NCERT Class 8 Hindi Malhar Book Chapter Wise difficult word meanings
Here, the difficult words and their meanings of all the Chapters of CBSE Class 8 Hindi Malhar Book have been compiled for the convenience of the students. This is an exhaustive list of the difficult words and meanings of all the Chapters from the NCERT Class 8 Hindi Malhar Book. The difficult words’ meanings have been explained in an easy language so that every student can understand them easily.
- Chapter 1 – स्वदेश (Swadesh)
- Chapter 2 – दो गौरैया (Do Gauraiya)
- Chapter 3 – एक आर्शीवाद (Ek Aashirwad)
- Chapter 4 – हरिद्वार (Haridwar)
- Chapter 5 – कबीर के दोहे (Kabir Ke Dohe)
- Chapter 6 – एक टोकरी भर मिट्टी (Ek Tokri Bhar Mitti)
- Chapter 7 – मत बाँधो (Mat Bandho)
- Chapter 8 – नए मेहमान पाठ सार (Naye Mehman)
- Chapter 9 – आदमी का अनुपात (Aadami Ka Anupat)
- Chapter 10 – तरुण के स्वप्न (Tarun Ke Swapn)
Class 8 Hindi Word Meaning of Chapters in Malhar Book
- हृदय– दिल, मन
- स्वदेश– अपना देश
- सार– महत्व, मूल्य
- साहस- हिम्मत, बहादुरी
- पार- सफलता तक पहुँचना, मंज़िल तक पहुँचना
- जाति– समाज, समुदाय
- उद्धार- भलाई, उन्नति, कल्याण
- भावों- भावनाओं, संवेदनाओं
- रस-धार– भावनाओं की मधुर धारा, प्रेम की लहर
- दाना-पानी– भोजन और पानी, जीवन-निर्वाह के साधन
- बंधु– भाई-बंधु, रिश्तेदार
- खजाने– धन-सम्पत्ति
- नव रत्न– नए और अनमोल रत्न
- लासानी– अनोखे, बेजोड़, जिनकी कोई तुलना न हो
- ज्ञानी- विद्वान व्यक्ति
- पसीजा– दया आना, कोमल भावना जागी
- भू- धरती, पृथ्वी
- निश्चित- तय, पक्का
- निस्संशय- बिना संदेह के, निश्चित रूप से
- जान- प्राण, जीवन
- काल-दीप– मृत्यु का प्रतीक दीपक, समय की जलती लौ
- हरदम– हमेशा, निरंतर
- परवानों– दीवाने, बलिदान देने वाले
- तोप– युद्ध में प्रयोग होने वाला भारी हथियार
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Chapter 2 – दो गौरैया (Do Gauraiya)
- सराय – यात्रियों के ठहरने का स्थान
- मेहमान – अतिथि
- डेरा डालना – किसी स्थान विशेष पर अस्थायी निवास, जमकर बैठ जाना
- बीसियों – अत्यधिक, बीस की संख्या के आस-पास
- बसते – रहते
- धमा चौकड़ी – उछल-कूद, हंगामा
- कसरत – व्यायाम
- बर्रे – ततैया
- फीज – फौज
- छावनी – डेरा, पड़ाव
- निरीक्षण – गौर से देखना, जाँच, (इंस्पेक्शन)
- बिछावन – बिछौना, बिस्तर
- व्यंग्य – मजाक
- उबल पड़ना – गुस्सा होना, चिड़चिड़ा जाना
- फौरन – तुरंत, शीघ्र, उसी क्षण, उसी समय
- झुलाई – हिलाई
- डैने – पंख
- लाठी – बड़ा डंडा
- ठकोरा – आघात, चोट
- तकलीफ – कष्ट, परेशानी
- लपके – जल्दी जल्दी पैर उठाते हुए तेजी से आगे बढ़ना या चलना
- झिड़ककर – डाँट, फटकार
- हुक्म – आदेश
