NCERT Class 9 Hindi Sparsh Book Chapter 5 Dharm Ki Aad Important Question Answers for Term 2 Exam

Dharm Ki Aad Important Question Answers – Here are the Dharm Ki Aad Question Answers for CBSE Class 9 Hindi Sparsh Book Chapter 5 for Term 2 exam. The important questions we have compiled will help the students to brush up on their knowledge about the subject. 

Students can practice Class 9 Hindi important questions to understand the subject better and improve their performance in the exam. The solutions provided here will also give students an idea about how to write the answers. 

 

 

 

बहुविकल्पात्मक प्रश्न – Multiple Choice Questions

प्रश्न 1 – ‘धर्म की आड़’ पाठ के आधार पर आज देश में बढ़ने वाले झगड़ों का क्या कारण है?

(A) सच्चाई

(B) खुरापात

(C) धर्म

(D) ईमान

उत्तर – (C) धर्म

 

प्रश्न 2 – ‘धर्म की आड़’ पाठ के आधार पर साधारण से साधारण इंसान के दिल में कौन सी बात बैठ गई है?

(A) धर्म के नाम पर झगड़ा नहीं करना है

(B) खुरापात नहीं करना है  

(C) धर्म और ईमान के नाम पर जान देना भी उचित है 

(D) अच्छे आचरण को अपनाना है

उत्तर – (C) धर्म और ईमान के नाम पर जान देना भी उचित है 

 

प्रश्न 3 – धर्म के स्पष्ट चिन्ह क्या हैं?

(A) शंख बजाना 

(B) नमाज़ अदा करना 

(C) पूजा – पाठ करना 

(D) शुद्ध आचरण और सदाचार 

उत्तर – (D) शुद्ध आचरण और सदाचार 

 

प्रश्न 4 – लेखक ने किस प्रकार के नास्तिक लोगों को धार्मिक लोगों से अच्छा माना है?

(A) सदाचारी और परोपकारी व्यक्ति को 

(B) ईश्वर भक्त को 

(C) पढ़े – लिखे व्यक्ति को 

(D) पूजा पाठ और नमाज़ पढ़ने वाले व्यक्ति को 

उत्तर – (A) सदाचारी और परोपकारी व्यक्ति को

 

प्रश्न 5 – साधारण व्यक्ति किसके लिए जान देने और जान लेने को सही समझता है?

(A) सच्चाई की रक्षा के लिए 

(B) सच्चाई और धर्म की रक्षा के लिए 

(C) धर्म की रक्षा के लिए 

(D) ईमान की रक्षा के लिए 

उत्तर – (B) सच्चाई और धर्म की रक्षा के लिए 

 

प्रश्न 6 – चालाक और पढ़े – लिखे लोग किस तरह के लोगों का फायदा उठाते हैं?

(A) अनपढ़ और साधारण लोगों का 

(B) धार्मिक लोगो का 

(C) नेताओं का 

(D) शिक्षित लोगों का 

उत्तर – (A) अनपढ़ और साधारण लोगों का 

 

प्रश्न 7 – लेखक के अनुसार धर्म क्या होना चाहिए?

(A) धर्म पूजा – पाठ करना होना चाहिए 

(B) धर्म नमाज़ अदा करना होना चाहिए 

(C) धर्म ईश्वर और आत्मा के बीच का सम्बन्ध होना चाहिए 

(D) धर्म लोगों को बहकाना होना चाहिए 

उत्तर – (C) धर्म ईश्वर और आत्मा के बीच का सम्बन्ध होना चाहिए 

 

प्रश्न 8 – साम्यवाद के जन्म का लेखक ने क्या कारण माना है?

(A) गरीब और मजदूरों का शोषण 

(B) धार्मिक भेद-भाव 

(C) जाति भेद-भाव 

(D) तानाशाही 

उत्तर – (A) गरीब और मजदूरों का शोषण

 

प्रश्न 9 – ‘धर्म की आड़’ पाठ में लेखक ने किन लोगों को बेनकाब किया है?

