CBSE Class 8 Hindi Chapter 2 Do Gauraiya (दो गौरैया) Question Answers (Important) from Malhar Book
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Do Gauraiya Chapter 2 NCERT Solutions
पाठ से
आइए, अब हम इस कहानी को थोड़ी और स्पष्टता से समझते हैं। नीचे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।
मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) पिताजी ने कहा कि घर सराय बना हुआ है क्योंकि-
- घर की बनावट सराय जैसी बहुत विशाल है।
- घर में विभिन्न पक्षी और जीव-जंतु रहते हैं
- पिताजी और माँ घर के मालिक नहीं हैं।
- घर में विभिन्न जीव-जंतु आते-जाते रहते है
उत्तर – घर में विभिन्न पक्षी और जीव-जंतु रहते हैं (★)
(2) कहानी में घर के असली मालिक’ किसे कहा गया है?
- माँ और पिताजी को जिनका वह मकान है।
- लेखक को जिसने यह कहानी लिखी है।
- जीव-जंतुओं को जो उस घर में रहते थे
- मेहमानों को जो लेखक से मिलने आते
उत्तर – जीव-जंतुओं को जो उस घर में रहते थे (★)
(3) गौरैयों के प्रति माँ और पिताजी की प्रतिक्रियाएँ कैसी थीं?
- दोनों ने खुशी से घर में उनका स्वागत किया
- पिताजी ने उन्हें भगाने की कोशिश की लेकिन माँ ने मना किया
- दोनों ने मिलकर उन्हें घर से बाहर निकाल दिया
- माँ ने उन्हें निकालने के लिए कहा लेकिन पिताजी ने घर में रहने दिया
उत्तर – पिताजी ने उन्हें भगाने की कोशिश की लेकिन माँ ने मना किया (★)
(4) माँ बार-बार पिताजी की बातों पर मुसकराती और मजाक करती थीं। इससे क्या पता चलता है?
- माँ चाहती थीं कि गौरैयाँ घर से भगाई न जाएँ
- माँ को पिताजी के प्रयत्न व्यर्थ लगते थे
- माँ को गौरैयों की गतिविधियों पर हँसी आ जाती थी
- माँ को दूसरों पर हँसना और उपहास करना अच्छा लगता था
उत्तर – माँ चाहती थीं कि गौरैयाँ घर से भगाई न जाएँ (★)
(5) कहानी में गौरैयों के बार-बार लौटने को जीवन के किस पहलू से जोड़ा जा सकता है?
- दूसरों पर निर्भर रहना
- असफलताओं से हार मान लेना
- अपने प्रयास को निरंतर जारी रखना
- संघर्ष को छोड़कर नए रास्ते अपनाना
उत्तर – अपने प्रयास को निरंतर जारी रखना (★)
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ विचार कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर – हमने ये उत्तर इसलिए चुने हैं क्योंकि लेखक के पिताजी बार-बार कहते हैं कि घर में कई तरह के जीव-जंतु आते-जाते हैं, जैसे तरह-तरह के पक्षी, चूहे, छिपकली, तैतिया और बिल्ली, जिससे घर सराय जैसा लगता है। ‘असली मालिक’ जीव-जंतुओं को कहा गया है क्योंकि वे घर में स्वतंत्र रूप से आते-जाते रहते हैं। माँ और पिताजी की प्रतिक्रियाएँ अलग थीं क्योंकि पिताजी गौरैयों को भगाना चाहते थे, परन्तु माँ उन्हें रहने देना चाहती थीं। माँ का हँसना और मजाक करना दर्शाता है कि वे गौरैयों को भगाने के प्रयास को व्यर्थ मानती थीं और उन्हें गौरैयों का व्यवहार पसंद था। गौरैयों का बार-बार लौटना उनके दृढ़ संकल्प को दिखाता है, जिसे हम जीवन में किसी भी परिस्थिति में प्रयास को जारी रखने से जोड़ सकते है।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। प्रत्येक वाक्य के सामने दो-दो अर्थ दिए गए हैं। अपने में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सबसे उपयुक्त अर्थ से मिलाइए)
| क्रम | वाक्य | अर्थ |
| 1. | वह शोर मचता है कि कानों के पर्दे फट जाएँ, पर लोग कहते हैं कि पक्षी गा रहे हैं! |
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| 2. | आँगन में आम का पेड़ है। तरह-तरह के पक्षी उस पर डेरा डाले रहते हैं। |
|
| 3. | वह धमा चौकड़ी मचती है कि हम लोग ठीक तरह से सो भी नहीं पाते। |
|
| 4. | वह समझते हैं कि माँ उनका मजाक उड़ा रही हैं। |
|
| 5. | पिताजी ने लाठी दीवार के साथ टिकाकर रख दी और छाती फैलाए कुर्सी पर आ बैठे। |
|
| 6. | इतने में रात पड़ गई। |
|
| 7. | जब हम लोग नीचे उतरकर आए तो वे फिर से मौजूद थीं और मजे से बैठी मल्हार गा रही थीं। |
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उत्तर –
| क्रम | वाक्य | अर्थ |
| 1. | वह शोर मचता है कि कानों के पर्दे फट जाएँ, पर लोग कहते हैं कि पक्षी गा रहे हैं! |
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| 2. | आँगन में आम का पेड़ है। तरह-तरह के पक्षी उस पर डेरा डाले रहते हैं। |
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| 3. | वह धमा चौकड़ी मचती है कि हम लोग ठीक तरह से सो भी नहीं पाते। |
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| 4. | वह समझते हैं कि माँ उनका मजाक उड़ा रही हैं। |
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| 5. | पिताजी ने लाठी दीवार के साथ टिकाकर रख दी और छाती फैलाए कुर्सी पर आ बैठे। |
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| 6. | इतने में रात पड़ गई। |
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| 7. | जब हम लोग नीचे उतरकर आए तो वे फिर से मौजूद थीं और मजे से बैठी मल्हार गा रही थीं। |
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(ख) अपने उत्तर को अपने मित्रों के उत्तर से मिलाइए और विचार कीजिए कि आपने कौन-से अर्थ का चुनाव किया है और क्यों?
उत्तर – हमने उपरोक्त अर्थ इसलिए चुने क्योंकि ये अर्थ कहानी के दृष्टिकोण और भाषा के सबसे करीब हैं। उदाहरण के लिए, पक्षियों के चहचहाने का शोर तेज था, लेकिन लोग उसे संगीत कहते थे, जो कहानी में स्पष्ट रूप से वर्णित है। आम के पेड़ पर पक्षियों का निवास करना आम बात है, न कि तंबू लगाना। चूहों की धमा-चौकड़ी ने लेखक और उनके माँ-पिता की नींद में खलल डाला हुआ था, जो कहानी में बताया गया है। माँ का मजाक पिताजी को उपहास लगता था, और पिताजी का गर्व से बैठना उनकी विजयी मुद्रा को दर्शाता है। रात का धीरे-धीरे होना और गौरैयों का प्रसन्नता से चहचहाना कहानी के भाव को स्पष्ट करता है।
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं। अब तो इन्होंने यहाँ घोंसला बना लिया है।”
उत्तर – माँ के द्वारा कहा गया ये वाक्य दर्शाता है कि गौरैयों ने अब घर में घोंसला बना लिया है, जिससे वे इसे अपना घर मान चुकी हैं। कोई भी अपना घर आसानी से नहीं छोड़ता इसीलिए अब गौरैयाँ भी आसानी से नहीं जाएँगी। पहले अगर उन्हें भगाया जाता, तो शायद वे चली जातीं। यह दर्शाता है कि गौरैयों का घर के प्रति लगाव बढ़ गया है। यदि उन्हें घौंसला बनाने से पहले भगा देते तो वे चली भी जाती।
(ख) एक दिन अंदर नहीं घुस पाएँगी, तो घर छोड़ देंगी।”
उत्तर – पिताजी का मानना था कि अगर गौरैयों को एक दिन घर में घुसने से रोका जाए, तो वे हार मानकर कहीं और चली जाएँगी। यह पिता जी द्वारा गौरैयों के दृढ़ संकल्प को तोड़ने की रणनीति को दर्शाता है।
(ग) “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो, तो उसका घर तोड़ देना चाहिए।”
उत्तर – यह वाक्य पिता जी ने तब कहा था जब वे गौरैयों को भगाते-भगाते थक गए थे। पिता जी मानना था कि अगर किसी को पूरी तरह से हटाना हो, तो उसका आधार अर्थात घर या घोंसला नष्ट करना सही विकल्प है। यह गौरैयों को भगाने के लिए उनके घोंसले को तोड़ने की उनकी सोच व् अंतिम निर्णय को दर्शाता है।
सोच-विचार के लिए
पाठ को पुनः ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए।
(क) आपको कहानी का कौन-सा पात्र सबसे अच्छा लगा— घर पर रहने आई गौरैयाँ, माँ, पिताजी, लेखक या कोई अन्य प्राणी? आपको उसकी कौन-कौन सी बातें अच्छी लगीं और क्यों?
