तीन बुद्धिमान पाठ सार

 

CBSE Class 7 Hindi Chapter 2 “Teen Buddhiman”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Malhar Book

 

तीन बुद्धिमान सार – Here is the CBSE Class 7 Hindi Malhar Chapter 2 Teen Buddhiman Summary with detailed explanation of the lesson ‘Teen Buddhiman’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary

इस पोस्ट में हम आपके लिए सीबीएसई कक्षा 7 हिंदी मल्हार के पाठ 2 तीन बुद्धिमान पाठ सार, पाठ व्याख्या और कठिन शब्दों के अर्थ लेकर आए हैं जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। हमने यहां प्रारंभ से अंत तक पाठ की संपूर्ण व्याख्याएं प्रदान की हैं क्योंकि इससे आप  इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। चलिए विस्तार से सीबीएसई कक्षा 7 तीन बुद्धिमान पाठ के बारे में जानते हैं।

 

Teen Budhiman (तीन बुद्धिमान)

 

यह एक शिक्षाप्रद कहानी है जो तीन बुद्धिमान भाईयों की है। उनके पास धन नहीं था, लेकिन उनकी समझ और सोचने की ताकत बहुत ज़्यादा थी। इस कहानी में बताया गया है कि यदि हम ध्यान से देखें और सोचें, तो बिना देखे भी बहुत कुछ समझ सकते हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि बुद्धि सबसे बड़ा धन है।

 

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तीन बुद्धिमान पाठ सार Teen Buddhiman Summary

यह कहानी ‘तीन बुद्धिमान’ तीन भाईयों की है, जिनके पास धन नहीं था लेकिन उनके पिता ने उन्हें सिखाया था कि असली धन तेज बुद्धि और पैनी दृष्टि होती है। पिता ने समझाया कि उन्हें हर चीज़ को गहराई से समझना चाहिए ताकि जीवन में कभी कोई कमी न रहे। पिता की मृत्यु के बाद तीनों भाई यात्रा पर निकल पड़े। उन्होंने कठिन रास्तों, वीरानों और पहाड़ों को पार किया। कई दिन चलने के बाद वे एक नगर के पास पहुँचे।

नगर के पास पहुँचते ही सबसे बड़े भाई ने धरती पर पैरों के निशान देखे और कहा कि यहाँ से एक बड़ा ऊँट गया है। मझले भाई ने अनुमान लगाया कि वह ऊँट एक आँख से अंधा था, क्योंकि रास्ते की एक तरफ की घास खाई गई थी, दूसरी तरफ की वैसी की वैसी थी। सबसे छोटे भाई ने कहा कि उस ऊँट पर एक महिला और एक बच्चा सवार थे, क्योंकि वहाँ महिला और बच्चे के पैरों के निशान थे।

थोड़ी ही देर में एक घुड़सवार उनके पास आया। भाईयों ने उससे पूछा कि क्या वह ऊँट खोज रहा है। वह चौंक गया और पूछा कि उन्हें ऊँट के बारे में सब कुछ कैसे पता चला। उसने उन्हें चोर समझा और राजा के पास ले गया। उसने राजा से कहा कि ये तीनों उसके ऊँट और परिवार को ले गए हैं। राजा को भी शक हुआ, क्योंकि भाईयों ने बिना ऊँट को देखे ही सब कुछ सही-सही बता दिया था।

राजा ने उनकी बुद्धिमानी की परीक्षा लेनी चाही। उसने एक पेटी मँगवाई और पूछा कि उसमें क्या है। भाइयों ने बताया कि उसमें कोई गोल वस्तु है, फिर कहा कि वह अनार है, और सबसे छोटे भाई ने कहा कि वह अनार अभी कच्चा है। जब पेटी खोली गई तो सचमुच उसमें एक कच्चा अनार था। राजा बहुत चकित हुआ।

राजा ने उनसे पूछा कि उन्होंने सब कुछ कैसे जाना। सबसे बड़े भाई ने ऊँट के बड़े पैरों के निशान से अंदाज़ा लगाया। मझले भाई ने घास की स्थिति से ऊँट की एक आँख की कमी पहचानी। सबसे छोटे भाई ने ऊँट के बैठने और पैरों के निशानों से महिला और बच्चे की उपस्थिति का अनुमान लगाया। पेटी के बारे में उन्होंने उसके वजन, आकार, लुढ़कने की आवाज़ और उद्यान से आने के आधार पर अनुमान लगाया कि उसमें अनार है। खिड़की से देख कर छोटे भाई ने बताया कि अनार कच्चा है क्योंकि सभी पेड़ों पर कच्चे अनार थे।

राजा तीनों भाईयों की समझ और सूझबूझ से बहुत प्रभावित हुआ। उसने कहा कि वे धनवान तो नहीं हैं लेकिन उनके पास बुद्धि का अपार खजाना है। अंत में राजा ने उन्हें अपने दरबार में रख लिया।

यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा ज्ञान अपनी आँखें खोलकर दुनिया को देखने और सोचने की आदत से आता है। पैनी दृष्टि और गहरी समझ इंसान को जीवन में कभी असहाय नहीं होने देती।

तीन बुद्धिमान पाठ व्याख्या Teen Buddhiman Lesson Explanation

 