(A) सच्चाई की राह पर चलने वालो को 

(B) खुरापात रोकने वालों को 

(C) धर्म की आड़ में अपने स्वार्थ को सिद्ध करने वालों को 

(D) पूजा पाठ और नमाज़ पढ़ने वालों को 

उत्तर – (C) धर्म की आड़ में अपने स्वार्थ को सिद्ध करने वालों को

 

प्रश्न 10 – कौन सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा?

  1. A) धर्म के नाम पर एक दूसरे को लड़वाना

(B) धर्म के नाम पर दूसरे संप्रदाय के लोगों की आज़ादी छीनना

(C) देश भर में उत्पात मचाना

(D) उपरोक्त सभी 

उत्तर – (D) उपरोक्त सभी 

 

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Dhram Ki Aad Short Question Answers – 25 to Words

प्रश्न 1 – चलते-पुरजे लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?

उत्तर – चलते-पुरजे लोग धर्म के नाम पर मूर्ख और सीधे लोगों के उत्साह और शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि आसानी से अपना बड़प्पन और नेतृत्व कायम रख सकें।

 

प्रश्न 2 – चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?

उत्तर – साधारण आदमी को धर्म का मतलब लगता है लकीर पीटते रहना। चालाक लोग इसी मनोदशा का लाभ उठाते हैं।

 

प्रश्न 3 – आनेवाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने देगा?

उत्तर – आनेवाले समय में लोगों के शुद्ध आचरण को बल मिलेगा। ऐसे लोग जो नमाज या पूजा के बहाने दूसरे की आज़ादी को छीनते हैं और देश भर में उत्पात फैलाते हैं; उन्हें आनेवाला समय टिकने नहीं देगा।

 

प्रश्न 4 – कौन सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा?

उत्तर – धर्म के नाम पर एक दूसरे को लड़वाना, धर्म के नाम पर दूसरे संप्रदाय के लोगों की आज़ादी छीनना, देश भर में उत्पात मचाना, आदि कार्यों को देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा।

 

प्रश्न 5 – पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?

उत्तर – पाश्चात्य देशों में धनी लोगों के आलीशान महल गरीबों के पसीने की कमाई का नतीजा होते हैं। धनी लोग हमेशा गरीबों का खून चूसते हैं। इसके परिणामस्वरूप अमीरों और गरीबों के बीच लड़ाई का जन्म होता है।

 

प्रश्न 6 – कौन से लोग धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे हैं?

उत्तर – वैसे नास्तिक लोग जो किसी पर अत्याचार नहीं करते, किसी को एक दूसरे के खिलाफ नहीं लड़वाते हैं। ऐसे लोग अक्सर निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद भी करते हैं।

 

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Dharam Ki Aad Long Question Answers – 50 to 60 Words

प्रश्न 1 – धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है?

उत्तर – धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को रोकने के लिए धर्म की उपासना सही तरीके से करनी होगी। धर्म की उपासना के मार्ग में कोई खलल न हो। हर व्यक्ति को अपने ढ़ंग से धर्म का आचरण करने की आज़ादी हो। धर्म को एक ऐसा ज़रिया बनाना होगा जिससे आप ईश्वर से साक्षात्कार कर सकें, आत्मा को शुद्ध कर सकें और उसे ऊँचा उठा सकें। आप दूसरे किसी को भी उसका धर्मपालन करने से न रोकें।

 

प्रश्न 2 – ‘बुद्धि की मार’ के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?

उत्तर – जब कोई व्यक्ति साधारण मनुष्य को धर्म की आड़ में लड़वाता है तो यह बुद्धि की मार होती है। इस स्थिति में लोगों की बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए ले लिया जाता है। उसके बाद धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर लोगों को लड़वाया जाता है ताकि अपनी स्वार्थ सिद्धि हो सके।

 

प्रश्न 3 – लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?

