CBSE Class 8 Hindi Chapter 1 Swadesh (स्वदेश) Question Answers (Important) from Malhar Book

Class 8 Hindi Swadesh Question Answers and NCERT Solutions– Looking for  Swadesh question answers for CBSE Class 8 Hindi Malhar Book Chapter 1? Look no further! Our comprehensive compilation of important question answers will help you brush up on your subject knowledge.

सीबीएसई कक्षा 8 हिंदी मल्हार के पाठ 1 स्वदेश प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 8 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे स्वदेश प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract-based questions, multiple choice questions, short answer and long answer questions.

Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams. 

 

 

Related: 

 

Swadesh Chapter 1 NCERT Solutions

 

पाठ से

आइए, अब हम इस कविता को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं। नीचे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।

मेरी समझ से

() निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★)  बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

1. “वह हृदय नहीं है पत्थर है” इस पंक्ति में हृदय के पत्थर होने से तात्पर्य है-

  • सामाजिकता से
  • संवेदनहीनता से
  • कठोरता से
  • नैतिकता से
    उत्तर– संवेदनहीनता से (★)

2. निम्नलिखित में से कौन-सा विषय इस कविता का मुख्य भाव है?

  • देश की प्रगति
  • देश के प्रति प्रेम
  • देश की सुरक्षा
  • देश की स्वतंत्रता
    उत्तर– देश के प्रति प्रेम (★)

3. “हम हैं जिसके राजा-रानी” – इस पंक्ति में ‘हम’ शब्द किसके लिए आया है?

  • देश के प्राकृतिक संसाधनों के लिए
  • देश की शासन व्यवस्था के लिए
  • देश के समस्त नागरिकों के लिए
  • देश के सभी प्राणियों के लिए
    उत्तर- देश के समस्त नागरिकों के लिए (★)

4. कविता के अनुसार कौन-सा हृदय पत्थर के समान है?

  • जिसमें साहस की कमी है।
  • जिसमें स्नेह का भाव नहीं है
  • जिसमें देश-प्रेम का भाव नहीं है।
  • जिसमें स्फूर्ति और उमंग नहीं है
    उत्तर– जिसमें देश-प्रेम का भाव नहीं है। (★)

 

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ विचार कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने ?
उत्तर- हाँ, हो सकता है कि मेरे समूह के कुछ साथियों ने इन प्रश्नों के अलग उत्तर चुने हों, क्योंकि हर कोई कविता को अपने अनुभव और समझ के अनुसार समझता है। लेकिन मैंने जो उत्तर चुने हैं, उनके पीछे स्पष्ट कारण हैं।
जैसे पहले प्रश्न में ‘हृदय के पत्थर होने’ का मतलब संवेदनहीनता से है, क्योंकि कवि ऐसे व्यक्ति को भावनाशून्य बता रहा है, जिसमें देशप्रेम नहीं है।
दूसरे प्रश्न में कविता का मुख्य भाव ‘देश के प्रति प्रेम’ है, क्योंकि पूरी कविता में कवि यही संदेश दे रहा है कि यदि किसी के दिल में स्वदेश के लिए प्रेम नहीं है, तो उसका जीवन व्यर्थ है।
तीसरे प्रश्न में ‘हम’ शब्द देश के नागरिकों के लिए आया है, क्योंकि कवि यह दिखा रहा है कि हम सब भारतवर्ष में जन्मे हैं और इसी मिट्टी से पोषित हुए हैं।
चौथे प्रश्न में स्पष्ट कहा गया है कि जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं, वही हृदय पत्थर है। इसलिए मैंने वही उत्तर चुना।
इन उत्तरों का चयन करते समय मैंने कविता की भावनाओं, पंक्तियों और कवि के संदेश को ध्यान में रखकर सोच-समझकर निर्णय लिया।

Swadesh QNA img 1

मिलकर करें मिलान
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे स्तंभ 1 में दी गई हैं। उन पंक्तियों भाव या संदर्भ स्तंभ 2 में दिए गए हैं। पंक्तियों का उनके सही अर्थ या संदर्भों से मिलान कीजिए।

क्रम स्तंभ 1 स्तंभ 2
1. जिसने साहस को छोड़ दिया,

वह पहुँच सकेगा पार नहीं।

1. जिस देश की ज्ञान-संपदा से समूचा विश्व प्रभावित है।
2. जो जीवित जोश जगा न सका,

उस जीवन में कुछ सार नहीं।

2. जिस प्रकार युद्ध में तोप और तलवार की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मनुष्य की प्रगति के लिए साहस और इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है।
3. जिस पर ज्ञानी भी मरते हैं,

जिस पर है दुनिया दीवानी।

3. जिसने किसी कार्य को करने का साहस छोड़ दिया हो वह किसी लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता।
4. सब कुछ है अपने हाथों में,

क्या तोप नहीं तलवार नहीं।

4. जो स्वयं के साथ ही दूसरों को भी प्रेरित और उत्साहित नहीं कर सकते उनका जीवन निष्फल और अर्थहीन है।

उत्तर-

क्रम स्तंभ 1 स्तंभ 2
1. जिसने साहस को छोड़ दिया,

वह पहुँच सकेगा पार नहीं।

3. जिसने किसी कार्य को करने का साहस छोड़ दिया हो वह किसी लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता।
2. जो जीवित जोश जगा न सका,

उस जीवन में कुछ सार नहीं।

4. जो स्वयं के साथ ही दूसरों को भी प्रेरित और उत्साहित नहीं कर सकते उनका जीवन निष्फल और अर्थहीन है।
3. जिस पर ज्ञानी भी मरते हैं,

जिस पर है दुनिया दीवानी।

1. जिस देश की ज्ञान-संपदा से समूचा विश्व प्रभावित है।
4. सब कुछ है अपने हाथों में,

क्या तोप नहीं तलवार नहीं।

2. जिस प्रकार युद्ध में तोप और तलवार की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मनुष्य की प्रगति के लिए साहस और इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है।

 

पंक्तियों पर चर्चा

कविता से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।

(क) “निश्चित है निस्संशय निश्चित,
है जान एक दिन जाने को ।
है काल- दीप जलता हरदम,
जल जाना है परवानों को॥”
उत्तर– इन पंक्तियों से मुझे यह समझ में आता है कि जीवन नश्वर है। एक न एक दिन मृत्यु आनी ही है। जब जीवन की यह सच्चाई तय है, तो हमें अपने जीवन को किसी महान उद्देश्य, जैसे देश की सेवा, में लगाना चाहिए। जैसे परवाना दीपक की लौ में जलकर खुद को समर्पित कर देता है, वैसे ही हमें भी अपने देश के लिए बलिदान देने से नहीं डरना चाहिए।

