CBSE Class 8 Hindi Chapter 10 Tarun Ke Swapn (तरुण के स्वप्न) Question Answers (Important) from Malhar Book
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सीबीएसई कक्षा 8 हिंदी मल्हार के पाठ 10 तरुण के स्वप्न प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 8 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे तरुण के स्वप्न प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।
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Tarun Ke Swapn Chapter 10 NCERT Solutions
पाठ से
आइए, अब हम इस पाठ पर विस्तार से चर्चा करें। आगे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।
मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) “ उनके स्वप्न के उत्तराधिकारी आज हम हैं ।” इस कथन में रेखांकित शब्द ‘हम’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
सुभाषचंद्र बोस के लिए
देश के तरुण वर्ग के लिए (★)
चित्तरंजन दास के लिए
भारतवासियों के लिए (★)
उत्तर – देश के तरुण वर्ग के लिए, भारतवासियों के लिए
(2) स्वाधीन राष्ट्र का स्वप्न साकार होगा?
आर्थिक असमानता से
स्त्री-पुरुष के भिन्न अधिकारों से
श्रम और कर्म की मर्यादा से (★)
जातिभेद से
उत्तर – श्रम और कर्म की मर्यादा से
(3) “उनके स्वप्न के उत्तराधिकारी आज हम हैं।” ‘ उत्तराधिकारी’ होने से क्या अभिप्राय है?
हमें उनके स्वप्नों को संजोकर रखना है
हमें भी उनकी तरह स्वप्न देखने का अधिकार है
उनके स्वप्नों को पूरा करने के लिए हमें ही कर्म करना है (★)
उनके स्वप्नों पर चर्चा करने का दायित्व हमारा ही है।
उत्तर – उनके स्वप्नों को पूरा करने के लिए हमें ही कर्म करना है
(4) जब प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा और उन्नति का समान अवसर प्राप्त होगा तब-
राष्ट्र की श्रम-शक्ति बढ़ेगी (★)
तरुणों का साहस बढ़ेगा
राष्ट्र स्वाधीन बनेगा (★)
राष्ट्र स्वप्नदर्शी होगा
उत्तर – राष्ट्र की श्रम-शक्ति बढ़ेगी, राष्ट्र स्वाधीन बनेगा
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। आपने ये उत्तर ही क्यों चुने? अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उतर ही क्यों चुने?
उत्तर – मैंने ये उत्तर इसलिए चुने क्योंकि पाठ में सुभाषचंद्र बोस ने अपने स्वप्न को युवाओं और भारतवासियों को सौंपा है। वे चाहते थे कि सभी लोग मिलकर एक समान, स्वतन्त्र और आदर्श समाज बनाएँ। मेरे उत्तर पाठ में दिए गए सुभाषचंद्र बोस के विचारों से मेल खाते हैं।
मिलकर करें मिलान
नीचे स्तंभ 1 में पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं और स्तंभ 2 में उन पंक्तियों से संबंधित भाव-विचार दिए गए हैं। स्तंभ 1 में दी गई पंक्तियों का स्तंभ 2 में दिए गए भाव-विचार से सही मिलान कीजिए।
| क्रम | स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
| 1. | “इसी स्वप्न की प्रेरणा से हम उठते हैं, बैठते हैं, चलते हैं. फिरते हैं और लिखते हैं, भाषण देते हैं, काम-काज करते हैं।” | 1. समाज में सभी व्यक्तियों को सभी तरह की स्वतंत्रता हो और उस पर किसी तरह का बंधन या सामाजिक दबाव न हो। |
| 2. | “जो राष्ट्र हमारे स्वदेशी समाज के यंत्र के रूप में काम करेगा, सर्वोपरि वह समाज और राष्ट्र भारतवासियों का अभाव मिटाएगा।” | 2. हमारी समूची दिनचर्या और आचार-विचार इसी लक्ष्य (स्वप्न) की प्राप्ति पर केंद्रित हैं। |
| 3. | “उस समाज में व्यक्ति सब दृष्टियों से मुक्त हो तथा समाज के दबाव से वह मरे नहीं।” | 3. जिस देश की योजनाएँ हमारे अपने समाज को ध्यान में रखकर बनाई जाएँगी, उस देश में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं होगा। |
उत्तर –
| क्रम | स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
| 1. | “इसी स्वप्न की प्रेरणा से हम उठते हैं, बैठते हैं,
चलते हैं. फिरते हैं और लिखते हैं, भाषण देते हैं, काम-काज करते हैं।” |
2. हमारी समूची दिनचर्या और आचार-विचार इसी लक्ष्य (स्वप्न) की प्राप्ति पर केंद्रित हैं। |
| 2. | “जो राष्ट्र हमारे स्वदेशी समाज के यंत्र के रूप में काम करेगा, सर्वोपरि वह समाज और राष्ट्र भारतवासियों का अभाव मिटाएगा।” | 3. जिस देश की योजनाएँ हमारे अपने समाज को ध्यान में रखकर बनाई जाएँगी, उस देश में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं होगा। |
| 3. | “उस समाज में व्यक्ति सब दृष्टियों से मुक्त हो तथा समाज के दबाव से वह मरे नहीं।” | 1. समाज में सभी व्यक्तियों को सभी तरह की स्वतंत्रता हो और उस पर किसी तरह का बंधन या सामाजिक दबाव न हो। |
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपनी कक्षा में साझा कीजिए।
(क) “उस समाज में अर्थ की विषमता न हो।”
उत्तर – इस पंक्ति का अर्थ है कि सुभाषचंद्र बोस चाहते थे कि समाज में धन-सम्पति के लिए कोई कठिनाई या विपरीत परिस्थितियाँ न हो। सभी लोगों को बराबर आर्थिक अवसर मिलें ताकि कोई भी गरीबी या अभाव में न रहे। समाज में अमीर-गरीब का भेदभाव न हों।
(ख) “वही स्वप्न उनकी शक्ति का उत्स बना और उनके आनंद का निर्झर रहा।”
उत्तर – इस पंक्ति का अर्थ है कि चित्तरंजन दास का स्वप्न उनकी प्रेरणा और खुशी का स्रोत था। यह स्वप्न उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की ताकत और हौंसला देता था।
(ग) “उस समाज में व्यक्ति सब दृष्टियों से मुक्त हो।”
उत्तर – इस पंक्ति का अर्थ है कि सुभाषचंद्र बोस का सपना था कि समाज का किसी भी व्यक्ति को हीनभाव का सामना न करना पड़े। हर व्यक्ति सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से स्वतंत्र हो। उसे किसी भी तरह के दबाव या बंधन में न रहना पड़े।
सोच-विचार के लिए
अब आप इस पाठ को पुनः पढ़िए और निम्नलिखित के विषय में पता लगाकर लिखिए—
(क) नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने किस प्रकार के राष्ट्र निर्माण का स्वप्न देखा था?