पाठ
एक समय की बात है कि एक निर्धन व्यक्ति के तीन बेटे थे। वह प्राय: अपने बेटों से कहता- “मेरे बेटो ! हमारे पास न तो रुपया-पैसा है और न ही सोना-चाँदी। इसलिए तुम्हें एक दूसरे प्रकार का धन संचित करना चाहिए— हर वस्तु और स्थिति को पूर्णत: समझने और जानने का प्रयास करो। कुछ भी तुम्हारी दृष्टि से न बच पाए। रुपये-पैसे के स्थान पर तुम्हारे पास पैनी दृष्टि होगी और सोने-चाँदी के स्थान पर तीव्र बुद्धि होगी। ऐसा धन संचित कर लेने पर तुम्हें कभी किसी प्रकार की कमी न रहेगी और तुम दूसरों की तुलना में उन्नीस नहीं रहोगे।”
समय बीता और कुछ समय पश्चात् पिता चल बसे। बेटे मिलकर बैठे, उन्होंने सारी स्थिति पर विचार किया और फिर बोले— “हमारे लिए यहाँ कुछ भी तो करने को नहीं। आओ, घूम फिरकर जगत देखें । आवश्यकता होने पर हम चरवाहों या खेत में श्रमिकों का काम कर लेंगे। हम कहीं भी क्यों न हों, भूखे नहीं मरेंगे।”
अंततः वे तैयार होकर यात्रा पर चल दिए।

शब्दार्थ-
निर्धन – गरीब
प्रायः – अक्सर
संचित करना – इकट्ठा करना
पूर्णतः – पूरी तरह से
दृष्टि – देखने की शक्ति, नजर
पैनी दृष्टि – तेज और गहराई से देखने की क्षमता
तीव्र बुद्धि – तेज दिमाग
तुलना में उन्नीस नहीं रहोगे – दूसरों से कम नहीं रहोगे
विचार – सोच
चरवाहा – जो जानवरों को चराने का काम करता है
श्रमिक – मजदूर
अंततः – अंत में

व्याख्यायह कहानी एक समय की है जब एक गरीब व्यक्ति के तीन बेटे थे। वह व्यक्ति अक्सर अपने बेटों से कहा करता था कि उनके पास न तो धन-दौलत है, न ही कोई कीमती चीज़, जैसे कि सोना या चाँदी। इसलिए वह अपने बेटों को सलाह देता था कि वे ऐसा ज्ञान इकट्ठा करें जो हमेशा उनके काम आए। वह कहता था कि हर चीज़ और हर परिस्थिति को ध्यान से समझो और जानने की कोशिश करो ताकि कोई भी बात तुमसे छुपी न रह जाए। उसके अनुसार, अगर तुम्हारे पास तेज़ नज़र यानि समझदारी और तीव्र बुद्धि यानि बुद्धिमत्ता होगी, तो वह असली दौलत होगी। ऐसा ज्ञान तुम्हें कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने देगा और तुम दूसरों से पीछे नहीं रहोगे। कुछ समय बाद उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई। तब तीनों बेटे साथ बैठे और सोचने लगे कि अब गाँव में उनके पास करने को कुछ भी नहीं है। उन्होंने तय किया कि वे अब दुनिया घूमेंगे और देखें कि बाकी जगहों पर जीवन कैसा है। उन्होंने यह भी सोचा कि अगर उन्हें काम की ज़रूरत पड़ी, तो वे चरवाहे बनकर या खेतों में मजदूरी करके पेट पाल सकते हैं। उन्हें विश्वास था कि मेहनत से वे कहीं भी भूखे नहीं मरेंगे। इसलिए उन्होंने तैयारी की और यात्रा पर निकल पड़े।

पाठ
उन्होंने सुनसान – वीरान घाटियाँ लाँघीं और ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों को पार किया। इस तरह वे लगातार चालीस दिनों तक चलते रहे।
उनके पास जितना खाने-पीने का सामान था, अब तक समाप्त हो गया था। वे थककर चूर हो गए थे और उनके पैरों में छाले पड़ गए थे किंतु सड़क थी कि समाप्त होने को नहीं आ रही थी। वे आराम करने के लिए रुके और पुनः आगे चल दिए। अंत में उन्हें अपने सामने वृक्ष और मकान दिखाई दिए— वे एक बड़े नगर के पास पहुँच गए थे।

Teen Buddhiman SummaryImage 1

भाई बहुत प्रसन्न हुए और शीघ्रता से पग बढ़ाने लगे।
जब वे नगर के बिलकुल निकट पहुँच गए तो सबसे बड़ा भाई अचानक रुका, उसने धरती पर दृष्टि डाली और बोला-
“थोड़ी ही देर पहले यहाँ से एक बहुत बड़ा ऊँट गया है।”
वे थोड़ा और आगे गए तो मझला भाई रुका और सड़क के दोनों ओर देखकर बोला-
“संभवत: वह ऊँट एक आँख से नहीं देख पाता हो ।”
वे कुछ और आगे गए तो सबसे छोटे भाई ने कहा—
“ऊँट पर एक महिला और एक बच्चा सवार थे। ”
“बिलकुल सही!” दोनों बड़े भाइयों ने कहा और वे तीनों फिर आगे बढ़ चले।