- पिल पड़े – एक साथ पूरी ताकत और दृढ़ संकल्प के साथ किसी पर हमला करना, धावा बोल देना
- ठूंसना – घुसाना, डालना
- गंभीरता – गहराई, गहनता, चिंतनशीलता, सोच-विचार का भाव
- कालीन – गलीचा
- बरबाद – नष्ट, समाप्त, तबाह
- खदेड़ – भगा
- इतवार – रविवार
- मल्हार – प्रसिद्ध राग जो वर्षा में गाया जाता है
- सहनशीलता – संतोष, सब्र
- चुक गई – समाप्त होना
- फौरन – तुरंत, शीघ्र
- झालर – शोभा के लिए किसी वस्तु पर लगाया जाने वाला लहरदार किनारा या लटकन, छोर, किनारा
- दुबला – कमजोर
- चहक – चिड़ियों की आवाज
- सिरा – ऊपरी हिस्सा
- इर्द-गिर्द – इधर-उधर
- फाहे – रुई का लच्छा
- थिगलियाँ – कपड़े या चमड़े का वह टुकड़ा जो किसी वस्त्र इत्यादि के फटे हुए भाग को बंद करने के लिए सिला या टाँका जाता है, पैबंद
- सहसा – अचानक
- ठिठकना – अचानक रुक जाना, स्थिर हो जाना
- झट से – जल्दी से
- गुमसुम – दुखी
- अवाक् – स्तब्ध, चकित, हैरान, मौन, चुप
- चुग्गा – पक्षियों को खिलाने हेतु अनाज का दाना, चुगा
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Chapter 3 – एक आर्शीवाद (Ek Aashirwad)
- स्वप्न – सपना, कल्पना
- भावना – संवेदना, मन की भावना
- गोद – घुटने के ऊपर जाँघों का वह भाग जहाँ किसी को बैठाया जा सकता हो
- पृथ्वी – धरती
- चलना सीखें – जीवन में आगे बढ़ना सीखें
- अप्राप्य – जो अब प्राप्त न हो, जो प्राप्त करने योग्य न हो, न मिलने वाला, दुर्लभ
- सच्चाइयों – जीवन की सच्ची बातें
- रूठना – नाराज होना
- मचलना – किसी वस्तु के पाने या न देने की जिद पकड़ लेना, आतुर होना, हठ करना
- हँसें – हँसना, खुश होना
- मुसकराएँ – हल्की मुस्कान देना
- ललचाएँ – किसी चीज़ को पाने की अनुचित या बढ़ी हुई इच्छा, आकर्षित होना
- उँगली जलाएँ – संघर्ष करे
- अपने पाँवों पर खड़े हों – आत्मनिर्भर होना
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Chapter 4 – हरिद्वार (Haridwar)
- पुण्य भूमि- पवित्र स्थान, धार्मिक स्थल
- वर्णन- विवरण देना, किसी चीज़ के बारे में बताना
- प्रवेश- अंदर जाना
- वल्ली- बेलें, लताएँ
- सज्जनों के शुभ मनोरथ- अच्छे लोगों की अच्छी इच्छाएँ
- लहलहा रही है- हिल-हिल कर हरियाली दिखा रही हैं
- तपस्या- ध्यान या साधना
- घाम- धूप
- अहा!- आश्चर्य और प्रशंसा का भाव
- जन्म धन्य हैं- उनका जन्म पवित्र या सार्थक है
- अर्थी- मृत शरीर
- विमुख- चीज में रुचि न रखना, विरक्त
- गंध- सुगंध
- छाल- वृक्ष की बाहरी परत
- मनोर्थ- मन की इच्छाएँ
- सज्जन- भले, नेक लोग
- दुष्ट बधिक- क्रूर शिकारी
- कल्लोल करना- प्रसन्नता से चहचहाना या उछलना
- हरियाली- हरे रंग की प्रकृति, पेड़-पौधे
- गलीचा- कालीन
- जात्रियों- तीर्थयात्रियों
- बिछायत- बिछी हुई चीज़
- त्रिभुवन पावनी- तीनों लोकों को पवित्र करने वाली (गंगा)
- कीर्ति– यश
- मिष्ट– मीठा
- पना- मीठा शरबत
- स्वच्छ– साफ
- श्वेत- सफेद
- जल-जंतु– जल में रहने वाले जीव