उत्तर – नेताजी ने एक ऐसे स्वतन्त्र राष्ट्र का स्वप्न देखा था जिसमें सभी लोग सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से स्वतंत्र हों। जिसमें जातिभेद, आर्थिक असमानता और किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो। प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा और उन्नति के समान अवसर मिलें। परिश्रम और कर्म को अधिक महत्व दिया जाए, और आलसी और कामचोर लोगों के लिए समाज में कोई स्थान न हो। राष्ट्र स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करे और भारतवासियों के अभाव को दूर करे।
(ख) नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने किस लक्ष्य की प्राप्ति को अपने जीवन की सार्थकता के रूप में देखा?
उत्तर – नेताजी ने एक स्वतंत्र, समृद्ध और संपन्न समाज व राष्ट्र की स्थापना को अपने जीवन की सार्थकता माना। वे चाहते थे कि उनका स्वप्न सत्य हो और इसके लिए वे हर तरह की कोशिश, त्याग व् समर्पण करने को तैयार थे।
(ग) “आलसी तथा अकर्मण्य के लिए कोई स्थान नहीं रहेगा” सुभाषचंद्र बोस ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर – सुभाषचंद्र बोस जी ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वे चाहते थे कि समाज में हर व्यक्ति मेहनत और कर्मठता के साथ राष्ट्र निर्माण में योगदान दे। आलसी और कामचोर लोग राष्ट्र की प्रगति में बाधा बनते हैं, इसलिए उनके लिए समाज व् राष्ट्र में कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
(घ) नेताजी सुभाषचंद्र बोस के लक्ष्यों या ध्येय को पूरा करने के लिए आज की युवा पीढ़ी क्या-क्या कर सकती है?
उत्तर – नेताजी सुभाषचंद्र बोस के लक्ष्यों या ध्येय को पूरा करने के लिए आज की युवा पीढ़ी निम्नलिखित कार्य कर सकती है –
शिक्षा प्राप्त कर समाज में जागरूकता फैला सकती है ।
समाज में फैली अराजकताओं को दूर करने में सहयोग दे सकती है।
जातिभेद, लैंगिक भेदभाव और आर्थिक असमानता के खिलाफ आवाज उठा सकती है।
मेहनत और परिश्रम के साथ देश की प्रगति में योगदान दे सकती है।
सामाजिक और राष्ट्रीय कार्यों में बढ़-चढ़ कर भाग ले सकती है।
अनुमान और कल्पना से
(क) “उस समाज में व्यक्ति सब दृष्टियों से मुक्त हो”, सुभाषचंद्र बोस ने किन-किन दृष्टियों से मुक्ति की बात की होगी?
उत्तर – सुभाषचंद्र बोस ने निम्नलिखित दृष्टियों से मुक्ति की बात की होगी –
सामाजिक दृष्टि – जातिभेद और सामाजिक दबाव से मुक्ति।
आर्थिक दृष्टि – आर्थिक असमानता से मुक्ति।
मानसिक दृष्टि – डर, अज्ञानता और विदेशी प्रभाव से मुक्ति।
लैंगिक दृष्टि – स्त्री-पुरुष के बीच भेदभाव से मुक्ति।
(ख) “उस समाज में नारी मुक्त होकर समाज एवं राष्ट्र के पुरुषों की तरह समान अधिकार का उपभोग करे”, सुभाषचंद्र बोस को अपने भाषण में नारी के लिए समान अधिकारों की बात क्यों कहनी पड़ी?
उत्तर – सुभाषचंद्र बोस को अपने भाषण में नारी के लिए समान अधिकारों की बात इसलिए करनी पड़ी क्योंकि उस समय समाज में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार नहीं मिलते थे। वे शिक्षा, स्वतंत्रता और सामाजिक भागीदारी में पीछे थीं। उस समय पुरुष प्रधान समाज था, जो नेताजी को राष्ट्र हित में नहीं लगता था। इसलिए नेताजी ने नारी मुक्ति की बात की ताकि महिलाएँ भी समाज और राष्ट्र निर्माण में बराबर का योगदान दे सकें।
(ग) आपके विचार से हमारे समाज में और कौन-कौन से लोग हैं जिन्हें विशेष अधिकार दिए जाने की आवश्यकता है?
