माँ, कह एक कहानी पाठ सार
CBSE Class 7 Hindi Chapter 1 “Maa, Kh Ek Kahani”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Malhar Book
माँ, कह एक कहानी सार – Here is the CBSE Class 7 Hindi Malhar Chapter 1 Maa, Kh Ek Kahani Summary with detailed explanation of the lesson ‘Maa, Kh Ek Kahani’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary
इस पोस्ट में हम आपके लिए सीबीएसई कक्षा 7 हिंदी मल्हार के पाठ 1 माँ, कह एक कहानी पाठ सार, पाठ व्याख्या और कठिन शब्दों के अर्थ लेकर आए हैं जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। हमने यहां प्रारंभ से अंत तक पाठ की संपूर्ण व्याख्याएं प्रदान की हैं क्योंकि इससे आप इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। चलिए विस्तार से सीबीएसई कक्षा 7 माँ, कह एक कहानी पाठ के बारे में जानते हैं।
Maa, Kh Ek Kahani (माँ, कह एक कहानी)
कवि- मैथिलीशरण गुप्त
हमारे देश और विश्व में अनेक कहानियाँ लोग एक.दसरे को सैकड़ों.हजारों सालों से सुनाते आ रहे हैं। इन कहानियों को लोककथाएँ कहते हैं। प्रस्तुत पाठ में भी माँ यशोधरा अपने पुत्र राहुल के कहानी सुनने की जिद्द को पूरा करने के लिए उसके ही पिता सिद्धार्थ की कहानी सुनाती है। उसका यह कहानी सुनाने का उद्देश्य पुत्र के जीवन में पिता के सामान ही प्रेम, न्याय व् करुणा का भाव उत्पन्न करना था।
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माँ, कह एक कहानी पाठ सार Maa, Kh Ek Kahani Summary
यह कविता माँ (यशोधरा) और बेटे (राहुल) के बीच संवाद के रूप में रची गई है। राहुल माँ से जिद करता है कि वह उसे एक कहानी सुनाएँ। माँ एक सुंदर उपवन का दृश्य दिखाते हुए कहानी सुनाती हैं, जहाँ उसके पिता (सिद्धार्थ) भ्रमण करने जाते थे। एक दिन अचानक तेज तीर से घायल हंस उनके सामने गिरता है। राहुल के पिता उस हंस की रक्षा करते हैं, जबकि शिकारी अपने निशाने पर घमंड दिखता हुआ उसे अपना बताता है। विवाद न्यायालय तक पहुँचता है। माँ राहुल से पूछती हैं कि न्याय किसका पक्ष लेगा। राहुल निर्भय होकर कहता है कि न्याय हमेशा दया और रक्षा करने वाले का पक्ष लेता है। माँ उसके उत्तर से प्रसन्न होती हैं। यह कविता दया, करुणा, और न्याय जैसे उच्च मानवीय मूल्यों को सरल और संवादात्मक शैली में प्रस्तुत करती है।
माँ, कह एक कहानी पाठ व्याख्या Maa, Kh Ek Kahani Lesson Explanation
1 –
“माँ, कह एक कहानी।”
“बेटा, समझ लिया क्या तूने
मुझको अपनी नानी?”
“कहती है मुझसे यह चेटी,
तू मेरी नानी की बेटी !
कह माँ, कह, लेटी ही लेटी,
राजा था या रानी?
राजा था या रानी?
माँ, कह एक कहानी।”
शब्दार्थ –
कह – कहना, सुनाना
नानी – माँ की माँ
चेटी – दासी, नौकरानी
व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में सिद्धार्थ पुत्र राहुल अपनी माँ यशोधरा से कहानी सुनाने की जिद्द करता हुए कहता है कि माँ उसे एक कहानी सुना दे। इस पर यशोधरा बालक को डाँटते हुए कहती हैं कि क्या उसने यशोधरा को अपनी नानी समझ लिया है। कहने का तात्पर्य यह है कि बचपन में अक्सर नानी ही बच्चों को कहानी सुनाया करती हैं जिस वजह से यशोधरा भी राहुल से यह वाक्य कहती हैं। बालक कहता है कि उसे तो दासी ने बताया है कि वह उसकी नानी की बेटी है। इसलिए वह जैसी लेटी हुई है वैसे ही लेटे-लेटे कोई कहानी सुना दे। वह कोई ऐसी कहानी सुना दे जिसमें कोई राजा या रानी हो।
भावार्थ – उपरोक्त पंक्तियों का भावार्थ यह है कि सिद्धार्थ पुत्र राहुल अपनी माँ यशोधरा से किसी राजा या रानी की कोई एक कहानी सुनने की जिद्द कर रहा है।

2-
“तू है हठी मानधन मेरे,
सुन, उपवन में बडे सबेरे
तात भ्रमण करते थे तेरे
जहाँ, सुरभि मनमानी।”
“जहाँ सुरभि मनमानी?