शब्दार्थ-
सुनसान – जहाँ कोई न हो, खाली स्थान
वीरान – उजाड़, खाली और सुनसान
घाटियाँ – पहाड़ों के बीच की गहरी और लंबी जगह
लाँघना – पार करना
ऊँचे-ऊँचे – बहुत ऊँचाई वाले
पार किया – एक ओर से दूसरी ओर गए
समाप्त – खत्म
छाले – फफोले या फुंसी जो चलने या रगड़ के कारण शरीर पर उभर आते हैं
वृक्ष – पेड़
संभवत: – शायद

व्याख्या- तीनों भाइयों ने वीरान और सुनसान घाटियाँ पार कीं और ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों को भी लांघा। वे लगातार चालीस दिनों तक चलते रहे बिना रुके। उनके पास जो भी खाना-पीना था, वह खत्म हो गया था। अब वे बहुत थक चुके थे, उनके पैरों में छाले भी पड़ गए थे, लेकिन फिर भी रास्ता खत्म नहीं हो रहा था। कुछ देर वे रुके, आराम किया और फिर आगे चल पड़े। अंत में, उन्हें दूर से कुछ पेड़ और घर दिखाई दिए— इसका मतलब था कि वे किसी बड़े शहर के पास पहुँच गए हैं।
तीनों भाई बहुत खुश हुए और तेजी से चलने लगे। जब वे शहर के पास पहुँच ही रहे थे, तो सबसे बड़ा भाई अचानक रुक गया। उसने ज़मीन की ओर देखा और बोला कि कुछ समय पहले यहाँ से एक बहुत बड़ा ऊँट गुज़रा है। फिर जब वे थोड़े और आगे बढ़े, तो बीच वाला भाई रुक गया और सड़क के दोनों ओर देखकर बोला कि शायद वह ऊँट एक आँख से नहीं देख सकता। जब वे कुछ और आगे बढ़े, तो सबसे छोटा भाई बोला कि उस ऊँट पर एक महिला और एक बच्चा सवार थे। यह सुनकर दोनों बड़े भाइयों ने उसकी बात को सही बताया और फिर वे तीनों आगे बढ़ चले।

पाठ
कुछ समय पश्चात् एक घुड़सवार उनके पास से निकला। सबसे बड़े भाई ने उसकी ओर देखकर पूछा—

Teen Buddhiman SummaryImage 2

“घुड़सवार, तुम किसी खोई हुई वस्तु को ढूँढ रहे हो न?” घुड़सवार ने घोड़ा रोककर उत्तर दिया-
“हाँ।”
“तुम्हारा ऊँट खो गया है न?” सबसे बड़े भाई ने पूछा।
“हाँ।”
“बहुत बड़ा-सा?”
“हाँ।”
“वह एक आँख से नहीं देख पाता है न?” मझले भाई ने पूछा।
“हाँ।”
“एक छोटे से बच्चे के साथ उस पर महिला सवार थी ?” सबसे छोटे भाई ने सवाल किया।
घुड़सवार ने तीनों भाइयों को शंका की दृष्टि से देखा और बोला-
“आह तो तुम्हारे पास है मेरा ऊँट ! तुरंत बताओ, तुमने उसका क्या किया?
“हमने तुम्हारे ऊँट का मुँह तक नहीं देखा”, भाइयों ने उत्तर दिया।
“तो तुम्हें उसके बारे में सभी बातें कैसे पता चलीं?”
“क्योंकि हम अपनी आँखों और बुद्धि से काम लेना जानते हैं”, भाइयों ने उत्तर दिया। “शीघ्रता से उस दिशा में अपना घोड़ा दौड़ाओ। वहाँ तुम्हें तुम्हारा ऊँट मिल जाएगा।”
“नहीं”, ऊँट के स्वामी ने उत्तर दिया, “मैं उस दिशा में नहीं जाऊँगा। मेरा ऊँट तुम्हारे पास है और तुम्हें ही उसे मुझे लौटाना पड़ेगा।”
“हमने तो तुम्हारे ऊँट को देखा तक नहीं”, भाइयों ने चिंतित होते हुए कहा।

शब्दार्थ-
पश्चात् – बाद में
घुड़सवार – घोड़े पर सवार व्यक्ति
सवार – जो किसी वाहन या जानवर पर बैठा हो
शंका की दृष्टि से – संदेह भरी नजर से
शीघ्रता से – जल्दी
स्वामी – मालिक
चिंतित – परेशान

व्याख्या- कुछ समय बाद एक घुड़सवार तीनों भाइयों के पास से गुजरा। सबसे बड़े भाई ने उससे पूछा कि क्या वह कुछ खोई हुई चीज़ ढूंढ रहा है, और जब उसने हाँ कहा, तो भाई ने अंदाज़ा लगाते हुए पूछा कि क्या उसका ऊँट खो गया है। फिर उन्होंने ऊँट की विशेषताएँ भी बताईं—कि वह बड़ा है, एक आँख से नहीं देख सकता, और उस पर एक महिला और बच्चा सवार थे। घुड़सवार यह सब सुनकर चौंक गया और उन्हें शक की नज़र से देखने लगा। उसे लगा कि ऊँट इन्हीं भाईयों के पास है, क्योंकि उन्हें उसके बारे में सबकुछ पता था। लेकिन भाईयों ने कहा कि उन्होंने ऊँट को देखा तक नहीं, बल्कि उन्होंने यह सब अपनी आँखों और बुद्धि से जाना है। उन्होंने घुड़सवार को सही दिशा भी बताई, जहाँ ऊँट मिल सकता था। फिर भी ऊँट का मालिक ज़िद पर अड़ा रहा और बोला कि ऊँट उन्हीं के पास है और वही उसे लौटाएँ। यह सुनकर तीनों भाई चिंतित हो उठे, क्योंकि वे निर्दोष थे लेकिन उन पर गलत शक किया गया।