उत्तर – मुझे माँ पात्र सबसे अच्छा लगा। उनका हँसमुख स्वभाव, गौरैयों के प्रति सहानुभूति, और पिताजी के प्रयासों पर मजाक करने की आदत पाठकों के हृदय को ख़ुशी से भर देती है। वे गौरैयों को घर से भगाने के खिलाफ थीं, इसके लिए वे तरह-तरह के कारण भी देती हैं और उनकी हँसी कहानी को अधिक आकर्षक बनाती है। उनका स्वभाव दर्शाता है कि वे पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशील थीं।
(ख) लेखक के घर में चिड़िया ने अपना घोंसला कहाँ बनाया? उसने घोंसला वहीं क्यों बनाया होगा?
उत्तर – चिड़िया ने लेखक की बैठक की छत में लगे पंखे के गोले में घोंसला बनाया। उसने वहाँ घोंसला इसलिए बनाया होगा क्योंकि चिड़िया के दृष्टिकोण से यह जगह सुरक्षित, ऊँची, और बारिश व अन्य खतरों से बची हुई थी। साथ ही, यह घर के अंदर थी, जिससे उनके छोटे बच्चे दूसरे जानवरों से सुरक्षित रह सकते थे।
(ग) क्या आपको लगता है कि पशु-पक्षी भी मनुष्यों के समान परिवार और घर का महत्व समझते हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कहानी से उदाहरण दीजिए।
उत्तर – हाँ, पशु-पक्षी भी परिवार और घर का महत्व समझते हैं। कहानी में गौरैयाँ बार-बार घर लौटती थीं, भले ही पिताजी उन्हें बार-बार बाहर निकाल देते थे। जब उनके बच्चे घोंसले में से बाहर निकल कर उन्हें ढूँढने लगे, तो माँ-बाप गौरैयाँ तुरंत लौटकर उनकी चोंच में चुग्गा डालने लगीं। यह दर्शाता है कि वे अपने बच्चों और घोंसले के प्रति लगाव रखती थीं।
(घ) “अब मैं हार मानने वाला आदमी नहीं हूँ।” इस कथन से पिताजी के स्वभाव के कौन-से गुण उभरकर आते हैं?
उत्तर – इस कथन से पिताजी के दृढ़ निश्चय, जिद्दी स्वभाव, और हार न मानने की प्रवृत्ति उभरकर सामने आती है। वे गौरैयों को भगाने के लिए बार-बार प्रयास करते हैं, चाहे वे कितने भी थक क्यों न जाएं !
(ङ) कहानी में गौरैयों के व्यवहार में कब और कैसा बदलाव आया? यह बदलाव क्यों आया?
उत्तर – कहानी में गौरैयों का व्यवहार तब बदला जब पिताजी ने उनके घोंसले को तोड़ना शुरू किया। पहले वे चहकती और इधर-उधर उड़ती रहती थीं, लेकिन जब घोंसला तोड़ा जाने लगा, तो वे चुपचाप दीवार पर बैठी थीं और दुबली काली सी दिखने लगीं थी। यह बदलाव इसलिए आया क्योंकि उनके घोंसले और बच्चों को खतरा था, जिससे वे डर गईं थी और चहकना बंद कर दिया था।
(च) कहानी में गौरैयाँ ने किन-किन स्थानों से घर में प्रवेश किया था? सूची बनाइए।
उत्तर – कहानी में गौरैयाँ ने घर के निम्नलिखित स्थानों से प्रवेश किया था –
दरवाजे के नीचे की खाली जगह से
रोशनदान के टूटे हुए शीशे से
किचन के दरवाजे से
(छ) इस कहानी को कौन सुना रहा है? आपको यह बात कैसे पता चली?
उत्तर – कहानी को लेखक सुना रहा है। हमें यह पता इसलिए चला क्योंकि कहानी में ‘मैं’ शब्द का उपयोग बार-बार हुआ है, जैसे ” घर में मैं, पिता जी और माँ रहते थे” ; “मैंने सिर उठाकर ऊपर की ओर देखा” और “माँ-पिताजी और मैं उनकी ओर देखते रह गए।”
(ज) माँ बार-बार क्यों कह रही होंगी कि गौरैयाँ घर छोड़कर नहीं जाएँगी?
उत्तर – माँ बार-बार इसलिए कह रही थीं क्योंकि गौरैयों ने घर में घोंसला बना लिया था और उन्हें पूरा अंदाजा था कि गौरैयों ने अंडे दे दिए होंगें। वे जानती थीं कि गौरैयाँ अपने घोंसले और बच्चों के प्रति लगाव के कारण घर नहीं छोड़ेंगी।
अनुमान और कल्पना से
(क) कल्पना कीजिए कि आप उस घर में रहते हैं जहाँ चिड़ियाँ अपना घर बना रही हैं। अपने घर में उन्हें देखकर आप क्या करते?
उत्तर – मुझे चिड़ियों को अपने घर में देखकर बहुत ख़ुशी होती और मैं उन्हें कभी परेशान न करती। मैं उनके लिए घर पर ही थोड़ा खाना, जैसे चावल या अनाज के दाने, रखती और उनके घोंसले को हर तरह के नुकसान से बचाने की कोशिश करती। अपनी जानकारी बढ़ने के लिए मैं उनके व्यवहार को देखकर उनकी तस्वीरें लेती और किसी पुस्तिका में लिख कर रखती।
(ख) मान लीजिए कि कहानी में चिड़िया नहीं, बल्कि नीचे दिए गए प्राणियों में से कोई एक प्राणी घर में घुस गया है। ऐसे में घर के लोगों का व्यवहार कैसा होगा? क्यों?
उत्तर – (उदाहरण के लिए – बिल्ली) –
अगर बिल्ली घर में घुसती, तो घर के लोग शायद उसे प्यार से बुलाते और दूध या खाना देते, जैसा कि कहानी में बताया भी गया है। लेकिन अगर बिल्ली भी गौरैयों की तरह बार-बार आती और सामान तोड़ती, तो पिताजी उसे भी भगाने की कोशिश जरूर करते।
(ग) “मैं अवाक् उनकी ओर देखता रहा।” लेखक को विस्मय या हैरानी किसे देखकर हुई? उसे विस्मय क्यों हुआ होगा?
उत्तर – लेखक को नन्हीं-नन्हीं गौरैयों के बच्चों को देखकर विस्मय हुआ। उसे विस्मय इसलिए हुआ क्योंकि उसे नहीं पता था कि घोंसले में बच्चे हैं, और हो सकता है कि लेखक ने पहली बार गौरैयों के छोटे बच्चे देखे हों। उनकी चीं-चीं की आवाज़ सुनकर उसे आश्चर्य हुआ कि गौरैयों के बच्चे इतने छोटे हैं।
(घ) “माँ मदद तो करती नहीं थीं, बैठी हँसे जा रही थीं।” माँ ने गौरैयों को निकालने में पिताजी की सहायता क्यों नहीं की होगी?
उत्तर – माँ ने पिताजी की सहायता इसलिए नहीं की होगी क्योंकि वे गौरैयों को घर से निकालना नहीं चाहती थीं। उन्हें गौरैयों का घर में रहना पसंद होगा, और वे पिताजी के प्रयासों को व्यर्थ मानती थीं। उन्हें कहीं न कहीं आभास था कि गौरैयाँ घौसले में अंडे दे चुकी हैं और इस तरह बच्चों को माँ-पिता से दूर करना उन्हें अच्छा नहीं लग रहा होगा। उनकी हँसी दर्शाती है कि वे गौरैयों के प्रति सहानुभूति रखती थीं।
(ङ) “एक चूहा अँगीठी के पीछे बैठना पसंद करता है, शायद बूढ़ा है उसे सर्दी बहुत लगती है।” लेखक ने चूहे के विशेष व्यवहार से अनुमान लगाया कि उसे सर्दी लगती होगी। आप भी किसी एक अपरिचित व्यक्ति या प्राणी के व्यवहार को ध्यान से देखकर अनुमान लगाइए कि वह क्या सोच रहा होगा, क्या करता होगा या वह कैसा व्यक्ति होगा आदि।
उत्तर – हम रोज शाम को पार्क में घूमने जाते थे। वहाँ मैंने एक बार एक कुत्ते को देखा जो एक ही पेड़ के नीचे बैठता था। उसे देखकर मुझे लगता था कि वह उस जगह को पसंद करता होगा क्योंकि वहाँ छाया थी और गर्मियों में वहाँ उसे आराम मिलता था। वह शायद बहुत शांत स्वभाव का था क्योंकि हमने कभी उसे किसी पर भौंकते नहीं देखा और शायद उसे भीड़-भाड़ से दूर रहना पसंद था क्योंकि उसे कभी सड़क या दुकानों के आस-पास भी नहीं देखा था।
(च) “पिताजी कहते हैं कि यह घर सराय बना हुआ है।” सराय और घर में कौन-कौन से अंतर होते होंगे?