उत्तर – लेखक के हिसाब से धर्म की उपासना के मार्ग में कोई रुकावट न हो। हर व्यक्ति को अपने हिसाब से धर्म की भावना को जगाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। धर्म एक साधन हो जिससे मन का सौदा हो, ईश्वर और आत्मा के बीच संबंध स्थापित हो, और जिससे आत्मा शुद्ध हो। कोई भी व्यक्ति दूसरे के धर्म में खलल न डाले। विभिन्न धर्मों के लोगों को आपस में टकराव से बचना चाहिए।

 

प्रश्न 4 – महात्मा गांधी के धर्म संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर – महात्मा गांधी धर्म को हर जगह स्थान देते थे। वे बिना धर्म के एक कदम भी चलने को तैयार नहीं होते थे। महात्मा गांधी के लिए धर्म का मतलब ऊँचे और उदार आदर्श हुआ करते थे। वे सभी धर्म को समान भाव से देखते थे।

 

प्रश्न 5 – सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?

उत्तर – यदि कोई आदमी सुबह दो घंटे पूजा करता है या दिन में पाँचों वक्त नमाज पढ़ता है, लेकिन उसके बाद पूरे दिन बेईमानी और धूर्तता में लिप्त रहता है तो उसे धार्मिक नहीं कहा जाएगा। यदि आप अपने आचरण को सुधार लें और किसी के साथ गलत ना करें तभी आप धार्मिक कहलाएँगे। समाज में सुख शांति और सबके कल्याण के लिए जरूरी है कि हर व्यक्ति अपना आचरण सुधार ले।

 

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1 – उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।

उत्तर – साधारण आदमी को इतना पता होता है कि धर्म और ईमान के लिए जान भी देनी पड़े तो उचित है। उसे धर्म का असली मर्म नहीं पता होता है। इसलिए उसे आसानी से बहकाया जा सकता है और जिधर चाहे हाँका जा सकता है।

 

प्रश्न 2 – यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना भिड़ाना।

उत्तर – लेखक ने धर्म के नाम पर बहकाए जाने को बुद्धि की मार बताया है। धर्म के नाम पर पहले तो लोगों की बुद्धि पर परदा डाल दिया जाता है। उसके बाद चालाक लोग ऐसे लोगों के दिमाग में से ईश्वर और आत्मा को हटाकर अपना स्थान बना लेते हैं। फिर अपना उल्लू सीधा करने के लिए ये धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़वाते हैं।

 

प्रश्न 3 – अब तो, आपका पूजा पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी।

उत्तर – लेखक का मानना है कि आने वाले समय में आपकी पूजा पाठ से यह तय नहीं होगा कि आप कितने धार्मिक हैं। बल्कि आपके आचरण से यह तय होगा कि आप कितने धार्मिक हैं। यदि कोई नास्तिक मनुष्य भी इमानदार है और दूसरों को कष्ट नहीं पहुँचाता है तो उसे एक धार्मिक मनुष्य माना जाएगा।

 

प्रश्न 4 – तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो, और आदमी बनो।

उत्तर – ईश्वर भी ऐसे लोगों से अपने आप को अलग कर लेगा जो धर्म के नाम पर दूसरों को प्रताड़ित करते हैं, या समाज में उत्पात मचाते हैं। ईश्वर का अस्तित्व किसी की पूजा अर्चना पर नहीं टिका है। इसलिए ईश्वर ऐसे व्यक्ति का ही साथ देगा जो सही मायने में मनुष्य है और दूसरे मनुष्यों का आदर करता है।

 

Class 9 Hindi Sanchayan Book Chapter-wise Lesson Explanation 


 

 

Extra Question Answers  – 25 से 30 शब्दों में

प्रश्न 1 – लेखक के अनुसार आज देश में धर्म और सच्चाई के नाम पर क्या – क्या हो रहा है ?