उत्तर – हमारे समाज में निम्नलिखित लोगों को विशेष अधिकारों की आवश्यकता है –
गरीब और वंचित वर्ग – आर्थिक और शैक्षिक सहायता के लिए।
दिव्यांगजन – समान अवसर और सुविधाएँ।
अल्पसंख्यक समुदाय – सामाजिक और धार्मिक स्वतंत्रता।
बच्चे और बुजुर्ग – विशेष देखभाल और सुरक्षा।
महिलाएं – पुरुषों के सामान राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए।
(घ) सुभाषचंद्र बोस देश के समस्त युवा वर्ग को संबोधित करते हुए कहते हैं- “हे मेरे तरुण भाइयो!” उनका संबोधन केवल ‘भाइयो’ शब्द तक ही क्यों सीमित रहा होगा?
उत्तर – सुभाषचंद्र बोस देश के समस्त युवा वर्ग को संबोधित करते हुए कहते हैं- “हे मेरे तरुण भाइयो!” उनका संबोधन केवल ‘भाइयो’ शब्द तक ही सीमित नहीं था। क्योंकि युवा वर्ग में केवल पुरुष ही नहीं आते। महिलाएं भी युवा वर्ग का हिस्सा होती हैं। उस समय ‘भाइयो’ शब्द का प्रयोग सामान्यतः पूरे समूह को संबोधित करने के लिए होता था, जिसमें महिलाएँ भी शामिल थीं। नेताजी का उद्देश्य सभी युवाओं को प्रेरित करना था, न कि केवल पुरुषों को।
(ङ) “यह स्वप्न मैं तुम्हें उपहार स्वरूप देता हूँ- स्वीकार करो।” सुभाषचंद्र बोस के इस आह्वान पर श्रोताओं (युवा वर्ग) की क्या प्रतिक्रिया रही होगी?
उत्तर – श्रोताओं, विशेषकर युवाओं, ने इस आह्वान को उत्साह और प्रेरणा के साथ स्वीकार किया होगा। नेताजी के जोशीले शब्दों ने उन्हें देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा दी होगी। नेता जी की ही तरह इस स्वप्न को साकार करने के लिए उनमें नई उमंग व् उत्साह भर गया होगा।
शीर्षक
(क) आपने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के भाषण का एक अंश पढ़ा है, इसे ‘तरुण के स्वप्न’ शीर्षक दिया गया है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि यह शीर्षक क्यों दिया गया होगा?
उत्तर – ‘तरुण के स्वप्न’ शीर्षक इसलिए दिया गया क्योंकि सुभाषचंद्र बोस ने अपने भाषण में युवाओं को एक आदर्श समाज और राष्ट्र का स्वप्न दिखाया। यह स्वप्न युवाओं को प्रेरित करने और उन्हें राष्ट्र निर्माण में सक्रिय करने के लिए था। नेता जी इस स्वप्न को अपने बाद भी सक्रिय रखना चाहते थे इसलिए उन्होंने इस स्वप्न को युवाओं को सौंपा। जिस वजह से अब यह स्वप्न युवाओं का हो गया।
(ख) यदि आपको भाषण के इस अंश को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा? यह भी लिखिए।
उत्तर – मैं इसे ‘स्वतन्त्र भारत का स्वप्न’ नाम दूंगी। क्योंकि यह नाम सुभाषचंद्र बोस के स्वतंत्र, समृद्ध और संपन्न भारत के स्वप्न को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
(ग) सुभाषचंद्र बोस ने अपने समय की स्थितियों या समस्याओं को अपने संबोधन में स्थान दिया है। यदि आपको अपनी कक्षा को संबोधित करने का अवसर मिले तो आप किन-किन विषयों को अपने उद्बोधन में सम्मिलित करेंगे और उसका क्या शीर्षक रखेंगे?
उत्तर – यदि मुझे अपनी कक्षा को संबोधित करने का अवसर मिले तो मैं शिक्षा का महत्व, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समानता, और तकनीकी प्रगति जैसे रोचक व् आवश्यक विषयों को चुनूंगी। इन विषयों के लिए ‘नए भारत का निर्माण’, ‘नए भारत की सोच’ जैसे शीर्षक दिए जा सकते हैं। क्योंकि इस तरह के शीर्षक युवाओं को प्रेरित करने और देश की प्रगति के लिए कार्य करने का संदेश देते है।
भाषा की बात
(क) सुभाषचंद्र बोस ने अपने भाषण में संख्या, संगठन या भाव आदि का बोध कराने वाले शब्दों साथ उनकी विशेषता अथवा गुण बताने वाले शब्दों का प्रयोग किया है। उनके भाषण से विशेषता अथवा गुण बताने वाले शब्द ढूँढ़कर दिए गए शब्द समूह को पूरा कीजिए-

उत्तर –

(ख) सुभाषचंद्र बोस ने तो उपर्युक्त विशेषताओं के साथ इन शब्दों को रखा है। आप किन विशेषताओं के साथ इन उपर्युक्त शब्दों को रखना चाहेंगे और क्यों? लिखिए।
उत्तर –
अखंड – विश्वास – अखंड विश्वास हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं होता
समाज – समृद्ध – समृद्ध समाज ही समृद्ध राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।
राष्ट्र – भक्ति – राष्ट्र भक्ति नागरिकों का कर्तव्य है।
जीवन – सार्थक – जीवन को सार्थक बनाने के लिए परिश्रम की आवश्यकता है।
शक्ति – रचनात्मक – रचनात्मक शक्ति से समाज में बदलाव लाया जा सकता है।
आनंद – असीम – असीम आनंद से जीवन महत्वपूर्ण बनता है।
विपरीतार्थक शब्द और उनके प्रयोग
