे से प्यार से पूछता कि उसे क्या तकलीफ़ है। अगर वह टालमटोल करता, तो मैं धैर्यपूर्वक उसे बोलने देता, जिससे वह खुद अपनी बात कहे।
3. खाना पूरी तरह न रोककर हल्का भोजन देता– भूखा रखना ठीक नहीं होता, इसलिए मैं उसे हल्की खिचड़ी, सूप या फल देता। इससे उसे लगे कि बीमारी में भी घरवालों का प्यार मिलता है, लेकिन झूठ बोलने पर मज़ा नहीं आता।
4. समझदारी से सीख देता– मैं बाद में उसे प्यार से समझाता कि बीमारी का बहाना बनाना गलत है और ऐसा करने से खुद को ही परेशानी होती है।
5. अगले दिन उसकी तारीफ़ करता अगर वह सच्चाई बताता- अगर बच्चा सच्चाई स्वीकार करता, तो मैं उसकी हिम्मत की तारीफ़ करता और उसे प्रेरित करता कि वह आगे से ईमानदार बना रहे।
इस तरह मैं एक सख्त लेकिन समझदार नाना बनकर बच्चे को सीख देता, ताकि वह आगे से न तो झूठ बोले और न ही घर में रहकर ऊबे।

कहानी की रचना

“अस्पताल का माहौल मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे। न ट्रैफिक का शोरगुल, न धूल, न मच्छर-मक्खी…। सिर्फ लोगों के धीरे-धीरे बातचीत करने की धीमी-धीमी गुनगुन । बाकी एकदम शांति।”

इन पंक्तियों पर ध्यान दीजिए। इन पंक्तियों में ऐसा लग रहा है मानो हमारी आँखों के सामने अस्पताल का चित्र-सा बन गया हो । लेखन में इसे ‘चित्रात्मक भाषा’ कहते हैं। अनेक लेखक अपनी रचना को रोचक और सरस बनाने के लिए उपयुक्त स्थानों पर अनेक वस्तुओं, कार्यों, स्थानों आदि का विस्तार से वर्णन करते हैं।

लेखक ने इस कहानी को सरस और रोचक बनाने के लिए और भी अनेक तरीकों का उपयोग किया है। उदाहरण के लिए, उन्होंने कहानी में ‘बच्चे द्वारा कल्पना करने’ का भी प्रयोग किया है (जब बच्चा अकेले लेटे-लेटे घर और बाहर के लोगों के बारे में सोच रहा है)। इस कहानी में ऐसी कई विशेषताएँ छिपी हैं।

(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने समूह में मिलकर इस पाठ की अन्य विशेषताओं की सूची बनाइए । अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर- कहानी ‘नहीं होना बीमार’ की अन्य विशेषताएँ —
हमने इस कहानी को ध्यान से पढ़कर नीचे दी गई विशेषताओं की सूची बनाई है, जो इसे रोचक, जीवंत और पाठकों के लिए आकर्षक बनाती हैं-
1. चित्रात्मक भाषा- कहानी में अस्पताल और घर के दृश्य इतने सुंदर ढंग से वर्णित हैं कि पाठकों को लगता है जैसे वे खुद वहाँ मौजूद हों। उदाहरण- “बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे…”
2. बाल मनोविज्ञान का सुंदर चित्रण- बच्चे के मन में चलने वाले विचार, उसकी भावनाएँ, कल्पनाएँ और झूठ बोलने के बाद की चिंता बहुत स्वाभाविक रूप से दिखाई गई हैं।
उदाहरण- “क्या ठाठ हैं बीमारों के भी!”,
“कोई ताजमहल तो नहीं माँग लिया था…”
3. हास्य और व्यंग्य का प्रयोग- बच्चे की कल्पनाओं और उसके झूठ की पोल खुलने की स्थिति में हास्य पैदा होता है, जो पाठ को हल्का और आनंददायक बनाता है।
4. संवाद शैली– कहानी में नानी, नाना और बच्चे के बीच संवादों का प्रयोग हुआ है, जिससे कहानी जीवंत हो उठती है।
5. कल्पना और यथार्थ का मेल– बच्चा अपनी कल्पनाओं में आराम, खीर और ठाठ देखता है, लेकिन यथार्थ में उसे भूखा रहना पड़ता है। इस अंतर को प्रभावशाली ढंग से दिखाया गया है।
6. सीख देने वाली कहानी-यह कहानी मनोरंजक होते हुए भी यह सिखाती है कि झूठ बोलना, बहाने बनाना और जिम्मेदारी से बचना ठीक नहीं है। अंत में बच्चा यह सीखता है।

(ख) कहानी में से निम्नलिखित के लिए उदाहरण खोजकर लिखिए-

विशेष बिंदु कहानी में से उदाहरण
बच्चे द्वारा पिछली बातों को याद किया जाना
हास्य यानी हँसी-मजाक का उपयोग किया जाना
बच्चे द्वारा सोचने के तरीके में बदलाव आना
कहानी में किसी का किसी बात से अनजान होना
बच्चे द्वारा स्वयं से बातें किया जाना

उत्तर-

विशेष बिंदु कहानी में से उदाहरण
बच्चे द्वारा पिछली बातों को याद किया जाना कितना मजा आता जब रिसेस में ठेले पर जाकर नमक- मिर्च लगे अमरूद खाते कटर-कटर। 
हास्य यानी हँसी-मजाक का उपयोग किया जाना कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता। लेकिन नहीं। भूखे रहो !! इससे सारे विकार निकल जाएँगे। विकार निकल जाएँ बस। 
बच्चे द्वारा सोचने के तरीके में बदलाव आना इसके बाद स्कूल से छुट्टी मारने के लिए मैंने बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाया।
कहानी में किसी का किसी बात से अनजान होना मन्नू एक बार भी मुझे देखने नहीं आया। आया भी होगा तो दबे पाँव आया होगा और मुझे सोता जान लौट गया होगा।
बच्चे द्वारा स्वयं से बातें किया जाना देखो! उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता। 

 

समस्या और समाधान

कहानी को एक बार पुनः पढ़कर पता लगाइए-

(क) बच्चे के सामने क्या समस्या थी? उसने उस समस्या का क्या समाधान निकाला?
उत्तर– बच्चे ने स्कूल का गृहकार्य नहीं किया था और उसे डर था कि अगर वह स्कूल गया तो उसे डाँट पड़ेगी या सज़ा मिलेगी।
इसलिए उसने बीमारी का झूठा बहाना बनाया ताकि स्कूल न जाना पड़े। उसने बुखार का नाटक किया और बिस्तर पर लेट गया, यह सोचकर कि उसे आराम मिलेगा, साबूदाने की खीर खाने को मिलेगी और सब उसकी सेवा करेंगे।

(ख) नानीजी-नानाजी के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने उस समस्या का क्या समाधान निकाला ?
उत्तर– उन्हें बच्चे की बीमारी पर विश्वास तो हुआ, पर उनके अनुभव और समझ ने उन्हें संदेह भी दिलाया कि शायद बच्चा बीमारी का नाटक कर रहा है।
उन्होंने बच्चे को कोई विशेष खाना नहीं दिया, बल्कि केवल दवा दी और आराम करने को कहा। उन्होंने बच्चे से सीधे कुछ नहीं पूछा, बल्कि उसे अकेला छोड़ दिया ताकि वह स्वयं अपनी गलती समझे और अनुभव से सीख ले।
उनके इस सटीक और चुपचाप व्यवहार ने बच्चे को सोचने का मौका दिया और अंत में वह खुद समझ गया कि स्कूल जाना ज्यादा अच्छा था।

शब्द से जुड़े शब्द

नीचे दिए गए स्थानों में ‘बीमार’ से जुड़े शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए—

Nahi Hona Bimar QNA img 5

उत्तर-

Nahi Hona Bimar QNA img 6

 