उत्तर – लेखक के अनुसार आज देश में धर्म और सच्चाई के नाम पर खुरापात किए जाते हैं और कही पर तो धर्म और सच्चाई के नाम पर जिद भी की जाती है। अनपढ़ और मन्दबुद्धि लोग धर्म और सच्चाई को जानें, या न जानें, परंतु उनके नाम पर किसी पर भी गुस्सा कर जाते हैं और जान लेने और जान देने के लिए भी तैयार हो जाते हैं। 

 

प्रश्न 2 – धर्म की आड़ पाठ में साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है?

उत्तर – साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह से घर करके बैठ गई है कि धर्म के सम्मान की रक्षा के लिए प्राण दे देना भी उचित है। धर्म के नाम पर वे किसी की भी जान लेने और अपनी जान देने के लिए भी तैयार हो जाते हैं। 

 

प्रश्न 3 – लेखक के अनुसार धर्म और सच्चाई की बुराइयों से काम लेना कैसे आसान है ?

उत्तर – लेखक के अनुसार धर्म और सच्चाई की बुराइयों से काम लेना इसलिए आसान है क्योंकि हमारे देश के साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह बैठी हुई है कि धर्म और सच्चाई की रक्षा के लिए प्राण तक दे देना बिलकुल सही है। बेचारा साधारण आदमी धर्म के तत्त्वों को क्या जाने? किस्मत के सहारे चलते रहना ही वह अपना धर्म समझता है। साधारण लोगों की इस अवस्था से चालाक लोग इस समय उन साधारण लोगों का बहुत गलत फ़ायदा उठा रहे हैं। 

 

प्रश्न 4 – पाश्चात्य देशों और हमारे देश में क्या अंतर है ? पाठ के आधार पर लिखिए। 

उत्तर – पाश्चात्य देशों में, धनी लोगों की, गरीब मज़दूरों की झोंपड़ी का मज़ाक उड़ाते ऊँचे-ऊँचे मकान आकाश से बातें करते हैं! गरीबों की कमाई ही से वे अमीर से अमीर होते जा रहे हैं, और उन ग़रीब मजदूरों के बल से ही वे हमेशा इस बात का प्रयास करते हैं कि गरीब सदा चूसे जाते रहें। ताकि वे हमेशा अमीर बने रहें। हमारे देश में, इस समय, धनवान लोगों का इतना बोल-बाला नहीं है। हमारे देश में धर्म के नाम पर कुछ गिने-चुने लोग हैं जो अपने गलत इरादों की पूर्ति के लिए, करोड़ों आदमियों की शक्ति का गलत उपयोग किया करते हैं।

 

प्रश्न 5 – धर्म और सच्चाई के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को रोकने के लिए लेखक ने क्या उपाय दर्शाया है ?

उत्तर – धर्म और सच्चाई के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को रोकने के लिए, साहस और दृढ़ता के साथ, उद्योग होना चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक भारतवर्ष में हमेशा बढ़ते जाने वाले झगडे़ कभी कम नहीं होंगे।

 

प्रश्न 6 – धर्म की आड़ में किस प्रकार के प्रपंच रचे जा रहे हैं?

उत्तर – धर्म की आड़ में लोग दो घण्टे बैठकर पूजा करना, पाँच-वक्त नमाज अदा करना, अजाँ देना, शंख बजाना, और फिर अपने को दिनभर बेईमानी करने और दूसरों को कष्ट पहुँचाने के लिए आज़ाद समझते हैं। इसे आप किसी भी दृष्टि से धर्म नहीं कह सकते।

 

प्रश्न 7 – ‘धर्म की आड़’ पाठ में चालाक लोग सामान्य आदमियों से किस तरह फायदा उठा लेते हैं?

उत्तर – चालाक लोग भली भाँती समझते हैं कि सामान्य लोगों की धार्मिक भावनाओं का शोषण किस प्रकार किया जा सकता है। ये सामान्य लोग धर्म के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। वे लकीर को पीटते रहना ही धर्म समझते हैं। चालाक लोग धर्म का भय दिखाकर उनसे अपनी बातें मनवा ही लेते हैं और मूर्ख लोगों की शक्तियों और उत्साह का गलत उपयोग कर के मूर्खों के बल के आधार पर चालाक लोग अपना नेतृत्व और बड़प्पन कायम रखने में सफल हो जाते हैं।

 

प्रश्न 8 – धर्म और ईमान के नाम पर कौन-कौन से ढोंग किए जाते हैं?