(क) “और उस पर एक स्वाधीन राष्ट्र” इस वाक्यांश में रेखांकित शब्द ‘स्वाधीन’ का विपरीत अर्थ देने वाला शब्द है ‘पराधीन’। इसी प्रकार के कुछ विपरीतार्थक शब्द आगे दिए गए हैं, लेकिन वे आमने-सामने नहीं हैं। रेखाएँ खींचकर विपरीतार्थक शब्दों के सही जोड़े बनाइए—
| क्रम | स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
| 1. | स्वीकार | कर्मण्य / कर्मठ |
| 2. | सार्थक | विपन्न |
| 3. | विषमता | अस्वीकार |
| 4. | क्षुद्र | जीवन |
| 5. | संपन्न | निरर्थक |
| 6. | अकर्मण्य | समानता |
| 7. | मरण | विशाल / वृहत / विराट / महान |
उत्तर –
| क्रम | स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
| 1. | स्वीकार | अस्वीकार |
| 2. | सार्थक | निरर्थक |
| 3. | विषमता | समानता |
| 4. | क्षुद्र | विशाल / वृहत / विराट / महान |
| 5. | संपन्न | विपन्न |
| 6. | अकर्मण्य | कर्मण्य / कर्मठ |
| 7. | मरण | जीवन |
(ख) अब स्तंभ 1 और स्तंभ 2 के सभी शब्दों से दिए गए उदाहरण के अनुसार वाक्य बनाकर लिखिए, जैसे- “समाज की उन्नति अकर्मण्य नहीं अपितु कर्मण्य व्यक्तियों पर निर्भर है।”
उत्तर –
स्वीकार – मैंने नेताजी के स्वप्न को स्वीकार कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का निर्णय लिया।
अस्वीकार – राष्ट्र निर्माण में भेदभाव व् असमानता जैसे तत्वों को अस्वीकार करना होगा।
सार्थक – परिश्रम से ही जीवन सार्थक बनता है।
निरर्थक – आलस्य व् कामचोरी जीवन को निरर्थक बना देती है।
विषमता – समाज से आर्थिक विषमता को दूर करना आवश्यक है।
समानता – नेताजी की ही तरह हमें भी समाज में समानता लाने का स्वप्न देखना चाहिए।
क्षुद्र – क्षुद्र विचारों से समाज की उन्नति नहीं हो सकती।
विशाल – नेताजी का स्वप्न एक विशाल और स्वतंत्र भारत का था।
संपन्न – एक संपन्न समाज के लिए आवश्यक है कि सभी को समान अवसर मिले।
विपन्न – हमें विपन्न लोगों की मदद करनी चाहिए।
अकर्मण्य – अकर्मण्य व्यक्तियों से समाज का पतन निश्चित है।
कर्मण्य – कर्मण्य लोग ही राष्ट्र को आगे ले जाते हैं।
मरण – नेताजी के अनुसार स्वप्न के लिए मरण भी स्वर्ग समान है।
जीवन – हमें अपना जीवन देश की सेवा में समर्पित करना चाहिए।
पाठ से आगे
आपकी बात
(क) आपने सुभाषचंद्र बोस के स्वप्न के बारे में जाना। आप अपने विद्यालय, राज्य और देश के बारे में कैसे स्वप्न देखते हैं? लिखिए।
उत्तर – मैं अपने विद्यालय के बारे में ऐसा सपना देखना चाहती हूँ, जहाँ सभी बच्चों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, और खेल-कूद व अन्य गतिविधियों के लिए भी सुविधाएँ हों।
मैं अपने राज्य के बारे में ऐसा सपना देखना चाहती हूँ, जहाँ मेरा राज्य स्वच्छ, हरा-भरा और समृद्ध हो, जहाँ सभी को रोजगार और उन्नति के लिए बराबर अवसर मिलें।
मैं अपने देश के बारे में ऐसा सपना देखना चाहती हूँ, जहाँ स्वतंत्रता, समानता और तकनीकी रूप से उन्नती हो, जहाँ कोई भेदभाव, जातिवाद व् अराजकता न हो।
(ख) हमें बड़े संघर्षों के बाद स्वतंत्रता मिली है। अपनी इस स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए हम अपने स्तर पर क्या-क्या कर सकते हैं? लिखिए।
उत्तर – हमें बड़े संघर्षों के बाद स्वतंत्रता मिली है। अपनी इस स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए हम अपने स्तर पर निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं –
देश के सम्मान का ध्यान रखना।
नियमों और कानूनों का पालन करना।
शिक्षा प्राप्त कर जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनाना।
पर्यावरण की रक्षा और स्वच्छता बनाए रखना।
सामाजिक समानता और भाईचारे को बढ़ावा देना।
भेदभाव व् असमानता ता त्याग करना
देश के लिए सकारात्मक कार्य करना।
सामाजिक कार्यों में भाग लेना।
देश की रक्षा में प्राण त्यागने से भी पीछे न हटना।
मिलान कीजिए
(क) नीचे स्तंभ 1 में स्वतंत्रता सेनानियों से संबंधित कुछ तथ्य दिए गए हैं और स्तंभ 2 में स्वतंत्रता सेनानियों के नाम दिए गए हैं। तथ्यों का स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से रेखा खींचकर सही मिलान कीजिए। इसके लिए आप अपने शिक्षकों, अभिभावकों और पुस्तकालय तथा इंटरनेट की सहायता सकते हैं।
| क्रम | स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
| 1. | 8 अप्रैल, 1929 को ‘सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने वाले क्रांतिकारी, ‘शहीद-ए-आज़म’ के नाम से जाने जाते हैं। | 1. सरदार वल्लभभाई पटेल |
| 2. | ‘स्वराज पार्टी’ के संस्थापकों में से एक, सुभाषचंद्र बोस के राजनीतिक गुरु कहे जाते हैं। | 2. महात्मा गाँधी |
