Agnipath Class 9 Hindi Chapter 12 Summary, Explanation, Question Answer

 

Agnipath Class 9 Hindi Chapter 12 Explanation

 

अग्निपथ NCERT Class 9 Hindi Sparsh book Chapter 12, Explanation and Question Answer

 
 

अग्निपथ CBSE Class 9 Hindi Sparsh Lesson 12 summary with detailed explanation of the poem ‘Agnipath’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the poem, along with a summary and all the exercises, Question and Answers given at the back of the lesson.

कक्षा 9 स्पर्श भाग 1 पाठ 12 “अग्नि पथ

यहाँ हम हिंदी कक्षा 9 ”स्पर्श – भाग 1” के काव्य खण्ड पाठ 12 “अग्नि पथ” के पाठ प्रवेश, पाठ सार, पाठ व्याख्या, कठिन शब्दों के अर्थ, अतिरिक्त प्रश्न और NCERT पुस्तक के अनुसार प्रश्नों के उत्तर इन सभी बारे में जानेंगे

 

By Shiksha Sambra

कवि परिचय

कवि – हरिवंशराय बच्चन
जन्म – 1907

 

अग्निपथ पाठ प्रवेश

प्रस्तुत कविता में कवि ने संघर्ष से भरे जीवन को ‘अग्नि पथ’ कहते हुए मनुष्य को यह संदेश दिया है कि हमें अपने जीवन के रास्ते में सुख रूपी छाँह की इच्छा न करते हुए अपनी मंशिल की ओर मेहनत के साथ बिना थकान महसूस किए बढ़ते ही जाना चाहिए। कविता में शब्दों की पुनरावृत्ति कैसे मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है, यह देखने योग्य है।

प्रस्तुत कविता में कवि ने संघर्ष से भरे जीवन को ‘अग्नि पथ’ कहते हुए मनुष्य को यह संदेश दिया है कि जीवन में जब कभी भी कठिन समय आता है तो यह समझ लेना चाहिए कि यही कठिन समय तुम्हारी असली परीक्षा है। यदि मनुष्य को जीवन में सफल होना है तो कभी भी किसी भी कठिन समय में किसी की मदद नहीं लेनी चाहिए। मनुष्य को एक प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि चाहे मंजिल तक पहुँचने के रास्ते में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आए मनुष्य कभी भी मेहनत करने से थकेगा नहीं, कभी रुकेगा नहीं और ना ही कभी पीछे मुड़ कर देखेगा। जब कोई मनुष्य किसी कठिन रास्ते से होते हुए अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ता है तो उसका वह संघर्ष दूसरों के लिए प्रेरणा दायक होता है। कवि कहता है कि अपनी मंजिल पर वही मनुष्य पहुँच पाते हैं जो कड़ी मेहनत कर के आगे बढ़ते हैं।

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अग्निपथ पाठ व्याख्या

काव्यांश
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी माँग मत, माँग मत, माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

शब्दार्थ –
अग्नि पथ – कठिनाइयों से भरा हुआ मार्ग, आगयुक्त मार्ग
पत्र – पत्ता
छाँह – छाया

व्याख्या – कवि मनुष्यों को सन्देश देता है कि जीवन में जब कभी भी कठिन समय आता है तो यह समझ लेना चाहिए कि यही कठिन समय तुम्हारी असली परीक्षा का है। ऐसे समय में हो सकता है कि तुम्हारी मदद के लिए कई हाथ आगे आएँ, जो हर तरह से तुम्हारी मदद के लिए सक्षम हो लेकिन हमेशा यह याद रखना चाहिए कि यदि तुम्हे जीवन में सफल होना है तो कभी भी किसी भी कठिन समय में किसी की मदद नहीं लेनी चाहिए। स्वयं ही अपने रास्ते पर कड़ी मेहनत साथ बढ़ते रहना चाहिए।

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काव्यांश
तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी! कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