उत्तर – आज धर्म और ईमान के नाम पर उपद्रव किए जाते हैं और आपसी झगड़े करवाए जाते हैं। स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को आपस में लड़ाया जाता है। धर्म के नाम पर दंगे होते हैं और धर्म तथा ईमान पर जिद की जाती है। हर समुदाय का व्यक्ति दूसरे की जान लेने तथा जान देने के लिए तैयार होता है।

 

प्रश्न 9 – लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?

उत्तर – लेखक के अनुसार, धर्म के विषय में मानव स्वतन्त्र होना चाहिए। हर व्यक्ति आजाद होना चाहिए, ताकि वह जो धर्म अपनाना चाहे, अपना सके। कोई किसी की स्वतन्त्रता में बाधा न खड़ी करे। धर्म का सम्बन्ध हमारे मन से, ईमान से, ईश्वर और आत्मा से होना चाहिए।

 

प्रश्न 10 – लेखक चलते-पुरज़े लोगों को यथार्थ दोष क्यों मानता है? धर्म की आड़ पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर – कुछ चालाक पढ़े-लिखे और चलते पुरज़े लोग, अनपढ़-गँवार साधारण लोगों के मन में कट्टर बातें भरकर उन्हें धर्मांध बनाते हैं। ये लोग धर्म विरुद्ध कोई बात सुनते ही भड़क उठते हैं, और मरने-मारने को तैयार हो जाते हैं। ये लोग धर्म के विषय में कुछ नहीं जानते यहाँ तक कि धर्म क्या है, यह भी नहीं जानते हैं।

सदियों से चली आ रही घिसी-पिटी बातों को धर्म मानकर धार्मिक होने का दम भरते हैं और धर्म की रक्षा के लिए जान देने को तैयार रहते हैं। चालाक लोग उनके साहस और शक्ति का उपयोग अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए करते हैं। उनके इस दुराचार के लिए लेखक चलते-पुरज़े अर्थात पढ़े -लिखे लोगों का यथार्थ दोष मानता है।
 

 

 

Extra Question Answers – 60 से 70  शब्दों में

प्रश्न 1 – देश में धर्म की धूम है – का आशय धर्म की आड़ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – देश में धर्म की धूम है-का आशय यह है कि देश में धर्म का प्रचार-प्रसार अत्यंत जोर-शोर से किया जा रहा है। इसके लिए गोष्ठियाँ, चर्चाएँ, सम्मेलन, भाषण आदि हो रहे हैं। लोगों को अपने धर्म से जोड़ने के लिए धर्माचार्य विशेषताएँ गिना रहे हैं। वे लोगों में धर्मांधता और कट्टरता भर रहे हैं।

इसका परिणाम यह है कि साधारण व्यक्ति आज भी धर्म के सच्चे स्वरूप को नहीं जान-समझ सका है। लोग अपने धर्म को दूसरे से श्रेष्ठ ‘समझने की भूल’ मन में बसाए हैं। ये लोग अपने धर्म के विरुद्ध कोई बात सुनते ही बिना सोच-विचार किए मरने-मारने को तैयार हो जाते हैं। ये लोग दूसरे धर्म की अच्छाइयों को भी सुनने को तैयार नहीं होते हैं और स्वयं को सबसे बड़ा धार्मिक समझते हैं।

 

प्रश्न 2 – साधारण आदमी की क्या गलती है और पढ़े – लिखे लोग किस तरह उनका गलत इस्तेमाल करते हैं ? पाठ के आधार पर समझाए। 