हाँ, माँ, यही कहानी।”
शब्दार्थ –
हठी – जिद्दी
मानधन – वह जिसका धन मान व प्रतिष्ठा हो, जो अपने मान या इज़्ज़त को ही धन समझता हो
उपवन – बगीचा
बडे सबेरे – प्रातः काल, सुबह-सवेरे
तात – पिता
भ्रमण – घूमना, सैर करना
सुरभि – सुगंध, सुगन्धित हवा
मनमानी – इच्छा के अनुसार
व्याख्या – यशोधरा पुत्र राहुल से कहती हैं कि वह बड़ा जिद्दी है। परन्तु वह ही उसके सम्मान की पूँजी भी है। यह कहकर यशोधरा पुत्र राहुल को कहानी सुनाने लगती है कि उसके पिता बहुत प्रात: काल में ही बगीचे में भ्रमण करते थे। वहाँ, बगीचे में मन के अनुकूल सुगन्धित हवा बहती थी। राहुल भी माँ की बात दोहराते हुए कहते हैं कि मन को अच्छी लगने वाली सुगन्धित हवा बह रही थी। हाँ, माँ यही कहानी सुना दे।
भाव – उपरोक्त पंक्तियों में यशोधरा पुत्र राहुल की जिद्द को पूरा करने के लिए उसके पिता सिद्धार्थ की ही कहानी सुनाने लगती हैं और राहुल को भी उस कहानी को सुनने का मन हो जाता है।
3 –
“वर्ण वर्ण के फूल खिले थे,
झलमल कर हिम-बिंदु झिले थे,
हलके झोंके हिले-मिले थे,
लहराता था पानी।”
“लहराता था पानी?
हाँ, हाँ, यही कहानी।”
शब्दार्थ –
वर्ण-वर्ण के – रंग-बिरंगे, अलग-अलग रंग के
झलमलकर – झिलमिलाते हुए
हिम बिन्दु – जमी हुई ओस, पाला
झिले थे – चमक रहे थे
हिले मिले थे – मिश्रित थे
लहराता था पानी – पानी लहरा रहा था।
व्याख्या – यशोधरा कहानी सुनाते हुए उस बगीचे की सुन्दरता का वर्णन करती है जिसमें सिद्धार्थ घूमने जाते थे। उस बगीचे में रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे। उस बगीचे में फूल पत्तों पर ओस की बूंदें जमी हुई थी जो उषाकालीन किरणों के स्पर्श से झिलमिला रही थीं। प्रातः कालीन हवा के हल्के झोंकों से ओस की बूंदों से मिश्रित फूल पत्ते चमक रहे थे। हवा के इन कोमल झोंकों से तालाब के पानी में भी लहरें उठ रही थीं। राहुल कहानी सुनते हुए कहने लगा कि हाँ माँ ! यही कहानी! सुना दो।
भाव – उपरोक्त पंक्तियों में यशोधरा राहुल को बगीचे की सुंदरता बतला रही है जिसे सुनना राहुल को बहुत पसंद आ रहा है।
4 –
“गाते थे खग कल कल स्वर से,
सहसा एक हंस ऊपर से,
गिरा, बिद्ध होकर खर-शर से,
हुई पक्ष की हानी!”
“हुई पक्ष की हानी?
करुणा-भरी कहानी!”