खोजबीन

कहानी में से वे वाक्य ढूँढकर लिखिए जिनसे पता चलता है कि-Nahi Hona Bimar QNA img 7

(क) कहानी में सर्दी के मौसम की घटनाएँ बताई गई हैं।
उत्तर-
1. उसे दाल-चावल में मसलकर खा रहे हैं। जब रहा नहीं गया तो मैं रजाई फेंककर खड़ा हो गया।
2. सब पर एक जैसी सफेद चादर और लाल कंबल।
3. मैंने सोचा बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिलकुल ठीक रहेगा। चलो बीमार पड़ जाते हैं। मैं रजाई से निकला ही नहीं।
4. मैं रजाई में पड़ा पड़ा घर में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगाता रहा।

(ख) बच्चे को बहाना बनाने के परिणाम का आभास हो गया।
उत्तर-
1. इसके बाद स्कूल से छुट्टी मारने के लिए मैंने बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाया।
2. हे भगवान! यह तो अच्छी खासी बोरियत हो गई। पूरा दिन कोई कैसे लेटा रहे? और शाम को…। क्या शाम को भी नानाजी बाहर जाने देंगे? सारे बच्चे हल्ला मचाते हुए आँगन में खेल रहे होंगे और मैं बिस्तर में पड़ा झख मार रहा होऊँगा। अक्लमन्द ! और बनो बीमार।

(ग) बच्चे को खाना-पीना बहुत प्रिय है।
उत्तर-
1. देखो! उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता। कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता।
2. क्या ठाठ हैं बीमारों के भी। मैंने सोचा …. ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर पड़े रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो!
3. जरा आँख लगती तो खाने ही खाने की चीजें दिखाई पड़तीं। गरमागरम खस्ता कचौड़ी…. मावे की बर्फी…. बेसन की चिक्की…. । गोलगप्पे और सबसे ऊपर साबूदाने की खीर! पता नहीं क्यों साबूदाने की खीर सिर्फ उपवास और बीमारी में ही बनाई जाती है। जैसे गुझिया सिर्फ होली-दिवाली और पंजीरी सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही बनाई जाती है। क्यों? क्या ये चीजें जब इच्छा हो तब नहीं बनाई जा सकतीं। कोई मना करता है?
4. … आज क्या खाना बना होगा? खुशबू तो दाल-चावल की आ रही है। अरहर की दाल में हींग -जीरे का बघार और ऊपर से बारीक कटा हरा धनिया और आधा चम्मच देसी घी। फिर उसमें उन्होंने नीबू निचोड़ा होगा। थोड़ा-सा इस बीमार को भी दे दे कोई।

(घ) बच्चे को स्कूल जाना अच्छा लगता है।
उत्तर
1. इससे तो स्कूल चला जाता तो ही ठीक रहता। सजा मिलती तो मिल जाती। कितना मजा आता जब रिसेस में ठेले पर जाकर नमक मिर्च लगे अमरूद खाते कटर-कटर ।
2. और आज दिया गया होमवर्क ! किससे कॉपी माँगोगे? मैं रुआँसा हो गया।

शीर्षक

(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम ‘नहीं होना बीमार’ है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि इस कहानी का यह नाम उपयुक्त है या नहीं। अपने उत्तर के कारण भी बताइए।
उत्तर-
हां, ‘नहीं होना बीमार’ इस कहानी के लिए एक बहुत ही उपयुक्त शीर्षक है।
कारण-
1. यह कहानी एक ऐसे बच्चे की है जिसने स्कूल से छुट्टी पाने के लिए बीमारी का बहाना बनाया।
2. लेकिन जब वह घर में अकेला, भूखा और ऊबा हुआ रहा, तब उसे समझ आया कि बीमार होना कोई सुख की बात नहीं है।
3. अंत में वह खुद ही निर्णय लेता है कि अब बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाएगा, क्योंकि बीमारी में ठाठ नहीं बल्कि तकलीफ होती है।
4. कहानी की अंत पंक्ति “इसके बाद स्कूल से छुट्टी मारने के लिए मैंने बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाया।” – दर्शाती है कि वह अब बीमार होने का बहाना नहीं बनाएगा ।
इसलिए यह शीर्षक न केवल कहानी के मुख्य अनुभव को दर्शाता है, बल्कि इसका नैतिक संदेश भी स्पष्ट करता है।

(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए।
उत्तर- ‘सच का सबक’
यह शीर्षक उस सबक को दर्शाता है जो बच्चे ने झूठ बोलने और उसका परिणाम भोगने के बाद सीखा।

चेहरों पर मुस्कान, मुँह में पानी

(क) इस कहानी में अनेक रोचक घटनाएँ हैं जिन्हें पढ़कर चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। इस कहानी में किन बातों को पढ़कर आपके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी? उन्हें रेखांकित कीजिए।
उत्तर-
“मैंने सोचा बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिलकुल ठीक रहेगा। चलो बीमार पड़ जाते हैं।”
“क्या ठाठ हैं बीमारों के भी!”
“उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता। कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता।”

(ख) इस कहानी में किन वाक्यों को पढ़कर आपके मुँह में पानी आ गया था? उन्हें रेखांकित कीजिए।
(इन्हें रेखांकित करने के लिए आप किसी अन्य रंग का उपयोग कर सकते हैं।)
उत्तर-
1. क्या ठाठ हैं बीमारों के भी। मैंने सोचा …. ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर पड़े रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो!
2. जरा आँख लगती तो खाने ही खाने की चीजें दिखाई पड़तीं। गरमागरम खस्ता कचौड़ी…. मावे की बर्फी…. बेसन की चिक्की…. । गोलगप्पे और सबसे ऊपर साबूदाने की खीर! पता नहीं क्यों साबूदाने की खीर सिर्फ उपवास और बीमारी में ही बनाई जाती है। जैसे गुझिया सिर्फ होली-दिवाली और पंजीरी सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही बनाई जाती है। क्यों? क्या ये चीजें जब इच्छा हो तब नहीं बनाई जा सकतीं। कोई मना करता है?
3. … आज क्या खाना बना होगा? खुशबू तो दाल-चावल की आ रही है। अरहर की दाल में हींग -जीरे का बघार

 

लेखन के अनोखे तरीके

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मैं बिना आवाज किए दरवाजे तक गया और ऐसे झाँककर देखने लगा जिससे किसी को पता न चले कि मैं बिस्तर से उठ गया हूँ।

इस बात को कहानी में इस प्रकार विशेष रूप से लिखा गया है—

“दबे पाँव दरवाजे तक गया और चुपके से झाँककर देखा।”

इस कहानी में अनेक स्थानों पर वाक्यों को विशेष ढंग से लिखा गया है। साधारण बातों को कुछ अलग तरह से लिखने से लेखन की सुंदरता बढ़ सकती है।

नीचे कुछ वाक्य दिए गए हैं। कहानी में ढूँढ़िए कि इन बातों को कैसे लिखा गया है—
1. ऐसा लगा मानो हमें देखकर सुधाकर काका खुश हो गए।
2. खिड़कियाँ बहुत बड़ी थीं और उनके बाहर हरे पेड़ हवा से हिल रहे थे।
3. वहाँ केवल लोगों के फुसफुसाने की आवाजें आ रही थीं।
4. फुसफुसाने की आवाजों के सिवा वहाँ कोई आवाज नहीं थी।
5. बीमार लोगों के बहुत मजे होते हैं।
6. मैं झूठमूठ बीमार पड़ जाता हूँ।
उत्तर-
1. ऐसा लगा मानो हमें देखकर सुधाकर काका खुश हो गए।- हमें देखकर सुधाकर काका जैसे खुश हो गए।
2. खिड़कियाँ बहुत बड़ी थीं और उनके बाहर हरे पेड़ हवा से हिल रहे थे। – बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे।
3. वहाँ केवल लोगों के फुसफुसाने की आवाजें आ रही थीं। – सिर्फ लोगों के धीरे-धीरे बातचीत करने की धीमी-धीमी गुनगुन।
4. फुसफुसाने की आवाजों के सिवा वहाँ कोई आवाज नहीं थी। – बाकी एकदम शांति।
5. बीमार लोगों के बहुत मजे होते हैं। – क्या ठाठ हैं बीमारों के भी।
6. मैं झूठमूठ बीमार पड़ जाता हूँ। – मैंने सोचा बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिलकुल ठीक रहेगा। चलो बीमार पड़ जाते हैं।

