एक आर्शीवाद पाठ सार
CBSE Class 8 Hindi Chapter 3 “Ek Aashirwad”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Malhar Book
एक आर्शीवाद सार – Here is the CBSE Class 8 Hindi Malhar Chapter 3 Ek Aashirwad with detailed explanation of the lesson ‘Ek Aashirwad’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary
इस पोस्ट में हम आपके लिए सीबीएसई कक्षा 8 हिंदी मल्हार के पाठ 3 एक आर्शीवाद पाठ सार, पाठ व्याख्या और कठिन शब्दों के अर्थ लेकर आए हैं जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। हमने यहां प्रारंभ से अंत तक पाठ की संपूर्ण व्याख्याएं प्रदान की हैं क्योंकि इससे आप इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। चलिए विस्तार से सीबीएसई कक्षा 8 एक आर्शीवाद पाठ के बारे में जानते हैं।
Ek Aashirwad (एक आर्शीवाद)
‘एक आर्शीवाद’ कविता दुष्यंत कुमार द्वारा रचित सुंदर कविता है। यह कविता एक भावनात्मक आशीर्वाद के रूप में लिखी गई है जिसमें कवि किसी प्रिय व्यक्ति को स्वप्न देखने, संघर्ष करने और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रहा है। कवि चाहता है कि वह व्यक्ति अपनी कल्पनाओं के संसार से बाहर आकर धरती पर सच्चाई से जीना सीखे, आत्मनिर्भर बने और अपने जीवन को सार्थक बनाए।
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एक आर्शीवाद पाठ सार Ek Aashirwad Summary
‘एक आर्शीवाद’ कविता में कवि अपने किसी प्रिय व्यक्ति को प्रेरित कर रहा है और आशीर्वाद देते हुए कह रहा है कि उसकी कल्पनाएँ व् सपने ऊँचे और महत्वाकांक्षी हों, जो उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। उसे जीवन में अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने मन की भावनाओं पर नियंत्रण रख कर व् काल्पनिक सपनों की दुनिया से बाहर निकलकर वास्तविक जीवन में कदम रखना होगा और सांसारिक वास्तविकता का सामना करना सीखना होगा। जीवन के बड़े और मुश्किल लक्ष्यों के प्राप्त करने के लिए दृढ़ता और जिद्द होना आवश्यक है। कठिनाइयों के बावजूद हमें अपने लक्ष्यों के लिए मेहनत करते रहना चाहिए। जीवन की विपरीत परिस्थितियों में हंसना और मुस्कुराना भी सीखना चाहिए। जीवन में उसे प्रत्येक रोशनी की किरण से सीख लेनी चाहिए और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वह स्वयं संघर्ष करे, न की किसी की सहायता से आगे बड़े। कवि अपने प्रिय व्यक्ति को आशीर्वाद देते है कहता है कि वह अपने जीवन में बड़े सपने देखे और उन्हें साकार करने का भरसक प्रयास करे।

एक आर्शीवाद पाठ व्याख्या – Ek Aashirwad Explanation
1 –
जा,
तेरे स्वप्न बड़े हों
भावना की गोद से उतरकर
जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें
शब्दार्थ –
स्वप्न – सपना, कल्पना
भावना – संवेदना, मन की भावना
गोद – घुटने के ऊपर जाँघों का वह भाग जहाँ किसी को बैठाया जा सकता हो
पृथ्वी – धरती
चलना सीखें – जीवन में आगे बढ़ना सीखें
व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में कवि अपने किसी प्रिय व्यक्ति को प्रेरित कर रहा है और आशीर्वाद देते हुए कह रहा है कि वह अपने जीवन में बड़े सपने देखे। अर्थात उसकी कल्पनाएँ ऊँचीं हो। कहने का आशय यह है कि कवि चाहता है कि उसकी कल्पनाएँ व् सपने ऊँचे और महत्वाकांक्षी हों, जो उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। कवि उस व्यक्ति से कहता है कि उसे जीवन में अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने मन की भावनाओं पर नियंत्रण रख कर व् काल्पनिक सपनों की दुनिया से बाहर निकलकर वास्तविक जीवन में कदम रखना होगा और सांसारिक वास्तविकता का सामना करना सीखना होगा। तभी वह अपने बड़े-बड़े सपनों को साकार कर सकता है।