(ख) “सब कुछ है अपने हाथों में,
क्या तोप नहीं तलवार नहीं।
वह हृदय नहीं है, पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं ॥”
उत्तर– इन पँक्तियों का अर्थ है कि हमारे पास ताकत, साधन और साहस सब कुछ है, बस जरूरत है देश के लिए प्रेम और कर्तव्यभावना की। यदि कोई व्यक्ति इन सबके बावजूद भी अपने देश के लिए कुछ नहीं करता तो वह हृदय नहीं, पत्थर है।

(ग) “जो भरा नहीं है भावों से,
बहती जिसमें रस-धार नहीं।
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं ॥”
उत्तर– इन पँक्तियों में बताया गया है कि हृदय का मूल्य तभी है जब उसमें भावनाएँ हों, संवेदना हो। जिस हृदय में न देश के लिए प्रेम है, न कोई कोमल भावना, वह हृदय नहीं, बल्कि पत्थर है।

Swadesh QNA img 2

 

सोच-विचार के लिए

कविता को पुन: ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए।
(क) “हम हैं जिसके राजा-रानी” पंक्ति में राजा-रानी किसे और क्यों कहा गया है?
उत्तर– इस पंक्ति में कवि ने भारत के सभी नागरिकों को ‘राजा-रानी’ कहा है। इसका आशय यह है कि यह देश हम सभी का है, हम इसकी संतान हैं और इस मिट्टी में पैदा होकर, इसका अन्न-पानी खाकर पले-बढ़े हैं। इस देश की स्वतंत्रता और गरिमा में हम सब समान भागीदार हैं, इसलिए हम इसके राजा-रानी कहलाने योग्य हैं।

(ख) ‘संसार-संग’ चलने से आप क्या समझते हैं? जो व्यक्ति ‘संसार-संग’ नहीं चलता, संसार उसका क्यों नहीं हो पाता है?
उत्तर- ‘संसार-संग’ का अर्थ है दुनिया के साथ चलना। समय, बदलाव, विचारों और प्रगति की दिशा में आगे बढ़ना। जो व्यक्ति इस प्रवाह में शामिल नहीं होता, जो समय के साथ नहीं बदलता, वह दुनिया से कट जाता है। वह पीछे छूट जाता है और फिर उसका जीवन दूसरों के लिए भी उपयोगी नहीं रह पाता।

(ग) ”उस पर है नहीं पसीजा जो / क्या है वह भू का भार नहीं।” पंक्ति से आप क्या समझते हैं? बताइए।
उत्तर- इस पंक्ति का अर्थ है, जो व्यक्ति देश के दुख-दर्द को देखकर दुःखी नहीं होता, जिसकी संवेदना देश के लिए नहीं जागती, वह धरती पर बोझ के समान है।

(घ) कविता में देश-प्रेम के लिए बहुत-सी बातें आई हैं। आप ‘देश-प्रेम’ से क्या समझते हैं? बताइए।
उत्तर– देश-प्रेम का मतलब है अपने देश के लिए अपनेपन का भाव, गर्व, कर्तव्य और बलिदान की भावना। देशप्रेमी व्यक्ति न केवल अपने देश की मिट्टी, भाषा, संस्कृति और लोगों से प्रेम करता है, बल्कि जब आवश्यकता हो तो अपने हितों से ऊपर उठकर देश के लिए समर्पण करने को भी तैयार रहता है। देश की प्रगति, सुरक्षा और एकता के लिए योगदान देना ही सच्चा देश-प्रेम है।

(ङ) यह रचना एक आह्वान गीत है जो हमें देश-प्रेम के लिए प्रेरित और उत्साहित करती है। इस रचना की अन्य विशेषताएँ ढूँढ़िए और लिखिए।
उत्तर– यह रचना देशभक्ति से युक्त है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं-

  1. इसमें कविता के माध्यम से पाठकों के हृदय में देश के प्रति भाव को जगाने का प्रयास किया गया है।
  2. इसमें सरल भाषा और प्रभावशाली शैली का प्रयोग किया गया है।
  3. इसमें देश की महिमा का गुणगान करते हुए व्यक्ति को जागरूक और प्रेरित किया गया है।
  4. यह कविता हृदय में जोश और आत्मबल भरती है, जो हर नागरिक को देश के लिए कर्तव्यनिष्ठ बनाने की प्रेरणा देती है।

 

अपने अनुमान और कल्पना से

Swadesh QNA img 3

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए और लिखिए।

(क) “जिसने कि खजाने खोले हैं” अनुमान करके बताइए कि इस पंक्ति में किस प्रकार के खजाने की बात की गई होगी?
उत्तर– यहाँ ‘खजाने’ से आशय केवल सोना-चाँदी या धन-दौलत से नहीं है, बल्कि देश की प्राकृतिक संपदा, सांस्कृतिक विरासत, भाषा, इतिहास, और मानवता के मूल्यों की ओर संकेत है।

(ख) “जिसकी मिट्टी में उगे बढ़े” पंक्ति में ‘उगे-बढ़े’ किसके लिए और क्यों कहा गया होगा?
उत्तर– ‘उगे-बढ़े’ शब्द नागरिकों (हम सभी) के लिए कहा गया है। यह पंक्ति यह बताती है कि हम सभी अपने देश की मिट्टी में पले-बढ़े हैं। यह मिट्टी हमारी पहचान, पालन-पोषण और संस्कृति की प्रतीक है, इसलिए उसका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।

(ग) ”वह हृदय नहीं है पत्थर है” पंक्ति में ‘हृदय’ के लिए ‘पत्थर’ शब्द का प्रयोग क्यों किया गया होगा?
उत्तर– यह पंक्ति उस व्यक्ति के लिए कही गई है जिसमें देश के प्रति प्रेम और भावना नहीं है। कवि कहना चाहते हैं कि अगर किसी के दिल में देश के लिए स्नेह, त्याग और कृतज्ञता नहीं है, तो वह हृदय नहीं, बल्कि पत्थर के समान है, जिसमें कोई संवेदना नहीं होती।

(घ) कल्पना कीजिए कि पत्थर आपको अपनी कथा बता रहा है। वो आपसे क्या-क्या बातें करेगा और आप उसे क्या-क्या कहेंगे?
(संकेत— पत्थर— जब मैं नदी में था तो नदी की धारा मुझे बदलती भी थी।…)
उत्तर
पत्थर की बातें-
मैं कभी नदी की गहराइयों में था, जहाँ जल की धारा मुझे घिसती, बदलती और बहा ले जाती थी। मैंने पर्वतों के नीचे दबाव सहा, मंदिरों में देवता बना, रास्तों में ठोकरें खाईं। मैंने बहुत कुछ सहा है, पर कभी शिकायत नहीं की।
मेरी बातें-
पत्थर, तुम तो सहनशीलता, स्थिरता और धैर्य के प्रतीक हो। पर मैं चाहता हूँ कि मेरा हृदय पत्थर न बने, उसमें भावनाएँ, संवेदना और देश-प्रेम बना रहे।