पाठ
लेकिन घुड़सवार उनकी एक भी सुनने को तैयार नहीं था। उसने अपनी तलवार निकाल ली और उसे ज़ोर से घुमाते हुए तीनों भाइयों को अपने आगे-आगे चलने का आदेश दिया। इस प्रकार वह उन्हें सीधे अपने देश के राजा के भवन में ले गया। इन तीनों भाइयों को सुरक्षा कर्मियों को सौंपकर वह स्वयं राजा के पास गया।
“मैं अपने रेवड़ों को पहाड़ों पर लिए जा रहा था, उसने कहा, “और मेरी पत्नी मेरे छोटे-से बेटे के साथ एक बड़े-से ऊँट पर मेरे पीछे-पीछे आ रही थी। किसी कारण उनका ऊँट पीछे रह गया और वे रास्ते से भटक गए। मैं उन्हें ढूँढने गया तो मुझे रास्ते में तीन व्यक्ति मिले जो पैदल चले जा रहे थे। मुझे पूरा विश्वास है कि उन्होंने मेरा ऊँट चुराया है और मेरी पत्नी तथा बेटे को मार डाला है।”
“तुम ऐसा क्यों समझते हो?” जब वह व्यक्ति अपनी बात कह चुका तो राजा ने पूछा।
“इसलिए कि मैंने उन लोगों से इस संबंध में एक भी शब्द नहीं कहा था फिर भी उन्होंने मुझे यह बताया कि ऊँट बहुत बड़ा था और एक आँख से नहीं देख पाता था तथा उस पर एक महिला बच्चे के साथ सवार थी । ”

शब्दार्थ-
आदेश- हुक्म, निर्देश
भवन- महल, इमारत
सुरक्षा कर्मी- सुरक्षा में लगे सैनिक या प्रहरी
स्वयं- खुद
रेवड़ों- पशुओं के झुंड
संबंध में– विषय से संबंधित

व्याख्याप्रस्तुत अंश में घुड़सवार फैसला करवाने के लिए तीनों भाईयों को राजा के दरबार में ले जाता है क्योंकि भाईयों की कोई बात मानने को तैयार नहीं था। उसने गुस्से में अपनी तलवार निकाल ली और घुमाते हुए उन्हें धमकाया और आदेश दिया कि वे उसके साथ चलें। वह तीनों भाइयों को सीधे अपने देश के राजा के महल ले गया और उन्हें सुरक्षाकर्मियों को सौंप दिया। फिर वह स्वयं राजा के पास पहुँचा और अपनी शिकायत सुनाई। उसने कहा कि वह अपने पशुओं को पहाड़ों पर लेकर जा रहा था, और उसकी पत्नी व उसका छोटा बेटा एक बड़े ऊँट पर उसके पीछे आ रहे थे। किसी वजह से उनकी ऊँट की चाल धीमी हो गई और वे पीछे रह गए। जब वह उन्हें ढूँढ़ने गया, तो उसे रास्ते में तीन आदमी मिले जो पैदल चल रहे थे। उसे पूरा यक़ीन था कि उन्हीं लोगों ने उसका ऊँट चुरा लिया और उसकी पत्नी व बेटे को मार डाला। राजा ने पूछा कि वह ऐसा क्यों सोचता है। तब घुड़सवार ने बताया कि उसने इन तीनों से ऊँट के बारे में कुछ भी नहीं कहा था, फिर भी उन्होंने खुद ही बता दिया कि ऊँट बड़ा था, एक आँख से नहीं देख सकता था और उस पर महिला व बच्चा सवार थे—इसलिए वह उन पर शक कर रहा है।

 