| 3. | जेल में क्रांतिकारियों के साथ राजबंदियों के समान व्यवहार न होने के कारण क्रांतिकारियों ने 13 जुलाई 1929 से भूख हड़ताल शुरू कर दी। अनशन के तिरसठवें दिन जेल में इनका देहांत हो गया। | 3. चंद्रशेखर आज़ाद |
| 4. | इनके जन्मदिवस पर ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ मनाया जाता है। | 4. चित्तरंजन दास |
| 5. | नर्मदा नदी के तट पर इनकी एक विशाल प्रतिमा स्थापित है। जिसे ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ कहा जाता है। | 5. जतिन दास |
| 6. | 1921 में असहयोग आंदोलन में गिरफ्तार होने पर न्यायाधीश ने इनसे पिता का नाम पूछा तो इन्होंने कहा— “मेरा नाम आजाद है, पिता का नाम स्वतंत्रता और पता कारावास है।” | 6. भगत सिंह |
उत्तर –
| क्रम | स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
| 1. | 8 अप्रैल, 1929 को ‘सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने वाले क्रांतिकारी, ‘शहीद-ए-आज़म’ के नाम से जाने जाते हैं। | 6. भगत सिंह |
| 2. | ‘स्वराज पार्टी’ के संस्थापकों में से एक, सुभाषचंद्र बोस के राजनीतिक गुरु कहे जाते हैं। | 4. चित्तरंजन दास |
| 3. | जेल में क्रांतिकारियों के साथ राजबंदियों के समान व्यवहार न होने के कारण क्रांतिकारियों ने 13 जुलाई 1929 से भूख हड़ताल शुरू कर दी। अनशन के तिरसठवें दिन जेल में इनका देहांत हो गया। | 5. जतिन दास |
| 4. | इनके जन्मदिवस पर ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ मनाया जाता है। | 2. महात्मा गाँधी |
| 5. | नर्मदा नदी के तट पर इनकी एक विशाल प्रतिमा स्थापित है। जिसे ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ कहा जाता है। | 1. सरदार वल्लभभाई पटेल |
| 6. | 1921 में असहयोग आंदोलन में गिरफ्तार होने पर न्यायाधीश ने इनसे पिता का नाम पूछा तो इन्होंने कहा— “मेरा नाम आजाद है, पिता का नाम स्वतंत्रता और पता कारावास है।” | 3. चंद्रशेखर आज़ाद |
(ख) इनमें से एक स्वतंत्रता सेनानी का नाम ‘तरुण के स्वप्न’ पाठ में भी आया है। उसे पहचान कर लिखिए।
उत्तर – चित्तरंजन दास।
“तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा ।”
ब्रिटिश शासन विरुद्ध संघर्ष में 1944 में सुभाषचंद्र बोस ने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा‘ नारे के माध्यम से आह्वान किया था। स्वाधीनता संग्राम के दौरान और भी बहुत से नारे दिए गए। ये नारे स्वतंत्रता सेनानियों के अदम्य साहस, निर्भीकता और देश–प्रेम को दर्शाते हैं।
नीचे स्तंभ 1 कुछ नारे दिए गए हैं। नारों के सामने लिखिए कि यह किसके द्वारा दिया गया? आप पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।
| नारा | स्वतंत्रता सेनानी |
| स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। | |
| करो या मरो | |
| मैं आजाद हूँ, आजाद रहूँगा और आजाद ही मरूँगा | |
| इंकलाब जिंदाबाद, साम्रायवाद मुर्दाबाद | |
| पूर्ण स्वराज |
उत्तर –
| नारा | स्वतंत्रता सेनानी |
| स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। | बाल गंगाधर तिलक |
| करो या मरो | महात्मा गाँधी |
| मैं आजाद हूँ, आजाद रहूँगा और आजाद ही मरूँगा | चंद्रशेखर आज़ाद |
| इंकलाब जिंदाबाद, साम्रायवाद मुर्दाबाद | भगत सिंह |
| पूर्ण स्वराज | जवाहरलाल नेहरू |
Class 8 Hindi Tarun Ke Swapn Extract Based Questions (गद्यांश पर आधारित प्रश्न)
निम्नलिखित गद्याँशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए व प्रश्नों के उत्तर दीजिये-
1 –
स्वप्न तो अनेकों ने देखा। हमारे नेता स्वर्गीय देशबंधु चित्तरंजन दास ने भी एक स्वप्न देखा था। वही स्वप्न उनकी शक्ति का उत्स बना और उनके आनंद का निर्झर रहा। उनके स्वप्न के उत्तराधिकारी आज हम हैं। इसलिए हमारा भी अपना एक स्वप्न है, इसी स्वप्न की प्रेरणा से हम उठते हैं, बैठते हैं, चलते हैं, फिरते हैं और लिखते हैं, भाषण देते हैं, काम-काज करते हैं। वह स्वप्न या आदर्श क्या है? हम चाहते हैं, एक नया सर्वांगीण स्वाधीन संपन्न समाज और उस पर एक स्वाधीन राष्ट्र। उस समाज में व्यक्ति सब दृष्टियों से मुक्त हो तथा समाज के दबाव से वह मरे नहीं । उस समाज में जातिभेद का स्थान नहीं हो, उस समाज में नारी मुक्त होकर समाज एवं राष्ट्र के पुरुषों की तरह समान अधिकार का उपभोग करे और समाज तथा राष्ट्र की सेवा में समान रूप से हिस्सा ले, उस समाज में अर्थ की विषमता न हो, उस समाज में प्रत्येक व्यक्ति शिक्षा और उन्नति का समान सुअवसर पाए ।
प्रश्न 1 – उपरोक्त गद्यांश में नेता जी किसके सपने से प्रभावित थे?