उत्तर – सराय और घर में निम्नलिखित अंतर होते हैं –
घर – यह एक ऐसा स्थान होता है जहाँ परिवार मिलकर रहता है, और यहाँ लोग स्थायी रूप से बसते हैं। यहाँ पर नियम और व्यवस्था परिवार के सदस्यों द्वारा बनाई जाती है।
सराय – यह एक अस्थायी स्थान है जहाँ लोग कुछ समय के लिए रुकते हैं। यहाँ कई लोग आते-जाते रहते हैं, और यहाँ कोई स्थायी निवासी नहीं होता। कहानी में घर को सराय इसलिए कहा गया क्योंकि कई जीव-जंतु पशु-पक्षी वहाँ बिना बुलाए आते-जाते रहते थे।
संवाद और अभिनय
नीचे दी गई स्थितियों के लिए अपने समूह में मिलकर अपनी कल्पना से संवाद लिखिए और जीत को अभिनय द्वारा प्रस्तुत कीजिए-
(क) “वे अभी भी झाँके जा रही थीं और चीं-चीं करके मानो अपना परिचय दे रही थीं, हम आ गई हैं। हमारे माँ-बाप कहाँ हैं” नन्हीं-नन्हीं दो गौरैया क्या-क्या बोल रही होंगी?
संवाद –
पहली गौरैया – “चीं-चीं! हमारा घर ये लोग तोड़ क्यों रहे हैं?”
दूसरी गौरैया – “चीं-चीं! माँ-पापा कहाँ गए? हमें दर लग रहा है!”
पहली गौरैया – “चीं-चीं! डरो मत अब सभी ने हमें देख लिया है, शायद अब ये घर नहीं तोड़ेंगे।”
दूसरी गौरैया – “चीं-चीं! माँ-पापा जल्दी आओ। हमें भूख लगी है!”
(ख) “चिड़ियाँ एक-दूसरे से पूछ रही हैं कि यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?” घोंसले से झाँकती गौरैयाँ क्या-क्या बातें कर रही होंगी?
संवाद –
पहली गौरैया – “ये आदमी इतना नाच क्यों कर रहा है?”
दूसरी गौरैया – “शायद उसे हमारा चहचहाना पसंद आ रहा होगा।”
पहली गौरैया – “पर मुझे संदेह है कि यह हमारे घर के निचे क्यों उछल रहा है? कहीं यह हमारे घर को नुकसान तो नहीं पहुँचाना चाहता। ”
दूसरी गौरैया – “जो भी ही, हमें यह घर पसंद है। हम तो यहीं रहेंगे!”
(ग) “एक दिन दो गौरैया सीधी अंदर घुस आईं और बिना पूछे उड़-उड़कर मकान देखने लगीं।” जब उन्होंने पहली बार घर में प्रवेश किया तो उन्होंने आपस में क्या बातें की होंगी?
संवाद –
पहली गौरैया – “ यह घर कितना अच्छा है! क्यों न हम यहीं अपना घर बना लें?”
दूसरी गौरैया – “हाँ, यहाँ सुरक्षित भी लग रहा है। चलो, यहीं रहते हैं!”
पहली गौरैया – “देखों, यहाँ पंखे के गोले में घोंसला बनाने की जगह भी है।”
दूसरी गौरैया – “ठीक है अब हम अपना सामान ले कर आते हैं!”
(घ) “उनके माँ-बाप झट से उड़कर अंदर आ गए और चीं-चीं करते उनसे जा मिले और उनकी नन्हीं-नन्हीं चोंचों में चुग्गा डालने लगे।” गौरैयों और उनके बच्चों ने क्या-क्या बातें की होंगी?
संवाद –
माँ गौरैया – “चीं-चीं! डरने की कोई बात नहीं है। अब हम आ गए हैं।”
बच्चा गौरैया – “चीं-चीं! माँ-पिता जी, हमें डर लग रहा था। ये लोग हमारा घर क्यों तोड़ रहे थे?”
पिता गौरैया – “चीं-चीं! अब घबराने की बात नहीं है। इन्हें नहीं पता था कि तुम अंदर हो। देखो अब ये लोग कैसे खुशी से तुम्हारा स्वागत कर रहे हैं।”
बच्चा गौरैया – “चीं-चीं! आप कह रहे हैं, तो सब ठीक है!”
माँ गौरैया – “चीं-चीं! हम तुम्हारे लिए खाना लाए हैं।”
बच्चा गौरैया – “चीं-चीं! हाँ हमें बहुत भूख भी लगी थी! धन्यवाद माँ।”
बदली कहानी
मान लीजिए कि घोंसले में अंडों से बच्चे न निकले होते। ऐसे में कहानी आगे कैसे बढ़ती? यह बदली हुई कहानी लिखिए।
उत्तर – अगर घोंसले में अंडों से बच्चे न निकले होते, तो पिताजी शायद घोंसला तोड़ने में सफल हो जाते। अंडे जमीन पर गिर कर टूट जाते। गौरैयाँ यह देखकर दुखी हो जाती और कहीं और घोंसला बनाने चली जातीं। अंडे के टूटने पर पिता भी दुखी हो जाते। लेखक को गौरैयों के जाने का दुख होता, और वह उनके चहचहाने की कमी महसूस करता। कहानी का अंत उदास होता, जिसमें गौरैयों का घर और बच्चे छिन जाते और परिवार उनके प्रति सहानुभूति महसूस करता। साथ-ही -साथ पिता को घौंसला तोड़ने का पछतावा होता।
कहने के ढंग / क्रिया विशेषण
माँ खिलखिलाकर हँस दीं।”
इस वाक्य में ‘खिलखिलाकर’ शब्द बता रहा है कि माँ कैसे हँसी थीं। कोई कार्य कैसे किया गया है, इसे बताने वाले शब्द क्रिया विशेषण’ कहलाते हैं। ‘खिलखिलाकर’ भी एक क्रिया विशेषण शब्द है।
अब नीचे दिए गए रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। इन शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने मन से बनाइए।
(क) पिताजी ने झिड़ककर कहा, “तू खड़ा क्या देख रहा है?”
वाक्य – माता ने झिड़ककर कहा, “तुम हमेशा खेलते रहते हो, पढ़ाई पर ध्यान क्यों नहीं देते?”
(ख) “देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो”, माँ ने अबकी बार गंभीरता से कहा।
वाक्य – पिता ने गंभीरता से कहा, “बेटा, मेहनत नहीं करोगे, तो कभी सफल नहीं होगे।”
(ग) “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो, तो उसका घर तोड़ देना चाहिए”, उन्होंने गुस्से में कहा।
वाक्य – बहन ने गुस्से में कहा, “मेरी चीजों को हाथ मत लगाया करो।”
अब आप इनसे मिलते-जुलते कुछ और क्रिया विशेषण शब्द सोचिए और उनका प्रयोग करते हुए कुछ वाक्य बनाइए।
(संकेत – धीरे से, जोर से, अटकते हुए, चिल्लाकर, शरमाकर, सहमकर, फुसफुसाते हुए आदि।)
उत्तर –
धीरे से – उसने धीरे से कहा ताकि कोई सुन न ले।
जोर से – बच्चा जोर से रोया ताकि उसी माँ उसे सुन सके।
अटकते हुए – छोटा बच्चा सभी वाक्य अटकते हुए बोलता है।
चिल्लाकर – राम बहुत दूर था इसलिए वह चिल्लाकर बात कर रहा था।
शरमाकर – वह शरमाकर अपनी बात पूरी नहीं कर पाई।
सहमकर – वह डर गया था जिस वजह से वह सहमकर घटना का जिक्र कर रहा था।
फुसफुसाते हुए – परीक्षा में अध्यापक ने बच्चों को फुसफुसाते हुए देख लिया।
घर के प्राणी
कहानी में आपने पढ़ा कि लेखक के घर में अनेक प्राणी रहते थे। लेखक ने उनका वर्णन ऐसे किया है जैसे वे भी मनुष्यों की तरह व्यवहार करते हैं। कहानी में से चुनकर उन प्राणियों की सूची बनाइए और बताइए कि वे मनुष्यों जैसे कौन-कौन से काम करते थे?