विराम चिह्न

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“देखें!” नानाजी ने रजाई हटाकर मेरा माथा छुआ। पेट देखा और नब्ज देखने लगे।
इस बीच नानीजी भी आ गई। “क्या हुआ?”, नानीजी ने पूछा।
पिछले पृष्ठ पर दिए गए वाक्यों को ध्यान से देखिए । इन वाक्यों में आपको कुछ शब्दों से पहले या बाद में कुछ चिह्न दिखाई दे रहे हैं। इन्हें विराम चिह्न कहते हैं।
अपने समूह के साथ मिलकर नीचे दिए गए विराम चिह्न को कहानी में ढूँढिए। ध्यानपूर्वक देखकर समझिए कि इनका प्रयोग वाक्यों में कहाँ-कहाँ किया जाता है। आपने जो पता किया, उसे नीचे लिखिए-

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आवश्यकता हो तो इस प्रश्न का उतर पता करने के लिए आप अपने परिजनों, शिक्षकों, पुस्तकालय या इंटरनेट का सहायता ले सकते हैं।
उत्तर-
पूर्ण विराम (।)
प्रयोग- वाक्य के अंत में पूर्ण विराम आता है। यह बताता है कि एक वाक्य समाप्त हो गया है।
उदाहरण-
शायद सब लोग खाना खाने बैठ रहे हैं।
नानाजी ने रजाई हटाकर मेरा माथा छुआ।

अल्पविराम (,)
प्रयोग- एक ही वाक्य में जब एक से अधिक विचार या बातें हों, तो उनके बीच अल्पविराम आता है।
उदाहरण-
न ट्रैफिक का शोरगुल, न धूल, न मच्छर-मक्खी…।
कुछ देर इधर-उधर की, स्कूल की, दोस्तों की बातें सोचता रहा…।

प्रश्नवाचक चिह्न (?)
प्रयोग- जब वाक्य किसी प्रश्न के रूप में होता है, तब प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग होता है।
उदाहरण-
क्या हुआ?
अब कैसा है सिरदर्द?

विस्मयादिबोधक चिह्न (!)
प्रयोग- जब वाक्य में आश्चर्य, खुशी, दुख या अन्य भावनाएँ प्रकट होती हैं, तब इसका प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण-
“देखें!”
साबूदाने की खीर खाते रहो! काश! सुधाकर काका की जगह मैं होता!
“भूखे रहो !!”
क्या मुसीबत है! पड़े रहो!

उद्धरण चिह्न (“ ”)
प्रयोग- जब किसी के शब्दों को ज्यों का त्यों लिखा जाता है, तब उन्हें उद्धरण चिह्न (“”) में रखा जाता है।
उदाहरण-
“क्या हुआ?”, नानीजी ने पूछा।
नानीजी उठाने आईं तो मैंने कहा, “मैं आज बीमार हूँ।”
तभी नानाजी आए। “क्या हो गया? क्या हो गया?”

पाठ से आगे

आपकी बात

(क) बच्चे ने अस्पताल के वातावरण का विस्तार से सुंदर वर्णन किया है। इसी प्रकार आप अपनी कक्षा का वर्णन कीजिए।
उत्तर– मेरी कक्षा बहुत साफ-सुथरी और हवादार है। कमरे में चार बड़ी खिड़कियाँ हैं, जिनसे ताज़ी हवा और रोशनी आती है। दीवारों पर रंग-बिरंगे चार्ट और बच्चों की बनाई चित्रकारी लगी है। आगे एक हरा बोर्ड है, जिस पर शिक्षक चाक से लिखते हैं। मेरी कक्षा में पढ़ाई के साथ-साथ हँसी-मज़ाक और मित्रता का माहौल रहता है। सब मिल-जुलकर सीखते हैं।

(ख) कहानी में बच्चे को घर में अकेले दिन भर लेटे रहना पड़ा था। क्या आप कभी कहीं अकेले रहे हैं? उस समय आपको कैसा लग रहा था? आपने क्या-क्या किया था?
उत्तर- हाँ, एक दिन मैं बीमार होने की वजह से स्कूल नहीं गया था और घर पर अकेला था।पहले तो मैं बिस्तर पर लेटा रहा और सोता रहा। फिर मैंने कुछ चित्र बनाए। खिड़की से बाहर देखा तो बच्चे खेल रहे थे, उन्हें देखकर मुझे स्कूल और अपने दोस्तों की बहुत याद आई। मैंने अपनी पसंदीदा किताब भी थोड़ी देर पढ़ी। इस तरह धीरे-धीरे समय कटता गया और मुझे थोड़ा अच्छा लगने लगा।

(ग) कहानी में आम खाने वाले मुन्नू को देखकर बच्चे को ईर्ष्या हुई थी। क्या आपको कभी किसी से या किसी को आपसे ईर्ष्या हुई है? आपने तब क्या किया था ताकि यह भावना दूर हो जाए?
उत्तर- एक बार मेरी सहेली को पुरस्कार मिला तो मुझे थोड़ी ईर्ष्या हुई क्योंकि मैंने भी मेहनत की थी। लेकिन फिर मैंने सोचा कि उसने सचमुच अच्छा काम किया है और मैंने उसे बधाई दी। इसके बाद मैं और मेहनत करने लगी ताकि अगली बार मैं भी पुरस्कार जीत सकूँ। इस तरह मेरी ईर्ष्या प्रेरणा में बदल गई।

(घ) कहानी में नानाजी नानीजी बच्चे का पूरा ध्यान रखने का प्रयास करते हैं। आपके घर और विद्यालय में आपका ध्यान कौन-कौन रखते हैं? कैसे?
उत्तर– घर में मेरी माँ और पापा मेरा ध्यान रखते हैं—वो समय पर खाना, कपड़े और पढ़ाई का ध्यान रखते हैं। अगर मैं बीमार पड़ जाऊँ तो वे मेरी बहुत सेवा करते हैं। स्कूल में मेरी कक्षा अध्यापक और शिक्षकगण मेरे पढ़ाई, अनुशासन और भावनात्मक स्थिति का ध्यान रखते हैं। यदि कोई परेशानी होती है तो वे बात करके हल निकालते हैं।

(ङ) आप अपने परिजनों और मित्रों का ध्यान कैसे रखते हैं? क्या-क्या करते हैं या क्या-क्या नहीं करते हैं ताकि उन्हें कम-से-कम परेशानी हो ?
उत्तर- मैं घर में अपने माता-पिता की बात मानता हूँ, समय पर काम करता हूँ, और बिना कहे मदद करने की कोशिश करता हूँ। मित्रों का ध्यान रखने के लिए मैं उन्हें सुनता हूँ, उनकी मदद करता हूँ और झगड़ा नहीं करता। मैं कोशिश करता हूँ कि किसी को मेरी वजह से दुख या परेशानी न हो।