(क) सुभाष चंद्र
(ख) चित्तरंजन दास
(ग) महात्मा गांधी
(घ) पुरखों के
उत्तर – (ख) चित्तरंजन दास
प्रश्न 2 – गद्यांश के अनुसार स्वर्गीय देशबंधु चित्तरंजन दास के सपनों के उत्तराधिकारी कौन हैं?
(क) भारतवासी
(ख) सुभाष चंद्र बोस
(ग) उनके अनुयायी
(घ) सम्पूर्ण राष्ट्र
उत्तर – (ख) सुभाष चंद्र बोस
प्रश्न 3 – स्वर्गीय देशबंधु चित्तरंजन दास के स्वप्न की प्रेरणा से सुभाष चंद्र बोस क्या करते थे ?
(क) उठते थे, बैठते थे, चलते थे, फिरते थे
(ख) लिखते थे, भाषण देते थे
(ग) काम-काज करते थे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – सुभाष चंद्र बोस क्या चाहते थे ?
(क) एक अलग समाज और राष्ट्र
(ख) एक नया सर्वांगीण स्वाधीन संपन्न समाज और उस पर एक स्वाधीन राष्ट्र
(ग) एक विकसित समाज और मजबूत राष्ट्र
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) एक नया सर्वांगीण स्वाधीन संपन्न समाज और उस पर एक स्वाधीन राष्ट्र
प्रश्न 5 – सुभाष चंद्र बोस किस तरह के समाज व् राष्ट्र का सपना देखते थे ?
(क) उस समाज में व्यक्ति सब दृष्टियों से मुक्त हो तथा समाज के दबाव से वह मरे नहीं
(ख) उस समाज में जातिभेद का स्थान नहीं हो, नारी मुक्त होकर समाज एवं राष्ट्र के पुरुषों की तरह समान अधिकार का उपभोग करे
(ग) उस समाज में अर्थ की विषमता न हो, प्रत्येक व्यक्ति शिक्षा और उन्नति का समान सुअवसर पाए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
2 –
जिस समाज में श्रम और कर्म की पूरी मर्यादा होगी और आलसी तथा अकर्मण्य के लिए कोई स्थान नहीं रहेगा, वह राष्ट्र किसी भी विजातीय प्रभाव से हर प्रकार से मुक्त रहेगा। जो राष्ट्र हमारे स्वदेशी समाज के यंत्र के रूप में काम करेगा, सर्वोपरि वह समाज और राष्ट्र भारतवासियों का अभाव मिटाएगा या भारतवासी के आदर्श को सार्थक बनाकर ही स्थिर नहीं होगा, बल्कि विश्व-मानव के समक्ष आदर्श-समाज और आदर्श – राष्ट्र के रूप में गण्य होगा। मैं ऐसे समाज और ऐसे राष्ट्र का ही स्वप्न देखता रहा हूँ। यह स्वप्न मेरे समक्ष नित्य एवं अखंड सत्य है। इस सत्य की प्रतिष्ठा के लिए सबकुछ किया जा सकता है, हर प्रकार का त्याग किया जा सकता है, हर संकट को सहा जा सकता है और इस स्वप्न को सार्थक बनाने के दौरान प्राण देना भी है तो ‘वह मरण है स्वर्ग समान’। हे मेरे तरुण भाइयो! तुम्हें देने लायक मेरे पास कुछ भी नहीं है, है सिर्फ यही स्वप्न जो हमें असीम शक्ति और अपार आनंद देता है, जो मेरे क्षुद्र जीवन को भी सार्थक बनाता है। यह स्वप्न मैं तुम्हें उपहारस्वरूप देता हूँ— स्वीकार करो।
प्रश्न 1 – सुभाष चंद्र बोस के अनुसार समाज में किसके लिए कोई स्थान नहीं रहेगा ?
(क) श्रम और कर्म
(ख) आलसी तथा अकर्मण्य
(ग) प्रतिष्ठा और त्याग
(घ) आदर्श-समाज और आदर्श-राष्ट्र
उत्तर – (ख) आलसी तथा अकर्मण्य
प्रश्न 2 – सुभाष चंद्र बोस के सपनों का समाज किससे मुक्त रहेगा ?
(क) विजातीय प्रभाव से
(ख) स्वदेशी प्रभाव से
(ग) आदर्शों दे
(घ) स्वतंत्रता व् अखंडता से
उत्तर – (क) विजातीय प्रभाव से
प्रश्न 3 – आदर्श-समाज और आदर्श-राष्ट्र का स्वप्न नेता जी के समक्ष —————– सत्य है।
(क) नित्य एवं अखंड
(ख) प्रत्यक्ष
(ग) अस्थिर
(घ) अविश्वसनीय
उत्तर – (क) नित्य एवं अखंड
प्रश्न 4 – गद्यांश में ‘वह मरण है स्वर्ग समान’ का क्या आशय है ?
(क) अच्छा जीवन जीते हुए मरना स्वर्ग के समान है
(ख) स्वप्न को सार्थक बनाने के दौरान प्राण देना
(ग) अपने आदर्शों के लिए मरना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) स्वप्न को सार्थक बनाने के दौरान प्राण देना
प्रश्न 5 – नेता जी युवाओं को उपहारस्वरूप क्या देना चाहते हैं ?