- वेग- प्रवाह
- शीतल– ठंडा
- कन– किसी चीज का बहुत छोटा अंश या टुकड़ा
- स्पर्श– छूना
- संचार– फैलना
- चुटीला पर्वत– एक नुकीली और ऊँची चोटी वाली पहाड़ी
- शिषर– शिखर
- हरि की पैड़ी– गंगा नदी का एक प्रसिद्ध पक्का घाट जहाँ स्नान किया जाता है
- वैरागी- विरक्त, त्याग करने वाला व्यक्ति
- मठ– साधु संन्यासियों के रहने का स्थान।
- पाट– यहाँ पाट का अर्थ है नदी की चौड़ाई या बहाव का फैलाव
- धर्मशाला– यात्रियों के ठहरने के लिए बनाए गए विश्राम स्थल
- निर्मल तीर्थ– एक ऐसा तीर्थस्थान जो शुद्ध और शांतिपूर्ण हो
- इच्छा क्रोध की खानि- ऐसे लोग जिनके मन में बहुत लालच और गुस्सा भरा हो
- पंडे- तीर्थ यात्रियों के लिए धार्मिक अनुष्ठान कराने वाले ब्राह्मण
- कनखल- हरिद्वार के पास स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान
- ज्वालापुर- हरिद्वार के पास एक और क्षेत्र या कस्बा
- विलक्षण– असाधारण, अलग तरह के
- संतोषी- कम में खुश रहने वाले
- कुशावर्त्त– हरिद्वार के पास स्थित एक छोटा तीर्थ कुंड
- नीलधारा– गंगा नदी की धारा का नाम
- विल्वपर्वत– बिल्व वृक्षों से युक्त एक सुंदर पहाड़ी
- विल्वेश्वर महादेव– भगवान शिव का एक रूप, जो विल्वपर्वत पर विराजमान हैं
- दक्ष- सती के पिता, जिन्होंने शिव का अपमान किया था
- सती- भगवान शिव की पत्नी जिन्होंने अपमान सह न सकने पर आत्मदाह किया था
- भस्म कर दिया- स्वयं को जला देना
- धनिक- धनवान व्यक्ति
- बखेड़ा- झंझट, कठिनाई
- निर्मल- शुद्ध, साफ, पवित्र
- साधु– तपस्वी, संन्यासी, धार्मिक जीवन जीने वाला व्यक्ति
- सेवन योग्य- उपयोग के लिए
- चित्त- मन, हृदय
- वर्णन के बाहर- जिसको शब्दों में व्यक्त न किया जा सके
- बंगला- कोठी, मकान
- ग्रहण– सूर्य या चंद्र ग्रहण
- पारायण- धार्मिक ग्रंथ का निरंतर पाठ
- परमानंदी- अत्यंत आनंदित, बहुत खुश
- निदान- अंत में, परिणामस्वरूप
- छलके- पानी का थोड़ा-थोड़ा गिरना
- चित्त– मन, हृदय
- बारंबार- बार-बार, अनेक बार
- ज्ञान- सही समझ, विवेक
- वैराग्य- संसार से उदासीनता, मोह रहित स्थिति
- भक्ति– ईश्वर के प्रति प्रेम और श्रद्धा
- उदय– प्रकट होना
- जनेऊ- यज्ञोपवीत (हिंदू धर्म में पहनने वाला पवित्र सूत की डोरी)
- उज्ज्वल– चमकदार, स्वच्छ, शुद्ध
- कुशा- एक प्रकार की पवित्र घास जो धार्मिक कार्यों में प्रयुक्त होती है
- विलक्षण- विशेष, असाधारण, अद्वितीय
- दालचीनी, जावित्री– सुगंधित मसाले
- सुगंध– अच्छी खुशबू
- पुण्यभूमि– पवित्र भूमि, धार्मिक महत्त्व वाली जगह
- साक्षात– प्रत्यक्ष रूप से
- विरागमय– वैराग्य से भरी हुई
- वृत्तांत- विवरण, घटनाओं का लेखा-जोखा
- मौनावलंबन– मौन धारण करना, चुप हो जाना
- स्थानदान- स्थान देना, प्रकाशित करना
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Chapter 5 – कबीर के दोहे (Kabir Ke Dohe)
- साँच– सच, सच्चाई
- तप– तपस्या
- पाप- गलत काम
- जाके– जिसके