(ङ) देश-प्रेम की भावना देश की सुरक्षा से ही नहीं, बल्कि संरक्षण से भी जुड़ी होती है। अनुमान करके बताइए कि देश के किन-किन संसाधनों या वस्तुओं आदि को संरक्षण की आवश्यकता है और क्यों?
उत्तर- देश-प्रेम का मतलब यह भी है कि हम अपने देश के प्राकृतिक संसाधनों, भाषा-संस्कृति, और ऐतिहासिक धरोहरों की रक्षा करें।
कुछ प्रमुख चीजें जिन्हें संरक्षण की ज़रूरत है-

  1. जल स्रोत- जल ही जीवन है, जल बचाना अनिवार्य है।
  2. वन और वन्य जीवन- पर्यावरण संतुलन के लिए आवश्यक।
  3. प्राचीन इमारतें और धरोहरें- हमारी सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक।
  4. भाषा और लोक कला- हमारी आत्मा और संस्कृति का स्वरूप।
  5. देश की एकता और सामाजिक सद्भावना- देश की बुनियाद हैं, इनका संरक्षण करना हम सभी का उत्तरदायित्व है।

 

कविता की रचना

Swadesh QNA img 4

‘’जिसकी मिट्टी में उगे बढ़े,
पाया जिसमें दाना-पानी।
हैं माता-पिता बंधु जिसमें,
हम हैं जिसके राजा-रानी।।”
इन पंक्तियों के अंतिम शब्दों को ध्यान से देखिए।
‘दाना-पानी’ और ‘राजा-रानी’ इन शब्दों की अंतिम ध्वनि एक-सी है। इस विशेषता को ‘तुक ‘मिलाना’ कहते हैं। अब नीचे दिए गए प्रश्नों पर पाँच-पाँच के समूह में मिलकर चर्चा कीजिए और उनके उत्तर लिखिए।

(क) शब्दों के तुक मिलाने से कविता में क्या विशेष प्रभाव पड़ा है?
उत्तर- शब्दों के तुक मिलाने से कविता संगीतमय बन जाती है। जब कविता में ‘दाना-पानी’ और ‘राजा-रानी’ जैसे तुक मिलते हैं, तो वह सुनने में मधुर लगती है और पढ़ने वाले के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती है। तुकबंदी कविता को स्मरणीय और लयबद्ध बनाती है जिससे उसका संदेश आसानी से समझा जा सकता है और याद भी रहता है। इससे कविता में उत्साह और जुड़ाव भी बढ़ता है।

(ख) कविता को प्रभावशाली बनाने के लिए और क्या-क्या प्रयोग किए गए हैं?
उत्तर– इस कविता को प्रभावशाली बनाने के लिए कई काव्यात्मक प्रयोग किए गए हैं। जैसे –
प्रेरणादायक कविता- कविता पाठकों को देश-प्रेम के लिए जागरूक और प्रेरित करती है।
सरल और जनभाषा का प्रयोग- कविता में आसान और बोलचाल की भाषा है, जिससे हर वर्ग के लोग इसे आसानी से समझ सकते हैं।
भावनात्मकता- कविता में देशभक्ति, कर्तव्य और संवेदना के भाव गहराई से व्यक्त किए गए हैं।
प्रतीक और उपमाएँ- ‘पत्थर’ जैसे शब्दों का प्रतीकात्मक प्रयोग हृदयहीनता को बताता है।

आपकी कविता

Swadesh QNA img 5

देश-प्रेम से जुड़े अपने विचारों को आधार बनाते हुए कविता को आगे बढ़ाइए –
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
__________________________________________________________
__________________________________________________________
__________________________________________________________
उत्तर-
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
जो मिट सके ना मातृभूमि पर,
उसमें जीवन का सार नहीं।

चलो बढ़ाएँ कदम अभी,
भारत को बनाएँ महान।
करें तिरंगे को नमन सभी,
यही हो अपना अभिमान।

Swadesh QNA img 6

भाषा की बात
(क) शब्द से जुड़े शब्द
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘स्वदेश’ से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए। फिर मित्रों से मिलाकर अपनी सूची बढ़ाइए –

Swadesh QNA img 7

उत्तर-

Swadesh QNA img 8

(ख) विराम चिह्नों को समझें
‘’जो चल न सका संसार-संग’’
‘’बहती जिसमें रस-धार नहीं’’
“पाया जिसमें दाना-पानी”
“हैं माता-पिता बंधु जिसमें”
“हम हैं जिसके राजा-रानी
“जिससे न जाति-उद्धार हुआ”

Swadesh QNA img 9

कविता में आई हुई उपर्युक्त पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़िए। इनमें कुछ शब्दों के बीच एक चिह्न (-) लगा है। इसे योजक चिह्न कहते हैं। योजक चिह्न दो शब्दों में परस्पर संबंध स्पष्ट करने तथा उन्हें जोड़कर लिखने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। कविता में संदर्भ के अनुसार योजक चिह्नों के स्थान पर का, की, के और में से कौन-से शब्द जोड़ेंगे जिससे अर्थ स्पष्ट हो सके। लिखिए।
(संकेत — ‘जो चल न सका संसार के संग’)

उत्तर-
जो चल न सका संसार के संग
बहती जिसमें रस की धार नहीं
पाया जिसमें दाना और पानी
हैं माता और पिता बंधु जिसमें
हम हैं जिसके राजा और रानी
जिससे न जाति का उद्धार हुआ

Swadesh QNA img 10

(ग) शब्द- मित्र
“है जान एक दिन जाने को”
“है काल-दीप जलता हरदम”
उपर्युक्त पंक्तियों पर ध्यान दीजिए। इन दोनों पंक्तियों में ‘है’ शब्द पहले आया है जिसके कारण कविता में लयात्मकता आ गई है। यदि ‘है’ का प्रयोग पंक्ति के अंत में किया जाए तो यह गद्य जैसी लगने लगेगी, जैसे—
‘जान एक दिन जाने को है।‘
‘काल-दीप हरदम जलता है।’
अब आप कविता में से ऐसी पंक्तियों को चुनिए जिनमें ‘है’ शब्द का प्रयोग पहले हुआ है। चुनी हुई पंक्तियों में शब्दों के स्थान बदलकर पुनः लिखिए।
उत्तर-
हैं माता-पिता बंधु जिसमें
गद्य रूप– जिसमें माता-पिता बंधु हैं

अब नीचे दी गई पंक्तियों में ‘है, हैं’ शब्द का प्रयोग पहले करके पंक्तियों को पुनः लिखिए और देखिए कि इससे पंक्तियों के सौंदर्य में क्या परिवर्तन आया है। अपने साथियों से चर्चा कीजिए।
“जिस पर ज्ञानी भी मरते हैं,
जिस पर है दुनिया दीवानी॥”
उत्तर-
“हैं मरते ज्ञानी भी जिस पर,”
“है दीवानी दुनिया जिस पर॥”