पाठ
राजा ने थोड़ी देर सोच-विचार किया और फिर बोला-
“जैसा कि तुम कहते हो तुम्हारे बताए बिना ही तुम्हारे ऊँट के विषय में उन्होंने सभी कुछ इतनी अच्छी तरह से बताया है तो अवश्य उन्होंने उसे चुराया होगा। जाओ, उन चोरों को यहाँ लाओ।”
ऊँट का स्वामी बाहर गया और तीनों भाइयों को साथ लेकर झटपट अंदर आया ।
“चोरो, तुरंत बताओ!” राजा उन्हें धमकाते हुए बोला। “तुरंत उत्तर दो, तुमने इस आदमी का ऊँट कहाँ छिपाया है?”
“हम चोर नहीं हैं, हमने इसका ऊँट कभी नहीं देखा”, भाइयों ने उत्तर दिया ।
तब राजा बोला— “इस व्यक्ति के कुछ भी बताए बिना तुमने ऊँट के विषय में सब कुछ बिलकुल सही बता दिया। अब तुम यह कहने का कैसे साहस करते हो कि तुमने उसे नहीं चुराया?”
“महाराज, इसमें तो आश्चर्य की कोई बात नहीं है।” भाइयों ने उत्तर दिया । “बचपन से ही हमें ऐसी आदत पड़ गई है कि हम कुछ भी अपनी दृष्टि से नहीं चूकने देते। हमने अपने परिवेश को पैनी दृष्टि से देखने और बुद्धि से सोचने के प्रयास में बहुत समय लगाया है। इसीलिए ऊँट को देखे बिना ही हमने बता दिया कि वह कैसा है।”
राजा हँस दिया।
“किसी को भी देखे बिना ही उसके विषय में क्या इतना कुछ जानना संभव हो सकता है?” उसने पूछा।
“हाँ, संभव है”, भाइयों ने उत्तर दिया।
“तो ठीक है, हम अभी तुम्हारी सच्चाई की जाँच कर लेंगे।”

शब्दार्थ-
सोच-विचार- गहराई से सोचना, विचार करना
विषय में- संबंध में, बारे में
अवश्य– निश्चित रूप से, ज़रूर
झटपट- तुरंत
धमकाते हुए– धमकी देते हुए
तुरंत उत्तर दो – फ़ौरन जवाब दो
साहस– हिम्मत
परिवेश- आसपास का वातावरण
पैनी दृष्टि- तेज़ देखने की शक्ति
संभव- मुमकिन

व्याख्याइस अंश में राजा, ऊँट के मालिक और तीन भाईयों के बीच की बातचीत को बताया गया है। राजा ने कुछ देर सोचने के बाद कहा कि अगर ऊँट के मालिक की बात सही है और भाईयों ने बिना कुछ बताए ऊँट के बारे में सारी बातें बता दी हैं, तो निश्चित ही उन्होंने ऊँट चुराया होगा। राजा ने ऊँट के मालिक को आदेश दिया कि वह उन चोरों को दरबार में लाए।
ऊँट का मालिक बाहर गया और तीनों भाइयों को लेकर तुरंत वापस आया। राजा ने उन्हें डाँटते हुए पूछा कि उन्होंने ऊँट कहाँ छिपाया है।
भाईयों ने जवाब दिया कि वे चोर नहीं हैं और उन्होंने ऊँट को कभी देखा भी नहीं। यह सुनकर राजा ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि जब उन्होंने ऊँट के बारे में सब कुछ सही बता दिया है, तो वे कैसे कह सकते हैं कि उन्होंने ऊँट नहीं चुराया।
भाईयों ने समझाते हुए कहा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उन्होंने बताया कि बचपन से ही उन्हें अपने आस-पास की चीज़ों को ध्यान से देखने और बुद्धि से सोचने की आदत रही है, इसलिए उन्होंने ऊँट को देखे बिना ही उसके बारे में समझ लिया।
राजा यह सुनकर हँस पड़ा और कहा कि क्या वास्तव में किसी को देखे बिना उसके बारे में इतना कुछ जानना संभव है। भाईयों ने आत्मविश्वास से उत्तर दिया कि हाँ, यह संभव है। तब राजा ने कहा कि वह अब उनकी सच्चाई की जाँच करेगा।

 

पाठ
राजा ने उसी समय अपने मंत्री को बुलाया और उसके कान में कुछ फुसफुसाया। मंत्री तुरंत महल के बाहर चला गया। लेकिन शीघ्र ही वह दो सेवकों के साथ लौटा जो एक बहुत बड़ी-सी पेटी लाए थे। दोनों ने पेटी को बहुत सावधानी से द्वार के पास ऐसे रख दिया कि वह राजा को दिखाई दे सके और स्वयं एक ओर हट गए। तीनों भाई दूर से खड़े उन्हें देखते रहे। उन्होंने इस बात ध्यान से देखा कि पेटी कहाँ से और कैसे लाई गई थी और किस ढंग से रखी गई थी।
“हाँ, तो चोरों, हमें बताओ कि उस पेटी में क्या है?” राजा ने कहा ।
“महाराज, हम तो पहले ही यह विनती कर चुके हैं कि हम चोर नहीं हैं”, सबसे बड़े भाई ने कहा। “पर यदि आप चाहते हैं तो मैं आपको यह बता सकता हूँ कि उस पेटी में क्या है। उसमें कोई छोटी-सी गोल वस्तु है।”
“उसमें अनार है”, मझला भाई बोला ।
“हाँ, और वह अभी कच्चा है”, सबसे छोटे भाई ने कहा ।

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यह सुनकर राजा ने पेटी को पास लाने का आदेश दिया। सेवकों ने तुरंत आदेश पूरा किया। राजा ने सेवकों से पेटी खोलने के लिए कहा। पेटी खुल जाने पर उसने उसमें झाँका। जब उसे उसमें कच्चा अनार दिखाई दिया तो उसके आश्चर्य की कोई सीमा न रही।
आश्चर्यचकित राजा ने अनार निकालकर वहाँ उपस्थित सभी लोगों को दिखाया। तब उसने ऊँट के मालिक से कहा-
“इन लोगों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ये चोर नहीं हैं। वास्तव में ये बहुत ही बुद्धिमान लोग हैं। तुम इनके बताए रास्ते पर जाकर अपने ऊँट को खोजो।”