- हिरदे– हृदय
- खजूर– एक प्रकार का ऊँचा पेड़
- पंथी– यात्री, राहगीर
- लागै– लगते हैं
- अति– बहुत
- गुरु– ज्ञान देने वाला
- गोविंद– भगवान (कृष्ण)
- दोऊ– दोनों
- काके– किसके
- लागौं– लगाऊँ, छूऊँ
- पाँय– पैर
- बलिहारी– निछावर होना
- बताय– बताया
- अति- बहुत ज़्यादा
- भला– अच्छा
- चूप– चुप रहना
- बरसना– बारिश होना
- ऐसी– इस तरह की
- बानी– वाणी, बोली
- मन का आपा– मन का घमंड, अहंकार
- खोय– खो देना, समाप्त करना
- औरन- दूसरों
- सीतल– ठंडक, शांति
- आपहुँ- स्वयं, खुद
- निंदक– बुराई करने वाला, आलोचक
- नियरे– पास
- आँगन– घर का खुला भाग
- कुटी- झोपड़ी
- छवाय– बनवाकर
- बिन– बिना
- निर्मल- साफ, शुद्ध
- सुभाय– स्वभाव
- साधू– सज्जन
- सूप– अनाज साफ करने का उपकरण
- सुभाय– स्वभाव
- सार– अच्छा, मूल्यवान
- गहि रहै– पकड़कर रखना, संभालना
- थोथा– बेकार, अनुपयोगी
- उड़ाय– उड़ाना, अलग करना
- मन पंछी भया– मन पक्षी बन गया
- भावै- पसंद आए, अच्छा लगे
- तहवाँ– वहाँ
- संगति– साथ, संग
- तैसा– वैसा
- फल पाय– परिणाम पाता है
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Chapter 6 – एक टोकरी भर मिट्टी (Ek Tokri Bhar Mitti)
- ज़मींदार – वह व्यक्ति जिसे किसी विशेष भूमि पर स्वामित्व प्राप्त हो, ज़मीन का मालिक, भू-स्वामी
- वृद्धा – महिला बुजुर्ग
- झोंपड़ी – कुटिया, घास-फूस से बनी छत का छोटा कच्चा घर
- अहाता – दीवार आदि से घिरा हुआ स्थान, बाड़ा, चारदीवारी
- बहुतेरा – बहुत बार, कई बार, बहुत तरह से, अनेक प्रकार से
- ज़माने – युग, दौर, समय, काल, वक्त
- बसना – रहना, ठहरना
- इकलौता – एक मात्र
- पतोहू – बहू
- बरस – वर्ष
- आधार – सहारा
- मृतप्राय – जो मरने के बहुत समीप हो
- प्रयत्न – प्रयास
- निष्फल – जिसका कोई फल या परिणाम न हो, व्यर्थ, निरर्थक
- बाल की खाल निकालना – बारीकी से छानबीन करना, छोटी से छोटी बातों पर तर्क करना
- थैली गरम करना – रिश्वत देना
- कब्ज़ा करना – हक़ जमाना
- अनाथ – जिसका कोई न हो
- टहलना – घूमना
- बतला – बताना
- गिड़गिड़ाकर – विनती करके, प्रार्थना करके
- विनती – प्राथना
- भरोसा – आत्मविश्वास, विश्वास, पक्की आशा
- कृपा – दया, मेहरबानी
- भीतर – अंदर
- स्मरण – याद
- आंतरिक – अंदर के , अंदरूनी
- ज़रा – थोड़ा
- धर लूँ – रख लूँ
- आप ही – स्वयं, खुद
- ज्यों ही – जैसे ही
- त्यों ही – वैसे ही
- लज्जित – शर्मिंदा
- धन-मद – दौलत के नशे में चूर, धन-दौलत पर घमंड करने वाला, अहंकारी, घमंढी व्यक्ति
- गर्वित – जिसे गर्व हो, गर्व करने वाला, घमंडी, अहंकारी
- आँखें खुल गईं – वास्तविकता का ज्ञान होना, सीख मिलना, सच्चाई का पता चलना
- कृतकर्म – किया गया कार्य
- पश्चाताप – पछतावा, ग्लानि, खेद, दुःख
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Chapter 7 – मत बाँधो (Mat Bandho)
- गति मत बाँधो – बाधित न करो
- सौरभ – सुगंध
- नभ – आकाश