(क) देश का भविष्य
(ख) अपने आदर्श और त्याग की भावना
(ग) आदर्श-समाज और आदर्श-राष्ट्र के सपने को
(घ) देश की स्वतंत्रता व् अखंडता
उत्तर – (ग) आदर्श-समाज और आदर्श-राष्ट्र के सपने को
Class 8 Hindi Malhar Lesson 10 Tarun Ke Swapn Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)
प्रश्न 1 – नेताजी ने मेदिनीपुर जिला युवक-सम्मेलन में प्रेरणादायक भाषण कब दिया था?
(क) 29 सितंबर, 1929 को
(ख) 29 दिसंबर, 1939 को
(ग) 29 दिसंबर, 1929 को
(घ) 29 सितम्बर, 1939 को
उत्तर – (ग) 29 दिसंबर, 1929 को
प्रश्न 2 – युवक-सम्मेलन में प्रेरणादायक सभा विशेष रूप से क्यों आयोजित की गई थी?
(क) युवाओं को संबोधित करने के लिए
(ख) महिलाओं को संबोधित करने के लिए
(ग) पुरुषों को संबोधित करने के लिए
(घ) बुजुर्गों को संबोधित करने के लिए
उत्तर – (क) युवाओं को संबोधित करने के लिए
प्रश्न 3 – नेताजी ने किसके स्वप्न को अपनी प्रेरणा बताया है?
(क) महात्मा गाँधी
(ख) देशबंधु चित्तरंजन दास
(ग) गंगाधर तिलक
(घ) पंडित नेहरू
उत्तर – (ख) देशबंधु चित्तरंजन दास
प्रश्न 4 – देशबंधु का स्वप्न ही उनकी ________ का स्रोत बना।
(क) शक्ति
(ख) आनंद
(ग) केवल (क)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों
प्रश्न 5 – नेताजी ने कैसे समाज की बात की है?
(क) सर्वांगीण
(ख) स्वाधीन
(ग) संपन्न
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 6 – नेताजी के अनुसार आदर्श समाज को केवल कैसे व्यक्ति आगे ले जा सकते हैं?
(क) श्रमशील और कर्मठ
(ख) आलसी और अकर्मण्य
(ग) कामचोर और घमंडी
(घ) कठोर और बेरोजगार
उत्तर – (क) श्रमशील और कर्मठ
प्रश्न 7 – नेता जी के अनुसार उनके सपने का समाज कैसा होगा?
(क) जहाँ हर व्यक्ति स्वतंत्र होगा, नारी को समान अधिकार मिलेंगे
(ख) जहाँ जातिभेद और आर्थिक विषमता नहीं होगी
(ग) जहाँ श्रम और मेहनत को उचित सम्मान मिलेगा
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 8 – नेताजी ने अपने स्वप्न को क्या कहा है?
(क) अनित्य एवं असत्य
(ख) नित्य एवं अखंड सत्य
(ग) क्षणिक एवं अस्थायी सत्य
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) नित्य एवं अखंड सत्य
प्रश्न 9 – नेताजी के अनुसार व्यक्ति को समाज में किससे मुक्त होना चाहिए?
(क) अनावश्यक दबाव से
(ख) आवश्यक दबाव से
(ग) पारिवारिक दबाव से
(घ) आर्थिक दबाव से
उत्तर – (क) अनावश्यक दबाव से
प्रश्न 10 – नेताजी के आदर्श समाज में किसकी की पूरी मर्यादा होनी चाहिए?
(क) अर्थ और काम
(ख) आलस और अकर्मण्य
(ग) श्रम और कर्म
(घ) पुरुष और महिला
उत्तर – (ग) श्रम और कर्म
प्रश्न 11 – नेताजी का स्वप्न उनके छोटे से जीवन को भी ________ बनाता है?
(क) सार्थक
(ख) कठिन
(ग) बेकार
(घ) रोचक
उत्तर – (क) सार्थक
प्रश्न 12 – नेताजी अपने स्वप्न किसके लिए उपहार के रूप में हैं ?
(क) महिलाओं
(ख) पुरुषों
(ग) युवाओं
(घ) वृद्धों
उत्तर – (ग) युवाओं
प्रश्न 13 – नेताजी के अनुसार उनके स्वप्न को साकार करने के लिए क्या करना पड़ सकता है ?
(क) हर प्रकार का त्याग
(ख) यदि आवश्यकता हो तो प्राणों का बलिदान
(ग) हर प्रकार का संघर्ष
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 14 – नेताजी ऐसे समाज की कल्पना करते हैं जहाँ _____________ का कोई स्थान न हो।
(क) समानता
(ख) समता
(ग) जातिभेद
(घ) भाईचारे
उत्तर – (ग) जातिभेद
प्रश्न 15 – नेताजी समाज में किसके सिद्धांतों पर विश्वास रखते थे?
(क) समानता
(ख) भाईचारे
(ग) समता
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 16 – नेताजी के अनुसार समाज और राष्ट्र भारतवासी के __________ को दूर कर सकते हैं और उसके आदर्श को सार्थक बना सकते हैं?
(क) सुख
(ख) कठिन कार्यों
(ग) अभाव
(घ) समृद्धि
उत्तर – (ग) अभाव
प्रश्न 17 – नेताजी का स्वप्न उन्हें क्या देता है?