शब्दार्थ-
मंत्री– राजा का सलाहकार
फुसफुसाया- कान में धीरे से कुछ कहा
सेवक- नौकर
पेटी– डिब्बा, बक्सा
सावधानी से– ध्यानपूर्वक, सतर्कता से
द्वार- दरवाज़ा
विनती- प्रार्थना
आश्चर्य– हैरानी
स्पष्ट- साफ़-साफ़, स्पष्ट रूप से
बुद्धिमान- होशियार, समझदार
प्रस्तुत लोग– वहाँ मौजूद व्यक्ति

व्याख्या- प्रस्तुत अंश में एक रोचक और शिक्षाप्रद प्रसंग प्रस्तुत किया गया है, कहानी उस स्थिति को बताती है जब राजा को यह तय करना होता है कि तीनों भाई चोर हैं या नहीं।
राजा ने अपने मंत्री को कुछ कान में फुसफुसाकर आदेश दिया। मंत्री तुरंत महल से बाहर चला गया और कुछ ही देर में दो सेवकों के साथ लौटा। वे एक बड़ी-सी पेटी लेकर आए और उसे बहुत सावधानी से दरवाज़े के पास इस तरह रख दिया कि राजा उसे देख सके। इसके बाद वे सेवक एक ओर हटकर खड़े हो गए। यह पूरी गतिविधि तीनों भाई दूर से ध्यानपूर्वक देख रहे थे। उन्होंने यह बारीकी से समझा कि पेटी कहाँ से आई है, कैसे रखी गई है और इसका उद्देश्य क्या हो सकता है।
इसके बाद राजा ने तीनों भाईयों की परीक्षा लेनी चाही और उनसे पूछा, “हमें बताओ कि उस पेटी में क्या है?” इस सवाल का उद्देश्य यह था कि राजा यह जाँच सके कि क्या ये लोग सच में चोर हैं या इनकी कोई विशेष प्रतिभा है।
सबसे बड़े भाई ने कहा कि वह चोर नहीं है, और उन्होंने पहले भी यह बात निवेदनपूर्वक कही थी। फिर भी, राजा की जिज्ञासा के उत्तर में उसने कहा कि पेटी में कोई गोल वस्तु है। मंझले भाई ने इसे और स्पष्ट करते हुए कहा कि वह वस्तु एक अनार है। सबसे छोटे भाई ने इसमें और जोड़ते हुए कहा कि वह अनार अभी कच्चा है।
राजा ने तुरंत आदेश दिया कि पेटी को खोला जाए। जब पेटी खोली गई और उसमें वास्तव में एक कच्चा अनार निकला, तो राजा के आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रही।
पेटी पूरी तरह बंद थी और इन भाईयों ने न उसे छुआ, न खोला, फिर भी उन्होंने बिल्कुल सही बताया कि उसमें कच्चा अनार है।
यह देखकर राजा को विश्वास हो गया कि ये तीनों भाई चोर नहीं हैं, बल्कि बहुत बुद्धिमान, सूझबूझ वाले और विचारशील व्यक्ति हैं। राजा ने ऊँट के असली मालिक से कहा कि वह इन तीनों भाईयों की बातों पर भरोसा करे और उनके बताए रास्ते पर जाकर अपने ऊँट को खोजे।

 

पाठ
राजा के महल में उस समय उपस्थित सभी लोगों के आश्चर्य का कोई ठिकाना न था। किंतु सबसे बढ़कर तो स्वयं राजा चकित था। उसने सभी तरह के अच्छे और स्वादिष्ट भोजन मँगवाए और लगा इन भाइयों की आवभगत करने ।
“तुम लोग बिलकुल निर्दोष हो और जहाँ भी जाना चाहो जा सकते हो। किंतु जाने से पहले तुम मुझे सारी बात विस्तार के साथ बताओ। तुम्हें यह कैसे पता चला कि उस व्यक्ति का ऊँट खो गया है और तुमने यह कैसे जाना कि ऊँट कैसा था?”
सबसे बड़े भाई ने कहा-
“धूल पर उसके पैरों के चिह्नों से मुझे पता चला कि कोई बहुत बड़ा ऊँट वहाँ से गया है। जब मैंने अपने पास से जानेवाले घुड़सवार को अपने चारों ओर नजर दौड़ाते देखा तो उसी समय मेरी समझ में यह बात आ गई कि वह क्या खोज रहा है। ”
“बहुत अच्छा!” राजा ने कहा। “अच्छा, अब यह बताओ कि तुम में से किसने इस घुड़सवार को यह बताया था कि उसका ऊँट एक ही आँख से देख पाता है? उसका तो सड़क पर चिह्न नहीं रहा होगा।”
“मैंने इस बात का अनुमान ऐसे लगाया कि सड़क के दायीं ओर की घास तो ऊँट ने चरी थी, मगर बायीं ओर की घास ज्यों की त्यों थी”, मझले भाई ने उत्तर दिया।
“बहुत उत्तम !” राजा ने कहा, “तुम में से यह अनुमान किसने लगाया था कि उस पर बच्चे के साथ एक महिला सवार थी?”
“मैंने”, सबसे छोटे भाई ने उत्तर दिया, “मैंने देखा कि एक स्थान पर ऊँट के घुटने टेककर बैठने के चिह्न बने हुए थे। उनके पास ही रेत पर एक महिला के जूतों के चिह्न दिखाई दिए। साथ ही छोटे-छोटे पैरों के चिह्न थे, जिससे मुझे पता चला कि महिला के साथ एक बच्चा भी था।”