(घ) समानार्थी शब्द
कविता से चुनकर कुछ शब्द निम्न तालिका में दिए गए हैं। दिए गए शब्दों से इनके समानार्थी शब्द ढूँढ़कर तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए।भाषा की बात
(क) शब्द से जुड़े शब्द
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘स्वदेश’ से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए। फिर मित्रों से मिलाकर अपनी सूची बढ़ाइए –

Swadesh QNA img 11

उत्तर-

Swadesh QNA img 12

 

कविता का शीर्षक
“वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।”
इस कविता का शीर्षक है ‘स्वदेश’। कई बार कवि कविता की किसी पंक्ति को ही कविता का शीर्षक बनाते हैं। यदि आपको भी इस कविता की किसी एक पंक्ति को चुनकर नया शीर्षक देना हो तो आप कौन-सी पंक्ति चुनेंगे और क्यों?
उत्तर-
मेरे द्वारा चुना हुआ शीर्षक होगा-
“वह हृदय नहीं है, पत्थर है”

मैंने इसे चुना क्योंकि-

  • यह पंक्ति कविता में बार-बार दोहराई गई है।
  • इसमें देशप्रेम की अनिवार्यता को बताया गया है।
  • यह शीर्षक स्पष्ट, प्रभावी, और आकर्षित करने वाला है।

 

पाठ से आगे
आपकी बात
(क) नीचे कुछ चित्र दिए गए हैं। उन चित्रों पर सही ( ) का चिह्न लगाइए जिन्हें आप ‘स्वदेश प्रेम’ की श्रेणी में रखना चाहेंगे?

Swadesh QNA img 14

() अब आप अपने उत्तर के पक्ष में तर्क भी दीजिए।
उत्तर-
(क)

Swadesh QNA img 15 Swadesh QNA img 16

उत्तर-
()
तर्क

पहले चित्र में-

  1. बच्ची पौधों को पानी दे रही है- यह पर्यावरण संरक्षण का कार्य है, जो देशप्रेम की भावना से जुड़ा है।
  2. ट्रेन में यात्री कूड़ा फैला रहे हैं- यह स्वदेश प्रेम नहीं है, बल्कि स्वच्छता नियमों का उल्लंघन है।
  3. कुश्ती- इसमें प्रतिस्पर्धा हो रही है, जिससे दोनों बालकों में नफरत की भावना है। 
  4. बच्चे और युवक राहत कार्य में मदद कर रहे हैं- यह निस्वार्थ सेवा है, देशप्रेम की भावना को बताता है।
  5. बच्चा सैनिक को फूल दे रहा है- यह सैनिकों के प्रति सम्मान दिखाता है, जो देशप्रेम का प्रतीक है।
  6. बच्चे मिलकर सफाई कर रहे हैं- स्वच्छता अभियान में भाग लेना देश सेवा है।
  7. किसान खेत में ट्रैक्टर चला रहा है- देश की खाद्य सुरक्षा में योगदान देना भी देशप्रेम का रूप है।

दूसरे चित्र में-

  1. बच्ची वृद्धा को सड़क पार करा रही है- यह सामाजिक सहयोग है, देशप्रेम की भावना से जुड़ा है।
  2. बच्चे वृद्धा से बातचीत कर रहे हैं- बुजुर्गों बातचीत करना, उनको समय देना मानवता का प्रतीक है, और यही सच्चा देशप्रेम है।
  3. लड़का स्मारक की दीवार गंदी कर रहा है- यह असंवेदनशीलता और देश के प्रति अपमान का भाव है।
  4. बच्चे तिरंगे के सामने सम्मान से खड़े हैं- यह सीधे देशप्रेम को बताता है।
  5. लोग बैंक में अनुशासन से लाइन में खड़े हैं- यह एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य है।
  6. बालिका निर्देश का पालन कर रही है- पर्यावरण संरक्षण, देश की उन्नति के लिए जरूरी है।
  7. अनावश्यक बिजली से चलने वाले उपकरण चल रहे हैं- बिजली की बर्बादी हो रही है, यह देशप्रेम नहीं।
  8. पानी भरने के लिए लोग आपस में लड़ रहे हैं-  लोगों में आपसी प्रेम नहीं है।

 

हमारे अस्त्रशस्त्र

‘’सब कुछ है अपने हाथों में,
क्या तोप नहीं तलवार नहीं।
देश की सीमा पर सैनिक सुरक्षा प्रहरी की भाँति खड़े रहते हैं। वे बुरी भावना से अतिक्रमण करने वाले का सामना तोप, तलवार, बंदूक आदि से करते हैं।

Swadesh QNA img 17

आप बताइए कि निम्नलिखित स्वदेश प्रेमियों के अस्त्रशस्त्र क्या होंगे?

  • विद्यार्थी _____________________________________________________
  • अध्यापक _____________________________________________________
  • कृषक _____________________________________________________
  • चिकित्सक _____________________________________________________
  • वैज्ञानिक _____________________________________________________
  • श्रमिक _____________________________________________________
  • पत्रकार _____________________________________________________

उत्तर-

  • विद्यार्थी- ज्ञान, विद्या
  • अध्यापक- प्रेरणा,शिक्षण कला 
  • कृषक- हल, परिश्रम
  • चिकित्सक- दवा, चिकित्सकीय ज्ञान और उपकरण
  • वैज्ञानिक- शोध, प्रयोगशाला, आविष्कार
  • श्रमिक- मेहनत, समर्पण
  • पत्रकार- लेखनी, समाचार की खोज

 

अपनी भाषा अपने गीत

() कक्षा में सभी विद्यार्थी अपनीअपनी भाषा में देशप्रेम से संबंधित कविताओं और गीतों का संकलन करें।
उत्तर-
विभिन्न भाषा में देश-प्रेम से संबंधित कविता और गीत-