शब्दार्थ –
खग -पक्षी
कल-कल स्वर – पक्षियों की मधुर ध्वनि
सहसा – अचानक
बिद्ध होकर – घायल होकर
खर – तेज
शर – बाण
पक्ष – पंख
हानी – हानि
करुणा -दयालुता
व्याख्या – यशोधरा शिकारी के बाण से घायल हंस की दशा को मार्मिक ढंग से वर्णित करते हुए कहती हैं कि प्रातः काल में पक्षी अत्यन्त मधुर स्वर में ध्वनि करते थे। अचानक ही ऊपर से एक हंस नीचे आ गिरा। उस हंस पर किसी ने पैने बाण से प्रहार किया था। उसके एक पंख पर बहुत अधिक चोट आ गई थी। यह सुनते ही बालक राहुल कह उठा कि उसके एक पंख पर चोट आ गई थी। “यह कहानी तो करुणा अर्थात दयालुता से भरी हुई है।”
भाव – उपरोक्त पंक्ति का भाव यह है कि हंस के चोटिल होने की बात सुनकर राहुल का मन भी करुणा से भर गया था।
5 –
“चौंक उन्होंने उसे उठाया,
नया जन्म-सा उसने पाया।
इतने में आखेटक आया,
लक्ष्य-सिद्धि का मानी।”
“लक्ष्य-सिद्धि का मानी?
कोमल-कठिन कहानी।”
शब्दार्थ –
चौंक – अचम्भित होकर, आश्चर्य से
उन्होंने – सिद्धार्थ ने
सा – मानो
आखेटक – शिकारी
लक्ष्यसिद्धि – निशाना साधने में मिली सफलता
मानी – घमण्ड करने वाला
कोमल कठिन – कोमल और कठोर भाव से परिपूर्ण
व्याख्या – यशोधरा सिद्धार्थ द्वारा हंस को उठाने व् शिकारी के आ जाने की बात बालक राहुल को बताती हुई कहती है कि अचम्भित हुए सिद्धार्थ ने घायल हंस पक्षी को उठा लिया। हंस को लगा मानो उसने फिर से नया जन्म प्राप्त किया हो। इसी बीच वह शिकारी वहाँ आ गया जिसने उस पक्षी की घायल किया था। उसे इस बात का घमंड था कि उसका निशाना सफलता पूर्वक लगा है। कहानी सुनता हुआ राहुल कहने लगा कि उस शिकारी को अपने लक्ष्य सिद्धि पर अभिमान था। निश्चित रूप से ही यह कहानी कोमलता का भाव भी लिए हुए है और अति कठोर भाव भी प्रदर्शित कर रही है।
भाव – उपरोक्त पंक्तियों में सिद्धार्थ की ही तरह पुत्र राहुल में भी दया भाव का दर्शन होता है।
6 –
“माँगा उसने आहत पक्षी,
तेरे तात किंतु थे रक्षी।
तब उसने, जो था खगभक्षी-
हठ करने की ठानी।”
“हठ करने की ठानी?
अब बढ़ चली कहानी।”
शब्दार्थ –
आहत – घायल
तेरे तात् – तेरे पिता
रक्षी – रक्षक या रक्षा करने वाला
खगभक्षी – पक्षियों को खाने वाला
ठानी – निश्चय
व्याख्या – यशोधरा आगे कहानी सुनाते हुए कहती हैं कि उस शिकारी ने उस घायल हुए पक्षी की माँग की परन्तु राहुल के पिता (सिद्धार्थ) उस पक्षी के रक्षक थे अर्थात् उन्होंने उसकी रक्षा की थी, वे उसे पक्षी देना नहीं चाहते थे। तब उस शिकारी ने उस घायल हुए पक्षी को हठपूर्वक प्राप्त करने का निश्चय कर लिया, क्योंकि वह तो पक्षियों को खाने वाला था। यह सुन कर राहुल कहने लगा कि “उस शिकारी ने उस घायल पक्षी को रक्षक से हठपूर्वक प्राप्त करने का निश्चय कर लिया। अब तो यह कहानी आगे बढ़ती जा रही है।”
भाव – उपरोक्त पंक्तियों का भाव यह है कि सिद्धार्थ उस घायल पक्षी को बचाना चाहते थे और वह शिकारी उस पक्षी पर अपना अधिकार समझ कर हठ पूर्वक पक्षी को पाना चाहता था।
7 –
“हुआ विवाद सदय-निर्दय में,
उभय आग्रही थे स्वविषय में,
गई बात तब न्यायालय में,
सुनी सभी ने जानी।”
“सुनी सभी ने जानी?