शब्दार्थ-
महल- राजा का निवास स्थान, राजभवन
उपस्थित– मौजूद
चकित- हैरान, आश्चर्यचकित
स्वादिष्ट- स्वाद वाला, स्वादपूर्ण
आवभगत– आदर सत्कार, स्वागत
निर्दोष- जो दोषी न हो, बेगुनाह
विस्तार के साथ– पूरी जानकारी के साथ
चिह्न- निशान, पहचान
नज़र दौड़ाना– चारों ओर ध्यान से देखना
अनुमान- अंदाज़
ज्यों की त्यों- वैसा का वैसा
घुटने टेकना- घुटनों के बल बैठना

व्याख्याइस अंश में कहानी का सबसे रोमांचक और निर्णायक भाग प्रस्तुत किया गया है, जहाँ राजा और उसके दरबारियों के मन में तीन भाईयों की अद्भुत बुद्धिमत्ता और निरीक्षण शक्ति को देखकर अत्यधिक आश्चर्य उत्पन्न होता है।
राजा के महल में जब पेटी से कच्चा अनार निकला, तो वहाँ मौजूद सभी लोग चकित रह गए। लेकिन सबसे अधिक आश्चर्य स्वयं राजा को हुआ। वह सोच भी नहीं सकते थे कि कोई बिना देखे किसी बंद पेटी में रखी चीज़ को पहचान सकता है। राजा ने अपनी प्रसन्नता और सम्मान प्रकट करने के लिए तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन मँगवाए और भाइयों का स्वागत-सत्कार करने लगा।
इसके बाद, राजा ने उनसे कहा कि आप तीनों जहाँ भी जाना चाहते हो जा सकते हो क्योंकि आप लोग निर्दोष हो। लेकिन जाने से पहले राजा ने आग्रह किया कि वे पूरी बात विस्तार से बताएँ कि आखिर उन्हें कैसे पता चला कि किसी व्यक्ति का ऊँट खो गया है और ऊँट कैसा था।
तब सबसे बड़े भाई ने बताया कि उसने धूल में ऊँट के पैरों के चिह्न देखकर यह अनुमान लगाया कि वहाँ से एक बड़ा ऊँट गुज़रा है। जब उसने एक घुड़सवार को इधर-उधर देखने का प्रयास करते हुए देखा, तो उसे समझ में आ गया कि वह किसी खोई हुई चीज़ को खोज रहा है — और यह चीज़ निश्चित रूप से ऊँट थी।
राजा ने अगला सवाल किया कि ऊँट के एक आँख से अंधे होने का अनुमान कैसे लगाया गया, क्योंकि यह बात तो चिह्नों से पता नहीं चल सकती।
मंझले भाई ने इसका उत्तर दिया कि उसने देखा कि ऊँट ने रास्ते के दायीं ओर की घास तो चर ली थी, लेकिन बायीं ओर की घास वैसी की वैसी ही थी। इससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि ऊँट केवल दायीं ओर देख सकता था — अर्थात् उसकी बायीं आँख से वह अंधा था।
इसके बाद राजा ने पूछा कि यह कैसे पता चला कि ऊँट पर एक महिला और एक बच्चा सवार था।
तब सबसे छोटा भाई उत्तर देता है कि उसने एक स्थान पर ऊँट के घुटने टेकने के निशान देखे। उसी स्थान के पास एक महिला के पैरों के (जूतों के) निशान और छोटे-छोटे पैरों के निशान भी दिखाई दिए। इन निशानों से यह स्पष्ट हुआ कि वहाँ एक महिला और एक बच्चा ऊँट से उतरे थे।

 

पाठ
“बहुत अच्छा! तुमने बिलकुल सही कहा है”, राजा बोला — “लेकिन तुम लोगों को यह कैसे पता चला कि पेटी में एक कच्चा अनार है? यह बात तो मेरी समझ में बिलकुल नहीं आ रही।”