(क) बिल्ली- ‘फिर आऊँगी’ कहकर चली जाती है।
(ख) —————————————
(ग) —————————————-
(घ) —————————————-
(ड) —————————————-
उत्तर: –
(क) बिल्ली – फिर आऊँगी कहकर चली जाती है। (मनुष्यों की तरह बिल्ली को यहाँ अतिथि की तरह दर्शाया गया है जो बाद में आएगी ऐसा कहकर लौटती है।)
(ख) चूहा – एक चूहा अँगीठी के पीछे बैठता है क्योंकि उसे सर्दी लगती है। (मनुष्यों की तरह ठंड से बचने की कोशिश करता है।)
(ग) दूसरा चूहा – बाथरूम की टंकी पर चढ़कर बैठता है। (मनुष्यों की तरह अपनी पसंद की जगह चुनता है।)
(घ) गौरैयाँ – घर का निरीक्षण करती हैं और घोंसला बनाती हैं। (मनुष्यों की तरह घर बनाने के लिए सही जगह चुनने और बसने का काम करती हैं।)
अपने बच्चों को चुग्गा खिलाती हैं। (मनुष्यों की तरह अपने परिवार की रक्षा व् देखभाल करती हैं।)
(ङ) चमगादड़ – कमरों में कसरत करते हैं। (मनुष्यों की तरह व्यायाम करने का व्यवहार दर्शाया गया है।)
हेर-फेर मात्रा का
माँ और पिताजी दोनों सोफे पर बैठे उनकी ओर देखे जा रहे थे। ”
पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं।”
उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। आपने ध्यान दिया होगा कि शब्द में एक मात्रा-भर के अंतर से उसके अर्थ में परिवर्तन हो जाता है।
अब नीचे दिए गए शब्दों की मात्राओं और अर्थों के अंतर पर ध्यान दीजिए। इन शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने मन से वाक्य बनाइए।
- नाच-नाचा नचा
- हार-हरा-हारा
- पिता-पीता
- चूक-चुक
- नीचा-नीचे
- सहसा-साहस
उत्तर –
नाच – मोर वन में नाच रहे थे।
नाचा – जंगल में मोर नाचा किसने देखा।
नचा – उसने अपने भाई को भी समारोह में नचा दिया।
हार – वह खेल में हार गया।
हरा – उसने खेल में सभी को हरा दिया।
हारा – उसकी किस्मत खराब थी जो वह बार-बार कोशिश करने के बाद भी हारा।
पिता – मेरे पिता मुझे रोज स्कूल लाते और ले जाते हैं।
पीता – वह सुबह-सुबह गर्म पानी पीता है।
चूक – उसकी एक छोटी चूक ने उसे हरा दिया।
चुक – उसने अपना काम समय पर चुक लिया।
नीचा – रावण ने हनुमान जी को नीचा दिखाने की कोशिश की।
नीचे – किताब मेज के नीचे रखी हुई थी।
सहसा – सहसा उसे याद आया कि उसके पिता उसका घर पर इन्तजार कर रहे हैं।
साहस – उसने साहस दिखाकर खतरे का सामना किया।
कहानी की रचना
“कमरे में फिर से शोर होने लगा था, पर अबकी बार पिताजी उनकी ओर देख-देखकर केवल मुसकराते रहे।”
इस पंक्ति में बताया गया है कि पिताजी का दृष्टिकोण कैसे बदल गया। इस प्रकार यह विशेष वाक्य है। इस तरह के वाक्यों से कहानी और अधिक प्रभावशाली बन जाती है।
(क) आपको इस कहानी में ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी। उन्हें अपने समूह के साथ मिलकर ढूंढिए और उनकी सूची बनाइए।
(ख) इस कहानी की कुछ विशेषताओं को नीचे दिया गया है। इनके उदाहरण कहानी में से चुनकर लिखिए।
आपकी बात
| कहानी की विशेषताएँ | कहानी में से उदाहरण |
| 1. किसी बात को कल्पना से बढ़ा-चढ़ाकर कहना | जो भी पक्षी पहाड़ियों-घाटियों पर से उड़ता हुआ दिल्ली पहुँचता है, पिताजी कहते हैं वही सीधा हमारे घर पहुँच जाता है, जैसे हमारे घर का पता लिखवाकर लाया हो। |
| 2. हास्य यानी हँसी-मजाक का उपयोग किया जाना | |
| 3. सोचा कुछ और, हुआ कुछ और | |
| 4. दूसरों के मन के भावों का अनुमान लगाना | |
| 5. किसी की कही बात को उसी के शब्दों में लिखना | |
| 6. किसी प्राणी या उसके कार्य को कोई अन्य नाम देना | |
| 7. किसने किससे कोई बात कही, यह सीधे-सीधे बताए बिना उस संवाद को लिखना |
उत्तर –
| कहानी की विशेषताएँ | कहानी में से उदाहरण |
| 1. किसी बात को कल्पना से बढ़ा-चढ़ाकर कहना | जो भी पक्षी पहाड़ियों-घाटियों पर से उड़ता हुआ दिल्ली पहुँचता है, पिताजी कहते हैं वही सीधा हमारे घर पहुँच जाता है, जैसे हमारे घर का पता लिखवाकर लाया हो। |
| 2. हास्य यानी हँसी-मजाक का उपयोग किया जाना | “चिड़ियाँ हैं कि यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?” – माँ की बात और पिताजी का उछलना-कूदना |
| 3. सोचा कुछ और, हुआ कुछ और | “दरवाजे बंद कर दिए, फिर भी गौरैयाँ रोशनदान से अंदर आ गईं।” |
| 4. दूसरों के मन के भावों का अनुमान लगाना | “पिताजी कहने लगे कि मकान का निरीक्षण कर रही हैं कि उनके रहने योग्य है या नहीं।” (गौरैयों के व्यवहार को देखकर अनुमान लगाना) |
| 5. किसी की कही बात को उसी के शब्दों में लिखना | “अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं।” – माँ द्वारा बोले गए संवाद |
| 6. किसी प्राणी या उसके कार्य को कोई अन्य नाम देना | “एक चूहा अँगीठी के पीछे बैठता है, शायद बूढ़ा है”, “बिल्ली कभी-कभी झाँक जाती है, मन आया तो दूध पी जाती है” |
| 7. किसने किससे कोई बात कही, यह सीधे-सीधे बताए बिना उस संवाद को लिखना | “अब तो इन्होंने अंडे भी दे दिए होंगे।” – यहाँ स्पष्ट नहीं कि यह बात माँ ने कही या लेखक ने, पर संवाद रूप में प्रस्तुत है |
पाठ से आगे
(क) “गौरैयों ने घोंसले में से सिर निकालकर नीचे की ओर झाँककर देखा और दोनों एक साथ ‘चीं-चीं’ करने लगीं।” आपने अपने घर के आस-पास पक्षियों को क्या-क्या करते देखा है? उनके व्यवहार में आपको कौन-कौन से भाव दिखाई देते हैं?
उत्तर – हमने अपने घर के पास चिड़ियाँ , कबूतर, और कौवे देखे हैं। चिड़ियाँ सुबह-सुबह चहचहाती हैं और दाने चुगती हैं, जो खुशी और सक्रियता का भाव दिखाता है। कबूतर छत पर गुटर-गूँ करते हैं, जो शांति और अपने परिवार के साथ समय बिताने का भाव दर्शाता है। कौवे खाना ढूँढते हैं और खाना मिलने पर एक-दूसरे को पुकारते हैं, जो उनकी सतर्कता और सामाजिकता को दिखाता है।
(ख) “कमरे में फिर से शोर होने लगा था, पर अबकी बार पिताजी उनकी ओर देख-देखकर केवल मुसकराते रहे।” कहानी के अंत में पिताजी गौरैयों का अपने घर में रहना स्वीकार कर लेते हैं। क्या आप भी कोई स्थान या वस्तु किसी अन्य के साथ साझा करते हैं? उनके बारे में बताइए। साझेदारी में यदि कोई समस्या आती है तो उसे कैसे हल करते हैं?
उत्तर – वस्तुओं को किसी के साथ सांझा करना अच्छे व्यवहार के अंतर्गत आता है। मैं अपनी किताबें अपने सहपाठियों के साथ साझा करती हूँ। कभी-कभी वह किताबें गंदी कर देते है, जिससे मुझे गुस्सा आता है। हम इस समस्या को झगड़े से नहीं बल्कि बातचीत से हल करते हैं। मैं उन्हें समझाती हूँ कि किताबों को सावधानी से इस्तेमाल करे, और वे मेरी बात मान भी लेते है।
(ग) परिवार के लोग गौरैयों को घर से बाहर भगाने की कोशिश करते हैं, किंतु गौरैयों के बच्चों के कारण उनका दृष्टिकोण बदल जाता है। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि किसी को देखकर या किसी से मिलकर आपका दृष्टिकोण बदल गया हो?