उत्तर – गुस्सा करने वाले साधारण आदमी की केवल इतनी ही गलती है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग उसे जैसा भी कहते हैं, वह उनकी बातों पर विश्वास कर लेता है। कहने का तात्पर्य यह है कि गलती उन कुछ पढे़-लिखे लोगों की है, जो मूर्ख लोगों की शक्तियों और उत्साह का गलत उपयोग इसलिए कर रहे हैं ताकि उन मूर्खों के बल के आधार पर पढे़-लिखे लोगों का नेतृत्व और बड़प्पन कायम रहे।

इसके लिए धर्म और सच्चाई की बुराइयों से काम लेना उन्हें सबसे आसान लगता है। क्योंकि अनपढ़ और मन्दबुद्धि लोग धर्म और सच्चाई को जानें, या न जानें, परंतु उनके नाम पर किसी पर भी गुस्सा कर जाते हैं और जान लेने और जान देने के लिए भी तैयार हो जाते हैं।

 

प्रश्न 3 – गरीबों का धनवान लोगों के द्वारा शोषण किया जाना बुरा है या धनवान लोगो का मजदूरों की बुद्धि पर वार करना। पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – गरीबों का धनवान लोगों के द्वारा शोषण किया जाना इतना बुरा नहीं है, जितना बुरा धनवान लोगो का मजदूरों की बुद्धि पर वार करना है। जहाँ गरीबों का धनवान लोगों के द्वारा शोषण किया जाता है, वहाँ धन दिखाकर करोड़ों को वश में किया जाता है, और फिर मन-माना धन पैदा करने के लिए उन्हें अपने तरीकों से चला दिया जाता है। जहाँ धनवान लोगो का मजदूरों की बुद्धि पर वार किया जाता है वहाँ बुद्धि पर पर्दा डालकर धन दिखाकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर, धर्म, सच्चाई, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपने गलत इरादों की पूर्ति के लिए लोगों को आपस में लड़ाना-भिड़ाना। लेखक कहता है कि बेचारे  मूर्ख अनपढ़ मज़दूर धर्म  की दुहाइयाँ देते और दीन-दीन चिल्लाते हैं। वे अपने प्राणों की बाजियाँ लगा देते हैं और थोडे़-से अनियंत्रित और धूर्त आदमियों के इरादों को पूरा करते और उनका बल बढ़ाते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि दोनों ही स्थितियाँ बहुत भयंकर है परन्तु यदि दोनों में तुलना की जाए तो धनवान लोगो का मजदूरों की बुद्धि पर वार करना अत्यधिक खतरनाक स्थिति है।

 

प्रश्न 4 – धर्म की उपासना के रास्ते में कोई भी रुकावट नहीं आती। इसका फ़ायदा किस प्रकार उठाया जाता है और लेखक के अनुसार इसे कैसे रोका जा सकता है ?

उत्तर – धर्म की उपासना के रास्ते में कोई भी रुकावट नहीं आती। इसका फ़ायदा उठाते हुए लोग जिसका मन जिस प्रकार चाहे, उसी प्रकार धर्म की भावना को अपने मन में जगाते हैं जैसे धर्म और सच्चाई, मन का सौदा हो, ईश्वर और आत्मा के बीच का संबंध हो, आत्मा को शुद्ध करने और ऊँचे उठाने का साधन हो।

लेखक कहते है कि चाहे धर्म की कोई भी भावना हो, किसी दशा में भी वह किसी दूसरे व्यक्ति की स्वतंत्रता को छीनने या नष्ट करने का साधन नहीं बननी चाहिए। व्यक्तिओं  को अपने मनोभाव के अनुसार धर्म मानने की स्वतंत्रता होनी चाहिए । लेखक कहता है कि दो भिन्न धर्मों के मानने वालों के टकरा जाने के लिए इस देश में कोई भी स्थान नहीं होनी चाहिए`। यदि किसी धर्म के मानने वाले कहीं ज़बरदस्ती टाँग अड़ाते हों, तो उनका इस प्रकार का कार्य देश की स्वतंत्रता के विरुद्ध समझा जाना चाहिए।

 