- धूलि – धूल, धरती
- अग्नि – आग
- सदा – हमेशा
- धूम – धूआँ
- गगन – आकाश
- मँडराता – घूमता
- गति – अवस्था
- आरोहण – चढ़ना, ऊपर को जाना
- अवरोहण – उतरने की क्रिया, पतन, नीचे की ओर आना
- मुक्त – आजाद
- गगन – आकाश
- विचरण – घूमना
- मेघों – बादलों
- औ’ – और
- दीप्ति – तेज, आभा
- भू – धरती
- शिल्प – कला
- नभ – आकाश
- गति मत बाँधो – बाधित न करो
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Chapter 8 – नए मेहमान पाठ सार (Naye Mehman)
- ऋतु- मौसम
- द्वार- दरवाज़ा
- भीतर– अंदर
- साधारण गृहस्थ- सामान्य घर-परिवार का व्यक्ति
- तर- भीगा हुआ, गीला
- बेचैन- अस्थिर, चैन न होना
- खूंटी- दीवार में लगी लकड़ी या लोहे की कील जिस पर कपड़े टाँगे जाते हैं
- गठा हुआ शरीर– मज़बूत और स्वस्थ शरीर
- गेहुँआ रंग– हल्का साँवला रंग
- गंभीरता का चिह्न– सख़्त, सोच-विचार करने वाला भाव
- ओफ– थकान या कष्ट का भाव व्यक्त करने वाला शब्द
- भयंकर– डरावना
- भट्टी– आग जलाने का स्थान
- आँचल- औरत के साड़ी या दुपट्टे का सिर ढकने वाला भाग
- आँगन- घर का खुला हिस्सा (घर के बीच का खुला स्थान)
- खाट– लकड़ी या रस्सी की बनी हुई चारपाई
- निर्दयी- दयाहीन
- नकद- वह धन है जो सिक्कों या नोटों के रूप में हो
- हर्ज- नुकसान, हानि
- अतिथि– मेहमान
- संपन्न- धनी, अमीर
- तमाम शरीर– पूरा शरीर
- सुकुमार– नाजुक, कोमल
- अपराध- गलती, दोष
- देह– शरीर
- भोगी– सही
- टाइफाइड- बुखार की एक गंभीर बीमारी
- हाँके जाओगी- अपनी ही बात चलाओगी, जिद करोगी
- खुली हवा- ताज़ी हवा, बाहर की हवा
- व्यर्थ की ज़िद- बेकार की ज़िद्द
- धुन सवार होना– किसी काम में अटक जाना
- जैसे-तैसे- किसी तरह, बड़ी मुश्किल से
- भलाई- अच्छा, हित
- आगंतुक- अतिथि, मेहमान
- साधारण- सामान्य, सरल
- बिस्तर- सोने का सामान (चादर, गद्दा आदि)
- संदूक– लकड़ी या लोहे का बड़ा डिब्बा, बक्सा
- बंडी- कमीज के ऊपर पहना जाने वाला छोटा कोट (जैकेट जैसा)
- पगड़ी– सिर पर बाँधा जाने वाला वस्त्र
- अवस्था– उम्र, आयु
- सलवट– झुर्रियाँ, सिकुड़न
- अधकटी– आधी कटी हुई
- हबड़-तबड़- घबराहट या उतावलेपन की स्थिति
- पल्ला- कपड़े का सिरा (यहाँ पगड़ी का किनारा)
- चर्रा रही है– फटने या चटकने की स्थिति में होना
- मोल- कीमत, मूल्य
- गज- लंबाई नापने की इकाई (कपड़े की माप)
- ठग- धोखेबाज, बेईमान व्यापारी
- लेमन की बोतलें– नींबू सोडा या शरबत की बोतलें
- प्राण सूखना- बहुत प्यास लगना, गला सूख जाना
- क्षमा कीजिएगा– माफ कीजिए
- पधारे हैं- आए हैं
- लाला– व्यापारी या सेठ जी को संबोधित करने का शब्द
- गोटेवाले- गोटा या किनारी का व्यापार करने वाले व्यापारी
- चचेरा भाई– पिता के भाई का बेटा
- कारोबार– व्यापार
- चौपट हो गया- पूरी तरह नष्ट हो जाना
- खाक में मिल गए- बर्बाद हो गए
- माल-मसाला- कीमती सामान
- अंटी- कपड़े की तह, पोटली में रखा छोटा थैला