उत्तर – हाँ, एक बार मैंने एक आवारा कुत्ते को पार्क में बच्चों के साथ खेलते देखा। पहले मुझे लगता था कि आवारा कुत्ते खतरनाक और विश्वास के लायक नहीं होते, लेकिन उसे देखकर मेरा दृष्टिकोण बदल गया। मैंने समझा कि पशु केवल प्रेम के भूखे होते हैं और यदि उन्हें नुक्सान न पहुँचाया जाए तो वे किसी को हानि नहीं पहुँचते।
चिड़ियों का घोंसला
घोंसला बनाना चिड़ियों के जीवन का एक सामान्य हिस्सा है। विभिन्न पक्षी अलग-अलग तरह के घोंसले बनाते हैं। इन घोंसलों में वे अपने अंडे देते हैं और अपने चूजों को पालते हैं।
(क) अपने आस-पास विभिन्न प्रकार के घोंसले ढूंढिए और उन्हें ध्यान से देखिए और नीचे दी गई तालिका को पूरा कीजिए) (सावधानी— उन्हें हाथ न लगाएँ अन्यथा पक्षियों, उनके अंडों और आपको भी खतरा हो सकता है)
| क्रम संख्या | घोंसले को कहाँ देखा | घोंसला किन चीजों से बनाया गया था | घोंसला खाली था या नहीं | घोंसला किस पक्षी का था |
उत्तर –
| क्रम संख्या | घोंसले को कहाँ देखा | घोंसला किन चीजों से बनाया गया था | घोंसला खाली था या नहीं | घोंसला किस पक्षी का था |
| 1 | पेड़ की डाल पर | तिनके, पत्तियाँ, छोटी टहनियां और रुई | अंडे थे | गौरैया |
| 2 | छत के कोने में | तिनके और मिट्टी | खाली था | कबूतर |
| 3 | ऊँचे पेड़ों पर | मोटी टहनियों से | खाली था | कौवे |
(ख) विभिन्न पक्षियों के घोंसलो के संबंध में एक प्रस्तुति तैयार कीजिए। उसमें आप चाहें तो उनके चित्र और थोड़ी रोचक जानकारी सम्मिलित कर सकते हैं।
उत्तर – प्रस्तुति सम्बंधित बिंदु –
- गौरैया का घोंसला – तिनकों, पत्तियों, छोटी टहनियां और रुई से बना होता है, आमतौर पर छत या ऊँचे व् घने पेड़ जैसे सुरक्षित स्थानों पर।
- कबूतर का घोंसला – ढीले-ढाले तिनकों और मिटटी से बनता है, छत के कोनों या पेड़ों पर।
- कौवे का घोंसला – मोटी टहनियों से बनता है, ऊँचे पेड़ों पर।
- रोचक जानकारी – गौरैयाँ अपने घोंसले को बार-बार सुधारती हैं, और कुछ पक्षी पुराने घोंसलों का दोबारा उपयोग करते हैं। कोयल अपने अंडे कौवे के घौंसले में देती है।
हास्य-व्यंग्य
“छोड़ो जी, चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालेंगे! माँ ने व्यंग्य से कहा । ”
आप समझ गए होंगे कि इस वाक्य में माँ ने पिताजी से कहा है कि वे चिड़ियों को नहीं निकाल सकते। इस प्रकार से कही गई बात को ‘व्यंग्य करना’ कहते हैं।
व्यंग्य का अर्थ होता है— हँसी मज़ाक या उपहास के माध्यम से किसी कमी, बुराई या विडंबना को उजागर करना।
व्यंग्य में बात को सीधे न कहकर उलटा या संकेतात्मक ढंग से कहा जाता है ताकि उसमें चुटकीलापन भी हो और गंभीर सोच की संभावना भी बनी रहे। अनेक बार व्यंग्य में हास्य भी छिपा होता है।
(क) आपको इस कहानी में कौन-कौन से वाक्य पढ़कर हँसी आई? उन वाक्यों को चुनकर लिखिए।
उत्तर –
“छोड़ो जी, चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालेंगे!”
“यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?”
“इतनी तकलीफ करने की क्या जरूरत थी। पंखा चला देते, तो ये उड़ जातीं।”
(ख) अब चुने हुए वाक्यों में से कौन-कौन से वाक्य ‘व्यंग्य’ कहे जा सकते हैं? उन पर सही का चिह्न लगाइए।
उत्तर –
“छोड़ो जी, चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालेंगे!” ☑ (व्यंग्य: माँ पिताजी की असफलता का मजाक उड़ा रही हैं।)
“यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?” ☑ (व्यंग्य: माँ पिताजी के उछल-कूद को बेकार बता रही हैं।)
“इतनी तकलीफ करने की क्या जरूरत थी। पंखा चला देते, तो ये उड़ जातीं।” ☑ (व्यंग्य: माँ पिताजी के जटिल प्रयासों पर चुटकी ले रही हैं।)
Class 8 Hindi Do Gauraiya– Extract Based Questions (गद्यांश पर आधारित प्रश्न)
1 –
घर में हम तीन ही व्यक्ति रहते हैं— माँ, पिताजी और मैं। पर पिताजी कहते हैं कि यह घर सराय बना हुआ है। हम तो जैसे यहाँ मेहमान हैं, घर के मालिक तो कोई दूसरे ही हैं।
आँगन में आम का पेड़ है। तरह-तरह के पक्षी उस पर डेरा डाले रहते हैं। जो भी पक्षी पहाड़ियों- घाटियों पर से उड़ता हुआ दिल्ली पहुँचता है, पिताजी कहते हैं वही सीधा हमारे घर पहुँच जाता है, जैसे हमारे घर का पता लिखवाकर लाया हो । यहाँ कभी तोते पहुँच जाते हैं, तो कभी कौवे और कभी तरह-तरह की गौरैयाँ। वह शोर मचता है कि कानों के पर्दे फट जाएँ, पर लोग कहते हैं कि पक्षी गा रहे हैं!
घर के अंदर भी यही हाल है। बीसियों तो चूहे बसते हैं। रात भर एक कमरे से दूसरे कमरे में भागते फिरते हैं। वह धमा चौकड़ी मचती है कि हम लोग ठीक तरह से सो भी नहीं पाते। बर्तन गिरते हैं, डिब्बे खुलते हैं, प्याले टूटते हैं। एक चूहा अँगीठी के पीछे बैठना पसंद करता है, शायद बूढ़ा है उसे सर्दी बहुत लगती है। एक दूसरा है जिसे बाथरूम की टंकी पर चढ़कर बैठना पसंद है। उसे शायद गरमी बहुत लगती है। बिल्ली हमारे घर में रहती तो नहीं मगर घर उसे भी पसंद है और वह कभी-कभी झाँक जाती है।
प्रश्न 1 – लेखक के घर में कितने व्यक्ति रहते थे?
(क) तीन
(ख) पांच
(ग) चार
(घ) छः
उत्तर – (क) तीन
प्रश्न 2 – लेखक के पिता घर को सराय क्यों कहते थे?
(क) क्योंकि वहाँ लोग आते-जाते रहते थे
(ख) क्योंकि वहाँ तरह-तरह के पशु-पक्षी आते-जाते रहते थे
(ग) क्योंकि वह उनका स्थाई निवास नहीं था
(घ) क्योंकि वे वहाँ केवल कुछ दिन रहने वाले थे
उत्तर – (ख) क्योंकि वहाँ तरह-तरह के पशु-पक्षी आते-जाते रहते थे
प्रश्न 3 – लेखक के घर में पक्षी कहाँ अपना आवास बनाते थे?
(क) छत के कोनों पर
(ख) पंखे के गोले पर
(ग) आम के पेड़ पर
(घ) बरामदे की छत पर
उत्तर – (ग) आम के पेड़ पर
प्रश्न 4 – लेखक के घर में कौन-कौन अपना आवास बनाते थे?
(क) तोता, गौरैया और कौआ
(ख) छिपकली और ततैया
(ग) चूहे, बिल्ली और चमगादड़
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – चूहे रात भर क्या करते थे? हैं। वह धमा चौकड़ी मचती है कि हम लोग ठीक तरह से सो भी नहीं पाते। बर्तन गिरते हैं, डिब्बे खुलते हैं, प्याले टूटते हैं। एक चूहा अँगीठी के पीछे बैठना पसंद करता है, शायद बूढ़ा है उसे सर्दी बहुत लगती है। एक दूसरा है जिसे बाथरूम की टंकी पर चढ़कर बैठना पसंद है। उसे शायद गरमी बहुत लगती है।
(क) एक कमरे से दूसरे कमरे में भागते फिरते
(ख) एक चूहा अँगीठी के पीछे बैठना पसंद करता
(ग) एक दूसरा जो बाथरूम की टंकी पर चढ़कर बैठना पसंद करता
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
2 –
अब एक दिन दो गौरैया सीधी अंदर घुस आईं और बिना पूछे उड़-उड़कर मकान देखने लगीं। पिताजी कहने लगे कि मकान का निरीक्षण कर रही हैं कि उनके रहने योग्य है या नहीं। कभी वे किसी रोशनदान पर जा बैठतीं, तो कभी खिड़की पर फिर जैसे आई थीं वैसे ही उड़ भी गई। पर दो दिन बाद हमने क्या देखा कि बैठक की छत में लगे पंखे के गोले में उन्होंने अपना बिछावन बिछा लिया है और सामान भी ले आईं हैं और मजे से दोनों बैठी गाना गा रही हैं। जाहिर है, उन्हें घर पसंद आ गया था।
माँ और पिताजी दोनों सोफे पर बैठे उनकी ओर देखे जा रहे थे। थोड़ी देर बाद माँ सिर हिलाकर बोलीं, “अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं। अब तो इन्होंने यहाँ घोंसला बना लिया है।”
इस पर पिताजी को गुस्सा आ गया। वह उठ खड़े हुए और बोले, देखता हूँ ये कैसे यहाँ रहती हैं! गौरयाँ मेरे आगे क्या चीज हैं! मैं अभी निकाल बाहर करता हूँ।”
छोड़ो जी, चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालेंगे!” माँ ने व्यंग्य से कहा।
माँ कोई बात व्यंग्य में कहें, तो पिताजी उबल पड़ते हैं, वह समझते हैं कि माँ उनका मजाक उड़ा रही हैं। वह फौरन उठ खड़े हुए और पंखे के नीचे जाकर जोर से ताली बजाई और मुँह से ‘श… शू’ कहा, बाँहें झुलाई, फिर खड़े-खड़े कूदने लगे, कभी बाँहें झुलाते, कभी ‘श… शू’ करते ।
गौरैयों ने घोंसले में से सिर निकालकर नीचे की ओर झाँककर देखा और दोनों एक साथ “चीं-चीं’ करने लगीं। और माँ खिलखिलाकर हँसने लगीं।
प्रश्न 1 – लेखक के घर में कौन घुस आया था?