हिंदी-

1
क़दम क़दम बढ़ाए जा
ख़ुशी के गीत गाए जा;
ये ज़िंदगी है क़ौम की,
तू क़ौम पे लुटाए जा।
उड़ी तमिस्र रात है, जगा नया प्रभात है,
चली नई जमात है, मानो कोई बरात है,
समय है, मुस्कुराए जा,
ख़ुशी के गीत गाए जा।
ये ज़िंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाए जा।
जो आ पड़े कोई विपत्ति मार के भगाएँगे,
जो आए मौत सामने तो दाँत तोड़ लाएँगे,
बहार की बहार में
बहार ही लुटाए जा।
क़दम क़दम बढ़ाए जा,
ख़ुशी के गीत गाए जा।
जहाँ तलक न लक्ष्य पूर्ण हो समर करेंगे हम,
खड़ा हो शत्रु सामने तो शीश पै चढ़ेंगे हम,
विजय हमारे हाथ है
विजय-ध्वजा उड़ाए जा।
क़दम क़दम बढ़ाए जा,
ख़ुशी के गीत गाए जा।
क़दम बढ़े तो बढ़ चले, आकाश तक चढ़ेंगे हम,
लड़े हैं, लड़ रहे हैं, तो जहान से लड़ेंगे हम;
बड़ी लड़ाइयाँ हैं तो
बड़ा क़दम बढ़ाए जा।
क़दम क़दम बढ़ाए जा
ख़ुशी के गीत गाए जा।
निगाह चौमुखी रहे, विचार लक्ष्य पर रहे,
जिधर से शत्रु आ रहा उसी तरफ़ नज़र रहे,
स्वतंत्रता का युद्ध है,
स्वतंत्र होके गाए जा।
क़दम क़दम बढ़ाए जा,
ख़ुशी के गीत गाए जा।
ये ज़िंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाए जा।

2
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुले हैं इसकी, वो गुलसितां हमारा

गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा, सारे …

पर्वत हो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा, वो पासवां हमारा, सारे …

गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियां
गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनां हमारा
सारे …

पंजाबी
मेर रंग दे बसंती चोला
हो आज रंग दे हो माँ ऐ रंग दे
मेर रंग दे बसंती चोला

आज़ादी को चली ब्याहने दीवानों की टोलियाँ
खून से अपने लिखे देंगे हम इंक़लाब की बोलियाँ
हम वापस लौटेंगे लेकर आज़ादी का डोला
मेर रंग दे …

ये वो चोला है के जिस पे रंग न चढ़े दूजा
हमने तो बचपन से की थी इस चोले की पूजा
कल तक जो चिंगारी थी वो आज बनी है शोला
मेर रंग दे …

सपनें में देखा था जिसको आज वही दिन आया है
सूली के उस पार खड़ी है माँ ने हमें बुलाया है
आज मौत के पलड़े में जीवन को हमने तौला
मेर रंग दे …

मराठी
हे राष्ट्र देवतांचे, हे राष्ट्र प्रेषितांचे
आ-चंद्रसूर्य नांदो स्वातंत्र्य भारताचे

कर्तव्यदक्ष भूमी सीता-रघुत्तमाची
रमायणे घडावी येथे पराक्रमांची
शिर उंच उंच व्हावे हिमवंत पर्वतांचे

येथे नसो निराशा थोड्या पराभवाने
पार्थास बोध केला येथेच माधवाने
हा देश स्तन्य प्याला गीताख्य अमृताचे

येथेच मेळ झाला सामर्थ्य-संयमाचा
येथेच जन्म झाला सिद्धार्थ गौतमाचा
हे क्षेत्र पुण्यदायी भगवन्‌ तथागताचे

हे राष्ट्र विक्रमाचे, हे राष्ट्र शांततेचे
सत्यार्थ झुंज द्यावी या जागत्या प्रथेचे
येथे शिवप्रतापी नरसिंह योग्यतेचे

येथे परंपरांचा सन्मान नित्य आहे
जनशासनातळीचा पायाच ‘सत्य’ आहे
येथे सदा निनादो जयगीत जागृताचे

(ख) किसी एक गीत की कक्षा में संगीतात्मक प्रस्तुति भी करें।
उत्तर- विद्यार्थी निम्नलिखित गीत की प्रस्तुति कर सकते हैं-
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुले हैं इसकी, वो गुलसितां हमारा

गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा, सारे …

पर्वत हो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा, वो पासवां हमारा, सारे …

गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियां
गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनां हमारा

तिरंगा झंडा – कब प्रसन्न और कब उदास
राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा झंडा) देश का सम्मान है। किसी एक दिन सोने से पहले अपने पूरे दिन के कार्यों को याद कीजिए और विचार कीजिए कि आपके किन कार्यों से तिरंगा झंडा उदास हुआ होगा और किन कार्यों से तिरंगे झंडे को प्रसन्नता हुई होगी।
उत्तर-
तिरंगा झंडा प्रसन्न हुआ जब मैंने-

  • सुबह विद्यालय की प्रार्थना में पूरे मन से हिस्सा लिया।
  • कक्षा में ध्यानपूर्वक पढ़ाई की और शिक्षक से ढंग से व्यवहार किया।
  • कूड़ेदान में ही कचरा डाला और स्कूल परिसर को स्वच्छ बनाए रखने में योगदान दिया।
  • राष्ट्रगान गाते समय सावधानीपूर्वक खड़ा रहा और पूरे सम्मान के साथ गाया।

तिरंगा झंडा उदास हुआ जब मैंने-

  • दोपहर के भोजन के बाद चॉकलेट का रैपर ज़मीन पर फेंक दिया।
  • एक सहपाठी का मज़ाक उड़ाया और उसे उदास किया।
  • मोबाइल में समय व्यर्थ किया जब मुझे गृह कार्य करना चाहिए था।
  • घर लौटते समय ट्रैफिक नियमों की अनदेखी की।
  • अंग्रेज़ी में बात करने की कोशिश में अपनी मातृभाषा का तिरस्कार किया।

झरोखे से
आपने देश-प्रेम से संबंधित ‘स्वदेश’ कविता पढ़ी। अब आप स्वदेशी कपड़े ‘खादी’ से संबंधित सोहनलाल द्विवेदी की कविता ‘खादी गीत’ का एक अंश पढ़िए ।
खादी गीत
खादी के धागे- धागे में
अपनेपन का अभिमान भरा,
माता का इसमें मान भरा,
अन्यायी का अपमान भरा;

खादी के रेशे- रेशे में
अपने भाई का प्यार भरा,
माँ-बहनों का सत्कार भरा,
बच्चों का मधुर दुलार भरा;

खादी की रजत चंद्रिका जब,
आकर तन पर मुसकाती है,
तब नवजीवन की नई ज्योति
अंतस्तल में जग जाती है;

Swadesh QNA img 18

साझी समझ
आपने ‘स्वदेश’ कविता और ‘खादी गीत’ का उपर्युक्त अंश पढ़ा। स्वतंत्रता आंदोलन के समय लिखी गई दोनों कविताओं में देश-प्रेम किस प्रकार अभिव्यक्त हुआ है? साथियों के साथ मिलकर चर्चा कीजिए। साथ ही ‘खादी गीत’ पूरी कविता पुस्तकालय या इंटरनेट से ढूँढ़कर पढ़िए।
उत्तर-
‘खादी गीत’ कविता
रचयिता- सोहनलाल द्विवेदी

खादी के धागे-धागे में अपनेपन का अभिमान भरा,
माता का इसमें मान भरा, अन्यायी का अपमान भरा।

खादी के रेशे-रेशे में अपने भाई का प्यार भरा,
मां-बहनों का सत्कार भरा, बच्चों का मधुर दुलार भरा।