प्रश्न 5 – महात्माजी के धर्म और उसके मायने क्या है ? पाठ के आधार पर समझाइए। 

उत्तर – धर्म से महात्माजी का मतलब धर्म ऊँचे और उदार तत्त्वों ही का हुआ करता है। गांधी जी कहते थे कि अजाँ देने, शंख बजाने, नाक दाबने और नमाज़ पढ़ने का नाम धर्म नहीं है कहने का तात्पर्य यह है कि धर्म बाहरी पाखंडो या आडंबरो का नाम नहीं है। शुद्ध आचरण और अच्छा व्यवहार ही धर्म के स्पष्ट चिह्न हैं। दो घंटे तक बैठकर पूजा कीजिए और पंच-वक्ता नमाज़ भी अदा कीजिए, परन्तु ईश्वर को इस प्रकार रिश्वत दे चुकने के पश्चात्, यदि आप अपने को दिन-भर बेईमानी करने और दूसरों को तकलीफ पहुँचाने के लिए आज़ाद समझते हैं तो, इस धर्म को, आगे आने वाला समय कदापि नहीं टिकने देगा। अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी शराफ़त की परख केवल आपका आचरण होगी। सबके कल्याण की दृष्टि से, आपको अपने आचरण को सुधारना पडे़गा और यदि आप अपने आचरण को नहीं सुधारेंगे तो नमाज़ और रोज़े, पूजा और गायत्री आपको देश के अन्य लोगों की आज़ादी को रौंदने और देश-भर में खुरापातों का कीचड़ उछालने के लिए आज़ाद न छोड़ सकेगी। कहने का तात्पर्य यह है कि यदि आपका आचरण दूसरों के लिए सही नहीं है तो आप चाहे कितनी भी पूजा अर्चना नमाज़ आदि पढ़ लें कोई फ़ायदा नहीं होगा।

 

प्रश्न 6 – लेखक ने ऐसे धार्मिक और दीनदार आदमी जो हर वक्त ईश्वर को तो याद करते हैं परन्तु जिनका आचरण अच्छा नहीं है, उन से नास्तिक आदमी को अधिक अच्छा क्यों कहा है

उत्तर – लेखक कहते हैं कि ऐसे धार्मिक और दीनदार आदमी जो हर वक्त ईश्वर को तो याद करते हैं परन्तु जिनका आचरण अच्छा नहीं है, उन ऐसे धार्मिक और दीनदार आदमियों से तो वह नास्तिक आदमी कहीं अधिक अच्छे और ऊँचे हैं, जिनका आचरण अच्छा है, जो दूसरों के सुख-दुःख का खयाल रखते हैं और जो मूर्खों को किसी स्वार्थ-सिद्धि के लिए उकसाना बहुत बुरा समझते हैं ।

कहने का तात्पर्य यह है कि वे लोग जो एक समय में तो ईश्वर की उपासना करते हैं परन्तु दूसरे ही पल बुरे कामों को करने से नहीं हिचकिचाते वे कभी भी ईश्वर के नजदीक नहीं हो सकते क्योंकि ईश्वर कभी किसी का बुरा नहीं चाहेंगे और जो बुरे काम करने वाले हैं , दूसरों को दुःख देने वाले हैं ईश्वर कभी उनकी प्रार्थना स्वीकार नहीं करेंगे। लेखक यह सब कह कर हमें समझाना चाहते हैं कि पूजा पाठ करने से आपके बुरे काम सही नहीं हो सकते।

ईश्वर इन नास्तिकों जिनका कोई धर्म नहीं होता ऐसे लोगों को अधिक प्यार करेगा, और वह अपने पवित्र नाम पर अपवित्र काम करने वालों से यही कहना पसंद करेगा, कि मुझे मानो या न मानो, तुम्हारे मानने ही से उनका ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो! यहाँ लेखक कहना चाहता है कि ईश्वर को मानो या न मानो कोई फ़र्क नहीं पड़ता। ईश्वर है और हमेशा रहेगा। लेखक सभी से प्रार्थना करता है कि सभी मनुष्य हैं, मनुष्य ही बने रहें पशु न बने।

 

 

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