बहाने

(क) कहानी में बच्चे ने बीमारी का बहाना बनाया ताकि उसे स्कूल न जाना पड़े। क्या आपने कभी किसी कारण से बहाना बनाया है? यदि हाँ, तो उसके बारे में बताइए। उस समय आपके मन में कौन-कौन से भाव आ-जा रहे थे? आप कैसा अनुभव कर रहे थे?Nahi Hona Bimar QNA img 11
उत्तर- हाँ, एक बार मैंने होमवर्क पूरा नहीं किया था और डर के कारण मैंने माँ से यह बहाना बनाया कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए मैं स्कूल नहीं जा सकता। उस समय मेरे मन में डर, झिझक, पछतावा और झूठ पकड़े जाने की चिंता चल रही थी। शुरू में लगा कि मैं आराम करूँगा, लेकिन दिनभर अकेले रहकर ऊब गया और मुझे अपने झूठ पर पछतावा हुआ। मैंने अनुभव किया कि झूठ बोलने से राहत नहीं मिलती, बल्कि मैं परेशान ही रहा।

(ख) आमतौर पर बनाए जाने वाले बहानों की एक सूची बनाइए ।
उत्तर– आमतौर पर बनाए जाने वाले बहानों की सूची-
मुझे पेट में दर्द हो रहा है।
आज तबीयत ठीक नहीं है।
होमवर्क की कॉपी खो गई है।
स्कूल बैग कहीं रखकर भूल गया हूँ।
रास्ते में बारिश आ गई, इसलिए देर हुई।
टीचर ने खुद कहा था कि काम बाद में जमा करना है।
पंखा/लाइट बंद थी, इसलिए पढ़ाई नहीं कर पाया।
मुझे कुछ याद नहीं कि काम क्या दिया गया था।
मुझे घर में ज़रूरी काम था।

(ग) बहाने क्यों बनाने पड़ते हैं? बहाने न बनाने पड़ें, इसके लिए हम क्या -क्या कर सकते हैं?
उत्तर- बहाने तब बनाए जाते हैं जब हम कोई काम करने से बचना चाहते हैं, डरते हैं, लापरवाही कर जाते हैं या गलती छुपाना चाहते हैं। यह स्थिति तब आती है जब ईमानदारी या आत्मविश्वास की कमी होती है।
बहाने न बनाने के लिए हम क्या कर सकते हैं-

  1. समय पर काम पूरा करें।
  2. ज़िम्मेदारी से हर कार्य करें।
  3. गलतियों को स्वीकार करना सीखें।
  4. आत्मविश्वास और ईमानदारी को अपनाएँ।
  5. डरने के बजाय, सच्चाई बोलने की आदत डालें।
  6. बेहतर योजना और समय-प्रबंधन करें।

अनुमान

“मैं रजाई में पड़ा पड़ा घर में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगाता रहा।”
कहानी में बच्चे ने अनेक प्रकार के अनुमान लगाए हैं। क्या आपने कभी किसी अनदेखे व्यक्ति / वस्तु / पशु- पक्षी/स्थान आदि के विषय में अनुमान लगाए हैं? किसके बारे में? क्या? कब? विस्तार से बताइए।
(संकेत – जैसे पेड़ से आने वाली आवाज सुनकर किसी प्राणी का अनुमान लगाना; कहीं दूर रहने वाले किसी संबंधी/ रिश्तेदार के विषय में सुनकर उसके संबंध में अनुमान लगाना।)
उत्तर-
1. हाँ, मैंने भी कई बार किसी अनदेखी चीज़ या व्यक्ति के बारे में अनुमान लगाए हैं। एक बार गर्मी की छुट्टियों में हम गाँव गए थे। वहाँ एक रात को जब मैं आँगन में लेटा हुआ था, तभी पास के आम के पेड़ से अजीब-सी सरसराहट की आवाज़ आने लगी। मैंने ध्यान से सुनने की कोशिश की और सोचा कि शायद कोई जानवर है। मैंने अनुमान लगाया कि वहाँ कोई उल्लू या बिल्ली हो सकती है, जो पेड़ पर चढ़ गई है।
2. दूसरी बार, मम्मी पापा बार-बार किसी ‘राजू मामा’ का ज़िक्र करते थे जिन्हें मैंने कभी नहीं देखा था। उनकी बातों से मैंने मन ही मन उनकी कल्पना की—सोचा कि वे लंबे होंगे, मज़ाकिया होंगे और मुझे बहुत सारी टॉफियाँ देंगे। जब वे वास्तव में मिलने आए तो कुछ बातें मेरे अनुमान से मिलती थीं और कुछ बिल्कुल अलग थीं।

घर का सामान

“बहुत ढूँढा गया पर थर्मामीटर मिला ही नहीं। शायद कोई माँगकर ले गया था।”

कहानी में बच्चे के घर पर थर्मामीटर (तापमापी) खोजने पर वह मिल नहीं पाता। आमतौर पर हमारे घरों में कोई न कोई ऐसी वस्तु होती है जिसे खोजने पर भी वह नहीं मिलती, जिसे कोई माँगकर ले जाता है या हम जिसे किसी से माँगकर ले आते हैं। अपने घर को ध्यान में रखते हुए ऐसी वस्तुओं की सूची बनाइए-

 

जो खोजने पर भी नहीं मिलती हैं। जो कोई माँगकर ले जाते हैं। जो आप किसी से माँगकर लाते हैं।

उत्तर- 

जो खोजने पर भी नहीं मिलती हैं। जो कोई माँगकर ले जाते हैं। जो आप किसी से माँगकर लाते हैं।
चश्मा थर्मामीटर गैस सिलिंडर (आस-पास से)
मोबाइल चार्जर किताबें / कॉपी सीढ़ी
पेन बैडमिंटन रैकेट या खेल सामग्री सिलाई मशीन
सुई-धागा औज़ार जैसे हथौड़ी, पेचकस ब्लूटूथ स्पीकर या माइक
कैंची पॉट / बर्तन स्कूल प्रोजेक्ट के लिए चार्ट पेपर या रंग
टेप बिजली की तार या एक्सटेंशन बोर्ड टॉर्च या लाइट
रिमोट कंट्रोल कैलकुलेटर
स्कूल की आईडी बिजली की मशीन जैसे मिक्सर का जार
घर की चाबी
कोई पुरानी किताब या नोटबुक

 

खान-पान और आप

(क) कहानी में सुधाकर काका को बीमार होने पर साबूदाने की खीर दी गई थी। आपके घर में किसी के बीमार होने पर उसे क्या-क्या खिलाया जाता है?
उत्तर- जब हमारे घर में कोई बीमार होता है तो उसे हल्का और आसानी से पचने वाला खाना दिया जाता है, जैसे दाल-चावल, मूँग की खिचड़ी, दलिया, उबले आलू, ब्रेड, केला, नारियल पानी और कई बार सब्ज़ियों का सूप भी। माँ कभी-कभी साबूदाने की खीर या हल्का दूध भी देती हैं।
(ख) कहानी में बच्चे को बहुत-सी चीजें खाने का मन है। आपका क्या-क्या खाने का बहुत मन करता है?
उत्तर– मुझे समोसे, पिज्जा, चॉकलेट, चाट, गोलगप्पे, मोमोज़ और रोल्स पसंद है। जब मैं खेलकर आता हूँ या बहुत भूख लगती है, तब इन सब चीज़ों का बहुत मन करता है।
(ग) कहानी में बच्चा सोचता है कि साबूदाने की खीर सिर्फ बीमारी या उपवास में क्यों मिलती है। आपके घर में ऐसा क्या क्या है, जो केवल विशेष अवसरों या त्योहारों पर ही बनता है?
उत्तर– मेरे घर में तिल के लड्डू मकर संक्रांति पर, गुझिया होली पर, सेवइयाँ ईद पर और हलवा-पुरी किसी पूजा या विशेष दिन पर ही बनते हैं। दिवाली पर तो तरह-तरह की मिठाइयाँ और नमकीन बनते हैं।
(घ) कहानी में बच्चा सोचता है कि अगर वह स्कूल जाता तो उसे ठेले पर नमक मिर्च वाले अमरूद खाने को मिलते। आप अपने विद्यालय में क्या क्या खाते-पीते हैं? विद्यालय में आपका रुचिकर भोजन क्या है?
उत्तर- हमारे विद्यालय की कैंटीन में समोसे, कचौड़ी, बिस्किट, बर्गर आलू टिक्की, और भेलपुरी मिलते हैं। कभी-कभी बर्फ का गोला भी आता है। मुझे सबसे ज़्यादा चटपटी भेलपुरी और गरमा-गरम समोसे पसंद हैं।
(ङ) इस कहानी में भोजन से जुड़ी बच्चे की कई रोचक बातें बताई गई हैं। आपके बचपन की भोजन से जुड़ी कोई विशेष याद क्या है, जिसे आप अब भी याद करते हैं?
उत्तर- मुझे याद है जब मैं छोटा था और आम का मौसम आता था, तो मैं दादी के साथ आम के अचार में हाथ बँटाता था। कटे हुए आम को मसाले में मिलाकर धूप में सुखाना मुझे बड़ा मज़ेदार लगता था। आज भी वो स्वाद और वो समय मुझे याद आता है।
(च) कहानी में बच्चा भोजन की सुगंध से रजाई फेंककर रसोई में झाँकने लगा। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि घर में किसी विशेष खाने की सुगंध से आप भी रसोई में जाकर तुरंत देखना चाहते हैं कि क्या पक रहा है? आपको किस-किस खाने की सुगंध सबसे अधिक पसंद है?
उत्तर- हाँ, कई बार ऐसा हुआ है! जब माँ पकौड़े तलती हैं, या गरम-गरम पूरियाँ बनती हैं, या कोई मिठाई जैसे गुलाब जामुन या हलवा पकता है तो उसकी खुशबू पूरे घर में फैल जाती है। मैं तुरंत रसोई में चला जाता हूँ और पूछता हूँ — “मम्मी, क्या बना रहे हो?”

