फूल और काँंटा पाठ सार

 

CBSE Class 7 Hindi Chapter 3 “Phool Aur Kaanta”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Malhar Book

 

पानी रे पानी सार – Here is the CBSE Class 7 Hindi Malhar Chapter 3 Phool Aur Kaanta Summary with detailed explanation of the lesson ‘Phool Aur Kaanta’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary

 

इस पोस्ट में हम आपके लिए सीबीएसई कक्षा 7 हिंदी मल्हार के पाठ 3 फूल और काँंटा पाठ सार, पाठ व्याख्या और कठिन शब्दों के अर्थ लेकर आए हैं जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। हमने यहां प्रारंभ से अंत तक पाठ की संपूर्ण व्याख्याएं प्रदान की हैं क्योंकि इससे आप  इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। चलिए विस्तार से सीबीएसई कक्षा 7 फूल और काँंटा पाठ के बारे में जानते हैं।

 

Phool Aur Kaanta (फूल और काँंटा)

 

फूल और काँटा’ अयोध्या सिंह ‘उपाध्याय’ जी द्वारा रचित एक सुन्दर कविता है। इस कविता के माध्यम से कवि यह सन्देश देना चाहते हैं कि किसी ऊँचे कुल में जन्म लेना ही सब कुछ नहीं होता क्योंकि किसी के कर्म ही होते हैं जो उसे महानता के शिखर तक ले जाते हैं। इसमें उसके जन्म या कुल का कोई योगदान नहीं होता। इस बात को अच्छी तरह से समझाने के लिए कवि ने फूल और कांटे का उदाहरण देते हुए कविता द्वारा प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है।

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पाठ सार फूल और काँंटा – Phool Aur Kaanta Summary

 

‘फूल और काँटा’ अयोध्या सिंह ‘उपाध्याय’ जी द्वारा रचित एक सुन्दर कविता है। इस कविता के माध्यम से कवि यह सन्देश देना चाहते हैं कि किसी ऊँचे कुल में जन्म लेना ही सब कुछ नहीं होता क्योंकि किसी के कर्म ही होते हैं जो उसे महानता के शिखर तक ले जाते हैं। इसमें उसके जन्म या कुल का कोई योगदान नहीं होता। इस बात को अच्छी तरह से समझाने के लिए कवि ने फूल और कांटे का उदाहरण देते हुए कविता द्वारा प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। कवि फूल और काँटे का उदाहरण देते हुए कहता है कि फूल और काँटे एक ही जगह पैदा होते हैं। एक ही पौधा उनका पालन-पोषण करता है। चाँद की रौशनी भी दोनों पर एक समान बराबर मात्रा में पड़ती है। एक समान परिवेश व् वातावरण मिलने पर भी फूल और कांटें का स्वभाव अलग-अलग होता है। बरसात का पानी, हवाएँ भी बिना किसी भेदभाव के एक समान दोनों पर असर करती हैं। काँटा किसी की भी ऊँगली में चुभ जाता है। किसी के भी सुन्दर व् अच्छे कपड़ों में फस कर उन्हें फाड़ देता है। सुन्दर और प्यारी तितलियों के नाजुक पंखों को और काले भवरों के शरीर को भी घायल कर सकता है। काँटों का स्वभाव हानिकारक है। काँटों के स्वभाव के विपरीत फूल तितलियों को अपनी गोद में ले लेता है और भवरों को भी अपना अच्छा व् बढ़िया रास पिलाता है। अपनी सुगंध और रंग-बिरंगे रंगों से फूल हमेशा ही दिल में ख़ुशी की कली खिला देता है। काँटा सभी को चुभता है इसलिए सभी को बुरा लगता है। दूसरी और फूल सभी को अच्छा लगता है और देवता व् सज्जन लोगों के सिर पर शोभा देता है। कहने का आशय यह है कि यदि किसी व्यक्ति के स्वभाव व् व्यवहार में बड़प्पन की कमी हो तो उसे उच्च कुल भी उसकी प्रतिष्ठा को नहीं बचा सकता। बड़प्पन आपके स्वभाव से झलकता है न की आपके वंश व् प्रतिष्ठित खानदान से।

 

फूल और काँटा पाठ व्याख्या  Phool Aur Kaanta Poem Explanation

Phool Aur Kaanta Summary img 2

1 –
हैं जनम लेते जगत में एक ही‚
एक ही पौधा उन्हें है पालता।
रात में उन पर चमकता चांद भी‚
एक ही–सी चांदनी है डालता।

शब्दार्थ –
जगत – संसार
पालता – पालना, पालन-पोषण करना
एक ही–सी – एक समान
चांदनी – चाँद की रौशनी

व्याख्या – कवि फूल और काँटे का उदाहरण देते हुए कहता है कि फूल और काँटे एक ही संसार में जन्म लेते हैं अर्थात एक ही जगह पैदा होते हैं। एक ही पौधा उन्हें पालता है अर्थात एक ही पौधे पर दोनों का पालन-पोषण होता है। रात होने पर भी चाँद एक सामान उन पर चमकता है अर्थात चाँद को रौशनी भी दोनों पर एक समान बराबर मात्रा में पड़ती है। कहने का आशय यह है कि एक समान परिवेश व् वातावरण मिलने पर भी फूल और कांटें का स्वभाव अलग-अलग होता है।