- प्रबंध- व्यवस्था
- कष्ट– तकलीफ़
- साग– सब्ज़ी
- खाने की भली चलाई- खाने की अधिक चिंता मत करो
- डेढ़ लोटा– एक लोटा और आधा
- गट-गट पीना– जल्दी-जल्दी बड़े घूँट लेकर पीना
- धीरे से- धीरे आवाज़ में, कान में कहकर
- ठहर जा ज़रा– थोड़ा रुक जाओ
- आह!– संतोष या राहत की ध्वनि
- जान में जान आना- थकान दूर होना, ताजगी मिलना
- सीधे लड़के– सरल स्वभाव के, भोले बच्चे
- क्षमा कीजिए- माफ कीजिए
- आश्चर्य से– हैरानी के साथ
- स्नान करना– नहाना
- प्रवेश– अंदर आना
- जान-पहचान- परिचय, पहचान होना
- ठीक-ठीक- साफ़-साफ़, स्पष्ट
- दर्द के मारे- दर्द की वजह से
- सुन्न– संवेदनाहीन, जिसमें जान न रहना
- मंज़िल- मकान की ऊँचाई की मंज़िल, फ़्लोर
- भाड़ में भुनना– तंदूर में चने की तरह तड़पना, कठिनाई में रहना
- तुनककर– नाराज़ होकर, चिड़चिड़ेपन से
- रिश्तेदारी– संबंधी लोग, संबंध
- कदाचित- शायद, संभव है
- आत्मा फिर परमात्मा- पहले स्वास्थ्य फिर भगवान, पहले तन का ख्याल फिर बाकी सब
- मुफ़्त– बिना पैसे के
- तबीयत- स्वास्थ्य, शरीर की स्थिति
- शांत हुई- ठंडी पड़ी, आराम मिला
- पसीने से नहा गया– बहुत पसीना आना
- नेपथ्य- पर्दे के पीछे से आने वाली आवाज, मंच के बाहर से
- तेजी से- जल्दी, शीघ्रता से
- बर्दाश्त– सहन करना
- वाकई– सचमुच, वास्तव में
- अनजान- अपरिचित, जिसे जानकारी न हो
- क्षमा– माफी
- खैर- अच्छा, कोई बात नहीं
- छज्जा- घर की छत से निकला हुआ हिस्सा
- उफ्फ– थकान या तकलीफ़ का भाव व्यक्त करने वाला शब्द
- खाने में देर-दार- भोजन तैयार होने में देरी
- सेठ- धनी व्यापारी
- आटे की मिल- गेहूँ पीसने की फैक्ट्री
- प्रेस– छपाई करने की जगह
- गन्ने की मिल- चीनी निकालने की फैक्ट्री (शुगर मिल)
- भैया- भाई, संबोधन
- चिट्ठी-विट्ठी- पत्र, कोई लिखित सूचना
- सकपकाकर– घबराकर
- खीझकर– झुंझलाकर
- शक- संदेह
- धर्मशाला– यात्रियों के ठहरने का स्थान, सराय
- वैद्य- आयुर्वेदिक चिकित्सक
- कविराज- वैद्य का आदरसूचक संबोधन
- उछलकर- अचानक उत्साह से खड़े होना
- अब जान में जान आई– आराम मिला
- सिर फटा जा रहा है– सिर दर्द से बहुत तकलीफ़ होना
- नेपथ्य- मंच के पीछे से आने वाली आवाज़
- भले आदमी– सज्जन व्यक्ति
- आगंतुक- आने वाला व्यक्ति, मेहमान
- तार- टेलीग्राम (संदेश भेजने का पुराना साधन)
- नुक्कड़– गली का मोड़, चौराहा
- हलवाई- मिठाई या नाश्ता बनाने-बेचने वाला दुकानदार
- कर्तव्य- ज़िम्मेदारी, धर्म
- खाना-वाना– भोजन
- यवनिका– पर्दा गिरना
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Chapter 9 – आदमी का अनुपात (Aadami Ka Anupat)
- कमरा – घर का वह भाग जहाँ लोग रहते व् काम करते हैं, चारों ओर से दीवारों से घिरी छायादार बड़ी कोठरी, कक्ष
- मुहल्ला – शहर या कस्बे का एक भाग
- नगर – शहर, कस्बे से बड़ी बस्ती, (सिटी)
- प्रदेश – किसी देश का वह बड़ा भाग जो भाषा, रीति आदि की दृष्टि से उसी देश के अन्य भागों से भिन्न हो या राज्य, (स्टेट)