शब्दार्थ –
शपथ – कसम, सौगंध

व्याख्या – कवि मनुष्यों को समझाते हुए कहता है कि जब जीवन सफल होने के लिए कठिन रास्ते पर चलने का फैसला कर लो तो मनुष्य को एक प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि चाहे मंजिल तक पहुँचाने के रास्ते में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आए मनुष्य को कभी भी मेहनत करने से थकेगा नहीं, कभी रुकेगा नहीं और ना ही कभी पीछे मुड़ कर देखेगा।

यह महान दृश्य है

चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

शब्दार्थ –
अश्रु – आँसू
स्वेद – पसीना
रक्त – खून, शोणित
लथपथ – सना हुआ

व्याख्या – कवि मनुष्यों को सन्देश देते हुए कहता है कि जब कोई मनुष्य किसी कठिन रास्ते से होते हुए अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ता है तो उसका वह संघर्ष देखने योग्य होता है अर्थात दूसरों के लिए प्रेरणा दायक होता है। कवि कहता है कि अपनी मंजिल पर वही मनुष्य पहुँच पाते हैं जो आँसू, पसीने और खून से सने हुए अर्थात कड़ी मेहनत कर के आगे बढ़ते हैं।

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अग्निपथ प्रश्न अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1 – कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?

उत्तर – जीवन में जब कठिनाई का दौर चलता है तभी किसी की असली परीक्षा होती है। ऐसे ही दौर को कवि ने अग्नि पथ के रूप में देखा है।

प्रश्न 2 – ‘माँग मत, ‘कर शपथ, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर – ‘माँग मत, ‘कर शपथ, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार बार प्रयोग करके कवि कई ऐसी भावनाओं को उजागर करता है जो मंजिल को हासिल करने के लिए जरूरी होती हैं। दृढ़ इच्छाशक्ति और लाख गिरने के बावजूद किसी से मदद की गुहार न करना ही ऐसे समय में सफलता की कुंजी होती है।

प्रश्न 3 – ‘एक पत्र छाँह भी माँग मत’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – हो सकता है कि कठिन दौर में आपकी मदद के लिए कई लोग आगे आएँ। जो हर तरह से आपकी मदद के लिए सक्षम हो लेकिन हमेशा यह याद रखना चाहिए कि यदि आपको जीवन में सफल होना है तो कभी भी किसी भी कठिन समय में किसी की मदद नहीं लेनी चाहिए। स्वयं ही अपने रास्ते पर कड़ी मेहनत साथ बढ़ते रहना चाहिए।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1 – तू न थमेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी

उत्तर – जब कठिन रास्ते पर चलना हो तो मनुष्य को एक प्रतिज्ञा करनी चाहिए। वह कभी नहीं थकेगा, कभी नहीं रुकेगा और कभी पीछे नहीं मुड़ेगा।

प्रश्न 2 – चल रहा मनुष्य है, अश्रु, स्वेद, रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ

उत्तर – जब कोई किसी कठिन रास्ते से होते हुए अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ता है तो उसका वह संघर्ष देखने योग्य होता है अर्थात दूसरों के लिए प्रेरणा दायक होता है। वही मनुष्य मंजिल पर पहुँच पाते हैं जो आँसू, पसीने और खून से सने हुए अर्थात कड़ी मेहनत कर के आगे बढ़ते हैं।

प्रश्न 3 – इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।

त्तर – इस कविता का मूलभाव यह है की जब कठिन दौर आता है तभी मनुष्य की असली परीक्षा होती है। ऐसे में उसे किसी से मदद नहीं माँगनी चाहिए। ऐसे समय में उसे न तो थकना चाहिए, न ही रुकना चाहिए और न ही पीछे मुड़ना चाहिए। इस प्रयास में हो सकता है कि मनुष्य अपने खून-पसीने से नहा जाए लेकिन उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति ही उसको उसकी मंजिल तक पहुँचा सकती है।

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Check out – Class 9 Hindi Sparsh and Sanchayan Book Chapter-wise Explanation

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