 

2 –Phool Aur Kaanta Summary img 1
मेह उन पर है बरसता एक–सा‚
एक–सी उन पर हवाएं हैं वहीं।
पर सदा ही यह दिखाता है समय‚
ढंग उनके एक–से होते नहीं।

शब्दार्थ –
मेह – वर्षा
वहीं – बहना
सदा – हमेशा
ढंग – स्वभाव अथवा व्यवहार

व्याख्याकवि फूल और काँटे का उदाहरण देते हुए कहता है कि बरसात का पानी भी फूल और काँटों पर एक समान बराबर बरसता है और हवाएँ भी बिना किसी भेदभाव के एक समान दोनों पर असर करती हैं। परन्तु सब कुछ एक समान मिलने पर भी समय दिखाता है कि दोनों के स्वभाव और व्यवहार में बहुत फर्क होता है। कहने का आशय यह है कि एक समान पालन-पोषण होने पर भी दोनों का स्वभाव और व्यवहार अलग-अलग होता है।

 

3 –
छेद कर कांटा किसी की उंगलियां‚
फाड़ देता है किसी का वर वसन।
और प्यारी तितलियों का पर कतर‚
भौंर का है वेध देता श्याम तन।

शब्दार्थ –
वर – श्रेष्ठ, सुंदर
वसन – वस्त्र, कपडे
पर – पँख
कतर – कतरना, कांटना
भौंर – भँवरा
वेध – घायल
श्याम – काला
तन – शरीर

व्याख्याकवि काँटे के हानिकारक स्वभाव का वर्णन करता हुआ कहता है कि काँटा किसी की भी ऊँगली में चुभ जाता है। किसी के भी सुन्दर व् अच्छे कपड़ों में फस कर उन्हें फाड़ देता है। सुन्दर और प्यारी तितलियों के नाजुक पंखों को भी काट सकता है और काले भवरों के शरीर को भी घायल कर सकता है। कहने का आशय यह है कि काँटों का स्वभाव हानिकारक है।

 

4 –
फूल लेकर तितलियों को गोद में‚
भौंर को अपना अनूठा रस पिला।
निज सुगंधी औ’ निराले रंग से‚
है सदा देता कली दिल की खिला।

शब्दार्थ –
अनूठा – सुंदर, अच्छा, बढ़िया
निज – अपनी
सुगंधी – सुगंध
निराले – सुन्दर
सदा – हमेशा
कली दिल की खिला – प्रसन्न कर देना

व्याख्याकवि फूल के स्वभाव का वर्णन करता हुए कहता है कि काँटों के स्वभाव के विपरीत फूल तितलियों को अपनी गोद में ले लेता है और भवरों को भी अपना अच्छा व् बढ़िया रास पिलाता है। अपनी सुगंध और रंग-बिरंगे रंगों से फूल हमेशा ही दिल में ख़ुशी की कली खिला देता है। कहने का आशय यह है कि फूल के कोमल स्वभाव व् सुगंध से दिल खुश हो जाता है।

 

5 –
खटकता है एक सबकी आंख में‚
दूसरा है सोहता सुर सीस पर।
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे‚
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर। 

शब्दार्थ –
खटकता – चुभना, अच्छा न लगना
सोहता – शोभित होना,
सुर – देवता, सज्जन
सीस – सिर
कुल – वंश
बड़ाई – बड़े होने की अवस्था या भाव, बड़ापन
काम – कार्य
बड़प्पन – श्रेष्ठ होने का गुण या भाव, श्रेष्ठता, महत्व, गौरव
कसर – नुक़्सान, घाटा, द्वेष, वैर 

व्याख्याकवि फूल और काँटे का उदाहरण देते हुए कहता है कि काँटा सभी को चुभता है इसलिए सभी को बुरा लगता है। दूसरी और फूल सभी को अच्छा लगता है और देवता व् सज्जन लोगों के सिर पर शोभा देता है। कवि कहते हैं कि यदि किसी व्यक्ति के स्वभाव व् व्यवहार में बड़प्पन की कमी हो तो उसे उच्च कुल भी उसकी प्रतिष्ठा को नहीं बचा सकता। कहने का आशय यह है कि बड़प्पन आपके स्वभाव में ही दिखता है न की आपके वंश व् प्रतिष्ठित खानदान से।


 

 निष्कर्ष – Conclusion

फूल और कांटे’ कविता के माध्यम से कवि यह सन्देश देना चाहते हैं कि किसी ऊँचे कुल में जन्म लेना ही सब कुछ नहीं होता क्योंकि किसी के कर्म ही होते हैं जो उसे महानता के शिखर तक ले जाते हैं। इसमें उसके जन्म या कुल का कोई योगदान नहीं होता। इस बात को अच्छी तरह से समझाने के लिए कवि ने फूल और कांटे का उदाहरण देते हुए कविता द्वारा प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। इस लेख में कविता की व्याख्या, शब्दार्थ सहित दी गई है जो विद्यार्थियों को परीक्षा हेतु सहायक सिद्ध होंगे।