(क) दो चमगादड़
(ख) दो गौरैयाँ
(ग) दो छिपकली
(घ) दो चूहे
उत्तर – (ख) दो गौरैयाँ
प्रश्न 2 – गौरैयों ने अपना घौंसला कहाँ बनाया था?
(क) आम के पेड़ पर
(ख) छत के किनारे पर
(ग) लेखक के कमरे के पंखे के गोले पर
(घ) बैठक की छत में लगे पंखे के गोले में
उत्तर – (घ) बैठक की छत में लगे पंखे के गोले में
प्रश्न 3 – “अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं। अब तो इन्होंने यहाँ घोंसला बना लिया है।” यह वाक्य किसने कहा?
(क) माँ ने
(ख) पिता ने
(ग) लेखक ने
(घ) दादी ने
उत्तर – (क) माँ ने
प्रश्न 4 – पिता जी ने किसे भगाने की ठान ली ?
(क) चूहों को
(ख) छिपकलियों को
(ग) गौरैयों को
(घ) चमगादड़ों को
उत्तर – (ग) गौरैयों को
प्रश्न 5 – लेखक की माँ किस पर व्यंग्य कर रही थी?
(क) चूहों पर
(ख) लेखक के पिता पर
(ग) गौरैयों पर
(घ) लेखक पर
उत्तर – (ख) लेखक के पिता पर
3 –
पिताजी ने फिर लाठी उठाई और गौरैयों पर हमला बोल दिया। एक बार तो झूलती लाठी माँ के सिर पर लगते लगते बची। चीं-चीं करती चिड़ियाँ कभी एक जगह तो कभी दूसरी जगह जा बैठतीं । आखिर दोनों किचन की ओर खुलने वाले दरवाजे में से बाहर निकल गई। माँ तालियाँ बजाने लगीं। पिताजी ने लाठी दीवार के साथ टिकाकर रख दी और छाती फैलाए कुर्सी पर आ बैठे।
“आज दरवाजे बंद रखो” उन्होंने हुक्म दिया। एक दिन अंदर नहीं घुस पाएँगी, तो घर छोड़ देंगी।”
तभी पंखे के ऊपर से चीं-चीं की आवाज सुनाई पड़ी। और माँ खिलखिलाकर हँस दी। मैंने सिर उठाकर ऊपर की ओर देखा, दोनों गौरैयाँ फिर से अपने घोंसले में मौजूद थीं।
दरवाजे के नीचे से आ गई हैं, ” माँ बोलीं।
मैंने दरवाजे के नीचे देखा । सचमुच दरवाजों के नीचे थोड़ी-थोड़ी जगह खाली थी।
पिताजी को फिर गुस्सा आ गया। माँ मदद तो करती नहीं थीं, बैठी हँसे जा रही थीं।
अब तो पिताजी गौरैयों पर पिल पड़े। उन्होंने दरवाजों के नीचे कपड़े ठूंस दिए ताकि कहीं कोई छेद बचा नहीं रह जाए और फिर लाठी झुलाते हुए उन पर टूट पड़े। चिड़ियाँ चीं-चीं करती फिर बाहर निकल गई। पर थोड़ी ही देर बाद वे फिर कमरे में मौजूद थीं। अबकी बार वे रोशनदान में से आ गई थीं जिसका एक शीशा टूटा हुआ था।
प्रश्न 1 – लेखक के पिता लाठी क्यों लाए?
(क) छिपकली को भगाने के लिए
(ख) लेखक को मारने के लिए
(ग) गौरैयों को भगाने के लिए
(घ) चूहों को मारने के लिए
उत्तर – (ग) गौरैयों को भगाने के लिए
प्रश्न 2 – पहली बार बाहर भगाने के बाद फिर से गौरैयाँ कमरे में कैसे आई?
(क) रोशनदान से
(ख) दरवाजे के निचे से
(ग) खिड़की से
(घ) किचन के दरवाजे से
उत्तर – (ख) दरवाजे के निचे से
प्रश्न 3 – पिता जी द्वारा दूसरी बार बाहर भगाने के बाद फिर से गौरैयाँ कमरे में कैसे आई?
(क) रोशनदान से
(ख) दरवाजे के निचे से
(ग) खिड़की से
(घ) किचन के दरवाजे से
उत्तर – (क) रोशनदान से
प्रश्न 4 – दरवाजे का छेद बंद करने के लिए क्या किया गया?
(क) कागज़ ठुसे गए
(ख) कपड़ा ठूसा गया
(ग) लेखक को खड़ा किया गया
(घ) माँ का दुपटा रखा गया
उत्तर – (ख) कपड़ा ठूसा गया
प्रश्न 5 – ‘छाती फैलाए कुर्सी पर बैठना’ किस बात का संकेत है?
(क) आराम करने का
(ख) थकने का
(ग) साँस फूलने का
(घ) विजय का अनुभव करने का
उत्तर – (घ) विजय का अनुभव करने का
4 –
पिताजी के हाथ ठिठक गए। यह क्या? क्या गौरैयाँ लौट आई हैं? मैंने झट से बाहर की ओर देखा नहीं, दोनों गौरैयाँ बाहर दीवार पर गुमसुम बैठी थीं।
“चीं-चीं चीं-चीं!” फिर आवाज आई। मैंने ऊपर देखा। पंखे के गोले के ऊपर से नन्हीं-नन्हीं गौरैयाँ सिर निकाले नीचे की ओर देख रही थीं और चीं-चीं किए जा रही थीं। अभी भी पिताजी के हाथ में लाठी थी और उस पर लिपटा घोंसले का बहुत-सा हिस्सा था। नन्हीं-नन्हीं दो गौरैयाँ! वे अभी भी झाँके जा रही थीं और चीं-चीं करके मानो अपना परिचय दे रही थीं, हम आ गई हैं। हमारे माँ-बाप कहाँ है?
मैं अवाक् उनकी ओर देखता रहा। फिर मैंने देखा, पिताजी स्टूल पर से नीचे उतर आए हैं। और घोंसले के तिनकों में से लाठी निकालकर उन्होंने लाठी को एक ओर रख दिया है और चुपचाप कुर्सी पर आकर बैठ गए हैं। इस बीच माँ कुर्सी पर से उठीं और सभी दरवाजे खोल दिए। नन्हीं चिड़ियाँ अभी भी हाँफ हाँफकर चिल्लाए जा रही थीं और अपने माँ-बाप को बुला रही थीं।
उनके माँ-बाप झट से उड़कर अंदर आ गए और चीं-चीं करते उनसे जा मिले और उनकी नन्हीं-नन्हीं चोंचों में चुग्गा डालने लगे। माँ पिताजी और में उनकी ओर देखते रह गए। कमरे में फिर से शोर होने लगा था, पर अबकी बार पिताजी उनकी ओर देख-देखकर केवल मुसकराते रहे।
प्रश्न 1 – पिता जी के हाथ क्यों ठिठक गए?
(क) उन्हें चोट लग गई
(ख) उन्हें लगा गौरैयाँ फिर अंदर आ गई है
(ग) उनके हाथों में दर्द होने लगा था
(घ) वे बहुत अधिक परेशान हो गए थे
उत्तर – (ख) उन्हें लगा गौरैयाँ फिर अंदर आ गई है
प्रश्न 2 – घौंसला टूटता देख गौरैयों की क्या प्रतिक्रिया थी?
(क) वे उदास-गुमसुम हो गई थी
(ख) वे गुस्से में आ गई थी
(ग) वे पिता जी पर हमला करने लगी थी
(घ) वे इधर-उधर उड़ने लगी थी
उत्तर – (क) वे उदास-गुमसुम हो गई थी
प्रश्न 3 – पंखे ले गोले में से कौन झाँक रहा था?
(क) गौरैयाँ
(ख) गौरियों के नन्हें बच्चे
(ग) छिपकली
(घ) चमगादड़
उत्तर – (ख) गौरियों के नन्हें बच्चे
प्रश्न 4 – नन्हीं चिड़ियाँ क्या कर रही थी?
(क) हाँफ हाँफकर चिल्लाए जा रही थीं
(ख) अपने माँ-बाप को बुला रही थीं
(ग) बचे हुए घौंसले से झाँक रही थी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – नन्हीं चिड़ियों को देखकर पिता जी ने क्या किया?