खादी की रजत चंद्रिका जब, आकर तन पर मुसकाती है,
जब नव-जीवन की नई ज्योति अंतस्थल में जग जाती है।

खादी से दीन निहत्थों की उत्तप्त उसांस निकलती है,
जिससे मानव क्या, पत्थर की भी छाती कड़ी पिघलती है।

खादी में कितने ही दलितों के दग्ध हृदय की दाह छिपी,
कितनों की कसक कराह छिपी, कितनों की आहत आह छिपी।

खादी में कितनी ही नंगों-भिखमंगों की है आस छिपी,
कितनों की इसमें भूख छिपी, कितनों की इसमें प्यास छिपी।

खादी तो कोई लड़ने का, है भड़कीला रणगान नहीं,
खादी है तीर-कमान नहीं, खादी है खड्ग-कृपाण नहीं।

खादी को देख-देख तो भी दुश्मन का दिल थहराता है,
खादी का झंडा सत्य, शुभ्र अब सभी ओर फहराता है।

खादी की गंगा जब सिर से पैरों तक बह लहराती है,
जीवन के कोने-कोने की, तब सब कालिख धुल जाती है।

खादी का ताज चांद-सा जब, मस्तक पर चमक दिखाता है,
कितने ही अत्याचार ग्रस्त दीनों के त्रास मिटाता है।

खादी ही भर-भर देश प्रेम का प्याला मधुर पिलाएगी,
खादी ही दे-दे संजीवन, मुर्दों को पुनः जिलाएगी।

खादी ही बढ़, चरणों पर पड़ नुपूर-सी लिपट मना लेगी,
खादी ही भारत से रूठी आज़ादी को घर लाएगी।

देशप्रेम की भावना ‘स्वदेश’ कविता में-

  • देश को माँ, मिट्टी, जननी, गौरव के रूप में देखा गया है।
  • कवि ने कहा है कि जिसके दिल में स्वदेश का प्यार नहीं है, वह हृदय नहीं पत्थर है।
  • स्वदेश प्रेम को साहस, त्याग, और कर्तव्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
  • कविता में यह संदेश है कि देश के लिए मर-मिटना ही सच्चा जीवन है-
  • “है काल-दीप जलता हरदम, जल जाना है परवानों को।”

देशप्रेम की भावना ‘खादी’ कविता में-

  • ‘खादी’ वस्त्र को राष्ट्रप्रेम का प्रतीक बनाकर प्रस्तुत किया गया है।
  • यह कविता बताती है कि खादी सिर्फ वस्त्र नहीं, त्याग, आत्मनिर्भरता, सादगी और संघर्ष की प्रतीक है।
  • खादी में दलितों, गरीबों और वंचितों की आशा, पीड़ा और करुणा समाई हुई है-
  • “खादी में कितनी ही नंगों-भिखमंगों की है आस छिपी।”
  • कविता बताती है कि खादी अहिंसा और आत्मबल का अस्त्र है, न कि तलवार या खड्ग-
  • “खादी है तीर-कमान नहीं, खादी है खड्ग-कृपाण नहीं।

खोजबीन के
नीचे दी गई इंटरनेट कड़ियों का प्रयोग कर आप देश-प्रेम और स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित रचनाएँ पढ़ सकते हैं-

सारे जहाँ से अच्छा
https://www.youtube.com/watch?v=xestTq6jdjI

दीवानों की हस्ती
https://www.youtube.com/watch?v=n4LOnShHEC4

झाँसी की रानी|
https://www.youtube.com/watch?v=QpTL2qBOiwe

Top

 

Class 8 Hindi Swadesh– Extract Based Questions (गद्यांश पर आधारित प्रश्न)

 

निम्नलिखित पद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए व प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
जो जीवित जोश जगा न सका,
उस जीवन में कुछ सार नहीं।

जो चल न सका संसार-संग,
उसका होता संसार नहीं॥
जिसने साहस को छोड़ दिया,
वह पहुँच सकेगा पार नहीं।

1. कवि के अनुसार किस हृदय को ‘पत्थर’ कहा गया है?
(क) जो प्रेम करता हो
(ख) जिसमें स्वदेश का प्यार न हो
(ग) जो साहसिक हो
(घ) जो संसार से जुड़ा हो
उत्तर- (ख) जिसमें स्वदेश का प्यार न हो

2. ‘जिसने साहस को छोड़ दिया, वह पहुँच सकेगा पार नहीं’- इस पंक्ति का क्या भाव है?
(क) साहसी व्यक्ति को कठिनाइयाँ नहीं आतीं
(ख) साहसी व्यक्ति दूसरों की सहायता करता है
(ग) बिना साहस के कोई मंज़िल नहीं मिलती
(घ) साहस छोड़ना एक नैतिक कार्य है
उत्तर– (ग) बिना साहस के कोई मंज़िल नहीं मिलती

3. ‘जो चल न सका संसार-संग’—इसका तात्पर्य क्या है?
(क) जो समाज से अलग-थलग है
(ख) जो तेज़ दौड़ता है
(ग) जो पढ़ाई में अच्छा है
(घ) जो अकेला रहना पसंद करता है
उत्तर– (क) जो समाज से अलग-थलग है

4. कवि ने किस प्रकार का हृदय ‘पत्थर’ कहा है और क्यों?
उत्तर- कवि ने उस हृदय को ‘पत्थर’ कहा है जिसमें स्वदेश के प्रति प्रेम नहीं है। ऐसा हृदय संवेदनहीन और निष्ठुर होता है, जिसमें अपने देश के लिए कोई भावना नहीं होती।

5. ‘जो जीवित जोश जगा न सका, उस जीवन में कुछ सार नहीं- इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- इस पंक्ति में कवि ने बताया है कि जिस जीवन में ऊर्जा, प्रेरणा और उत्साह नहीं है, वह जीवन व्यर्थ है। केवल जीवित रहना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि जीवन में उद्देश्य और जोश होना ज़रूरी है। ऐसा जीवन ही सार्थक है जो दूसरों के लिए प्रेरणा बने और राष्ट्र के लिए कुछ कर सके।

2
जिससे न जाति- उद्धार हुआ,
होगा उसका उद्धार नहीं॥
जो भरा नहीं है भावों से,
बहती जिसमें रस-धार नहीं।

वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं ॥

1. “वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं”- इस पंक्ति में किस भावना का चित्रण है?
(क) क्रोध
(ख) देश-प्रेम
(ग) निराशा
(घ) हास्य
उत्तर– (ख) देश-प्रेम

2. कवि के अनुसार, वह जीवन व्यर्थ है-
(क) जिसमें धन नहीं है।
(ख) जिसमें मेहनत नहीं है।
(ग) जो जोश नहीं जगा सका।
(घ) जो प्रसिद्ध नहीं हुआ।
उत्तर- (ग) जो जोश नहीं जगा सका।