2 –
चाँद-तारों-सी अप्राप्य सच्चाइयों के लिए
रूठना-मचलना सीखें
हँसें
मुसकराएँ
गाएँ
शब्दार्थ –
अप्राप्य – जो अब प्राप्त न हो, जो प्राप्त करने योग्य न हो, न मिलने वाला, दुर्लभ
सच्चाइयों – जीवन की सच्ची बातें
रूठना – नाराज होना
मचलना – किसी वस्तु के पाने या न देने की जिद पकड़ लेना, आतुर होना, हठ करना
हँसें – हँसना, खुश होना
मुसकराएँ – हल्की मुस्कान देना
व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहता है कि चाँद-तारों को प्राप्त करने जैसे दुर्लभ, बड़े और मुश्किल लक्ष्यों को पाने के लिए जीवन की सच्चाई से अवगत होना आवश्यक है। कहने का आशय यह है कि जीवन के बड़े और मुश्किल लक्ष्यों के प्राप्त करने के लिए दृढ़ता और जिद्द होना आवश्यक है। कवि यहाँ यह सीख भी देना चाहता है कि कठिनाइयों के बावजूद हमें अपने लक्ष्यों के लिए मेहनत करते रहना चाहिए। जीवन में कुछ हासिल करने के लिए भोग-विलास की वस्तुओं से नाराज होना भी सीखना चाहिए और किसी लक्ष्य को पाने की जिद भी पकड़नी आनी चाहिए। जीवन की विपरीत परिस्थितियों में हंसना और मुस्कुराना भी सीखना चाहिए। कहने का आशय यह है कि चाहे लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में कितनी भी कठिनाइयाँ आए हमें उनसे डरना नहीं चाहिए बल्कि डट कर उनका सामना करना चाहिए।
3 –
हर दीये की रोशनी देखकर ललचाएँ
उँगली जलाएँ
अपने पाँवों पर खड़े हों।
जा,
तेरे स्वप्न बड़े हों।
शब्दार्थ –
ललचाएँ – किसी चीज़ को पाने की अनुचित या बढ़ी हुई इच्छा, आकर्षित होना
उँगली जलाएँ – संघर्ष करे
अपने पाँवों पर खड़े हों – आत्मनिर्भर होना
व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में कवि अपने किसी प्रिय व्यक्ति को आशीर्वाद देते हुए कहता है कि जीवन में वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति में आने वाली हर आशा की किरण को देखकर उससे आकर्षित हो अर्थात जीवन में उसे प्रत्येक रोशनी की किरण से सीख लेनी चाहिए और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए। वह हर संघर्ष करे जो उसे उसके लक्ष्य तक पहुंचाने में सहायक हो। वह आत्मनिर्भर बने अर्थात अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वह
स्वयं संघर्ष करे, न की किसी की सहायता से आगे बड़े। कवि अपने प्रिय व्यक्ति को आशीर्वाद देते है कहता है कि वह अपने जीवन में बड़े सपने देखे और उन्हें साकार करने का भरसक प्रयास करे।
Conclusion
‘एक आर्शीवाद’ कविता दुष्यंत कुमार द्वारा रचित सुंदर कविता है। यह कविता एक भावनात्मक आशीर्वाद के रूप में लिखी गई है जिसमें कवि किसी प्रिय व्यक्ति को स्वप्न देखने, संघर्ष करने और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रहा है। कक्षा 8 हिंदी की मल्हार पुस्तक के पाठ 3 ‘एक आर्शीवाद’ की इस पोस्ट में सार, व्याख्या और शब्दार्थ दिए गए हैं। छात्र इसकी मदद से पाठ को तैयार करके परीक्षा में पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।
Vyapar nahin Samadhan per Dhyan dijiye
Focus on the solution not the problem
Bahut tagra ek number