सबसे बड़े भाई ने कहा—
“जिस तरह दोनों व्यक्ति उसे उठाकर लाए थे, उससे बिलकुल स्पष्ट था कि वह थोड़ी भी भारी नहीं है। जब वे पेटी को रख रहे थे तो मुझे उसके अंदर किसी छोटी-सी गोल वस्तु के लुढ़कने की ध्वनि सुनाई दी।”
मझला भाई बोला-
“मैंने ऐसा अनुमान लगाया कि चूँकि पेटी उद्यान की ओर से लाई गई है और उसमें कोई छोटी-सी गोल वस्तु है तो वह अवश्य अनार ही होगा। कारण कि आपके महल के आसपास अनार के बहुत-से पेड़ लगे हुए हैं।”
“बहुत अच्छा!” राजा ने कहा और उसने सबसे छोटे भाई से पूछा—
“लेकिन तुम्हें यह कैसे पता चला कि अनार कच्चा है?”
“इस समय तक उद्यान में सभी अनार कच्चे हैं। यह तो आप स्वयं ही देख सकते हैं”, उसने उत्तर दिया और खुली हुई खिड़की की ओर संकेत किया।
राजा ने बाहर देखा तो पाया कि उद्यान में लगे अनार के सभी वृक्षों पर कच्चे अनार लटक रहे थे।
राजा इन भाइयों की असाधारण पैनी दृष्टि और तीक्ष्ण बुद्धि से चकित रह गया।
“धन-संपत्ति या सांसारिक वस्तुओं की दृष्टि से तो तुम धनवान नहीं हो लेकिन तुम्हारे पास बुद्धि का बहुत बड़ा कोष है”, उसने प्रशंसा करते हुए कहा और उन्हें अपने दरबार में रख लिया।

शब्दार्थ-
बिलकुल- पूरी तरह
स्पष्ट- साफ़
ध्वनि- आवाज
उद्यान– बगीचा
कारण- वजह
संकेत– इशारा
असाधारण– जो सामान्य न हो, विशेष
पैनी दृष्टि- तेज नजर
तीक्ष्ण बुद्धि– तेज़ समझ
धन-संपत्ति– पैसे और अन्य भौतिक वस्तुएँ
सांसारिक वस्तुएँ- भौतिक सुख-सुविधाओं से जुड़ी चीजें
कोष- संग्रह, भंडार
प्रशंसा करते हुए- सराहना करते हुए
दरबार– राजा की सभा

व्याख्या- इस अंतिम अंश में राजा और तीनों भाईयों के बीच हुए संवाद का अंतिम और सबसे महत्त्वपूर्ण भाग बताया गया है, जिसमें राजा उनके ज्ञान से पूर्णतः प्रभावित होकर उन्हें अपने दरबार में स्थान देता है। यह अंश बताता है कि किस प्रकार तीनों भाईयों ने केवल अपने निरीक्षण, तर्क और अनुभव के बल पर बिना किसी जादू या चमत्कार के पेटी में रखी वस्तु—एक कच्चे अनार—की पहचान कर ली थी।
राजा तीनों भाईयों की बातों से प्रभावित तो था, लेकिन उसे यह अब भी समझ नहीं आ रहा था कि उन्होंने पेटी के अंदर कच्चे अनार की बात कैसे कही। इस पर राजा ने उनसे सीधा सवाल पूछा।
सबसे बड़े भाई ने उत्तर दिया कि जब दो सेवक पेटी को उठाकर ला रहे थे, तब यह साफ़ दिख रहा था कि पेटी बहुत हल्की है, यानी उसमें कोई भारी वस्तु नहीं थी। जब पेटी को ज़मीन पर रखा गया, तो उसे उसके अंदर किसी छोटी गोल चीज़ के लुढ़कने की हल्की-सी आवाज़ सुनाई दी। इस ध्वनि से उसने समझा कि वस्तु न तो भारी है, न बहुसंख्यक, बल्कि केवल एक छोटी गोल वस्तु है।
मंझले भाई ने इसमें तर्क जोड़ा कि चूँकि पेटी उद्यान की ओर से लाई गई थी और उसमें कोई छोटी गोल वस्तु थी, तो उसका अनुमान था कि वह वस्तु अनार ही होगी। कारण यह कि महल के उद्यान में बहुत-से अनार के पेड़ लगे हैं, इसलिए अनार मिलना वहाँ सामान्य बात है।
सबसे छोटे भाई ने अनार के कच्चा होने का अनुमान इस आधार पर लगाया कि इस समय महल के उद्यान में लगे सभी अनार के पेड़ पर केवल कच्चे अनार ही हैं। उसने खिड़की की ओर इशारा करके राजा को खुद देख लेने को कहा। जब राजा ने देखा कि वास्तव में सारे अनार अभी कच्चे हैं, तो उसे भाइयों की सूक्ष्म दृष्टि और तार्किक क्षमता पर विश्वास हो गया।
राजा ने यह महसूस किया कि यद्यपि ये तीनों भाई धन-दौलत से अमीर नहीं हैं, लेकिन उनके पास सबसे बड़ी पूँजी है — बुद्धि, ज्ञान और विवेक। राजा ने उनकी प्रशंसा करते हुए उन्हें अपने दरबार में स्थान दे दिया।

Conclusion

दिए गए पोस्ट में हमने ‘तीन बुद्धिमान‘ नामक पाठ के सारांश, पाठ व्याख्या और शब्दार्थ को जाना। यह पाठ कक्षा 7 हिंदी के पाठ्यक्रम में मल्हार पुस्तक से लिया गया है। यह एक शिक्षाप्रद कहानी है जो तीन बुद्धिमान भाईयों की है। यह कहानी हमें सिखाती है कि बुद्धि सबसे बड़ा धन है। इस पोस्ट को पढ़ने से विद्यार्थी अच्छी तरह से सीख पाएँगे कि पाठ में किस विषय के बारे में बताया गया है। परीक्षाओं में प्रश्नों को आसानी से हल करने में भी विद्यार्थियों के लिए यह पोस्ट सहायक सिद्ध होगा है।