3. कविता में किसे पत्थर समान हृदय कहा गया है?
(क) जो जीवन का आनंद नहीं लेता
(ख) जो शिक्षा से वंचित हो
(ग) जिसमें रस-धार नहीं
(घ) जिसमें स्वदेश का प्रेम नहीं
उत्तर- (घ) जिसमें स्वदेश का प्रेम नहीं

4. रिक्त स्थान को पूर्ण कीजिए- बहती जिसमें रस ……. धार नहीं।
(क) की
(ख) के
(ग) को
(घ) का
उत्तर- (क) की

5. ‘रस-धार’ और ‘भावों’ से भरे हृदय की महत्ता क्या है?
उत्तर- ‘रस-धार’ और ‘भावों’ से भरा हृदय व्यक्ति को संवेदनशील बनाता है, जिससे उसमें करुणा, देशभक्ति और सेवा की भावना उत्पन्न होती है। ऐसा हृदय देश के प्रति समर्पित होता है और समाज के कल्याण में योगदान देता है।

 

3
जिसकी मिट्टी में उगे बढ़े,
पाया जिसमें दाना-पानी।
हैं माता-पिता बंधु जिसमें,
हम हैं जिसके राजा-रानी॥

जिसने कि खजाने खोले हैं,
नव रत्न दिये हैं लासानी।
जिस पर ज्ञानी भी मरते हैं,
जिस पर है दुनिया दीवानी॥

1.”जिसने कि खजाने खोले हैं, नव रत्न दिये हैं लासानी”- इन पंक्तियों में किसका वर्णन हो रहा है?
(क) समुद्र का
(ख) विश्व इतिहास का
(ग) भारत देश का
(घ) विज्ञान का
उत्तर– (ग) भारत देश का

2. “जिस पर ज्ञानी भी मरते हैं, जिस पर है दुनिया दीवानी”- इस कथन से कवि क्या व्यक्त करता है?
(क) विदेशी भाषा की सुंदरता
(ख) भारत की ज्ञान-परंपरा और लोकप्रियता
(ग) युद्ध की तैयारी
(घ) खेलों का महत्व
उत्तर- (ख) भारत की ज्ञान-परंपरा और लोकप्रियता

3. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म विलोम शब्द का है?
(क) स्वदेश- स्वराज
(ख) दाना-भोजन
(ग) बालिका-लड़की
(घ) राजा- रानी
उत्तर- (घ) राजा- रानी

4. ‘ज्ञानी’ का पर्यायवाची शब्द है।
(क) अज्ञानी
(ख) मूढ़
(ग) विद्वान
(घ) असभ्य
उत्तर– (ग) विद्वान

5. “जिसकी मिट्टी में उगे-बढ़े, पाया जिसमें दाना-पानी”- इस पंक्ति का क्या भावार्थ है?
उत्तर– इस पंक्ति में कवि जन्मभूमि की महत्ता को बता रहा है। हम जिस भूमि में जन्म लेते हैं, वहीं का अन्न-पानी खाकर बड़े होते हैं। यह भूमि हमारे माता-पिता के समान है और हमारे जीवन की आधारशिला है। अतः हमें इसके प्रति श्रद्धा और प्रेम भाव रखना चाहिए।

4
उस पर है नहीं पसीजा जो,
क्या है वह भू का भार नहीं।
निश्चित है निस्संशय निश्चित,
है जान एक दिन जाने को ।

है काल- दीप जलता हरदम,
जल जाना है परवानों को॥
सब कुछ है अपने हाथों में,
क्या तोप नहीं तलवार नहीं।

वह हृदय नहीं है, पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं ॥

1. कवि के अनुसार ‘हृदय’ पत्थर समान कब होता है?
(क) जब उसमें करुणा न हो
(ख) जब उसमें स्वदेश का प्यार न हो
(ग) जब वह युद्ध से डरता हो
(घ) जब वह जीवन से निराश हो
उत्तर– (ख) जब उसमें स्वदेश का प्यार न हो

2. “है काल-दीप जलता हरदम” का तात्पर्य है–
(क) समय रुकता नहीं
(ख) आशा बनी रहती है
(ग) मृत्यु निश्चित है
(घ) दीप जलाने की परंपरा
उत्तर- (ग) मृत्यु निश्चित है

3. निम्नलिखित में से भू का पर्यायवाची शब्द है।
(क) भूमि
(ख) गिरि
(ग) अचल
(घ) भूधर
उत्तर– (क) भूमि

4. निम्नलिखित में से स्वदेश का विलोम शब्द है।
(क) स्वराष्ट्र
(ख) जन्मभूमि
(ग) विदेश
(घ) मातृभूमि
उत्तर- (ग) विदेश

5. “क्या है वह भू का भार नहीं”- पंक्ति से कवि का क्या आशय है?
उत्तर– इस पंक्ति में कवि उस व्यक्ति के बारे में कहता है जो अपने देश के प्रति भावनाहीन है। ऐसा व्यक्ति धरती पर बोझ के समान है क्योंकि वह समाज या देश के लिए कुछ भी सार्थक नहीं करता।

Top

Class 8 Hindi Malhar Lesson 1 Swadesh Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)

1. कवि के अनुसार वह हृदय क्या है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं होता?
(क) कोमल
(ख) भावनाशील
(ग) पत्थर
(घ) गीला
उत्तर- (ग) पत्थर

2. किस जीवन में सार नहीं होता?
(क) जो जीवन धन-दौलत से भरा हो
(ख) जो जोश जगा न सके
(ग) जो जीवन दूसरों के काम आए
(घ) जो शांतिपूर्ण हो
उत्तर- (ख) जो जोश जगा न सके

3. ‘साहस को छोड़ देने वाला’ क्या नहीं कर सकता?
(क) पढ़ाई
(ख) मनोरंजन
(ग) नौकरी
(घ) पार नहीं पहुँच सकता
उत्तर- (घ) पार नहीं पहुँच सकता

4. ‘जिससे जाति का उद्धार न हुआ’, उसके बारे में कवि क्या कहता है?
(क) वह महान है
(ख) वह उदास है
(ग) उसका उद्धार नहीं होगा
(घ) उसे अवसर मिलना चाहिए
उत्तर- (ग) उसका उद्धार नहीं होगा

5. भावों से रहित मन को कवि क्या कहता है?
(क) हृदय
(ख) पत्थर
(ग) नदी
(घ) कोरा कागज
उत्तर- (ख) पत्थर

6. ‘जिसकी मिट्टी में उगे-बढ़े’ का अभिप्राय है:
(क) स्वदेश
(ख) गाँव
(ग) विदेश
(घ) जंगल
उत्तर– (क) स्वदेश

7. “जिसने खजाने खोले हैं”- इस पंक्ति में ‘जिसने’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(क) जनता
(ख) नेता
(ग) देश
(घ) देवता
उत्तर- (ग) देश