- देश – एक क्षेत्र जिसके अपने शासन और सीमाएं होती हैं
- पृथ्वी – हमारा ग्रह, जिस पर हम रहते हैं
- अनगिन – जिनकी गिनती न की जा सके
- नक्षत्र – आकाश में चमकने वाले तारे या तारामंडल
- करोड़ – सौ लाख की संख्या
- समेटना – इकट्ठा करना, बटोरना
- परिधि – बाहरी सीमा, गोल घेरा, वृत्त की रेखा
- नभ – आकाश, गगन, अंबर
- गंगा – भारत की प्रसिद्ध नदी, कविता में इसका उपयोग विशालता और सीमा के अर्थ में हुआ है
- लाख – हजार का सौ गुणा
- ब्रह्मांड – जिसमें कई आकाशगंगाएँ और ग्रह शामिल हैं या सम्पूर्ण सृष्टि
- सृष्टि – जगत, विश्व, संसार
- अनुपात – कोई चीज़ दूसरी चीज़ के साथ तुलना या माप का संबंध
- विराट – बहुत बड़ा या विशाल
- ईर्ष्या – द्वेष, दूसरों की उपलब्धियों या खुशियों से जलन
- अहं – अहंकार, गर्व, घमंड, अकड़
- स्वार्थ – वह सोच जो केवल अपने हित के लिए हो
- घृणा – नफरत या घिन
- अविश्वास – भरोसे का अभाव, शंका, संदेह
- संख्यातीत – बहुत, अनगिनत, असंख्य
- शंख – समुद्र में उत्पन्न एक जंतु, (कविता में) एक प्रकार का समुद्री शंख जो दीवार के रूप में इस्तेमाल किया गया है
- दूजे – दूसरा
- रचाता है – बनाता है, निर्मित करता है
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Chapter 10 – तरुण के स्वप्न (Tarun Ke Swapn)
- स्वप्न – सपना
- स्वर्गीय – जिसका निधन हो चुका हो, जो अब जीवित न हो, मृत
- उत्स – जल का स्रोत, निर्झर, झरना
- आनंद – ख़ुशी
- निर्झर – पानी का झरना, जल-प्रपात
- उत्तराधिकारी – वारिस
- आदर्श – प्रतिमान, नमूना
- सर्वांगीण – जो सभी अंगों से युक्त हो, हर दृष्टि से या हर बात में
- स्वाधीन – स्वतंत्र
- संपन्न – पूर्णतः विकसित
- उपभोग – किसी वस्तु का इस्तेमाल या व्यवहार, इस्तेमाल या व्यवहार का सुख, विषय-सुख
- अर्थ – धन, संपत्ति
- विषमता – कठिनाई, प्रतिकूल, विपरीत, विकट स्थिति
- श्रम – मेहनत, परिश्रम
- कर्म – कार्य, काम
- मर्यादा – सीमा, हद, परंपरा आदि द्वारा निर्धारित सीमा
- अकर्मण्य – निठल्ला, निकम्मा, कामचोर
- विजातीय – भिन्न जाति या वर्ग का, दूसरी जाति का
- स्वदेशी – अपने देश का, अपने देश से संबंध रखने वाला, अपने ही देश में निर्मित
- यंत्र – मशीन, कल, औज़ार
- सर्वोपरि – जो सबसे ऊपर या बढ़कर हो
- अभाव – कमी, त्रुटि
- सार्थक – जिसका कुछ अर्थ हो, अर्थवान, अर्थवाला
- स्थिर – दृढ़, पक्का, निश्चल, गतिहीन
- समक्ष – सामने
- गण्य – गिनने योग्य, प्रतिष्ठित
- नित्य – हमेशा, सदा
- अखंड – जिसके खंड न हों, संपूर्ण, अविभाज्य
- प्रतिष्ठा – मान-मर्यादा, सम्मान, इज़्ज़त
- मरण – मरना
- तरुण – युवा, जवान
- असीम – जिसकी कोई सीमा न हो, असीमित
- अपार – अथाह, बहुत अधिक, असंख्य
- क्षुद्र – नगण्य, महत्वहीन
- उपहारस्वरूप – उपहार के रूप में
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