(क) नन्हीं चिड़ियों को भी बाहर निकाल दिया
(ख) लाठी को एक ओर रख दिया है और चुपचाप कुर्सी पर आकर बैठ गए
(ग) नन्हीं चिड़ियों को देखकर गुस्से में आ गए
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ख) लाठी को एक ओर रख दिया है और चुपचाप कुर्सी पर आकर बैठ गए
Class 8 Hindi Malhar Lesson 2 Do Gauraiya Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)
प्रश्न 1 – ‘दो गौरैया’ पाठ के लेखक कौन हैं?
(क) भीष्म सक्सेना
(ख) भीष्म पितामह
(ग) भीष्म साहनी
(घ) भीष्म शर्मा
उत्तर – (ग) भीष्म साहनी
प्रश्न 2 – लेखक के घर में कितने व्यक्ति रहते थे?
(क) तीन
(ख) पांच
(ग) चार
(घ) छः
उत्तर – (क) तीन
प्रश्न 3 – लेखक के पिता घर को क्या कहते थे?
(क) कबाड़घर
(ख) निवास स्थान
(ग) सराय
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) सराय
प्रश्न 4 – लेखक के पिता घर को सराय क्यों कहते थे?
(क) क्योंकि वहाँ लोग आते-जाते रहते थे
(ख) क्योंकि वहाँ तरह-तरह के पशु-पक्षी आते-जाते रहते थे
(ग) क्योंकि वह उनका स्थाई निवास नहीं था
(घ) क्योंकि वे वहाँ केवल कुछ दिन रहने वाले थे
उत्तर – (ख) क्योंकि वहाँ तरह-तरह के पशु-पक्षी आते-जाते रहते थे
प्रश्न 5 – लेखक के घर में कौन-कौन अपना आवास बनाते थे?
(क) तोता, गौरैया और कौआ
(ख) छिपकली और ततैया
(ग) चूहे, बिल्ली और चमगादड़
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 6 – लेखक के घर में कौन घुस आया था?
(क) दो चमगादड़
(ख) दो गौरैयाँ
(ग) दो छिपकली
(घ) दो चूहे
उत्तर – (ख) दो गौरैयाँ
प्रश्न 7 – मकान का निरीक्षण कौन कर रहा था?
(क) पिता जी
(ख) लेखक
(ग) गौरैयाँ
(घ) चमगादड़
उत्तर – (ग) गौरैयाँ
प्रश्न 8 – गौरैयों ने अपना घौंसला कहाँ बनाया था?
(क) आम के पेड़ पर
(ख) छत के किनारे पर
(ग) लेखक के कमरे के पंखे के गोले पर
(घ) बैठक की छत में लगे पंखे के गोले में
उत्तर – (घ) बैठक की छत में लगे पंखे के गोले में
प्रश्न 9 – पिता जी ने किसे भगाने की ठान ली?
(क) चूहों को
(ख) छिपकलियों को
(ग) गौरैयों को
(घ) चमगादड़ों को
उत्तर – (ग) गौरैयों को
प्रश्न 10 – गौरैयों को भगाने के लिए लेखक के पिता क्या लाए?
(क) लाठी
(ख) झाड़ू
(ग) बांस
(घ) पानी
उत्तर – (क) लाठी
प्रश्न 11 – लेखक के पिता लाठी क्यों लाए?
(क) छिपकली को भगाने के लिए
(ख) लेखक को मारने के लिए
(ग) गौरैयों को भगाने के लिए
(घ) चूहों को मारने के लिए
उत्तर – (ग) गौरैयों को भगाने के लिए
प्रश्न 12 – दूसरी बार गौरैयाँ कैसे कमरे में आई?
(क) रोशनदान से
(ख) दरवाजे के निचे से
(ग) खिड़की से
(घ) किचन के दरवाजे से
उत्तर – (ख) दरवाजे के निचे से
प्रश्न 13 – गौरैयाँ बार-बार कमरे में कैसे आ रही थी?
(क) रोशनदान से
(ख) दरवाजे के निचे से
(ग) केवल (क)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों
प्रश्न 14 – ‘छाती फैलाए कुर्सी पर बैठना’ किस बात का संकेत है?
(क) आराम करने का
(ख) थकने का
(ग) साँस फूलने का
(घ) विजय का अनुभव करने का
उत्तर – (घ) विजय का अनुभव करने का
प्रश्न 15 – कपड़ा कहाँ ठूसा गया?
(क) खिड़की में
(ख) रोशन दान में
(ग) दरवाजे के नीचे
(घ)उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) दरवाजे के नीचे
प्रश्न 16 – पिता जी के हाथ क्यों ठिठक गए?
(क) उन्हें चोट लग गई
(ख) उन्हें लगा गौरैयाँ फिर अंदर आ गई है
(ग) उनके हाथों में दर्द होने लगा था
(घ) वे बहुत अधिक परेशान हो गए थे
उत्तर – (ख) उन्हें लगा गौरैयाँ फिर अंदर आ गई है
प्रश्न 17 – माँ का गौरैयों के प्रति व्यवहार कैसा था?
(क) व्यंग्यात्मक
(ख) क्रूर
(ग) सहानुभूतिपूर्ण
(घ) क्रोधित
उत्तर – (ग) सहानुभूतिपूर्ण
प्रश्न 18 – घौंसला टूटता देख गौरैयों की क्या प्रतिक्रिया थी?
(क) वे उदास-गुमसुम जो गई थी
(ख) वे गुस्से में आ गई थी
(ग) वे पिता जी पर हमला करने लगी थी
(घ) वे इधर-उधर उड़ने लगी थी
उत्तर – (क) वे उदास-गुमसुम जो गई थी
प्रश्न 19 – माँ ने अंत में दरवाजे क्यों खोल दिए?
(क) हवा के लिए
(ख) बच्चों को बाहर जाने के लिए
(ग) गौरैयों को अंदर आने ले लिए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) गौरैयों को अंदर आने ले लिए
प्रश्न 20 – कहानी में पिता का हृदय परिवर्तन कब होता है?
(क) जब माँ उन्हें डाँटती है
(ख) जब वे नन्हीं चिड़ियों को ची-ची करते देखते हैं
(ग) जब वे गौरैयों को उदास व् गुमसुम बैठा देखते हैं
(घ) जब गौरैयाँ बार-बार अपने घर में आने का प्रयास जारी रखती हैं
उत्तर – (ख) जब वे नन्हीं चिड़ियों को ची-ची करते देखते हैं
Do Gauraiya Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)
प्रश्न 1 – लेखक के पिता अपने घर को सराय क्यों कहते थे?
उत्तर – लेखक अपने घर का जिक्र करते हैं कि उनके घर में तीन ही व्यक्ति रहते थे – उनकी माँ, उनके पिताजी और स्वयं लेखक। परन्तु लेखक के पिताजी कहते थे कि उनका घर यात्रियों के ठहरने का स्थान बना हुआ है। वे तो जैसे घर में मेहमान हैं और घर के मालिक तो कोई दूसरे ही हैं। क्योंकि लेखक के घर के आँगन में एक आम का पेड़ था। उस पर तरह-तरह के पक्षी अपना बसेरा डाले रहते थे। लेखक के पिताजी कहते थे कि जो भी पक्षी पहाड़ियों या घाटियों से उड़ता हुआ दिल्ली पहुँचता है, वह सीधा उनके घर ऐसे पहुँच जाता है, जैसे उनके घर का पता कहीं से लिखवाकर लाया हो। उस आम के पेड़ पर कभी तोते पहुँच जाते थे, तो कभी कौवे और कभी तरह-तरह की गौरैयाँ वहाँ अपना घर बना देती थी। जैसे घर के बाहर पक्षियों ने अपना बसेरा बनाया हुआ था वैसे ही लेखक के घर के अंदर का हाल था। उनके घर में बहुत अधिक चूहे रहते थे। लेखक के घर में बिल्ली नहीं रहती थी मगर लेखक का घर उसे भी पसंद था क्योंकि वह कभी-कभी लेखक के घर में झाँक लेती थी। शाम होते ही दो-तीन चमगादड़ कमरों के आर-पार अपने पर फैलाकर मानो व्यायाम करते थे। घर में कबूतर भी थे। इतने पशु-पक्षी होने पर भी लेखक के घर में छिपकलियाँ भी थी और ततैया भी थे और चींटियों की फौज ने तो मानो लेखक के घर में डेरा ही डाल रखा था।
प्रश्न 2 – गौरैयों ने लेखक के घर में कहाँ अपना बसेरा बनाया ?
उत्तर – एक दिन लेखक के घर में दो गौरैया सीधी अंदर घुस आईं और बिना पूछे इधर-उधर उड़-उड़कर मानो मकान देखने लगीं। लेखक के पिताजी कहने लगे कि वे मकान को गौर से देख रही है कि वह उनके रहने योग्य है भी कि नहीं। कभी वे किसी रोशनदान पर जा बैठतीं, तो कभी खिड़की पर और फिर जैसे आई थीं वैसे ही उड़ कर चली भी गई। परन्तु दो दिन बाद लेखक और उनके माता-पिता ने देखा कि उनकी बैठक की छत में लगे पंखे के गोले में उन गौरैयों ने अपना बिस्तर बिछा लिया था और वे अपना सामान भी ले आईं थी और मजे से दोनों बैठी गाना गा रही थी। उन्हें देखकर लगता था कि उन्हें घर पसंद आ गया था।
प्रश्न 3 – ‘अब गौरैयाँ ने घौंसला बना लिया है और अब वे नहीं जाएंगीं’ माँ की इस बात पर पिताजी की क्या प्रतिक्रिया थी ?