(क) असीम शक्ति और अपार आनंद
(ख) असीम प्रेम और अपार धन
(ग) असीम आराम और अपार समृद्धि
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) असीम शक्ति और अपार आनंद
प्रश्न 18 – नेताजी का स्वप्न ही उनके जीवन का _________ है, जो उनके हर कार्य को ऊर्जा देता है।
(क) उद्देश्य
(ख) प्रेरणा
(ग) जीवन शक्ति
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 19 – नेताजी युवाओं को ही क्यों संबोधित करते हैं?
(क) क्योंकि वे भविष्य निर्माता हैं
(ख) क्योंकि राष्ट्र और समाज की नींव उन्हीं के हाथों में है
(ग) क्योंकि वे युवाओं से अपने स्वप्न को अपनाने और उसे साकार करने की अपेक्षा रखते हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 20 – नेताजी किस बात को ‘स्वर्ग समान मरण’ कहते हैं?
(क) आत्म बलिदान को
(ख) युद्ध भूमि में बलिदान देने को
(ग) स्वप्न की सिद्धि के लिए प्राण देने को
(घ) सुख समृद्धि प्राप्त करने को
उत्तर – (ग) स्वप्न की सिद्धि के लिए प्राण देने को
Tarun Ke Swapn Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)
प्रश्न 1 – सुभाष चंद्र बोस ने पाठ में स्वर्गीय देशबंधु चित्तरंजन दास के बारे में क्या बताया है?
उत्तर – सुभाष चंद्र बोस कहते हैं कि सपना तो अनेक लोग देखा करते हैं। उन सभी में नेता स्वर्गीय देशबंधु चित्तरंजन दास ने भी एक सपना देखा था। उनका देखा गया वही सपना उनकी शक्ति का स्रोत बना और उनके आनंद अथवा ख़ुशी का मानो झरना बना रहा। कहने का आशय यह है कि स्वर्गीय देशबंधु चित्तरंजन दास ने जो सपना देखा था वह उनके जीवन में साहस, शक्ति और आनन्द का जरिया बना रहा।
प्रश्न 2 – सुभाष चंद्र बोस का क्या सपना है ?
उत्तर – सुभाष चंद्र बोस का भी अपना एक सपना है, वे स्वर्गीय देशबंधु चित्तरंजन दास के सपने की प्रेरणा से उठते हैं, बैठते हैं, चलते हैं, फिरते हैं और लिखते हैं, भाषण देते हैं, काम-काज करते हैं। इस सपने या आदर्श के बारे में सुभाष चंद्र बोस बताते हैं कि वे एक नया, हर दृष्टि से स्वतन्त्र, पूर्णतः विकसित समाज और उस पर एक स्वतन्त्र राष्ट्र चाहते हैं।
प्रश्न 3 – सुभाष चंद्र बोस कैसा समाज चाहते हैं ?
उत्तर – वे एक नया, हर दृष्टि से स्वतन्त्र, पूर्णतः विकसित समाज और उस पर एक स्वतन्त्र राष्ट्र चाहते हैं। वे एक ऐसा समाज चाहते हैं जिसमें हर व्यक्ति सब दृष्टियों से आजाद हो, जातिवाद का कोई स्थान न हो, नारी पूरी आजादी होकर समाज एवं राष्ट्र के पुरुषों की तरह ही समान अधिकार का आनंद लें और समाज तथा पुरुषों के ही समान राष्ट्र की सेवा में हिस्सा ले, धन-सम्पति की कोई कठिनाई न हो, प्रत्येक व्यक्ति शिक्षा और उन्नति का समान अवसर प्राप्त करे। किसी के काम व् परिश्रम को पूर्ण सम्मान दिया जाए। और आलस तथा कामचोरी के लिए उस समाज में कोई स्थान नहीं रहेगा, वह राष्ट्र किसी भी विभिन्न जातियों व् वर्गों के प्रभाव से हर प्रकार से मुक्त रहेगा। सबसे पहले ऐसा समाज और राष्ट्र भारतवासियों की कमियों को दूर करेगा या भारतवासी के आदर्श को अर्थवान बनाकर ही नहीं रुकेगा, बल्कि विश्व के लोगों के सामने आदर्श-समाज और आदर्श-राष्ट्र के रूप में गिना जाएगा। सुभाष चंद्र बोस ऐसे ही गुणों वाले समाज और ऐसे ही गुणों वाले राष्ट्र का स्वप्न देखते थे।
प्रश्न 4 – अपने सपने को सार्थक करने के लिए सुभाष चंद्र बोस क्या करने को तैयार हैं?
उत्तर –सुभाष चंद्र बोस का सपना उनके सामने सदा व् हमेशा एवं कभी न नष्ट होने वाले सत्य के समान था। इस सत्य के सम्मान और इज्जत के लिए वे सब कुछ करने को तैयार थे, हर प्रकार का त्याग करने को तैयार थे, हर संकट को सहने के लिए तैयार थे और इस सपने को अर्थवान बनाने के दौरान यदि प्राण भी देने पड़े तो वे इस तरह मरने को स्वर्ग के समान मानते थे।
प्रश्न 5 – सुभाष चंद्र बोस अंत में भारतीय युवाओं को क्या कहते हैं ?
उत्तर – सुभाष चंद्र बोस भारतीयों को ‘युवा भाइयों’ कह कर सम्बोधित करते हैं और कहते हैं कि उनके पास भारतीयों को देने लायक कुछ भी नहीं है, यदि वे कुछ दे सकते हैं तो है यही सपना है जो उन्हें असीम शक्ति और अपार आनंद देता है, जो उनके महत्वहीन जीवन को भी अर्थवान बनाता है। यह स्वप्न वे भारतवासियों को उपहारस्वरूप देना चाहते है और प्रार्थना करते हैं कि भारतवासी उनके इस सपने को स्वीकार करें।