आज की पहेली

कहानी में आपने खाने-पीने की अनेक वस्तुओं के बारे में पढ़ा है। अब हम आपके सामने खाने-पीने की वस्तुओं या व्यंजनों से जुड़ी कुछ पहेलियाँ लाए हैं। इन्हें बूझिए और उत्तर लिखिए-

पहेली

1. रोटी जैसा होता है ये, पर आलू से भरा-भरा
घी तेल साथी हैं इसके, दही चटनी से हरा-भरा
उत्तर- आलू का पराठा

2. दाल-चावल का मेल है यह तो, भारत भर में तुम इसे पाओ, दक्षिण में ये खूब है बनता, चटनी-सांभर संग-संग खाओ, गोल-तिकोना इसका आकार, गरम-गरम तुम इसे बनाओ, कौन-सा व्यंजन होता है यह, बोलो बोलो नाम बताओ।
उत्तर- डोसा

3. नाश्ते का यह बड़ा है खास, महाराष्ट्र में इसका वास, मिर्च-मसाले से भरपूर, संग बटाटा भी मशहूर, चटपटी चटनी लगी किसे ? बूझो नाम तो खाएँ इसे !
उत्तर- वड़ा पाव

4. बेसन से बने चौकोर या गोल, गुजरात में बड़ा है बोल।
खाने में नर्म, पानी भरे, धनिया मिर्ची संग सजे ।
उत्तर- ढोकला

5. गोल-गोल पानी से भरके, चटनी सोंठ संग इसे खाओ
उत्तर-दक्षिण पूरब पश्चिम, गली-मुहल्लों में भी पाओ।
खट्टी-मीठी, तीखी हाय, खाना तो इसे हर कोई चाहे !
उत्तर- पानी पूरी

6. हरे साग संग मुझको पाओ,
मक्खन के संग मुझको खाओ।
आटा मेरा हल्का पीला,
स्वाद मेरा है बड़ा रंगीला ।
उत्तर- मक्के की रोटी

7. आग में पकती हूँ, सोंधा-सा स्वाद,
साथ में खाओ चूरमा बन जाए फिर बात,
गरम दाल से मुझको प्यार, राजस्थान का मैं उपहार ।
उत्तर- बाटी

8. गोल-गोल और श्वेत रंग का
रस से भरा हुआ हूँ खूब।
दुनिया का महाराजा
चाशनी मीठी डूब – डूब।
उत्तर- रसगुल्ला

Class 7 Hindi Nahi Hona Bimar– Extract Based Questions (गद्यांश पर आधारित प्रश्न)

1
एक दिन मुझे साथ लेकर नानीजी हमारे पड़ोसी सुधाकर काका को देखने गईं, जो बीमार थे। वे अस्पताल में भर्ती थे। अस्पताल जाने का यह मेरा पहला अवसर था।
एक बड़े से वार्ड में कई एक जैसे पलंग लाइन से लगे हुए थे। सब पर एक जैसी सफेद चादर और लाल कंबल । सफेद दीवारें, ऊँची छत, खिड़कियों पर हरे परदे और फर्श एकदम चमकता हुआ। एक पलंग पर सुधाकर काका लेटे हुए थे। एकदम पास पहुँचने पर दिखाई दिया।
हमें देखकर सुधाकर काका जैसे खुश हो गए। नानीजी ने उनके सिर पर हाथ फेरा और उनके सिरहाने खड़ी हो गईं और हालचाल पूछने लगीं।
अस्पताल का माहौल मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे। न ट्रैफिक का शोरगुल, न धूल, न मच्छर-मक्खी…। सिर्फ लोगों के धीरे-धीरे बातचीत करने की धीमी-धीमी गुनगुन । बाकी एकदम शांति।
तभी सफेद कपड़ों में एक नर्स आई। नर्स ने नानीजी को देखकर अभिवादन में सिर हिलाया
और काका को दवा खिलाई। नानीजी काका के लिए साबूदाने की खीर बनाकर लाई थीं। नर्स से पूछा कि खिला दूँ क्या? नर्स के हाँ कहने पर उसके जाने के बाद नानीजी ने चम्मच से धीरे-धीरे काका को साबूदाने की खीर खिलाई। काका ने बहुत स्वाद लेकर खीर खाई।
क्या ठाठ हैं बीमारों के भी। मैंने सोचा …. ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटे रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो! काश! सुधाकर काका की जगह मैं होता! मैं कब बीमार पहूँगा!
कुछ रोज बाद एक दिन मेरा स्कूल का मन नहीं किया। मैंने होमवर्क भी नहीं किया था। स्कूल जाता तो जरूर सजा मिलती। मैंने सोचा बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिलकुल ठीक रहेगा। चलो बीमार पड़ जाते हैं।
मैं रजाई से निकला ही नहीं । नानीजी उठाने आईं तो मैंने कहा, “मैं आज बीमार हूँ।”

1.लेखक पहली बार कहाँ गया था?
(क) स्कूल
(ख) मेले
(ग) अस्पताल
(घ) पुस्तकालय
उत्तर– (ग) अस्पताल

2. सुधाकर काका को क्या खिलाया गया?
(क) फल
(ख) खिचड़ी
(ग) दूध
(घ) साबूदाने की खीर
उत्तर– (घ) साबूदाने की खीर

3. लेखक को अस्पताल का कौन-सा वातावरण अच्छा लगा?
(क) गाड़ियों का शोर
(ख) शांति और साफ-सफाई
(ग) तेज़ रोशनी
(घ) ठंडी हवा
उत्तर– (ख) शांति और साफ-सफाई

4. लेखक को अस्पताल का वातावरण अच्छा क्यों लगा?
उत्तर– लेखक को अस्पताल का वातावरण बहुत अच्छा लगा क्योंकि वहाँ शांति थी, सफाई थी और कोई शोरगुल नहीं था। बड़ी-बड़ी खिड़कियों से हरे-भरे पेड़ दिखाई दे रहे थे। न वहाँ ट्रैफिक का शोर था, न ही धूल या मच्छर-मक्खियाँ। सिर्फ लोग धीरे-धीरे बात कर रहे थे। यह सब देखकर लेखक को बहुत सुकून मिला और उसे अस्पताल का वातावरण बहुत पसंद आया।