व्यापक हुई कहानी।”
शब्दार्थ –
विवाद – वाद-विवाद
सदय-निर्दय में – दयावान में और दया से रहित व्यक्ति में
उभय – दोनों ही
आग्रही – आग्रह करने वाले, अडिग रहने वाले
स्व विषय में – अपने विषय में
जानी- ज्ञात हुआ
व्यापक हुई – फैल गई, विस्तृत हो गई
व्याख्या – आगे यशोधरा राहुल को कहानी सुनाते हुए बताती हैं कि उस पक्षी को ले कर के दयावान सिद्धार्थ और निर्दयी शिकारी के बीच वाद-विवाद बढ़ने लगा। दोनों ही अपने-अपने विषय पर अथवा अपने-अपने पक्ष में अडिग थे। तब यह वाद-विवाद न्यायालय में चला गया। सभी ने इस वाद-विवाद के बारे में सुना और पूरी घटना को जान लिया। राहुल ने इसी विषय को दुहराते हुए कहा कि तब तो यह कहानी और भी अधिक विस्तृत अथवा सभी जगह फैल गयी होगी।
भाव – उपरोक्त पंक्तियों का भाव यह है कि रक्षक और भक्षक के मध्य वाद-विवाद बढ़ा तो इस वाद-विवाद को न्यायालय में ले जाया गया ताकि सही निर्णय हो सके।
8 –
“राहुल, तू निर्णय कर इसका-
न्याय पक्ष लेता है किसका?
कह दे निर्भय, जय हो जिसका।
सुन लूँ तेरी बानी।”
“माँ, मेरी क्या बानी?
मैं सुन रहा कहानी।
शब्दार्थ –
निर्णय – हल, समाधान
निर्भय – निडर होकर
बानी – बोली, वचन, बात
व्याख्या – यशोधरा कहती है कि राहुल अपने अनुसार इस घटना का समाधान करके बताए कि न्याय किसका पक्ष लिया करता है अर्थात रक्षक का या भक्षक का। वह बिना किसी के डर के ही कह दे कि इस विवाद में किसकी विजय होगी। इस विषय पर यशोधरा राहुल के वचन सुन लेना चाहती थी। माँ की बात सुनकर राहुल कहने लगा कि इस विषय पर वह क्या बात कर सकता है वह तो कहानी सुन रहा है।
भाव – उपरोक्त पंक्तियों का भाव यह है कि पक्षी के हक़ की घटना के निर्णय के विषय में यशोधरा राहुल के वचन सुनना चाहती है।
9 –
कोई निरपराध को मारे,
तो क्यों अन्य उसे न उबारे?
रक्षक पर भक्षक को वारे,
न्याय दया का दानी!”
“न्याय दया का दानी?
तूने गुनी कहानी।”
शब्दार्थ –
निरपराध – अपराध न करने वाले को
उबारे – रक्षा करे
वारे – निछावर किया जा सकता है
दानी – देने वाला
गुनी – समझ ली
व्याख्या – यशोधरा कहानी का अन्त करते हुए कहती है कि जब कोई व्यक्ति किसी निर्दोष को मार रहा हो, तो कोई अन्य व्यक्ति उसके बचाव में क्यों नहीं आयेगा। अर्थात् हर कोई व्यक्ति निर्दोष की रक्षा अवश्य करेगा। इस तरह ऐसे रक्षक के ऊपर अनेक भक्षकों को निछावर किया जा सकता है। कहने का अभिप्राय यह है कि भक्षक से रक्षक श्रेष्ठ होता है। न्याय देने वाला दयावान भी श्रेष्ठ होता है। राहुल ने यह सब सुना कि न्याय देने वाला दयावान श्रेष्ठ होता है। तब उसकी माँ यशोधरा कहने लगी कि अब तो निश्चय ही तुमने कहानी के वास्तविक अर्थ को ठीक तरह से समझ लिया है।
भाव – उपरोक्त पंक्तियों का भाव यह है कि रक्षक ही वस्तुत: भक्षक से बढ़कर होता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
माँ, कह एक कहानी कविता में सिद्धार्थ पुत्र राहुल माँ यशोधरा से कहानी सुनने की जिद्द करता है, जिस पर माँ यशोधरा उसे उसके पिता की ही कहानी सुनाती है। जिसका उद्देश्य यह था कि माँ अपने पुत्र के भीतर पिता के ही समान न्यायप्रिय, प्रेम व् करुणा जैसी भावना का संचार करना चाहती थी। यह लेख, जिसमें कविता की शब्दार्थ सहित व्याख्या, पाठ सार सम्मलित है, विद्यार्थियों की परीक्षा हेतु सहायक है।