उत्तर – लेखक के माँ और पिताजी दोनों सोफे पर बैठे गौरैयों की ओर देखे जा रहे थे। थोड़ी देर बाद लेखक की माँ ने सिर हिलाकर कहा कि अब तो वे गौरैयाँ नहीं उड़ेंगी। यदि पहले उन्हें उड़ा देते, तो वे उड़ जातीं। अब तो उन्होंने छत के पंखें के गोले में अपना घोंसला बना लिया था। अर्थात यदि घौंसला बनाने से पहले उन्हें उड़ाते तो वे उड़ जाती परन्तु घौंसला बनाने के बाद उन्हें उड़ाना सही नहीं है। उनकी बात सुनकर लेखक के पिताजी को गुस्सा आ गया। वह उठ खड़े हुए और बोले कि देखता हूँ ये कैसे यहाँ रहती हैं! उनके आगे गौरयाँ क्या चीज हैं! वे अभी गौरयाँ को बाहर निकाल देंगे।
प्रश्न 4 – पिता जी ने गौरैयों को भगाने के क्या-क्या प्रयास किए ?
उत्तर – जब कभी भी लेखक की माँ कोई बात मजाक में कहती थी, तो लेखक के पिताजी चीड़ जाते थे। उन्हें हमेशा लगता था कि लेखक की माँ उनका ही मजाक उड़ाती है। इसी कारण वे तुरंत उठ खड़े हुए और पंखे के नीचे जाकर जोर से ताली बजाने लगे और मुँह से ‘श… शू’ की आवाज के साथ ही, बाँहें हिलाने लगे, फिर खड़े-खड़े कूदने लगे, कभी बाँहें हिलाते, कभी ‘श… शू’ करके गौरैयों को भगाने की कोशिश करने लगे। लेखक के पिता जी गौरैयाँ को निकालने की ठान चुके थे इसलिए बाहर से बड़ा डंडा उठा लाए। लेखक के पिता जी ने बड़े डंडे को ऊँचा उठाया और पंखे के गोले को चोट करने लगे।
प्रश्न 5 – लेखक की माँ गौरैयों को क्यों नहीं भगाना चाहती थी ?
उत्तर – जब लेखक के पिता जी गौरैयाँ को भगाने की कोशिश कर रहे थे तब गौरैयाँ घोंसले में से निकलकर दूसरे पंखे के पंख पर जा बैठीं थी। उन्हें देखकर लग रहा था जैसे उन्हें लेखक के पिताजी का नाचना-कूदना बहुत पसंद आ रहा था। पिता जी की हरकतों को देखकर लेखक की माँ हँसते हुए कहने लगी कि ये नहीं निकलेंगी क्योंकि अब इन्होंने घौंसले में अंडे दे दिए होंगे।
प्रश्न 6 – जब-जब लेखक के पिता गौरैयों को बाहर निकालते तो वे किस तरह वापिस अंदर आ जाती?
उत्तर – जब लेखक के पिता ने बड़े डंडे को ऊँचा उठाया और पंखे के गोले को चोट करने लगे। ‘चीं-चीं करती हुई गौरैयाँ उड़कर पर्दे के डंडे पर जा बैठीं।लेखक के पिताजी डंडे को उठाए पर्दे के डंडे की ओर जल्दी-जल्दी पैर उठाते हुए तेजी से आगे बढ़े। अब एक गौरैया उड़कर किचन के दरवाजे पर जा बैठी और दूसरी सीढ़ियों वाले दरवाजे पर। जब दरवाजे बंद कर दिए केवल किचन वाला दरवाजा खुला रहा। तो पिता जी के हमलों से बचती हुई चीं-चीं करती चिड़ियाँ कभी एक जगह तो कभी दूसरी जगह जा बैठतीं। आखिर में दोनों किचन की ओर खुलने वाले दरवाजे में से बाहर निकल गई। लेखक के पिता जी ने आदेश दिया कि आज दरवाजे बंद रखो। तभी पंखे के ऊपर से फिर से चीं-चीं की आवाज सुनाई पड़ी। देखा, तो पाया कि दोनों गौरैयाँ फिर से अपने घोंसले में मौजूद थीं। माँ ने कहा कि वे दरवाजे के नीचे से आ गई हैं। लेखक के पिताजी एक साथ पूरी ताकत और दृढ़ संकल्प के साथ गौरैयों पर हमला करने लगे। उन्होंने दरवाजों के नीचे कपड़े घुसा दिए ताकि कहीं कोई छेद न बचा रह जाए। चिड़ियाँ भी चीं-चीं करती फिर बाहर निकल गई। पर थोड़ी ही देर बाद वे फिर से कमरे में मौजूद थीं। इस बार वे रोशनदान में से आ गई थीं क्योंकि उसका एक शीशा टूटा हुआ था। जिसमें से चिड़ियाँ आराम से निकलकर अंदर आ सकती थी।
प्रश्न 7 – बार-बार गौरैयों को भगाने से परेशान होकर पिता जी ने क्या निर्णय लिया?
उत्तर – दिन में तो गौरैयाँ बाहर निकाल दी जाती पर रात के समय जब सभी सो रहे होते, तो न जाने किस रास्ते से वे अंदर घुस आतीं थी। लेखक के पिताजी अब उनसे परेशान हो उठे थे। आखिर कोई कहाँ तक लाठी झुला सकता है? लेखक के पिताजी भले ही बार-बार यह कहते थे कि वे हार मानने वाला आदमी नहीं हैं। परन्तु आखिर वे भी हर दिन चिड़ियों को भगाते-भगाते तंग आ गए थे। आखिर जब उनका सब्र समाप्त हो गया तो वे कहने लगे कि वे अब गौरैयों का घोंसला ही नोचकर निकाल देंगे। इतना कहकर वे तुरंत ही बाहर से एक स्टूल उठा लाए। ताकि वे चिड़ियों का घौंसला ही नष्ट कर दें।
प्रश्न 8 – घौंसला तोड़ते हुए अचानक लेखक के पिता क्यों रुक गए ?
उत्तर – लेखक के पिताजी डंडे के सिरे को घास के तिनकों के ऊपर रखे रखे घुमाने लगे। सूखी घास और रुई के लच्छे और धागे और पैबंद आदि डंडे के सिरे पर लिपटने लगे। तभी अचानक फिर से जोर की आवाज आई, ‘चीं-चीं चीं-चीं!!! जब उनके पिता जी ने घौंसला तोड़ते हुए ची-ची की आवाज सुनी तो उनके हाथ अचानक से रुक गए। वे सोचने लगे कि क्या गौरैयाँ फिर से लौट आई। लेखक ने भी जल्दी से बाहर की ओर देखा, वहाँ दोनों गौरैयाँ बाहर दीवार पर दुखी सी चुपचाप बैठी हुई थीं। “चीं-चीं चीं-चीं!” फिर आवाज आई। लेखक ने ऊपर की ओर देखा। तो पंखे के गोले के ऊपर से नन्हीं-नन्हीं गौरैयाँ सिर निकाले नीचे की ओर देख रही थीं और चीं-चीं किए जा रही थीं। लेखक हैरान हो कर उनकी ओर देखता रहा। फिर लेखक ने देखा, कि उनके पिताजी स्टूल पर से नीचे उतर आए थे।
प्रश्न 9 – लेखक के पिता जी ने घौंसला न तोड़ने का निर्णय क्यों लिया?
उत्तर – लेखक के पिता ने घोंसले के तिनकों में से लाठी निकालकर लाठी को एक ओर रख दिया था और चुपचाप कुर्सी पर आकर बैठ गए थे। ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें पछतावा हो रहा हो। इस बीच लेखक की माँ कुर्सी पर से उठीं और सभी दरवाजे खोल दिए। नन्हीं चिड़ियाँ अभी भी हाँफ हाँफकर चिल्लाए जा रही थीं और अपने माँ-बाप को बुला रही थीं। उनके माँ-बाप जल्दी से उड़कर अंदर आ गए और चीं-चीं करते अपने बच्चों से जा मिले और उनकी नन्हीं-नन्हीं चोंचों में दाना डालने लगे। माँ पिताजी और लेखक उनकी ओर देखते रह गए। अब फिर से कमरे में शोर होने लगा था, पर अबकी बार लेखक के पिताजी उन गौरैयों की ओर देख-देखकर केवल मुसकराते जा रहे थे। मानो उन्हें ख़ुशी हो रही हो कि समय रहते घौंसला टूटने से बच गया और उन्होंने एक परिवार को बेघर नहीं किया।