5. लेखक ने खुद को बीमार बताने का नाटक क्यों किया?
उत्तर– लेखक ने खुद को बीमार इसलिए बताया क्योंकि उसका उस दिन स्कूल जाने का मन नहीं था। उसने होमवर्क भी नहीं किया था और उसे डर था कि स्कूल में उसे सज़ा मिलेगी। सुधाकर काका को अस्पताल में देखकर लेखक को बीमार होने के कुछ लाभ दिखे थे, जैसे आरामदायक बिस्तर और स्वादिष्ट खीर। इसलिए उसने सोचा कि बीमार पड़ जाना अच्छा रहेगा और वह रजाई में ही पड़ा रहा।

2
“क्या हो गया?”
“मेरे सिर में दर्द हो रहा है। पेट भी दुख रहा है और मुझे बुखार भी है।”
नानीजी चली गई।
मैं रजाई में पड़ा पड़ा घर में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगाता रहा। अब छोटे मामा नहाकर निकले। अब कुसुम मौसी रोज की तरह नाश्ता छोड़कर कॉलेज बस पकड़ने भागीं। अब मुन्नू अपना जूता ढूँढ रहा है। अब छोटे मामा ने साइकिल उठाई। अब सब चले गए। अब घर में मैं अकेला रह गया।
पता नहीं कब झपकी-सी आ गई।
तभी नानाजी आए। “क्या हो गया? क्या हो गया?”
“बुखार आ गया।” मैंने कराहते हुए कहा।
“देखें!” नानाजी ने रजाई हटाकर मेरा माथा हुआ। पेट देखा और नब्ज देखने लगे।
इस बीच नानीजी भी आ गईं। “क्या हुआ?”, नानीजी ने पूछा।
“बुखार तो नहीं है।” नानाजी बोले।
“आपको पता नहीं चल रहा । थर्मामीटर लगाकर देखिए। ” मैंने कहा ।

1. लेखक ने नानीजी से क्या कहा कि उसे क्या हो गया है?
(क) उसे खाँसी और जुकाम है
(ख) सिरदर्द, पेट दर्द और बुखार है
(ग) उसे स्कूल नहीं जाना
(घ) भूख नहीं लग रही
उत्तर- (ख) सिरदर्द, पेट दर्द और बुखार है

2. लेखक घर में क्या कर रहा था जब बाकी सब व्यस्त थे?
(क) वह सो रहा था
(ख) वह खाना खा रहा था
(ग) वह रजाई में लेटा घर की गतिविधियों का अनुमान लगा रहा था
(घ) वह टी.वी. देख रहा था
उत्तर- (ग) वह रजाई में लेटा घर की गतिविधियों का अनुमान लगा रहा था

3. नानाजी ने लेखक की जाँच किस प्रकार की?
(क) डॉक्टर को बुलाया
(ख) थर्मामीटर लगाया
(ग) दवा देकर
(घ) माथा छूकर और नब्ज देखकर
उत्तर- (घ) माथा छूकर और नब्ज देखकर

4. घर के बाकी लोगों की क्या गतिविधियाँ थीं जब लेखक रजाई में लेटा था?
उत्तर– जब लेखक रजाई में लेटा हुआ था, वह घर की गतिविधियों का अनुमान लगा रहा था। छोटे मामा नहाकर निकले, कुसुम मौसी बिना नाश्ता किए कॉलेज के लिए भागीं, मुन्नू अपना जूता ढूंढ रहा था और फिर छोटे मामा साइकिल लेकर चले गए। लेखक सोचता रहा कि अब सब चले गए हैं और वह घर में अकेला रह गया है। उसे थोड़ी देर में झपकी भी आ गई।

5. नानाजी ने लेखक की तबीयत की जाँच कैसे की?
उत्तर– जब नानाजी आए तो उन्होंने लेखक से पूछा कि क्या हो गया। लेखक ने कराहते हुए कहा कि उसे बुखार है। तब नानाजी ने उसकी रजाई हटाई, उसका माथा छुआ, पेट देखा और नब्ज टटोली। उन्हें कोई बुखार महसूस नहीं हुआ। जब नानीजी भी आ गईं तो लेखक ने कहा कि थर्मामीटर लगाकर देखिए, जिससे बीमारी का पक्का प्रमाण मिल सके।

 

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मुझे पता था घर में कोई नहीं है। थर्मामीटर लगा भी लिया तो देखेगा कौन? पर खुद को बीमार साबित करने के लिए यह चाल अच्छी थी। बहुत ढूँढा गया पर थर्मामीटर मिला ही नहीं। शायद कोई माँगकर ले गया था।
फिर नानाजी की आवाज आई, “ले, पुड़िया खा ले।” न चाहते हुए भी मुझे कड़वी पुड़िया खानी पड़ी और काढ़े जैसी चाय पीनी पड़ी। फिर नानाजी बोले, “आज इसे खाने को मत देना। आराम करने दो। शाम को देखेंगे।”
दोनों चले गए।
मैं पता नहीं कब नींद में गुडुप हो गया।
कुछ देर बाद जब मेरी आँख खुली मुझे बड़ी तेज इच्छा हुई कि इसी समय बाहर निकलकर दिन की रोशनी में अपनी गली की चहल-पहल देखूँ । देखा जाए कि चंदूभाई ड्राइक्लीनर क्या कर रहे हैं? तेजराम की दुकान पर कितने ग्राहक बैठे हैं? महेश घी सेंटर ने मलाई का भगोना आँच पर चढ़ाया या नहीं और टेलीफोन के तारों पर कितनी चिड़िया बैठी हैं? लेकिन मजबूरी थी। चाहे जितनी ऊब हो, लेटे ही रहना था।
कुछ देर इधर-उधर की, स्कूल की, दोस्तों की बातें सोचता रहा… फिर लेटे-लेटे पीठ दुखने लगी तो उठकर बैठ गया। लेकिन बाहर कुछ आहट होते ही फिर से लेट गया।

1. लेखक ने थर्मामीटर क्यों ढूँढा?
(क) बुखार मापने के लिए
(ख) खेलने के लिए
(ग) डॉक्टर को देने के लिए
(घ) नानीजी को दिखाने के लिए
उत्तर- (क) बुखार मापने के लिए

2. लेखक को क्या खाने को दिया गया?
(क) खिचड़ी और दूध
(ख) कचौड़ी और जलेबी
(ग) पुड़िया और काढ़े जैसी चाय
(घ) साबूदाने की खीर
उत्तर- (ग) पुड़िया और काढ़े जैसी चाय

3. लेखक बाहर जाकर क्या देखना चाहता था?
(क) स्कूल
(ख) अपनी गली की चहल-पहल
(ग) मैदान में खेल
(घ) मेला
उत्तर– (ख) अपनी गली की चहल-पहल

4. लेखक को थर्मामीटर क्यों चाहिए था और उसे क्या पता था?
उत्तर– लेखक को थर्मामीटर इसलिए चाहिए था ताकि वह यह साबित कर सके कि उसे सच में बुखार है। हालांकि उसे पता था कि घर में उस समय कोई नहीं है, इसलिए अगर थर्मामीटर लगाता भी तो उसे देखने वाला कोई नहीं होता। इसके बावजूद वह बीमारी का दिखावा करने के लिए थर्मामीटर की खोज करता रहा, लेकिन वह मिला नहीं।

5. लेखक को नानाजी ने क्या खाने को दिया और क्या निर्देश दिए?
उत्तर– लेखक को नानाजी ने एक कड़वी सी पुड़िया खाने को दी और काढ़े जैसी चाय भी पिलाई। लेखक को ये दोनों चीजें न चाहते हुए भी लेनी पड़ीं। फिर नानाजी ने यह निर्देश दिया कि लेखक को आज खाने को कुछ नहीं दिया जाए और आराम करने दिया जाए। उन्होंने कहा कि शाम को देखा जाएगा कि हालत कैसी है। इसके बाद दोनों चले गए और लेखक सो गया।