8. ‘जिस पर दुनिया दीवानी है’ किसके लिए कहा गया है?
(क) परिवार
(ख) स्वदेश
(ग) प्रेमिका
(घ) विद्यालय
उत्तर- (ख) स्वदेश

9. “उस पर है नहीं पसीजा जो” का तात्पर्य है-
(क) जिसे किसी पर दया नहीं आती
(ख) जो डरपोक है
(ग) जो वीर है
(घ) जो गरीब है
उत्तर- (क) जिसे किसी पर दया नहीं आती

10. “क्या है वह भू का भार नहीं?”- किसके लिए कहा गया है?
(क) आलसी व्यक्ति
(ख) देशभक्त
(ग) निष्ठावान
(घ) संवेदनशून्य व्यक्ति
उत्तर- (घ) संवेदनशून्य व्यक्ति

11. “है जान एक दिन जाने को”- इस पंक्ति का आशय है-
(क) जीवन अमर है
(ख) मृत्यु निश्चित है
(ग) जीवन कठिन है
(घ) समय रुकता नहीं
उत्तर- (ख) मृत्यु निश्चित है

12. ‘काल-दीप’ किसे कहा गया है?
(क) समय
(ख) सूर्य
(ग) दीपक
(घ) जीवन
उत्तर– (क) समय

13. ‘परवाना’ किसका प्रतीक है?
(क) भंवरा
(ख) दीया
(ग) प्रेमी
(घ) बलिदानी
उत्तर– (घ) बलिदानी

14. कविता का मूल भाव क्या है?
(क) धार्मिकता
(ख) देशभक्ति
(ग) प्रेम
(घ) शांति
उत्तर- (ख) देशभक्ति

15. कवि के अनुसार सच्चा हृदय कौन-सा है?
(क) जो छल करे
(ख) जो दुखी हो
(ग) जिसमें स्वदेश-प्रेम हो
(घ) जो मौन रहे
उत्तर- (ग) जिसमें स्वदेश-प्रेम हो

16. कविता किस भावना से ओतप्रोत है?
(क) निष्क्रियता
(ख) मोहभंग
(ग) देशभक्ति
(घ) दुख
उत्तर– (ग) देशभक्ति

17. ‘संसार-संग’ का तात्पर्य है:
(क) भीड़
(ख) लोगों के साथ चलना
(ग) समय का साथ
(घ) सुख-सुविधा
उत्तर– (ख) लोगों के साथ चलना

18. कवि किससे संवेदनशीलता की अपेक्षा करता है?
(क) सैनिकों से
(ख) देशवासियों से
(ग) लेखकों से
(घ) बच्चों से
उत्तर- (ख) देशवासियों से

19. रिक्त स्थान को पूर्ण कीजिए- जिससे न जाति …… उद्धार हुआ
(क) की
(ख) के
(ग) को
(घ) का
उत्तर– (घ) का

20. ‘स्वदेश’ कविता किसके द्वारा रचित है?
(क) गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’
(ख) सोहनलाल द्विवेदी
(ग) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
(घ) सुमित्रानन्दन पंत
उत्तर– (क) गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’

Top

Swadesh Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)

1. गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ ने कविता लेखन की शुरुआत किस भाषा में की थी?
उत्तर– गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ ने कविता लेखन की शुरुआत ब्रजभाषा में की थी। बाद में वे खड़ी बोली के श्रेष्ठ कवियों में गिने जाने लगे।

2. ‘सनेही’ उपनाम के अलावा कवि ने ‘त्रिशूल’ उपनाम क्यों रखा?
उत्तर- कवि को सरकारी नौकरी के कारण ‘सनेही’ के अतिरिक्त ‘त्रिशूल’ नाम से भी लिखना पड़ा। यह उपनाम उन्होंने विवशतावश अपनाया ताकि उनकी सरकारी पहचान प्रभावित न हो और लेखन भी जारी रह सके।

3. गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ की कविताओं में कौन-कौन से प्रमुख विषय मिलते हैं?
उत्तर– ‘सनेही’ की कविताओं में राष्ट्र-प्रेम, किसान-मजदूरों की पीड़ा, और सामाजिक कुरीतियों जैसे विषय प्रमुख रूप से मिलते हैं।

4. गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर- गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ का जन्म 1883 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ था। उन्होंने 1972 तक साहित्य सेवा की।

5. ‘सनेही’ की कुछ प्रमुख रचनाओं के नाम बताइए।
उत्तर- ‘सनेही’ की कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं- त्रिशूल तरंग, राष्ट्रीय मंत्र, और कृषक क्रंदन।

6. “वह हृदय नहीं है पत्थर है”- इस पंक्ति में ‘वह’ कौन-सा सर्वनाम है?
उत्तर– यहाँ ‘वह’ निश्चयवाचक सर्वनाम है, जो किसी विशेष व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत करता है।

7. कवि ने ‘हृदय’ को पत्थर के समान क्यों कहा है?
उत्तर- कवि ने ‘हृदय’ को पत्थर के समान इसलिए कहा है क्योंकि यदि किसी व्यक्ति के दिल में अपने देश के प्रति प्रेम नहीं है, तो उसमें संवेदना और भावना नहीं है। ऐसा हृदय केवल एक वस्तु है, जो किसी काम का नहीं।

8. कवि ने ‘तोप’ और ‘तलवार’ का उल्लेख क्यों किया है?
उत्तर– कवि ने ‘तोप’ और ‘तलवार’ जैसे प्रतीकों का प्रयोग यह बताने के लिए किया है कि हमारे पास शक्ति, साधन और साहस की कोई कमी नहीं है। आवश्यकता केवल देश के प्रति प्रेम और आत्मबल की है जिससे हम देश की रक्षा कर सकें।

9. ‘है काल-दीप जलता हरदम’- इस प्रतीक के माध्यम से कवि क्या बताना चाहते हैं?
उत्तर– ‘काल-दीप’ प्रतीक है मृत्यु और समय का। कवि बताना चाहते हैं कि जीवन सीमित है और मृत्यु निश्चित है। इसलिए हमें अपने जीवन का सदुपयोग करना चाहिए, देश और समाज के लिए कुछ ऐसा करना चाहिए जो मृत्यु के बाद भी याद रखा जाए।

10. कवि ने भारतभूमि को ‘राजा-रानी’ की तरह जीने की जगह क्यों कहा है?
उत्तर– कवि भारतभूमि की महिमा बताते हुए कहते हैं कि यह वह भूमि है जहाँ हमें जन्म मिला, जिसने हमें अन्न-पानी, रिश्तेदार, और जीवन के सारे सुख दिए। हम यहाँ स्वतंत्र होकर जीवन जीते हैं, इसलिए यह भूमि हमें ‘राजा-रानी’ जैसी लगती है।

Top