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नानाजी आए। बोले – “अब कैसा है सिरदर्द?” मैंने कहा, “ठीक है” फिर भी एक पुड़िया और खिला गए ।
अचानक मुझे भूख-सी लगी। फल या साबूदाने की खीर मिलने की उम्मीद की तो सुबह ही हत्या हो चुकी थी। अब नानीजी से जाकर कहूँ कि भूख लग रही है तो वे क्या करेंगी? ज्यादा से ज्यादा यही कि दूध पी ले। या नानाजी से पूछने चली जाएँगी – वो कह रहा है भूख लगी है। और फिर नानाजी क्या कहेंगे? वही जो सुबह कह रहे थे – तबियत ढीली हो तो सबसे अच्छा उपाय है भूखे रहना। इससे सारे विकार निकल जाएँगे।
क्या मुसीबत है! पड़े रहो! आखिर कब तक कोई पड़ा रह सकता है? इससे तो स्कूल चला जाता तो ही ठीक रहता। सजा मिलती तो मिल जाती। कितना मजा आता जब रिसेस में ठेले पर जाकर नमक मिर्च लगे अमरूद खाते कटर-कटर ।
फिर झपकी लग गई।
लेकिन भूख के कारण ठीक से नींद भी नहीं आ रही थी। और आँख जरा लगती भी तो खाने ही खाने की चीजें दिखाई देतीं। गरमागरम खस्ता कचौड़ी…. मावे की बर्फी… बेसन की चिक्की….. गोलगप्पे। और सबसे ऊपर साबूदाने की खीर ! पता नहीं क्यों साबूदाने की खीर सिर्फ उपवास और बीमारी में ही बनाई जाती है। जैसे गुझिया सिर्फ होली – दिवाली और पंजीरी सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही बनाई जाती है। क्यों? क्या ये चीजें जब इच्छा हो तब नहीं बनाई जा सकतीं। कोई मना करता है?
हे भगवान! यह तो अच्छी खासी बोरियत हो गई । पूरा दिन कोई कैसे लेटा रहे? और शाम को…। क्या शाम को भी नानाजी बाहर जाने देंगे? सारे बच्चे हल्ला मचाते हुए आँगन में खेल रहे होंगे और मैं बिस्तर में पड़ा झख मार रहा होऊँगा। अक्लमन्द ! और बनो बीमार । और आज दिया गया होमवर्क ! किससे कॉपी माँगोगे? मैं रुआँसा हो गया।
पास के कमरे में होती खटर पटर से अंदाजा हुआ कि मुन्नू स्कूल से आ गया है। तो क्या एक बज गया? अब बरतनों की आवाज आ रही है। शायद सब लोग खाना खाने बैठ रहे हैं। मुन्नू एक बार भी मुझे देखने नहीं आया। आया भी होगा तो दबे पाँव आया होगा और मुझे सोता लौट गया होगा।

1. लेखक को भूख लगने पर सबसे पहले किस चीज़ की उम्मीद थी?
(क) गरमागरम खस्ता कचौड़ी
(ख) दूध
(ग) साबूदाने की खीर या फल
(घ) बेसन की चिक्की
उत्तर– (ग) साबूदाने की खीर या फल

2. लेखक के अनुसार साबूदाने की खीर कब बनाई जाती है?
(क) जब मेहमान आते हैं
(ख) जब कोई बीमार हो या उपवास हो
(ग) होली-दीवाली पर
(घ) किसी भी समय
उत्तर- (ख) जब कोई बीमार हो या उपवास हो

3. लेखक स्कूल क्यों नहीं गया था?
(क) बारिश हो रही थी
(ख) उसे सच में बुखार था
(ग) स्कूल में छुट्टी थी
(घ) उसका मन नहीं था और होमवर्क नहीं किया था
उत्तर- (घ) उसका मन नहीं था और होमवर्क नहीं किया था

4. लेखक को भूख लगने पर क्या-क्या याद आया?
उत्तर: लेखक को भूख लगने पर बहुत-सी खाने की चीजें याद आने लगीं। उसे गरमागरम खस्ता कचौड़ी, मावे की बर्फी, बेसन की चिक्की, गोलगप्पे और सबसे ऊपर साबूदाने की खीर की याद सताने लगी।

5. लेखक ने बीमारी का बहाना बनाकर क्या महसूस किया?
उत्तर– लेखक ने बीमारी का बहाना बनाया था ताकि वह स्कूल न जाए और सजा से बच सके। लेकिन घर पर पड़े-पड़े उसे बोरियत, भूख और अकेलेपन का अहसास होने लगा। उसे लगा कि स्कूल चला जाता तो ज़्यादा अच्छा होता, कम से कम दोस्तों के साथ खेलता और रेसेस में अमरूद खा सकता था। अब वह पछता रहा था और सोच रहा था कि बीमारी का नाटक करना समझदारी नहीं थी।

 

Class 7 Hindi Malhar Lesson 5 Nahi Hona Bimar Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)

1.स्वयं प्रकाश की कहानियों की विशेषता क्या है?
(क) डरावनी होती हैं
(ख) ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित होती हैं
(ग) जीवन से जुड़ी और संवाद शैली में होती हैं
(घ) केवल बच्चों के लिए होती हैं
उत्तर – (ग) जीवन से जुड़ी और संवाद शैली में होती हैं

2. सुधाकर काका कहाँ भर्ती थे?
(क) घर में
(ख) अस्पताल में
(ग) वृद्धाश्रम में
(घ) नर्सिंग होम में
उत्तर – (ख) अस्पताल में

3. सुधाकर काका को नानीजी क्या खिलाने लाई थीं?
(क) बर्फी
(ख) कचौड़ी
(ग) साबूदाने की खीर
(घ) पंजीरी
उत्तर – (ग) साबूदाने की खीर

4. लेखक को अस्पताल का कौन-सा पहलू अच्छा लगा?
(क) ट्रैफिक का शोर
(ख) शांति और सफाई
(ग) मच्छरों की भरमार
(घ) दवाइयों की गंध
उत्तर – (ख) शांति और सफाई

5. लेखक ने बीमारी का बहाना क्यों बनाया?
(क) उसे स्कूल नहीं जाना था और होमवर्क भी पूरा नहीं था
(ख) उसे थकान थी
(ग) उसे घूमने जाना था
(घ) उसे नया खिलौना चाहिए था
उत्तर – (क) उसे स्कूल नहीं जाना था और होमवर्क भी पूरा नहीं था

6. नानाजी ने बीमारी की जाँच कैसे की?
(क) डॉक्टर को बुलाकर
(ख) थर्मामीटर लगाकर
(ग) सिर और नब्ज देखकर
(घ) कुछ नहीं किया
उत्तर – (ग) सिर और नब्ज देखकर

7. नानीजी ने नर्स से क्या पूछा?
(क) खीर खिलाऊँ क्या?
(ख) दवा दे दूँ?
(ग) छुट्टी कब होगी?
(घ) नाश्ता लाऊँ क्या?
उत्तर – (क) खीर खिलाऊँ क्या?

8. लेखक को बार-बार क्यों झपकी आती थी?
(क) थकान से
(ख) नींद पूरी नहीं हुई थी
(ग) ऊब के कारण
(घ) सजा से डर के कारण
उत्तर – (ग) ऊब के कारण

9. लेखक को बार-बार किस प्रकार के भोजन के सपने आ रहे थे?
(क) स्वादिष्ट व्यंजनों के
(ख) मिठाई के
(ग) होटल के खाने के
(घ) फल-सब्जियों के
उत्तर – (क) स्वादिष्ट व्यंजनों के

10. नानाजी ने भूख लगने पर क्या कहा?
(क) खाना खा लो
(ख) दूध पी लो
(ग) भूखे रहो, विकार निकलेंगे
(घ) मिठाई खा लो
उत्तर – (ग) भूखे रहो, विकार निकलेंगे

11. लेखक को सबसे ज़्यादा पछतावा किस बात का हुआ?
(क) खीर न मिलने का
(ख) होमवर्क न करने का
(ग) आम न खाने का
(घ) बीमार बनने का नाटक करने का
उत्तर – (घ) बीमार बनने का नाटक करने का

12. कहानी में लेखक को सबसे अधिक किससे जलन हुई?
(क) नानीजी से
(ख) नानाजी से
(ग) मुन्नू से
(घ) सुधाकर काका से
उत्तर – (ग) मुन्नू से

13. लेखक किसकी दुकान की चहल-पहल देखना चाहता था?
(क) चंदू भाई ड्राइक्लीनर
(ख) मुरली हलवाई
(ग) प्रेम स्टोर
(घ) घनश्याम टेलर
उत्तर – (क) चंदू भाई ड्राइक्लीनर

14. लेखक को बीमारी का नाटक करने पर क्या खामियाजा भुगतना पड़ा?
(क) भूखे रहना पड़ा
(ख) दवाई खानी पड़ी
(ग) खेलने नहीं गया
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

15. लेखक के मन में कैसी कल्पनाएँ आ रही थीं?
(क) आम खाने की
(ख) होली खेलने की
(ग) स्कूल भागने की
(घ) स्वादिष्ट खाने की
उत्तर – (घ) स्वादिष्ट खाने की

16. नानीजी किस प्रकार की महिला थीं?
(क) कठोर
(ख) दयालु और देखभाल करने वाली
(ग) गुस्सैल
(घ) लापरवाह
उत्तर – (ख) दयालु और देखभाल करने वाली

17. मुन्नू को आम खाते हुए देखकर लेखक को कैसा लगा?
(क) खुश
(ख) उदास
(ग) गुस्सा और जलन
(घ) बेपरवाह
उत्तर – (ग) गुस्सा और जलन

18. कहानी का हास्य किसमें छिपा है?
(क) बच्चों की मासूम हरकतों में
(ख) घटनाओं में
(ग) भाषा में
(घ) गंभीरता में
उत्तर – (क) बच्चों की मासूम हरकतों में

19. लेखक ने क्या-क्या खाना कल्पना में देखा?
(क) बर्फी, गुलाबजामुन
(ख) खस्ता कचौड़ी, गोलगप्पे
(ग) सब्जी-रोटी
(घ) पिज्जा
उत्तर – (ख) खस्ता कचौड़ी, गोलगप्पे

20. थर्मामीटर क्यों नहीं मिल पाया?
(क) टूट गया था
(ख) खो गया था
(ग) कोई माँगकर ले गया था
(घ) लेखक ने छुपा दिया था
उत्तर – (ग) कोई माँगकर ले गया था

 

Nahi Hona Bimar Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)

 

1. स्वयं प्रकाश की लेखन शैली की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर– स्वयं प्रकाश की लेखन शैली सरल, सहज और संवादप्रधान होती है। उनकी कहानियाँ आम जीवन की घटनाओं से जुड़ी होती हैं, जिनमें हास्य के माध्यम से गहरे जीवन-संदेश छुपे होते हैं। पाठक को लगता है जैसे कहानी उनके आस-पास की ही कोई बात हो।

2. ‘नहीं होना बीमार’ कहानी का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर– यह कहानी एक बच्चे द्वारा बीमारी का बहाना बनाकर स्कूल न जाने की कोशिश पर आधारित है, लेकिन उसे इसका नकारात्मक अनुभव होता है। कहानी का मुख्य विषय यह है कि बीमारी का झूठा बहाना बनाना हानिकारक हो सकता है और इससे व्यक्ति अपने आनंद और अवसरों से वंचित हो सकता है। यह बालमनोविज्ञान को हास्य के साथ प्रस्तुत करती है।

3. कहानी का मुख्य पात्र कौन है और वह क्या चाहता है?
उत्तर– कहानी का मुख्य पात्र एक बच्चा है, जो स्कूल न जाने के लिए बीमारी का बहाना बनाता है। वह चाहता है कि उसे स्कूल न भेजा जाए और वह घर पर आराम से मज़े कर सके। लेकिन धीरे-धीरे उसे एहसास होता है कि बीमारी का बहाना बनाकर वह अपने सुखों से वंचित हो गया है। अंत में वह पछताता है और दोबारा ऐसा न करने का निश्चय करता है।

4. लेखक ने बीमारी का बहाना क्यों बनाया?
उत्तर– लेखक ने बीमारी का बहाना इसलिए बनाया क्योंकि वह स्कूल नहीं जाना चाहता था। उसे ऐसा लग रहा था कि स्कूल जाना बोरियत भरा है और अगर वह बीमार बन जाएगा तो उसे साबूदाने की खीर खाने के लिए मिलेगी। लेकिन उसे यह अंदाज़ा नहीं था कि बीमारी का नाटक उसे और भी ज़्यादा परेशानी में डाल देगा।

5. नानाजी ने बीमारी की पुष्टि कैसे की?
उत्तर– नानाजी ने बीमारी की पुष्टि पारंपरिक तरीकों से की। उन्होंने लेखक का सिर छूकर देखा, फिर नब्ज टटोली और आँखों में देखकर अंदाज़ा लगाया।

6. लेखक को सबसे अधिक किस बात की तकलीफ हुई?
उत्तर- लेखक को सबसे अधिक तकलीफ इस बात की हुई कि सब लोग आम खा रहे थे और वह बीमार होने के कारण वह उन्हें खा नहीं पाया। उसका भाई मुन्नू मजे से आम खा रहा था, जिससे लेखक को जलन भी हो रही थी और अफसोस भी। उसे लगा कि अगर वह स्कूल चला जाता तो यह सब आनंद ले सकता था।

7. लेखक ने किस स्वादिष्ट व्यंजन का सपना देखा?
उत्तर– लेखक ने सपना देखा कि वह खस्ता कचौड़ी, साबूदाने की खीर, पकोड़ी और गोलगप्पे खा रहा है। उसकी कल्पनाओं में ये सभी स्वादिष्ट व्यंजन बार-बार आ रहे थे क्योंकि उसे भूख लग रही थी और वह बीमार होने के कारण कुछ खा नहीं पा रहा था।

8. लेखक को कहानी के अंत में किस बात का सबसे अधिक पछतावा हुआ?
उत्तर– कहानी के अंत में लेखक को सबसे अधिक पछतावा इस बात का हुआ कि उसने बीमारी का नाटक किया। वह सोचता है कि अगर वह स्कूल गया होता, तो दोस्तों से मिलता, आम खा सकता था और घर के बाहर की चहल-पहल का आनंद लेता। उसकी योजना उलटी पड़ गई और उसे भूखा, अकेला और उदास रहना पड़ा। अंत में वह मानता है कि बीमारी का झूठा नाटक उसे भारी पड़ गया।

9. नानीजी और नानाजी का लेखक के प्रति व्यवहार कैसा था?
उत्तर- नानीजी और नानाजी दोनों ही लेखक के प्रति स्नेही हैं, लेकिन व्यावहारिक भी हैं। नानीजी प्यार से उसका हालचाल पूछती हैं, सिर सहलाती हैं। नानाजी उसकी बीमारी की जाँच करते हैं।

10. लेखक की बीमारी का नाटक कैसे असफल हुआ?
उत्तर- लेखक की बीमारी का नाटक धीरे-धीरे असफल होता गया। नानाजी ने उसकी हालत की जाँच की और कोई असली बीमारी नहीं पाई। नानीजी ने भी कोई विशेष देखभाल नहीं की। लेखक को कुछ खाने को नहीं मिला और उसे अकेलेपन का अनुभव हुआ। उसके सारे सपने टूट गए और अंत में उसे पछतावा होने लगा कि उसने झूठ बोलकर खुद को मुसीबत में डाला।